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- क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है |
इंगरसोल
- क्रोध मुर्खता से शुरू होता है और पशचाताप पर खत्म होता है |
पेथागोरस
- क्रोध के सिंहासन पर बैठते ही बुद्धि वंहा से खिसक जाती है
एम्.हेनरी
- क्रोध से मूढता उत्पन्न होती है मूढता से स्म्रति भ्रांत हो जाती है, स्म्रति भ्रांत होने से बुद्धि का नाश हो जाता है, और बुद्धि के नष्ट होने पर प्राणी स्वंय नष्ट हो जाता है |
भगवान श्रीक्रष्ण
- जब क्रोध आए, तो उसके परिणाम पर विचार करो |
क्न्फ्युश्स
- यदि आप आत्मरक्षा करना चाहता है, तो अपने क्रोध को संभाल ले | ऐसा न करने पर क्रोध आपका नाश क्र देगा |
तिरुकुरल
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