22 January 2013

जाको राखे साइयां

www.goswamirishta.com
बस अपनी मंजिल की ओर बढ़ी जा रही थी। रास्ते में कुछ देर के लिए रुकी तो ड्राइवर ने यात्रियों से कहा, ‘‘जो लोग चाय-नाश्ता करना चाहें यहीं कर सकते हैं। अगला पड़ाव दो घंटे बाद आएगा।’
कुछ यात्री उतर गये, कुछ बस में ही बैठे रहे तभी उन्होंने देखा कि एक कुत्ता खरगोश के पीछे दौड़ रहा है। खरगोश तेजी से कूदकर एक झाड़ी में छिप गया। तभी बस का चालक उठा और झाड़ियों के पास जाकर एक ही झटके में खरगोश को पकड़ लिया। वह बस में से एक बड़ा चाकू ले आया। 
‘कुत्ते से तो बच गया, मुझसे कैसे बचेगा।’ चालक बोला।
‘पर आप इसे मार क्यों रहे हैं ?’ एक यात्री बोला।
‘मैं इसे भूनकर खाऊँगा। बड़े दिनों बाद खरगोश का मांस खाने को मिलेगा।’
अभी चालक ने अपना बड़ा-सा चाकू खरगोश की गर्दन पर चलाने के लिए उठाया है था कि चाकू उसके हाथ से छूट कर उसके पैर पर गिर पड़ा। भारी चाकू के गिरते ही चालक का पैर बुरी तरह कट गया। वहाँ नजदीक कोई अस्पताल भी नहीं था। खून अधिक निकल जाने के कारण उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी। कुछ ही देर में चालक के प्राण निकल गए।
तभी तो कहा गया है, ‘जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय।’
जीव हत्या से बढ़कर पाप कोई दूसरा नहीं। प्राण सभी को प्यारे होते हैं, तभी वह खरगोश कुत्ते से बचने को झाड़ी में जा छिपा था, लेकिन बस का ड्राइवर उसके प्राणों का प्यासा हो गया। ईश्वर की लीला अपरंपार है, इसलिए अहित सोचने वाले का अहित पहले होता है, जैसे बस ड्राइवर का हुआ।

No comments:

Feetured Post

ये है सनातन धर्म के संस्कार

  गर्व है हमें #सनातनी #अरुणा_जैन जी पर..अरुणा ने 25 लाख का इनाम ठुकरा दिया पर अंडा नही बनाया. ये सबक है उन लोगों के लिए जो अंडा और मांसाहा...