16 July 2013

Burn Stomach Fat & Reduce


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करौंदा

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कच्चा करौंदा खट्‌टा और भारी होता है। प्यास को शान्त करने में अति उत्तम है। रक्‍त पित्त को हरता है, गरम तथा रूचिकारी होता है। पका करौंदा, हल्का मीठा रूचिकर और वातहारी होता है। करोंदा में व्याप्त दोषों को नमक, मिर्च और मीठे पदार्थ दूर हो जाते हैं।
- कच्चे करौंदे का अचार बहुत अच्छा होता है।
- इसकी लकड़ी जलाने के काम आती है।
- फलों के चूर्ण के सेवन से पेट दर्द में आराम मिलता है। - करोंदा भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है, प्यास रोकता है और दस्त को बंद करता है। ख़ासकर पैत्तिक दस्तों के लिये तो अत्यन्त ही लाभदायक है।
- सूखी खाँसी होने पर करौंदा की पत्तियों के रस का सेवन लाभकारी होता है।
- पातालकोट में आदिवासी करौंदा की जड़ों को पानी के साथ कुचलकर बुखार होने पर शरीर पर लेपित करते है और गर्मियों में लू लगने और दस्त या डायरिया होने पर इसके फ़लों का जूस तैयार कर पिलाया जाता है, तुरंत आराम मिलता है।
- खट्टी डकार और अम्ल पित्त की शिकायत होने पर करौंदे के फलों का चूर्ण काफ़ी फ़ायदा करता है, आदिवासियों के अनुसार यह चूर्ण भूख को बढ़ाता है, पित्त को शांत करता है।
- करोंदा के फल को खाने से मसूढ़ों से खून निकलना ठीक होता है, दाँत भी मजबूत होते हैं। फलों से सेवन रक्त अल्पता में भी फ़ायदा मिलता है।
- सर्प के काटने पर करौंदे की जड़ को पानी में उबालकर क्वाथ करें। फिर इस क्वाथ को सर्प काटे रोगी को पिलाने से लाभ होता है।
- घाव के कीड़ों और खुजली पर करौंदे की जड़ निकाल कर पानी में साफ़ धोकर उसे पानी के साथ महीन पीस कर फिर तेल में डालकर खूब पकायें, फिर इस तेल का प्रयोग घाव के कीड़ों और खुजली पर करने से फायदा पहुँचता है।
- ज्वर आने पर करौंदे की जड़ का क्वाथ बनाकर देने से लाभ मिलता है।
- खांसी में करौंदे के पत्‍तों के अर्स को निकालकर उसमें शहद मिलाकर चाटना श्रेष्ठ है।
- जलंदर रोग में करौंदों का शर्बत, हर दिन एक तोला दूसरे दिन दो तोला तीसरे दिन तीन तोला इसी प्रकार एक हफ्ते तक एक तोला रोज बढ़ाते जाए। एक हफ्ते के भीतर लाभ मिलना शुरू हो जायेगा।
- करौंदा का प्रयोग मूंगा व चांदी की भस्म बनाने में भी किया जाता है। मूंगा भस्म बनाने के लिये कच्चे करौंदों को लेकर बारीक पीसें फिर उसकी भली भांति लुगदी बनाकर उस लुगदी में मूगों को रखें फिर उस लुगदी के ऊपर सात कपट मिट्टी कर, उपलों की आग में रखकर फूंके। पहले मन्दाग्नि, बीच में मध्यम तीक्ष्ण अग्नि दें तो मूंगा भस्म बन जायेगी।
- चांदी की भस्म करने के लिये करौंदों की लुग्दी बनाकर ऊपर की विधि द्वारा सही सम्पुट बनाकर फूकें। इस प्रकार इक्कीस बार फूंकने पर चांदी की भस्म बनेगी।
- करौंदे का रस हाय ब्लड प्रेशर को कम करता है .
- करौंदे का सेवन करने के महिलाओं की मुख्य समस्या 'रक्तहीनता' (एनीमिया) से छूटकारा पाया जा सकता है । ग्रामीण व शहरी भाई-बहन इस पौष्टिक फल के शरबत और स्क्वेश बना कर पी सकते है।


करेला खाने के लाभ

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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।


करेला के फायदे ---------
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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।

करेला खाने के लाभ

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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।


करेला के फायदे ---------
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करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन सेहत के लिहाज से यह बहुत फायदेमंद होता है। करेले में अन्य सब्जी या फल की तुलना में ज्यादा औषधीय गुण पाये जाते हैं। करेला खुश्क तासीर वाली सब्जी‍ है। यह खाने के बाद आसानी से पच जाता है। करेले में फास्फोरस पाया जाता है जिससे कफ की शिकायत दूर होती है। करेले में प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, फास्फोरस और विटामिन पाया जाता है। आइए हम आपको कडवे करेले के गुणों के बारे में बताते हैं।

करेला खाने के लाभ –

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है।
दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।


लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
डायबिटीज के लिए करेला रामबाण इलाज है। करेला खाने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
करेला खून साफ करता है। करेला खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है।

Jai Bhole Nath

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व्याधीनुसार रस – चित्किसा

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बवासीर के लिए – ताजी छाज १०० – २०० मि.ली., अनार, अंगूर और आँवले के रस १५ – २५ मि.ली. और ग्वारपाठा रस २५ मि.ली. |

मधुमेह के लिए – नारियल पानी ५० – १०० मि.ली., करेला का रस २५ -५० मि.ली., बिल्वपत्र, नींम और तुलसी के पत्तों का रस १० – १५ मि.ली.|

रक्तविकार (रक्तशुद्धि हेतु ) – आँवला, नींबू, गाजर और ताजी हल्दी का रस १० – २० मि.ली., सेवफल, मीठे अनार व गिलोय का रस १५ – २० मि.ली., दूब (घास) का रस १० – २० मि.ली., लौकी का रस २० – २५ मि.ली., तुलसी का रस ५ – १० मि.ली. नीम और बेल के पत्तों का रस १० – २० मि.ली.|

उच्च रक्तचाप के लिए – आँवला, गाजर (बीच में पीला हिस्सा निकालकर), अंगूर, मोसंबी, मीठे अनार और ज्वारों का रस | मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है |


निम्न रक्तचाप – मीठे फलोंका रस लें किंतु खट्टे फलों का उपयोग न करें | आम, अंगूर और मोसंबी का रस अथवा दूध, खजूर भी लाभदायी है |

पीलिया (jaundice) – अंगूर, सेफ, ग्वारपाठा, एरंड के पत्ते का रस १० मि.ली., रासबेरी और मोसंबी का रस, अंगूर अथवा किसमिस का पानी पीने से भी लाभ होता है | गन्ना चबा-चबाके खाकर उसका रस पीने से लाभ होता है | केला के ऊपर १.५ ग्राम चुना लगाकर थोड़ी देर रखकर खाने से भी फायदा होता है |

केन्सर – ज्वारों का रस, आँवला, गिलोय और तुलसी के पत्तों का रस पीने से भी फायदा होता है |


व्याधीनुसार रस – चित्किसा -2 -----
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बवासीर के लिए – ताजी छाज १०० – २०० मि.ली., अनार, अंगूर और आँवले के रस १५ – २५ मि.ली. और ग्वारपाठा रस २५ मि.ली. |

मधुमेह के लिए – नारियल पानी ५० – १०० मि.ली., करेला का रस २५ -५० मि.ली., बिल्वपत्र, नींम और तुलसी के पत्तों का रस १० – १५ मि.ली.|

रक्तविकार (रक्तशुद्धि हेतु ) – आँवला, नींबू, गाजर और ताजी हल्दी का रस १० – २० मि.ली., सेवफल, मीठे अनार व गिलोय का रस १५ – २० मि.ली., दूब (घास) का रस १० – २० मि.ली., लौकी का रस २० – २५ मि.ली., तुलसी का रस ५ – १० मि.ली. नीम और बेल के पत्तों का रस १० – २० मि.ली.|

उच्च रक्तचाप के लिए – आँवला, गाजर (बीच में पीला हिस्सा निकालकर), अंगूर, मोसंबी, मीठे अनार और ज्वारों का रस | मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है |


निम्न रक्तचाप – मीठे फलोंका रस लें किंतु खट्टे फलों का उपयोग न करें | आम, अंगूर और मोसंबी का रस अथवा दूध, खजूर भी लाभदायी है |

पीलिया (jaundice) – अंगूर, सेफ, ग्वारपाठा, एरंड के पत्ते का रस १० मि.ली., रासबेरी और मोसंबी का रस, अंगूर अथवा किसमिस का पानी पीने से भी लाभ होता है | गन्ना चबा-चबाके खाकर उसका रस पीने से लाभ होता है | केला के ऊपर १.५ ग्राम चुना लगाकर थोड़ी देर रखकर खाने से भी फायदा होता है |

केन्सर – ज्वारों का रस, आँवला, गिलोय और तुलसी के पत्तों का रस पीने से भी फायदा होता है |

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