30 July 2013

गुनगुना पानी

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इसमें कोई शक नही पानी स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है लेकिन गर्म पानी भी औषधीय गुणों की खान है.
- पानी को थोड़ा गर्म करके पी लें तो कब्ज को दूर करने में भी मदद मिलती है.
- गर्म पानी से स्नान थकान मिटाने, त्वचा को निखारने और इसकी बीमारियों को दूर करने का सबसे अच्छा साधन है.
- गर्म पानी का इस्तेमाल वजन कम करने, रक्त प्रवाह को संतुलित बनाने और रक्त प्रवाह का संचार ठीक से करने में भी लाभकारी है. - गुनगुने पानी को मुंह में घुमा घुमा कर घूंट घूंट करके पीने से मोटापा नियंत्रित होता है.
- गुनगुना पानी शरीर में मौजूद गंदगी को साफ करने की प्रक्रिया तेज करता है और गुर्दों के माध्यम से गंदगी बाहर निकल जाती हैं.
- शाररिक श्रम करने के पहले थोड़ा गुनगुना पानी पी ले थकान कम महसूस होगी और आपका शरीर ज्यादा हल्का महसूस करेगा
- गर्म पानी के साथ नींबू और शहद का मिश्रण बनाकर सेवन करने से आपकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और वजन कम करने में भी ये नुस्खा लाभदायक है।
- ठंडे पानी को जहां गुर्दों के लिए हानिकारक माना जाता है वही गुर्दों की सेहत अच्छी बनाए रखने के लिए दिन में कम से कम दो बार यानी सुबह-शाम गुनगुना पानी पीना चाहिए. इससे शरीर में मौजूद गंदगी का जमाव नहीं हो पाता.
- गुनगुने पानी को हड्डियों और जोड़ों की सेहत के लिए भी जरूरी माना जाता है. गुनगुना पानी जोड़ों के बीच के घर्षण को कम करने में मदद करता है, जिससे भविष्य में गठिया जैसी गंभीर बीमारियों के होने की आशंका कम हो जाती है.
- सौंदर्य और स्वास्थ्य, दोनों की दृष्टि से गर्म पानी अचूक दवा है. इस पानी में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर धीमे-धीमे शरीर पर डालने से आराम का अहसास होता है और किसी भी प्रकार का दर्द चुटकियों में दूर हो जाता है.
~गुनगुना पानी~

इसमें कोई शक नही पानी स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है लेकिन गर्म पानी भी औषधीय गुणों की खान है.
- पानी को थोड़ा गर्म करके पी लें तो कब्ज को दूर करने में भी मदद मिलती है.
- गर्म पानी से स्नान थकान मिटाने, त्वचा को निखारने और इसकी बीमारियों को दूर करने का सबसे अच्छा साधन है.
- गर्म पानी का इस्तेमाल वजन कम करने, रक्त प्रवाह को संतुलित बनाने और रक्त प्रवाह का संचार ठीक से करने में भी लाभकारी है. - गुनगुने पानी को मुंह में घुमा घुमा कर घूंट घूंट करके पीने से मोटापा नियंत्रित होता है.
- गुनगुना पानी शरीर में मौजूद गंदगी को साफ करने की प्रक्रिया तेज करता है और गुर्दों के माध्यम से गंदगी बाहर निकल जाती हैं.
- शाररिक श्रम करने के पहले थोड़ा गुनगुना पानी पी ले थकान कम महसूस होगी और आपका शरीर ज्यादा हल्का महसूस करेगा
- गर्म पानी के साथ नींबू और शहद का मिश्रण बनाकर सेवन करने से आपकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और वजन कम करने में भी ये नुस्खा लाभदायक है।
- ठंडे पानी को जहां गुर्दों के लिए हानिकारक माना जाता है वही गुर्दों की सेहत अच्छी बनाए रखने के लिए दिन में कम से कम दो बार यानी सुबह-शाम गुनगुना पानी पीना चाहिए. इससे शरीर में मौजूद गंदगी का जमाव नहीं हो पाता.
- गुनगुने पानी को हड्डियों और जोड़ों की सेहत के लिए भी जरूरी माना जाता है. गुनगुना पानी जोड़ों के बीच के घर्षण को कम करने में मदद करता है, जिससे भविष्य में गठिया जैसी गंभीर बीमारियों के होने की आशंका कम हो जाती है.
- सौंदर्य और स्वास्थ्य, दोनों की दृष्टि से गर्म पानी अचूक दवा है. इस पानी में थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर धीमे-धीमे शरीर पर डालने से आराम का अहसास होता है और किसी भी प्रकार का दर्द चुटकियों में दूर हो जाता है.

18 July 2013

लक्ष्य

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किसी गाँव मे एक साधु रहा करता था ,वो जब भी नाचता तो बारिस होती थी . अतः गाव के लोगों को जब भी बारिस की जरूरत होती थी ,तो वे लोग साधु के पास जाते और उनसे अनुरोध करते की वे नाचे , और जब वो नाचने लगता तो बारिस ज़रूर होती.

कुछ दिनों बाद चार लड़के शहर से गाँव में घूमने आये, जब उन्हें यह बात मालूम हुई की किसी साधू के नाचने से बारिस होती है तो उन्हें यकीन नहीं हुआ .

शहरी पढाई लिखाई के घमंड में उन्होंने गाँव वालों को चुनौती दे दी कि हम भी नाचेंगे तो बारिस होगी और अगर हमारे नाचने से नहीं हुई तो उस साधु के नाचने से भी नहीं होगी.फिर क्याथा अगले दिन सुबह-सुबह ही गाँव वाले उन लड़कों को लेकर साधु की कुटिया पर पहुंचे.

साधु को सारी बात बताई गयी , फिर लड़कों ने नाचना शुरू किया , आधे घंटे बीते और पहला लड़का थक कर बैठ गया पर बादल नहीं दिखे , कुछ देर में दूसरे ने भी यही किया और एक घंटा बीतते-बीतते बाकी दोनों लड़के भी थक कर बैठ गए, पर बारिश नहीं हुई.

अब साधु की बारी थी , उसने नाचना शुरू किया, एक घंटा बीता, बारिश नहीं हुई, साधु नाचता रहा…दो घंटा बीता बारिश नहीं हुई….पर साधु तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ,धीरे-धीरे शाम ढलने लगी कि तभी बादलों की गड़गडाहत सुनाई दी और ज़ोरों की बारिश होने लगी . लड़केदंग रह गए

और तुरंत साधु से क्षमा मांगी और पूछा-
” बाबा भला ऐसा क्यों हुआ कि हमारे नाचने से बारिस नहीं हुई और आपके नाचने से हो गयी ?”

साधु ने उत्तर दिया – ” जब मैं नाचता हूँ तो दो बातों का ध्यान रखता हूँ , पहली बात मैं ये सोचता हूँ कि अगर मैं नाचूँगा तो बारिस को होना ही पड़ेगा और दूसरी ये कि मैं तब तक नाचूँगा जब तक कि बारिस न हो जाये .”

Friends सफलता पाने वालों में यही गुण विद्यमान होता है वो जिस चीज को करते हैं उसमे उन्हें सफल होने का पूरा यकीन होता है और वे तब तक उस चीज को करते हैं जब तक कि उसमे सफल ना हो जाएं. इसलिए यदि हमें सफलता हांसिल करनी है तो उस साधु की तरह ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होगा.
A village is a Sage, he was the bears when dances. So whenever people need bears town, they go to the Sadhu and request they dined, and when he does the dancing bears of course.

A few days later the four boys in the village from the city when it was known by a sadhu of dancing bears, they sure did not happen.

Boasting never interested in village of urban people who read challenging that we also will the bears and if nexon was not from our dancing over the monk's dancing; then kyatha next day morning only to those with the village boys arrived at the Hermitage of Sage.

Sage noted the whole thing, then started dancing boys, half an hour ago and the first boy sat on the cloud, not tired while the other has followed suit and the rest an hour passing-passing both boys sat tired, not even on the rain.

Now, she started dancing monks turn, an hour elapsed, rain dances, Sage ...Two hours elapsed did not rain .... not only the name of the monk was taking the stay, only gradually began to conduct that evening and hear the rain clouds to be zoron gadgadahat. Ladkedang and immediately sought forgiveness from the monk and asked-"why it happened that Baba bless us from dancing bears and not gotten from the dance?"

Sage replied – "when I'll keep two dances the points, the first thing I wonder if I will be on the bears and other nachunga that I do not nachunga until the bears."

Friends success in those properties to get the thing to do that would exist if he is sure of succeeding and do the thing to not succeed in that. So if we have success like the Sage conquered nature to achieve your goal.

गुलाब से बने गुलकंद में है कई चमत्कारिक गुण

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गुलाब से बने गुलकंद में है कई चमत्कारिक गुण

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गुलाब सिर्फ एक बहुत खुबसूरत फूल ही नहीं है बल्कि यह कई तरह के औषधिय गुणों से भी भरपूर है। गुलाब की खुश्बु ही नहीं इसके आंतरिक गुण भी उतने ही अच्छे हैं। गुलाब के फूल में कई रोगों के उपचार की भी क्षमता है। नींद न आती हो , मानसिक थकावट हो तो सिरहाने के पास गुलाब रखकर सोएं. फिर देखिए परिणाम। आज हम आपको बताने जा रहे हैं गुलाब का गुलकंद खाने के फायदों के बारे में ....

1-गुलाब से बने गुलकंद में गुलाब का अर्क होता है जो शरीर को ठंडक पहुंचाता है। यह शरीर को डीहाइड्रेशन से बचाता है और तरोताजा रखता है। यह पेट को भी ठंडक पहुंचाता है। गर्मी के दिनों में गुलकंद स्फूर्ति देने वाला एक शीतल टॉनिक है,जो गर्मी से उत्पन्न थकान, आलस्य, मांसपेशियों का दर्द और जलन आदि कष्टों से बचाता है।

2- गुलकंद में विटामिन सी, ई और बी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। भोजन के बाद गुलकंद का सेवन भोजन को पचाने के लिए फायदेमंद है और इसके सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं।

3- दिल की बीमारी में अर्जुन की छाल और देसी गुलाब मिलाकर उबालें और पी लें, हृदय की धडकन अधिक हो तो इसकी सूखी पंखुडियां उबालकर पीएं। आँतों में घाव हो तो 100 ग्राम मुलेटी ,50 ग्राम सौंफ ,50 ग्राम गुलाब की पंखुडियाँ तीनों को मिलाकर 10 ग्राम की मात्रा में लें। इसका 100 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीएं।

4-गर्मी के कारण चेहरे पर उत्पन्न छोटी-छोटी फुं सियाँ (एक्ने) गुलकंद के सेवन से धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। बच्चों में कृमि कष्ट (पेट में कीड़े) होने पर बाइविडिंग का चूर्ण गुलकंद में मिलाकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम 15 दिनों तक देने से कृमि कष्ट से मुक्ति मिल जाती है।

5- गुलकंद लेने से पेट के रोग व अल्सर कब्ज आदि समस्याएं खत्म हो जाती हैं। रोजाना चम्मचभर गुलकंद खाने से आँखों की रोशनी ठीक रहती है। गुलकंद के नियमित सेवन से इसके पाचन के बाद बनने वाला रस आँतों के लिए बहुत हितकर होता है। पाचन क्षमता में सुधार, चयापचय क्रिया का नियमन, रक्तशोधन करने के लिए गुलकंद फायदेमंद होता है।

6- गर्मियों के मौसम में गुलकंद कई तरह के फायदे पहुंचाता है। हाजमा दुरुस्त रखता है और आलस्य दूर करता है। गुलकंद शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और कब्ज को भी दूर करता है। सुबह-शाम एक-एक चम्मच गुलकंद खाने पर मसूढ़ों में सूजन या खून आने की समस्या दूर हो जाती है। पीरियड के दौरान गुलकंद खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है। मुंह का अल्सर दूर करने के लिए भी गुलकंद खाना फायदेमंद होता है।

7- गुलकंद में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स हैं जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं और थकान दूर करते हैं। आपकी त्वचा के लिए भी यह बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण हैं जो त्वचा की समस्याओं को दूर करते हैं और त्वचा हाइड्रेट रहती है।

Rose is in the many wondrous properties from gulkand

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Made from 1-rose is rose extracts in gulkand body transmits coolness. it prevents the dihaidreshan and rejuvenating the body. It also transmits coolness stomach. summer days gulkand elation a soft tonic, which generated from heat fatigue, laziness, muscle soreness and irritation, etc from the 2-gulkand. suffering vitamin cE & b good volume after gulkand. digest food intake of beneficial to digestion related problems from its intake and remotely. 4-heart disease rose in the bark of Arjun and boil and drink, mixing Indian heart boiled dry pankhudiyan more then its SIP dhadkan. wound up in the intestines, 100 gram mullet , 50 g aniseed, 50 g rose pankhudiyan in all three of its 10 grams 100 grams water. BREW by SIP generated 4-heat face. small phun siyan (ekne) intake be gradually away gulkand. children suffer when the worm (worms in the stomach) in a mixed baividing gulkand-a teaspoon in the morning-evening 15 days from suffer from worm. 5-gulkand from stomach Disease and ulcers constipation etc problems are over chammachbhar every day from eating gulkand eyes light. fix. after its regular intake of gulkand digestive juice that would be prudent for the intestines become. digestive efficiency, metabolic regulation, action beneficial to raktashodhan gulkand. 6-summer season many advantages does gulkand. better hajma and laziness gulkand body away. Temperature controls and constipation too far one morning-evening is the spoon in the gums swelling or blood on eating gulkand come to correct the problem. during the period from eating gulkand stomach pain ulcers of the mouth away in comfort. to eat beneficial gulkand. 7-in good amounts of antioxidants that gulkand body resistant to increase capacity and fatigue to your skin. It is very rewarding. There is property that skin problems and hydrate the skin.(Translated by Bing)

17 July 2013

हींग से करें घरेलू उपचार

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* दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दांत में हींग दबाकर सोएँ। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएंगे।

* यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें। कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा।

* हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।

* हींग का लेप बवासीर, तिल्ली में लाभप्रद है।

* कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा।

* पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।

* पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।

* जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

* प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।

* मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानियां जैसे पेट में दर्द और मरोड़ या अनियमित मासिक धर्म में हींग का सेवन करने से फायदे होते हैं। यह औषधि कैंडिडा संक्रमण और ल्यूकोरहोइया से भी छुटकारा दिलाने में मददगार साबित होता है।

* सूखी खांसी, अस्थमा, काली खांसी के लिए हींग और अदरक में शहद मिलाकर लेने से काफी आराम मिलता है।

* हींग की मदद से शरीर में ज्यादा इन्सुलिन बनता है और ब्लड शुगर का स्तर नीचे गिरता है। ब्लड शुगर के स्तर को घटाने के लिए हींग में पका कड़वा कद्दू खाना चाहिए।

* हींग में कोउमारिन होता है जो खून को पतला करने में मदद करता है और इसे जमने से रोकता है। हींग बढ़े हुए ट्राइग्लीसेराइड और कोलेस्ट्रोल को कम करता है और उच्च रक्तचाप को भी घटाता है।

* यह औषधि विचार शक्ति को बढ़ाती है और इसलिए उन्माद, ऐंठन और दिमाग में खून की कमी से बेहोशी जैसे लक्षण से बचने के लिए भी हींग खाने की सलाह दी जाती है।

* अफीम के असर को कम करने में हींग मदद करता है। इसलिए इसे विषहरण औषधि भी कहा जाता है।

* शोध के अनुसार हींग में वह शक्ति होती है जो कर्क (कैंसर) रोग को बढ़ावा देने वाले सेल को पनपने से रोकता है।

हिंदी शायरी / Hindi Shayri


हींग से करें घरेलू उपचार
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* दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दांत में हींग दबाकर सोएँ। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएंगे।

* यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें। कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा।

* हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।

* हींग का लेप बवासीर, तिल्ली में लाभप्रद है।

* कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा।

* पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।

* पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनिमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।

* जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

* प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।

* मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानियां जैसे पेट में दर्द और मरोड़ या अनियमित मासिक धर्म में हींग का सेवन करने से फायदे होते हैं। यह औषधि कैंडिडा संक्रमण और ल्यूकोरहोइया से भी छुटकारा दिलाने में मददगार साबित होता है।

* सूखी खांसी, अस्थमा, काली खांसी के लिए हींग और अदरक में शहद मिलाकर लेने से काफी आराम मिलता है।

* हींग की मदद से शरीर में ज्यादा इन्सुलिन बनता है और ब्लड शुगर का स्तर नीचे गिरता है। ब्लड शुगर के स्तर को घटाने के लिए हींग में पका कड़वा कद्दू खाना चाहिए।

* हींग में कोउमारिन होता है जो खून को पतला करने में मदद करता है और इसे जमने से रोकता है। हींग बढ़े हुए ट्राइग्लीसेराइड और कोलेस्ट्रोल को कम करता है और उच्च रक्तचाप को भी घटाता है।

* यह औषधि विचार शक्ति को बढ़ाती है और इसलिए उन्माद, ऐंठन और दिमाग में खून की कमी से बेहोशी जैसे लक्षण से बचने के लिए भी हींग खाने की सलाह दी जाती है।

* अफीम के असर को कम करने में हींग मदद करता है। इसलिए इसे विषहरण औषधि भी कहा जाता है।

* शोध के अनुसार हींग में वह शक्ति होती है जो कर्क (कैंसर) रोग को बढ़ावा देने वाले सेल को पनपने से रोकता है।

@[145354965583491:274:हिंदी शायरी / Hindi Shayri]

16 July 2013

Burn Stomach Fat & Reduce


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करौंदा

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कच्चा करौंदा खट्‌टा और भारी होता है। प्यास को शान्त करने में अति उत्तम है। रक्‍त पित्त को हरता है, गरम तथा रूचिकारी होता है। पका करौंदा, हल्का मीठा रूचिकर और वातहारी होता है। करोंदा में व्याप्त दोषों को नमक, मिर्च और मीठे पदार्थ दूर हो जाते हैं।
- कच्चे करौंदे का अचार बहुत अच्छा होता है।
- इसकी लकड़ी जलाने के काम आती है।
- फलों के चूर्ण के सेवन से पेट दर्द में आराम मिलता है। - करोंदा भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है, प्यास रोकता है और दस्त को बंद करता है। ख़ासकर पैत्तिक दस्तों के लिये तो अत्यन्त ही लाभदायक है।
- सूखी खाँसी होने पर करौंदा की पत्तियों के रस का सेवन लाभकारी होता है।
- पातालकोट में आदिवासी करौंदा की जड़ों को पानी के साथ कुचलकर बुखार होने पर शरीर पर लेपित करते है और गर्मियों में लू लगने और दस्त या डायरिया होने पर इसके फ़लों का जूस तैयार कर पिलाया जाता है, तुरंत आराम मिलता है।
- खट्टी डकार और अम्ल पित्त की शिकायत होने पर करौंदे के फलों का चूर्ण काफ़ी फ़ायदा करता है, आदिवासियों के अनुसार यह चूर्ण भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है।
- करोंदा के फल को खाने से मसूढ़ों से खून निकलना ठीक होता है, दाँत भी मजबूत होते हैं। फलों से सेवन रक्त अल्पता में भी फ़ायदा मिलता है।
- सर्प के काटने पर करौंदे की जड़ को पानी में उबालकर क्वाथ करें। फिर इस क्वाथ को सर्प काटे रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
- घाव के कीड़ों और खुजली पर करौंदे की जड़ निकाल कर पानी में साफ़ धोकर उसे पानी के साथ महीन पीस कर फिर तेल में डालकर खूब पकायें, फिर इस तेल का प्रयोग घाव के कीड़ों और खुजली पर करने से फायदा पहुँचता है।
- ज्वर आने पर करौंदे की जड़ का क्वाथ बनाकर देने से लाभ मिलता है।
- खांसी में करौंदे के पत्‍तों के अर्स को निकालकर उसमें शहद मिलाकर चाटना श्रेष्ठ है।
- जलंदर रोग में करौंदों का शर्बत, हर दिन एक तोला दूसरे दिन दो तोला तीसरे दिन तीन तोला इसी प्रकार एक हफ्ते तक एक तोला रोज बढ़ाते जाए। एक हफ्ते के भीतर लाभ मिलना शुरू हो जायेगा।
- करौंदा का प्रयोग मूंगा व चांदी की भस्म बनाने में भी किया जाता है। मूंगा भस्म बनाने के लिये कच्चे करौंदों को लेकर बारीक पीसें फिर उसकी भली भांति लुगदी बनाकर उस लुगदी में मूगों को रखें फिर उस लुगदी के ऊपर सात कपट मिट्टी कर, उपलों की आग में रखकर फूंके। पहले मन्दाग्नि, बीच में मध्यम तीक्ष्ण अग्नि दें तो मूंगा भस्म बन जायेगी।
- चांदी की भस्म करने के लिये करौंदों की लुग्दी बनाकर ऊपर की विधि द्वारा सही सम्पुट बनाकर फूकें। इस प्रकार इक्कीस बार फूंकने पर चांदी की भस्म बनेगी।
- करौंदे का रस हाय ब्लड प्रेशर को कम करता है .
- करौंदे का सेवन करने के महिलाओं की मुख्य समस्या 'रक्तहीनता' (एनीमिया) से छूटकारा पाया जा सकता है । ग्रामीण व शहरी भाई-बहन इस पौष्टिक फल के शरबत और स्क्वेश बना कर पी सकते है।


करेला खाने के लाभ

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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।


करेला के फायदे ---------
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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।

करेला खाने के लाभ

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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।


करेला के फायदे ---------
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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।

Jai Bhole Nath

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व्याधीनुसार रस – चित्किसा

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बवासीर के लिए – ताजी छाज १०० – २०० मि.ली., अनार, अंगूर और आँवले के रस १५ – २५ मि.ली. और ग्वारपाठा रस २५ मि.ली. |

मधुमेह के लिए – नारियल पानी ५० – १०० मि.ली., करेला का रस २५ -५० मि.ली., बिल्वपत्र, नींम और तुलसी के पत्तों का रस १० – १५ मि.ली.|

रक्तविकार (रक्तशुद्धि हेतु ) – आँवला, नींबू, गाजर और ताजी हल्दी का रस १० – २० मि.ली., सेवफल, मीठे अनार व गिलोय का रस १५ – २० मि.ली., दूब (घास) का रस १० – २० मि.ली., लौकी का रस २० – २५ मि.ली., तुलसी का रस ५ – १० मि.ली. नीम और बेल के पत्तों का रस १० – २० मि.ली.|

उच्च रक्तचाप के लिए – आँवला, गाजर (बीच में पीला हिस्सा निकालकर), अंगूर, मोसंबी, मीठे अनार और ज्वारों का रस | मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है |


निम्न रक्तचाप – मीठे फलोंका रस लें किंतु खट्टे फलों का उपयोग न करें | आम, अंगूर और मोसंबी का रस अथवा दूध, खजूर भी लाभदायी है |

पीलिया (jaundice) – अंगूर, सेफ, ग्वारपाठा, एरंड के पत्ते का रस १० मि.ली., रासबेरी और मोसंबी का रस, अंगूर अथवा किसमिस का पानी पीने से भी लाभ होता है | गन्ना चबा-चबाके खाकर उसका रस पीने से लाभ होता है | केला के ऊपर १.५ ग्राम चुना लगाकर थोड़ी देर रखकर खाने से भी फायदा होता है |

केन्सर – ज्वारों का रस, आँवला, गिलोय और तुलसी के पत्तों का रस पीने से भी फायदा होता है |


व्याधीनुसार रस – चित्किसा -2 -----
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बवासीर के लिए – ताजी छाज १०० – २०० मि.ली., अनार, अंगूर और आँवले के रस १५ – २५ मि.ली. और ग्वारपाठा रस २५ मि.ली. |

मधुमेह के लिए – नारियल पानी ५० – १०० मि.ली., करेला का रस २५ -५० मि.ली., बिल्वपत्र, नींम और तुलसी के पत्तों का रस १० – १५ मि.ली.|

रक्तविकार (रक्तशुद्धि हेतु ) – आँवला, नींबू, गाजर और ताजी हल्दी का रस १० – २० मि.ली., सेवफल, मीठे अनार व गिलोय का रस १५ – २० मि.ली., दूब (घास) का रस १० – २० मि.ली., लौकी का रस २० – २५ मि.ली., तुलसी का रस ५ – १० मि.ली. नीम और बेल के पत्तों का रस १० – २० मि.ली.|

उच्च रक्तचाप के लिए – आँवला, गाजर (बीच में पीला हिस्सा निकालकर), अंगूर, मोसंबी, मीठे अनार और ज्वारों का रस | मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है |


निम्न रक्तचाप – मीठे फलोंका रस लें किंतु खट्टे फलों का उपयोग न करें | आम, अंगूर और मोसंबी का रस अथवा दूध, खजूर भी लाभदायी है |

पीलिया (jaundice) – अंगूर, सेफ, ग्वारपाठा, एरंड के पत्ते का रस १० मि.ली., रासबेरी और मोसंबी का रस, अंगूर अथवा किसमिस का पानी पीने से भी लाभ होता है | गन्ना चबा-चबाके खाकर उसका रस पीने से लाभ होता है | केला के ऊपर १.५ ग्राम चुना लगाकर थोड़ी देर रखकर खाने से भी फायदा होता है |

केन्सर – ज्वारों का रस, आँवला, गिलोय और तुलसी के पत्तों का रस पीने से भी फायदा होता है |

13 July 2013

बरसात में जामुन खाने से होता है इन सारी बीमारियों का इलाज

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सामान्यत: बरसात के मौसम में आने वाला फल जामुन सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है। जामुन अम्लीय प्रवृति वाला होता है यही कारण है कि जामुन को नमक के साथ खाया जाता है। जामुन में ग्लूकोज और फ्रक्टोज पाया जाता है।जामुन में आयरन, विटामिन और फाइबर भी पाया जाता है इसमें खनिजों की मात्रा अधिक होती है। इसके बीज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम पाया जाता है। जामुन के इन्हीं गुणों के कारण हम आपको बताने जा रहे हैं जामुन से जुड़े कुछ खास नुस्खे जो रोगों में रामबाण की तरह काम करते हैं......

- गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है।


-गले के रोगों में जामुन की छाल को बारीक पीसकर सत बना लें। इस सत को पानी में घोलकर 'माउथ वॉश' की तरह गरारा करना चाहिए। इससे गला तो साफ होगा ही, साँस की दुर्गंध भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारी भी दूर हो जाएगी।


-जामुन का गूदा पानी में घोलकर या शरबत बनाकर पीने से उल्टी, दस्त, जी-मिचलाना, खूनी दस्त और खूनी बावासीर में लाभ होता है। है। जामुन की गुठली के चूर्ण 1-2 ग्राम पानी के साथ सुबह लेने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।

- इसके ताजे, नरम पत्तों को गाय के पाव-भर दूध में पीसकर प्रतिदिन सुबह पीने से खून बवासीर में लाभ होता है। जामुन का रस, शहद, आँवले या गुलाब के फूल के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर एक-दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

-जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस निकालकर उसमें ढाई किलोग्राम चीनी मिलाकर शरबत जैसी चाशनी बना लें। इसे एक साफ बोतल में भरकर रख लें। जब कभी उल्टी-दस्त या हैजा जैसी बीमारी की शिकायत हो, तब दो चम्मच शरबत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिलाने से तुरंत राहत मिल जाती है।


- जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच मात्रा में दिन में दो-तीन बार लेने पर पेचिश में आराम मिलता है। पथरी हो जाने पर इसके चूर्ण का उपयोग चिकित्सकीय निर्देशन में दही के साथ करें।

- दांतों, मसूढ़ों से खून आता हो, पानी लगता हो, मसूढ़े फूलते हों तो इसके पत्तों की राख को दांतों पर मलने से मसूढ़े मजबूत होते हैं, दांत चमकीले बन जाते हैं।गला बैठ गया हो, आवाज बेसुरी हो गयी हो, गले में छाले हो गये हों तो इसके पत्ते पानी में उबाल कर उसे थोड़ा ठंडा कर उससे गरारे करें।

- रक्तप्रदर की समस्या होने पर जामुन की गुठली के चूर्ण में पच्चीस प्रतिशत पीपल की छाल का चूर्ण मिलाएं और दिन में दो से तीन बार एक चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी से लें। गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है।
बरसात में जामुन खाने से होता है इन सारी बीमारियों का इलाज
==================================  (संयोगिता सिंह)
सामान्यत: बरसात के मौसम में आने वाला फल जामुन सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है। जामुन अम्लीय प्रवृति वाला होता है यही कारण है कि  जामुन को नमक के साथ खाया जाता है। जामुन में ग्लूकोज और फ्रक्टोज पाया जाता है।जामुन में आयरन, विटामिन और फाइबर भी पाया जाता है इसमें खनिजों की मात्रा अधिक होती है। इसके बीज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम पाया जाता है।  जामुन के इन्हीं गुणों के कारण हम आपको बताने जा रहे हैं जामुन से जुड़े कुछ खास नुस्खे जो रोगों में रामबाण की तरह काम करते हैं......

- गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है।


-गले के रोगों में जामुन की छाल को बारीक पीसकर सत बना लें। इस सत को पानी में घोलकर 'माउथ वॉश' की तरह गरारा करना चाहिए। इससे गला तो साफ  होगा ही, साँस की दुर्गंध भी बंद हो जाएगी और मसूढ़ों की बीमारी भी दूर हो जाएगी।


-जामुन का गूदा पानी में घोलकर या शरबत बनाकर पीने से उल्टी, दस्त, जी-मिचलाना, खूनी दस्त और खूनी बावासीर में लाभ होता है। है। जामुन की गुठली के चूर्ण 1-2 ग्राम पानी के साथ सुबह लेने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।

- इसके ताजे, नरम पत्तों को गाय के पाव-भर दूध में पीसकर प्रतिदिन सुबह पीने से खून बवासीर में लाभ होता है। जामुन का रस, शहद, आँवले या गुलाब के फूल के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर एक-दो माह तक प्रतिदिन सुबह के वक्त सेवन करने से रक्त की कमी एवं शारीरिक दुर्बलता दूर होती है। यौन तथा स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

-जामुन के एक किलोग्राम ताजे फलों का रस निकालकर उसमें ढाई किलोग्राम चीनी मिलाकर शरबत जैसी चाशनी बना लें। इसे एक साफ बोतल में भरकर रख लें। जब कभी उल्टी-दस्त या हैजा जैसी बीमारी की शिकायत हो, तब दो चम्मच शरबत और एक चम्मच अमृतधारा मिलाकर पिलाने से तुरंत राहत मिल जाती है।


- जामुन और आम का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। जामुन की गुठली के चूर्ण को एक चम्मच मात्रा में दिन में दो-तीन बार लेने पर पेचिश में आराम मिलता है। पथरी हो जाने पर इसके चूर्ण का उपयोग चिकित्सकीय निर्देशन में दही के साथ करें।

- दांतों, मसूढ़ों से खून आता हो, पानी लगता हो, मसूढ़े फूलते हों तो इसके पत्तों की राख को दांतों पर मलने से मसूढ़े मजबूत होते हैं, दांत चमकीले बन जाते हैं।गला बैठ गया हो,  आवाज बेसुरी हो गयी हो, गले में छाले हो गये हों तो इसके पत्ते पानी में उबाल कर उसे थोड़ा ठंडा कर उससे गरारे करें।

- रक्तप्रदर की समस्या होने पर जामुन की गुठली के चूर्ण में पच्चीस प्रतिशत पीपल की छाल का चूर्ण मिलाएं और दिन में दो से तीन बार एक चम्मच की मात्रा में ठंडे पानी से लें। गठिया के उपचार में भी जामुन बहुत उपयोगी है। इसकी छाल को खूब उबालकर बचे हुए घोल का लेप घुटनों पर लगाने से गठिया में आराम मिलता है।

12 July 2013

तुलसी के 10 जबरदस्त नुस्खे.............

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इसके नियमित सेवन से "क्रोनिक-
आदिवासियों द्वारा शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाता है, महिला को जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है।दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है। जिन्हें हॄदयाघात हुआ हो, उन्हें तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। तुलसी और हल्दी के पानी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है और इसे कोई भी स्वस्थ वयक्ति सेवन में ला सकता है।इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रसमिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाईयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है।फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। डाँग- गुजरात में आदिवासी हर्बल जानकार फ्लु के दौरान बुखार से ग्रस्त रोगी को तुलसी और सेंधा नमक लेने की सलाह देते हैं।माइग्रेन" के निवारण में मदद मिलती है। प्रतिदिन दिन में 4-5 बार तुलसी से 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माईग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते है, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।आदिवासी अंचलों मे पानी की शुध्दता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते है और कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है। कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फ़िर यह पीने योग्य माना जाता है।गर्मियों में घमौरियाँ के इलाज के लिए डाँग- गुजरात के आदिवासी संतरे के छिलकों को छाँव में सुखाकर पाउडर बना लेते है और इसमें थोड़ा तुलसी का पानी और गुलाबजल मिलाकर शरीर पर लगाते है, ऐसा करने से तुरंत आराम मिलता है।

फेस ग्लो करने लगेगा इन आयुर्वेदिक नुस्खो से

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उम्र के साथ होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से, प्रदूषण से व कई अन्य कारणों से स्कीन प्रॉब्लम्स सताने लगती हैं। अगर आपके साथ भी कोई स्कीन प्रॉब्लम हैं तो घर पर ही नीचे लिखी विधि से आयुर्वेदिक फेसपैक बनाकर उससे मुक्ति पा सकते हैं।

- चेहरे पर चेचक, छोटी माता या बड़ी फुंसियों के दाग रह गए हैं तो दो पिसे हुए बादाम, दो चम्मच दूध और एक चम्मच सूखे संतरों के छिल्कों का पावडर मिलाकर आहिस्ता-आहिस्ता फेस पर मलें और छोड़ दें।

- हफ्ते में एक बार स्क्रब करें। घरेलु स्क्रब बनाने के लिए 1 चम्मच दरदरा चावल का आटा, 1 चम्मच दरदरी मसूर की दाल का पाउडर, 1/2 उड़द की दाल का दरदरा पाउडर, 1 चम्मच गुलाब जल और 1/2 चम्मच शहद मिलाकर गाढा पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। हलका सूखने पर स्क्रब करते हुए हटाएं। रंग निखर जाएगा।

- हल्दी को मलाई में डालकर चेहरे पर रगडऩे से त्वचा चमकीली बनती है। हल्दी को कच्चे दूध में डालकर मुंहांसों पर लगाने से मुंहासे दूर हो जाते हैं।

- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की। इन सबको मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

- अगर आपकी त्वचा ड्राई है, तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें।

- धूप से हुई सांवली त्वचा में फिर से निखार लाने के लिए नारियल पानी, कच्चा दूध, खीरे का रस, नींबू का रस, बेसन और थोड़ा-सा चंदन का पावडर मिलाकर उबटन बनाएं, इसे नहाने के एक घंटे पहले लगा लें। सप्ताह में दो बार करें। सांवलापन खत्म हो जाएगा।

- रोमछिद्र ज्यादा बड़े हो गए हों तो उन पर टमाटर का रस, नींबू का रस और कच्चा दूध तीनों का पैक बनाकर लगाएं।

heart attack

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भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर  लाखो रुपए मे बेचते है आपको !



आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लुट जाते है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
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हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
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तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और फिर  heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????
_________________


आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! 

सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !!  english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
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इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
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कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! __________________

आपने पूरी post पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!
भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर लाखो रुपए मे बेचते है आपको !



आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लुट जाते है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
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हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
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तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और फिर heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????
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आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए !

सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
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इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
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कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! __________________

आपने पूरी post पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!

बिच्छू काटने पर चिकित्सा

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बिच्छू काटने पर चिकित्सा : 
अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
http://www.youtube.com/watch?v=N4iEd5Ku9lQ


बिच्छू काटने पर बहुत दर्द होता है जिसको बिच्छू काटता है उसके सिवा और कोई जान नही सकता कितना भयंकर कष्ट होता है। तो बिच्छू काटने पर एक दावा है उसका नाम है Silicea 200 इसका लिकुइड 5 ml घर में रखे । बिच्छू काटने पर इस दावा को जीभ पर एक एक ड्रोप 10-10 मिनट अंतर पर तिन बार देना है । बिच्छू जब काटता है तो उसका जो डंक है न उसको अन्दर छोड़ देता है वोही दर्द करता है । इस डंक को बाहर निकलना आसान काम नही है, डॉक्टर के पास जायेंगे वो काट करेगा चीरा लगायेगा फिर खिंच के निकालेगा उसमे उसमे ब्लीडिंग भी होगी तकलीफ भी होगी । ये मेडिसिन इतनी बेहतरीन मेडिसिन है के आप इसके तिन डोस देंगे 10-10 मिनट पर एक एक बूंद और आप देखेंगे वो डंक अपने आप निकल कर बाहर आ जायेगा। सिर्फ तिन डोस में आधे घन्टे में आप रोगी को ठीक कर सकते है। बहुत जबरदस्त मेडिसिन है ये Silicea 200. और ये मेडिसिन मिट्टी से बनती है,वो नदी कि मिट्टी होती है न जिसमे थोड़ी बालू रहती है उसी से ये मेडिसिन बनती है ।

इस मेडिसिन को और भी बहुत सारी काम में आती है । अगर आप सिलाई मशीन में काम करती है तो कभी कभी सुई चुव जाती है और अन्दर टूट जाती है उस समय भी आप ये मेडिसिन ले लीजिये ये सुई को भी बाहर निकाल देगा। आप इस मेडिसिन को और भी कई केसेस में व्यवहार कर सकते है जैसे कांटा लग गया हो , कांच घुस गया हो, ततैया ने काट लिया हो, मधुमखी ने काट लिया हो ये सब जो काटने वाले अन्दर जो छोड़ देते है वो सब के लिए आप इसको ले सकते है । बहुत तेज दर्द निवारक है और जो कुछ अन्दर छुटा हुआ है उसको बाहर निकलने की मेडिसिन है ।
बहुत सस्ता मेडिसिन है 5 ml सिर्फ 10 रूपए की आती है इससे आप कम से कम 50 से 100 लोगों का भला कर सकते है ।

चुना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है ।

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अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
http://www.youtube.com/watch?v=D7yQgO2eZvo

****ध्यान रहे पथरी के रोगीओं के लिए चुना वर्जित है****
चुना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है । राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

जैसे किसीको पीलिया जो जाये माने जोंडिस उसकी सबसे अछि दावा है चुना ; गेहूँ के दाने के बराबर चुना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है । और येही चुना नपुंसकता की सबसे अछि दावा है - अगर किसीके शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चुना पिलाया जाये तो साल देड साल में भरपूर शुक्राणु बन्ने लगेंगे; और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अछि दावा है ये चुना । बिद्यार्थीओ के लिए चुना बहुत अछि है जो लम्बाई बढाती है - गेहूँ के दाने के बराबर चुना रोज दही में मिलाके खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिलाके खाओ, दाल नही है तो पानी में मिलाके पियो - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है । जिन बछोकी बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अछि दावा है चुना, जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चुना खिलाने से अछे हो जायेंगे ।

बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अछि दावा है चुना । और हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंध हुआ उनकी सबसे अछि दावा है चुना; गेहूँ के दाने के बराबर चुना हरदिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना ।

जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चुना रोज खाना चाहिए किउंकि गर्भवती माँ को सबसे जादा काल्सियम की जरुरत होती है और चुना कैल्सियम का सब्से बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चुना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चुना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फाईदे होंगे - पहला फाईदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नोर्मल डेलीभरी होगा, दूसरा बछा जो पैदा होगा वो बहुत हस्टपुष्ट और तंदरुस्त होगा , तीसरा फ़ायदा वो बछा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चुना खाया , और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बछा बहुत होसियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है ।

चुना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है । कई बार हमारे रीड़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दुरी बड़ जाती है Gap आ जाता है - ये चुना ही ठीक करता है उसको; रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चुने से ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे जादा चुने में है । चुना खाइए सुबह को खाली पेट ।

अगर मुह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चुना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है , मुह में अगर छाले हो गए है तो चुने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है । शारीर में जब खून कम हो जाये तो चुना जरुर लेना चाहिए , अनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अछि दावा है ये चुना , चुना पीते रहो गन्ने के रस में , या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में - अनार के रस में चुना पिए खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चुना सुबह खाली पेट ।

भारत के जो लोग चुने से पान खाते है, बहुत होसियार लोग है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू ज़हर है और चुना अमृत है .. तो चुना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चुने का उसमे कत्था मत लगाइए, कत्था कन्सर करता है, पान में सुपारी मत डालिए सोंट डालिए उसमे , इलाइची डालिए , लोंग डालिए. केशर डालिए ; ये सब डालिए पान में चुना लगाके पर तम्बाकू नही , सुपारी नही और कत्था नही ।

अगर आपके घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चुना खाते रहिये और हाड़सिंगार के पत्ते का काड़ा खाइए घुटने बहुत अछे काम करेंगे । राजीव भाई कहते है चुना खाइए पर चुना लगाइए मत किसको भी ..ये चुना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है ; आजकल हमारे देश में चुना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है ।

अंकुरित अनाज के फायदे

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अंकुरित अनाज को स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। अंकुरित अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसीलिए हेल्दी रहने के लिए अंकुरित अनाज का सेवन बहुत जरूरी है। आपको अंकुरित अनाज के फायदों के बारे में भी पता होना चाहिए। यदि आप यह जान जाएंगे कि अंकुरित अनाज आपको कैसे फिट रखता है तो आप खुद-ब-खुद अंकुरित अनाज का सेवन करेंगे। यह जानना भी जरूरी है कि आखिर आपको अंकुरित अनाज के क्या फायदे हो सकते हैं। आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि क्या अं‍कुरित अनाज कैलोरी से भरपूर होता है या नहीं। इतना ही नहीं आपको यह भी पता होना चाहिए कि अंकुरित अनाज के जरिए आप वजन घटा सकते हैं या नहीं। तो आइए जानें अंकुरित अनाज के फायदे क्या -क्या हैं।

अंकुरित अनाज के फायदे

नाश्ता- आमतौर पर अंकुरित अनाज नाश्ते के रूप में लिया जाना चाहिए। आपको नाश्ता हैवी करना चाहिए। ऐसे में आप अंकुरित अनाज से नाश्ता करेंगे तो आपको बहुत फायदा होगा। इतना ही नहीं आप यदि सोयाबीन, काले चने, मूंग दाल, मोंठ, इत्यादि को अंकुरित करके खाएंगे तो इन खाघ पदार्थों में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी हो जाएगी।

पाचन तंत्र बनता है मजबूत- अंकुरित अनाज खाने से आपकी पेट संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। फाइबरयुक्त रेशेदार अंकुरित अनाज खाने से आपका पाचनतंत्र मजबूत बनता है।

पोषक तत्वों से भरपूर- अंकुरित अनाज एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए,बी,सी, ई से भरपूर होता है। इतना ही नहीं इसमें फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम, जिंक और मैग्नीशियम जैसी पौष्टिक तत्व भी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट से जहां व्यक्ति का इम्‍यून सिस्टम मजबूत होता है वहीं कैल्शियम से हडि्डयों में ताकत आती है। आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है। अन्य पोषक तत्व व्यक्ति को स्वस्थ और फिट रखने में कारगर है।

प्रोटीन युक्त-अंकुरित अनाज में बहुत सारे प्रोटीन होते हैं जो कि शरीर को मजबूत रखने और बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है।

कम कैलोरी युक्त-अंकुरित अनाज में कैलोरी बहुत कम होती है जो कि मोटे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इतना ही नहीं जो लोग नहीं चाहते कि उनका वजन बढ़े, उन्हें भी अंकुरित अनाज खाना चाहिए।


अंकुरित अनाज के अन्य फायदे -

यह रक्त को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह एक प्राकृतिक पौष्टिक आहार है, इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।

यह वसायुक्त है और व्‍यक्‍ित को मोटापे से बचाता है।

यह बहुत ही स्वादिष्ट फूड है।

इस आसानी से पचाया जा सकता है।

दालों इत्यादि को अंकुरित करने से इनकी पौष्टिकता अधिक बढ़ जाती है।

व्यक्ति को चुस्त-दुरूस्त और स्वस्थ रहने के लिए अंकुरित अनाज से बढि़या कोई उपाय नहीं।

यदि आपको भूख ना लगने की समस्या है तो अंकुरित अनाज खाकर इस समस्या को हल किया जा सकता है।

नवजात शिशु में मानसिक, शारीरिक दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है यदि गर्भवस्था के दौरान महिला अंकुरित अनाज का सेवन करती है।

अंकुरित अनाज को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें टमाटर,प्याज,धनिया,खीरा,नींबू,काली मिर्च और नमक जैसी चीजों को मिलाया जा सकता है।
Photo: अंकुरित अनाज के फायदे ------
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अंकुरित अनाज को स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। अंकुरित अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसीलिए हेल्दी रहने के लिए अंकुरित अनाज का सेवन बहुत जरूरी है। आपको अंकुरित अनाज के फायदों के बारे में भी पता होना चाहिए। यदि आप यह जान जाएंगे कि अंकुरित अनाज आपको कैसे फिट रखता है तो आप खुद-ब-खुद अंकुरित अनाज का सेवन करेंगे। यह जानना भी जरूरी है कि आखिर आपको अंकुरित अनाज के क्या फायदे हो सकते हैं। आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि क्या अं‍कुरित अनाज कैलोरी से भरपूर होता है या नहीं। इतना ही नहीं आपको यह भी पता होना चाहिए कि अंकुरित अनाज के जरिए आप वजन घटा सकते हैं या नहीं। तो आइए जानें अंकुरित अनाज के फायदे क्या -क्या हैं। 

अंकुरित अनाज के फायदे    

    नाश्ता- आमतौर पर अंकुरित अनाज नाश्ते के रूप में लिया जाना चाहिए। आपको नाश्ता हैवी करना चाहिए। ऐसे में आप अंकुरित अनाज से नाश्ता करेंगे तो आपको बहुत फायदा होगा। इतना ही नहीं आप यदि सोयाबीन, काले चने, मूंग दाल, मोंठ, इत्यादि को अंकुरित करके खाएंगे तो इन खाघ पदार्थों में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी हो जाएगी।

    पाचन तंत्र बनता है मजबूत- अंकुरित अनाज खाने से आपकी पेट संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। फाइबरयुक्त रेशेदार अंकुरित अनाज खाने से आपका पाचनतंत्र मजबूत बनता है।

    पोषक तत्वों से भरपूर- अंकुरित अनाज एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए,बी,सी, ई से भरपूर होता है। इतना ही नहीं इसमें फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम, जिंक और मैग्नीशियम जैसी पौष्टिक तत्व भी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट से जहां व्यक्ति का इम्‍यून सिस्टम मजबूत होता है वहीं कैल्शियम से हडि्डयों में ताकत आती है। आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है। अन्य पोषक तत्व व्यक्ति को स्वस्थ और फिट रखने में कारगर है।

    प्रोटीन युक्त-अंकुरित अनाज में बहुत सारे प्रोटीन होते हैं जो कि शरीर को मजबूत रखने और बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है।

    कम कैलोरी युक्त-अंकुरित अनाज में कैलोरी बहुत कम होती है जो कि मोटे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इतना ही नहीं जो लोग नहीं चाहते कि उनका वजन बढ़े, उन्हें भी अंकुरित अनाज खाना चाहिए।


अंकुरित अनाज के अन्य फायदे -

    यह रक्त को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह एक प्राकृतिक पौष्टिक आहार है, इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।

यह वसायुक्त है और व्‍यक्‍ित को मोटापे से बचाता है।

यह बहुत ही स्वादिष्ट फूड है।

इस आसानी से पचाया जा सकता है।

दालों इत्यादि को अंकुरित करने से इनकी पौष्टिकता अधिक बढ़ जाती है।

व्यक्ति को चुस्त-दुरूस्त और स्वस्थ रहने के लिए अंकुरित अनाज से बढि़या कोई उपाय नहीं।

यदि आपको भूख ना लगने की समस्या है तो अंकुरित अनाज खाकर इस समस्या को हल किया जा सकता है।

नवजात शिशु में मानसिक, शारीरिक दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है यदि गर्भवस्था के दौरान महिला अंकुरित अनाज का सेवन करती है।

अंकुरित अनाज को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें टमाटर,प्याज,धनिया,खीरा,नींबू,काली मिर्च और नमक जैसी चीजों को मिलाया जा सकता है।

माइग्रेन (आधे सिर का दर्द) MIGRAINE/HEMIRANIA

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इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में बहुत तेज दर्द होता है तथा यह दर्द सिर के एक भाग में होता है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का लक्षण:-

इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर के आधे भाग में तेज दर्द होता है तथा सिर में दर्द होने के साथ-साथ रोगी को उल्टी होने की इच्छा भी होती है। इसके अलावा रोगी को चिड़चडाहट तथा दृष्टिदोष भी उत्पन्न होने लगता है। इस रोग का प्रभाव अधिकतर निश्चित समय पर होता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का कारण-

1. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग रोगी व्यक्ति को दूसरे रोगों के फलस्वरूप हो जाता है जैसे- नजला, जुकाम, शरीर के अन्य अंग रोग ग्रस्त होना, पुरानी कब्ज आदि।

2. स्त्रियों को यदि मासिकधर्म में कोई गड़बड़ी हो जाती है तो इसके कारण स्त्रियों को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


3. आंखों में दृष्टिदोष तथा अन्य रोग होने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

4. यकृत (जिगर) में किसी प्रकार की खराबी तथा शरीर में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण व्यक्ति को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


5. असंतुलित भोजन का अधिक उपयोग करने के कारण रोगी को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो सकता है।

6. अधिक श्रम-विश्राम करने, शारीरिक तथा मानसिक तनाव अधिक हो जाने के कारण भी यह रोग व्यक्तियों को हो सकता है।


7. औषधियों का अधिक उपयोग करने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


माइग्रेन रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-


1. इस रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को रसाहार (चुकन्दर, ककड़ी, पत्तागोभी, गाजर का रस तथा नारियल पानी) आदि का सेवन भोजन में करना चाहिए और इसके साथ-साथ उपवास रखना चाहिए।

माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में फल, सलाद तथा अंकुरित भोजन करना चाहिए और इसके बाद सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।


3. रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में मेथी, बथुआ, अंजीर, आंवला, नींबू, अनार, अमरूद, सेब, संतरा तथा धनिया अधिक लेना चाहिए। माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को भोजन संबन्धित गलत आदतों जैसे- रात के समय में देर से भोजन करना तथा समय पर भोजन न करना आदि को छोड़ देना चाहिए।

4. रोगी व्यक्ति को मसालेदार भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके अलावा बासी, डिब्बाबंद तथा मिठाइयों आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।


5. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग में रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह के समय में चाटना चाहिए तथा इसके अलावा दूब का रस भी सुबह के समय में चाट सकते हैं। जिसके फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

6. माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) का इलाज करने के लिए पीपल के कोमल पत्तों का रस रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम सेवन करने के लिए देने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


7. माइग्रेन रोग का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति के माथे पर पत्ता गोभी का पत्ता प्रतिदिन बांधना चाहिए, जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


8. प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा नाक से भाप देकर रोगी व्यक्ति के माइग्रेन रोग को ठीक किया जा सकता है। नाक से भाप लेने के लिए सबसे पहल एक छोटे से बर्तन में गर्म पानी लेना चाहिए। इसके बाद रोगी को उस बर्तन पर झुककर नाक से भाप लेना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक करने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


9. माइग्रेन रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकर के स्नान भी हैं जिन्हे प्रतिदिन करने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है। ये स्नान इस प्रकार हैं-रीढ़स्नान, कुंजल, मेहनस्नान तथा गर्मपाद स्नान।


10. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग का इलाज करने के लिए प्रतिदिन ध्यान, शवासन, योगनिद्रा, प्राणायाम या फिर योगासन क्रिया करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

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