19 September 2011

हल्दी : गुणकारी उपयोगी नुस्खे



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इन दिनों मौसम में संक्रमण बढ़ जाता है। रसोई में काम आने वाली हल्दी संक्रमण से बचाव का अच्छा उपाय हो सकती है। यह केवल एक मसाला नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से गुणकारी दवा भी है। सब्जी, दाल हो या फिर कोई और नमकीन व्यंजन। 

यहां तक कि कई मिठाइयों में भी हल्दी का प्रयोग किया जाता है। हल्दी लजीज व्यंजनों का स्वाद तो बढ़ाती ही है त्वचा, शरीर और पेट संबंधी कई रोगों में भी काम आती है। हल्दी के पौधे की जड़ से मिलने वाली गांठें ही नहीं, इसके पत्ते भी उपयोगी होते हैं। 

गुणकारी हल्दी के अलग-अलग लाभ उठाने के लिए आपको किसी वैद्य या विशेषज्ञ की शरण में जाने की जरूरत नहीं है। अपने घर पर ही छोटे-छोटे प्रयोग कर इसके अलग-अलग लाभ उठाए जा सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। खून को साफ करती है। महिलाओं की पीरियड से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करती है। 

लीवर संबंधी समस्याओं में भी इसे गुणकारी माना जाता है। यही वजह है कि सर्दी-खांसी होने पर दूध में कच्ची हल्दी पाउडर डालकर पीने की सलाह दी जाती है। जरूरी है कि हल्दी को हमेशा एयर टाइट कंटेनर में रखें ताकि इसके स्वाद और गुणवत्ता में कोई कमी नहीं आए।

पेट में कीड़े होने पर 1 चम्मच हल्दी पाउडर रोज सुबह खाली पेट एक सप्ताह तक ताजा पानी के साथ लेने से कीड़े खत्म हो सकते हैं। चाहें तो इस मिश्रण में थोड़ा नमक भी मिला सकते हैं। इससे भी फायदा होगा।

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चेहरे के दाग-धब्बे और झाइयां हटाने के लिए हल्दी और काले तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। हल्दी-दूध का पेस्ट लगाने से त्वचा का रंग निखरता है और आपका चेहरा खिला-खिला लगता है।

खांसी होने पर हल्दी की छोटी गांठ मुंह में रख कर चूसें। इससे खांसी नहीं उठती। 

त्वचा से अनचाहे बाल हटाने के लिए हल्दी पाउडर को गुनगुने नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को हाथ-पैरों पर लगाएँ। इसे त्वचा मुलायम रहती है और शरीर के अनचाहे बाल भी धीरे-धीरे हट जाते हैं। 

सनबर्न की वजह से त्वचा झुलसने या काली पड़ने पर हल्दी पाउडर, बादाम चूर्ण और दही मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे त्वचा का रंग निखर जाता है और सनबर्न की वजह से काली पड़ी त्वचा भी ठीक हो जाती है। यह एक तरह से सनस्क्रीन लोशन की तरह काम करता है। 

मुंह में छाले होने पर गुनगुने पानी में हल्दी पाउडर मिलाकर कुल्ला करें या हलका गर्म हल्दी पाउडर छालों पर लगाएं। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं। 

चोट-मोच, मांसपेशियों में खिंचाव या अंदरूनी चोट लगने पर हल्दी का लेप लगाएं या गर्म दूध में हल्दी पाउडर डालकर पीएं।

सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव : सत्यमित्रानंदजी




श्रीमद् भागवत गीता में कहा गया है कि राष्ट्र का चरित्र बदलना है तो राष्ट्र के सर्वोच्च स्थान पर बैठे हुए व्यक्ति का चरित्र बदलना होगा, क्योंकि श्रेष्ठजन जैसा आचरण करते हैं, बाकी के लोग उनका अनुसरण करते हैं। इसलिए हम सब लोगों को उन लोगों के आदर्श देखना चाहिए जो गरीबी में भले ही पले हों, लेकिन अपने जीवन के सिद्धांतों का पालन करने का यत्न कर रहे हों। 

गांव में ऐसे लोगों को ढूंढकर ऐसे सम्मेलनों में लाएं जो अध्यापक रहे हों, जो छोटे कार्य कर किसानी करते हों, लेकिन भूलकर भी अपनी ईमानदारी के साथ सौदा न किया हो, ऐसे लोगों का सम्मान फिर से इस देश में होना चाहिए। ईमानदार व्यक्ति को भी लगेगा कि मेरी उपयोगिता है। मैं एक आदर्श हूं। मैं समाज को तिल-तिल जलकर भी कुछ दे सकता हूं। अंधेरे से लड़ सकता हूं। सामान्य प्रकाश में बहुत बड़ा बल होता है। 

देश और समाज की परिस्थिति का चिंतन करते-करते निराशा जागी। ऐसी निराशा में बैठा हुआ था कि एक छोटा-सा जीव मेरी आंखों के सामने से गुजरा। उसके भीतर से प्रकाश निकल रहा था, वह जुगनू था, मानो कह रहा हो- ओ संन्यासी, तुम अंधेरे से डरते हो? मैं अंधेरे को चुनौती देते हुए सदियों से निरंतर चमकता रहता हूं। दीप से दीप जलाने का कार्य हमें निरंतर करना है, भले हम खद्योन बने, दीपक लेकिन अंधकार से हमारा संघर्ष चलते रहना चाहिए। संघर्ष जीवन का दूसरा नाम है। 

हम सब लोगों की भारत माता है। आज देश विकट परिस्थितियों में फंसा हुआ नजर आ रहा है। ऐसे समय में भारतमाता का चिंतन करना मेरा और आपका दायित्व है। एक सेवा के कार्य ने मुझ जैसे अकिंचन साधु को अभिभूत किया। विकलांग के चरण छू रहा है। यह भी तो परमात्मा का स्वरूप है। 

जब विकलांग और विष्णु में कोई अंतर न रह जाए तो समझना चाहिए कि पूजा सार्थक हो गई। अपने स्वार्थों में जकड़ा हुआ यह समाज पुण्य की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार की विधियों का पालन भले ही न करे, लेकिन अंतरशुद्धि के लिए सेवा का मार्ग न अपना सके तो विधियां लौकिक प्रशंसा तो दिला सकेंगी। 

अंतर की शुद्धि, अंतर्यामी की सन्निधि प्राप्त नहीं होगी। आज इस देश को आवश्यकता है हमारे भीतर आत्म संतोष जागे। आत्मसंतुष्टि सेवा और संस्कार के द्वारा जितनी प्राप्त होती है, उतनी किसी और प्रकार से नहीं होती है। एक पत्रकार ने विदेश में मुझसे पूछा कि आपको देश का भविष्य कैसा लग रहा है? मैंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों को देखेंगे तो बहुत धूमिल लग रहा है। लेकिन ऐसी धूमिल अवस्थाओं का सामना बहुत बार हम कर चुके हैं। 

इसलिए ऐसा लग रहा है कि अंधकार के पीछे से सूर्य वहीं अकुला रहा है। अपनी अरुणाई बिखेरने के लिए, अपनी प्राची को पवित्र करने के लिए अरुणोदय मानों झांक रहा है। यह उससे पूर्व का अंधकार है, इसलिए उससे डरना नहीं चाहिए। 

उच्च कोटि का जीवन जीने में ही सार्थकता है। ऊपर उठने के लिए मनुष्य को कुछ प्रयत्न करना पड़ेगा। क्योंकि मानव परमात्मा की सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। यदि मानव-जीवन श्रेष्ठ नहीं होता तो उसकी वंदना क्यों की जाती? उसके सम्मान में गीत क्यों गाए जाते? उसकी मूर्तियां-प्रतिमाएं क्यों स्थापित की जातीं? 

मेरी दृष्टि में, शास्त्रों की दृष्टि में, संसार के सारे श्रेष्ठ पुरुषों की दृष्टि से मानव का तन तभी श्रेष्ठ है, जब वह नारायण की सेवा करने का प्रयत्न करे। लोगों को दुःख से मुक्त करना सबसे बड़ी सेवा है। नर के द्वारा यह नारायण की ही सेवा है। 

गायत्री मंत्र का वर्णं

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र संक्षेप में

गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं

ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना......

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