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28 January 2012
अलग-अलग रूपों में शिव या अन्य देवताओं के मंत्र
शास्त्रों में अलग-अलग रूपों में शिव या अन्य देवताओं के मंत्र जप हर कामनापूर्ति, गंभीर रोग, पीड़ा और दु:ख से छुटकारे के लिए शुभ व असरदार माने गए हैं। किंतु अक्सर यह भी देखा जाता है कि परेशानियों से निजात पाने की व्यग्रता में कोई व्यक्ति मंत्र जप करता है तो अनजाने में गलत स्थान चुनने से मंत्र जप की मर्यादा भंग होती है। जबकि शास्त्रों में मंत्र जप प्रभावी बनाने व शुभ फल पाने के लिए स्थान की पवित्रता का महत्व बताया गया है।
जानिए शिव या किसी भी देव मंत्रों के जप के लिए शास्त्रों के मुताबिक कौन-सी जगह श्रेष्ठ होती है, जहा मंत्र कामनासिद्धि और असरदार होते हैं -
- शिव मंत्र जप ऐसे जगह पर करें जहां ध्यान भंग न हो और मन शांत भी रहे।
- शिव या अन्य देव मंत्र जप समुद्र तट, नदी का किनारा, तीर्थस्थल श्रेष्ठ होता है।
- शिव, विष्णु या देवी के मंदिर में भी मंत्र जप शुभ फल देते हैं।
- गौशाला, बरगद के पेड़, आंवले के पेड़, तुलसी के पौधों के बीच या किसी भी पवित्र स्थान पर जप करना भी प्रभावी माना जाता है।
- बिल्वपत्र, वटवृक्ष या आम के पेड़ के नीचे मंत्र जप सिद्धि देने वाला होता है।
- सुनसान या भय पैदा करने वाले स्थानों, सिनेमाघर, बाजार के समीप या जहां ध्वनि यंत्रों का शोर होता हो, वह पर मंत्र जप न करें।
- यह संभव न हो तो घर के खाली कमरे या कोने में चन्दन अगरबत्ती, गुलाब के फूल से वातावरण सुगंधित और स्वच्छ बनाकर मंत्र जप कर सकते हैं।
- शास्त्रों के मुताबिक सूर्य, अग्रि, गुुरु, चन्द्रमा, दीपक, जल, ब्राह्मण और गायों के सामने जप करना श्रेष्ठ है।
- गौशाला में जप करने से घर में किए जप से दस गुना फल प्राप्त होता है। ध्यान रहे ऐसी गौशाला में बैल न हो।
- जंगल में जप करना, घर में किए जप की तुलना में सौ गुना फलदायी होता है। इसी तरह तालाब के किनारे हजार गुना और समुद्र, नदी किनारे, पहाड़ या शिव मंदिर में जप लाख गुना फल देता है।
- वहीं गुरु के चरणों मे जप अनन्त गुना फल देता है।
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