www.goswamirishta.com
करेला एक ऐसी सब्जी है जो बहुत कम लोगों को अच्छी लगती है। इसका स्वाद कड़वा है इसीलिए अधिकतर लोग इसे खाने से परहेज करते हैं लेकिन इसके स्वाद के ठीक विपरीत है इसका स्वभाव है। यह जितना कड़वा स्वाद में होता है उससे कहीं ज्यादा मीठे गुणों से भरपूर होता है। यह एक गुणों से भरी सब्जी है।
करेले में होते हैं ये पोषक तत्व
करेले में गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इसमें 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15 ग्राम प्रोटीन,20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस,18 मिलीग्राम लोह तत्व, विटामिन ए, विटामिन-सी के अलावा इसमें गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इन सभी पौषक तत्वों के कारण करेला केवल सब्जी न होकर औषधि का काम भी करता है। इसके औषधीय गुण इस प्रकार हैं।
मोटापा कम करने के लिए
- विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है।करेले का रस और 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।पथरी रोगी को 2 करेले का रस प्रतिदिन पीना चाहिए और इसकी सब्जी खाना चाहिए। इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
डायबिटीज का उपाय
- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता है।इसके फल या पत्ते का रस एक चम्मच शकर मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में बड़ा लाभ होता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर, पीसकर महीन चूर्ण बना लें। छः ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलेगा।
एसिडिटी का पक्का इलाज
- करेले के तीन बीज और तीन कालीमिर्च को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर बच्चों को पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।
करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से अम्लपित्त के रोगियों को भोजन से पहले होने वाली उल्टी बंद होती है।
करेले में होते हैं ये पोषक तत्व
करेले में गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इसमें 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15 ग्राम प्रोटीन,20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस,18 मिलीग्राम लोह तत्व, विटामिन ए, विटामिन-सी के अलावा इसमें गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड पाए जाते हैं। इन सभी पौषक तत्वों के कारण करेला केवल सब्जी न होकर औषधि का काम भी करता है। इसके औषधीय गुण इस प्रकार हैं।
मोटापा कम करने के लिए
- विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है।करेले का रस और 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है और मोटापा कम होता है।पथरी रोगी को 2 करेले का रस प्रतिदिन पीना चाहिए और इसकी सब्जी खाना चाहिए। इससे पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।
डायबिटीज का उपाय
- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता है।इसके फल या पत्ते का रस एक चम्मच शकर मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में बड़ा लाभ होता है। करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर, पीसकर महीन चूर्ण बना लें। छः ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलेगा।
एसिडिटी का पक्का इलाज
- करेले के तीन बीज और तीन कालीमिर्च को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर बच्चों को पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।
करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से अम्लपित्त के रोगियों को भोजन से पहले होने वाली उल्टी बंद होती है।