बवासीर गुदा मार्ग की बीमारी है | यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है -- खूनी बवासीर और बादी बवासीर | इस रोग के होने का मुख्य कारण '' कोष्ठबद्धता '' या ''कब्ज़ '' है | कब्ज़ के कारण मल अधिक शुष्क व कठोर हो जाता है और मल निस्तारण हेतु अधिक जोर लगाने के कारण बवासीर रोग हो जाता है | यदि मल के साथ बूंद -बूंद कर खून आए तो उसे खूनी तथा यदि मलद्वार पर अथवा मलद्वार में सूजन मटर या अंगूर के दाने के समान हो और मल के साथ खून न आए तो उसे बादी बवासीर कहते हैं | अर्श रोग में मस्सों में सूजन तथा जलन होने पर रोगी को अधिक पीड़ा होती है |
बवासीर का विभिन्न औषधियों द्वारा उपचार -------
१- जीरा - एक ग्राम तथा पिप्पली का चूर्ण आधा ग्राम को सेंधा नमक मिलाकर छाछ के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर ठीक होती है |
२- जामुन की गुठली और आम की गुठली के अंदर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ सेवन से खूनी बवासीर में लाभ होता है |
३- पके अमरुद खाने से पेट की कब्ज़ दूर होती है और बवासीर रोग ठीक होता है |
४- बेल की गिरी के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर , ४ ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है |
५- खूनी बवासीर में देसी गुलाब के तीन ताज़ा फूलों को मिश्री मिलाकर सेवन करने से आराम आता है |
६ - जीरा और मिश्री मिलकर पीस लें | इसे पानी के साथ खाने से बवासीर [अर्श ] के दर्द में आराम रहता है |
७- चौथाई चम्मच दालचीनी चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन एक बार लेना चाहिए | इससे बवासीर नष्ट हो जाती है |
बवासीर का विभिन्न औषधियों द्वारा उपचार -------
१- जीरा - एक ग्राम तथा पिप्पली का चूर्ण आधा ग्राम को सेंधा नमक मिलाकर छाछ के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर ठीक होती है |
२- जामुन की गुठली और आम की गुठली के अंदर का भाग सुखाकर इसको मिलाकर चूर्ण बना लें | इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में हल्के गर्म पानी या छाछ के साथ सेवन से खूनी बवासीर में लाभ होता है |
३- पके अमरुद खाने से पेट की कब्ज़ दूर होती है और बवासीर रोग ठीक होता है |
४- बेल की गिरी के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर , ४ ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है |
५- खूनी बवासीर में देसी गुलाब के तीन ताज़ा फूलों को मिश्री मिलाकर सेवन करने से आराम आता है |
६ - जीरा और मिश्री मिलकर पीस लें | इसे पानी के साथ खाने से बवासीर [अर्श ] के दर्द में आराम रहता है |
७- चौथाई चम्मच दालचीनी चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन एक बार लेना चाहिए | इससे बवासीर नष्ट हो जाती है |
0
0
![नारियल [Coconut ]
यह मूल रूप से प्रशांत महासागरीय द्वीप एवं म्यांमार , श्रीलंका एवं अन्य उष्णकटिबंधीय समुद्रतटवर्ती प्रदेशों में पाया जाता है | भारत में यह विशेषतः केरल , उड़ीसा , पश्चिम बंगाल , महाराष्ट्र , गुजरात एवं दक्षिण भारत में सर्वत्र पाया जाता है | जिस प्रकार देवताओं में श्री गणेश जी प्रथम प्रतिष्ठित किए गए हैं , ठीक उसी प्रकार फलों में नारियल का स्थान है | आठ यह श्रीफल कहलाता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल वर्षपर्यंत तक होता है |
नारियल के पेड़ समुद्र के किनारे पर उगते हैं | लगभग ७ से ८ साल बाद इस पर फल लगते हैं | नारियल का फल और पानी खाने-पीने में शीतल होता है । नारियल में कार्बोहाइड्रेट और खनिज क्षार काफी मात्रा में पाया जाता है | इसमें विटामिन और अनेक लाभदायक तत्व मिलते हैं | नारियल के पानी में मैग्नीशियम और कैल्शियम भी होता है | सूखे नारियल में इन तत्वों की मात्रा कम होती है |
विभिन्न रोगों में नारियल से उपचार ----
१- नारियल-पानी पीने से उलटी आना और अधिक प्यास लगना कम हो जाता है |
२- नारियल के पानी में नमक डालकर पीने से पेट के दर्द में आराम मिलता है |
३-नारियल के तेल की सिर में मालिश करने से बालों का गिरना बंद हो जाता है |
४-प्रतिदिन नारियल पानी चेहरे पर लगाने से चेहरे के कील- मुँहासे , दाग- धब्बे और चेचक के निशान दूर हो जाते हैं |
५ -सूखे नारियल को घिसकर बुरादा बना लें , फिर एक कप पानी में एक चौथाई कप बुरादा भिगो दें | दो घंटे बाद इसे छानकर नारियल का बुरादा निकालकर पीस लें | इसकी चटनी-सी बनाकर भिगोए हुए पानी में घोलकर पी जाएँ | इस प्रकार इसे प्रतिदिन तीन बार पीने से खांसी , फेफड़ों के रोगऔर टी.बी. में लाभ होता है।|
६- नारियल के तेल और कपूर को मिलाकर एग्ज़िमा वाले स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है |
७- शरीर के किसी भाग के जलने पर प्रतिदिन उस स्थान पर नारियल का तेल लगाने से जलन भी शांत होती है तथा निशान भी नहीं पड़ता है |](https://fbcdn-sphotos-d-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xap1/t1.0-9/p417x417/10487323_790245704353344_1382354846504249316_n.jpg)