24 December 2013

गुटका,तंबाकू,बी ड़ी सिगरेट,शराब से मुक्ति

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अदरक के छोटे छोटे टुकड़े कर लो उस मे नींबू निचोड़
दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको किसी कांच या चीनी के बर्तन में डाल कर धूप मे सूखा लो l जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए और अदरक सूख जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को किसी कांच के बर्तन में रख लो l

जब भी गुटका,तंबाकू,बी ड़ी सिगरेट,शराब पीने का मन करे तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो l

इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी, तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा l

मिर्गी रोग

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मिर्गी रोग होने के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे- बिजली का झटका लगना, नशीली दवाओं का अधिक सेवन करना, किसी प्रकार से सिर में तेज चोट लगना, तेज बुखार तथा एस्फीक्सिया जैसे रोग का होना आदि। इस रोग के होने का एक अन्य कारण स्नायु सम्बंधी रोग, ब्रेन ट्यूमर, संक्रमक ज्वर भी है। वैसे यह कारण बहुत कम ही देखने को मिलता है।

मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जिसे लेकर लोग अक्सर बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं। हालांकि रोग चाहे जो भी हो, हमेशा परेशान करने वाली तथा घातक होती है। इसलिए हमें किसी भी मायने में किसी भी रोग के साथ कभी भी बेपरवाह नहीं होना चाहिए। खासतौर पर जब बात मिर्गी जैसे रोगों की हो तो हमें और भी सतर्क रहना चाहिए।
मिर्गी के रोगी अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि वे आम लोगों की तरह जीवन जी नहीं सकते। उन्हें कई चीजों से परहेज करना चाहिए। खासतौर पर अपनी जीवनशैली में आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ता है जिसमें बाहर अकेले जाना प्रमुख है।
यह रोग कई प्रकार के ग़लत तरह के खान-पान के कारण होता है। जिसके कारण रोगी के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना शुरू हो जाता है और रोगी को मिर्गी का रोग हो जाता है।

दिमाग के अन्दर उपलब्ध स्नायु कोशिकाओं के बीच आपसी तालमेल न होना ही मिर्गी का कारण होता है। हलांकि रासायनिक असंतुलन भी एक कारण होता है।

अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब ६ माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।

मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर प्रयुक्त करना अत्यंत लाभकारी उपचार है। एक घंटे बाद नहालें। इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा।

मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।

मिर्गी रोगी को २५० ग्राम बकरी के दूध में ५० ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रात: दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आजमाएं।

रोजाना तुलसी के २० पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।

पेठा मिर्गी की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शकर और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।

गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फ़ायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य खाएं।

गर्भवती महिला को पड़ने वाला मिर्गी का दौरा जच्चा और बच्चा दोनों के लिए तकलीफदायक हो सकता है। उचित देखभाल और योग्य उपचार से वह भी एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है।

मिर्गी की स्थिति में गर्भ धारण करने में कोई परेशानी नहीं है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें। मां के रोग से होने वाले बच्चे पर कोई असर नहीं पड़ता। गर्भवती महिला समय-समय पर डॉक्टर से जांच कराती रहें, पूरी नींद लें, तनाव में न रहें और नियमानुसार दवाइयां लेती रहें। इससे उन्हें मिर्गी की परेशानी नहीं होगी। गर्भवती महिला के साथ रहने वाले सदस्यों को भी इस रोग की थोड़ी जानकारी होना आवश्यक है।


मिर्गी रोग होने के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे- बिजली का झटका लगना, नशीली दवाओं का अधिक सेवन करना, किसी प्रकार से सिर में तेज चोट लगना, तेज बुखार तथा एस्फीक्सिया जैसे रोग का होना आदि। इस रोग के होने का एक अन्य कारण स्नायु सम्बंधी रोग, ब्रेन ट्यूमर, संक्रमक ज्वर भी है। वैसे यह कारण बहुत कम ही देखने को मिलता है। 

मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जिसे लेकर लोग अक्सर बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं। हालांकि रोग चाहे जो भी हो, हमेशा परेशान करने वाली तथा घातक होती है। इसलिए हमें किसी भी मायने में किसी भी रोग के साथ कभी भी बेपरवाह नहीं होना चाहिए। खासतौर पर जब बात मिर्गी जैसे रोगों की हो तो हमें और भी सतर्क रहना चाहिए। 
मिर्गी के रोगी अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि वे आम लोगों की तरह जीवन जी नहीं सकते। उन्हें कई चीजों से परहेज करना चाहिए। खासतौर पर अपनी जीवनशैली में आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ता है जिसमें बाहर अकेले जाना प्रमुख है।
यह रोग कई प्रकार के ग़लत तरह के खान-पान के कारण होता है। जिसके कारण रोगी के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना शुरू हो जाता है और रोगी को मिर्गी का रोग हो जाता है। 

दिमाग के अन्दर उपलब्ध स्नायु कोशिकाओं के बीच आपसी तालमेल न होना ही मिर्गी का कारण होता है। हलांकि रासायनिक असंतुलन भी एक कारण होता है।

अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब ६ माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।

मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर प्रयुक्त करना अत्यंत लाभकारी उपचार है। एक घंटे बाद नहालें। इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा।

मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।

मिर्गी रोगी को २५० ग्राम बकरी के दूध में ५० ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रात: दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आजमाएं।

रोजाना तुलसी के २० पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है। 

पेठा मिर्गी की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शकर और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।

गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फ़ायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य खाएं।

गर्भवती महिला को पड़ने वाला मिर्गी का दौरा जच्चा और बच्चा दोनों के लिए तकलीफदायक हो सकता है। उचित देखभाल और योग्य उपचार से वह भी एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है।

मिर्गी की स्थिति में गर्भ धारण करने में कोई परेशानी नहीं है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें। मां के रोग से होने वाले बच्चे पर कोई असर नहीं पड़ता। गर्भवती महिला समय-समय पर डॉक्टर से जांच कराती रहें, पूरी नींद लें, तनाव में न रहें और नियमानुसार दवाइयां लेती रहें। इससे उन्हें मिर्गी की परेशानी नहीं होगी। गर्भवती महिला के साथ रहने वाले सदस्यों को भी इस रोग की थोड़ी जानकारी होना आवश्यक है।

चुकंदर

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चुकंदर एक ऐसी सब्जी है जिसे बहुत से लोग नापसंद करते हैं. इसके रस को पीने से न केवल शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. यदि आप इस सब्जी से नफरत करते हैं तो जरा एक बार इसके फायदों के बारे में जरूर पढ़ लें.

शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकंदर में लौह तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है, किंतु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का होता है, जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि चुकंदर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद लाभदायी है।

ऐसा समझा जाता है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है, बल्कि सच यह है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।

एनर्जी बढ़ाये : यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का जूस पी लीजिये. इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है. खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है.

पौष्टिकता से भरपूर : यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है. इसमें कैल्शियम, मिनरल, मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाये जाते हैं. इसलिए घर पर इसकी सब्जी बना कर अपने बच्चों को जरूर से खिलाएं.हृदय के लिए : चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है. खासकर के चुंकदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है. रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन नामक तत्व जमने से रोकता है.

स्वास्थ्यवर्धक पेय : जो लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उनके लिये चुकंदर का जूस बहुत फायदेमंद है. इसको पीने से शरीर में एनर्जी बढ़ती है और थकान दूर होती है. साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है.
चुकंदर एक ऐसी सब्जी है जिसे बहुत से लोग नापसंद करते हैं. इसके रस को पीने से न केवल शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. यदि आप इस सब्जी से नफरत करते हैं तो जरा एक बार इसके फायदों के बारे में जरूर पढ़ लें.

शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकंदर में लौह तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है, किंतु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का होता है, जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि चुकंदर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद लाभदायी है।

ऐसा समझा जाता है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है, बल्कि सच यह है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।

एनर्जी बढ़ाये : यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का जूस पी लीजिये. इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है. खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है.

पौष्टिकता से भरपूर : यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है. इसमें कैल्शियम, मिनरल, मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाये जाते हैं. इसलिए घर पर इसकी सब्जी बना कर अपने बच्चों को जरूर से खिलाएं.हृदय के लिए : चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है. खासकर के चुंकदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है. रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन नामक तत्व जमने से रोकता है.

स्वास्थ्यवर्धक पेय : जो लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उनके लिये चुकंदर का जूस बहुत फायदेमंद है. इसको पीने से शरीर में एनर्जी बढ़ती है और थकान दूर होती है. साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है.

विविध धर्मों का फल!

दान-धर्म पालन करने से सभी कामनाओं की प्राप्ति हो जाती है! --" दानें सर्वकामानवाप्रोति ! " [ वसिष्ठ ] 
ब्रह्मचर्य धाम का पालन करने से सुन्दर रूप प्राप्त होता है और व्यक्ति चिरजीवी होता है!___ " चिरजीवित्वं ब्रह्मचारी "! [ वसिष्ठ ] 
अहिंसा-धर्म का पालन करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है__ " अहिंस्युपपद्यते स्वर्गम!" 
सब प्रकार से अभय दान देनेवाला स्मृतिमान और मेधावी होता है___ " स्मृतिमान मेधावी सर्वतोsभयदाता! "
यदि विद्वान व्यक्ति साधु-महात्मा या योगीजनों द्वारा अभिमत अथवानिर्दिष्ट धर्ममय अचार-पद्धति का अनुपालन करता है तो उसके लिये ऐसे धर्म का पालन आत्यंतिक फलप्रद हो जाता है, उकेर लिये संसार छूट जाता हैऔर वह मोक्ष-पद को प्राप्त कर लेता है!!
" आत्यन्तिकफलप्रदं मोक्षं संसारमोचनम!
योगिनां सम्मतं विद्वनाचारमनुवर्तते !!" [ वसिष्ठ ]

4 बूंद नाक में डालो, बेहोश व्यक्ति तत्काल होश में आएगा

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प्रकृति ने मनुष्य को ऐसे-ऐसे वरदानों से नवाजा है कि वह चाहे तो भी जीवनभर उनसे उऋण नहीं हो सकता है। तुलसी भी ऐसा ही एक अनमोल पौधा है जो प्रकृति ने मनुष्य को दिया है। सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं। आइये जाने कि तुलसी का पूज्यनीय पौधा हमारे किस-किस काम आ सकता है-

- शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है।

- इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।

- तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोंश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।
- चाय(बिना दूध की)बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।

- तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

- दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।

- दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।


4 बूंद नाक में डालो, बेहोश व्यक्ति तत्काल होश में आएगा -------
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प्रकृति ने मनुष्य को ऐसे-ऐसे वरदानों से नवाजा है कि वह चाहे तो भी जीवनभर उनसे उऋण नहीं हो सकता है। तुलसी भी ऐसा ही एक अनमोल पौधा है जो प्रकृति ने मनुष्य को दिया है। सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं। आइये जाने कि तुलसी का पूज्यनीय पौधा हमारे किस-किस काम आ सकता है-

- शरीर के वजन को नियंत्रित रखने हेतु भी तुलसी अत्यंत गुणकारी है।

- इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।

- तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोंश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है।
- चाय(बिना दूध की)बनाते समय तुलसी के कुछ पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में राहत मिलती है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।

- तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

- दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।

- दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।

कच्चे प्याज के कुछ स्वास्थ्य लाभ

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एनीमिया ठीक करे-
--------------------
प्याज काटते वक्त आंखों से आंसू टपकते हैं,
ऐसा प्याज में मौजूद सल्फर की वजह से होता है
जो नाक के दृारा शरीर में प्रेवश करता है। इस
सल्फर में एक तेल मौजूद होता है
जो कि एनीमिया को ठीक करने में सहायक
होता है। खाना पकाते वक्त यही सल्फर जल
जाता है, तो ऐसे में कच्चा प्याज खाइये।

कब्ज दूर करे-
---------------
इसमें मौजूद रेशा पेट के अंदर के चिपके हुए भोजन
को निकालता है जिससे पेट साफ हो जाता है,
तो यदि आपको कब्ज की शिकायत है
तो कच्चा प्याज खाना शुरु कर दीजिये।

गले की खराश मिटाए-
-----------------------
यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीडित हैं
तो आप ताजे प्याज का रस पीजिये। इमसें गुड
या फिर शहद मिलाया जा सकता है।

ब्लीडिंग समस्या दूर करे-
--------------------------
नाक से खून बह रहा हो तो कच्चा प्याज काट
कर सूघ लीजिये। इसके अलावा यदि पाइल्स
की समस्या हो तो सफेद प्याज खाना शुरु कर दें।

मधुमेह करे कंट्रोल-
--------------------
यदि प्याज को कच्चा खाया जाए तो यह शरीर
में इंसुलिन उत्पन्न करेगा, तो यदि आप
डायबिटिक हैं तो इसे सलाद में खाना शुरु कर दें।

दिल की सुरक्षा-
----------------
कच्चा प्याज हाई ब्लड प्रेशर को नार्मल करता है
और बंद खून की धमनियों को खोलता है जिससे
दिल की कोई बीमारी नहीं होती।

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करे-
----------------------
इसमें मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड
होता है जो कि खराब कोलेस्ट्रॉल को घटा कर
अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाता है।

कैंसर सेल की ग्रोथ रोके-
------------------------
प्याज में सल्फर तत्व अधिक होते हैं। सल्फर शरीर
को पेट, कोलोन, ब्रेस्ट, फेफडे और प्रोस्टेट कैंसर से
बचाता है। साथ ही यह मूत्र पथ संक्रमण
की समस्या को भी खत्म करता है।
कच्चे प्याज के कुछ स्वास्थ्य लाभ
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एनीमिया ठीक करे-
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प्याज काटते वक्त आंखों से आंसू टपकते हैं,
ऐसा प्याज में मौजूद सल्फर की वजह से होता है
जो नाक के दृारा शरीर में प्रेवश करता है। इस
सल्फर में एक तेल मौजूद होता है
जो कि एनीमिया को ठीक करने में सहायक
होता है। खाना पकाते वक्त यही सल्फर जल
जाता है, तो ऐसे में कच्चा प्याज खाइये।

कब्ज दूर करे-
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इसमें मौजूद रेशा पेट के अंदर के चिपके हुए भोजन
को निकालता है जिससे पेट साफ हो जाता है,
तो यदि आपको कब्ज की शिकायत है
तो कच्चा प्याज खाना शुरु कर दीजिये।

गले की खराश मिटाए-
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यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीडित हैं
तो आप ताजे प्याज का रस पीजिये। इमसें गुड
या फिर शहद मिलाया जा सकता है।

ब्लीडिंग समस्या दूर करे-
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नाक से खून बह रहा हो तो कच्चा प्याज काट
कर सूघ लीजिये। इसके अलावा यदि पाइल्स
की समस्या हो तो सफेद प्याज खाना शुरु कर दें।

मधुमेह करे कंट्रोल-
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यदि प्याज को कच्चा खाया जाए तो यह शरीर
में इंसुलिन उत्पन्न करेगा, तो यदि आप
डायबिटिक हैं तो इसे सलाद में खाना शुरु कर दें।

दिल की सुरक्षा-
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कच्चा प्याज हाई ब्लड प्रेशर को नार्मल करता है
और बंद खून की धमनियों को खोलता है जिससे
दिल की कोई बीमारी नहीं होती।

कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करे-
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इसमें मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड
होता है जो कि खराब कोलेस्ट्रॉल को घटा कर
अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढाता है।

कैंसर सेल की ग्रोथ रोके-
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प्याज में सल्फर तत्व अधिक होते हैं। सल्फर शरीर
को पेट, कोलोन, ब्रेस्ट, फेफडे और प्रोस्टेट कैंसर से
बचाता है। साथ ही यह मूत्र पथ संक्रमण
की समस्या को भी खत्म करता है।

Feetured Post

ये है सनातन धर्म के संस्कार

  गर्व है हमें #सनातनी #अरुणा_जैन जी पर..अरुणा ने 25 लाख का इनाम ठुकरा दिया पर अंडा नही बनाया. ये सबक है उन लोगों के लिए जो अंडा और मांसाहा...