24 January 2014

नाभि (गोलाहुटी) के अपने स्थान से खिसकने पर

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- योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है।

- आधुनिक जीवन-शैली इस प्रकार की है कि भाग-दौड़ के साथ तनाव-दबाव भरे प्रतिस्पर्धापूर्ण वातावरण में काम करते रहने से व्यक्ति का नाभि चक्र निरंतर क्षुब्ध बना रहता है। इससे नाभि अव्यवस्थित हो जाती है। इसके अलावा खेलने के दौरान उछलने-कूदने, असावधानी से दाएँ-बाएँ झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे, में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है। कुछ लोगों की नाभि अनेक कारणों से बचपन में ही विकारग्रस्त हो जाती है।

- प्रातः खाली पेट ज़मीन पर शवासन में लेतें . फिर अंगूठे के पोर से नाभि में स्पंदन को महसूस करे . अगर यह नाभि में ही है तो सही है . कई बार यह स्पंदन नाभि से थोड़ा हट कर महसूस होता है ; जिसे नाभि टलना या खिसकना कहते है .यह अनुभव है कि आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है।

- नाभि में लंबे समय तक अव्यवस्था चलती रहती है तो उदर विकार के अलावा व्यक्ति के दाँतों, नेत्रों व बालों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। दाँतों की स्वाभाविक चमक कम होने लगती है। यदाकदा दाँतों में पीड़ा होने लगती है। नेत्रों की सुंदरता व ज्योति क्षीण होने लगती है। बाल असमय सफेद होने लगते हैं।आलस्य, थकान, चिड़चिड़ाहट, काम में मन न लगना, दुश्चिंता, निराशा, अकारण भय जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों की उपस्थिति नाभि चक्र की अव्यवस्था की उपज होती है।

- नाभि स्पंदन से रोग की पहचान का उल्लेख हमें हमारे आयुर्वेद व प्राकृतिक उपचार चिकित्सा पद्धतियों में मिल जाता है। परंतु इसे दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि हम हमारी अमूल्य धरोहर को न संभाल सके। यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो अग्न्याष्य खराब होने लगता है। इससे फेफड़ों पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

- यदि यह स्पंदन नीचे की तरफ चली जाए तो पतले दस्त होने लगते हैं।

- बाईं ओर खिसकने से शीतलता की कमी होने लगती है, सर्दी-जुकाम, खाँसी, कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।

- दाहिनी तरफ हटने पर लीवर खराब होकर मंदाग्नि हो सकती है। पित्ताधिक्य, एसिड, जलन आदि की शिकायतें होने लगती हैं। इससे सूर्य चक्र निष्प्रभावी हो जाता है। गर्मी-सर्दी का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है। मंदाग्नि, अपच, अफरा जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

- यदि नाभि पेट के ऊपर की तरफ आ जाए यानी रीढ़ के विपरीत, तो मोटापा हो जाता है। वायु विकार हो जाता है। यदि नाभि नीचे की ओर (रीढ़ की हड्डी की तरफ) चली जाए तो व्यक्ति कुछ भी खाए, वह दुबला होता चला जाएगा। नाभि के खिसकने से मानसिक एवंआध्यात्मिक क्षमताएँ कम हो जाती हैं।

- नाभि को पाताल लोक भी कहा गया है। कहते हैं मृत्यु के बाद भी प्राण नाभि में छः मिनट तक रहते है।

- यदि नाभि ठीक मध्यमा स्तर के बीच में चलती है तब स्त्रियाँ गर्भधारण योग्य होती हैं। यदि यही मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे रीढ़ की तरफ चली जाए तो ऐसी स्त्रियाँ गर्भ धारण नहीं कर सकतीं।

- अकसर यदि नाभि बिलकुल नीचे रीढ़ की तरफ चली जाती है तो फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। कई वंध्या स्त्रियों पर प्रयोग कर नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया गया। इससे वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो गईं। कुछ मामलों में उपचार वर्षों से चल रहा था एवं चिकित्सकों ने यह कह दिया था कि यह गर्भधारण नहीं कर सकती किन्तु नाभि-चिकित्सा के जानकारों ने इलाज किया।

- दोनों हथेलियों को आपस में मिलाएं। हथेली के बीच की रेखा मिलने के बाद जो उंगली छोटी हो यानी कि बाएं हाथ की उंगली छोटी है तो बायीं हाथ को कोहनी से ऊपर दाएं हाथ से पकड़ लें। इसके बाद बाएं हाथ की मुट्ठि को कसकर बंद कर हाथ को झटके से कंधे की ओर लाएं। ऐसा ८-१० बार करें। इससे नाभि सेट हो जाएगी।

- पादांगुष्ठनासास्पर्शासन उत्तानपादासन , नौकासन , कन्धरासन , चक्रासन , धनुरासन आदि योगासनों से नाभि सही जगह आ सकती है .

- 15 से 25 मि .वायु मुद्रा करने से भी लाभ होता है .

- दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।
Photo: नाभि (गोलाहुटी) के अपने स्थान से खिसकने पर -----

- योग में नाड़ियों की संख्या बहत्तर हजार से ज्यादा बताई गई है और इसका मूल उदगम स्त्रोत नाभिस्थान है।

- आधुनिक जीवन-शैली इस प्रकार की है कि भाग-दौड़ के साथ तनाव-दबाव भरे प्रतिस्पर्धापूर्ण वातावरण में काम करते रहने से व्यक्ति का नाभि चक्र निरंतर क्षुब्ध बना रहता है। इससे नाभि अव्यवस्थित हो जाती है। इसके अलावा खेलने के दौरान उछलने-कूदने, असावधानी से दाएँ-बाएँ झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे, में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है। कुछ लोगों की नाभि अनेक कारणों से बचपन में ही विकारग्रस्त हो जाती है।

- प्रातः खाली पेट ज़मीन पर शवासन में लेतें . फिर अंगूठे के पोर से नाभि में स्पंदन को महसूस करे . अगर यह नाभि में ही है तो सही है . कई बार यह स्पंदन नाभि से थोड़ा हट कर महसूस होता है ; जिसे नाभि टलना या खिसकना कहते है .यह अनुभव है कि आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है।

- नाभि में लंबे समय तक अव्यवस्था चलती रहती है तो उदर विकार के अलावा व्यक्ति के दाँतों, नेत्रों व बालों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है। दाँतों की स्वाभाविक चमक कम होने लगती है। यदाकदा दाँतों में पीड़ा होने लगती है। नेत्रों की सुंदरता व ज्योति क्षीण होने लगती है। बाल असमय सफेद होने लगते हैं।आलस्य, थकान, चिड़चिड़ाहट, काम में मन न लगना, दुश्चिंता, निराशा, अकारण भय जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों की उपस्थिति नाभि चक्र की अव्यवस्था की उपज होती है।

- नाभि स्पंदन से रोग की पहचान का उल्लेख हमें हमारे आयुर्वेद व प्राकृतिक उपचार चिकित्सा पद्धतियों में मिल जाता है। परंतु इसे दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि हम हमारी अमूल्य धरोहर को न संभाल सके। यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो अग्न्याष्य खराब होने लगता है। इससे फेफड़ों पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

- यदि यह स्पंदन नीचे की तरफ चली जाए तो पतले दस्त होने लगते हैं।

- बाईं ओर खिसकने से शीतलता की कमी होने लगती है, सर्दी-जुकाम, खाँसी, कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।

- दाहिनी तरफ हटने पर लीवर खराब होकर मंदाग्नि हो सकती है। पित्ताधिक्य, एसिड, जलन आदि की शिकायतें होने लगती हैं। इससे सूर्य चक्र निष्प्रभावी हो जाता है। गर्मी-सर्दी का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है। मंदाग्नि, अपच, अफरा जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं।

- यदि नाभि पेट के ऊपर की तरफ आ जाए यानी रीढ़ के विपरीत, तो मोटापा हो जाता है। वायु विकार हो जाता है। यदि नाभि नीचे की ओर (रीढ़ की हड्डी की तरफ) चली जाए तो व्यक्ति कुछ भी खाए, वह दुबला होता चला जाएगा। नाभि के खिसकने से मानसिक एवंआध्यात्मिक क्षमताएँ कम हो जाती हैं।

- नाभि को पाताल लोक भी कहा गया है। कहते हैं मृत्यु के बाद भी प्राण नाभि में छः मिनट तक रहते है।

- यदि नाभि ठीक मध्यमा स्तर के बीच में चलती है तब स्त्रियाँ गर्भधारण योग्य होती हैं। यदि यही मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे रीढ़ की तरफ चली जाए तो ऐसी स्त्रियाँ गर्भ धारण नहीं कर सकतीं।

- अकसर यदि नाभि बिलकुल नीचे रीढ़ की तरफ चली जाती है तो फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। कई वंध्या स्त्रियों पर प्रयोग कर नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया गया। इससे वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो गईं। कुछ मामलों में उपचार वर्षों से चल रहा था एवं चिकित्सकों ने यह कह दिया था कि यह गर्भधारण नहीं कर सकती किन्तु नाभि-चिकित्सा के जानकारों ने इलाज किया।

- दोनों हथेलियों को आपस में मिलाएं। हथेली के बीच की रेखा मिलने के बाद जो उंगली छोटी हो यानी कि बाएं हाथ की उंगली छोटी है तो बायीं हाथ को कोहनी से ऊपर दाएं हाथ से पकड़ लें। इसके बाद बाएं हाथ की मुट्ठि को कसकर बंद कर हाथ को झटके से कंधे की ओर लाएं। ऐसा ८-१० बार करें। इससे नाभि सेट हो जाएगी।

- पादांगुष्ठनासास्पर्शासन उत्तानपादासन , नौकासन , कन्धरासन , चक्रासन , धनुरासन आदि योगासनों से नाभि सही जगह आ सकती है .

- 15 से 25 मि .वायु मुद्रा करने से भी लाभ होता है .

- दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।

अंकुरित गेहूं खाने से होते हैं ये जबरदस्त फायदे

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स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है,
क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है।
वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे....
- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं।
किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
- अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी
सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित
गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई
पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक
मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले
विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को
चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के
निर्माण में भी मदद मिलती है।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट
रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।
अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स
को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।]


अंकुरित गेहूं खाने से होते हैं ये जबरदस्त फायदे
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स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है,
क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है।
वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे....
- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं।
किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
- अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी
सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित
गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई
पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक
मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले
विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को
चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के
निर्माण में भी मदद मिलती है।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट
रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।
अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स
को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।]

18 January 2014

दमा व श्वास का घरेलू उपचार

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एक पका केला छिला लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच दो ग्राम कपड़छान की हुई काली मिर्च भर दें । फिर उसे बगैर छीलेही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर डोरे से बांध कर 2-3 घंटे रख दें । बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले । ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें ।प्रतिदिन सुबह में केले में काली मिर्च का चूर्ण भरें। और शाम को पकावें । 15-20 दिन में खूब लाभ होगा ।

केला के पत्तों को सुखाकर किसी बड़े बर्तन में जला लेवें। फिर कपड़छान कर लें और इस केले के पत्ते की भरम को एक कांच की साफ शीशी या डिब्बे में रख लें । बस, दवा तैयार है ।

सेवन विधि - एक साल पुराना गुड़ 3 ग्राम चिकनी सुपारी का आधा से थोड़ा कम वनज को 2-3 चम्मच पानी में भिगों दें । उसमें 1-4 चौथाई दवा केले के पत्ते की राख डाल दें और पांच-दस मिनट बाद ले लें । दिनभर में सिर्फ एक बार ही दवा लेनी है, कभी भी ले लेवें ।

बच्चे का असाध्य दमा - अमलतास का गूदा 15 ग्राम दो कप पानी में डालकर उबालें चौथाई भाग बचने पर छान लें और सोते समय रोगी को गरम-गरम पिला दें । फेफड़ों में जमा हुआ बलगम शौच मार्ग से निकल जाता है । लगातार तीन दिन लेने से जमा हुआ कफ निकल कर फेफड़े साफ हो जाते है । महीने भर लेने से फेफड़े कर तपेदिक ठीक हो सकती है ।
Photo: दमा व श्वास का घरेलू उपचार -----
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एक पका केला छिला लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच दो ग्राम कपड़छान की हुई काली मिर्च भर दें । फिर उसे बगैर छीलेही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर डोरे से बांध कर 2-3 घंटे रख दें । बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले । ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें ।प्रतिदिन सुबह में केले में काली मिर्च का चूर्ण भरें। और शाम को पकावें । 15-20 दिन में खूब लाभ होगा ।

केला के पत्तों को सुखाकर किसी बड़े बर्तन में जला लेवें। फिर कपड़छान कर लें और इस केले के पत्ते की भरम को एक कांच की साफ शीशी या डिब्बे में रख लें । बस, दवा तैयार है ।

सेवन विधि - एक साल पुराना गुड़ 3 ग्राम चिकनी सुपारी का आधा से थोड़ा कम वनज को 2-3 चम्मच पानी में भिगों दें । उसमें 1-4 चौथाई दवा केले के पत्ते की राख डाल दें और पांच-दस मिनट बाद ले लें । दिनभर में सिर्फ एक बार ही दवा लेनी है, कभी भी ले लेवें ।

बच्चे का असाध्य दमा - अमलतास का गूदा 15 ग्राम दो कप पानी में डालकर उबालें चौथाई भाग बचने पर छान लें और सोते समय रोगी को गरम-गरम पिला दें । फेफड़ों में जमा हुआ बलगम शौच मार्ग से निकल जाता है । लगातार तीन दिन लेने से जमा हुआ कफ निकल कर फेफड़े साफ हो जाते है । महीने भर लेने से फेफड़े कर तपेदिक ठीक हो सकती है ।

फूलगोभी

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- पूरे विश्व में सामान्यतः शीत ऋतु में मुख्य रूप से गोभी खाई जाती है, जो अनेक गुणों से भरपूर है। गोभी को कच्चा भी खाया जा सकता है।
- फूलगोभी खाने में ठंडी और तर होती है।
- फूलगोभी में थोड़ी सी प्रोटीन , फॉस्फोरस, लौह तत्व, पोटैशियम, गंधक, नियासीन और विटामिन `सी´ आदि तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
- गोभी में गंधक एवं क्लोरीन घटकों की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण यह शरीर की गंदगी साफ करने का काम करती है।
- फूलगोभी ना सिर्फ खाने में बल्कि तिल को साफ करने में भी काफी कारगर होती है। घर में इसका रस तैयार करें और रोज तिल वाली जगह पर लगाए। इससे कुछ ही दिनों में पुरानी त्‍वचा धीरे धीरे साफ होने लगेगी और तिल गायब हो जाएगा।
- फूलगोभी में गंधक बहुत मिलता है। गंधक खुजली, कुष्ठ (कोढ़) आदि चर्म (त्वचा) रोगों में हितकारी होती है। फूलगोभी खून को साफ करती है।
- फूलगोभी में "सलफोराफीन" रसायन पाया जाता है जो सेहत के लिए, ख़ासकर दिल के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है।
- गोभी में कुछ ऐसे तत्व एवं घटक हैं, जो मानव में रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाते हैं एवं समय से पहले आने वाली वृद्धावस्था को रोकते हैं।
- गोभी में ’’ टारट्रोनिक ‘‘ नामक एसिड होता है, जो चरबी, शर्करा एवं अन्य पदार्थों को इकट्ठा होने से रोकता है, जिससे शरीर का आकार बना रहता है।
- कब्ज़ में रात को गोभी का रस पीने से लाभ होता है।
- गोभी में क्षारीय तत्त्व होते हैं। जिससे क्षय रोगी को भी लाभ होता है।
- गोभी खाते रहने से चर्म रोग, गैस, नाख़ून और बालों के रोग नष्ट होते हैं।
- कच्ची गोभी, पकी गोभी से ज्यादा सुपाच्य होती है।
- गोभी स्नायु मजबूत करती है ।
- गोभी में गंधक एवं क्लोरीन आंतों के मार्ग साफ करने में उपयोगी हैं, परंतु यह तब ही संभव है जब गोभी या इसके रस को कच्चा लिया जाए।
- पेट अल्सर का रोगी सामान्य भोजन के बाद दिन में तीन बार तीन से छह औसतन जितना गोभी का रस पिएं या चार से पांच बार कच्ची गोभी खाएं तो पेट एवं अल्सर के रोग में फायदा हो सकता है।
- सूजन, दाह, जख्म आदि दूर करने में भी गोभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- चोट या जले जख्म पर गोभी के पत्तों को गरम पानी में धोकर उसके बाद उन्हें कपड़े में सुखाकर चोट पर लगाने से फायदा होता है।
- गोभी में विटामिन ’सी‘ होता है, जो रक्त वाहिनियों को मजबूत करता है।
- गोभी वृद्ध लोगों के लिए भी फायदेमंद है।
- गोभी का रस पीते रहने से आँखों की कमजोरी और पीलिया में लाभ होता है।
- इसके अत्यधिक प्रयोग से वायु बन सकती है। इससे बचने के लिये इसे बराबर मात्रा में गाजर के साथ खाना चाहिये।
- गोभी का रस पीते रहने से जोड़ों और हडि्डयों का दर्द, अपच (भोजन का न पचना), आंखों की कमजोरी और पीलिया आदि रोगों में लाभ मिलता है।
- रक्त (खून) की उल्टी : फूलगोभी की सब्जी खाने से या इसे कच्ची ही खाने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है। टी.बी. (क्षय) के रोगी के लिए भी यह बहुत ही हितकारी है।
- खूनी बवासीर और बादी बवासीर : फूलगोभी खाने से खूनी बवासीर और साधारण (बादी) बवासीर ठीक हो जाती है।
- पेशाब की जलन होने पर : फूलगोभी की सब्जी का सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
- कोलाइटिस के रोग : सुबह खाली पेट एक तिहाई कप गोभी का रस रोजाना पीने से कोलाइटिस, कैंसर और कब्ज तथा जख्म आदि रोगों में लाभ होता है।
- कब्ज : रात को सोते समय आधा गिलास गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।
- रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला) : गोभी में क्षारीय तत्व होते हैं। गोभी में पाया जाने वाला सल्फर और क्लोरीन का मिश्रण म्युकस, मेमरिन तथा आंतों की सफाई करता है।
- आदिवासियों के अनुसार इसके पत्तों को कुचलकर रस तैयार किया जाए और कुल्ला किया जाए तो मसूढ़ों से खून का निकलना बंद हो जाता है। वैसे कच्ची फूल गोभी को चबाने से मसूडों की सूजन भी उतर जाती है
- पत्तों को कुचलकर तैयार किया रस प्रतिदिन पीने से गठिया रोग के निदान में भी लाभकारी होता है। माना जाता है कि कम से कम तीन माह तक अक्सर इस रस का सेवन करते रहने से हर तरह के दर्द की छुट्टी हो जाती है।
- कच्ची फूलगोभी को साफ धोकर चबाने से खून साफ होता है और अनेक चर्मरोगों में आराम मिलता है। लौह तत्वों और प्रोटीन्स के पाए जाने के कारण शारीरिक शक्ति को प्रबल बनाने में भी इसका योगदान होता है।
- फूल गोभी और गाजर का रस समान मात्रा में तैयार कर इसका १ गिलास प्रतिदिन दिन में दो बार देने से पीलिया ग्रस्त रोगी को फायदा होता है।
Photo: - पूरे विश्व में सामान्यतः शीत ऋतु में मुख्य रूप से गोभी खाई जाती है, जो अनेक गुणों से भरपूर है। गोभी को कच्चा भी खाया जा सकता है।
- फूलगोभी खाने में ठंडी और तर होती है। 
- फूलगोभी में थोड़ी सी प्रोटीन , फॉस्फोरस, लौह तत्व, पोटैशियम, गंधक, नियासीन और विटामिन `सी´ आदि तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
- गोभी में गंधक एवं क्लोरीन घटकों की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण यह शरीर की गंदगी साफ करने का काम करती है।
- फूलगोभी ना सिर्फ खाने में बल्कि तिल को साफ करने में भी काफी कारगर होती है। घर में इसका रस तैयार करें और रोज तिल वाली जगह पर लगाए। इससे कुछ ही दिनों में पुरानी त्‍वचा धीरे धीरे साफ होने लगेगी और तिल गायब हो जाएगा।
- फूलगोभी में गंधक बहुत मिलता है। गंधक खुजली, कुष्ठ (कोढ़) आदि चर्म (त्वचा) रोगों में हितकारी होती है। फूलगोभी खून को साफ करती है। 
- फूलगोभी में "सलफोराफीन" रसायन पाया जाता है जो सेहत के लिए, ख़ासकर दिल के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है।
- गोभी में कुछ ऐसे तत्व एवं घटक हैं, जो मानव में रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाते हैं एवं समय से पहले आने वाली वृद्धावस्था को रोकते हैं। 
- गोभी में ’’ टारट्रोनिक ‘‘ नामक एसिड होता है, जो चरबी, शर्करा एवं अन्य पदार्थों को इकट्ठा होने से रोकता है, जिससे शरीर का आकार बना रहता है।
- कब्ज़ में रात को गोभी का रस पीने से लाभ होता है। 
- गोभी में क्षारीय तत्त्व होते हैं। जिससे क्षय रोगी को भी लाभ होता है। 
- गोभी खाते रहने से चर्म रोग, गैस, नाख़ून और बालों के रोग नष्ट होते हैं।
- कच्ची गोभी, पकी गोभी से ज्यादा सुपाच्य होती है।
- गोभी स्नायु मजबूत करती है । 
- गोभी में गंधक एवं क्लोरीन आंतों के मार्ग साफ करने में उपयोगी हैं, परंतु यह तब ही संभव है जब गोभी या इसके रस को कच्चा लिया जाए।
- पेट अल्सर का रोगी सामान्य भोजन के बाद दिन में तीन बार तीन से छह औसतन जितना गोभी का रस पिएं या चार से पांच बार कच्ची गोभी खाएं तो पेट एवं अल्सर के रोग में फायदा हो सकता है।
- सूजन, दाह, जख्म आदि दूर करने में भी गोभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
- चोट या जले जख्म पर गोभी के पत्तों को गरम पानी में धोकर उसके बाद उन्हें कपड़े में सुखाकर चोट पर लगाने से फायदा होता है। 
- गोभी में विटामिन ’सी‘ होता है, जो रक्त वाहिनियों को मजबूत करता है। 
- गोभी वृद्ध लोगों के लिए भी फायदेमंद है।
- गोभी का रस पीते रहने से आँखों की कमजोरी और पीलिया में लाभ होता है।
- इसके अत्यधिक प्रयोग से वायु बन सकती है। इससे बचने के लिये इसे बराबर मात्रा में गाजर के साथ खाना चाहिये।
- गोभी का रस पीते रहने से जोड़ों और हडि्डयों का दर्द, अपच (भोजन का न पचना), आंखों की कमजोरी और पीलिया आदि रोगों में लाभ मिलता है।
- रक्त (खून) की उल्टी : फूलगोभी की सब्जी खाने से या इसे कच्ची ही खाने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है। टी.बी. (क्षय) के रोगी के लिए भी यह बहुत ही हितकारी है।
- खूनी बवासीर और बादी बवासीर : फूलगोभी खाने से खूनी बवासीर और साधारण (बादी) बवासीर ठीक हो जाती है।
- पेशाब की जलन होने पर : फूलगोभी की सब्जी का सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
- कोलाइटिस के रोग : सुबह खाली पेट एक तिहाई कप गोभी का रस रोजाना पीने से कोलाइटिस, कैंसर और कब्ज तथा जख्म आदि रोगों में लाभ होता है।
- कब्ज : रात को सोते समय आधा गिलास गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।
- रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला) : गोभी में क्षारीय तत्व होते हैं। गोभी में पाया जाने वाला सल्फर और क्लोरीन का मिश्रण म्युकस, मेमरिन तथा आंतों की सफाई करता है।
- आदिवासियों के अनुसार इसके पत्तों को कुचलकर रस तैयार किया जाए और कुल्ला किया जाए तो मसूढ़ों से खून का निकलना बंद हो जाता है। वैसे कच्ची फूल गोभी को चबाने से मसूडों की सूजन भी उतर जाती है
- पत्तों को कुचलकर तैयार किया रस प्रतिदिन पीने से गठिया रोग के निदान में भी लाभकारी होता है। माना जाता है कि कम से कम तीन माह तक अक्सर इस रस का सेवन करते रहने से हर तरह के दर्द की छुट्टी हो जाती है।
- कच्ची फूलगोभी को साफ धोकर चबाने से खून साफ होता है और अनेक चर्मरोगों में आराम मिलता है। लौह तत्वों और प्रोटीन्स के पाए जाने के कारण शारीरिक शक्ति को प्रबल बनाने में भी इसका योगदान होता है।
- फूल गोभी और गाजर का रस समान मात्रा में तैयार कर इसका १ गिलास प्रतिदिन दिन में दो बार देने से पीलिया ग्रस्त रोगी को फायदा होता है।

कब्ज से राहत दिलाए

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इसमे बहुत ज्यादा रेशा होता है जिसकी वजह से पाचन क्रिया अच्छे से होती है और पेट दरुस्त रहता है। इस वजह से कब्ज की समस्या कभी नहीं हो पाती।

मांसपेशियों के दर्द में राहत देती है :
पत्ता गोभी में लैक्टिक एसिड काफी मात्रा में होती है जो मांसपेशियों के चोटिल होने और उसे रिकवर करने में काफी सहायक होती है।

पेप्टिक अल्सर के इलाज में सहायक :
पत्ता गोभी, पेप्टिक अल्सर के इलाज में सहायक होती है। इस रोग से पीडित व्यक्ति अगर वंदगोभी का नियमित सेवन करें तो उसे आराम मिल सकता है क्योंकि इसमें ग्लूटामाइन होता है जो अल्सर विरोधी होता है।

अल्माइजर को कम कर देता है :
हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि पत्ता गोभी के सेवन से अल्माइजर जैसी समस्याएं दूर हो जाती है। इसमें विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे अल्माइजर की समस्या दूर हो जाती है।

मोतियाबिंद के खतरे को कम करता है :
पत्ता गोभी के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम होता है। इसके लगातार सेवन से बॉडी में बीटा केराटिन बढ़ जाता है जिससे आंखे सही रहती है।

एंटी - फ्लैममेट्रोरी प्रॉपर्टी :
यह अमीनो एसिड में सबसे समृद्ध होता है जो सूजन आदि को कम करता है।

इम्यूनिटी को बढ़ाता है :
पत्ता गोभी, शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रांग बनाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जिससे बॉडी का इम्यूनिटी सिस्टम काफी मजबूत हो जाता है।

कैंसर को रोकने में मदद करता है :
वंदगोभी में ऐसे तत्व होते है जो कैंसर की रोकथाम करने और उसे होने से बचाने में मदद करता है। इसमें डिनडॉलीमेथेन ( डीआईएम ), सिनीग्रिन, ल्यूपेल, सल्फोरेन और इंडोल - 3 - कार्बीनॉल ( 13 सी) जैसे लाभदायक तत्व होते है। ये सभी कैंसर से बचाव करने में सहायक होते है।
Photo: कब्ज से राहत दिलाए
 इसमे बहुत ज्यादा रेशा होता है जिसकी वजह से पाचन क्रिया अच्छे से होती है और पेट दरुस्त रहता है। इस वजह से कब्ज की समस्या कभी नहीं हो पाती।

मांसपेशियों के दर्द में राहत देती है :
पत्ता गोभी में लैक्टिक एसिड काफी मात्रा में होती है जो मांसपेशियों के चोटिल होने और उसे रिकवर करने में काफी सहायक होती है।

 पेप्टिक अल्सर के इलाज में सहायक : 
पत्ता गोभी, पेप्टिक अल्सर के इलाज में सहायक होती है। इस रोग से पीडित व्यक्ति अगर वंदगोभी का नियमित सेवन करें तो उसे आराम मिल सकता है क्योंकि इसमें ग्लूटामाइन होता है जो अल्सर विरोधी होता है।

 अल्माइजर को कम कर देता है : 
हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि पत्ता गोभी के सेवन से अल्माइजर जैसी समस्याएं दूर हो जाती है। इसमें विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे अल्माइजर की समस्या दूर हो जाती है।

मोतियाबिंद के खतरे को कम करता है : 
पत्ता गोभी के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम होता है। इसके लगातार सेवन से बॉडी में बीटा केराटिन बढ़ जाता है जिससे आंखे सही रहती है।

एंटी - फ्लैममेट्रोरी प्रॉपर्टी : 
यह अमीनो एसिड में सबसे समृद्ध होता है जो सूजन आदि को कम करता है।
 
इम्यूनिटी को बढ़ाता है : 
पत्ता गोभी, शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रांग बनाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जिससे बॉडी का इम्यूनिटी सिस्टम काफी मजबूत हो जाता है।

कैंसर को रोकने में मदद करता है : 
वंदगोभी में ऐसे तत्व होते है जो कैंसर की रोकथाम करने और उसे होने से बचाने में मदद करता है। इसमें डिनडॉलीमेथेन ( डीआईएम ), सिनीग्रिन, ल्यूपेल, सल्फोरेन और इंडोल - 3 - कार्बीनॉल ( 13 सी) जैसे लाभदायक तत्व होते है। ये सभी कैंसर से बचाव करने में सहायक होते है।

अखरोट

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दिमाग के आकर का अखरोट को गर्मी के मौसम में भिगोकर, सर्दी के मौसम में
बिना भिगोए खाना चाहिए। यह दिमाग को तेज करता है और स्मरणशक्ति व मेधा शक्ति को बढाता है।
मस्तिष्क के रस को सूखने से बचाता है और मजबूती की वजह से ब्रेन हेमरेज होने का खतरा खत्म हो जाता है।
Photo: *******अखरोट********

दिमाग के आकर का अखरोट को गर्मी के मौसम में भिगोकर, सर्दी के मौसम में
बिना भिगोए खाना चाहिए। यह दिमाग को तेज करता है और स्मरणशक्ति व मेधा शक्ति को बढाता है।
मस्तिष्क के रस को सूखने से बचाता है और मजबूती की वजह से ब्रेन हेमरेज होने का खतरा खत्म हो जाता है।

अंकुरित गेहूं खाने से होते हैं ये जबरदस्त फायदे

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स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे....
- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
- अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।]


अंकुरित गेहूं खाने से होते हैं ये जबरदस्त फायदे, दूर होती है ये प्रॉब्लम्स 

स्वस्थ रहने  के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे....
- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
- अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।]

17 January 2014

स्त्री हो या पुरुष ये चार काम होने के बाद नहाना जरूरी है

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वैसे तो हर रोज नहाना अच्छे स्वास्थ्य का रामबाण उपाय है लेकिन कभी-कभी हम कुछ ऐसे काम करते हैं जिनके बाद भी नहाना बहुत जरूरी होता है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने चार काम ऐसे बताए हैं जिनके बाद व्यक्ति के लिए नहाना बहुत जरूरी है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। इसी वजह से स्वास्थ्य के संबंध में कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। अच्छे खान-पान के साथ ही रहन-सहन और आदतों का भी हमारी सेहत पर प्रभाव पड़ता है। काफी बीमारियां तो केवल नहाने से ही दूर रहती हैं। आचार्य इस श्लोक में चार ऐसे काम बताए हैं जिन्हें करने के बाद अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से नहा लेना चाहिए।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हजामत करवाने के बाद भी तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। बाल कटवाने के बाद पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं जो कि नहाने के बाद ही शरीर से साफ हो सकते हैं। अत: इस कार्य के बाद तुरंत नहाना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार स्वस्थ्य शरीर और चमकदार त्वचा के लिए जरूरी है कि कम से कम सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर तेल मालिश की जानी चाहिए। तेल मालिश के बाद शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं और अंदर का मेल बाहर हो जाता है। अत: तेल मालिश के तुरंत बाद नहा लेना चाहिए। इससे शरीर का समस्त मेल साफ हो जाता है। त्वचा में चमक आती है।

किसी भी पुरुष को स्त्री प्रसंग के बाद भी नहाना चाहिए। इस काम के बाद स्त्री और पुरुष दोनों ही अपवित्र हो जाते हैं और वे जब तक नहाएंगे नहीं किसी भी धार्मिक कार्य के लिए योग्य नहीं हो सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार इस प्रसंग के बाद व्यक्ति जब तक नहीं नहाता है तब तक वह चाण्डाल के समान होता है। इस प्रसंग के बाद शरीर की पवित्रता भंग हो जाती है, अत: इस काम के बाद बिना नहाए कहीं नहीं जाना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति किसी मृत इंसान की अंतिम यात्रा में जाता है, शमशान जाता है तो वहां से आने के तुरंत बाद भी नहा लेना चाहिए। शमशान के वातावरण में कई प्रकार के कीटाणु और विषाणु रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। शमशान जाने पर ये कीटाणु हमारे बालों में और कपड़ों पर चिपक जाते हैं, यदि इन्हें साफ न किया जाए तो यह स्वास्थ्य के हानिकारक हो सकते हैं। अत: वहां से घर आकर तुरंत नहा लेने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

इस प्रकार आचार्य चाणक्य चार ऐसे काम बताए हैं जिनके बाद नहाना बहुत जरूरी है। ये चार काम हैं जब भी शरीर पर तेल मालिश की जाए, शमशान से आने के बाद, हजामत बनवाने के बाद और स्त्री प्रसंग के बाद स्नान करना अनिवार्य माना गया है।


स्त्री हो या पुरुष ये चार काम होने के बाद नहाना जरूरी है...

वैसे तो हर रोज नहाना अच्छे स्वास्थ्य का रामबाण उपाय है लेकिन कभी-कभी हम कुछ ऐसे काम करते हैं जिनके बाद भी नहाना बहुत जरूरी होता है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने चार काम ऐसे बताए हैं जिनके बाद व्यक्ति के लिए नहाना बहुत जरूरी है। 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। इसी वजह से स्वास्थ्य के संबंध में कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। अच्छे खान-पान के साथ ही रहन-सहन और आदतों का भी हमारी सेहत पर प्रभाव पड़ता है। काफी बीमारियां तो केवल नहाने से ही दूर रहती हैं। आचार्य इस श्लोक में चार ऐसे काम बताए हैं जिन्हें करने के बाद अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से नहा लेना चाहिए।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हजामत करवाने के बाद भी तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। बाल कटवाने के बाद पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं जो कि नहाने के बाद ही शरीर से साफ हो सकते हैं। अत: इस कार्य के बाद तुरंत नहाना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार स्वस्थ्य शरीर और चमकदार त्वचा के लिए जरूरी है कि कम से कम सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर तेल मालिश की जानी चाहिए। तेल मालिश के बाद शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं और अंदर का मेल बाहर हो जाता है। अत: तेल मालिश के तुरंत बाद नहा लेना चाहिए। इससे शरीर का समस्त मेल साफ हो जाता है। त्वचा में चमक आती है।

किसी भी पुरुष को स्त्री प्रसंग के बाद भी नहाना चाहिए। इस काम के बाद स्त्री और पुरुष दोनों ही अपवित्र हो जाते हैं और वे जब तक नहाएंगे नहीं किसी भी धार्मिक कार्य के लिए योग्य नहीं हो सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार इस प्रसंग के बाद व्यक्ति जब तक नहीं नहाता है तब तक वह चाण्डाल के समान होता है। इस प्रसंग के बाद शरीर की पवित्रता भंग हो जाती है, अत: इस काम के बाद बिना नहाए कहीं नहीं जाना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति किसी मृत इंसान की अंतिम यात्रा में जाता है, शमशान जाता है तो वहां से आने के तुरंत बाद भी नहा लेना चाहिए। शमशान के वातावरण में कई प्रकार के कीटाणु और विषाणु रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। शमशान जाने पर ये कीटाणु हमारे बालों में और कपड़ों पर चिपक जाते हैं, यदि इन्हें साफ न किया जाए तो यह स्वास्थ्य के हानिकारक हो सकते हैं। अत: वहां से घर आकर तुरंत नहा लेने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

इस प्रकार आचार्य चाणक्य चार ऐसे काम बताए हैं जिनके बाद नहाना बहुत जरूरी है। ये चार काम हैं जब भी शरीर पर तेल मालिश की जाए, शमशान से आने के बाद, हजामत बनवाने के बाद और स्त्री प्रसंग के बाद स्नान करना अनिवार्य माना गया है।

सोया , सुआ या शेपू

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- इन दिनों हरी पत्तेदार सब्जियों की बहार है. अनेक ताज़ी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक , मेथी , सोया , बथुआ , सरसों मिल रही है.
- आज इनमे से सोया के बारे में जानते है. इसे अंग्रेजी में Dill इस नाम से जाना जाता है.
- इसके पत्ते सौंफ के पौधे की तरह दिखते है. इसके बीज भी सौंफ की तरह ही पर थोड़े बड़े होते है.
- इसके बीजों को बनसौंफ कहा जाता है. मराठी में इन्हें बाळंत सौंफ के नाम से जाना जाता है.
- सद्य प्रसूता महिला को भोजन के बाद अजवाइन और कसे हुए नारियल के साथ बनसौंफ खूब चबा चबा कर खाने को कहा जाता है. इससे वात वृद्धि नहीं होती. दूध अच्छी तरह उतरता है.
- अजवाई-बनसौंफ खाने से डिलीवरी के बाद बहनों का शरीर नहीं फूलता.
- इसकी पत्तेदार हरी सब्जी भी प्रसुती के बाद खिलाई जाती है.
- सर्दियों में मेथी सोया या पालक सोया , मूंग की दाल -सोया ऐसी सब्जियां बाजरे या मक्के की रोटी के साथ बड़े चाव से खाई जाती है.
- कई लोग इसकी चटनी भी बनाते है.
- बनसौंफ स्निग्ध,तीखी, भूख बढाने वाली ,उष्ण, मूत्ररोधक,बुद्धिवर्धक , कफ व वायूनाशक है.
- इसके सेवन से दाह, शूल, नेत्ररोग ,प्यास ,अतिसार आदि का नाश होता है.
- इसकी सब्जी को "आहारीय झाड़ू" कहा जाता है.पेट में रुकावट डालने वाली वायु के निष्कासन का काम यह सब्जी उत्तम प्रकार से करती है.
- पेट में गॅस होना, अजीर्ण, क्षुधामांद्य, कृमी ऐसी अनेक पचन तंत्र की गड़बड़ियों पर यह भाजी गुणकारी होती है.
- उग्र गंध होने से यह कई बार नापसंद की जाती है पर यह बहुत गुणकारी और औषधीय है.
- इसमें अनेक औषधी तेल होते है जिसमे से युगेनॉल तेल रक्‍तशर्करा नियंत्रित करता है.इसलिए यह सब्जी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत अच्छी है.
- इसमें मेथी व पालक की तरह "अ', "क' जीवनसत्त्व, फॉलिक ऍसिड व महत्त्वपूर्ण क्षार होते है.
- जिनकी जीवनशैली बैठे बैठे कार्य करने की है उनके लिए यह बहुत अच्छी सब्जी है.कम शारीरिक श्रम के कारण पेट भारी लगना , भूख कम लगना , अफारा , अजीर्ण आदि अनेक समस्याओं का निश्‍चित निदान यह सब्जी है.
- यह अनिद्रा के लिए उपयोगी है.
- उच्च रक्तचाप,गुर्दा रोग, सिर दर्द ,हृदय आदि पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है.
- गंभीर हिचकी, और खांसी के लिए इसका प्रयोग करें.यह बलगम हटाती है.
- अंगराग प्रयोजनों के लिए सोआ लोशन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
- यह आँखों के आसपास की सूजन और जलन को कम करती है.
- इसकी सौंफ को पीसकर कनपटी पर लगाने से लू लगने से होने वाला चक्कर और सिरदर्द शांत होता है.
- इसके पत्तें और जड़ को पीसकर लगाने से गठिया का दर्द और सूजन ठीक होता है.
- इसके पत्तों पर तेल लगाकर गर्म कर बाँधने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है.
- इसके पत्तों का काढा गुड के साथ लेने से रुकी हुई या कम माहवारी खुलकर आती है.
- इसकी सौंफ का ठंडा शरबत पिने से पित्त ज्वर शांत होता है.
Photo: सोया , सुआ या शेपू --
- इन दिनों हरी पत्तेदार सब्जियों की बहार है. अनेक ताज़ी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक , मेथी , सोया , बथुआ , सरसों मिल रही है.
- आज इनमे से सोया के बारे में जानते है. इसे अंग्रेजी में Dill इस नाम से जाना जाता है.
- इसके पत्ते सौंफ के पौधे की तरह दिखते है. इसके बीज भी सौंफ की तरह ही पर थोड़े बड़े होते है.
- इसके बीजों को बनसौंफ कहा जाता है. मराठी में इन्हें बाळंत सौंफ के नाम से जाना जाता है.
- सद्य प्रसूता महिला को भोजन के बाद अजवाइन और कसे हुए नारियल के साथ बनसौंफ खूब चबा चबा कर खाने को कहा जाता है. इससे वात वृद्धि नहीं होती. दूध अच्छी तरह उतरता है.
- अजवाई-बनसौंफ खाने से डिलीवरी के बाद बहनों का शरीर नहीं फूलता. 
- इसकी पत्तेदार हरी सब्जी भी प्रसुती के बाद खिलाई जाती है. 
- सर्दियों में मेथी सोया या पालक सोया , मूंग की दाल -सोया ऐसी सब्जियां बाजरे या मक्के की रोटी के साथ बड़े चाव से खाई जाती है. 
- कई लोग इसकी चटनी भी बनाते है.
- बनसौंफ स्निग्ध,तीखी, भूख बढाने वाली ,उष्ण, मूत्ररोधक,बुद्धिवर्धक , कफ व वायूनाशक है. 
- इसके सेवन से दाह, शूल, नेत्ररोग ,प्यास ,अतिसार आदि का नाश होता है.
- इसकी सब्जी को "आहारीय झाड़ू" कहा जाता है.पेट में रुकावट डालने वाली वायु के निष्कासन का काम यह सब्जी उत्तम प्रकार से करती है. 
- पेट में गॅस होना, अजीर्ण, क्षुधामांद्य, कृमी ऐसी अनेक पचन तंत्र की गड़बड़ियों पर यह भाजी गुणकारी होती है. 
- उग्र गंध होने से यह कई बार नापसंद की जाती है पर यह बहुत गुणकारी और औषधीय है.
- इसमें अनेक औषधी तेल होते है जिसमे से युगेनॉल तेल रक्‍तशर्करा नियंत्रित करता है.इसलिए यह सब्जी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत अच्छी है.
- इसमें मेथी व पालक की तरह "अ', "क' जीवनसत्त्व, फॉलिक ऍसिड व महत्त्वपूर्ण क्षार होते है.
- जिनकी जीवनशैली बैठे बैठे कार्य करने की है उनके लिए यह बहुत अच्छी सब्जी है.कम शारीरिक श्रम के कारण पेट भारी लगना , भूख कम लगना , अफारा , अजीर्ण आदि अनेक समस्याओं का निश्‍चित निदान यह सब्जी है.
- यह अनिद्रा के लिए उपयोगी है. 
- उच्च रक्तचाप,गुर्दा रोग, सिर दर्द ,हृदय आदि पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है. 
- गंभीर हिचकी, और खांसी के लिए इसका प्रयोग करें.यह बलगम हटाती है.
- अंगराग प्रयोजनों के लिए सोआ लोशन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
- यह आँखों के आसपास की सूजन और जलन को कम करती है.
- इसकी सौंफ को पीसकर कनपटी पर लगाने से लू लगने से होने वाला चक्कर और सिरदर्द शांत होता है.
- इसके पत्तें और जड़ को पीसकर लगाने से गठिया का दर्द और सूजन ठीक होता है.
- इसके पत्तों पर तेल लगाकर गर्म कर बाँधने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है.
- इसके पत्तों का काढा गुड के साथ लेने से रुकी हुई या कम माहवारी खुलकर आती है. 
- इसकी सौंफ का ठंडा शरबत पिने से पित्त ज्वर शांत होता है.

Kidney (गुर्दे) को साफ़ करेँ हरे धनिए के साथ

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धनिए के एक गुच्छे को पानी से धो ले और इसके पत्तो को तोडकर बारीक-बारीक काट ले और इन्हे एक गिलास पानी में डालकर 10 मिन्ट तक उबाले और छान कर ठण्डा होने के लिए रख दे, अच्छे से ठण्डा होने के बाद इसको पी ले, रोजाना ऐसा करे, कुछ दिन में ही आपके गुर्दे की सफ़ाई हो जाएंगी और सारी गंदगी मूत्र के साथ अपने आप बाहर निकल जाएगी।
Photo: Kidney (गुर्दे) को साफ़ करेँ हरे धनिए के साथ::
धनिए के एक गुच्छे को पानी से धो ले और इसके पत्तो को तोडकर बारीक-बारीक काट ले और इन्हे एक गिलास पानी में डालकर 10 मिन्ट तक उबाले और छान कर ठण्डा होने के लिए रख दे, अच्छे से ठण्डा होने के बाद इसको पी ले, रोजाना ऐसा करे, कुछ दिन में ही आपके गुर्दे की सफ़ाई हो जाएंगी और सारी गंदगी मूत्र के साथ अपने आप बाहर निकल जाएगी।

11 January 2014

बादाम रोगन के फायदे

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बोर्नविटा , कॉम्प्लान आदि पर हज़ारों रुपये खर्च करने की बजाये बादाम रोगन ख़रीदे।
- सोने से पूर्व आँखों के चारों ओर बादाम रोगन की हल्की-हल्की मालिश करने से चेहरे पर निखार आता है और झुर्रियां नहीं पड़ती।
- सिर की खुश्की मिटाने के लिए सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें।
- बाल न झड़े, इसके लिए भी सिर पर बादाम रोगन की मालिश करते हैं।
- रात में गाय के गर्म दूध में से चम्मच बादाम रोगन दाल कर पिने से दिमाग तेज़ होता है।
- बादाम रोगन गरम दूध में डाल कर पिने से कब्ज दूर होती है।
- नाक में दो - दो बूंद बादाम रोगन रात में सोते वक्त डालने से आँखों की ज्योति तेज़ होती है।ये नस्य दिमाग भी तेज़ करता है।
- बादाम रोगन के नस्य से सिर दर्द दूर होता है।
- यदि सुनने की शक्ति कम होने का भय हो तो बादाम रोगन की एक-एक बूंद प्रतिदिन डालें।
- आंवले के रस के साथ बादाम तेल की मालिश बालों का झड़ना, असमय सफेद होना, पतला होना और डैंड्रफ रोक सकती है।दो-तीन बूंद बादाम रोगन व एक चम्मच शहद की मालिश रोमकूप खोल चेहरे पर चमक लाती है।
- इसका सेवन तनाव कम करता है।
- ये हार्ट के लिए लाभदायक है।
- सर्दियों में शरीर का तापमान बनाए रखता है।
- छोटे बच्चों के लिए लाभदायक है।
- वजन घटाने में मदद करता है।
- गर्दन में दर्द होने पर इससे मालिश करने पर ठीक हो जाता है।
- इसकी सिर में मालिश करने से नींद अच्छी आती है।
बादाम रोगन के फायदे -------
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बोर्नविटा , कॉम्प्लान आदि पर हज़ारों रुपये खर्च करने की बजाये बादाम रोगन ख़रीदे।
- सोने से पूर्व आँखों के चारों ओर बादाम रोगन की हल्की-हल्की मालिश करने से चेहरे पर निखार आता है और झुर्रियां नहीं पड़ती।
- सिर की खुश्की मिटाने के लिए सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें।
- बाल न झड़े, इसके लिए भी सिर पर बादाम रोगन की मालिश करते हैं।
- रात में गाय के गर्म दूध में से चम्मच बादाम रोगन दाल कर पिने से दिमाग तेज़ होता है।
- बादाम रोगन गरम दूध में डाल कर पिने से कब्ज दूर होती है।
- नाक में दो - दो बूंद बादाम रोगन रात में सोते वक्त डालने से आँखों की ज्योति तेज़ होती है।ये नस्य दिमाग भी तेज़ करता है।
- बादाम रोगन के नस्य से सिर दर्द दूर होता है।
- यदि सुनने की शक्ति कम होने का भय हो तो बादाम रोगन की एक-एक बूंद प्रतिदिन डालें।
- आंवले के रस के साथ बादाम तेल की मालिश बालों का झड़ना, असमय सफेद होना, पतला होना और डैंड्रफ रोक सकती है।दो-तीन बूंद बादाम रोगन व एक चम्मच शहद की मालिश रोमकूप खोल चेहरे पर चमक लाती है।
- इसका सेवन तनाव कम करता है।
- ये हार्ट के लिए लाभदायक है।
- सर्दियों में शरीर का तापमान बनाए रखता है।
- छोटे बच्चों के लिए लाभदायक है।
- वजन घटाने में मदद करता है।
- गर्दन में दर्द होने पर इससे मालिश करने पर ठीक हो जाता है।
- इसकी सिर में मालिश करने से नींद अच्छी आती है।

10 January 2014

लौंग के फायदे और घरेलु नुस्खे

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चाहे भोजन का जायका बढ़ाना हो या फिर दर्द से छुटकारा, छोटी सी लौंग को न सिर्फ अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि इसके फायदे भी अनेक हैं। साधारण से सर्दी-जुकाम से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग के उपचार में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके गुण कुछ ऐसे हैं कि न सिर्फ आयुर्वेद बल्कि होम्योपैथ व एलोपैथ जैसी चिकित्सा विधाओं में भी बहुत अधिक महत्व आंका जाता है।

भोजन में फायदेमंद
मसाले के रूप में लौंग का इस्तेमाल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें प्रोटीम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और हाइड्रोक्लोरिक एसिड भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इसमें विटामिन ए और सी, मैग्नीज और फाइबर भी पाया जाता है।

दर्दनाशक गुण
लौंग एक बेहतरीन नैचुरल पेनकिलर है। इसमें मौजूद यूजेनॉल ऑयल दांतों के दर्द से आराम दिलाने में बहुत लाभदायक है। दांतो में कितना भी दर्द क्यों न हो, लौंग के तेल को उनपर लगाने से दर्द छूमंतर हो जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल विशेषता होती है जिस वजह से अब इसका इस्तेमाल कई तरह के टूथपेस्ट, माउथवाश और क्रीम बनाने में किया जाता है।

गठिया में आराम
गठिया रोग में जोड़ों में होने वाले दर्द व सूजन से आराम के लिए भी लौंग बहुत फायदेमंद है। इसमें फ्लेवोनॉयड्स अधिक मात्रा में पाया जाता है। कई अरोमा एक्सपर्ट गठिया के उपचार के लिए लौंग के तेल की मालिश को तवज्जो देते हैं।

श्वास संबंधी रोगों में आराम
लौंग के तेल का अरोमा इतना सशक्त होता है कि इसे सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में तुरंत आराम मिल जाता है।

बेहतरीन एंटीसेप्टिक
लौं व इसके तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जिससे फंगल संक्रमण, कटने, जलने, घाव हो जाने या त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लौंग के तेल को कभी भी सीधे त्वचा पर न लगाकर किसी तेल में मिलाकर लगाना चाहिए।

पाचन में फायदेमंद
भोजन में लौंग का इस्तेमाल कई पाचन संबंधी समस्याओं में आराम पहुंचाता है। इसमें मौजूद तत्व अपच, उल्टी गैस्ट्रिक, डायरिया आदि समस्याओं से आराम दिलाने में मददगार हैं।

कैंसर
शोधकर्ताओं का मानना है कि लौंग के इस्तेमाल से फेफड़े के कैंसर और त्वचा के कैंसर को रोकने में काफी मदद मिल सकती है। इसमें मौजूद युजेनॉल नामक तत्व इस दिशा में काफी सहायक है।

अन्य फायदे
इतना ही नहीं, लौंग का सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और रक्त शुद्ध करता है। इसका इस्तेमाल मलेरिया, हैजा जैसे रोगों के उपचार के लिए दवाओं में किया जाता है। डायबिटीज में लौंग के सेवन से ग्लूकोज का स्तर कम होता है। लौंग का तेल पेन किलर के अलावा मच्छरों को भी दूर भगाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।


लौंग के फायदे और घरेलु नुस्खे -----
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चाहे भोजन का जायका बढ़ाना हो या फिर दर्द से छुटकारा, छोटी सी लौंग को न सिर्फ अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि इसके फायदे भी अनेक हैं। साधारण से सर्दी-जुकाम से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग के उपचार में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके गुण कुछ ऐसे हैं कि न सिर्फ आयुर्वेद बल्कि होम्योपैथ व एलोपैथ जैसी चिकित्सा विधाओं में भी बहुत अधिक महत्व आंका जाता है। 

भोजन में फायदेमंद
मसाले के रूप में लौंग का इस्तेमाल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें प्रोटीम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और हाइड्रोक्लोरिक एसिड भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इसमें विटामिन ए और सी, मैग्नीज और फाइबर भी पाया जाता है। 

दर्दनाशक गुण
लौंग एक बेहतरीन नैचुरल पेनकिलर है। इसमें मौजूद यूजेनॉल ऑयल दांतों के दर्द से आराम दिलाने में बहुत लाभदायक है। दांतो में कितना भी दर्द क्यों न हो, लौंग के तेल को उनपर लगाने से दर्द छूमंतर हो जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल विशेषता होती है जिस वजह से अब इसका इस्तेमाल कई तरह के टूथपेस्ट, माउथवाश और क्रीम बनाने में किया जाता है। 

गठिया में आराम
गठिया रोग में जोड़ों में होने वाले दर्द व सूजन से आराम के लिए भी लौंग बहुत फायदेमंद है। इसमें फ्लेवोनॉयड्स अधिक मात्रा में पाया जाता है। कई अरोमा एक्सपर्ट गठिया के उपचार के लिए लौंग के तेल की मालिश को तवज्जो देते हैं। 

श्वास संबंधी रोगों में आराम
लौंग के तेल का अरोमा इतना सशक्त होता है कि इसे सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में तुरंत आराम मिल जाता है। 

बेहतरीन एंटीसेप्टिक
लौं व इसके तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जिससे फंगल संक्रमण, कटने, जलने, घाव हो जाने या त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लौंग के तेल को कभी भी सीधे त्वचा पर न लगाकर किसी तेल में मिलाकर लगाना चाहिए।

पाचन में फायदेमंद
भोजन में लौंग का इस्तेमाल कई पाचन संबंधी समस्याओं में आराम पहुंचाता है। इसमें मौजूद तत्व अपच, उल्टी गैस्ट्रिक, डायरिया आदि समस्याओं से आराम दिलाने में मददगार हैं। 

कैंसर
शोधकर्ताओं का मानना है कि लौंग के इस्तेमाल से फेफड़े के कैंसर और त्वचा के कैंसर को रोकने में काफी मदद मिल सकती है। इसमें मौजूद युजेनॉल नामक तत्व इस दिशा में काफी सहायक है।

अन्य फायदे
इतना ही नहीं, लौंग का सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और रक्त शुद्ध करता है। इसका इस्तेमाल मलेरिया, हैजा जैसे रोगों के उपचार के लिए दवाओं में किया जाता है। डायबिटीज में लौंग के सेवन से ग्लूकोज का स्तर कम होता है। लौंग का तेल पेन किलर के अलावा मच्छरों को भी दूर भगाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

6 January 2014

निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा

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ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।

सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।

नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।


ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मा लगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है। नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी।

सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें।

नियमित रूप से अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।

त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।

सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

3 January 2014

सब्जियां कैसे धोये ?

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 आज कल सब्जियां उगाने की जगह और तरीका ऐसा होता है की सिर्फ्र उसकी मात्रा पर ध्यान जाता है। फिर वे नाले के पानी से सिंची जाए या उस पर ज़हर छिडका जाए इसकी कोई परवाह नहीं करता। ऑर्गेनिक सब्जियां महँगी होती है की आम आदमी उसे खरीद नहीं सकता।
- देश के कृषि मंत्री ने भी इस बात को माना है कि भारत में 67 ऐसे पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल हो रहा है , जो दूसरे देशों में प्रतिबंधित हैं। लेकिन कई सब्जियां ऐसी हैं जिनमें इस जहर से डरने की जरूरत नहीं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि घिया , तोरई , सीताफल , गाजर , शलगम जैसी कई सब्जियां ऐसी हैं , जिनमें पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है।
- सब्जी का सिर्फ रूप - रंग ना देखे। जिस सब्जी में अच्छी खुशबु है और स्वाद अच्छा है , वही ख़रीदे।अलग अलग सब्जी वाले से खरीद कर देखे और फिर एक को चुने और उसी से लेते रहे।
- अगर गोभी का फूल एकदम सफेद और चमकदार न होकर थोड़ा पीला है तो उसे ही लें।गोभी के फूल में चमक लाने के लिए उसे मेलोथियन में डुबोया जाता है। इसी तरह भिंडी डार्क हरी नहीं हैं तो उसे खरीदें।
- चमकदार फल और सब्जियों के इस्तेमाल से बचें , जैसे टमाटर , बैंगन , भिंडी , सेब।
- कई बार बेबी कॉर्न या बीट रूट में दवाई की महक आती है , ऐसी सब्जी ना ख़रीदे।
- हरी सब्जी को बिन कर पानी में डुबाकर रखे। थोड़ी देर में उसकी मिटटी नीचे बैठ जायेगी। ऊपर ऊपर से सब्जी निकाल ले। ऐसा 3-4 बार जब तक नीचे मिटटी बैठ तब तक धोये।हरी सब्जी की मिटटी रह जाए तो पेट के कीड़ों को जन्म देती है जो कई बार ब्रेन में जमा हो जाते है और मिर्गी जैसी बिमारी को जन्म देते है।
- गाजर , मूली, आलू आदि को पहले धो कर मिटटी निकाल ले। फिर मोटा छिलका निकाल ले और फिर से पानी से धो ले। अब काटे।
- प्याज , लहसून आदि भी धो कर काटे। इससे उनका छिलका भी आसानी से उतरता है।
- हरी मिर्च को धो कर , डंडी निकाल कर रख ले। कभी भी तुरंत इस्तेमाल कर सकते है।
- हरा धनिया हमेशा देशी ही इस्तेमाल करे। जिस धनिये में दूर से ही खुशबु आ रही है , वही अच्छा है।इसे भी बिन कर कई बार पानी से निकाल ले और एक पेपर पर फैला कर सुखा ले। अब ये कभी इस्तेमाल के लिए तैयार है।
- पुदीना भी इसी तरह तैयार कर ले। ये छाया में सुखाकर रख ले।इसका चुरा बना कर कभी भी भेल पूरी या जलजीरा या पानी पूरी के पानी में डाला जा सकता है।
- इसी तरह कढी पत्ते को भी धो कर सुखा के रख ले।
- हरी सब्जी को धोने के बाद एक बड़े सूती दुपट्टे में रखे। पोटली बना कर गोल घुमाए। सारा पानी निकल जाएगा।अब यह सड़ेगा नहीं।
- बर्तन धोने वाले डिटर्जेंट की कुछ बूंदे एक लीटर पानी में मिलाएं और उसमें फल व सब्जी धोने के बाद उन्हें हल्के गुनगुने पानी में धोएं। इससे उन पर लगा वैक्स और कलर हट जाएगा।
- नमक मिले पानी से भी सब्जियों को धोया जा सकता है और कीटाणु मुक्त बनाया जा सकता है।
- बंदगोभी और ऐसी ही दूसरी पत्तेदार सब्जियों के ऊपरी हिस्से के पत्ते जरूर उतार दें।
- फूल गोभी को काटकर नमक और हल्दी के पानी में धो ले।
- सीजनल चीजें खाने से भी नुकसान कम होता है , क्योंकि उनमें पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है।
- आजकल अधिकतर अधिकतर स्वीट कॉर्न जेनेटिकली मोडिफाईड होता है। यह पोषण ना दे कर खतरनाक बीमारियाँ देता है। इसलिए देशी कॉर्न का ही इस्तेमाल करे।


सब्जियां कैसे धोये ?
- आज कल सब्जियां उगाने की जगह और तरीका ऐसा होता है की सिर्फ्र उसकी मात्रा पर ध्यान जाता है। फिर वे नाले के पानी से सिंची जाए या उस पर ज़हर छिडका जाए इसकी कोई परवाह नहीं करता। ऑर्गेनिक सब्जियां महँगी होती है की आम आदमी उसे खरीद नहीं सकता।
- देश के कृषि मंत्री ने भी इस बात को माना है कि भारत में 67 ऐसे पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल हो रहा है , जो दूसरे देशों में प्रतिबंधित हैं। लेकिन कई सब्जियां ऐसी हैं जिनमें इस जहर से डरने की जरूरत नहीं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि घिया , तोरई , सीताफल , गाजर , शलगम जैसी कई सब्जियां ऐसी हैं , जिनमें पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है।
- सब्जी का सिर्फ रूप - रंग ना देखे। जिस सब्जी में अच्छी खुशबु है और स्वाद अच्छा है , वही ख़रीदे।अलग अलग सब्जी वाले से खरीद कर देखे और फिर एक को चुने और उसी से लेते रहे।
- अगर गोभी का फूल एकदम सफेद और चमकदार न होकर थोड़ा पीला है तो उसे ही लें।गोभी के फूल में चमक लाने के लिए उसे मेलोथियन में डुबोया जाता है। इसी तरह भिंडी डार्क हरी नहीं हैं तो उसे खरीदें।
- चमकदार फल और सब्जियों के इस्तेमाल से बचें , जैसे टमाटर , बैंगन , भिंडी , सेब।
- कई बार बेबी कॉर्न या बीट रूट में दवाई की महक आती है , ऐसी सब्जी ना ख़रीदे।
- हरी सब्जी को बिन कर पानी में डुबाकर रखे। थोड़ी देर में उसकी मिटटी नीचे बैठ जायेगी। ऊपर ऊपर से सब्जी निकाल ले। ऐसा 3-4 बार जब तक नीचे मिटटी बैठ तब तक धोये।हरी सब्जी की मिटटी रह जाए तो पेट के कीड़ों को जन्म देती है जो कई बार ब्रेन में जमा हो जाते है और मिर्गी जैसी बिमारी को जन्म देते है। 
- गाजर , मूली, आलू आदि को पहले धो कर मिटटी निकाल ले। फिर मोटा छिलका निकाल ले और फिर से पानी से धो ले। अब काटे।
- प्याज , लहसून आदि भी धो कर काटे। इससे उनका छिलका भी आसानी से उतरता है।
- हरी मिर्च को धो कर , डंडी निकाल कर रख ले। कभी भी तुरंत इस्तेमाल कर सकते है।
- हरा धनिया हमेशा देशी ही इस्तेमाल करे। जिस धनिये में दूर से ही खुशबु आ रही है , वही अच्छा है।इसे भी बिन कर कई बार पानी से निकाल ले और एक पेपर पर फैला कर सुखा ले। अब ये कभी इस्तेमाल के लिए तैयार है।
- पुदीना भी इसी तरह तैयार कर ले। ये छाया में सुखाकर रख ले।इसका चुरा बना कर कभी भी भेल पूरी या जलजीरा या पानी पूरी के पानी में डाला जा सकता है।
- इसी तरह कढी पत्ते को भी धो कर सुखा के रख ले।
- हरी सब्जी को धोने के बाद एक बड़े सूती दुपट्टे में रखे। पोटली बना कर गोल घुमाए। सारा पानी निकल जाएगा।अब यह सड़ेगा नहीं।
- बर्तन धोने वाले डिटर्जेंट की कुछ बूंदे एक लीटर पानी में मिलाएं और उसमें फल व सब्जी धोने के बाद उन्हें हल्के गुनगुने पानी में धोएं। इससे उन पर लगा वैक्स और कलर हट जाएगा।
- नमक मिले पानी से भी सब्जियों को धोया जा सकता है और कीटाणु मुक्त बनाया जा सकता है।
- बंदगोभी और ऐसी ही दूसरी पत्तेदार सब्जियों के ऊपरी हिस्से के पत्ते जरूर उतार दें।
- फूल गोभी को काटकर नमक और हल्दी के पानी में धो ले।
- सीजनल चीजें खाने से भी नुकसान कम होता है , क्योंकि उनमें पेस्टिसाइड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है।
- आजकल अधिकतर अधिकतर स्वीट कॉर्न जेनेटिकली मोडिफाईड होता है। यह पोषण ना दे कर खतरनाक बीमारियाँ देता है। इसलिए देशी कॉर्न का ही इस्तेमाल करे।

पेड़ और आदमी

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एक बार की बात है एक जंगल में सेब का एक बड़ा पेड़ था| एक बच्चा रोज उस पेड़ पर खेलने आया करता था| वह कभी पेड़ की डाली से लटकता कभी फल तोड़ता कभी उछल कूद करता था, सेब का पेड़ भी उस बच्चे से काफ़ी खुश रहता था| कई साल इस तरह बीत गये| अचानक एक दिन बच्चा कहीं चला गया और फिर लौट के नहीं आया, पेड़ ने उसका काफ़ी इंतज़ार किया पर वह नहीं आया| अब तो पेड़ उदास हो गया|

काफ़ी साल बाद वह बच्चा फिर से पेड़ के पास आया पर वह अब कुछ बड़ा हो गया था| पेड़ उसे देखकर काफ़ी खुश हुआ और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा| पर बच्चा उदास होते हुए बोला कि अब वह बड़ा हो गया है अब वह उसके साथ नहीं खेल सकता| बच्चा बोला की अब मुझे खिलोने से खेलना अच्छा लगता है पर मेरे पास खिलोने खरीदने के लिए पैसे नहीं है| पेड़ बोला उदास ना हो तुम मेरे फल तोड़ लो और उन्हें बेच कर खिलोने खरीद लो| बच्चा खुशी खुशी फल तोड़ के ले गया लेकिन वह फिर बहुत दिनों तक वापस नहीं आया| पेड़ बहुत दुखी हुआ|

अचानक बहुत दिनों बाद बच्चा जो अब जवान हो गया था वापस आया, पेड़ बहुत खुश हुआ और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा पर लड़के ने कहा कि वह पेड़ के साथ नहीं खेल सकता अब मुझे कुछ पैसे चाहिए क्यूंकी मुझे अपने बच्चों के लिए घर बनाना है| पेड़ बोला मेरी शाखाएँ बहुत मजबूत हैं तुम इन्हें काट कर ले जाओ और अपना घर बना लो| अब लड़के ने खुशी खुशी सारी शाखाएँ काट डालीं और लेकर चला गया| वह फिर कभी वापस नहीं आया|

बहुत दिनों बात जब वह वापिस आया तो बूढ़ा हो चुका था पेड़ बोला मेरे साथ खेलो पर वह बोला की अब में बूढ़ा हो गया हूँ अब नहीं खेल सकता| पेड़ उदास होते हुए बोला की अब मेरे पास ना फल हैं और ना ही लकड़ी अब में तुम्हारी मदद भी नहीं कर सकता| बूढ़ा बोला की अब उसे कोई सहायता नहीं चाहिए बस एक जगह चाहिए जहाँ वह बाकी जिंदगी आराम से गुजर सके| पेड़ ने उसे अपने जड़ मे पनाह दी और बूढ़ा हमेशा वहीं रहने लगा|

तुलसी के बीज से यौन समस्याओ का उपचार

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जब भी तुलसी में खूब फुल यानी मंजिरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के झाड में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है . इन पकी हुई मंजिरियों को रख ले . इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले . यही सब्जा है . अगर आपके घर में नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएंगे

शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:: तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है

नपुंसकता:: तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।

यौन दुर्बलता : 15 ग्राम तुलसी के बीज और 30 ग्राम सफेद मुसली लेकर चूर्ण बनाएं, फिर उसमें 60 ग्राम मिश्री पीसकर मिला दें। और शीशी में भरकर रख दें। 5 ग्राम की मात्रा में यह चूर्ण सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करें इससे यौन दुर्बलता दूर होती है।

मासिक धर्म में अनियमियता:: जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है

गर्भधारण में समस्या:: जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो मासिक आने पर ५-५ ग्राम तुलसी बीज सुबह शाम पानी के साथ ले जब तक मासिक रहे , मासिक ख़त्म होने के बाद माजूफल का चूर्ण १० ग्राम सुबह शाम पानी के साथ ले ३ दिन तक

तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है .


नोट :: तुलसी के बीज,सफेद मुसली और माजूफल का चूर्ण आपको पंसारी की दूकान या आयुर्वैदिक दवाओ कि दूकान से मिल जायेंगे

2 January 2014

सर्दियों में बालों की रुसी से सुरक्षा

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- नारियल और जैतून के तेल की बराबर मात्रा लेकर इसमें कुछ बूंदे नींबू के रस की मिला ली जाएं और इस मिश्रण से बालों की मालिश लगभग 10 मिनिट तक की जाए और फिर गर्म तौलिए से सिर को 3 मिनिट के लिए ढक लिया जाए, बालों से जुडी समस्याओं में काफी फायदा करता है।
- मेथी के बीजों में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन होने से ये कॉड-लिवर ऑयल जैसे पोषक और बल प्रदान करने वाले होते हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बालों की बेहतर सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। बालों में रूसी होने पर मेथी दानों को कुचलकर या ग्राईंडर में पीसकर चूर्ण बनाया जाए। लगभग 3 ग्राम चूर्ण लेकर इसमें पानी मिलाया जाए ताकि पेस्ट तैयार हो जाए। इस पेस्ट को बालों में लगाएं और आधा घंटे बाद धो लें, सप्ताह में 2 से 3 बार ऐसा करने से डेंड्रफ की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
सर्दियों में बालों की रुसी से सुरक्षा - 
- नारियल और जैतून के तेल की बराबर मात्रा लेकर इसमें कुछ बूंदे नींबू के रस की मिला ली जाएं और इस मिश्रण से बालों की मालिश लगभग 10 मिनिट तक की जाए और फिर गर्म तौलिए से सिर को 3 मिनिट के लिए ढक लिया जाए, बालों से जुडी समस्याओं में काफी फायदा करता है।
- मेथी के बीजों में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन होने से ये कॉड-लिवर ऑयल जैसे पोषक और बल प्रदान करने वाले होते हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं जो बालों की बेहतर सेहत के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। बालों में रूसी होने पर मेथी दानों को कुचलकर या ग्राईंडर में पीसकर चूर्ण बनाया जाए। लगभग 3 ग्राम चूर्ण लेकर इसमें पानी मिलाया जाए ताकि पेस्ट तैयार हो जाए। इस पेस्ट को बालों में लगाएं और आधा घंटे बाद धो लें, सप्ताह में 2 से 3 बार ऐसा करने से डेंड्रफ की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।

पाँच पाण्डव तथा सौ कौरवों के नाम

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पाँच पाण्डव तथा सौ कौरवों के नाम ये थे :–

पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -


1. युधिष्ठिर

2. भीम

3. अर्जुन

4. नकुल

5. सहदेव

( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण

भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु

उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है )

यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त

पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन

की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव

की माता माद्री थी ।

वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र…..

कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -

1. दुर्योधन

2. दुःशासन

3. दुःसह

4. दुःशल

5. जलसंघ

6. सम

7. सह

8. विंद

9. अनुविंद

10. दुर्धर्ष

11. सुबाहु

12. दुषप्रधर्षण

13. दुर्मर्षण

14. दुर्मुख

15. दुष्कर्ण

16. विकर्ण

17. शल

18. सत्वान

19. सुलोचन

20. चित्र

21. उपचित्र

22. चित्राक्ष

23. चारुचित्र

24. शरासन

25. दुर्मद

26. दुर्विगाह

27. विवित्सु

28. विकटानन्द

29. ऊर्णनाभ

30. सुनाभ

31. नन्द

32. उपनन्द

33. चित्रबाण

34. चित्रवर्मा

35. सुवर्मा

36. दुर्विमोचन

37. अयोबाहु

38. महाबाहु

39. चित्रांग

40. चित्रकुण्डल

41. भीमवेग

42. भीमबल

43. बालाकि

44. बलवर्धन

45. उग्रायुध

46. सुषेण

47. कुण्डधर

48. महोदर

49. चित्रायुध

50. निषंगी

51. पाशी

52. वृन्दारक

53. दृढ़वर्मा

54. दृढ़क्षत्र

55. सोमकीर्ति

56. अनूदर

57. दढ़संघ

58. जरासंघ

59. सत्यसंघ

60. सद्सुवाक

61. उग्रश्रवा

62. उग्रसेन

63. सेनानी

64. दुष्पराजय

65. अपराजित

66. कुण्डशायी

67. विशालाक्ष

68. दुराधर

69. दृढ़हस्त

70. सुहस्त

71. वातवेग

72. सुवर्च

73. आदित्यकेतु

74. बह्वाशी

75. नागदत्त

76. उग्रशायी

77. कवचि

78. क्रथन

79. कुण्डी

80. भीमविक्र

81. धनुर्धर

82. वीरबाहु

83. अलोलुप

84. अभय

85. दृढ़कर्मा

86. दृढ़रथाश्रय

87. अनाधृष्य

88. कुण्डभेदी

89. विरवि

90. चित्रकुण्डल

91. प्रधम

92. अमाप्रमाथि

93. दीर्घरोमा

94. सुवीर्यवान

95. दीर्घबाहु

96. सुजात

97. कनकध्वज

98. कुण्डाशी

99. विरज

100. युयुत्सु

( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन

भी थी… जिसका नाम""दुशाला""था,

जिसका विवाह"जयद्रथ"सेहुआ था )
"श्री मद्-भगवत गीता"
के बारे में-

किसको किसने सुनाई?
उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। 

कब सुनाई?
उ.- आज से लगभग 7 हज़ार साल पहले सुनाई।

भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?
उ.- रविवार के दिन।

कोनसी तिथि को?
उ.- एकादशी 

कहा सुनाई?
उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।

कितनी देर में सुनाई?
उ.- लगभग 45 मिनट में

क्यू सुनाई?
उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।

कितने अध्याय है?
उ.- कुल 18 अध्याय

कितने श्लोक है?
उ.- 700 श्लोक

गीता में क्या-क्या बताया गया है?
उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। 

गीता को अर्जुन के अलावा
और किन किन लोगो ने सुना?
उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने

अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?
उ.- भगवान सूर्यदेव को

गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?
उ.- उपनिषदों में

गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?
उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।

गीता का दूसरा नाम क्या है?
उ.- गीतोपनिषद

गीता का सार क्या है?
उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना

गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?
उ.- श्रीकृष्ण ने- 574
अर्जुन ने- 85 
धृतराष्ट्र ने- 1
संजय ने- 40.

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