5 December 2013

मोटापा कम करने के लिए ध्यान

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मोटापा कम करने के लिए ध्यान ----
- कई लोग सोचते है की नियंत्रण में भोजन करेंगे ; पर वे
अधिक और गलत भोजन कर लेते है ; फिर पछताते है
जिसका कोई फायदा नहीं होता .
- इसके लिए आइये एक ध्यान सीखते है . कुछ अंगूर ले लें ...
काले , पीले , हरे , कैसे भी ले . - अब आँख बंद कर सुखासन (आलती पालती ) में बैठ
जाए .अब हाथों में एक अंगूर ले लें . उसे बंद आँखों से महसूस
करे . वह ठंडा है या गरम , गोल है , चिकना है और अन्य
बातें महसूस करे .
- अब उसे मुंह में रखे . अभी चबाये नहीं . उसे जीभ से महसूस
करे . जीभ से उसे मुंह में इधर उधर घुमाए और उसकी गोलाई और उसके स्वाद के बारे में सोचे .मुंह में बनने वाली लार
को महसूस करे .
- अब उसे एक बार चबाये और उससे निकलने वाले रस
को महसूस करे . उसे निगले नहीं ; मुंह में ही इधर उधर
घुमाए .वह कैसे स्वाद है ....मीठा , खट्टा ,महसूस करे .
- अब कुछ धीरे चबा कर निगल ले . सोचे की भगवान ने क्या कमाल के अंगूर बनाए है हमारे लिए ताकि हम स्वस्थ
रहे और हमारे शरीर का विकास हो .भगवान को मन ही मन
धन्यवाद दे .
- अब तक हमने टनों अंगूर खा लिए होंगे पर ऐसा स्वाद
कभी नहीं चखा होगा .
- कई लोग जल्दी जल्दी बहुत सारा खाना खा लेते है . पर मन संतुष्ट नहीं होता . फिर वे और खाते है .ऐसे खाने से वह
पचता भी नहीं . फिर कई टॉक्सिंस भी बनते है जो हमें
बीमार कर देते है . और मोटापा भी बढ़ता है .
- यहीं तरीका हर समय भोजन के पहले अपनाए ; तो थोड़े में
ही भूख भी मिटेगी और मन संतुष्ट होगा . भोजन अच्छे से
पचेगा . - इसीलिए हमें टीवी देखते देखते , बातें करते , पढ़ते पढ़ते
नहीं खाना चाहिए . हमारा ध्यान पूरी तरह खाने पर
ही हो .
Photo: मोटापा कम करने के लिए ध्यान ----
- कई लोग सोचते है की नियंत्रण में भोजन करेंगे ; पर वे
अधिक और गलत भोजन कर लेते है ; फिर पछताते है
जिसका कोई फायदा नहीं होता .
- इसके लिए आइये एक ध्यान सीखते है . कुछ अंगूर ले लें ...
काले , पीले , हरे , कैसे भी ले . - अब आँख बंद कर सुखासन (आलती पालती ) में बैठ
जाए .अब हाथों में एक अंगूर ले लें . उसे बंद आँखों से महसूस
करे . वह ठंडा है या गरम , गोल है , चिकना है और अन्य
बातें महसूस करे .
- अब उसे मुंह में रखे . अभी चबाये नहीं . उसे जीभ से महसूस
करे . जीभ से उसे मुंह में इधर उधर घुमाए और उसकी गोलाई और उसके स्वाद के बारे में सोचे .मुंह में बनने वाली लार
को महसूस करे .
- अब उसे एक बार चबाये और उससे निकलने वाले रस
को महसूस करे . उसे निगले नहीं ; मुंह में ही इधर उधर
घुमाए .वह कैसे स्वाद है ....मीठा , खट्टा ,महसूस करे .
- अब कुछ धीरे चबा कर निगल ले . सोचे की भगवान ने क्या कमाल के अंगूर बनाए है हमारे लिए ताकि हम स्वस्थ
रहे और हमारे शरीर का विकास हो .भगवान को मन ही मन
धन्यवाद दे .
- अब तक हमने टनों अंगूर खा लिए होंगे पर ऐसा स्वाद
कभी नहीं चखा होगा .
- कई लोग जल्दी जल्दी बहुत सारा खाना खा लेते है . पर मन संतुष्ट नहीं होता . फिर वे और खाते है .ऐसे खाने से वह
पचता भी नहीं . फिर कई टॉक्सिंस भी बनते है जो हमें
बीमार कर देते है . और मोटापा भी बढ़ता है .
- यहीं तरीका हर समय भोजन के पहले अपनाए ; तो थोड़े में
ही भूख भी मिटेगी और मन संतुष्ट होगा . भोजन अच्छे से
पचेगा . - इसीलिए हमें टीवी देखते देखते , बातें करते , पढ़ते पढ़ते
नहीं खाना चाहिए . हमारा ध्यान पूरी तरह खाने पर
ही हो .

मटर

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मटर --
- मटर का मौसम आ गया है. मटर छिलना , उसे साल भर के लिए प्रीजर्व करना आदि काम शुरू हो चुके है.
- इसके लिए एक सुझाव है की बच्चों को शाम को टीवी देखते समय मटर छिलने को दे दें. वे बातें करते करते ये काम निपटा डालेंगे और साथ ही साथ ताज़ी मीठी मटर के दाने खाते भी जायेंगे जो उनके लिए बहुत अच्छे है.
- सभी छिल्कें एक अखबार के पन्ने में लपेट कर गाय को खिला दें.
- मटर त्रिदोष नाशक है; यह मल को बाँधने वाली है.
- कच्ची मटर खाने से कब्ज़ दूर होती है।
- ये स्त्रियों में माहवारी की रुकावट दूर करता है।
- मटर खाने से रक्त और माँस बढ़कर शरीर स्वस्थ होता है।
- मटर प्रोटीन का उत्तम साधन है।
- शरीर में कहीं भी दाह, जलन हो, हरी मटर पीसकर लेप करें।
- एक शोध में पता चला है कि हरी मटर में काउमेस्‍ट्रोल होता है जो कि एक प्रकार का फाइटोन्‍यूट्रीयन्‍ट होता है, अगर शरीर में इसकी संतुलित मात्रा होती है तो कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह भी पता चला है कि अगर आप हर दिन हरी मटर का सेवन करें तो पेट का कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।
- हरी मटर में विटामिन के भरपूर मात्रा में होता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है।
- हरी मटर में शरीर से ट्राइग्लिसराइड्स के स्‍तर को कम करने का गुण होता है जिससे कोलेस्‍ट्रॉल नियंत्रित रहता है।
- इसमें एंटी - इनफ्लैमेटरी कम्‍पाउंड और एंटी - ऑक्‍सीडेंट दोनों भरपूर मात्रा में होते है। जिससे दिल की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है।
- हरी मटर उच्‍च फाइबर से भरपूर होती है जिसके सेवन से फैट नहीं बढ़ता है। इसलिए यह वजन घटाने में सहायक है।
- हरी मटर के एंटी - ऑक्‍सीडेंट शरीर को चुस्‍त - दुरूस्‍त रखने में सहायक होते है। इसके अलावा, हरी मटर में फ्लैवानॉड्स, फाइटोन्‍यूटिंस, कैरोटिन आदि होते है जो हमें हमेशा जवान और शक्ति से भरपूर बनाएं रखता है।
- हरी मटर के नियमित सेवन से भूलने की समस्‍या दूर हो जाती है।
- हरी मटर में उच्‍च फाइबर और प्रोटीन तत्‍व होते है जो शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते है।
- भूनी हुई मटर के दाने और नारंगी के छिलकों को दूध में पीसकर उबटन करने से शरीर का रंग निखर जाता है।कुछ दिनों तक चेहरे पर पिसी मटर का उबटन मलते रहने से झांई और धब्बे समाप्त हो जाते है।
- यदि जाड़ो के दिनों में उंगलियों सूज जाये तो मटर के दानों का काढ़ा बनाये और थोड़े गर्म काढ़े में कुछ देर उंगलियों डुबोकर रखनी चाहिए अथवा इसके साथ मीठा तेल मिलाकर उंगलियों को धोना चाहिये।
- मटर को उबाल कर इस पानी से स्नान करने से शरीर की सूजन दूर होती है.
- शाम को यूँ ही कुछ खाने का मन हो तो ताज़ी मटर फलियों को धो कर उन्हें घी जीरे से बघार कर थोड़ा ढक कर पका लें. जब ये फलियाँ पक जाए तो इन्हें छिलके समेत खाए. ये बहुत ही स्वादिष्ट लगती है.
- मटर के दाने उबाल कर चाट की तरह खाए जा सकते है.
- इसकी कचौड़ियाँ , पराठे आदि भी बनते है.
- तो आप किस तरह मटर बनाने वाले है ?
Photo: मटर --
- मटर का मौसम आ गया है. मटर छिलना , उसे साल भर के लिए प्रीजर्व करना आदि काम शुरू हो चुके है.
- इसके लिए एक सुझाव है की बच्चों को शाम को टीवी देखते समय मटर छिलने को दे दें. वे बातें करते करते ये काम निपटा डालेंगे और साथ ही साथ ताज़ी मीठी मटर के दाने खाते भी जायेंगे जो उनके लिए बहुत अच्छे है. 
- सभी छिल्कें एक अखबार के पन्ने में लपेट कर गाय को खिला दें. 
- मटर त्रिदोष नाशक है; यह मल को बाँधने वाली है. 
- कच्ची मटर खाने से कब्ज़ दूर होती है।
- ये स्त्रियों में माहवारी की रुकावट दूर करता है। 
- मटर खाने से रक्त और माँस बढ़कर शरीर स्वस्थ होता है।
- मटर प्रोटीन का उत्तम साधन है।
- शरीर में कहीं भी दाह, जलन हो, हरी मटर पीसकर लेप करें।
- एक शोध में पता चला है कि हरी मटर में काउमेस्‍ट्रोल होता है जो कि एक प्रकार का फाइटोन्‍यूट्रीयन्‍ट होता है, अगर शरीर में इसकी संतुलित मात्रा होती है तो कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह भी पता चला है कि अगर आप हर दिन हरी मटर का सेवन करें तो पेट का कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है।
- हरी मटर में विटामिन के भरपूर मात्रा में होता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है। यह ऑस्टियोपोरोसिस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है।
- हरी मटर में शरीर से ट्राइग्लिसराइड्स के स्‍तर को कम करने का गुण होता है जिससे कोलेस्‍ट्रॉल नियंत्रित रहता है।
- इसमें एंटी - इनफ्लैमेटरी कम्‍पाउंड और एंटी - ऑक्‍सीडेंट दोनों भरपूर मात्रा में होते है। जिससे दिल की बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है।
- हरी मटर उच्‍च फाइबर से भरपूर होती है जिसके सेवन से फैट नहीं बढ़ता है। इसलिए यह वजन घटाने में सहायक है।
- हरी मटर के एंटी - ऑक्‍सीडेंट शरीर को चुस्‍त - दुरूस्‍त रखने में सहायक होते है। इसके अलावा, हरी मटर में फ्लैवानॉड्स, फाइटोन्‍यूटिंस, कैरोटिन आदि होते है जो हमें हमेशा जवान और शक्ति से भरपूर बनाएं रखता है।
- हरी मटर के नियमित सेवन से भूलने की समस्‍या दूर हो जाती है।
- हरी मटर में उच्‍च फाइबर और प्रोटीन तत्‍व होते है जो शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करते है।
- भूनी हुई मटर के दाने और नारंगी के छिलकों को दूध में पीसकर उबटन करने से शरीर का रंग निखर जाता है।कुछ दिनों तक चेहरे पर पिसी मटर का उबटन मलते रहने से झांई और धब्बे समाप्त हो जाते है।
- यदि जाड़ो के दिनों में उंगलियों सूज जाये तो मटर के दानों का काढ़ा बनाये और थोड़े गर्म काढ़े में कुछ देर उंगलियों डुबोकर रखनी चाहिए अथवा इसके साथ मीठा तेल मिलाकर उंगलियों को धोना चाहिये।
- मटर को उबाल कर इस पानी से स्नान करने से शरीर की सूजन दूर होती है. 
- शाम को यूँ ही कुछ खाने का मन हो तो ताज़ी मटर फलियों को धो कर उन्हें घी जीरे से बघार कर थोड़ा ढक कर पका लें. जब ये फलियाँ पक जाए तो इन्हें छिलके समेत खाए. ये बहुत ही स्वादिष्ट लगती है.
- मटर के दाने उबाल कर चाट की तरह खाए जा सकते है. 
- इसकी कचौड़ियाँ , पराठे आदि भी बनते है.
- तो आप किस तरह मटर बनाने वाले है ?

पथरी

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शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़जाती है .
धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय परगर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।
कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। इसका उपचारहै-
उपचार : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाईरहित ठंडा दूध वपानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।
- महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरीटूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
- गोमूत्र के सेवन सेभी पथरी टूट कर निकल जाती है .
- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारीविकृतियाँ दूर होती हैं ।
- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्वलेने से पिशाब खुलकरआता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है|
- खूब पानी पिए .
- कपालभाती प्राणायाम करें .
- हरी सब्जियां , टमाटर , काली चाय,चॉकलेट , अंगूर , बीन्स , नमक , एंटासिड , विटामिन डी सप्लीमेंट कम ले .
- रोजाना विटामिन बी-६ (कम से कम १० मि.ग्रा. ) और मैग्नेशियम ले .
- यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें .
- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलकर २१दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।
- पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बादले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवनसे लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए .
- मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है .
- नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरीहोने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
- 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दोचम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
- पका हुआ जामुन पथरीसे निजात दिलाने मेंबहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
- बथुआ की सब्जी खाए .
- आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है।आंवला का चूर्ण मूलीके साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
- सहजन की सब्जी खानेसे गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।
- मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरीनिकल जाएगी।
- चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
- बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जातीहै। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा
पथरी ----

शरीर में अम्लता बढने से लवण जमा होने लगते है और जम कर पथरी बन जाते है . शुरुवात में कई दिनों तक मूत्र में जलन आदि होती है , जिस पर ध्यान ना देने से स्थिति बिगड़जाती है .
धूप में व तेज गर्मी में काम करने से व घूमने से उष्ण प्रकृति के पदार्थों के अति सेवन से मूत्राशय परगर्मी का प्रभाव हो जाता है, जिससे पेशाब में जलन होती है।
कभी-कभी जोर लगाने पर पेशाब होती है, पेशाब में भारी जलन होती है, ज्यादा जोर लगाने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पेशाब होती है। इस व्याधि को आयुर्वेद में मूत्र कृच्छ कहा जाता है। इसका उपचारहै-
उपचार : कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाईरहित ठंडा दूध वपानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।
- महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरीटूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी हो तो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।
- गोमूत्र के सेवन सेभी पथरी टूट कर निकल जाती है .
- मूत्र रोग संबंधी सभी शिकायतों यथा प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब का अपने आप निकलना (युरीनरी इनकाण्टीनेन्स), नपुंसकता, मूत्राशय की पुरानी सूजन आदि में गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारीविकृतियाँ दूर होती हैं ।
- गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्वलेने से पिशाब खुलकरआता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है|
- खूब पानी पिए .
- कपालभाती प्राणायाम करें .
- हरी सब्जियां , टमाटर , काली चाय,चॉकलेट , अंगूर , बीन्स , नमक , एंटासिड , विटामिन डी सप्लीमेंट  कम ले .
- रोजाना विटामिन बी-६ (कम से कम १० मि.ग्रा. ) और मैग्नेशियम ले .
- यवक्षार ( जौ की भस्म ) का सेवन करें .
- मूली और उसकी हरी पत्तियों के साथ सब्जी का सुबह सेवन करें .
- ६ ग्राम पपीते को जड़ को पीसकर ५० ग्राम पानी मिलकर २१दिन तक प्रातः और सायं पीने से पथरी गल जाती है।
- पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बादले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवनसे लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए .
- मेहंदी की छाल को उबाल कर पीने से पथरी घुल जाती है .
- नारियल का पानी पीने से पथरी में फायदा होता है। पथरीहोने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।
- 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दोचम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।
- पका हुआ जामुन पथरीसे निजात दिलाने मेंबहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
- बथुआ की सब्जी खाए .
- आंवला भी पथरी में बहुत फायदा करता है।आंवला का चूर्ण मूलीके साथ खाने से मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।
- जीरे और चीनी को समान मात्रा में पीसकर एक-एक चम्मच ठंडे पानी से रोज तीन बार लेने से लाभ होता है और पथरी निकल जाती है।
- सहजन की सब्जी खानेसे गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है। आम के पत्ते छांव में सुखाकर बहुत बारीक पीस लें और आठ ग्राम रोज पानी के साथ लीजिए, फायदा होगा ।
- मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरीनिकल जाएगी।
- चाय, कॉफी व अन्य पेय पदार्थ जिसमें कैफीन पाया जाता है, उन पेय पदार्थों का सेवन बिलकुल मत कीजिए।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।
- जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।
- बेल पत्थर को पर जरा सा पानी मिलाकर घिस लें, इसमें एक साबुत काली मिर्च डालकर सुबह काली मिर्च खाएं। दूसरे दिन काली मिर्च दो कर दें और तीसरे दिन तीन ऐसे सात काली मिर्च तक पहुंचे।आठवें दिन से काली मिर्च की संख्या घटानी शुरू कर दें और फिर एक तक आ जाएं। दो सप्ताह के इस प्रयोग से पथरी समाप्त हो जातीहै। याद रखें एक बेल पत्थर दो से तीन दिन तक चलेगा

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