20 February 2013

कैसा भी दर्द हो ये FOODS खाएंगे तो नहीं लेना पड़ेगा PAIN KILLER

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शरीर के किसी भी अंग में दर्द होना आधुनिक जीवनशैली का परिणाम है। अगर आप किसी भी प्रकार के दर्द के शिकार हैं तो करें दर्द निवारण में मददगार कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करें, ये फूड न केवल आपकी सेहत की रक्षा करेंगे बल्कि हर तरह के दर्द में औषधि की तरह काम करेंगे।

- कैसा भी जोड़ो का दर्द हो अगर उस पर अजवाइन का तेल बनाकर लगाया जाए तो दर्द में बहुत जल्दी राहत मिलती है। 10 ग्राम अजवाइन का तेल 10 ग्राम पिपरमेंट और 20 ग्राम कपूर तीनों को मिलाकर एक बोतल में भर दें। दर्द या कमरदर्द या पसलीदर्द, सिरदर्द आदि में तुरंत लाभ पहुंचाने वाली औषधि है। इसकी कुछ बूंदे मलिए, दर्द छूमंतर हो जाएगा। अजवाइन के तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द जकडऩ तथा शरीर के अन्य भागों पर भी मलने से दर्द में राहत मिलती है।

- सोंठ और अदरक एक ही पदार्थ के दो रूप हैं। गीले रूप में यह अदरक कहलाती है। सूखने पर यही सोंठ हो जाती है। अदरक और सोंठ का उपयोग मसालों और घेरलू दवाओं के रूप में भी व्यापक रूप से किया जाता है। यह वात रोगों की सबसे अच्छी औषधि है।

- जायफल के तेल को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों की पुरानी सूजन पर मालिश करने से लाभ मिलता है। संधिवात के कारण अकड़े हुए संधि-स्थल को खोलता है। जिससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। जायफल का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। जायफल को बकरी के दूध में घिसकर उसे थोड़ा गरम कर लेप करने से सिरदर्द, सिर का भारीपन व जुकाम ठीक हो जाता है।

- मैथी गैस व कफ दोनों को ही मिटाने वाली औषधि की तरह कार्य करती है। रोजाना 20 ग्राम मेथी का चूर्ण सुबह-शाम खाने से वात रोग दूर हो जाते हैं। मेथी व सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, इस चूर्ण को 5-5 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम खाने से गठिया व जोड़ो के दर्द से छुटकारा मिलता है।

- हल्दी में विटामिन ए, बी व सी मिलता है। यह गठिया, कुष्ठ, जुकाम व त्वचा के रोगों की चमत्कारिक घरेलू औषधि है, यह सूजन और हड्डी की टूटन को भी ठीक कर सकती है। हल्दी, चूना और शहद समभाग लेकर तीनो ंको अच्छी तरह मिलाकर दर्द के स्थान पर लगाने से गठिया की सूजन दूर होती है। हल्दी के पत्तों को सेंककर बांधने से गठिया की सूजन और दर्द दूर होता है।

- गठिया के दर्द में गाजर बहुत उपयोगी है सबसे अच्छा खाद्य पदार्थ है। इसे कच्चा या उबाल कर भी खाया जा सकता है। लेकिन कच्चे गाजर का रस अधिक लाभप्रद है क्योंकि इससे शरीर को अधिक पोषण मिलता है। रोजाना आधा से डेढ़ लीटर तक गाजर का रस ले सकते हैं और अपनी आवश्यकता के अनुसार इससे अधिक भी ले सकते हैं। उसमें आंवले का रस मिला लेने पर ये अधिक गुणकारी होता है। एक किलो गाजर के रस में 5-6 आंवले का रस मिलाना चाहिए।

- किसी भी तरह का दर्द हो लहसुन के रस के प्रभाव से यूरिक एसिड गलकर तरल रूप में मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाता है। इसलिए यह वातरक्त, संधिवात आदि रोग में गुणकारी है। लहसुन से पेटदर्द, गठिया, गले के दोष आदि में भी एक औषधि की तरह काम करता है। लहसुन और वायवडिंग को सोलह गुना व पानी में पकाएं, जब पानी जल जाए तो दूध को उतार लें इसे छानकर ठंडा होने पर पीएं। इससे वातनाडिय़ों की शक्ति बढ़ती है। साथ ही मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे शारीरिक दर्द महसूस होता है। लहसुन व उड़द के बड़े बनाकर तिल के तेल में तल कर खाने से संधिवात और अन्य बीमारियों में राहत मिलती है।
Photo: कैसा भी दर्द हो ये FOODS खाएंगे तो नहीं लेना पड़ेगा PAIN KILLER
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 (संयोगिता सिंह)
शरीर के किसी भी अंग में दर्द होना आधुनिक जीवनशैली का परिणाम है। अगर आप किसी भी प्रकार के दर्द के शिकार हैं तो करें दर्द निवारण में मददगार कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करें, ये फूड न केवल आपकी सेहत की रक्षा करेंगे बल्कि हर तरह के दर्द में औषधि की तरह काम करेंगे। 

- कैसा भी जोड़ो का दर्द हो अगर उस पर अजवाइन का तेल बनाकर लगाया जाए तो दर्द में बहुत जल्दी राहत मिलती है। 10  ग्राम अजवाइन का तेल 10 ग्राम पिपरमेंट और 20  ग्राम कपूर तीनों को मिलाकर एक बोतल में भर दें। दर्द या कमरदर्द या पसलीदर्द, सिरदर्द आदि में तुरंत लाभ पहुंचाने वाली औषधि है। इसकी कुछ बूंदे मलिए, दर्द छूमंतर हो जाएगा। अजवाइन के तेल की मालिश करने से जोड़ों का दर्द जकडऩ तथा शरीर के अन्य भागों पर भी मलने से दर्द में राहत मिलती है। 

- सोंठ और अदरक एक ही पदार्थ के दो रूप हैं। गीले रूप में यह अदरक कहलाती है। सूखने पर यही सोंठ हो जाती है। अदरक और सोंठ का उपयोग मसालों और घेरलू दवाओं के रूप में भी व्यापक रूप से किया जाता है। यह वात रोगों की सबसे अच्छी औषधि है।

- जायफल के तेल को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों की पुरानी सूजन पर मालिश करने से लाभ मिलता है। संधिवात के कारण अकड़े हुए संधि-स्थल को खोलता है। जिससे जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। जायफल का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। जायफल को बकरी के दूध में घिसकर उसे थोड़ा गरम कर लेप करने से सिरदर्द, सिर का भारीपन व जुकाम ठीक हो जाता है।

- मैथी गैस व कफ दोनों को ही मिटाने वाली औषधि की तरह कार्य करती है। रोजाना 20  ग्राम मेथी का चूर्ण सुबह-शाम खाने से वात रोग दूर हो जाते हैं। मेथी व सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, इस चूर्ण को 5-5 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम खाने से गठिया व जोड़ो के दर्द से छुटकारा मिलता है। 

- हल्दी में विटामिन ए, बी व सी मिलता है। यह गठिया, कुष्ठ, जुकाम व त्वचा के रोगों की चमत्कारिक घरेलू औषधि है, यह सूजन और हड्डी की टूटन को भी ठीक कर सकती है। हल्दी, चूना और  शहद समभाग लेकर तीनो ंको अच्छी तरह मिलाकर दर्द के स्थान पर लगाने से गठिया की सूजन दूर होती है। हल्दी के पत्तों को सेंककर बांधने से गठिया की सूजन और दर्द दूर होता है।

- गठिया के दर्द में गाजर बहुत उपयोगी है सबसे अच्छा खाद्य पदार्थ है। इसे कच्चा या उबाल कर भी खाया जा सकता है। लेकिन कच्चे गाजर का रस अधिक लाभप्रद है क्योंकि इससे शरीर को अधिक पोषण मिलता है। रोजाना आधा से डेढ़ लीटर तक गाजर का रस ले सकते हैं और अपनी आवश्यकता के अनुसार इससे अधिक भी ले सकते हैं। उसमें आंवले का रस मिला लेने पर ये अधिक गुणकारी होता है। एक किलो गाजर के रस में 5-6 आंवले का रस मिलाना चाहिए।

-  किसी भी तरह का दर्द हो लहसुन के रस के प्रभाव से यूरिक एसिड गलकर तरल रूप में मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाता है। इसलिए यह वातरक्त, संधिवात आदि रोग में गुणकारी है। लहसुन से पेटदर्द, गठिया, गले के दोष आदि में भी एक औषधि की तरह काम करता है। लहसुन और वायवडिंग को सोलह गुना व पानी में पकाएं, जब पानी जल जाए तो दूध को उतार लें इसे छानकर ठंडा होने पर पीएं। इससे वातनाडिय़ों की शक्ति बढ़ती है। साथ ही मांसपेशियां मजबूत होती है। इससे शारीरिक दर्द महसूस होता है। लहसुन व उड़द के बड़े बनाकर तिल के तेल में तल कर खाने से संधिवात और अन्य बीमारियों में राहत मिलती है।

साधारण तेल के कुछ अनूठे प्रयोग

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खूबसूरत बनने के लिए लोग अनेक तरह के कॉस्मेटिक्स या प्रोडक्ट्स का यूज करते हैं। लेकिन फिर भी आशा के अनुरूप परिणाम नहीं मिल पाते हैं। इसीलिए हम आपको बताने जा रहे हैं आज एक ऐसे नेचुरल ब्युटी प्रोडक्ट के बारे में जो आपको सिर से पैर तक खूबसूरत बना देगा। आज हम बात कर रहे हैं ऑलिव ऑयल के बारे में। ऑलिव ऑयल में फ्लेवसेनॉयड्स स्कवेलीन और पोरीफेनोल्स एंटीऑक्सीडेंट्स हैं, जो फ्री रैडिकल्स से सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं। अगर इसे भोजन में शामिल किया जाए तो इससे ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसका इस्तेमाल उबटन, फेसमास्क आदि के रुप में भी किया जा सकता है। यह त्वचा को झुर्रियों से बचाता है।

खूबसूरत नाखून-करीब आधे घंटे के लिए ऑलिव ऑयल में नाखूनों को डुबोकर रखें। इससे नाखून और क्यूटिकल्स नरम और लचीले हो जाएगें। यह किसी भी क्रीम से बेहतर काम करेगा। आप चाहें तो पैरों को साफ करके उसपर ऑलिव ऑयल लगाएं और सूती मोजे पहन कर सो जाएं। पेडीक्योर की जरूरत नहीं पड़ेगी!

कोमल होंठ- रुखे, बेजान, फटे होठों पर ऑलिव ऑयल कि हल्की मालिश सुबह शाम करें इससे आपके होंठ कोमल हो जाएगें।
हफ्ते में तीन बार- हफ्ते में तीन बार नींबू में रस में ऑलिव ऑयल मिला कर चेहरे की मालिश करें, इससे न सिर्फ झुर्रियां भागेगीं बल्कि चेहरे की रंगत में भी निखार आएगा। साथ ही बालों में लगाने से इनकी अच्छी कंडीशनिंग भी हो जाती है। उलझे बालों की समस्या भी सुलझेगी।

चेहरा निखर जाएगा- चेहरे को सादे पानी से अच्छी तरह से धो लें। अब ऑलिव ऑयल से मसाज करें। इसके बाद आधा चममच चीनी लेकर चेहरे पर रगड़े। अंत में गुनगुने पानी में एक मुलायम कपड़ा भिगोकर चेहरे को भिगो कर चेहरे को पोंछ लें। कुछ दिनों तक ऐसा कर के आप महसूस करेगीं कि आपका चेहरा निखर उठा है।

दूर होगी डैंड्रफ की समस्या- थोडा सा ऑलिव ऑयल अपने होथों में लें और उन्हें रुखे और बेजान बालों पर लगाएं, इससे आपके बाल सिल्की हो जाएंगे। और अगर आपको डैंड्रफ की समस्या है तो वही भी कम हो जाएगी।
Photo: सिर से पैर तक खूबसूरत बनने के लिए, ये हैं साधारण तेल के कुछ अनूठे प्रयोग=====================================
(संयोगिता सिंह)
खूबसूरत बनने के लिए लोग अनेक तरह के कॉस्मेटिक्स या प्रोडक्ट्स का यूज करते हैं। लेकिन फिर भी आशा के अनुरूप परिणाम नहीं मिल पाते हैं। इसीलिए हम आपको बताने जा रहे हैं आज एक ऐसे नेचुरल ब्युटी प्रोडक्ट के बारे में जो आपको सिर से पैर तक खूबसूरत बना देगा। आज हम बात कर रहे हैं ऑलिव ऑयल के बारे में। ऑलिव ऑयल में फ्लेवसेनॉयड्स स्कवेलीन और पोरीफेनोल्स एंटीऑक्सीडेंट्स हैं, जो फ्री रैडिकल्स से सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं। अगर इसे भोजन में शामिल किया जाए तो इससे ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसका इस्तेमाल उबटन, फेसमास्क आदि के रुप में भी किया  जा सकता है। यह त्वचा को झुर्रियों से बचाता है। 

खूबसूरत नाखून-करीब आधे घंटे के लिए ऑलिव ऑयल में नाखूनों को डुबोकर रखें। इससे नाखून और क्यूटिकल्स नरम और लचीले हो जाएगें। यह किसी भी क्रीम से बेहतर काम करेगा। आप चाहें तो पैरों को साफ करके उसपर ऑलिव ऑयल लगाएं और सूती मोजे पहन कर सो जाएं। पेडीक्योर की जरूरत नहीं पड़ेगी!

कोमल होंठ- रुखे, बेजान, फटे होठों पर ऑलिव ऑयल कि हल्की मालिश सुबह शाम करें इससे आपके होंठ कोमल हो जाएगें।
हफ्ते में तीन बार- हफ्ते में तीन बार नींबू में रस में ऑलिव ऑयल मिला कर चेहरे की मालिश करें, इससे न सिर्फ झुर्रियां भागेगीं बल्कि चेहरे की रंगत में भी निखार आएगा। साथ ही बालों में लगाने से इनकी अच्छी कंडीशनिंग भी हो जाती है। उलझे बालों की समस्या भी सुलझेगी।

चेहरा निखर जाएगा- चेहरे को सादे पानी से अच्छी तरह से धो लें। अब ऑलिव ऑयल से मसाज करें। इसके बाद आधा चममच चीनी लेकर चेहरे पर रगड़े। अंत में गुनगुने पानी में एक मुलायम कपड़ा भिगोकर चेहरे को भिगो कर चेहरे को पोंछ लें। कुछ दिनों तक ऐसा कर के आप महसूस करेगीं कि आपका चेहरा निखर उठा है।

दूर होगी डैंड्रफ की समस्या- थोडा सा ऑलिव ऑयल अपने होथों में लें और उन्हें रुखे और बेजान बालों पर लगाएं, इससे आपके बाल सिल्की हो जाएंगे। और अगर आपको डैंड्रफ की समस्या है तो वही भी कम हो जाएगी।

जब भरी जवानी में उडऩे लगे बाल तो ये देसी नुस्खे अचूक हैं

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आजकल कम उम्र में गंजापन या बहुत अधिक बाल झड़ने की समस्या आम हो चली है। गंजेपन के कारण कोई भी व्यक्ति अपनी उम्र से बड़ा दिखाई देने लगता है और एक बाल उड़ने शुरू हो जाते हैं तो उन्हें रोकना बहुत मुश्किल होता है। वैसे तो बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अनुवांशिक कारणों के अलावा विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश, दाद, एक्जिमा आदि के कारण ऐसा हो जाता है। आज हम बताने जा रहे हैं आपको कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में जो गंजेपन की समस्या में रामबाण हैं....

- नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक व काली मिर्च एक-एक चम्मच नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर गंजेपन वाले स्थान पर लगाने से बाल आ जाते हैं। कलौंजी को पीसकर पानी में मिला लें। इस पानी से सिर को कुछ दिनों तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं और बाल घने भी होना शुरू हो जाते हैं।

- अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान से उड़ जाए तो गंजे के स्थान पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगते हैं। जहां से बाल उड़ जाएं तो प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं। बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है।

- बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी।

- लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें। उड़द की दाल उबाल कर पीस लें। इसका सोते समय सिर पर गंजेपन की जगह लेप करें। हरे धनिए का लेप करने से भी बाल आने लगते हैं। केले के गूदे को नींबू के रस के साथ पीस लें और लगाएं, इससे लाभ होता है।अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
Photo: : जब भरी जवानी में उडऩे लगे बाल तो ये देसी नुस्खे अचूक हैं:
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आजकल कम उम्र में गंजापन या बहुत अधिक बाल झड़ने की समस्या आम हो चली है। गंजेपन के कारण कोई भी व्यक्ति अपनी उम्र से बड़ा दिखाई देने लगता है और एक बाल उड़ने शुरू हो जाते हैं तो उन्हें रोकना बहुत मुश्किल होता है। वैसे तो बाल झड़ने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अनुवांशिक कारणों के अलावा विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश, दाद, एक्जिमा आदि के कारण ऐसा हो जाता है। आज हम बताने जा रहे हैं आपको कुछ ऐसे नुस्खों के बारे में जो गंजेपन की समस्या में रामबाण हैं....

- नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक व काली मिर्च एक-एक चम्मच नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर गंजेपन वाले स्थान पर लगाने से बाल आ जाते हैं। कलौंजी को पीसकर पानी में मिला लें। इस पानी से सिर को कुछ दिनों तक धोने से बाल झड़ना बंद हो जाते हैं और बाल घने भी होना शुरू हो जाते हैं।

- अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान से उड़ जाए तो गंजे के स्थान पर नींबू रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगते हैं। जहां से बाल उड़ जाएं तो प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं। बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है।

- बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झड़ने की समस्या दूर हो जाएगी।

- लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें। उड़द की दाल उबाल कर पीस लें। इसका सोते समय सिर पर गंजेपन की जगह लेप करें। हरे धनिए का लेप करने से भी बाल आने लगते हैं। केले के गूदे को नींबू के रस के साथ पीस लें और लगाएं, इससे लाभ होता है।अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।

ज्यादा पानी पीने के कुछ ऐसे फायदे

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जल ही जीवन है, क्योंकि मानव शरीर की बनावट में 55 से 75 फीसदी पानी है। पतले लोगों के शरीर में ज्यादा पानी होता है, क्योंकि चर्बी (फैट) की तुलना में मांसपेशियों (मसल्स) में पानी धारण करने की क्षमता ज्यादा होती है। इसका मतलब साफ है कि सेहत और सौंदर्य के लिए पर्याप्त पानी की अहमियत बेहद ज्यादा है।

क्यों बार-बार पीते रहें पानी?यह देखना जरूरी है कि हमारा शरीर कितना पानी दिन भर में खर्च करता है। दिन भर सांस लेने-छोडऩे में ही हम 2-3 कप पानी खर्च कर देते हैं। पसीने के अलावा, पेशाब के रूप में निकला पानी शरीर की गंदगी साफ करता है।

हालांकि, एक दिन में 8 गिलास पानी (1.9 लीटर) को पर्याप्त बताया गया है। आहार विशेषज्ञ डॉ. इशी खोसला के मुताबिक, 'चुस्त-दुरुस्त रहने केलिए कम कैलोरी के तरल पदार्थों का ज्यादासे ज्यादा सेवन शरीर के लिए अच्छा होताहै। इस लिहाज से देखा जाए तो पानी से बेहतर विकल्प शायद ही कोई और है।

मौजूदा जीवनशैली में अक्सर लोग पानी पीने पर पूरा ध्यान नहीं देते। शरीर में पानी कम होने से सिर दर्द,मांसपेशियों की कमजोरी, थकान और सोचने की शक्ति कम होने जैसी स्थितियां बनने लगती हैं और कई लोगों को काम के दौरान इस बात का आभास ही नहीं हो पाता। अगर शरीर से करीब 10 फीसदी तरल पदार्थ कम हो जाएं तो डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है।यही वजह है कि किडनी को दुरुस्त रखने के लिए भी बार-बार पानी पीना जरूरी है।यहां यह सवाल उठना लाजिमी है कि पानी की मात्रा कितनी होनी चाहिए। यह हर इंसान की शारीरिक रचना, काम के तौर तरीकों और वातावरण से तय होता है।
रिसर्चके बाद अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनने एक दिन में पुरुषों के लिए तीन लीटर और महिलाओं के लिए 2.2 लीटर पानी के सेवन की सिफारिश की है।

त्वचा की चमक, चेहरे की दमक विशेषज्ञों का मानना है कि पर्याप्त पानी पीकर आप अपनी त्वचा को चमका सकते हैं और इससे आपका चेहरा भी दमकता हुआ सा नजर आने लगता है। अपने शोध वाटरसिक्रेट: दि सेल्यूलर ब्रेकथ्रू में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रो. हॉवर्ड मुराद न लिखा है कि पर्याप्त पानी पीकर आप 10 साल ज्यादा जवान और सुंदर दिख सकते हैं और इसे खुद महसूस भी कर सकते हैं। पानी त्वचा का प्राकृतिक पोषक है। यह झुर्रियों सेनिजात दिलाता है और बेजान त्वचा में चमक पैदा कर देता है।

मेयो क्लिनिक की रिसर्च के मुताबिक,खाने के बाद छोटी आंत में पहुंचे भोजन से विटामिन, प्रोटीन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट और फैट्स जैसे पदार्थों के अलग होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। तब पानी छोटी आंत में लुब्रिकेंट का काम करता है। यानी, नई रिसर्च पाचन में पानी को मददगार ठहराती है। पानी गर्म या ठंडा आहार विशेषज्ञों का कहना है कि सेहत के नजरिए से पानी गर्म पीना चाहिए या ठंडा यह मौसम पर निर्भर करता है, लेकिन इतना तय है कि वजन कम करने से इनका सीधा संबंध नहीं है। गर्म पानी भरे पेट का अहसास जरूर दिलाता है, लेकिन यह कैलोरी बर्न नहीं करता।

शरीर डिटॉक्स करने में गुनगुना पानी मददगार है,लेकिन सामान्य पानी भी प्यास बुझाने के साथ शरीर की सफाई में मददगार होता है। गर्म या गुनगुना पानी भूख को एक हद तक ही कम कर सकता है। लेकिन, वजन कम करने केलिए बार-बार पानी पीते रहना ही समाधान नहीं है। स्वस्थ रहने के लिए डाइटीशियन चेतावनी देते हैं कि पर्याप्त मात्रा में पोषक आहार भी जरूरी हैं।

भोजन से पहले पानी आम तौर पर माना जाता है कि भोजन से पहले पानी पी लें तो भूख कम लगती है।अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की एक स्टडीके मुताबिक, भोजन से पहले पर्याह्रश्वत पानी पी लेने से 75 से 90 कम कैलोरी का सेवनहोता है। इससे तीन महीने में करीब 2.25किलोग्राम वजन कम होने के नतीजे दिखाई दिए हैं।हालांकि, भोजन के दौरान पानी पीना चाहिए या नहीं इस बात को लेकर अक्सर मतभेद रहते हैं। इस पर कई शोध भी किए गए हैं।
Photo: ज्यादा पानी पीने के कुछ ऐसे फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे!
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(संयोगिता सिंह)
जल ही जीवन है, क्योंकि मानव शरीर की बनावट में 55 से 75 फीसदी पानी है। पतले लोगों के शरीर में ज्यादा पानी होता है, क्योंकि चर्बी (फैट) की तुलना में मांसपेशियों (मसल्स) में पानी धारण करने की क्षमता ज्यादा होती है। इसका मतलब साफ है कि सेहत और सौंदर्य के लिए पर्याप्त पानी की अहमियत बेहद ज्यादा है।

 क्यों बार-बार पीते रहें पानी?यह देखना जरूरी है कि हमारा शरीर कितना पानी दिन भर में खर्च करता है। दिन भर सांस लेने-छोडऩे में ही हम 2-3 कप पानी खर्च कर देते हैं। पसीने के अलावा, पेशाब के रूप में निकला पानी शरीर की गंदगी साफ करता है।

हालांकि, एक दिन में 8 गिलास पानी (1.9 लीटर) को पर्याप्त बताया गया है। आहार विशेषज्ञ डॉ. इशी खोसला के मुताबिक, 'चुस्त-दुरुस्त रहने केलिए कम कैलोरी के तरल पदार्थों का ज्यादासे ज्यादा सेवन शरीर के लिए अच्छा होताहै। इस लिहाज से देखा जाए तो पानी से बेहतर विकल्प शायद ही कोई और है।

मौजूदा जीवनशैली में अक्सर लोग पानी पीने पर पूरा ध्यान नहीं देते। शरीर में पानी कम होने से सिर दर्द,मांसपेशियों की कमजोरी, थकान और सोचने की शक्ति कम होने जैसी स्थितियां बनने लगती हैं और कई लोगों को काम के दौरान इस बात का आभास ही नहीं हो पाता। अगर शरीर से करीब 10 फीसदी तरल पदार्थ कम हो जाएं तो डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है।यही वजह है कि किडनी को दुरुस्त रखने के लिए भी बार-बार पानी पीना जरूरी है।यहां यह सवाल उठना लाजिमी है कि पानी की मात्रा कितनी होनी चाहिए। यह हर इंसान की शारीरिक रचना, काम के तौर तरीकों और वातावरण से तय होता है।
रिसर्चके बाद अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनने एक दिन में पुरुषों के लिए तीन लीटर और महिलाओं के लिए 2.2 लीटर पानी के सेवन की सिफारिश की है।

त्वचा की चमक, चेहरे की दमक विशेषज्ञों का मानना है कि पर्याप्त पानी पीकर आप अपनी त्वचा को चमका सकते हैं और इससे आपका चेहरा भी दमकता हुआ सा नजर आने लगता है। अपने शोध वाटरसिक्रेट: दि सेल्यूलर ब्रेकथ्रू में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रो. हॉवर्ड मुराद न लिखा है कि पर्याप्त पानी पीकर आप 10 साल ज्यादा जवान और सुंदर दिख सकते हैं और इसे खुद महसूस भी कर सकते हैं। पानी त्वचा का प्राकृतिक पोषक है। यह झुर्रियों सेनिजात दिलाता है और बेजान त्वचा में चमक पैदा कर देता है।

मेयो क्लिनिक की रिसर्च के मुताबिक,खाने के बाद छोटी आंत में पहुंचे भोजन से विटामिन, प्रोटीन, मिनरल्स, कार्बोहाइड्रेट और फैट्स जैसे पदार्थों के अलग होने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। तब पानी छोटी आंत में लुब्रिकेंट का काम करता है। यानी, नई रिसर्च पाचन में पानी को मददगार ठहराती है। पानी गर्म या ठंडा आहार विशेषज्ञों का कहना है कि सेहत के नजरिए से पानी गर्म पीना चाहिए या ठंडा यह मौसम पर निर्भर करता है, लेकिन इतना तय है कि वजन कम करने से इनका सीधा संबंध नहीं है। गर्म पानी भरे पेट का अहसास जरूर दिलाता है, लेकिन यह कैलोरी बर्न नहीं करता।

शरीर डिटॉक्स करने में गुनगुना पानी मददगार है,लेकिन सामान्य पानी भी  प्यास बुझाने के साथ शरीर की सफाई में मददगार होता है। गर्म या गुनगुना पानी भूख को एक हद तक ही कम कर सकता है। लेकिन, वजन कम करने केलिए बार-बार पानी पीते रहना ही समाधान नहीं है। स्वस्थ रहने के लिए डाइटीशियन चेतावनी देते हैं कि पर्याप्त मात्रा में पोषक आहार भी जरूरी हैं।

भोजन से पहले पानी आम तौर पर माना जाता है कि भोजन से पहले पानी पी लें तो भूख कम लगती है।अमेरिकन केमिकल सोसाइटी की एक स्टडीके मुताबिक, भोजन से पहले पर्याह्रश्वत पानी पी लेने से 75 से 90 कम कैलोरी का सेवनहोता है। इससे तीन महीने में करीब 2.25किलोग्राम वजन कम होने के नतीजे दिखाई दिए हैं।हालांकि, भोजन के दौरान पानी पीना चाहिए या नहीं इस बात को लेकर अक्सर मतभेद रहते हैं। इस पर कई शोध भी किए गए हैं।

ORANGE के ये गुण

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किसी भी दूसरे फल और सब्जी के मुकाबले संतरे में सबसे ज्यादा फाइबर होता है। यह पाचन में बेहद फायदेमंद होता है। इसके सूखे छिलके का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर उसका लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ और कांतिवान हो जाता है।एक व्यक्ति को जितने विटामिन सी की जरूरत होती है, वह एक संतरे से पूरी हो जाती है। संतरे के सेवन से दांतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।

यह बहुत जल्दी खराब होने वाला फल है। सामान्य तापमान में यह 3 से 4 दिन तक ठीक रहता है। फ्रिज में इसे 14 दिन तक रखा जा सकता है इसमें मौजूद फ्रक्टोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना शुरू कर देते हैं। इसका एक गिलास जूस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान व तनाव दूर कर मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से संतरे के रस में भर देता है।एक चम्मच शहद डालकर प्रतिदिन लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसको सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बड़े होते हैं और उनका कालापन भी बढ़ता है।

झुर्रियां रोकने में मदद मिलती है। इसमें विटामिन बी और फोलेट पाया जाता है, जो डिप्रेशन औरमाइग्रेन को दूर करने तथा नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में सहायक है।संतरे के मौसम में इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता है और बिना डाइटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं। चॉकलेट और वनिला के बाद ऑरेंज दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला फ्लेवर है।

रोज एक संतरे का सेवन करने से
दुनिया में सबसे ज्यादा संतरा ब्राजील में उगाया जाता है। 100 ग्राम संतरे में 45 कैलोरी और 9 ग्राम शुगर होती है। गर्म प्रदेशों में संतरे का रंग हरा होता है, लेकिन स्वाद में वह बहुत मीठा होता है। तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से शरीर का तापमान कम हो जाता है। इसमें मौजूद साइट्रिक एसिड किडनी की बीमारियों को दूर करता है।
 (4 photos)
Photo: ORANGE के ये गुण जानेंगे तो रोजाना खाना चाहेंगे इस
==============================  (संयोगिता सिंह)
किसी भी दूसरे फल और सब्जी के मुकाबले संतरे में सबसे ज्यादा फाइबर होता है। यह पाचन में बेहद फायदेमंद होता है। इसके सूखे छिलके का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर उसका लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ और कांतिवान हो जाता है।एक व्यक्ति को जितने विटामिन सी की जरूरत होती है, वह एक संतरे से पूरी हो जाती है। संतरे के सेवन से दांतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।

यह बहुत जल्दी खराब होने वाला फल है। सामान्य तापमान में यह 3 से 4 दिन तक ठीक रहता है। फ्रिज में इसे 14 दिन तक रखा जा सकता है इसमें मौजूद फ्रक्टोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना शुरू कर देते हैं। इसका एक गिलास जूस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान व तनाव दूर कर मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से संतरे के रस में भर देता है।एक चम्मच शहद डालकर प्रतिदिन लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसको सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बड़े होते हैं और उनका कालापन भी बढ़ता है।

झुर्रियां रोकने में मदद मिलती है। इसमें  विटामिन बी और फोलेट पाया जाता है, जो डिप्रेशन औरमाइग्रेन को दूर करने तथा नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में सहायक है।संतरे के मौसम में इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता है और बिना डाइटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं। चॉकलेट और वनिला के बाद ऑरेंज दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला फ्लेवर है।

रोज एक संतरे का सेवन करने से
दुनिया में सबसे ज्यादा संतरा ब्राजील में उगाया जाता है। 100 ग्राम संतरे में 45 कैलोरी और 9 ग्राम शुगर होती है। गर्म प्रदेशों में संतरे का रंग हरा होता है, लेकिन स्वाद में वह बहुत मीठा होता है। तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से शरीर का तापमान कम हो जाता है। इसमें मौजूद साइट्रिक एसिड किडनी की बीमारियों को दूर करता है।
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==============================  (संयोगिता सिंह)
किसी भी दूसरे फल और सब्जी के मुकाबले संतरे में सबसे ज्यादा फाइबर होता है। यह पाचन में बेहद फायदेमंद होता है। इसके सूखे छिलके का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर उसका लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ और कांतिवान हो जाता है।एक व्यक्ति को जितने विटामिन सी की जरूरत होती है, वह एक संतरे से पूरी हो जाती है। संतरे के सेवन से दांतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।

यह बहुत जल्दी खराब होने वाला फल है। सामान्य तापमान में यह 3 से 4 दिन तक ठीक रहता है। फ्रिज में इसे 14 दिन तक रखा जा सकता है इसमें मौजूद फ्रक्टोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना शुरू कर देते हैं। इसका एक गिलास जूस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान व तनाव दूर कर मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से संतरे के रस में भर देता है।एक चम्मच शहद डालकर प्रतिदिन लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसको सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बड़े होते हैं और उनका कालापन भी बढ़ता है।

झुर्रियां रोकने में मदद मिलती है। इसमें  विटामिन बी और फोलेट पाया जाता है, जो डिप्रेशन औरमाइग्रेन को दूर करने तथा नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में सहायक है।संतरे के मौसम में इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता है और बिना डाइटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं। चॉकलेट और वनिला के बाद ऑरेंज दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला फ्लेवर है।

रोज एक संतरे का सेवन करने से
दुनिया में सबसे ज्यादा संतरा ब्राजील में उगाया जाता है। 100 ग्राम संतरे में 45 कैलोरी और 9 ग्राम शुगर होती है। गर्म प्रदेशों में संतरे का रंग हरा होता है, लेकिन स्वाद में वह बहुत मीठा होता है। तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से शरीर का तापमान कम हो जाता है। इसमें मौजूद साइट्रिक एसिड किडनी की बीमारियों को दूर करता है।
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==============================  (संयोगिता सिंह)
किसी भी दूसरे फल और सब्जी के मुकाबले संतरे में सबसे ज्यादा फाइबर होता है। यह पाचन में बेहद फायदेमंद होता है। इसके सूखे छिलके का महीन चूर्ण गुलाब जल या कच्चे दूध में मिलाकर उसका लेप लगाने से कुछ ही दिनों में चेहरा साफ और कांतिवान हो जाता है।एक व्यक्ति को जितने विटामिन सी की जरूरत होती है, वह एक संतरे से पूरी हो जाती है। संतरे के सेवन से दांतों और मसूड़ों के रोग भी दूर होते हैं।

यह बहुत जल्दी खराब होने वाला फल है। सामान्य तापमान में यह 3 से 4 दिन तक ठीक रहता है। फ्रिज में इसे 14 दिन तक रखा जा सकता है इसमें मौजूद फ्रक्टोज, खनिज एवं विटामिन शरीर में पहुंचते ही ऊर्जा देना शुरू कर देते हैं। इसका एक गिलास जूस तन-मन को शीतलता प्रदान कर थकान व तनाव दूर कर मस्तिष्क को नई शक्ति व ताजगी से संतरे के रस में भर देता है।एक चम्मच शहद डालकर प्रतिदिन लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। संतरे के ताजे फूल को पीसकर उसको सिर में लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। बाल जल्दी बड़े होते हैं और उनका कालापन भी बढ़ता है।

झुर्रियां रोकने में मदद मिलती है। इसमें  विटामिन बी और फोलेट पाया जाता है, जो डिप्रेशन औरमाइग्रेन को दूर करने तथा नर्वस सिस्टम को स्वस्थ रखने में सहायक है।संतरे के मौसम में इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता है और बिना डाइटिंग किए ही आप अपना वजन कम कर सकते हैं। चॉकलेट और वनिला के बाद ऑरेंज दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला फ्लेवर है।

रोज एक संतरे का सेवन करने से
दुनिया में सबसे ज्यादा संतरा ब्राजील में उगाया जाता है। 100 ग्राम संतरे में 45 कैलोरी और 9 ग्राम शुगर होती है। गर्म प्रदेशों में संतरे का रंग हरा होता है, लेकिन स्वाद में वह बहुत मीठा होता है। तेज बुखार में संतरे के रस का सेवन करने से शरीर का तापमान कम हो जाता है। इसमें मौजूद साइट्रिक एसिड किडनी की बीमारियों को दूर करता है।

कहीं आपको थाइरॉइड तो नहीं

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अगर बिना ज्यादा मेहनत किए आपको थकान महसूस होती है, बेवजह वजन घटता बढ़ता है या फिर काम पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, तो इन लक्षणों को हल्के में मत लीजिए और सतर्क हो जाइए। एक बार दिमाग पर जोर डालिए कि क्या यह सिर्फ उम्र बढऩे के लक्षण हैं या फिर थाइरॉइड नाम की बीमारी ने शरीर पर हमला बोल दिया है। असल में ज्यादातर मामलों में ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायरॉइड के लक्षण पता ही नहीं लग पाते।

इसलिए आपको यह समझना होगा कि टेस्ट कराने की जरूरत कब है। दरअसल, थाइरॉइड तितली के आकार की एक ग्रंथि है, जो गले में होती है। इसका काम मेटॉबालिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाना है। ओवरएक्टिव थाइरॉइड होने पर ये हार्मोन तेज रफ्तारसे बहुत ज्यादा मात्रा में बनते हैं। अंडरएक्टिव थाइरॉइड में हार्मोन कम बनता है। इससे जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि थाइरॉइड से महिलाओं को ज्यादा दिक्कत होती है।

उम्रदराज महिलाओं में अक्सर हल्के ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थाइरॉइड के लक्षण मिलते हैं, लेकिन वे इतने सक्रिय नहीं होते कि उनकी जांच कराने की जरूरत महसूस की जाए।

मेडिसिन के क्षेत्र में इसे सब-क्लीनिकल थाइरॉइड की परेशानी के तौर पर जाना जाता है। इसका असर भी ओवरएक्टिव थायरॉइड जैसे ही होता है, लेकिन इसके लक्षण इतने मामूली होते हैं कि ज्यादातर लोगोंको इसका अहसास ही नहीं होता। हालांकि, जैसे ही पता लगे कि आप ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिवथाइरॉइड से जूझ रहे हैं, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके थाइरॉइड हार्मोन टेस्ट करवाना चाहिए।

ओवरएक्टिव थाइरॉइड का इलाज जरूरत से ज्यादा लंबा खिंचे या आपको हाशिमोटोज थायरॉइटिडिस नाम की थाइरॉइड समस्या है, आपका रेडियोएक्टिव आयोडीन या इंटरफेरॉन अल्फा (कैंसर के लिए) या इंटरल्यूकिन-2 (किडनी कैंसर के लिए) या एमियोडरोन (असमान्य हृदय गति के लिए) या फिर लिथियम (मूड डिस्ऑर्डर के लिए) से इलाज हुआ है, तो भी आप सब-क्लीनिकल थाइरॉइड की चपेट में आ सकते हैं।

सामान्य थाइरॉइड गले में मौजूद थाइरॉइड ग्रंथियों से बनने वाले टी& और टी4 हार्मोन न सिर्फ हमारी हृदय गति को नियंत्रित करते हैं, बल्कि शरीर के तापमान के नियंत्रित करने के साथ - साथ भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम भी करते हैं।हाइपोथैलमस में मौजूद थायरोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन(टीआरएच) कफ ग्रंथि (पिट्यूटरी) को थाइरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) उत्सर्जन करने का निर्देश देता है, जो कि जवाब में थाइरॉइड को टी& और टी4 हार्मोन बनाने के लिए प्रेरित करती है। जैसे-जैसे टी3 और टी4 की रक्त सांद्रता (कंसेन्ट्रेशन ऑफ ब्लड) बढ़ती है, हाइपोथैलमस और कफ ग्रंथि थाइरॉइड हार्मोन के ब्लड लेवल को सामान्य रखने के लिए अपना-अपना हार्मोन उत्सर्जन बंद कर देते हैं।
कैसे करें थाइरॉइड की जांच
अमेरिकन थाइरॉयड एसोसिएशन के मुताबिक, अगर आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, तो जरा भी लापरवाही आपके लिए भारी पड़ सकती है। शायद इसी
वजह से विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निश्चित रूप सेसब-क्लीनिकल ओवरएक्टिव थाइरॉइड की जांचकरानी चाहिए, भले ही आपको इसका कोई लक्षण न दिखाई पड़ रहा हो। एक सामान्य से ब्लड टेस्ट से ही इस बात का पता चल जाएगा कि आपको थाइरॉइड की समस्या है या नहीं।

कैसे करें थाइरॉइड का इलाज- आम तौर पर रजोनिवृत्ति के दौर से गुजर चुकी महिलाओं के सब-क्लीनिकल थाइरॉइड का इलाज नहीं होता। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़ी डॉ. जिल पॉलसन कहती हैं, 'ज्यादातर बुजुर्ग लोगों को तब तक सब-क्लीनिकलद थाइरॉइड के इलाज की सलाह नहीं दी जाती, जब तक लक्षण एकदम स्पष्ट न हों। ऐसी स्थिति में लोगों का इलाज जरूरत से ज्यादा होने का खतरा रहता है।

अगर किसी का ओवरट्रीटमेंट हो जाए, तो उसे हृदयसंबंधी कोई समस्या हो सकती है या फिर बोन लॉस भी हो सकता है। यही वजह है कि डॉक्टर आमतौर पर इलाज से पहले थाइरॉइड के स्तर का अध्ययन करते हैं। हालांकि, सब-क्लीनिकल थाइरॉइड अलग होता है। डॉ. पॉलसन कहती हैं कि अगर किसी को ऑस्टियोपरोसिस याकिसी तरह की दिल संबंधी बीमारी का अहसास होता है, तो उसका तुरंत इलाजकिया जाता है। इसके लिए रेडियोएक्टिवआयोडीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।इसके अलावा, मेथिमेजोल दवा से भी इसे काबू करने की कोशिश की जाती है। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिकेशंस थाइरॉइड तो नहीं? अगर बेवजह थकान महसूस होती है और वजन में भी अप्रत्याशित गिरावट आ रही है, तो आपको सतर्क हो जाने की सख्त जरूरत है। ये लक्षण बता रहे हैं कि आपके शरीर में थाइरॉइड नाम की खतरनाक बीमारी ने घर बना लिया है। जानिए, क्या है यह बीमारी और उससे बचने के लिए किन बातों पर देना है ध्यान...कहीं आपको ओवरएक्टिव थाइरॉइड के लक्षण
- थकान का अहसास
- तेज धड़कन
- फोकस करने में परेशानी
-अचानक भूख बढऩा
-पसीना आना
- व्यग्रता, डर का अहसास
- वजन में तेज गिरावट
अंडरएक्टिव थाइरॉइड के लक्षण
-थकान का अहसास
-ज्यादा ठंड लगना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- नाखून खराब होना
-आवाज कर्कश होना
- बेवजह वजन में बढ़ोतरी

सब-क्लीनिकल थाइरॉइड होता है अगर
- थाइरॉइड ग्रंथि बढ़ गई हो
-गले की ग्रंथियों में जलन हो
सामान्य थाइरॉइड से पहले गले में कुछ ऐसे होती हैं ग्रंथियां थाइरॉइड का स्तर जब बढ़ जाता है और वह ओवरएक्टिव हो जाता है तो गले में मौजूद ग्रंथियों कुछ इस तरह की हो जाती हैं मोटापे से हो सकता है डिप्रेशन मोटापा एक ऐसी दिक्कत है, जिसके कारण हम डायबिटीज, दिल की परेशानी और कुछ तरह के कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, फ्रांस में 10 साल तक 9,000 से ज्यादा बुजुर्गों पर हुई एक स्टडी में इसबात की पुष्टि हुई है कि मोटापे का संबंधमानसिक अवसाद से भी होता है। स्कूल के साइकेट्री विभाग में हार्वर्ड मेडिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माइकल क्रेग मिलर का कहना है, हां, मोटापे और डिप्रेशन का ताल्लुक है। इनमें पहली वजह से दूसरी और दूसरी वजह से पहली दिक्कत पैदा हो सकती है। मिलर बताते हैं कि डिप्रेशन और मोटापे को एक-दूसरे से मदद मिलती है। मुताबिक, 'मोटापे से दिमाग के उस हिस्से पर असर पड़ता है, जो हमारे मूड को नियंत्रित करता है। जब आपतनाव में होते हैं, तो एनर्जी कम रहती है और मोटिवेशन भी नहीं रहता है।

ऐसी स्थिति में शारीरिक गतिविधियों में भी काफी कमी आ जाती है। डिप्रेशन से गुजर रहे ज्यादातर लोग एक्सरसाइज से भी बचने लगते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वजन में बढ़ोतरी होने लगती है। अगर दोनों दिक्कतों ने आपके शरीर पर कब्जा कर लिया है, तो उनकी पकड़ छुड़ाने में मुश्किल हो जाएगी। हालांकि, डॉ. मिलर कायह भी कहना है कि एक छोटा-सा बदलाव आपकी स्थिति बदल सकता है। उनके मुताबिक, 'कुछ लोग क्रेश डाइट और आसान व कम समय लेने वाले एक्सरसाइज प्रोग्राम अपना सकते हैं। शुरुआत में छोटे कदम उठाए जा सकते हैं। अगर आप इस प्रोग्राम को आजमाना चाहते हैं तो 15 मिनट की वॉक से शुरुआत कीजिए। इसके साथ ही ऐसे खाने से बचिए, जिनके बिना आपका काम चल सकता है। इन बदलावों को आसानी से अंजाम देने के लिए आप ऐसा दोस्त चुन सकतेहैं, जो ये सब करने में आपकी मदद करे। सबसे जरूरी ऐसी चीजें हैं, जिन्हें आप आगे बरकरार रख सकें।

अगर आपका वजन घटना शुरू होगा, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप बेहतर महसूस करेंगे। डॉ. मिलर का कहना है जब लोगों का वजन घटने लगता है, तो वे गर्व महसूस करते हैं, उनमें ज्यादा एनर्जी आती है। वह मानसिक रूप से ज्यादा सेहतमंद होते हैं और उनका मूड काफी सुधर जाता है। कई अन्य अध्ययनों में भी यह बात सामने आई है कि डिप्रेशन से शरीर पर खासा बुरा असर पड़ता है। जाहिर है, आप डिप्रेशन के साथ-साथ अन्य बीमारियां लेना पसंद नहीं करेंगे।
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Photo: ये छोटी-छोटी प्रॉब्लम्स हो रही हैं... कहीं आपको थाइरॉइड तो नहीं
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(संयोगिता सिंह)
अगर बिना ज्यादा मेहनत किए आपको थकान महसूस होती है, बेवजह वजन घटता बढ़ता है या फिर काम पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, तो इन लक्षणों को हल्के में मत लीजिए और सतर्क हो जाइए। एक बार दिमाग पर जोर डालिए कि क्या यह सिर्फ उम्र बढऩे के लक्षण हैं या फिर थाइरॉइड नाम की बीमारी ने शरीर पर हमला बोल दिया है। असल में ज्यादातर मामलों में ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायरॉइड के लक्षण पता ही नहीं लग पाते।

इसलिए आपको यह समझना होगा कि टेस्ट कराने की जरूरत कब है। दरअसल, थाइरॉइड तितली के आकार की एक ग्रंथि है, जो गले में होती है। इसका काम मेटॉबालिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन  बनाना है। ओवरएक्टिव थाइरॉइड होने पर ये हार्मोन तेज रफ्तारसे बहुत ज्यादा मात्रा में बनते हैं। अंडरएक्टिव थाइरॉइड में हार्मोन कम बनता है। इससे जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि थाइरॉइड से महिलाओं को ज्यादा दिक्कत होती है।

उम्रदराज महिलाओं में अक्सर हल्के ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थाइरॉइड के लक्षण मिलते हैं, लेकिन वे इतने सक्रिय नहीं होते कि उनकी जांच कराने की जरूरत महसूस की जाए।

मेडिसिन के क्षेत्र में इसे सब-क्लीनिकल थाइरॉइड की परेशानी के तौर पर जाना जाता है। इसका असर भी ओवरएक्टिव थायरॉइड जैसे ही होता है, लेकिन इसके लक्षण इतने मामूली होते हैं कि ज्यादातर लोगोंको इसका अहसास ही नहीं होता। हालांकि, जैसे ही पता लगे कि आप ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिवथाइरॉइड से जूझ रहे हैं, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके थाइरॉइड हार्मोन टेस्ट करवाना चाहिए।

ओवरएक्टिव थाइरॉइड का इलाज जरूरत से ज्यादा लंबा खिंचे या आपको हाशिमोटोज थायरॉइटिडिस नाम की थाइरॉइड समस्या है, आपका रेडियोएक्टिव आयोडीन या इंटरफेरॉन अल्फा (कैंसर के लिए) या इंटरल्यूकिन-2 (किडनी कैंसर के लिए) या एमियोडरोन (असमान्य हृदय गति के लिए) या फिर लिथियम (मूड डिस्ऑर्डर के लिए) से इलाज हुआ है, तो भी आप सब-क्लीनिकल थाइरॉइड की चपेट में आ सकते हैं।


सामान्य थाइरॉइड गले में मौजूद थाइरॉइड ग्रंथियों से बनने वाले टी& और टी4 हार्मोन न सिर्फ हमारी हृदय गति को नियंत्रित करते हैं, बल्कि शरीर के तापमान के नियंत्रित करने के साथ - साथ भोजन को ऊर्जा में बदलने का काम भी करते हैं।हाइपोथैलमस में मौजूद थायरोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन(टीआरएच) कफ ग्रंथि (पिट्यूटरी) को थाइरॉइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) उत्सर्जन करने का निर्देश देता है, जो कि जवाब में थाइरॉइड को टी& और टी4 हार्मोन बनाने के लिए प्रेरित करती है। जैसे-जैसे टी3 और टी4 की रक्त सांद्रता (कंसेन्ट्रेशन ऑफ ब्लड) बढ़ती है, हाइपोथैलमस और कफ ग्रंथि थाइरॉइड हार्मोन के ब्लड लेवल को सामान्य रखने के लिए अपना-अपना हार्मोन उत्सर्जन बंद कर देते हैं।
कैसे करें थाइरॉइड की जांच
अमेरिकन थाइरॉयड एसोसिएशन के मुताबिक, अगर आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है, तो जरा भी लापरवाही आपके लिए भारी पड़ सकती है। शायद इसी
वजह से विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निश्चित रूप सेसब-क्लीनिकल ओवरएक्टिव थाइरॉइड की जांचकरानी चाहिए, भले ही आपको इसका कोई लक्षण न दिखाई पड़ रहा हो। एक सामान्य से ब्लड टेस्ट से ही इस बात का पता चल जाएगा कि आपको थाइरॉइड की समस्या है या नहीं।

कैसे करें थाइरॉइड का इलाज- आम तौर पर रजोनिवृत्ति के दौर से गुजर चुकी महिलाओं के सब-क्लीनिकल थाइरॉइड का इलाज नहीं होता। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुड़ी डॉ. जिल पॉलसन कहती हैं, 'ज्यादातर बुजुर्ग लोगों को तब तक सब-क्लीनिकलद थाइरॉइड के इलाज की सलाह नहीं दी जाती, जब तक लक्षण एकदम स्पष्ट न हों। ऐसी स्थिति में लोगों का इलाज जरूरत से ज्यादा होने का खतरा रहता है।

अगर किसी का ओवरट्रीटमेंट हो जाए, तो उसे हृदयसंबंधी कोई समस्या हो सकती है या फिर बोन लॉस भी हो सकता है। यही वजह है कि डॉक्टर आमतौर पर इलाज से पहले थाइरॉइड के स्तर का अध्ययन करते हैं। हालांकि, सब-क्लीनिकल थाइरॉइड अलग होता है। डॉ. पॉलसन कहती हैं कि अगर किसी को ऑस्टियोपरोसिस याकिसी तरह की दिल संबंधी बीमारी का अहसास होता है, तो उसका तुरंत इलाजकिया जाता है। इसके लिए रेडियोएक्टिवआयोडीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।इसके अलावा, मेथिमेजोल दवा से भी इसे काबू करने की कोशिश की जाती है। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिकेशंस थाइरॉइड तो नहीं? अगर बेवजह थकान महसूस होती है और वजन में भी अप्रत्याशित गिरावट आ रही है, तो आपको सतर्क हो जाने की सख्त जरूरत है। ये लक्षण बता रहे हैं कि आपके शरीर में थाइरॉइड नाम की खतरनाक बीमारी ने घर बना लिया है। जानिए, क्या है यह बीमारी और उससे बचने के लिए किन बातों पर देना है ध्यान...कहीं आपको ओवरएक्टिव थाइरॉइड के लक्षण
- थकान का अहसास
- तेज धड़कन
- फोकस करने में परेशानी
-अचानक भूख बढऩा
-पसीना आना
-  व्यग्रता, डर का अहसास
- वजन में तेज गिरावट
अंडरएक्टिव थाइरॉइड के लक्षण
-थकान का अहसास
-ज्यादा ठंड लगना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- नाखून खराब होना
-आवाज कर्कश होना
- बेवजह वजन में बढ़ोतरी


सब-क्लीनिकल थाइरॉइड होता है अगर
- थाइरॉइड ग्रंथि बढ़ गई हो
-गले की ग्रंथियों में जलन हो
सामान्य थाइरॉइड से पहले गले में कुछ ऐसे होती हैं ग्रंथियां थाइरॉइड का स्तर जब बढ़ जाता है और वह ओवरएक्टिव हो जाता है तो गले में मौजूद ग्रंथियों कुछ इस तरह की हो जाती हैं मोटापे से हो सकता है डिप्रेशन मोटापा एक ऐसी दिक्कत है, जिसके कारण हम डायबिटीज, दिल की परेशानी और कुछ तरह के कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। लेकिन, फ्रांस में 10 साल तक 9,000 से ज्यादा बुजुर्गों पर हुई एक स्टडी में इसबात की पुष्टि हुई है कि मोटापे का संबंधमानसिक अवसाद से भी होता है।  स्कूल के साइकेट्री विभाग में हार्वर्ड मेडिकल असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. माइकल क्रेग मिलर का कहना है, हां, मोटापे और डिप्रेशन का ताल्लुक है। इनमें पहली वजह से दूसरी और दूसरी वजह से पहली दिक्कत पैदा हो सकती है। मिलर बताते हैं कि डिप्रेशन और मोटापे को एक-दूसरे से मदद मिलती है। मुताबिक, 'मोटापे से दिमाग के उस हिस्से पर असर पड़ता है, जो हमारे मूड को नियंत्रित करता है। जब आपतनाव में होते हैं, तो एनर्जी कम रहती है और मोटिवेशन भी नहीं रहता है।

ऐसी स्थिति में शारीरिक गतिविधियों में भी काफी कमी आ जाती है। डिप्रेशन से गुजर रहे ज्यादातर लोग एक्सरसाइज से भी बचने लगते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वजन में बढ़ोतरी होने लगती है। अगर दोनों दिक्कतों ने आपके शरीर पर कब्जा कर लिया है, तो उनकी पकड़ छुड़ाने में मुश्किल हो जाएगी। हालांकि, डॉ. मिलर कायह भी कहना है कि एक छोटा-सा बदलाव आपकी स्थिति बदल सकता है। उनके मुताबिक, 'कुछ लोग क्रेश डाइट और आसान व कम समय लेने वाले एक्सरसाइज प्रोग्राम अपना सकते हैं। शुरुआत में छोटे कदम उठाए जा सकते हैं। अगर आप इस प्रोग्राम को आजमाना चाहते हैं तो 15 मिनट की वॉक से शुरुआत कीजिए। इसके साथ ही ऐसे खाने से बचिए, जिनके बिना आपका काम चल सकता है। इन बदलावों को आसानी से अंजाम देने के लिए आप ऐसा दोस्त चुन सकतेहैं, जो ये सब करने में आपकी मदद करे। सबसे जरूरी ऐसी चीजें हैं, जिन्हें आप आगे बरकरार रख सकें।

अगर आपका वजन घटना शुरू होगा, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप बेहतर महसूस करेंगे। डॉ. मिलर का कहना है जब लोगों का वजन घटने लगता है, तो वे गर्व महसूस करते हैं, उनमें ज्यादा एनर्जी आती है। वह मानसिक रूप से ज्यादा सेहतमंद होते हैं और उनका मूड काफी सुधर जाता है। कई अन्य अध्ययनों में भी यह बात सामने आई है कि डिप्रेशन से शरीर पर खासा बुरा असर पड़ता है। जाहिर है, आप डिप्रेशन के साथ-साथ अन्य बीमारियां लेना पसंद नहीं करेंगे।

वेट लूज करने का एक आसान फंडा

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वेट कम करने के लिए घंटो पसीना बहाने कि बजाए योगासन की ही तरह रोजाना कुछ देर योग मुद्रा लगाकर बैठना भी बहुत फायदेमंद है।वैसे तो योग मुद्रा कई तरह की होती है लेकिन सूर्य मुद्रा लगाने के अनेक फायदे हैं। सूर्य की अंगुली यानी अनामिका,जिसे रिंग फिंगर भी कहते हैं, का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है। सूर्य, ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है और यूरेनस कामुकता और बदलाव का प्रतीक है।

विधि-

सूर्य की अंगुली को हथेली की ओर मोड़कर उसे अंगूठे से दबाएं। बाकी बची तीनों अंगुलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहते हैं।

लाभ- यह जठराग्रि (भूख) को संतुलित करके पाचन संबंधी तमाम समस्याओं से छुटकारा दिलाती है।

- इसे नियमित करने से बेचैनी और चिंता कम होकर दिमाग शांत बना रहता है।

- यह मुद्रा शरीर की सूजन मिटाकर उसे हल्का और चुस्त-दुरुस्त बनाती है।

- इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट तक अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है।

- वजन कम करने के लिए यह असान क्रिया चमत्कारी रूप से कारगर पाई गई है।
Photo: वेट लूज करने का एक आसान फंडा
===================  (संयोगिता सिंह)

वेट कम करने के लिए घंटो पसीना बहाने कि बजाए योगासन की ही तरह रोजाना कुछ देर योग मुद्रा लगाकर बैठना भी बहुत फायदेमंद है।वैसे तो योग मुद्रा कई तरह की होती है लेकिन सूर्य मुद्रा लगाने के अनेक फायदे हैं। सूर्य की अंगुली यानी अनामिका,जिसे रिंग फिंगर भी कहते हैं, का संबंध सूर्य और यूरेनस ग्रह से है। सूर्य, ऊर्जा और स्वास्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है और यूरेनस कामुकता और बदलाव का प्रतीक है।

विधि-

सूर्य की अंगुली को हथेली की ओर मोड़कर उसे अंगूठे से दबाएं। बाकी बची तीनों अंगुलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहते हैं।

लाभ- यह जठराग्रि (भूख) को संतुलित करके पाचन संबंधी तमाम समस्याओं से छुटकारा दिलाती है।

- इसे नियमित करने से बेचैनी और चिंता कम होकर दिमाग शांत बना रहता है।

- यह मुद्रा शरीर की सूजन मिटाकर उसे हल्का और चुस्त-दुरुस्त बनाती है।

- इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट तक अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है।

- वजन कम करने के लिए यह असान क्रिया चमत्कारी रूप से कारगर पाई गई है।

शरीर से जुड़े कुछ ऐसे सच जिन्हें जानकर आप दांतों तले उंगुलियां दबा लेंगे

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हम में से अधिकतर लोग मनुष्य शरीर के बारे में सामान्य बातें तो जानते हैं, लेकिन मनुष्य शरीर के बारे में कुछ वैज्ञानिक सच ऐसे हैं, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। ये वैज्ञानिक सच अनोखे होने के साथ ही हैरान कर देने वाले हैं। हमारे शरीर में कुछ ऐसी विशेषताएं पाई जाती हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। शरीर से जुड़ी ऐसी ही कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाली बातें हम आपको बताने जा रहे हैं......

क्या आप जानते हैं कि मानव शरीर में 3-4 दिन में नई स्टमक (पेट) लाइनिंग आती है।
- ऐसा ही एक अचरज भरा सच आपके नाखूनों के बारे में भी है। अगर आप भी नाखून को जल्दी बढ़ाना चाहता हैं तो ज्यादा लिखिए, क्योंकि जिस हाथ से आप लिखते हैं, उसकी उंगलियों के नाखून ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।
- इंसान भोजन बगैर कई हफ्ते गुजार सकता है, लेकिन बिना सोए केवल 11 दिन रह सकता है।
- हाथ की 1 वर्ग इंच त्वचा में 72 फीट नर्व फाइबर होता है।

- इंसान के कान 50,000 हर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी पर सुन सकते हैं।
- वयस्कों के बालों को उनकी लंबाई से 25 फीसदी ज्यादा तक खींचा जा सकता है।
- बॉडी में दर्द 350 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से आगे बढ़ता है।
- ब्रेन सेल्स में हुआ को-आंतों में इतने बैक्टीरिया मौजूद होते हैं कि उनको निकालकर एक कॉफी मग भरा जा सकता है।
- आंख अकेला ऐसा मल्टीफोकस लेंस है, जो सिर्फ 2 मिली सेकेंड में एडजस्ट हो जाता है।

ई भी डैमेज पूरी तरह रिपेयर नहीं किया जा सकता।

- त्वचा में कुल 72 किलोमीटर नर्व होती है।
- 75 फीसदी लिवर, 80 फीसदी आंत और एक किडनी बगैर भी इंसान जिंदा रह सकता है।
- हमारी 1 आंख में 12,00,000 फाइबर होते हैं। अगर आप जिंदगी भर पलक झपकने का वक्त जोड़ेंगे, तो 1.2 साल का अंधेरा मिलेगा।
- हमारे घरों में मौजूद धूल के ज्यादातर कण हमारी डेड स्किन के होते हैं।
Photo: शरीर से जुड़े कुछ ऐसे सच जिन्हें जानकर आप दांतों तले उंगुलियां दबा लेंगे
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(संयोगिता सिंह)
हम में से अधिकतर लोग मनुष्य शरीर के बारे में सामान्य बातें तो जानते हैं, लेकिन मनुष्य शरीर के बारे में कुछ वैज्ञानिक सच ऐसे हैं, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। ये वैज्ञानिक सच अनोखे होने के साथ ही हैरान कर देने वाले हैं। हमारे शरीर में कुछ ऐसी विशेषताएं पाई जाती हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। शरीर से जुड़ी ऐसी ही कुछ आश्चर्यचकित कर देने वाली बातें हम आपको बताने जा रहे हैं......

क्या आप जानते हैं कि मानव शरीर में 3-4 दिन में नई स्टमक (पेट) लाइनिंग आती है।
- ऐसा ही एक अचरज भरा सच आपके नाखूनों के बारे में भी है। अगर आप भी नाखून को जल्दी बढ़ाना चाहता हैं तो ज्यादा लिखिए, क्योंकि जिस हाथ से आप लिखते हैं, उसकी उंगलियों के नाखून ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।
- इंसान भोजन बगैर कई हफ्ते गुजार सकता है, लेकिन बिना सोए केवल 11 दिन रह सकता है।
- हाथ की 1 वर्ग इंच त्वचा में 72 फीट नर्व फाइबर होता है।

- इंसान के कान 50,000 हर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी पर सुन सकते हैं।
- वयस्कों के बालों को उनकी लंबाई से 25 फीसदी ज्यादा तक खींचा जा सकता है।
- बॉडी में  दर्द 350 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से आगे बढ़ता है।
- ब्रेन सेल्स में हुआ को-आंतों में इतने बैक्टीरिया मौजूद होते हैं कि उनको निकालकर एक कॉफी मग भरा जा सकता है।
- आंख अकेला ऐसा मल्टीफोकस लेंस है, जो सिर्फ 2 मिली सेकेंड में एडजस्ट हो जाता है।

ई भी डैमेज पूरी तरह रिपेयर नहीं किया जा सकता।

- त्वचा में कुल 72 किलोमीटर नर्व होती है।
- 75 फीसदी लिवर, 80 फीसदी आंत और एक किडनी बगैर भी इंसान जिंदा रह सकता है। 
- हमारी 1 आंख में 12,00,000 फाइबर होते हैं। अगर आप जिंदगी भर पलक झपकने का वक्त जोड़ेंगे, तो 1.2 साल का अंधेरा मिलेगा।
- हमारे घरों में मौजूद धूल के ज्यादातर कण हमारी डेड स्किन के होते हैं।

अष्टगंध का प्रयोग

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हिन्दू कर्मकांड और यन्त्र लेखन में अष्टगंध का प्रयोग होता है। शास्त्रों में तीन प्रकार की अष्टगन्ध का वर्णन है, जोकि वैष्णवपंथ में पूजन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।वैष्णव अष्टगन्ध के रूप में इन आठ पदार्थ को मानते है-चन्दन, अगर, ह्रीवेर, कुष्ठ, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी, मुर। ये आठ जड़ीबूटियां ऐसी है जिन्हें देवताओं की भी प्रिय मानी जाती है।
इसकी जड़ में जटामेंसान , जटामासिक एसिड ,एक्टीनीदीन, टरपेन, एल्कोहाल , ल्यूपियाल, जटामेनसोंन और कुछ तेल पाए जाते हैं। इस जड़ को आयुर्वेदिक में बहुत गुणकारी माना जाता है आइए जानते है जटामासी के कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग....
- एक चम्मच जटामासी में मधु मिश्री का घोल मिला कर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
- दांतों में दर्द हो तो जटामांसी के महीन पावडर से मंजन कीजिए।
- इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ को बाहर निकालता है।
- मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामांसी का काढा खत्म करता है।
- मस्तिष्क और नाडिय़ों के रोगों के लिए ये राम बाण औषधि है, ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है।
- पागलपन , हिस्टीरिया, मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना.,इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।
- ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण खत्म करती है।
- इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है।
- इसके काढ़े को रोजाना पीने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।
- चर्म रोग , सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।
Photo: साधारण जड़ीबूटी के खास प्रयोग... इससे ये बीमारियां जड़ से ठीक हो जाएंगी 
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(संयोगिता सिंह)
हिन्दू कर्मकांड और यन्त्र लेखन में अष्टगंध का प्रयोग होता है। शास्त्रों में तीन प्रकार की अष्टगन्ध का वर्णन है, जोकि वैष्णवपंथ में पूजन के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।वैष्णव अष्टगन्ध के रूप में इन आठ पदार्थ को मानते है-चन्दन, अगर, ह्रीवेर, कुष्ठ, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी, मुर। ये आठ जड़ीबूटियां ऐसी है जिन्हें देवताओं की भी प्रिय मानी जाती है।
इसकी जड़  में जटामेंसान , जटामासिक एसिड ,एक्टीनीदीन, टरपेन, एल्कोहाल , ल्यूपियाल, जटामेनसोंन और कुछ तेल पाए जाते हैं। इस जड़ को आयुर्वेदिक में बहुत गुणकारी माना जाता है आइए जानते है जटामासी के कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग....
- एक चम्मच जटामासी में मधु मिश्री का घोल मिला कर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
- दांतों में दर्द हो तो जटामांसी के महीन पावडर से मंजन कीजिए।
- इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ  को बाहर निकालता है।
- मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामांसी का काढा खत्म करता है।
- मस्तिष्क और नाडिय़ों के रोगों के लिए ये राम बाण औषधि है, ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है।
- पागलपन , हिस्टीरिया, मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना.,इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।
- ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण खत्म करती है।
- इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है।
- इसके काढ़े को रोजाना पीने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।
- चर्म रोग , सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।

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