3 October 2011

धन कमाने के सरल तंत्र-मंत्र दीपावली पर करें धन के लिए तांत्रिक प्रयोग



धन कमाने के लिए खास तांत्रिक प्रयोग प्रस्तुत है। इस प्रयोग को दीपावली के रात में किया जाता है। इस प्रयोग से किसी तरह की हानि नहीं होती। यह सभी साधारणजन के लिए असरकारी और आसान तांत्रिक प्रयोग है। 

इस सरल तांत्रिक प्रयोग को पूर्ण पवित्रता से करने पर लाभ अवश्य मिलता है। लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धन की वर्षा होती है। रूका पैसा तो मिलता ही है आय के नए-नए साधन भी जुटने लगते हैं। सबसे पहले पूरी शुद्धता से नीचे दिए गए मंत्र की पहले 108 बार माला करें। 

महालक्ष्मी मंत्र - 
'ॐ श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नम:' 

सरल वि‍धि : 
* चांदी की एक छोटी-सी डिबिया लें। अगर चांदी की उपलब्ध नहीं हो तो किसी और शुद्ध धातु की डिबिया भी आप ले सकते हैं। 

* इस डिबिया को आप ऊपर तक नागकेशर तथा शहद से भरकर बंद कर दें। 

* दीपावली की रात्रि को इसका पूजन-अर्चन करके इसे अपने लॉकर या दुकान के गल्ले में रख दीजिए। 

* रखने के बाद इसे खोलने की जरूरत नहीं है और ना ही और कुछ उपाय करने की। 

* फिर अगली दीपावली तक इसे लॉकर या गल्ले में रखी रहने दें। दिनों दिन बढ़ती लक्ष्मी का चमत्कार आप स्वयं देखेंगे।

स्वाध्याय हो जीवन का लक्ष्य पुण्यकर्मों से मिलता है मानव जीवन


आग है लेकिन यह ऐसी आग है जो दिखाई नहीं देती जिसका धुआं भी दिखाई नहीं देता। जो आग दिखाई देती है उसको बुझाना सरल है लेकिन जो दिखाई नहीं देता। 

उस ईर्ष्या रूपी आग को किस प्रकार बुझाया जाए यह बहुत विकट प्रश्न है। इसके लिए प्राणिमात्र के प्रति सौहार्द, प्रेम, जन कल्याण की भावना पैदा करनी होगी। दुख का सबसे बड़ा कारण यह है कि मनुष्य अपने घर का देखकर उतना प्रसन्न नहीं होता, जितना दूसरों के घर को जलते देख प्रसन्न होता है। यही ईर्ष्या है। जहां ईर्ष्या का निवास है वहां ईश्वर भक्ति नहीं पनप सकती। 

जीवन का उद्देश्य नहीं है, केवल खाना-पीना।
जीवन का उद्देश्य है जग में, जगना और जगाना।
जगने और जगाने का मतलब है संसार के लोगों को ईश्वरोन्मुख करना। यह कार्य वही कर सकता है जिसे ब्रह्म की अनुभूति हो और जिसमें सेवा समर्पण और परोपकार का भाव हो :- 

खुद कमाओ, खुद खाओ- यह मानव की प्रकृति है।
कमाओ नहीं, छीनकर खाओ- यह मानव की विकृति है।
खुद कमाओ, दूसरों को खिलाओ- यही हमारी संस्कृति है।

मानव जीवन की सफलता के लिए समय का सदुपयोग करें। दौलत से रोटी मिल सकती है पर भूख नहीं। दौलत से बिस्तर मिल सकते हैं, पर नींद नहीं। दौलत से गीता की पुस्तक मिल सकती है पर ज्ञान नहीं। दौलत से मंदिर मिल सकता है पर भगवान नहीं। आश्चर्य की बात है कि रुपए बर्बाद होने पर आज के मनुष्य को उसका दुख तो होता है। परंतु व्यर्थ ही इधर-उधर की बातों में समय को बर्बाद करने पर उसको दु

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