12 July 2013

तुलसी के 10 जबरदस्त नुस्खे.............

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इसके नियमित सेवन से "क्रोनिक-
आदिवासियों द्वारा शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाता है, महिला को जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है।दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है। जिन्हें हॄदयाघात हुआ हो, उन्हें तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। तुलसी और हल्दी के पानी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा नियंत्रित रहती है और इसे कोई भी स्वस्थ वयक्ति सेवन में ला सकता है।इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रसमिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाईयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है।फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। डाँग- गुजरात में आदिवासी हर्बल जानकार फ्लु के दौरान बुखार से ग्रस्त रोगी को तुलसी और सेंधा नमक लेने की सलाह देते हैं।माइग्रेन" के निवारण में मदद मिलती है। प्रतिदिन दिन में 4-5 बार तुलसी से 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माईग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते है, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।आदिवासी अंचलों मे पानी की शुध्दता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते है और कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है। कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फ़िर यह पीने योग्य माना जाता है।गर्मियों में घमौरियाँ के इलाज के लिए डाँग- गुजरात के आदिवासी संतरे के छिलकों को छाँव में सुखाकर पाउडर बना लेते है और इसमें थोड़ा तुलसी का पानी और गुलाबजल मिलाकर शरीर पर लगाते है, ऐसा करने से तुरंत आराम मिलता है।

फेस ग्लो करने लगेगा इन आयुर्वेदिक नुस्खो से

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उम्र के साथ होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से, प्रदूषण से व कई अन्य कारणों से स्कीन प्रॉब्लम्स सताने लगती हैं। अगर आपके साथ भी कोई स्कीन प्रॉब्लम हैं तो घर पर ही नीचे लिखी विधि से आयुर्वेदिक फेसपैक बनाकर उससे मुक्ति पा सकते हैं।

- चेहरे पर चेचक, छोटी माता या बड़ी फुंसियों के दाग रह गए हैं तो दो पिसे हुए बादाम, दो चम्मच दूध और एक चम्मच सूखे संतरों के छिल्कों का पावडर मिलाकर आहिस्ता-आहिस्ता फेस पर मलें और छोड़ दें।

- हफ्ते में एक बार स्क्रब करें। घरेलु स्क्रब बनाने के लिए 1 चम्मच दरदरा चावल का आटा, 1 चम्मच दरदरी मसूर की दाल का पाउडर, 1/2 उड़द की दाल का दरदरा पाउडर, 1 चम्मच गुलाब जल और 1/2 चम्मच शहद मिलाकर गाढा पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। हलका सूखने पर स्क्रब करते हुए हटाएं। रंग निखर जाएगा।

- हल्दी को मलाई में डालकर चेहरे पर रगडऩे से त्वचा चमकीली बनती है। हल्दी को कच्चे दूध में डालकर मुंहांसों पर लगाने से मुंहासे दूर हो जाते हैं।

- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की। इन सबको मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

- अगर आपकी त्वचा ड्राई है, तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें।

- धूप से हुई सांवली त्वचा में फिर से निखार लाने के लिए नारियल पानी, कच्चा दूध, खीरे का रस, नींबू का रस, बेसन और थोड़ा-सा चंदन का पावडर मिलाकर उबटन बनाएं, इसे नहाने के एक घंटे पहले लगा लें। सप्ताह में दो बार करें। सांवलापन खत्म हो जाएगा।

- रोमछिद्र ज्यादा बड़े हो गए हों तो उन पर टमाटर का रस, नींबू का रस और कच्चा दूध तीनों का पैक बनाकर लगाएं।

heart attack

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भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर  लाखो रुपए मे बेचते है आपको !



आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लुट जाते है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
______________________
हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
_____________________
तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और फिर  heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????
_________________


आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! 

सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !!  english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
_______________

इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
_____

कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! __________________

आपने पूरी post पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!
भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर लाखो रुपए मे बेचते है आपको !



आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लुट जाते है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
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हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
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तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और फिर heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????
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आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए !

सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
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इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
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कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! __________________

आपने पूरी post पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!

बिच्छू काटने पर चिकित्सा

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बिच्छू काटने पर चिकित्सा : 
अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
http://www.youtube.com/watch?v=N4iEd5Ku9lQ


बिच्छू काटने पर बहुत दर्द होता है जिसको बिच्छू काटता है उसके सिवा और कोई जान नही सकता कितना भयंकर कष्ट होता है। तो बिच्छू काटने पर एक दावा है उसका नाम है Silicea 200 इसका लिकुइड 5 ml घर में रखे । बिच्छू काटने पर इस दावा को जीभ पर एक एक ड्रोप 10-10 मिनट अंतर पर तिन बार देना है । बिच्छू जब काटता है तो उसका जो डंक है न उसको अन्दर छोड़ देता है वोही दर्द करता है । इस डंक को बाहर निकलना आसान काम नही है, डॉक्टर के पास जायेंगे वो काट करेगा चीरा लगायेगा फिर खिंच के निकालेगा उसमे उसमे ब्लीडिंग भी होगी तकलीफ भी होगी । ये मेडिसिन इतनी बेहतरीन मेडिसिन है के आप इसके तिन डोस देंगे 10-10 मिनट पर एक एक बूंद और आप देखेंगे वो डंक अपने आप निकल कर बाहर आ जायेगा। सिर्फ तिन डोस में आधे घन्टे में आप रोगी को ठीक कर सकते है। बहुत जबरदस्त मेडिसिन है ये Silicea 200. और ये मेडिसिन मिट्टी से बनती है,वो नदी कि मिट्टी होती है न जिसमे थोड़ी बालू रहती है उसी से ये मेडिसिन बनती है ।

इस मेडिसिन को और भी बहुत सारी काम में आती है । अगर आप सिलाई मशीन में काम करती है तो कभी कभी सुई चुव जाती है और अन्दर टूट जाती है उस समय भी आप ये मेडिसिन ले लीजिये ये सुई को भी बाहर निकाल देगा। आप इस मेडिसिन को और भी कई केसेस में व्यवहार कर सकते है जैसे कांटा लग गया हो , कांच घुस गया हो, ततैया ने काट लिया हो, मधुमखी ने काट लिया हो ये सब जो काटने वाले अन्दर जो छोड़ देते है वो सब के लिए आप इसको ले सकते है । बहुत तेज दर्द निवारक है और जो कुछ अन्दर छुटा हुआ है उसको बाहर निकलने की मेडिसिन है ।
बहुत सस्ता मेडिसिन है 5 ml सिर्फ 10 रूपए की आती है इससे आप कम से कम 50 से 100 लोगों का भला कर सकते है ।

चुना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है ।

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अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें:
http://www.youtube.com/watch?v=D7yQgO2eZvo

****ध्यान रहे पथरी के रोगीओं के लिए चुना वर्जित है****
चुना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर देते है । राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

जैसे किसीको पीलिया जो जाये माने जोंडिस उसकी सबसे अछि दावा है चुना ; गेहूँ के दाने के बराबर चुना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है । और येही चुना नपुंसकता की सबसे अछि दावा है - अगर किसीके शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चुना पिलाया जाये तो साल देड साल में भरपूर शुक्राणु बन्ने लगेंगे; और जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अछि दावा है ये चुना । बिद्यार्थीओ के लिए चुना बहुत अछि है जो लम्बाई बढाती है - गेहूँ के दाने के बराबर चुना रोज दही में मिलाके खाना चाहिए, दही नही है तो दाल में मिलाके खाओ, दाल नही है तो पानी में मिलाके पियो - इससे लम्बाई बढने के साथ साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है । जिन बछोकी बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे उनकी सबसे अछि दावा है चुना, जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चुना खिलाने से अछे हो जायेंगे ।

बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अछि दावा है चुना । और हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंध हुआ उनकी सबसे अछि दावा है चुना; गेहूँ के दाने के बराबर चुना हरदिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना ।

जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चुना रोज खाना चाहिए किउंकि गर्भवती माँ को सबसे जादा काल्सियम की जरुरत होती है और चुना कैल्सियम का सब्से बड़ा भंडार है । गर्भवती माँ को चुना खिलाना चाहिए अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चुना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये तो चार फाईदे होंगे - पहला फाईदा होगा के माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नोर्मल डेलीभरी होगा, दूसरा बछा जो पैदा होगा वो बहुत हस्टपुष्ट और तंदरुस्त होगा , तीसरा फ़ायदा वो बछा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चुना खाया , और चौथा सबसे बड़ा लाभ है वो बछा बहुत होसियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है ।

चुना घुटने का दर्द ठीक करता है , कमर का दर्द ठीक करता है , कंधे का दर्द ठीक करता है, एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है । कई बार हमारे रीड़ की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दुरी बड़ जाती है Gap आ जाता है - ये चुना ही ठीक करता है उसको; रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चुने से ठीक होता है । अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे जादा चुने में है । चुना खाइए सुबह को खाली पेट ।

अगर मुह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चुना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है , मुह में अगर छाले हो गए है तो चुने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है । शारीर में जब खून कम हो जाये तो चुना जरुर लेना चाहिए , अनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अछि दावा है ये चुना , चुना पीते रहो गन्ने के रस में , या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में - अनार के रस में चुना पिए खून बहुत बढता है , बहुत जल्दी खून बनता है - एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चुना सुबह खाली पेट ।

भारत के जो लोग चुने से पान खाते है, बहुत होसियार लोग है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू ज़हर है और चुना अमृत है .. तो चुना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चुने का उसमे कत्था मत लगाइए, कत्था कन्सर करता है, पान में सुपारी मत डालिए सोंट डालिए उसमे , इलाइची डालिए , लोंग डालिए. केशर डालिए ; ये सब डालिए पान में चुना लगाके पर तम्बाकू नही , सुपारी नही और कत्था नही ।

अगर आपके घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चुना खाते रहिये और हाड़सिंगार के पत्ते का काड़ा खाइए घुटने बहुत अछे काम करेंगे । राजीव भाई कहते है चुना खाइए पर चुना लगाइए मत किसको भी ..ये चुना लगाने के लिए नही है खाने के लिए है ; आजकल हमारे देश में चुना लगाने वाले बहुत है पर ये भगवान ने खाने के लिए दिया है ।

अंकुरित अनाज के फायदे

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अंकुरित अनाज को स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। अंकुरित अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसीलिए हेल्दी रहने के लिए अंकुरित अनाज का सेवन बहुत जरूरी है। आपको अंकुरित अनाज के फायदों के बारे में भी पता होना चाहिए। यदि आप यह जान जाएंगे कि अंकुरित अनाज आपको कैसे फिट रखता है तो आप खुद-ब-खुद अंकुरित अनाज का सेवन करेंगे। यह जानना भी जरूरी है कि आखिर आपको अंकुरित अनाज के क्या फायदे हो सकते हैं। आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि क्या अं‍कुरित अनाज कैलोरी से भरपूर होता है या नहीं। इतना ही नहीं आपको यह भी पता होना चाहिए कि अंकुरित अनाज के जरिए आप वजन घटा सकते हैं या नहीं। तो आइए जानें अंकुरित अनाज के फायदे क्या -क्या हैं।

अंकुरित अनाज के फायदे

नाश्ता- आमतौर पर अंकुरित अनाज नाश्ते के रूप में लिया जाना चाहिए। आपको नाश्ता हैवी करना चाहिए। ऐसे में आप अंकुरित अनाज से नाश्ता करेंगे तो आपको बहुत फायदा होगा। इतना ही नहीं आप यदि सोयाबीन, काले चने, मूंग दाल, मोंठ, इत्यादि को अंकुरित करके खाएंगे तो इन खाघ पदार्थों में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी हो जाएगी।

पाचन तंत्र बनता है मजबूत- अंकुरित अनाज खाने से आपकी पेट संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। फाइबरयुक्त रेशेदार अंकुरित अनाज खाने से आपका पाचनतंत्र मजबूत बनता है।

पोषक तत्वों से भरपूर- अंकुरित अनाज एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए,बी,सी, ई से भरपूर होता है। इतना ही नहीं इसमें फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम, जिंक और मैग्नीशियम जैसी पौष्टिक तत्व भी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट से जहां व्यक्ति का इम्‍यून सिस्टम मजबूत होता है वहीं कैल्शियम से हडि्डयों में ताकत आती है। आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है। अन्य पोषक तत्व व्यक्ति को स्वस्थ और फिट रखने में कारगर है।

प्रोटीन युक्त-अंकुरित अनाज में बहुत सारे प्रोटीन होते हैं जो कि शरीर को मजबूत रखने और बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है।

कम कैलोरी युक्त-अंकुरित अनाज में कैलोरी बहुत कम होती है जो कि मोटे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इतना ही नहीं जो लोग नहीं चाहते कि उनका वजन बढ़े, उन्हें भी अंकुरित अनाज खाना चाहिए।


अंकुरित अनाज के अन्य फायदे -

यह रक्त को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह एक प्राकृतिक पौष्टिक आहार है, इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।

यह वसायुक्त है और व्‍यक्‍ित को मोटापे से बचाता है।

यह बहुत ही स्वादिष्ट फूड है।

इस आसानी से पचाया जा सकता है।

दालों इत्यादि को अंकुरित करने से इनकी पौष्टिकता अधिक बढ़ जाती है।

व्यक्ति को चुस्त-दुरूस्त और स्वस्थ रहने के लिए अंकुरित अनाज से बढि़या कोई उपाय नहीं।

यदि आपको भूख ना लगने की समस्या है तो अंकुरित अनाज खाकर इस समस्या को हल किया जा सकता है।

नवजात शिशु में मानसिक, शारीरिक दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है यदि गर्भवस्था के दौरान महिला अंकुरित अनाज का सेवन करती है।

अंकुरित अनाज को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें टमाटर,प्याज,धनिया,खीरा,नींबू,काली मिर्च और नमक जैसी चीजों को मिलाया जा सकता है।
Photo: अंकुरित अनाज के फायदे ------
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अंकुरित अनाज को स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। अंकुरित अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसीलिए हेल्दी रहने के लिए अंकुरित अनाज का सेवन बहुत जरूरी है। आपको अंकुरित अनाज के फायदों के बारे में भी पता होना चाहिए। यदि आप यह जान जाएंगे कि अंकुरित अनाज आपको कैसे फिट रखता है तो आप खुद-ब-खुद अंकुरित अनाज का सेवन करेंगे। यह जानना भी जरूरी है कि आखिर आपको अंकुरित अनाज के क्या फायदे हो सकते हैं। आपके लिए यह भी जानना जरूरी है कि क्या अं‍कुरित अनाज कैलोरी से भरपूर होता है या नहीं। इतना ही नहीं आपको यह भी पता होना चाहिए कि अंकुरित अनाज के जरिए आप वजन घटा सकते हैं या नहीं। तो आइए जानें अंकुरित अनाज के फायदे क्या -क्या हैं। 

अंकुरित अनाज के फायदे    

    नाश्ता- आमतौर पर अंकुरित अनाज नाश्ते के रूप में लिया जाना चाहिए। आपको नाश्ता हैवी करना चाहिए। ऐसे में आप अंकुरित अनाज से नाश्ता करेंगे तो आपको बहुत फायदा होगा। इतना ही नहीं आप यदि सोयाबीन, काले चने, मूंग दाल, मोंठ, इत्यादि को अंकुरित करके खाएंगे तो इन खाघ पदार्थों में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी हो जाएगी।

    पाचन तंत्र बनता है मजबूत- अंकुरित अनाज खाने से आपकी पेट संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। फाइबरयुक्त रेशेदार अंकुरित अनाज खाने से आपका पाचनतंत्र मजबूत बनता है।

    पोषक तत्वों से भरपूर- अंकुरित अनाज एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए,बी,सी, ई से भरपूर होता है। इतना ही नहीं इसमें फास्फोरस, आयरन, कैल्शियम, जिंक और मैग्नीशियम जैसी पौष्टिक तत्व भी होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट से जहां व्यक्ति का इम्‍यून सिस्टम मजबूत होता है वहीं कैल्शियम से हडि्डयों में ताकत आती है। आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाने में सहायक है। अन्य पोषक तत्व व्यक्ति को स्वस्थ और फिट रखने में कारगर है।

    प्रोटीन युक्त-अंकुरित अनाज में बहुत सारे प्रोटीन होते हैं जो कि शरीर को मजबूत रखने और बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है।

    कम कैलोरी युक्त-अंकुरित अनाज में कैलोरी बहुत कम होती है जो कि मोटे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इतना ही नहीं जो लोग नहीं चाहते कि उनका वजन बढ़े, उन्हें भी अंकुरित अनाज खाना चाहिए।


अंकुरित अनाज के अन्य फायदे -

    यह रक्त को साफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह एक प्राकृतिक पौष्टिक आहार है, इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।

यह वसायुक्त है और व्‍यक्‍ित को मोटापे से बचाता है।

यह बहुत ही स्वादिष्ट फूड है।

इस आसानी से पचाया जा सकता है।

दालों इत्यादि को अंकुरित करने से इनकी पौष्टिकता अधिक बढ़ जाती है।

व्यक्ति को चुस्त-दुरूस्त और स्वस्थ रहने के लिए अंकुरित अनाज से बढि़या कोई उपाय नहीं।

यदि आपको भूख ना लगने की समस्या है तो अंकुरित अनाज खाकर इस समस्या को हल किया जा सकता है।

नवजात शिशु में मानसिक, शारीरिक दुर्बलताओं को दूर किया जा सकता है यदि गर्भवस्था के दौरान महिला अंकुरित अनाज का सेवन करती है।

अंकुरित अनाज को स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें टमाटर,प्याज,धनिया,खीरा,नींबू,काली मिर्च और नमक जैसी चीजों को मिलाया जा सकता है।

माइग्रेन (आधे सिर का दर्द) MIGRAINE/HEMIRANIA

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इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर में बहुत तेज दर्द होता है तथा यह दर्द सिर के एक भाग में होता है। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का लक्षण:-

इस रोग से पीड़ित रोगी के सिर के आधे भाग में तेज दर्द होता है तथा सिर में दर्द होने के साथ-साथ रोगी को उल्टी होने की इच्छा भी होती है। इसके अलावा रोगी को चिड़चडाहट तथा दृष्टिदोष भी उत्पन्न होने लगता है। इस रोग का प्रभाव अधिकतर निश्चित समय पर होता है।

माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग होने का कारण-

1. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग रोगी व्यक्ति को दूसरे रोगों के फलस्वरूप हो जाता है जैसे- नजला, जुकाम, शरीर के अन्य अंग रोग ग्रस्त होना, पुरानी कब्ज आदि।

2. स्त्रियों को यदि मासिकधर्म में कोई गड़बड़ी हो जाती है तो इसके कारण स्त्रियों को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


3. आंखों में दृष्टिदोष तथा अन्य रोग होने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।

4. यकृत (जिगर) में किसी प्रकार की खराबी तथा शरीर में अधिक कमजोरी आ जाने के कारण व्यक्ति को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


5. असंतुलित भोजन का अधिक उपयोग करने के कारण रोगी को माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो सकता है।

6. अधिक श्रम-विश्राम करने, शारीरिक तथा मानसिक तनाव अधिक हो जाने के कारण भी यह रोग व्यक्तियों को हो सकता है।


7. औषधियों का अधिक उपयोग करने के कारण भी माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) हो जाता है।


माइग्रेन रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-


1. इस रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को रसाहार (चुकन्दर, ककड़ी, पत्तागोभी, गाजर का रस तथा नारियल पानी) आदि का सेवन भोजन में करना चाहिए और इसके साथ-साथ उपवास रखना चाहिए।

माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को अधिक मात्रा में फल, सलाद तथा अंकुरित भोजन करना चाहिए और इसके बाद सामान्य भोजन का सेवन करना चाहिए।


3. रोगी व्यक्ति को अपने भोजन में मेथी, बथुआ, अंजीर, आंवला, नींबू, अनार, अमरूद, सेब, संतरा तथा धनिया अधिक लेना चाहिए। माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) से पीड़ित रोगी को भोजन संबन्धित गलत आदतों जैसे- रात के समय में देर से भोजन करना तथा समय पर भोजन न करना आदि को छोड़ देना चाहिए।

4. रोगी व्यक्ति को मसालेदार भोजन का उपयोग नहीं करना चाहिए तथा इसके अलावा बासी, डिब्बाबंद तथा मिठाइयों आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।


5. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग में रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ सुबह के समय में चाटना चाहिए तथा इसके अलावा दूब का रस भी सुबह के समय में चाट सकते हैं। जिसके फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

6. माइग्रेन रोग (आधे सिर में दर्द) का इलाज करने के लिए पीपल के कोमल पत्तों का रस रोगी व्यक्ति को सुबह तथा शाम सेवन करने के लिए देने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


7. माइग्रेन रोग का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति के माथे पर पत्ता गोभी का पत्ता प्रतिदिन बांधना चाहिए, जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


8. प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा नाक से भाप देकर रोगी व्यक्ति के माइग्रेन रोग को ठीक किया जा सकता है। नाक से भाप लेने के लिए सबसे पहल एक छोटे से बर्तन में गर्म पानी लेना चाहिए। इसके बाद रोगी को उस बर्तन पर झुककर नाक से भाप लेना चाहिए। इस क्रिया को कुछ दिनों तक करने के फलस्वरूप माइग्रेन रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।


9. माइग्रेन रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकर के स्नान भी हैं जिन्हे प्रतिदिन करने से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है। ये स्नान इस प्रकार हैं-रीढ़स्नान, कुंजल, मेहनस्नान तथा गर्मपाद स्नान।


10. माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) रोग का इलाज करने के लिए प्रतिदिन ध्यान, शवासन, योगनिद्रा, प्राणायाम या फिर योगासन क्रिया करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

अजीर्ण (Dyspesia)

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अजीर्ण रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार के अन्य रोग भी हो जाते हैं तथा इस रोग को कई प्रकार के अन्य नामों से भी जाना जाता है जो इस प्रकार हैं- बदहजमी, मन्दाग्नि, अपच तथा अग्निमान्द्य। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

अजीर्ण रोग होने के कारण:-

अजीर्ण रोग होने का सबसे प्रमुख कारण पेट में कब्ज बनना है।

अजीर्ण रोग होने के लक्षण:-
अजीर्ण रोग होने के कारण भोजन करने के बाद रोगी व्यक्ति का भोजन ठीक से नहीं पचता है, उसे खट्टी-खट्टी डकारे आने लगती है तथा उसका पेट फूलने लगता है। रोगी व्यक्ति के पेट में हल्का-हल्का दर्द होने लगता है, गले तथा हृदय में जलन होने लगती है, मुंह के अन्दर से पानी बाहर आने लगता है, जी-मिचलाने लगता है, दिल की धड़कन तेज हो जाती है, मलक्रिया बन्द हो जाती है। इसके अलावा दिमागी परेशानी, घबराहट तथा भूख न लगना आदि समस्याएं भी रोगी को हो जाती है।

अजीर्ण रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-

1. अजीर्ण रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को शुरू के 3 दिन कागजी नींबू के रस का सेवन कराके उपवास रखवाना चाहिए या फिर कुछ दिनों तक फलों का रस पिलाना चाहिए।
2. संतरा, गाजर तथा टमाटर के रस का अधिक मात्रा में सेवन करने से भी अर्जीण रोग ठीक हो जाता है।
3. अजीर्ण रोग से पीड़ित रोगी को 4-5 दिनों तक आवश्यकता से कम भोजन का सेवन करना चाहिए। सुबह के समय में एक मीठा सेब या फिर पका टमाटर, दोपहर के समय कोई उबाली हुई सब्जी तथा तीसरे पहर के समय में गाजर, टमाटर, अनानास का रस और रात के समय में थोड़ी-सी उबाली हुई सब्जी या फिर इन सभी चीजों का रस पीना चाहिए। इन दिनों में उपचार करने के साथ-साथ रोगी व्यक्ति को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
4. रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए तथा पाचनशक्ति को बढ़ाने के लिए सादा और साधारण भोजन करना चाहिए। इसके साथ-साथ रोगी को हल्का व्यायाम भी करना चाहिए।
5. अजीर्ण रोग को ठीक करने के लिए शुश्क तथा घर्षण स्नान करना चाहिए और इसके साथ-साथ हल्का व्यायाम भी करना चाहिए। यदि साधारण अर्जीण रोग है तो वह मात्र इतने उपचार से ही ठीक हो जाता है लेकिन जब यह रोग अधिक गंभीर, प्रबल तथा पुराना होता है उसे ठीक होने में कुछ समय लग सकता है।
प्रबल तथा पुराने अजीर्ण रोग को निम्नलिखित प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक किया जा सकता है :-
1. रोगी व्यक्ति को प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार बताए गए एप्सम साल्ट बाथ करना (गुनगुने पानी में नमक थोड़ा सा नमक मिलकर उस पानी से स्नान करने को एप्सम साल्ट बाथ कहते है।) चाहिए। प्रतिदिन गरम पानी में तौलिया भिगोकर उस तौलिए से पेट की मांसपेशियों की कुछ मिनटों तक सिंकाई करनी चाहिए। इस क्रिया को करने के साथ-साथ बीच-बीच में 3 से 4 मिनट तक ठंडे पानी में तौलिए को भिगोंकर सिंकाई करनी चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
2. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार अजीर्ण रोग को ठीक करने के लिए रात के समय में रोगी के पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए।
3. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोगी की कमर पर गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए।
4. रोगी व्यक्ति को भोजन करने से 30 मिनट पहले 1 गिलास ठंडे पानी में एक कागजी नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे अजीर्ण रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
5. यदि इस रोग से पीड़ित रोगी का अजीर्ण रोग बहुत ज्यादा गंभीर हो गया हो तो प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोगी व्यक्ति के पूरे शरीर को भीगी चादर की लपेट करना चाहिए फिर इसके बाद वाष्प स्नान करना चाहिए। इससे यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
6. अजीर्ण रोग को प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक करने के लिए रोगी को उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद गरम और ठण्डा पेट स्नान करना चाहिए। इस प्रकार से स्नान करना ज्यादा लाभकारी होता है।
7. रोगी व्यक्ति को 5 मिनट तक गरम पानी से उदर स्नान करने के बाद 3 मिनट तक ठंडे पानी से उदर स्नान करना चाहिए। इसके बाद इस क्रिया को प्रतिदिन कम से कम 3 से 4 बार दोहराना चाहिए।
8. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार धनुरासन और उत्थान पादासन क्रिया से अर्जीण रोग का इलाज करने से रोगी व्यक्ति जल्दी ही ठीक हो जाता है।
9. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार अर्जीण रोग को ठीक करने के लिए नीली बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना 4 बार सेवन करने से रोगी व्यक्ति जल्दी ही ठीक हो जाता है।
Photo: अजीर्ण (Dyspesia) ---------
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    अजीर्ण रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार के अन्य रोग भी हो जाते हैं तथा इस रोग को कई प्रकार के अन्य नामों से भी जाना जाता है जो इस प्रकार हैं- बदहजमी, मन्दाग्नि, अपच तथा अग्निमान्द्य। इस रोग का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से किया जा सकता है।

अजीर्ण  रोग होने के कारण:-

          अजीर्ण  रोग होने का सबसे प्रमुख कारण पेट में कब्ज बनना है।

अजीर्ण रोग होने के लक्षण:-
          अजीर्ण  रोग होने के कारण भोजन करने के बाद रोगी व्यक्ति का भोजन ठीक से नहीं पचता है, उसे खट्टी-खट्टी डकारे आने लगती है तथा उसका पेट फूलने लगता है। रोगी व्यक्ति के पेट में हल्का-हल्का दर्द होने लगता है, गले तथा हृदय में जलन होने लगती है, मुंह के अन्दर से पानी बाहर आने लगता है, जी-मिचलाने लगता है, दिल की धड़कन तेज हो जाती है, मलक्रिया बन्द हो जाती है। इसके अलावा दिमागी परेशानी, घबराहट तथा भूख न लगना आदि समस्याएं भी रोगी को हो जाती है।

अजीर्ण  रोग से पीड़ित व्यक्ति का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-  

1. अजीर्ण रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से इलाज करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को शुरू के 3 दिन कागजी नींबू के रस का सेवन कराके उपवास रखवाना चाहिए या फिर कुछ दिनों तक फलों का रस पिलाना चाहिए।
2. संतरा, गाजर तथा टमाटर के रस का अधिक मात्रा में सेवन करने से भी अर्जीण रोग ठीक हो जाता है।
3. अजीर्ण रोग से पीड़ित रोगी को 4-5 दिनों तक आवश्यकता से कम भोजन का सेवन करना चाहिए। सुबह के समय में एक मीठा सेब या फिर पका टमाटर, दोपहर के समय कोई उबाली हुई सब्जी तथा तीसरे पहर के समय में गाजर, टमाटर, अनानास का रस और रात के समय में थोड़ी-सी उबाली हुई सब्जी या फिर इन सभी चीजों का रस पीना चाहिए। इन दिनों में उपचार करने के साथ-साथ रोगी व्यक्ति को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए। इससे यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
4. रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक उपवास रखना चाहिए तथा पाचनशक्ति को बढ़ाने के लिए सादा और साधारण भोजन करना चाहिए। इसके साथ-साथ रोगी को हल्का व्यायाम भी करना चाहिए।
5. अजीर्ण रोग को ठीक करने के लिए शुश्क तथा घर्षण स्नान करना चाहिए और इसके साथ-साथ हल्का व्यायाम भी करना चाहिए। यदि साधारण अर्जीण रोग है तो वह मात्र इतने उपचार से ही ठीक हो जाता है लेकिन जब यह रोग अधिक गंभीर, प्रबल तथा पुराना होता है उसे ठीक होने में कुछ समय लग सकता है।
प्रबल तथा पुराने अजीर्ण  रोग को निम्नलिखित प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक किया जा सकता है :-
1. रोगी व्यक्ति को प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार बताए गए एप्सम साल्ट बाथ करना (गुनगुने पानी में नमक थोड़ा सा नमक मिलकर उस पानी से स्नान करने को एप्सम साल्ट बाथ कहते है।) चाहिए। प्रतिदिन गरम पानी में तौलिया भिगोकर उस तौलिए से पेट की मांसपेशियों की कुछ मिनटों तक सिंकाई करनी चाहिए। इस क्रिया को करने के साथ-साथ बीच-बीच में 3 से 4 मिनट तक ठंडे पानी में तौलिए को भिगोंकर सिंकाई करनी चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
2. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार अजीर्ण रोग को ठीक करने के लिए रात के समय में रोगी के पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए।
3. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोगी की कमर पर गीली मिट्टी की पट्टी लगानी चाहिए।
4. रोगी व्यक्ति को भोजन करने से 30 मिनट पहले 1 गिलास ठंडे पानी में एक कागजी नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे अजीर्ण रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
5. यदि इस रोग से पीड़ित रोगी का अजीर्ण रोग बहुत ज्यादा गंभीर हो गया हो तो प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार रोगी व्यक्ति के पूरे शरीर को भीगी चादर की लपेट करना चाहिए फिर इसके बाद वाष्प स्नान करना चाहिए। इससे यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
6. अजीर्ण रोग को प्राकृतिक चिकित्सा से ठीक करने के लिए रोगी को उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद गरम और ठण्डा पेट स्नान करना चाहिए। इस प्रकार से स्नान करना ज्यादा लाभकारी होता है।
7. रोगी व्यक्ति को 5 मिनट तक गरम पानी से उदर स्नान करने के बाद 3 मिनट तक ठंडे पानी से उदर स्नान करना चाहिए। इसके बाद इस क्रिया को प्रतिदिन कम से कम 3 से 4 बार दोहराना चाहिए।
8. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार धनुरासन और उत्थान पादासन क्रिया से अर्जीण रोग का इलाज करने से रोगी व्यक्ति जल्दी ही ठीक हो जाता है।
9. प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार अर्जीण रोग को ठीक करने के लिए नीली बोतल का सूर्यतप्त जल 25 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना 4 बार सेवन करने से रोगी व्यक्ति जल्दी ही ठीक हो जाता है।

घरेलू नुस्खों से दूर करें दर्द

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जिस तरह का जीवन हम जी रहे हैं, उसमें सिरदर्द होना एक आम बात है। लेकिन यह दर्द हमारी दिनचर्या में शामिल हो जाए तो हमारे लिए बहुत कष्टदायी हो जाता है। दर्द से छुटकारा पाने के लिए हम पेन किलर घरेलू उपाय अपनाकर इसे दूर कर सकते हैं। इन घरेलू उपायों के कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होते। 

1. अदरक: अदरक एक दर्द निवारक दवा के रूप में भी काम करती है। यदि सिरदर्द हो रहा हो तो सूखी अदरक को पानी के साथ पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे अपने माथे पर लगाएं। इसे लगाने पर हल्की जलन जरूर होगी लेकीन यह सिरदर्द दूर करने में मददगार होती है।

2. सोडा: पेट में दर्द होने पर कप पानी में एक चुटकी खाने वाला सोडा डालकर पीने से पेट दर्द में राहत मिलती है। सि्त्रयो के मासिक धर्म के समय पेट के नीचे होने वाले दर्द को दूर करने मे खाने वाला सोडा पानी में मिलाकर पीने से दर्द दूर होता है। एसिडिटी होने पर एक चुटकी सोडा, आधा चम्मच भुना और पिसा हुआ जीरा, 8 बूंदे नींबू का रस और स्वादानुसार नमक पानी में मिलाकर पीने से एसिडिटी में राहत मिलती है।

3. अजवायन: सिरदर्द होने पर एक चम्मच अजवायन को भूनकर साफ सूती कपडे में बांधकर नाक के पास लगाकर गहरी सांस लेने से सिरदर्द में राहत मिलती है। ये प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक आपका सिरदर्द ठीक नहीं हो जाता। पेट दर्द को दूर करने में भी अजवायन सहायक होती है। पेट दर्द होने पर आधा चम्मच अजवायन को पानी के साथ फांखने से पेट दर्द में राहत मिलती है।

4. बर्फ : सिरदर्द में बर्फ की सिंकाई करना बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा स्पॉन्डिलाइटिस में भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है। गर्दन में दर्द होने पर भी बर्फ की सिंकाई लाभदायक होती है।

5. हल्दी: हल्दी कीटाणुनाशक होती है। इसमें एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक और दर्द निवारक तत्व पाए गए हैं। ये तत्व चोट के दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। घाव पर हल्दी का लेप लगाने से वह ठीक हो जाता है। चोट लगने पर दूध में हल्दी डालकर पीने से दर्द में राहत मिलती है। एक चम्मच हल्दी में आधा चम्मच काला गर्म पानी के साथ फांखने से पेट दर्द व गैस में राहत मिलती है।

6. तुलसी के पत्ते: तुलसी में बहुत सारे औषधीय तत्व पाए जाते हैं। तुलसी की पत्तियों को पीसकर चंदन पाउडर में मिलाकर पेस्ट बना लें। दर्द होने पर प्रभावित जगह पर उस लेप को लगाने से दर्द में राहत मिलेगी। एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर हल्का गुनगुना करके खाने से गले की खराश और दर्द दूर हो जाता है। खांसी में भी तुलसी का रस काफी फायदेमंद होता है।

7. मेथी: एक चम्मच मेथी दाना में चुटकी भर पिसी हुई हींग मिलाकर पानी के साथ फांखने से पेटदर्द में आराम मिलता है। मेथी डायबिटीज में भी लाभदायक होती है। मेथी के लड्डू खाने से जोडों के दर्द में लाभ मिलता है।

8. हींग: हींग दर्द निवारक और पित्तवर्द्धक होती है। छाती और पेटदर्द में हींग का सेवन लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर पकाने और उसे बच्चो की नाभि के चारो ओर उसका लेप करने से दर्द में राहत मिलती है।

9. सेब: सुबह खाली पेट प्रतिदिन एक सेब खाने से सिरदर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। चिकित्सकों का मानना है कि सेब का नियमित सेवन करने से रोग नहीं घेरते।

10. करेला: करेले का रस पीने से पित्त में लाभ होता है। जोडों के दर्द में करेले का रस लगाने से काफी राहत मिलती है।

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ये है सनातन धर्म के संस्कार

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