22 January 2012

जीव का चरम लक्ष्य...!

विश्व का प्रत्येक जीव बिना किसी प्रयोजन के कोई कार्य नहीं करता, यह एक अनुभवशिद्ध सिद्धांत है ! दर्शनशास्त्र कहता है, 'प्रयोजनमनुद्दीश्य मंदोंपि न प्रवर्तते'  अर्थात घोर से घोर मुर्ख भी बिना प्रयोजन के कोई कार्य नहीं करता ! अतएव प्रत्येकक कार्य का अलग अलग प्रयोजन भी स्वाभाविक होना चाहिए, किन्तु ऐसा नहीं है ! कार्य अनंत होते हुए भी प्रयोजन एक ही है ! सुनने में ये बात विचित्र सी है किन्तु विचार करने पर साधारण एवं स्वाभाविक है !

No comments:

Feetured Post

ये है सनातन धर्म के संस्कार

  गर्व है हमें #सनातनी #अरुणा_जैन जी पर..अरुणा ने 25 लाख का इनाम ठुकरा दिया पर अंडा नही बनाया. ये सबक है उन लोगों के लिए जो अंडा और मांसाहा...