18 December 2015

आयुर्वेद द्वारा चश्मा हटाने का उपचार

अगर ज्यादा देर तक कंप्यूटर पर काम करते हुए या किताब, टीवी देखते हुए आपकी आंखे दर्द करने लगती है तो यह आपके लिए खतरे की घंटी हो सकती है। ऎसे में आंखों की रोशनी कमजोर होने से आपकी आंखों पर चश्मा चढ़ जाता है। लेकिन क्या आप चश्में से छुटकारा पाना चाहते है तो हम आपको बताते हैं ऎसे कुछ घरेलू उपाय जिनसे आप आसानी से चश्मे से छुटकारा पा सकते हैं।
हथेली
अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़े, जिससे गर्मी पैदा होगी। फिर आंखे बंद करके हथेलियों को आंखों पर रखें। ध्यान रहें आंखों पर हाथ रखते पर रोशनी बिल्कुल ना आएं। दिन में ऎसा 3-4 बार करें।
कालीमिर्च
दो चुटकी कालीमिर्च पाउडर में एक चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें और रोजाना इसका सेवन करें। इससे आंखों की रोशनी बेहतर होती है और चश्मे से छुटकारा मिलता है।
चीनी और धनिया की आई ड्रॉप
तीन भाग धनिया के साथ एक भाग चीनी मिक्स करें। दोनों को पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इसे पानी में गर्म करें और एक घंटे के लिए कवर करके रख दें। फिर एक साफ कॉटन का कपड़ा लेकर इस मिश्रण को छान लें और आंखों में आई ड्रॉप की तरह इस्तेमाल करें।
भरपूर नींद
आधुनिक लाइफस्टाइल में अनिद्रा की समस्या बहुत कॉमन है। अगर आप पूरी नींद नहीं लेंगे तो इसका असर आपकी आंखों पर भी पड़ेगा। जिससे आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स तो होंगे ही, साथ ही आंखों की रोशनी भी कम होगी। इसलिए एक दिन में 7-9 घंटे की नींद बहुत जरूरी है।
एक्सरसाइज
चश्मा हटाने का सबसे कारगर उपाय है आंखों की एक्सरसाइज। रोज आंखों की एक्सरसाइज करने से आंखे मजबूत होती है और आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है। अगर आप रोज आंखों की एक्सरसाइज करें तो इससे आपका चश्मा भी हट सकता है।
तांबे के बर्तन में रखा पानी
एक लीटर पानी को तांबे के जग में रात भर के लिए रख दें और सुबह उठकर इस पानी को पीएं। तांबे में रखा पानी शरीर विशेषकर आंखों को बहुत फायदा पहुंचाता है।
शहद
बादाम को गर्म पानी में कुछ देर रखें, फिर गल जाने पर इसके छिलके उतार दें और इसमें एक चम्मच शहद मिला लें। इस मिश्रण को रोज खाएं, इससे कमजोर आंखे ठीक होती है और आंखों की रोशनी बढ़ती है।
सूर्य की रोशनी
सूर्य की रोशनी आंखों के लिए बहुत लाभदाक है। इससे आंखों के लेंस और सिलिअरी मांसपेशियों को रिएक्टिवेट होती है। इसके लिए रोज कुछ मिनट बंद आंखों पर धूप सेंके। इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।
ड्राई फ्रूट्स
रातभर 6-7 बादाम, 15 किशमिश और दो अंजीर पानी में भिगोकर रखें और फिर अगली सुबह इन्हें खाली पेट खा लें। इसमें पाए जाने वाले फाइबर और विटामिन से आंखों की रोशनी तेज होती है।
Om Jalandhara's photo.

कच्ची हल्दी के 10 सेहतमंद गुण

1. कच्ची हल्दी में कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। यह खासतौर पर पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर के कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने के साथ साथ उन्हें खत्म भी कर देती है। यह हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से होने वाले ट्यूमर से भी बचाव करती है।
2. हल्दी में सूजन को रोकने का खास गुण होता है। इसका उपयोग गठिया रोगियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है। यह शरीर के प्राकृतिक सेल्स को खत्म करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है और गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।
3. कच्ची हल्दी में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने का गुण होता है। इस प्रकार यह मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है। इंसुलिन के अलावा यह ग्लूकोज को नियंत्रित करती है जिससे मधुमेह के दौरान दी जाने वाली उपचार का असर बढ़ जाता है। परंतु अगर आप जो दवाइयां ले रहे हैं बहुत बढ़े हुए स्तर (हाई डोज) की हैं तो हल्दी के उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।
4. शोध से साबित हो चका है कि हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होता है इससे शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी इस तरह से शरीर में बैक्टेरिया की समस्या से बचाव करती है। यह बुखार होने से रोकती है। इसमें शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।
5. हल्दी के लगातार इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल सेरम का स्तर शरीर में कम बना रहता है। कोलेस्ट्रोल सेरम को नियंत्रित रखकर हल्दी शरीर को ह्रदय रोगों से सुरक्षित रखती है।
6. कच्ची हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं। इसमें इंफेक्शन से लडने के गुण भी पाए जाते हैं। इसमें सोराइसिस जैसे त्वचा संबंधि रोगों से बचाव के गुण होते हैं।
7. हल्दी का उपयोग त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने में बहुत कारगर है। इसके एंटीसेप्टीक गुण के कारण भारतीय संस्कृति में विवाह के पूर्व पूरे शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया जाता है।
8. कच्ची हल्दी से बनी चाय अत्यधिक लाभकारी पेय है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
9. हल्दी में वजन कम करने का गुण पाया जाता है। इसका नियमित उपयोग से वजन कम होने की गति बढ़ जाती है।
10. शोध से साबित होता है कि हल्दी लीवर को भी स्वस्थ रखती है। हल्दी के उपयोग से लीवर सुचारु रुप से काम करता रहता है।

खुनी बवासीर का एक दिन में इलाज

नारियल की जटा से करे खुनी बवासीर का एक दिन में इलाज।

इस इलाज से एक दिन में ही रक्तस्राव बंद हो जाता है। बड़ा सस्ता व सरल उपाय है। एक बार इसको ज़रूर अपनाये।
उपाय इस प्रकार हैं।
नारियल की जटा लीजिए। उसे माचिस से जला दीजिए। जलकर भस्म बन जाएगी। इस भस्म को शीशी में भर कर ऱख लीजिए। कप डेढ़ कप छाछ या दही के साथ नारियल की जटा से बनी भस्म तीन ग्राम खाली पेट दिन में तीन बार सिर्फ एक ही दिन लेनी है। ध्यान रहे दही या छाछ ताजी हो खट्टी न हो। कैसी और कितनी ही पुरानी पाइल्स की बीमारी क्यों न हो, एक दिन में ही ठीक हो जाती है।
सचमुच मुझे भी ऐसा ही चमत्कार देखने को मिला। उस मरीज को जो पंद्रह दिन से खूनी बवासीर के कारण परेशान था, एक दिन में ही आराम हो गया। स्वामीजी ने लिखा है कि यह नुस्खा किसी भी प्रकार के रक्तस्राव को रोकने में कारगर है। महिलाओं के मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव या श्वेत प्रदर की बीमारी में भी कारगर है। हैजा, वमन या हिचकी रोग में यह भस्म एक घूँट पानी के साथ लेनी चाहिए। ऐसे कितने ही नुस्खे हिन्दुस्तान के मंदिरों और मठों में साधु संन्यासियों द्वारा आजमाए हुए हैं। इन पर शोध किया जाना चाहिए।
पुनः कुछ लोगों ने मुझे फोन कर सवाल किया कि खाली पेट दिन में तीन बार लेना अर्थार्थ दिन भर भोजन नहीं करना है क्या। मेरा सुझाव है कि दवा लेने के एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक कुछ न खाएं तो चलेगा। अगर रोग ज्यादा जीर्ण हो और एक दिन दवा लेने से लाभ न हो तो दो या तीन दिन लेकर देखिए।
हम आपके लिए भारत के कोने कोने से आयुर्वेद के अनसुने चमत्कार ले कर आते हैं, आप भी इनको शेयर कर के ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुंचाए। और ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को पेज लाइक करने के लिए कहे।

चर्मरोग

एक कष्टदायक रोग......चर्मरोग। यह पूरे शरीर की चमड़ी पर कहीं भी हो सकता है। अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई न होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लम्बे समय तक पेट में रहने के कारण उनका मल नसों द्वारा अवशोषित कर खून में मिलने से तरह तरह के चर्मरोग सहित शारीरिक अन्य बीमारियां पनपने लगती हैं जो मानव के लिए अति हानिकारक होती है।
दाद के लक्षण :-
दाद में खुजली बहुत ज्यादा होती है की आप उसे खुजाते ही रहते हैं। खुजाने के बाद इसमे जलन होती है व छोटे-छोटे दाने होते हैं।
दाद ज्यादातर जननांगों में जोड़ोें के पास और जहाँ पसीना आता है व कपड़ा रगड़ता है, वहां पर होता है। वैसे यह शरीर में कहीं भी हो सकता है।
खाज (खुजली) :-
इसमें पूरे शरीर में सफेद रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इन्हें फोड़ने पर पानी जैसा तरल निकलता है जो पकने पर गाढ़ा हो जाता है। इसमें खुजली बहुत होती है, यह बहुधा हांथो की उंगलियों के बीच में तथा पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है। इसको खुजाने को बार-बार इच्छा होती है और जब खुजा देते है तो बाद में असह्य जलन होती है। यह छुतहाएवं संक्रामक रोग है। रोगी का तौलिया व चादर उपयोग करने पर यह रोग आगे चला जाता है, अगर रोगी के हाथ में रोग हो और उससे हांथ मिलायें तो भी यह रोग सामने वाले को हो जाता है।
उकवत (एक्जिमा) :-
दाद, खाज, खुजली जाति का एक रोग उकवत भी है, जो अत्यंत कष्टकारी है। रोग का स्थान लाल हो जाता है और उस पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इसमे चकत्ते तो नही पड़ते परन्तु यह शरीर में कहीं भी हो जाता है। यह दो तरह का होता है। एक सूखा और दूसरा गीला। सूखे से पपड़ी जैसी भूसी और गीले से मवाद जैसा निकलता रहता है। अगर यह सर में हो जाये तो उस जगह के बाल झड़ने लगते हैं।
गजचर्म
चर्मदख :-
शरीर के जिस भाग का रंग लाल हो, जिसमें बराबर दर्द रहे, खुजली होती रहे और फोड़े फैलकर जिसका चमड़ा फट जाय तथा किसी भी पदार्थ का स्पर्श न सह सके, उसे चर्मदख कहते हैं।
विचर्चिका तथा विपादिका :-
इस रोग में काली या धूसर रंग की छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, जिनमें से पर्याप्त मात्रा में मवाद बहता है और खुजली भी होती है तथा शरीर में रूखापन की वजह से हाथों की चमड़ी फट जाती है, तो उसे विचर्चिका कहते हैं। अगर पैरों की चमड़ी फट जाय और तीव्र दर्द हो, तो उसे विपादिता कहते हैं। इन दोनों में मात्र इतना ही भेद है।
पामा और कच्छु :-
यह भी अन्य चर्म रोगों की तरह एक प्रकार की खुजली ही है। इसमें भी छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं। उनमें से मवाद निकलता है, जलन होती है और खुजली भी बराबर होती रहती है। अगर यही फुन्सियां बड़ी-बड़ी और तीव्र दाहयुक्त हों तथा विशेष कमर या कूल्हे में हो तो उसे कच्छू कहते है।
चर्मरोग चिकित्सा
दाद, खाज, खुजली में आंवलासार गंधक को गौमूत्र के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम लगायें। इससे दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
शुद्ध किया हुआ आंवलासार गंधक एक रत्ती को 10 ग्राम गौमूत्र के अर्क के साथ 90 दिन लगातार पीने से समस्त चर्मरोगों में लाभ होता है।
एक्जिमा (चर्म रोगों में लगाने का महत्व) :-
कालीमिर्च, मुरदाशंख, कलईवाला नौसादर 10-10 ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इसमे घी मिलाकर एक्जिमा पर दिन में तीन बार लगाने से कुछ दिनों में यह जड़ से खत्म हो जायेगा।
आंवलासार गंधक 50 ग्राम, राल 10 ग्राम, मोम (शहद वाला) 10 ग्राम, सिन्दूर शुद्ध 10 ग्राम। पहले गंधक को तिल के तेल में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब गन्धक तेल में घुल जाए तो उसमें सिन्दूर व अन्य दवायें पाउडर करके मिला दें। सिन्दूर का रंग काला होने तक इन्हे पकायें और आग से नीचे उतारकर गरम-गरम ही उसी बर्तन में घोंटकर मल्हम (पेस्ट) जैसा बना लें। यह मल्हम एग्जिमा, दाद, खाज, खुजली, अपरस आदि समस्त चर्मरोगों में लाभकारी है। सही होने तक दोनों टाइम लगायें।
दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा, अकौता, अपरस का मरहम :-
गन्धक 10 ग्राम, पारा 3 ग्राम, मस्टर 3 ग्राम, तूतिया 3 ग्राम, कबीला 15 ग्राम, रालकामा 15 ग्राम। इन सब को कूट-पीसकर कपड़छान करके एक शीशी में रख लें। दाद रोग में मिट्टी के तेल (केरोसीन) में लेप बनाकर लगाएँ, खाज में सरसों के तेल के साथ मिलाकर सुबह-शाम लगायें। अकौता एग्जिमा में नीम के तेल में मिलाकर लगायें। यह दवा 10 दिन में ही सभी चर्मरोगो में पूरा आराम देती है।
चर्म रोग नाशक अर्क :-
शुद्ध आंवलासार गंधक, ब्रह्मदण्डी, पवार (चकौड़ा) के बीज, स्वर्णछीरी की जड़, भृंगराज का पंचांग, नीम के पत्ते, बाबची, पीपल की छाल, इन सभी को 100 -100 ग्राम की मात्रा में लेकर व 10 ग्राम छोटी इलायची जौ कुट कर शाम को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह इन सभी का अर्क निकाल लें। यह अर्क 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट मिश्री के साथ पीने से समस्त चर्म रोगों में लाभ करता है। इसके प्रयोग से खून शुद्ध होता है। इसके सेवन से चेहरे की झाइयाँ, आँखों के नीचे का कालापन, मुहासे, फुन्सियां, दाद, खाज, खुजली, अपरस, अकौता, कुष्ठ आदि समस्त चर्मरोगों में पूर्णतः लाभ होता है।
रक्त शोधक :-
दिन में एक-दो चम्‍मच अलसी के बीजों के तेल का सेवन करना त्‍वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। बेहतर रहेगा कि इसका सेवन किसी अन्‍य आहार के साथ ही किया जाए।
रीठे के छिलके के पाउडर में शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह एक गोली अधबिलोई दही के साथ और शाम को पानी के साथ निगल लें। उपदंश, खाज, खुजली, पित्त, दाद और चम्बल के लिए पूर्ण लाभप्रद है।
सिरस की छाल का पाउडर 6 ग्राम सुबह व शाम शहद के साथ 60 दिन सेवन करें। इससे सम्पूर्ण रक्तदोष सही होते हैं।
अनन्तमूल, मुलहटी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचन्दन, शनाय और असगन्ध 100 -100 ग्राम तथा सौंफ, पीपल, इलायची, गुलाब के फूल 50 -50 ग्राम। सभी को जौकुट करके एक डिब्बे में भरकर रख लें। एक चम्मच 200 ग्राम पानी में धीमी आंच में पकाएं और जब पानी 50 ग्राम रह जाय तब उसे छानकर उसके दो भाग करके सुबह और शाम मिश्री मिलाकर पिये। यह क्वाथ रक्त विकार, उपदंश, सूजाक के उपद्रव, वातरक्त और कुष्ठरोग को दूर करता है।
विजेन्द्र गौतम's photo.

आयुर्वेद द्वारा पेट कम करने का उपाय

तोंद कम करने के 51 सरल उपाय
शरीर पर चरबी का अधिक होना मोटापे का सबसे बड़ा लक्षण होता है। गलत तरह से खान-पान करना, रहन सहन में भी गलत तरीके प्रयोग करना आदि जैसी वजह से पेट बाहर निकल जाता है। और कमर की चरबी अधिक हो जाती है। धीरे-धीरे मोटापा गर्दन, हाथ और पैरों तक फैल जाता है। यानी इन जगहों पर चरबी अधिक हो जाती है। शरीर पूरी तरह से चरबी युक्त हो जाता है। और इंसान को चलने फिरने में भी दिक्कतों के साथ-साथ कई गंभीर बीमारीयों के होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है। आइये आपको बताते है कमर की चरबी को कम कैसे करें। आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है
भूख से कम ही भोजन का सेवन करें। जितनी भूख है उससे कम ही खाना खायें। इससे पेट का आकार नहीं बढ़ता और पाचन भी ठीक रहता है। कम भोजन करने से पेट में गैस नहीं बनती है। कोशिश करें कि दिन में 2 बार शौच जाएं।सुबह उठते ही एक गिलास गरम पानी मे आधा नींबू निचोड़कर पीएं। इसमे एक चम्मच शहद मिलाकर पिएंगे तो ज्यादा फायदा होगा। इससे मेटाबोलिज़म तेज होता है और चर्बी जलती है।
अदरक को टुकड़ों मे काट लें फिर एक कप पानी मे उबालें। 10 मिनिट तक उबालने के बाद अदरक बाहर निकाल दें और इसे चाय की तरह पीएं।
लहसुन मे मोटापा कम करने के तत्व होते हैं। एक कप मामूली गरम पानी मे एक नींबू निचोड़ें। लहसुन की तीन जवे इस पानी के साथ लें। चर्बी कम करने का उम्दा उपाय है। रोज सुबह खाली पेट लें.
बादाम मे मौजूद ओमेगा 3 फेटी एसिड अनावश्यक पेट की चर्बी हटाने मे सहायक है। रोज रात को 9 बादाम पानी मे गलाए और सुबह इनको छीलकर खाएं।
भोजन से आधे घंटे पूर्व एक चम्मच एप्पल सायडर वेनेगर को एक गिलास पानी मे मिलाकर पीएं।इससे ज्यादा केलोरी जलती है और चर्बी कम होती है।
पुदेने के पत्ते और हरा धनिया के पत्ते पीस लें ,इसमे नमक और नींबू का रस मिलाकर चटनी तैयार करे। भोजन के साथ प्रयोग करें। इससे मेटाबोलिज़म तेज होता है और फालतू चर्बी खत्म होती है।
एलोवेरा का जूस पीने से चर्बी पेट मे जमा नही होती| आधा गिलास गरम पानी मे 2 चम्मच एलोवेरा जूस और एक चम्मच जीरा मिश्रण करें। रोज सुबह खाली पेट लें और लेने के बाद एक घंटे तक कुछ न खाएं। चर्बी कम करने का बेहतरीन उपचार है।
अपनी दिनचर्या मे कसरत और मॉर्निंग वाक को आवश्यक रूप से शामिल करें।
मोटापे से मुक्ति का एक और बड़ा सरल उपाय यह है कि भोजन के तुरंत बाद पानी का सेवन न करें। भोजन करने के लगभग 1 घंटे के बाद ही पानी पीयें। इससे कमर का मोटाप नहीं बढ़ता है। और यह तरीका पेट को कम करने में भी मददगार होता है।
भोजन में अधिक से अधिक जौ से बने आटे की रोटियों का इस्तेमाल करें। गेहूं के आटे की रोटी का सेवन बिलकुल कम कर दें। जौ शरीर में मौजूद अतरिक्त चरबी को कम कर देता है। जिससे कमर और पेट की चरबी कम हो जाती है।
वजन कम करने और अतरिक्त चरबी को कम करने के लिए आपको यह भी पता होना चाहिए कि भोजन में किन चीजों को इस्तेमाल करें और किन का नहीं। आपको चावल, आलू और चपाती का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए साथ ही खाने में कच्चा सलाद, सब्जी और मिक्स वेज का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
हमेशा खाना भूख लगने पर ही खाएं। खाना खाते वक्त यह बात जरूर ध्यान रखें कि खाने को मुंह में अच्छी तरह से बारीकी से चबाकर खाएं ताकि आसानी से भोजन गले से नीचे उतर सके।
सुबह के नाश्ते में आप चना, मूंग और सोयाबीन को अधिक से अधिक खाने में उपयोग करें। अंकुरित अनाज में आपको भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व आपको मिलेगें। जो मोटापा को बढ़ने नहीं देगें। दलिया को भी आप अपने नाश्ते में जरूर शामिल करें।
कमर की अधिक चरबी को कम करने के लिए आपको अपने खाने में हरी सब्जियों का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। आप मेथी, पालक, चैलाई की सब्जी को अपने खाने में शमिल करें। हरी सब्जियों में मौजूद कैल्श्यिम और फाइबर आपके शरीर में पोषक तत्वों को पहुंचाते हैं। और इनसे आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
गर्मियों में दही या मट्ठा के सेवन करने से शरीर के चरबी घटती है। दिन में 2 से 3 बार मट्ठा का सेवन करें।
सुबह खाली पेट गरम पानी में 2 चम्मच शहद डालकर 2 महीने तक सेवन करने से कमर का मोटापा कम होता है। इसके अलावा तेल की मालिश करने से भी कमर की चरबी को कम किया जा सकता है।
छिलके वाली दाल का प्रयोग
वजन कम करने के लिए छिलके वाली दाल का प्रयोग करें। इसमें प्रोटीन की मात्रा कम होती है। रोजाना सेवन करने से कोलेस्ट्राल की मात्रा भी शरीर में कम होती है जिसकी वजह से वजन कम हो जाता है।
सलाद का सेवन
सुबह हो या शाम आपको सलाद का सेवन जरूर करना है। इससे आपको कम कैलोरी और हाई फाइबर मिलता है जो कमर की चरबी को आसानी से कम करता है।
खाना खाने के बाद एक गिलास गर्म पानी को घूंट लेकर पीएं आपका मोटापा कम होगा।
बाहर निकला हुआ पेट अंदर करने के आसान घरेलू तरीके
नियमित रूप से पपीता का सेवन करें। पपीता हर मौसम में मिलता है। यह पेट की चर्बी को जल्दी घटाता है।
पत्तागोभी का जूस रोज पीएं। इसकी आदत डाल लें। इस जूस में चर्बी को घटाने के गुण होते हैं।
जितना हो सके आलू, चावल और शक्कर का सेवन कम से कम कर दें। क्योंकि इनमें अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है।
गेहूं के आटे की रोटी खाने की बजाए सोयाबीन, चना और गेहूं के आटे को मिलाकर यानी मिश्रित आटे की रोटी का सेवन करें।
छाछ भी तेजी से वजन घटाती है इसलिए एक दिन में दो से तीन बारी छाछ का सेवन करें।
अपने खाने में दही का इस्तेमाल जरूर करें। पेट को अंदर करने के लिए दही सेवन फायदेमंद है।
हल्दी और आंवले के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला लें और इसे छाछ के साथ मिलाकर पीएं। यह कमर को बिलकुल पतला और स्लिम बनाती है।
यदि मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो अपने खाने में हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करें। नए शोध में बताया गया है कि वजन कम करने के लिए सबसे आसान तरीका है मिर्च को खाना। मिर्च में कैप्साइसिन तत्व पाया जाता है जो भूख को कम करता है और इससे उर्जा की खपत बढ़ती है और वजन नियंत्रण में रहता है।
2 चम्मच शहद को एक चम्मच पुदीने के रस में मिलाकर नियमित लेने से पेट अंदर होता है और वजन भी घटता है।
पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा जल्दी कम होता है।
फलों और सब्जियों में कैलोरी कम होती है इसलिए जितना हो सके आप फलों और सब्जियों का सेवन अधिक करें। केवल चीकू और केला न खाएं। ये मोटापा बढ़ाते हैं।
टमाटर का 250 ग्राम रस 3 महीने तक सुबह खाली पेट लें। यह बहार निकले हुए पेट को अंदर कर देगा।
सलाद में प्याज और टमाटर खाएं और इसमें नमक और काली मिर्च का पउडर डालें। सलाद खाने से पेट जल्दी भरता है और वजन नियंत्रित होता है।
वजन कम करना कठिन नहीं है बस आपको अपने खान-पान में थोड़ा चेंज करना है। जिससे आप पतले और स्लिम होने लगोगे। जितना हो सके फास्ट फूड से परहेज करें। क्योंकि एक बार मोटापा बढ़ता है तब यह आसानी से घटता नहीं है जिस वजह से उम्र तो अधिक लगने लगती है साथ ही अनेक बीमारीयां भी शरीर पर लगने लगती है।
आपको अपने जीवन शैली में एक छोटा सा परिवर्तन लाना जरूरी है। जैसे चढ़ने और उतरने के लिए सीढ़ी का इस्तेमाल करें। साईक्लिंग करना, जाॅगिंग, टहलना, और व्यायाम जरूर करें। एैसा करने से आपकी कमर की चरबी तो कम होगी ही साथ ही आपको मोटापे से मुक्ति मिल जाएगी। इसलिए आप इन घरेलू उपायों को अपनाकर पेट की चर्बी को कम कर सकते हो।
Om Jalandhara's photo.

स्‍तनों का आयुर्वेदिक उपचार

स्‍तन कैंसर का घरेलू उपचार
१ * एक ग्‍लास पानी में हर्बल ग्रीन टी को आधा होने तक उबालें और फिर उसे पीएं। यह फाएदेमंद होती है।
२ * रोज अंगूर या अनार का जूस पीने से स्‍तन कैंसर से बचा जा सकता है।
३ * सोंठ, नमक, मूली, सरसों, शमी और सहिजन के बीज को बराबर मात्रा में लेकर खटटे छाछ में पीसकर स्‍तनों पर लेप करें। एक घंटे बाद नमक की पोटली से दस – पन्‍द्रह मिनट तक सिंकाई करें। आराम मिलेगा।
४ * रोज लहसुन का सेवन करने से स्‍तन कैंसर की संभावना को रोका जा सकता है।
५ * पोई के पत्‍तों को पीसकर पिण्‍ड बनाकर लेप करने तथा पत्‍तों द्धारा अच्‍छी तरह ढंककर पटटी बांधने से शुरूआती अवस्‍था का कैंसर ठीक हो जाता है।
स्‍तनों की सूजन
१ * गेंदे की पत्तियों को कपड़े में लपेट कर बांध लें। फिर इसके ऊपर गीली मिटटी का लेप लगा दें। फिर कपड़े की इस पोटली को उस आग की भटटी में रखें जो ठंडी होने वाली हो। फिर जब पोटली के ऊपर की मिटटी लाल हो जाए, तब उसे बाहर निकालें और पत्तियों को अलग कर लें। इसके बाद इन्‍हीं पत्तियों को स्‍तनों पर बांधें।
२ * धतूरे की पत्‍ते और हल्‍दी को पीसकर स्‍तनों पर लेप करने से स्‍तनों की सूजन में आराम मिलता है।
३ * अजवायन का तेल को गुनगुना करके २ – ३ बार स्‍तनों की मालिश करें और फिर अरंड का पत्‍ता बांध दें। सूजन में आराम मिलेगा।
४ * स्‍तनों में यदि सूजन के साथ साथ दर्द भी हो तो इंद्रायण की जड़ को पीसकर लेप बना लें और फिर इसे गर्म करके स्‍तनों पर लेप करने से दर्द कम होता है और सूजन भी कम हो जाती है।
५ * धृतकुमारी यानि ऐलोवेरा के गूदे में हल्‍दी मिलाकर थोड़ा सा गर्म करके लेप करने से सूजन कम हो जाती है।
अविकसित स्‍तन तथा छोटे स्‍तनों को बड़े करने के उपाय
१ * यदि स्‍तन अविकसित तथा छोटे हैं तो बादाम के तेल की नियमित मालिश करने से स्‍तन विकसित व पुष्‍ट हो जाते हैं।
२ * अश्‍वगंधा और शताबरी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्णं बनाएं और फिर एक – एक चम्‍मच चूर्णं सुबह शाम दूध के साथ ४५ से ६० दिनों तक खाएं। आपकी चिंता का समाधान होगा।
३ * महानारायण तेल की मसाज से भी अविकसित स्‍तन आकर्षक हो जाते हैं।
४ * पीपरी का चूर्णं २० ग्राम, काली मिर्च का चूर्ण २० ग्राम, अश्‍वगंधा का चूर्णं १५० ग्राम, सोंठ का चूर्णं ७५ ग्राम, लेकर शुद्ध घी में भून लें और फिर आधा किलो पुराने गुड़ की चाशनी बनाकर भूने गए चूर्णं को चाशनी में मिलाकर रख लें। इसे रोज २० – २५ ग्राम मात्रा में रोज गुनगुने दूध के साथ खाने से स्‍तन आकर्षक और पुष्‍ट होते हैं।
५ * खाने में फल, दालें, ताज़ा सब्जियां, काजू, दूध, दही, घी, अंडे, कच्‍चा नारियल व नींबू आदि का सेवन जरूर करें। यह स्‍तनों का अच्‍छी तरह पोषण करते हैं।
अतिस्‍थूल स्‍तन (बड़े तथा लटके हुए स्‍तन)
१ * यदि स्‍तन स्‍थूल हैं तो सबसे पहले आप वसा युक्‍त भोजन खाना बंद कर दें। जैसे कि दूध, घी, मलाई, मक्‍खन तथा मिठाईं आदि। यदि मांसाहारी हैं तो मांस से परहेज करें।
२ * काली गाय के दूध में सफेद मोथा पीसकर लेप करने से स्‍तनों के ढीलेपन में कमी आती है और स्‍तन कठोर होते हैं।
३ * महानारायण तेल स्‍तनों पर लगाकर उंगलियों से दबाकर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें। मालिश के बाद गुनगुने पानी की धार स्‍तनों पर डालें १० मिनट गुनगुने पानी की धार डालने से स्‍तनों की चर्बी घटेगी और सौंदर्य वापस लौट आएगा।
स्‍तनों का थनैला रोग
१ * नींबू के रस में शहद मिलाकर स्‍त्‍नों पर लेप करने से थनैला में बहुत लाभ होता है।
२ * मोगरे के फूलों को पीस कर स्‍तनों पर लेप करके बांध दें। सुबह शाम इस प्रक्रिया को करने से थनैला रोग दो – तीन दिन में ही ठीक हो जाता है।
३ * अरहर की दाल (तुअर दाल) आम की गुठली और जौ को पानी में एक साथ पीसकर दिन में तीन – चार बार लेप करने से बहुत आराम मिलता है।
४ * गेंहू, जौ और मूंग का बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ गर्म करके तकलीफ वाले स्‍थान पर लगाने से आराम मिलता है।
५ * सहिजन की छाल को महीन पीसकर उसका गर्म लेप करने से थनैला बिना पके ही बैठने लगता है।
६ * दस ग्राम काली मिर्च और ५ ग्राम दालचीनी पीसकर इसकी एक खुराक बनाएं। दिन में तीन बार तीन खुराकें २० ग्राम शहद में मिलाकर खाएं। थनैला का उपचार हो गया।
७ * १२५ ग्राम नीम के पत्‍तों को लेकर एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो उतारकर कपड़े से छानकर थनैला को धोएं। आराम मिलेगा।
८ * हरा धनिए की पत्तियों को पीसकर हल्‍का गर्म करके लेप करें। बहुत आराम मिलेगा।
९ * हल्‍दी और धतूरे के पत्‍ते समान मात्रा में लेकर पीस लें। फिर गर्म करके थनैला पर लेप करें। आराम मिलेगा
स्तन सुद्रढ़ करने का उपाय
अनार का पंचाग अर्थात जड़, तना,पत्ती,फल व फूल(केवल फल से दाने निकाल कर खा सकते हैं)
माजूफल
शतावर
छोटी इलायची
कमल गटटे की मींग
लसोड़े की पत्तियाँ
सभी औषधीय द्रव्यों को बरावर लेकर बारीक पिसवा लें या महीन पीस लें।फिर आवस्यकतानुसार एक से तीन चम्मच तक लेकर पानी मिलाकर पेस्ट सा बना लें।इसे रोजाना रात को लगाकर सोयें कुछ ही दिनो में स्तन सुद्रण हो जाएगें।रोजाना रात को अश्वगंधा चूर्ण भी 6 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करते रहें।
इसके अलाबा अनार पंचाग का तेल भी लगा सकते हैं यह बाजार से मिल जाए तो अच्छा अगर न मिले तो अनार पंचाग लेकर सरसों के तेल में पकाकर छान कर रख लें इस तेल के द्वारा 2-3 बार मालिस करने से भी स्तन सुद्रण होगें ।
नोट- स्तनों पर सरसों के इसी तेल से करीब आधा घंटा हल्के हाथ से मालिश करें। नीचे से ऊपर की ओर करें। फिर दस पंद्रह ठंडे पानी की पट्टियां एक के बाद एक रखते रहें। स्तन का आकार बढ़ेगा। नोट - स्तनों की मालिश हमेंशा नीचे से ऊपर की ओर ही करनी चाहिये।
Om Jalandhara's photo.

बुरे से बुरा घाव ठीक करने वाला लाभकारी प्रयोग

बुरे से बुरा घाव ठीक करने वाला लाभकारी प्रयोग )
BK Kapil Kumar's photo.

गुड 1 लाभ अनेक

सर्दियों के दिनों में गुड खाना स्‍वास्‍थ्य के लिए अच्छा होता है यह स्वाद के साथ स्‍वास्‍थ्य भी अच्छी रखता है । गुड का सेवन करने से पाचन तंत्र सही रहता है । यह प्राकर्तिक तरीके से ताजे गन्ने के रस से तैयार किया जाता है , गन्ने की फसल सर्दियों में होती है, और उसी समय पर इसका गुड बनाया जाता जो वर्ष भर जी भरके खाया और खिलाया जाता है इसके अनेकों औषधीय प्रयोग है, देखे कुछ और लाभ :
1 -- पाचन तंत्र को ठीक करता है - गुड या प्राकर्तिक शक्कर खाने से खून साफ होता है रोज़ खाना खाने के बाद गुड खाने से पेट में ठंडक मिलती है और गैस नहीं बनती है । दूध के साथ गुड खाने से पाचन तंत्र हेल्थी रहता है ।
2 -- मासिक धर्म में दर्द - जिन महिलाओ को मासिक धरम के दौरान दर्द रहता हो उन्हें गुड खाना चाहिए इससे पेट को आराम मिलता है और दर्द में राहत मिलती है ।
3 -- लौह तत्व से भरपूर - गुड या प्राकर्तिक शक्कर में खून के लिए जरूरी लौह तत्व भरपूर मात्रा में होता है । अतः इसे अनीमिया के मरीजों को खाना चाहिए ।
4 -- त्‍वचा के लिए गुणकारी - गुड खाने से खून के बुरे तत्व साफ हो जाते है जिससे त्वचा में निखर आता है और कील मुहांसो की समस्या भी दूर रहती है ।
5 -- सर्दी में उपयोग - सर्दी खांसी में या प्राकर्तिक शक्कर से राहत मिलती है और चाय में या लड्डू में भी इसका उपयोग किया जा सकता है ।
6 -- ऊर्जा का स्त्रोत - गुड खाने से हमें ऊर्जा मिलती है जब भी थकन या कमजोरी लगे तो गुड खाने से तुरंत आराम मिलता है ।
7 -- दमा के मरीज़ो को गुड या शक्कर का सेवन फायदेमंद रहता है क्यूंकि इसमें एलर्जी से लड़ने वाले तत्व होते है ।
8 -- हर रोज़ गुड के साथ अदरक का सेवन करने से जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है ।
9 -- आवाज़ बैठ जाने पर पके चावल के साथ गुड खाने से आवाज़ ठीक हो जाती है ।
10 -- अस्थमा होने पर गुड और काले तिल के लड्डू खाने से आराम मिलता है
11 -- कान में दर्द होने पर गुड में घी मिलकर खाने से आराम मिलता है ।
12 -- गुड और सरसो का तेल मिलाकर खाने से साँस के रोग दूर होते है ।
13 -- आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए गुड और बाजरे की खिचड़ी मिलकर खाने से लाभ मिलता है ।
14 -- खट्टी डकारे आने पर गुड और सेंधा नमक मिलकर चाटने से आराम मिलता है ।
अत:
यदि लोग अधिक से अधिक मात्रा में गुड का प्रयोग करें तो मधुमेह सहित अनेक रोग कभी नहीं होगें। किसानों को रोजगार मिलेगा और हमारा शरीर भी स्‍वस्‍थ रहेगा।
Gurpreet Singh's photo.

स्त्री की सुन्दरता तथा यौवन का निखार

स्त्री की सुन्दरता तथा यौवन का निखार पुष्ट स्तनों से दिखाई देता है। इसलिए से प्राय: अपना स्तन पुष्ट और कठोर बनाने के लिए प्रयत्नशील रहती हैं। स्तनों में ढीलापन होना, समय के साथ उनका विकास न होना तथा उनमें कठोरता का अभाव होना आदि स्थितियां स्त्री को हीन भावना से ग्रस्त कर देती है।
स्तनों में ढीलापन आ जाने के कारण अगर आपका शारीरिक सौन्दर्य प्रभावित हो रहा है तो मैं आपको जो उपचार बता रहा हूं उससे बहुत सारी अन्य बहनें भी लाभान्वित होंगी
कारण..... शारीरिक कमजोरी, मासिक धर्म की अनियमितता, अधिक सम्भोग, शरीर में बुखार का रहना आदि कारणों से स्तन ढीले पड़ जाते हैं। कुछ स्त्रियों के स्तनों की गोलाई बहुत कम होती है। ऐसी हालत में स्त्री को कोई न कोई रोग अवश्य होता है, क्योंकि तब स्तनों को पुष्ट करने वाले हारमोन ठीक से नहीं बन पाते हैं।
नुस्खे ......
1... गाय का घी, काले तिल, काली निशोथ, बच तथा सोंठ सबको मिलाकर पीस लें। फिर इनको आधा किलो तिली के तेल में पकाएं। तेल को ठंडा करके शीशी में भर लें। इस तेल की मालिश सुबह स्नान करने से पूर्व स्तन पर 10 मिनट तक करें। स्तन पुष्ट तथा कठोर हो जाएंगे।
2....जैतून के तेल में थोड़ी-सी फिटकिरी या पीसकर मिला लें। फिर इस तेल से स्तनों की अच्छी तरह मालिश करें।
3....अनार के छिलके पीसकर रात को स्तनो पर लेप करके सोयें प्रात: धोएं। कुछ सप्ताह यह प्रयोग करने स्तनों का ढीलापन दूर होगा। स्तन नव यौवना जैसे होगें।
4....एक अंडा, नीबू का रस 10 ग्राम और बेसन 10 ग्राम, तीनों को दूध के साथ अच्छी तरह फेंट लें। फिर इस पेस्ट को स्तनों पर लगाएं।
5....शहद में माजूफल का चूर्ण मिलाकर स्तनों पर लेप करने से भी स्तनों मे कसाव आ जाएगा।
6.... स्तन के अगले भाग निपल में उभार न हो, कटी हुई या अस्वस्थ हो तो एरण्ड के तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
7.... अगर किसी कारण से स्तन पकते हो तो निम्बु का तैल लगाने से स्तन-पाक मे आराम होता है।
8....जायफ़ल 5 ग्राम, कुटकी 3 ग्राम, असगंध 10 ग्राम, लज्जालु 4 ग्राम, हल्दी 5 ग्राम, दारुहल्दी 5 ग्राम, चम्पापुष्प 20 ग्राम, घी 10 ग्राम, तिल तेल 20 ग्राम, पानी एक लीटर। इस पूरे मिश्रण को अच्छे तरीके से पका लें, ताकि सारा पानी जल जाए और बस तेल ही कुल 70-80 ग्राम तेल बचेगा। इस तेल की दिन में तीन बार हल्के हाथ से मालिश करी जाए।
खाने के लिये इस प्रकार लड्डू बनाएं........
त्रिफला 50 ग्राम, त्रिकुट 50 ग्राम, कालाजीरा 25 ग्राम, सफ़ेद जीरा 25 ग्राम, धनिया 50 ग्राम, अजवायन 50 ग्राम, सेंधा नमक 25 ग्राम, काला नमक 25 ग्राम, नागरमोथा 50 ग्राम, कायफल 40 ग्राम, पुष्करमूल 50 ग्राम, काकड़ासिंगी 50 ग्राम, तालीसपत्र 50 ग्राम, तेजपत्र 50 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, छोटी इलायची 25 ग्राम, केसर 20 ग्राम, गुड़ 500 ग्राम, मेंथी एक किलोग्राम।
इस मिश्रण से 20-25 ग्राम वजन के लड्डू बना लीजिये और प्रतिदिन दो लड्डू सुबह शाम खाकर दूध से लें।
विजेन्द्र गौतम's photo.

स्वास्थ्यवर्धक चमत्कारिक चूर्ण

स्वास्थ्यवर्धक चमत्कारिक चूर्ण :
250 ग्राम मैथीदाना ।
100 ग्राम अजवायन ।
100 ग्राम काला जीरा । 
100 ग्राम हरड़ ।
उपरोक्त चारों चीजों को साफ सुथरा करके हल्का हल्का सेंकना। चारो को अच्छी तरह मिक्स करके मिक्सर में पावडर बनाकर डिब्बे आदि मे रखें ।
रात्रि को सोते समय चम्मच पावडर में थोडा सा सेंधा नमक मिला के एक गिलास गुनगुने पानी के साथ लेना है।
एक साथ सेंधा नमक न मिला दे। वरना सारा चूर्ण काला पड़ जायेगा।
गरम पानी के साथ ही लेना अत्यंत आवश्यक है । लेने के बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है।
यह चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकतें है।
चूर्ण रोज-रोज लेने से शरीर के कोने-कोने में जमा पडी गंदगी (कचरा) मल और पेशाब द्वारा बाहर निकल जाएगी ।
पूरा फायदा तो 80-90 दिन में महसूस करेगें, जब फालतू चरबी गल जाएगी, नया शुद्ध खून का संचार होगा । चमड़ी की झुर्रियाॅ अपने आप दूर हो जाएगी। शरीर तेजस्वी, स्फूर्तिवाला व सुंदर बन जायेगा ।
चूर्ण के लाभ :-
1. गठिया दूर होगा और गठिया जैसा जिद्दी रोग दूर हो जायेगा ।
2. हड्डियाँ मजबूत होगी ।
3. आॅख का तेज बढ़ेगा ।
4. बालों का विकास होगा।
5. पुरानी कब्जियत से हमेशा के लिए मुक्ति।
6. शरीर में खुन दौड़ने लगेगा ।
7. कफ से मुक्ति ।
8. हृदय की कार्य क्षमता बढ़ेगी ।
9. थकान नहीं रहेगी, घोड़े की जैसे दौड़ते जाएगें।
10. स्मरण शक्ति बढ़ेगी ।
11. स्त्री का शरीर शादी के बाद बेडोल की जगह सुंदर बनेगा ।
12. कान का बहरापन दूर होगा ।
13. पहले से जो एलाॅपेथी दवा का खाई हैं, उनके साईड इफेक्ट समाप्त हो जाएंगे।
14. खून में सफाई और शुद्धता बढ़ेगी ।
15. शरीर की सभी खून की नलिकाएॅ शुद्ध हो जाएगी ।
16. दांत मजबूत बनेगा, इनेमल जींवत रहेगा ।
18. डायबिटिज काबू में रहेगी, डायबिटीज की जो दवा लेते है वह चालू रखना है। चूर्ण का असर दो माह लेने के बाद से दिखने लगेगा ।
19.थाइरोइड वाले रोगी जरूर ले । उनके लिए तो बहुत लाभदायक है।
जीवन निरोग, आनंददायक, चिंता रहित, स्फूर्ति दायक और आयुष्यवर्धक बनेगा ।
विजेन्द्र गौतम's photo.

दो दिनों में चेहरे को गोरा करने के बेस्‍ट तरीके


क्‍या आप अपने चेहरे को गोरा बनाने के लिये खूब बाजारू उत्‍पादों का प्रयोग करती हैं? अगर ऐसा है तो, अब आपको ऐसा करने की आवश्‍यकता नहीं है क्‍योंकि आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्‍खे और उपाय बताएंगे जिनसे आप की गोराई बरकरार रह सकती है।
● गोरेपन में कमी आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे, कड़ी सूरज की धूप, प्रदूषण, झाइयां या फिर चेहरे पर दाग-धब्‍बे आदि। बाजार में मिलने वाले स्‍किन केयल प्रोडक्‍ट संवेदनशील त्‍वचा के लिये बडे़ ही हानिकारक माने जाते हैं। बेहतर है कि आप घर में रखी प्राकृतिक चीज़ों का ही प्रयोग करें क्‍योंकि इनसे किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं होती।
● निखार पाने के लिए महंगी से महंगी क्रीम, लोशन का इस्तेमाल करना बंद कीजिये और बोल्‍डस्‍काई दृारा बताए जाने वाले इन बेहतरीन उपाय का प्रयोग करें। आइये जानते हैं कौन से हैं वे घरेलू नुस्‍खे जो बना सकते हैं आपको दो दिन में गोरा ।
1) बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा और पानी मिला कर पेस्‍ट बनाएं। इसे चेहरे पर 15 मिनट के लिये लगाएं। इस पेस्‍ट को चेहरे पर लगाने से पहले मुंह को फेस वॉश से धो लें।
2) दूध-केला
पके हुए केले को थोड़े से दूध के साथ पेस्‍ट बना कर चेहरे पर लगाएं। 20 मिनट के बाद चेहरे को धो लें।
3) गुलाब जल
यह आपके चेहरे को टोन कर के पोषण पहुंचाएगा। रोज वॉटर को मिल्‍क के साथ लगाएं। अच्‍छा होगा कि आप इसे रात को सोने से पहले चेहरे पर लगाएं। इससे त्‍वचा ब्राइट बनेगी।
4) एलोवेरा जैल
ऐलोवेरा जैल आपकी त्‍वचा को गोरा, साफ और नम बनाएगा। इसे चेहरे और गर्दन पर 30 मिनट के लिये लगाएं।
5) सूरजमुखी बीज
थोड़े से सूरजमुखी बीज को रातभर दूध में भिगो कर रख दें। फिर सुबह इसमें हल्‍दी और केसर के कुछ धागे डाल कर पेस्‍ट बनाएं। इसे चेहरे पर 15 मिनट तक लगा रहने दें। कुछ ही दिनों में आपका चेहरा गोरा बन जाएगा।
6) आम का छिलका
थोड़े से आम के छिलको को दूध के साथ पीस कर पेस्‍ट बना लें। फिर इसे चेहरे और गर्दन पर 15 मिनट तक लगाने के बाद पानी से धो लें। इससे सन टैन मिट जाएगा और चेहरा गोरा बन जाएगा।
7) शहद
शहद को कुछ बूंदों को नींबू और थोडे़ से दही के साथ मिक्‍स कर के चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट के बाद इसे साफ कर लें। इससे चहरा गोरा बनेगा और गंदगी भी साफ होगी।
8) शक्‍कर से स्‍क्रब करें
शक्‍कर को नींबू के रस के साथ मिक्‍स करें और हल्‍के हाथों से चेहरे पर रगड़ें। इससे डेड स्‍किन हटेगी और गंदगी बाहर निकलेगी।
9) नारियल पानी
दिन में दो बार चेहरे पर नारियल पानी लगाएं। इसेस दाग धब्‍बे, झाइयां दूर होती हैं। त्‍वचा में गोरापन आता है।
10) पानी का ज्‍यादा सेवन
पानी शरीर से गंदगी को बाहर निकालता है और चेहरे को टाइट बना कर झुर्रियां मिटाता है। इस वजह से चेहरा साफ और गोरा दिखता है।
11) अच्‍छी नींद लें
आपको दिन में 8 घंटों की नींद लेनी जरुरी है। इससे आंखों के नीचे पड़े डार्क सर्कल मिटेगें। साथ ही इससे प्राकृतिक ग्‍लो आएगा और चेहरा गोरा लगेगा।
Gurpreet Singh's photo.

खांसी निवारक

(१) पुरानी खांसी निवारक : 
उपाय :- अदरक का रस व काली मिर्च ( पीसकर ) , शहद के साथ चाटने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती हें |
उपाय :- एक बार में दो - तीन काली मिर्च के दाने को चूसते रहने से पुरानी खांसी में अति लाभ होता हें | 

(२).कफ निकालने वाला प्रयोग :
उपाय :- मुलहठी, काली मिर्च , और बूरा ( अथवा गुड ) सम्भाग मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर मटर के दाने के आकार जेसी कुछ गोलियां बनाकर रखे | अब एक -एक करके आवश्यकताअनुसार चूसने से जमा हुआ कफ बाहर निकल जाता हें |

(३).कालीमिर्च और बताशे का काढ़ा बनाकर गरम - गरम पीने से हरारत सिरदर्द और जुकाम ठीक हो जाता हें |

(४).सूखी खांसी में लाभकारी प्रयोग :-
उपाय :- मुलहठी का चूरन आधा tea - spoon दो कप पानी में उबाले | जब पानी एक कप रह जाए तब इसे छानकर पी ले | दिन में २-३बार यह प्रयोग करने से सूखी खांसी रोग में लाभ हो जाता हें |

(५). जुकाम निवारक प्रयोग :-
उपाय :- जुकाम, जिसमे नाक बंद हो जाए , काफी बैचेनी पैदा कर देती हें , इस व्याधि के होने पर कपूर, नोसादर और चूना बराबर भाग में लेकर एक छोटी शीशी में भर ले | शीशी को हिलाकर सूंधने से बंद जुकाम खुल जाती हें | इस उपाय से सिरदर्द भी दूर हो जाता हें |
BK Kapil Kumar's photo.

रोजाना 2 चम्मच शहद +1 गिलास दूध

शहद और दूध दोनों ही संपूर्ण आहार व सेहत के लिए बहुत गुणकारी माने जाते हैं - दरअसल दूध पीने व शहद खाने दोनों सेही कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं - मगर दूध और शहद दोनों को साथ लिया जाए तो इनके गुण दोगुने हो जाते हैं !
वैसे तो शहद अपने एंटीबैक्टिरियल - एंटीआक्सीडेंट व एंटीफंगल गुणों के कारण सदियों से उपयोग में लाया जाता रहा है
- लेकिन श्वसन से जुड़ी परेशानियों में यह विशेष रूप से फायदेमंद है !
दूध में विटामिन ए - बी - सी - डी - कैल्शियम - प्रोटीन व लैक्टिक एसिड आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं !
इन दोनों को साथ में लेने पर कई अनोखे स्वास्थ्य लाभ होते हैं !
दूध और शहद को साथ लेने के फायदे ....
स्किन केयर :-
शहद व दूध दोनों ही सुक्ष्म जीवियों को खत्म करते हैं - इन्हें साथ लेने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है व स्किन चमकदार होने लगती है !
दूध व शहद को बराबर मात्रा में मिला लें उतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर नहाने से पहले शरीर पर लगाएं - स्किन निखर जाएगी !
एंटीबैक्टीरियल :-
शहद व दूध एक साथ लेने पर एंटीबैक्टीरियल प्रापर्टी की तरह काम करता है - इससे हानिकारक बैक्टीरिया शरीर पर आक्रमण नहीं कर पाते हैं व सर्दी - खांसी आदि समस्याएं दूर ही रहती है !
डायजेशन :-
रोजाना एक गिलास दूध में दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से डायजेस्टिव सिस्टम में सुधार होता है !
कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है !
इसे रोजाना लेने से पेट व आंत से जुड़ी समस्याएं नहीं होती हैं !
एंटीएजिंग :-
दूध और शहद लेने न केवल त्वचा स्वस्थ होती है - बल्कि शरीर को भी आराम मिलता है !प्राचीन समय से ही ग्रीक - रोमन - इजिप्ट - भारत आदि देशों में जवान दिखने के लिए एंटीएजिंग प्रापर्टी के रूप में दूध व शहद का सेवन किया जाता रहा है !
अनिद्रा :-
दूध व शहद साथ लेना अनिद्रा रोग को दूर करने का एक प्राचीन नुस्खा है - क्योंकि दूध व शहद लेने से इंसुलिन का स्त्रावण नियंत्रित रहता है - जिससे दिमाग में ट्रिप्टोफेन का सही मात्रा में स्त्रावण होता है !
ट्रिप्टोफेन सिरोटोनिन में बदल जाता है सिरटोनिन मेलेटोनिन में परिवर्तित होकर दिमाग को रिलेक्स करता है व अनिद्रा की समस्या को दूर करता है !

बाल के रोग एवं उनका उपचार

सिर में रूसी (Dandruff) होने पर :-
पहला प्रयोग :- 250 ग्राम छाछ में 10 ग्राम गुड़ डालकर सिर धोने से अथवा नींबू का रस लगाकर सिर धोने से रूसी दूर होती है।
दूसरा प्रयोग :- आधी कटोरी दही में दो चम्मच बेसन मिलाकर बालों की जड़ में लेप करें। 20 मिनट बाद सिर धो लें। रूसी दूर होकर बाल चमक उठेंगे।
बाल झड़ने पर :-
प्रथम प्रयोग :- मुलहठी के चूर्ण को भांगरे के रस में पीसकर लेप करने से अथवा सुखाये हुए आँवलों के चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर लेप करने से बाल झड़ना बंद होकर बाल काले होते हैं।
दूसरा प्रयोगः एक कप पानी में कुछ चम्मच मेथी के दाने को पीस कर मिला लें। इस मिश्रण को अपने बालों में लगा कर चालिस मिनट तक छोड़ दें। फिर सादे पानी से बालों को धो लें। इस प्रक्रिया को महीने भर दोहराने से आपको असर साफ दिखेगा।
दही में सभी तत्त्व होते हैं जिनकी बालों को आवश्यकता रहती है। एक कप दही में पिसी हुई 8-10 काली मिर्च मिलाकर सिर धोने से सफाई अच्छी होती है। बाल मुलायम व काले रहते हैं एवं गिरने बन्द हो जाते हैं। कम-से-कम सप्ताह में एक बार इसी तरह बाल धोयें।
गंजापन :-
पहला प्रयोग :- गुंजा, हाथीदाँत की राख और रसवंती प्रत्येक 2 से 10 ग्राम का लेप करने से जिस जगह के बाल निकले होंगे वहाँ वापस उग जायेंगे।
दूसरा प्रयोग :- दही एवं नमक समान मात्रा में मिलाकर जहाँ-जहाँ गंजापन आ गया हो वहाँ रोज रात्रि को चार-पाँच मिनट मालिश करने से लाभ होता है।
तीसरा प्रयोग :- अगर आपके सर में कुछ जगहों पर बाल नहीं हैं तो उस क्षेत्र पर तब तक कच्चे प्याज घिसें जब तक वह क्षेत्र लाल नहीं हो जाता और उसके बाद उसपर शहद लगायें।
बाल सफेद होने पर :-
पहला प्रयोगः निबौली का तेल दो महीने तक लगाने एवं नाक में डालने से अथवा तुलसीके 10 से 20 ग्राम पत्तों के साथ उतने ही सूखे आँवले को पीसकर नींबू के रस में मिलाकर लगाने से बाल काले होते हैं।
दूसरा प्रयोग :- एक कप सरसों के तेल में चार बड़े चम्मच हिना के पत्ते डाल कर इसे उबाल लें। अब इसे एक बोतल में छान लें और रोज़ सर की मालिश करें।
तीसरा प्रयोग :- अल्पायु में सफेद बालों के लिए हाथी दाँत, आँवला एवं भृंगराज का तेल बनाकर सिर में डालें। घी गरम करके उसकी कुछ बूँदें नाक में टपकायें तथा दिन में दो बार त्रिफलाचूर्ण यष्टिचूर्ण के साथ लें। भोजन के बाद एक गिलास कुनकुने पानी में एक चम्मच घी डालकर पीयें तथा सर्वांगासन व जलनेति करें।
बाल बढ़ाने के लिए :-
पहला प्रयोग :- स्नान के समय तिल के पत्तों का रस लगाने से, मुलहठी, आँवला या भृंगराज का तेल लगाने से, करेले की जड़ अथवा मेथी को पानी में घिसकर लगाने से, निबौली का तेल लगाने से बाल बढ़ते हैं।
दूसरा प्रयोग :- बड़ की पुरानी जटाओं को नींबू के रस में घिसकर अच्छे से लेप करें। आधे घण्टे पश्चात् बाल धो डालें। फिर नारियल का तेल लगायें। ऐसा तीन दिन करने से बालों का झड़ना बंद होता है। बाल लंबे, काले तथा मजबूत होते हैं।
सिर में जूँ एवं लीख :-
पहला प्रयोग :- निबौली, सरसों अथवा माजूफल का तेल लगाने से अथवा अरीठे का फेन लगाने से जूँ और लीखें मर जाती हैं।
दूसरा प्रयोग :-तुलसी के पत्ते पीसकर सिर पर लगा लें। तदुपरांत सिर पर कपड़ा बाँध लें। सारी जुएँ मरकर कपड़े से चिपक जाएँगी। दो-तीन बार लगाने से ही सारी जुएँ साफ हो जायेंगी।
विजेन्द्र गौतम's photo.

बांझपन ~ Infertility .... !

Infertility की समस्या पहले से अधिक बढी है - इसके कारण हो सकते हैं - तनाव - सब्जी - फलों में कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का होना - शारीरिक श्रम का अभाव और fast food इत्यादि !
कारण कोई भी हो .... अगर कपालभाति प्राणायाम नियमित रूप से किया जाए तो इन सभी कारणों का प्रभाव भी बहुत कम होगा और infertility की समस्या भी शायद नहीं होगी !
महिलाओं में infertility का एक कारण poly cystic ovary हो सकता है - अगर F S H और L H हारमोन का असंतुलन हो तो poly cystic ovary की समस्या हो सकती है - इसके कारण periods भी असंतुलित होते हैं या तो अधिक होते हैं या बहुत कम या फिर होने ही बंद हो जाते हैं !
इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है - प्रतिदिन कपालभाति प्राणायाम करें !
@* दशमूल क्वाथ के एक चम्मच को एक गिलास पानी में धीमी आंच पर पकाकर - जब वह आधा रह जाए तब पी लें - यह काढ़ा कुछ समय सुबह शाम लेते रहने से periods नियंत्रित हो जाते हैं !
*$ कपालभाति प्राणायाम के साथ यह काढ़ा भी लेते रहने से pregnancy की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है !
@* अगर eggs कम बन रहे हों तो शिवलिंगी और पुत्र जीवक के बीजों का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें - यह पावडर एक एक ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से बहुत जल्द ही pregnancy हो जाती है !
* पुरुषों को sperm count कम होने की समस्या हो तो यौवनामृत वटी - चन्द्र प्रभावटी और शिलाजीत रसायन की 1 - 1 गोली लेते रहें व प्राणायाम करते रहें !
*$ अश्वगंधा - शतावर - सफ़ेद मूसली और कौंच के बीज - ये सब मिलाकर लेने से भी sperm count बढ़ते हैं !
xxxxx
$ कपालभाती :-
यह एक प्राणायाम का चमत्कारी प्रकार है जिसके कई सारे फायदे है !
# विधि :-
एक समान - सपाट और स्वच्छ जगह जहा पर स्वस्छ हवा हो वहा पर कपड़ा बिछाकर बैठ जाए !
आप सिद्धासन - पदमासन या वज्रासन में बैठ सकते है - आप चाहे तो आपको जो आसन आसान लगे या आप हमेशा जैसे निचे जमीन पर बैठते है उस तरह बैठ जाए !
बैठने के बाद अपने पेट को ढीला छोड़ दे !
अब अपने नाक से सांस को बाहर छोड़ने की क्रिया करे - सांस को बाहर छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर धक्का दे !
श्वास अंदर लेने की क्रिया करने की जरुरत नहीं है - इस क्रिया में श्वास अपने आप अंदर लिया जाता है
लगातार जितने समय तक आप आसानी से कर सकते है तब तक नाक से श्वास बाहर छोड़ने और पेट को अंदर धक्का देने की क्रिया को करते रहे !
शुरुआत में 10 बार और धीरे धीरे बढ़ाते हुए एक बार में 60 बार तक यह क्रिया करे !
* चाहे तो बीच में कुछ समय का आराम लेकर भी इस क्रिया को कर सकते है !
$ सावधानिया :-
* कपालभाती सुबह के समय खाली पेट - पेट साफ़ होने के बाद ही करे !
* अगर खाना खाने के बाद कपालभाती करना है तो खाने के 5 घंटे बाद इसे करे !
* कपालभाती करने के बाद 30 मिनिट तक कुछ न खाए - आप चाहे तो थोड़ा पानी ले सकते है !
* शुरुआत में कपालभाती किसी योगा के जानकार के देखरेख में ही करे !
@* गर्भवती महिला - Gastric ulcer - Epilepsy - Hernia के रोगी इस क्रिया को न करे !
@* Hypertension - उच्चरक्तचाप और ह्रदय रोगी डॉक्टर की सलाह ले - इस क्रिया को करे !
$ ऐसे तो कपालभाती क्रिया के कोई दुष्परिणाम - side - effects नहीं है फिर भी कपालभाती करते वक्त चक्कर आना या जी मचलाना जैसी कोई परेशानी होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करे !
# लाभ :-
* शरीर को detox करता है !
* स्मरणशक्ति को बढ़ाता है !
* पेट की बढ़ी हुई अतिरिक्त चर्बी कम होने में सहायक है !
* कफ विकार नष्ट होते है और श्वासनली की सफाई अच्छे से होती है !
* गैस - कब्ज और अम्लपित्त - Acidity की समस्या को दूर भगाता है !
* शरीर और मन के सारे नकारात्मक तत्व और विचारो को मिटा देता है !
* यह कमर के आकार को फिर से सामान्य आकार में लाने में मदद करता है !
* कपालभाती करने वक्त पसीना अधिक आता है जिससे शरीर स्वच्छ होता है !
* चेहरे की झुर्रिया और आँखों के निचे का कालापन दूर कर चेहरे की चमक फिर से लौटाने में मदद करता है !
* इस क्रिया से रक्त धमनी की कार्यक्षमता बढाती है और बढ़ा हुआ cholesterol को कम करने में मदद होती है !
* वजन कम होता है - भारत में ऐसे कई लोग है जिन्होंने कपालभाती से अपना 30 से 40 किलो वजन कम किया है !
$ जिन लोगो का वजन सामान्य या controlled है वह भी कपालभाती के अन्य लाभ के लिए इस क्रिया को कर सकते है !
Jitendrasingh Rajput's photo.
Jitendrasingh Rajput's photo.

काली मिर्च के प्रयोग

किंग ऑफ स्पाइस या ब्लैक पेपर नाम से प्रचलित काली मिर्च भोजन में इस्तेमाल किए जाने वाले गर्म मसाले का अहम् हिस्सा है। काली मिर्च हमारे भोजन का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, कई बीमारियों के इलाज में सहायक साबित होती है। कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं के अनुसार विटामिन सी, ए, फ्लेवनॉयड्स, कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होने के कारण इसका सेवन कैंसर का रिस्क कम करता है। दिन भर की डाइट में आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर का इस्तेमाल पर्याप्त है-
काली मिर्च में मौजूद तत्व पेपरीन पाचन को ठीक रखने में मदद करता है। यह डायरिया, कॉन्स्टिपेशन और एसिडिटी से आराम दिलाने में मदद करती है।
वजन घटाने में यह मददगार है। इसमें मौजूद पोटेंटफाइटोन्यूट्रियंट नामक तत्व फैट्स कोशिकाओं को तोड़ने का प्रयास करता है।
एंटीबैक्टीरियल व एंटीइन्फ्लामेट्री गुडणों के कारण काली मिर्च त्वचा को भी साफ और बेदाग बनाती है। फेस पैक में काली मिर्च पाउडर मिलाकर चेहरे पर लगाने और 15 मिनट बाद धो लेने से यह बेहतर स्क्रब का काम करती है।
बालों में रूसी की समस्या भी यह दूर करती है। एक कप दही में काली मिर्च पाउडर मिलाएं और सिर में लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें। फिर पानी से साफ करें और अगले दिन शैंपू करें।
कफ की समस्या से भी काली मिर्च का सेवन बचाव करता है। काली मिर्च का इस्तेमाल सूप या रसम में करके कफ की समस्या को दूर किया जा सकता है।
सर्दी, जुकाम-खांसी होने पर 8-10 काली मिर्च, 10-15 तुलसी के पत्ते मिलाकर चाय बनाकर पीने से आराम मिलता है।
खांसी में काली मिर्च, पीपल और सोंठ बराबर मात्रा में पीस लें। तैयार 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ दिन में 2-3 बार चटाएं।
4-5 काली मिर्च करीब 15 दाने किशमिश के साथ खाना खांसी में लाभकारी है।
100 ग्राम गुड़ पिघला कर 20 ग्राम काली मिर्च का पाउडर मिलाएं। थोड़ा ठंडा होने पर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। खाना खाने के बाद 2-2 गोलियां खाने से आराम मिलता है।
खांसी में काली मिर्च को गर्म दूध में मिलाकर सेवन करना फायदेमंद है।
सूखी खांसी होने पर 15-20 ग्राम देसी घी में 4-5 काली मिर्च लेकर एक कटोरी में गर्म करें। जब काली मिर्च कड़कड़ाने लगे और ऊपर आ जाए, तब उतार कर थोड़ा ठंडा करें। फिर इसमें 20ग्राम पिसी मिश्री मिलाएं। काली मिर्च चबाकर खा लें। इसके एक घंटे बाद तक कुछ खाएं नहीं। यह प्रक्रिया 2-3 दिन दोहराएं।
2 चम्मच दही, एक चम्मच चीनी और 6 ग्राम पिसी काली मिर्च मिलाकर चाटने से काली और सूखी खांसी में आराम मिलता है।
एक चम्मच शहद में 2-3 पिसी काली मिर्च और चुटकी भर हल्दी मिलाकर खाने से जुकाम में बनने वाले कफ से राहत मिलेगी।
नाक बंद हो तो छोटे-से सूती कपड़े में दालचीनी, काली मिर्च, इलायची और जीरे की बराबर मात्रा में पोटली बांध लें। इन्हें सूंघने से नाक खुल जाएगी।
नाक में एलर्जी होने पर 10-10 ग्राम सोंठ, काली मिर्च, पिसी इलायची और मिश्री को पीस कर चूर्ण बना लें। इसमें बीज निकला 50 ग्राम मुनक्का और तुलसी के 10 पिसे पत्ते डालकर अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण की 3-5 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। सुबह-शाम 2-2 गोलियां गर्म पानी के साथ लें।
बुखार में तुलसी, काली मिर्च और गिलोय का काढ़ा पीना फायदेमंद है।
काली मिर्च और काला नमक दही में मिलाकर खाने से पाचन संबंधी विकार दूर होते हैं। छाछ में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से पेट के कीटाणु मरते हैं और पेट की बीमारियां दूर होती हैं।
इससे रक्त संचार सुधरता है।यह दिमाग के लिए फायदेमंद होती है। गैस के कारण पेट फूलने पर कालीमिर्च असरदार होती है। इससे गैस दूर होती है।
एक चम्मच शहद में 2-3 बारीक कुटी हुई कालीमिर्च और एक चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर लेने से कफ में राहत मिलती है।
पेट में गैस की समस्या होने पर एक कप पानी में आधा नींबू का रस, आधा चम्मच पिसी काली मिर्च और आधा चम्मच काला नमक मिला कर पिएं।
कब्ज होने पर 4-5 काली मिर्च के दाने दूध के साथ रात में लेने से आराम मिलता है।
उल्टी-दस्त होने पर 5-5 ग्राम काली मिर्च, हींग और कपूर मिलाएं। छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन्हें हर 3 घंटे बाद सेवन करें।
बदहजमी होने पर कटे नींबू के आधे टुकड़े के बीज निकाल कर काली मिर्च और काला नमक भरें। इसे तवे पर थोडम गर्म करके चूसें।
काली मिर्च आंखों के लिए उपयोगी है। भुने आटे में देसी घी, काली मिर्च और चीनी मिला कर मिश्रण बनाएं। सुबह-शाम 5 चम्मच मिश्रण का सेवन करें।
नमक के साथ काली मिर्च मिलाकर दांतों में मंजन करने से पायरिया ठीक होता है, दांतों में चमक आती है।
मुंह से बदबू आती है तो दो काली मिर्च रात को ब्रश करने से पहले चबा लें।
Bharat Agrawal's photo.

अनिद्रा का उपचार

पहला प्रयोगः सोंफ, मिश्री एवं दूध का ठण्डा शर्बत पीने से अथवा भैंस का दूध पीकर सोने से अथवा मालिश करने से नींद अच्छी आती है।
दूसरा प्रयोगः हरी धनिया के रस में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर अग्नि पर चाशनी तैयार करके शरबत तैयार करें। इस तैयार 20-25 ग्राम शरबत में आवश्यकतानुसार जल मिलाकर पीने से अनिद्रारोग की निवृत्ति में सहायता मिलती है।
तीसरा प्रयोगः 200 मि.ली दूध में 1 से 5 ग्राम पीपरामूल मिलाकर पीने से नींद आ जाती है।
जप करते-करते, सत्शास्त्र पढ़ते-पढ़ते अथवा ध्यान की कैसेट सुनते-सुनते सोने से नींद अच्छी आती है।
Jitendrasingh Rajput's photo.

सर्दियों में अंजीर खाना है लाभकारी

अंजीर एक ऐसा फल है जिसका उत्पादन मनुष्य द्वारा बहुत पहले से हो रहा है। अंजीर साल भर नहीं उगता है इसलिए इसके सूखे रूप का ही ज़्यादातर इस्तेमाल होता है, जो हमेशा बाजार में उपलब्ध होता है। अंजीर किसी भी व्यंजन में इस्तेमाल करने पर एक अलग ही स्वाद ला देता है। क्या आपको पता है कि अंजीर के कितने स्वास्थ्यवर्द्धक गुण हैं-
• हजम शक्ति को बढ़ाता है
अंजीर में फाइबर उच्च मात्रा में होता है, जैसे- अंजीर में तीन टुकड़ों में 5 ग्राम फाइबर होता है, जो रोज के 20त्न ज़रूरत को पूरा करने में समर्थ होता है। इसके नियमित सेवन से कब्ज़ की बीमारी और पेट संबंधी समस्या से राहत मिलती है।
• वज़न घटाने में सहायता करता है
अंजीर में फाइबर उच्च मात्रा में होने के साथ-साथ कैलोरी कम होता है। अंजीर के एक टुकड़े में 47 कैलोरी होता है और फैट 0.2 ग्राम होता है। इसलिए वज़न घटाने वालों के लिए यह एक आदर्श स्नैक्स बन सकता है।
• उच्च रक्तचाप से बचाता है
अगर आप आहार में नमक ज़्यादा लेते हैं तो वह शरीर में सोडियम के स्तर को बढ़ाने में सहायता करता है। इससे शरीर में सोडियम-पोटाशियम के स्तर का संतुलन बिगड़ जाता है जिसके कारण उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है। अंजीर इस संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है क्योंकि एक सूखे अंजीर में 129 मिलीग्राम पोटाशियम और 2 मिलीग्राम सोडियम होता है।
• एन्टीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है
सूखे अंजीर में एन्टीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। विनसन जे.ए. और उनके सहयोगियों के एक अध्ययन के अनुसार प्राकृतिक अंजीर में सूखे अंजीर के तुलना में कम एन्टीऑक्सिडेंट्स के गुण होते हैं। इसमें दूसरे एन्टीऑक्सडेंट प्रदान करने वाले खाद्द पदार्थों की तुलना में ज़्यादा एन्टीऑक्सिडेंट होता है।
• दिल को स्वस्थ रखता है
इसमें उच्च मात्रा में एन्टीऑक्सडेंट गुण होने के कारण यह शरीर से फ्री-रैडिकल्स को दूर करने में मदद करता है जिससे रक्त कोशिाकाएं स्वस्थ रह पाती है और दिल की बीमारी का खतरा कुछ हद तक कम हो जाता है।
• कैंसर से रक्षा करता है
एन्टीऑक्सिडेंट गुण से भरपूर अंजीर फ्री-रैडिकल्स के क्षति से डी.एन.ए. की रक्षा करता है जिससे कैंसर होने की संभावना कुछ हद तक कम हो जाती है। पढ़े-� ऑस्टियोपोरोसिस की दवा गर्भाशय कैंसर के खतरे को करता है कम
• हड्डियों को शक्ति प्रदान करता है
एक सूखे अंजीर में 3त्न कैल्सियम होता है जो शरीर के लिए कैल्सियम के ज़रूरत को पूरा करने में सहायता करता है। दूसरे कैल्सियम युक्त खाद्द पदार्थों के साथ यह मिलकर हड्डियों को शक्ति प्रदान करता है।
• प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य को उन्नत करता है
प्राचीन काल से सेक्स के लिए उत्तेजना प्रदान करने के लिए अंजीर का सेवन किया जाता रहा है। अंजीर फर्टिलटी में सहायता करता है। क्योंकि इसमें जो जिन्क, मैंगनीज, और मैग्नेशियम होता है वह प्रजनन स्वास्थ्य को उन्नत करने में बहुत सहायता करता है।

गर्भपातरूप महापाप

ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है उससे दुगना पाप गर्भपाप करने से लगता है। इस गर्भपातरूप महापाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं है, इसमें तो उस स्त्री का त्याग कर देने का ही विधान है।
(पाराशर स्मृतिः 4.20)
यदि अन्न पर गर्भपात करने वाले की दृष्टि भी पड़ जाय तो वह अन्न अभक्ष्य हो जाता है। (मनुस्मृतिः 4.208)
गर्भस्थ शिशु को अनेक जन्मों का ज्ञान होता है। इसलिए 'श्रीमद् भागवत' में उसको ऋषि (ज्ञानी) कहा गया है। अतः उसकी हत्या से बढ़कर और क्या पाप होगा !
संसार का कोई भी श्रेष्ठ धर्म गर्भपात को समर्थन नहीं देता है और न ही दे सकता है क्योंकि यह कार्य मनुष्यता के विरूद्ध है। जीवमात्र को जीने का अधिकार है। उसको गर्भ में ही नष्ट करके उसके अधिकार को छीनना महापाप है।
गर्भ में बालक निर्बल और असहाय अवस्था में रहता है। वह अपने बचाव का कोई उपाय भी नहीं कर सकता तथा अपनी हत्या का प्रतिकार भी नहीं कर सकता।
अपनी हत्या से बचने के लिए वह पुकार भी नहीं सकता, रो भी नहीं सकता। उसका कोई अपराध, कसूर भी नहीं है – ऐसी अवस्था में जन्म लेने से पहले ही उस निरपराध, निर्दोष, असहाय बच्चे की हत्या कर देना पाप की, कृतघ्नता की, दुष्टता की, नृशंसता की, क्रूरता की, अमानुषता की, अन्याय की आखिरी हद है।
(स्वामी रामसुखदासजी)
श्रेष्ठ पुरुषों ने ब्रह्महत्या आदि पापों का प्रायश्चित बताया है, पाखण्डी और परनिन्दक का भी उद्धार होता है, किंतु जो गर्भस्थ शिशु की हत्या करता है, उसके उद्धार का कोई उपाय नहीं है।
(नारद पुराणः पूर्वः 7.53)
संन्यासी की हत्या करने वाला तथा गर्भ की हत्या करने वाला भारत में 'महापापी' कहलाता है। वह मनुष्य कुंभीपाक नरक में गिरता है। फिर हजार जन्म गीध, सौ जन्म सूअर, सात जन्म कौआ और सात जन्म सर्प होता है। फिर 60 हजार वर्ष विष्ठा का कीड़ा होता है। फिर अनेक जन्मों में बैल होने के बाद कोढ़ी मनुष्य होता है।
(देवी भागवतः 9.34.24,27.28)
॥ जय श्री राम ॥
विजेन्द्र गौतम's photo.

महिलाओं के व्‍यक्तिगत रोग

महिलाओं के व्‍यक्तिगत रोग
महिलाओं के कुछ व्‍यक्तिगत रोग ऐसे हैं, जो उन्‍हें अत्‍याधिक पीड़ा पहुंचाते हैं। इन रोगों के होने पर महिलाओं के सामने चुनौती आ खड़ी होती है, इनके इलाज की। डाक्‍टर के पास जाने में शर्म और झिझक तो होती ही है, पैसा खर्च होता है अलग। महिलाओं के छोटे मोटे रोग जो आसानी से घर पर ही ठीक हो जाएं, तो यह महिलाओं के लिए सबसे अच्‍छा है। फिर डाक्‍टर के पास जाना तो एकमात्र रास्‍ता तो होता ही है। नीचे महिलाओं के कुछ रोग और उनका निदान भी दिया हुआ है। शायद महिलाओं के कुछ काम आ सके।
योनि में खुजली
१ * योनि में खुजली होने पर तुलसी के पत्‍तों का लेप लगाएं। खुजली ठीक हो जाएगी।
२ * केले के गूदे में आंवले का रस और मिश्री मिलाकर खाने से खुजली ठीक हो जाती है।
३ * नारियल के तेल में भीमसेनी कपूर मिलाकर यो‍निमार्ग में लगाने से भी खुजली ठीक हो जाती है।
४ * नीम की पत्‍ती, गिलोय, मुलहठी, त्रिफला और शरपुंखा को एक समान मात्रा में लेकर कूट लें। फिर १० ग्राम चूर्ण को पांच सौ ग्राम पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाए, तो उतार कर छान लें। इस पानी से २ – ३ बार नियमित रूप से योनि को धोने से खुजली दूर हो जाएगी।
५ * अच्‍छी क्‍वालिटी के अल्‍कोहल से योनिमार्ग को धोने से खुजली से आराम मिलता है।
६ * २०० ग्राम गेहूं को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इसे पीस कर शुद्ध घी में इसका हलवा बनाकर दिन में २ – ३ बार खाएं। खुजली में आराम मिलेगा।
७ * योनिमार्ग और उसके आस पास के अंग को हमेशा साफ रखें।
८ * योनि की खुजली के कारण अगर योनि में दर्द हो और सूजन आ गई हो या घाव हो गया हो, तो अरंड के तेल को रूई के फाहे में भिगोकर योनि के अंदर रखें। एक सप्‍ताह में संतोष जनक आराम मिलेगा।
९ * एक ग्‍लास छाछ में एक नींबू निचोड़कर सुबह खाली पेट पीने से ४ – ५ दिन में योनि की खुजली दूर हो जाएगी।
१० * अगर श्‍वेदप्रदर के कारण खुजली हो रही है, तो सुबह शाम पांच पांच ग्राम आंवले का चूर्ण चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
११ * गूलर की ताजी पत्तियां पचास ग्राम ले लेकर आधा लीटर पानी में उबालिए, जब पानी आधा रह जाए तो उतार कर छान लीजिए। फिर इसमें डेढ़ ग्राम सुहागा पीस कर मिला लें। इसके बाद गुनगुने पानी को किसी पिचकारी में भरकर योनि को अच्‍छी तरह साफ करें।
१२ * गूलर के सत्‍व को गर्म पानी में घोलकर डूश करने से गर्भाशय की खुजली में भी आराम मिलता है।
योनि में संक्रमण
१ * मुलैठी को पीसकर उसमें घी मिलाकर लेप बनाएं। इस लेप को योनि की दीवारों और उसके आसपास लगाएं। संक्रमण में आराम मिलेगा।
२ * ताजी निंबोली (नीम का फल) का रस निकालकर उसे योनि की दीवार पर उंगलियों से धीरे धीरे मलें। यदि ताजा निंबोली न मिलें तो सूखी निंबोली का चूर्ण पानी में भिगोकर पानी निचोड़ लें और उसको प्रयोग करें। नीम की पत्तियों का रस और नीम का तेल भी फाएदेमंद है।
३ * योनि संक्रमित होने पर दूध दही का सेवन भी फाएदेमंद होता है। इस रोग में दही का सेवन करें। थोड़ा सा दही योनि के आसपास लगाने से भी लाभ होता है।
४ * संक्रमण के कारण अगर योनि शुष्‍कता (सूख) आ गई हो या जलन हो रही हो, तो नारियल का तेल योनि में लगाएं। जलन से बहुत राहत मिलेगी।
यदि योनि ढीली हो जाए तो...
१ * काले तिल का चूर्ण पांच ग्राम, दस ग्राम चूर्ण गोखरू का और बीस ग्राम शहद में मिलाकर आधा लीटर दूध के साथ रोज सेवन करें। इससे ढीली हो चुकी योनि कुवांरी कन्‍या के समान टाइट हो जाती है।
२ * समुद्र की झाग और हरड़ की गुठली दोनों का बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें। फिर इसे योनि पर मलने से फैली योनि सकंचित हो जाएगी।
३ * नीलकमल, कुष्‍ठ, बच, काली मिर्च, असगंद और हल्‍दी पीसकर लेप करने से योनि में मजबूती आती और पहले की तरह टाइट हो जाती है।
४ * माजू, कपूर व शहद एक साथ मिलाकर योनि की मालिश करें। इससे इससे योनि पहले की तरह सकुंचित हो जाएगी।
५ * पालक के बीज तथा गूलर के फल के चूर्ण को तिल के तेल व शहद के साथ पीसकर लेप करने से ओवर ऐज महिलाओं की योनि भी सकुंचित होकर टाइट हो जाती है।
६ * ढाक व गोंद की बत्‍ती या लंबी पोटली बनाकर योनि में रखने से योनि सिकुड़कर कुवांरी कन्‍या जैसी हो जाती है।
७ * कड़वी तुंबी व लोध्र के फल को एक साथ पीसकर योनि में लेप करने से अथवा बेंत की जड़ के क्‍वाथ द्धारा अच्‍छी तरह धोने से योनि संकुचित हो जाती है।
योनि में सूजन
१ * एक पके केले को छील कर ६ – ७ ग्राम देशी घी के साथ रोज सुबह शाम खाएं। एक सप्‍ताह तक प्रयोग करने से योनि की सूजन दूर हो जाती है।
२ * योनि की सूजन में ३ ग्राम आंवला और ६ ग्राम शहद मिलाकर रोज दिन में १ – २ बार खाने से आराम मिलता है।
३ * गूलर के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर एक से दो ग्राम मात्रा में सुबह शाम सेवन आराम मिलता है।
४ * मुठठी भर नीम की पत्तियां लेकर आधा लीटर पानी में १५ – २० मिनट अच्‍छी तरह उबालें। फिर ठंडा करके योनि को दो तीन बार अच्‍छी तरह धोएं। यह सूजन दूर करने का अच्‍छा नुस्‍खा है।
५ * चावल पकाकर मांड नि‍काल लें और गुनगुना ही पी जाएं। ध्‍यान रहे कि मांड ज्‍यादा गाढ़ा न हो। मांड पीने के एक घंटा पहले और बाद में कुछ भी न खाएं।
यदि सेक्‍स के दौरान पीड़ा रहती हो तो इन्‍हें आजमाएं
१ * शुद्ध अरंडी का तेल रूई में भिगोकर योनि में लगाने से लाभ होता है।
२ * गोरखमुंडी (यह एक प्रकार की घांस होती है, जो दवा के रूप में प्रयोग की जाती है) को घी और दूध में पकाकर हलवा बनाएं। फिर इसे योनि में रखें। आराम मिलेगा।
३ * इंद्रायण की जड़, सोंठ और धृतकुमारी का गूदा‍ मिलाकर पीस लें। फिर इसे बकरी के दूध में मिलाकर योनि में रखने से पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
४ * पुनर्नवा की जड़ व पत्‍तों का रस निकालकर उसमें रूई के फाहे को भिगोकर योनि में रखने से सेक्‍स पेन में बहुत राहत मिलती है।
५ * सोंठ और अरंडी की जड़ का बारीक चूर्ण पानी या घी में पीसकर योनि पर लेप करने से सेक्‍स के दौरान दर्द में राहत मिलती है।
६ * सुपारी का चूर्ण ५ ग्राम घी के साथ मिलाकर खाएं और ऊपर से गाय अथवा बकरी का दूध पिएं।
Om Jalandhara's photo.

दूध में आधा टी स्पून हल्दी

अगर सर्दियों में दूध में आधा टी स्पून हल्दी डालकर पिया जाए तो सर्दियों में होने वाले सर्दी जुकाम, बुखार आदि छोटी मोटी बीमारियो के अतिरिक्त अन्य बड़ी बड़ी बीमारिया भी पास नहीं फटकती।
आइये जाने हल्दी वाले दूध पीने के फायदे।

Feetured Post

ये है सनातन धर्म के संस्कार

  गर्व है हमें #सनातनी #अरुणा_जैन जी पर..अरुणा ने 25 लाख का इनाम ठुकरा दिया पर अंडा नही बनाया. ये सबक है उन लोगों के लिए जो अंडा और मांसाहा...