4 October 2013

उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं

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जब पेट के पदार्थों का पूरे जोश के साथ मुंह और नाक के ज़रिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों क नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।
उल्टियों के घरेलू / आयुर्वेदिक उपचार
*.उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है किसी कार्बोनेट रहित सिरप का एक या दो चम्मच सेवन करना। इससे पाचन क्रिया में राहत मिलती है और उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। ऐसे सिरप में करबोहाइड्रेट मौजूद होते हैं जो पेट को ठंडा रखते हैं।
*.एक और उम्दा उपचार है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचनक्रिया अग्नि को बढ़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-नली को परेशान करनेवाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।
*.1 ग्राम हरड का चूर्ण शहद के साथ चटाने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है।
*.एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के ज़रिये बाहर निकाल दें, ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाए।
*.आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है।
*.सत अजवाइन , पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15-20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।
*.नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।
*.अगर आपने मदिरापान किया है और आप नहीं चाहते कि आपको उल्टी आये, तो सादी पाव-रोटी खाएं। पाव-रोटी आपकी पाचन क्रिया को संभालती है और आपके द्वारा सेवन की हुई मदिरा को आसानी से सोख लेती है।
*.उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए (यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए) भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।
*.जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाज़ार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढ़ाते हैं।.
*.तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं एवं उसे बढ़ावा देते हैं ।
*.खान। खाने के फ़ौरन बाद न सोयें।
*.जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।
*.उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा।
*.चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1/2 कप चावल 1 या 1-1/2 कप पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इस उल्टियाँ रुक जायेंगी।यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए।
*.एक चम्मच प्याज़ का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
*.एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।
*.सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
Photo: जब पेट के पदार्थों का पूरे जोश के साथ मुंह और नाक के ज़रिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों क नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।
उल्टियों के घरेलू / आयुर्वेदिक उपचार
*.उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है किसी कार्बोनेट रहित सिरप का एक या दो चम्मच सेवन करना। इससे पाचन क्रिया में राहत मिलती है और उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। ऐसे सिरप में करबोहाइड्रेट मौजूद होते हैं जो पेट को ठंडा रखते हैं।
*.एक और उम्दा उपचार है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचनक्रिया अग्नि को बढ़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-नली को परेशान करनेवाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।
*.1 ग्राम हरड का चूर्ण शहद के साथ चटाने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है। 
*.एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के ज़रिये बाहर निकाल दें, ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाए।
*.आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है।
*.सत अजवाइन , पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15-20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।
*.नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।
*.अगर आपने मदिरापान किया है और आप नहीं चाहते कि आपको उल्टी आये, तो सादी पाव-रोटी खाएं। पाव-रोटी आपकी पाचन क्रिया को संभालती है और आपके द्वारा सेवन की हुई मदिरा को आसानी से सोख लेती है।
*.उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए (यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए) भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।
*.जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाज़ार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढ़ाते हैं।.
*.तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं एवं उसे बढ़ावा देते हैं ।
*.खान। खाने के फ़ौरन बाद न सोयें।
*.जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाज़ू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।
*.उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा। 
*.चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1/2 कप चावल 1 या 1-1/2 कप पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इस उल्टियाँ रुक जायेंगी।यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए। 
*.एक चम्मच प्याज़ का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
*.एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।
*.सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।

पत्ता गोभी

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आपको पत्ता गोभी कैसे पसंद है ? सलाद में , सूप में या सब्जी में ? आइये जानते है इसके बारे में ......
- पत्तागोभी को कही बंद गोभी कहा जाता है, कहीं करमल्ला कहा जाता है। इसकी प्रकृति ठंडी होती है.
- पत्‍ता गोभी में दूध के बराबर कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। गोभी का बीच उत्‍तेजक, पाचन शक्ति को बढ़ाने वाला और पेट के कीड़ों को नष्‍ट करने वाला है।
- पेट दर्द के लिए गोभी बहुत फायदेमंद है। पेट दर्द होने पर गोभी की जड़, पत्‍ती, तना फल और फूल को चावल के पानी में पकाकर सुबह-शाम लेने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
- गोभी खाने से खून साफ होता है।
- गोभी का रस पीने से खून की खराबी दूर होती है और खून साफ होता है।
- हड्डियों का दर्द दूर करने के लिए गोभी के रस को गाजर के रस में बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से हड्डियों का दर्द दूर होता है।
- पीलिया के लिए भी गोभी का रस बहुत फायदेमंद है। गाजर और गोभी का रस मिलाकर पीने से पीलिया ठीक होता है।
- बवासीर होने पर जंगली गोभी का रस निकालकर, उसमें काली मिर्च और मिश्री मिलाकर पीने से बवासीर के मस्‍सों से खून निकलना बंद हो जाता है।
- खून की उल्‍टी होने पर गोभी का सेवन करने से फायदा होता है। गोभी की सब्‍जी या कच्‍ची गोभी खाने से खून की उल्टियां होना बंद हो जाती हैं।
- पेशाब में जलन होने पर गोभी का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाइए। इससे तुरंत आराम मिलता है।
- गले में सूजन होने पर गोभी के पत्‍तों का रस निकालकर दो चम्‍मच पानी मिलाकर खाने से फायदा होता है।
- पायरिया : पत्तागोभी के कच्चे पत्ते 50 ग्राम नित्य खाने से पायरिया व दाँतों के अन्य रोगों में लाभ होता है।
- पत्तागोभी में सेल्युलोस नामक तत्व मौजूद होता है, जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक है। यह तत्व शरीर से कोलेस्ट्रोल की मात्रा को दूर करता है। इसे मधुमेह के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है। यह खांसी, पित्त व रक्त विकार में भी लाभकारी है।
बाल गिरना : पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्ते प्रतिदिन खाने से गिरे हुए बाल उग आते हैं।
- घाव : इसका रस पीने से घाव ठीक होते हैं। इसके रस का आधा गिलास 5 बार पानी मिलाकर पीना चाहिए। घाव पर इसके रस की पट्टी बाँधें।
- बंदगोभी में ऐसे तत्‍व होते है जो कैंसर की रोकथाम करने और उसे होने से बचाने में मदद करता है। इसमें डिनडॉलीमेथेन ( डीआईएम ), सिनीग्रिन, ल्‍यूपेल, सल्‍फोरेन और इंडोल - 3 - कार्बीनॉल ( 13 सी) जैसे लाभदायक तत्‍व होते है। ये सभी कैंसर से बचाव करने में सहायक होते है।सुबह खाली पेट पत्तागोभी का कम से कम आधा कप रस रोजाना पीने से आरम्भिक अवस्था में कैंसर, बड़ी आंत का प्रवाह (बहना) ठीक हो जाता है।
- पत्‍ता गोभी, शरीर में इम्‍यूनिटी सिस्‍टम को स्‍ट्रांग बनाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जिससे बॉडी का इम्‍यूनिटी सिस्‍टम काफी मजबूत हो जाता है।
- यह अमीनो एसिड में सबसे समृद्ध होता है जो सूजन आदि को कम करता है।
- पत्‍ता गोभी के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम होता है। इसके लगातार सेवन से बॉडी में बीटा केराटिन बढ़ जाता है जिससे आंखे सही रहती है।
- हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि पत्‍ता गोभी के सेवन से अल्‍माइजर जैसी समस्‍याएं दूर हो जाती है। इसमें विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे अल्‍माइजर की समस्‍या दूर हो जाती है।
- पत्‍ता गोभी, पेप्टिक अल्‍सर के इलाज में सहायक होती है। इस रोग से पीडित व्‍यक्ति अगर वंदगोभी का नियमित सेवन करें तो उसे आराम मिल सकता है क्‍योंकि इसमें ग्‍लूटामाइन होता है जो अल्‍सर विरोधी होता है।
- इसके सेवन से वजन को भी कम किया जा सकता है। एक कप पकाई वंदगोभी में सिर्फ 33 कैलोरी होती है जो वजन नहीं बढ़ने देती। वंदगोभी का सूप शरीर को ऊर्जा देता है लेकिन वसा की मात्रा का घटा देता है।
- पत्‍ता गोभी में काफी ज्‍यादा मात्रा में एंटी - ऑक्‍सीडेंट होते है जो स्‍कीन की सही देखभाल करने के लिए पर्याप्‍त होते है।
- पत्‍ता गोभी में लैक्टिक एसिड काफी मात्रा में होती है जो मांसपेशियों के चोटिल होने और उसे रिकवर करने में काफी सहायक होती है।
- इसमे बहुत ज्‍यादा रेशा होता है जिसकी वजह से पाचन क्रिया अच्‍छे से होती है और पेट दरुस्‍त रहता है। इस वजह से कब्‍ज की समस्‍या कभी नहीं हो पाती।
- नींद की कमी, पथरी और मूत्र की रुकावट में पत्तागोभी लाभदायक है, इसकी सब्जी घी से छौंक लगाकर बनानी चाहिए।
- अनिद्रा में पत्तागोभी की सब्जी तथा रात को सोने से एक घंटा पहले 5 चम्मच रस पीने से खूब नींद आती है।
- सल्फर, क्लोरीन तथा आयोडीन साथ में मिल कर आँतों और आमाशय की म्यूकस परत को साफ करने में मदद करते हैं। इसके लिए कच्चे पत्तागोभी को नमक लगा कर खाना चाहिए।
- छाले, घाव, फोड़े-फुंसी तथा चकत्तों जैसी परेशानियों में पत्तागोभी के पत्तों की पट्टी लगाने से बहुत आराम मिलता है। इस काम के लिए पत्तागोभी की बाहरी मोटी पत्तियाँ बेहतर रहती हैं। पूरी साबुत पत्तियों को ही पट्टी की तरह काम में लेना चाहिए। इसकी पट्टी बनाने के लिए पत्तियों को गरम पानी से बहुत अच्छी तरह धोकर तौलिये से अच्छी तरह सुखा कर बेलन से बेलते हुए नरम कर लेना चाहिए। इसकी मोटी, उभरी हुई नसों को निकाल कर बेलने से यह नरम हो जाएगा। फिर इसे गरम करके घाव पर समान रूप से लगाना चाहिए। इन पत्तियों को सूती कपड़े में या मुलायम ऊनी कपड़े में डाल कर काम में ले सकते हैं। इससे पूरे दिन भर के लिए या रात भर सिकाई कर सकते हैं। जले हुए पत्तागोभी की राख भी त्वचा की बहुत सी बीमारियों में आराम पहुँचाता है।
- पत्तागोभी का रस पेट में गैस कर सकता है जिसके कारण बदहजमी हो सकती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि पत्तागोभी के रस में थोड़ी सी गाजर का रस मिला कर पीना चाहिए। इससे पेट में गैस या अन्य समस्याएँ नहीं होंगी। पका हुआ पत्तागोभी या पत्तागोभी की सब्जी खाने से भी यदि तकलीफ हो तो इसमे थोड़ी हींग मिला कर पकाएँ। कच्चा खाने से यह जल्दी हजम होती है।
- जर्मन पद्धति के अनुसार पत्तागोभी को काटकर उसमें नमक लगाकर उसे खट्टा होने के लिए रख दिया जाता है। इस विधि से तैयार पत्तागोभी को 'सोर क्राउट' के नाम से जाना जाता है। 'सोर क्राउट' में प्रचुर मात्रा में विटामिन पाए जाते है। हृदय रोगों को दूर करने के लिए सोर क्राउट का प्रयोग काफी लाभदायक है।

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