मानव-जीवन में सफलता की पहली-सीढी है.."धर्म-तत्व" का यथार्थ-ज्ञान..!
जिस "धर्म" को आज इस भौतिक-जगत में जान-समुदाय ने अपना रखा है..वह सांसारिक-धर्म है..इसलिए इससे जीवन का यथार्थ-लक्ष्य प्रतिबिंबित नहीं होता.!!
जिस "धर्म-तत्व" को महान-पुरुषो ने स्वयं जाना और जान कर उसको अपने जीवन में अपनाया और उसका प्रचार-प्रसार जन-समुदाय को भी अपनाने के लिए प्रेरित किया..वही धर्म-तत्व का ज्ञान आज हर मानव को जानना ...और प्राप्त करना चाहिए..!
"धर्म" वह है..जो बांधता नहीं..अपितु मुक्त करता है..!
"योग" वह है..जो "धर्म" को जीवन से जोड़ता है..!
"ज्ञान" वह है..जो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देता है..!
यही वेदों का सार-तत्व है..!
***धर्म ते विरति..योग ते ज्ञाना..ज्ञान मोक्ष पद वेद बखाना..!!
जिस "धर्म" को आज इस भौतिक-जगत में जान-समुदाय ने अपना रखा है..वह सांसारिक-धर्म है..इसलिए इससे जीवन का यथार्थ-लक्ष्य प्रतिबिंबित नहीं होता.!!
जिस "धर्म-तत्व" को महान-पुरुषो ने स्वयं जाना और जान कर उसको अपने जीवन में अपनाया और उसका प्रचार-प्रसार जन-समुदाय को भी अपनाने के लिए प्रेरित किया..वही धर्म-तत्व का ज्ञान आज हर मानव को जानना ...और प्राप्त करना चाहिए..!
"धर्म" वह है..जो बांधता नहीं..अपितु मुक्त करता है..!
"योग" वह है..जो "धर्म" को जीवन से जोड़ता है..!
"ज्ञान" वह है..जो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देता है..!
यही वेदों का सार-तत्व है..!
***धर्म ते विरति..योग ते ज्ञाना..ज्ञान मोक्ष पद वेद बखाना..!!
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