21 January 2013

अनदेखा अनजाना सा

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अंजलि की बातों में उस दिन मैं खो गया था। वैसे ऐसा लगभग रोज होता है। कभी-कभी मुझे लगता है कि शायद वह परेशान है। कभी लगता है कि वह कुछ कहना चाहती है, लेकिन उसकी हालत मेरी तरह है क्योंकि में उससे हजारों बातें कहना चाहता हूं, पर उसके सामने जाकर सकपका जाता हूं। ऐस उन लोगों के साथ अधिक होता है जिनकी जन्मतिथि के हिसाब से कन्या राशि हो। राशियों का मेल मजेदार होता है और लोगों का भी।

मैं कहा रहा था कि अंजलि काफी गुस्से में है, मुझे कभी-कभी लगता है। वह चुप है क्योंकि वह बहुत सोचती है। वह शांत है क्योंकि वह संतुष्ट है। वह हर चीज को बारीकी से परखती है, बिल्कुल मेरी तरह। भीड़ में रहने के बावजूद वह उसमें खोना नहीं चाहती। उसकी ख्वाहिश भीड़ से अलग दिखने की है।

हम विचारों को महत्व इसलिए देते हैं, क्योंकि हमें लगता है कि उनसे हम सीख सकते हैं। हम दोनों एक-दूसरे के विचारों की कद्र करते हैं। शायद यह हमें अच्छा लगता है। हमें घंटों बैठकर बातें करने में कोई बुराई नहीं, जबकि आजतक ऐसा हुआ नहीं। पन्द्रह-बीस मिनट तक हम काफी विचार कर चुके हैं। समय की पाबंदी के कारण कई बातें अधूरी रह गयीं। उनकी भरपाई के लिए अगला दिन था, पर ऐसा हुआ नहीं। 

अंजलि के कारण मुझे एक नया दोस्त मिल गया। हालांकि मैंने उसे कभी देखा नहीं, न ही मैं उसे जानता। लेकिन हमारी दोस्ती लंबी चलने वाली है। मैं यह जानता हूं कि वह काफी भला है। उसकी हंसी को करीब से देखने की तमन्ना है। जब वह मुस्कराता होगा तो कैसा लगता होगा, बगैरह, बगैरह। मेरे मन में कल्पनाओं का पूरा ढेर इकट~ठा है। हम सोचते बहुत हैं। सोच कभी थमती नहीं।

मैं खुद को अकेला मानता हूं। मुझे बरसों से एक अच्छे दोस्त की तलाश थी। कई लोग जिन्हें मैं हद से अधिक लगाव करता था, उन्होंने मुझे छोड़ दिया। मैं सूनसान इलाके का वासी हो गया। बताने को कुछ खास नहीं। सच कहूं तो वह दौर खराब था।

जिंदगी की पटरी पर मैं दौड़ रहा हूं। मैं कितनी दूर और जाउंगा, नहीं जानता। सफर को छोटा करना मेरे बस में नहीं। पागलों की तरह दहाड़े मार नहीं सकता। चुपचाप चलना बेहतर है। मुझे उसका साथ मिला है, तो कुछ आस बंधी है। एक गीत मुझे याद आता है-

‘‘यूं ही कट जायेगा सफर साथ चलने से,
मंजिल आयेगी नजर साथ चलने से।’’

जिस व्यक्ति को मैं झलक भर देख नहीं सका, उसपर इतना विश्वास। शायद हद से ज्यादा विश्वास कितना ठीक है, यह मैं जानने की कोशिश कर रहा हूं। मेरी दुनिया बदल रही है। नजरिया पहले सा नहीं रहा। झिलमिलाते सितारे आसमान को अनगिनत मुस्कराहटों से भर रहे हैं। मानो हर कोई खिला हो, पत्ते खुश हों और फूल महक रहे हों। सुनहरापन हो, जैसे जीवन जगमगा रहा हो। कहने को पता नहीं क्या-क्या बदल रहा है, मैं भी।

उसे मैंने बताने की सोची कि वह मेरे जीवन के कोरे कागज पर पल भर में हजारों चित्र उकेर गया। वाकई जीवन रंगों से भर गया। बिना एक मुलाकात के इतना सब मैं कह गया। जब वह पढ़ेगा तो उसे कैसा लगेगा।

मैं इतना जानता हूं कि उसकी प्रतिक्रिया जो भी रहे, पर सच को वह झुठला नहीं सकता क्योंकि मैंने सच को उकेरा है। शब्द स्पष्ट हैं, उन्हें मोड़ने की कोशिश मैंने नहीं की। शब्द सीधे हैं, उन्हें बिगाड़ने की कोशिश मैंने नहीं की।

हृदय की आवाज शायद वह सुन सकता है, साफ-साफ और स्पष्ट। जबसे उसने अंजलि से कहा है कि वह मेरा मित्र बनने को तैयार है, तबसे मैं काफी खुश हूं। इतना कि बयान करना मुश्किल सा मालूम पड़ता है।

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