विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
झाड़ू के महत्व
झाड़ू वैसे तो एक सामान्य सी चीज है लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, जब यह घर की गंदगी, धूल-मिट्टी साफ करती है तो इसका मतलब यही है कि देवी महालक्ष्मी हमारे घर से दरिद्रता को बाहर निकाल देती है। घर की साफ-सफाई सभी करते हैं और इस काम के लिए घरों में झाड़ू अवश्य ही रहती है।
झाड़ू के महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र द्वारा कई नियम बताए गए हैं।
- जब घर में झाड़ू का इस्तेमाल न हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखना चाहिए।
- झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए।
- ध्यान रहे झाड़ू पर जाने-अनजाने पैर नहीं लगने चाहिए, इससे महालक्ष्मी का अपमान होता है।
- झाड़ू हमेशा साफ रखें।
- ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें।
- झाड़ू को कभी जलाना नहीं चाहिए।
- शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए।
- शनिवार के दिन घर में विशेष साफ-सफाई करनी चाहिए।
- घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
बुद्धि और विवेक का तालमेल
बुद्धि और विवेक का तालमेल न केवल लक्ष्य तक पहुंचना आसान बनाकर सुख की हर चाहत को पूरी करता है। किंतु मकसद को पूरी करने के लिए अहम है कि उससे जुड़ी संभावित बाधाओं को ध्यान रख पहले से ही तैयारी की जाए। इनके बावजूद भी अनेक अवसरों पर अनजानी-अनचाही मुसीबतों से दो-चार होना पड़ता है।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश ऐसे ही देवता के रूप में पूजनीय है, जिनका नाम जप ही कार्य में आने वाली जानी-अनजानी विघ्र, बाधाओं का नाश कर देता है।
शास्त्रों में गृहस्थी हो या व्यापार या फिर किसी परीक्षा और प्रतियोगिता में सफलता की चाह रखने वालों के लिए श्री गणेश के इस मंत्र जप का महत्व बताया गया है। जिसमें भगवान श्री गणेश के 12 नामों की स्तुति है। जानते हैं यह श्री गणेश मंत्र -
- बुधवार या हर रोज इस मंत्र का सुबह श्री गणेश की सामान्य पूजा के साथ जप बेहतर नतीजे देता है। पूजा में दूर्वा चढ़ाना और मोदक का यथाशक्ति भोग लगाना न भूलें।
गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।
विनायकश्चायकर्ण: पशुपालो भावात्मज:।
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय य: पठेत्।
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्रं भवते् कश्चित।
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जय श्री राम
स्वप्न संकेत
हर इंसान सपने देखता है। कुछ हमें याद रहते हैं और कुछ भूल जाते हैं। कुछ सपने बहुत सरल होते हैं जो आसानी से समझ में आ जाते हैं लेकिन कुछ जटिल होते हैं जिन्हें स्वप्न संकेत कहा जाता है। लेकिन कुछ सपने ऐसे होते हैं जिन्हे देखकर मन घबराने लगता है। यदि आप ऐसा कोई अशुभ सपना देखें तो ऐसा क्या करें कि उस सपने के अशुभ प्रभाव से बच सकें। ये आज हम आपको बताने जा रहे हैं।इस तरह के सपने हमें कई बार हमारे जीवन में भविष्य में घटने वाली घटनाओं की तरफ संकेत कर सक्रिय करने की कोशिश करतें हैं लेकिन हम इन्हें समझ ही नहीं पाते।
- बुरे स्वप्न को देखकर यदि व्यक्ति उठकर पुन: सो जाए अथवा रात्रि में ही किसी से कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है।
- सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल नष्ट करने के लिए प्रार्थना कर तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामने स्वप्न कह दें। इससे भी बुरे सपनों का फल नष्ट हो जाता है।
- अपने गुरु का स्मरण करने से भी बुरे स्वप्नों के फलों का नाश हो जाता है।
- धर्म शास्त्रों के अनुसार रात में सोते समय भगवान विष्णु, शंकर, महर्षि अगस्त्य, कपिल मुनि का स्मरण करने से भी बुरे सपने नहीं आते।
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माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। षटतिला एकादशी का महात्मय पुराणों में वर्णित है। इससे संबंधित एक कथा भी है जो इस प्रकार है-
एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु के धाम वैकुण्ठ पहुंचे। वहां उन्होंने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी की क्या कथा तथा उसके महत्व के बारे में पूछा। तब भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि- प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राह्मण की पत्नी रहती थी। उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी। वह मुझमें बहुत ही श्रद्धा एवं भक्ति रखती थी। एक बार उसने एक महीने तक व्रत रखकर मेरी आराधना की। व्रत के प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध तो हो गया परंतु वह कभी ब्राह्मण एवं देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं करती थी अत: मैंने सोचा कि यह स्त्री वैकुण्ठ में रहकर भी अतृप्त रहेगी अत: मैं स्वयं एक दिन उसके पास भिक्षा लेने गया।
ब्राह्मण की पत्नी से जब मैंने भिक्षा की याचना की तब उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर मेरे हाथों पर रख दिया। मैं वह पिण्ड लेकर अपने धाम लौट आया। कुछ दिनों पश्चात वह देह त्याग कर मेरे लोक में आ गई। यहां उसे एक कुटिया और आम का पेड़ मिला। खाली कुटिया को देखकर वह घबराकर मेरे पास आई और बोली की मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब मैंने उसे बताया कि यह अन्नदान नहीं करने तथा मुझे मिट्टी का पिण्ड देने से हुआ है। मैंने फिर उसे बताया कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब तक वे आपको षटतिला एकादशी के व्रत का विधान न बताएं।
स्त्री ने ऐसा ही किया और जिन विधियों को देवकन्या ने कहा था उस विधि से षटतिला एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गई। इसलिए हे नारद इस बात को सत्य मानों कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है और तिल एवं अन्नदान करता है उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।
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लक्ष्मी की सामान्य पूजा विधि व 8 सरल लक्ष्मी मंत्र
लाभ-हानि जीवन का हिस्सा है। जीवन के हर क्षेत्र में हार-जीत और खोने-पाने का सिलसिला चलता रहता है। यह सच जानते हुए भी हर व्यक्ति स्वाभाविक रूप से घाटे या नुकसान से बचने की तमाम कोशिशें करता है, किंतु कहीं न कहीं बुरे समय या किसी चूक से उसे मुश्किलों से दो-चार होना ही पड़ता है।
शास्त्रों में ऐसे ही विपरीत हालात से बचने और बाहर आने के लिए देव उपासना का महत्व बताया गया है। मातृशक्ति लक्ष्मी को सभी संपत्ति, सिद्धि और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। इसलिए खासतौर पर जब व्यक्ति आर्थिक परेशानियों से घिर जाता है और परिवार तंगहाली या कारोबार में घाटे के दौर से गुजर रहा हो तो माता लक्ष्मी के आठ रूपों यानी अष्टलक्ष्मी की उपासना व मंत्र ध्यान आमदनी व बचत बढ़ाने वाले माने गए हैं।
जानते हैं शुक्रवार के दिन लक्ष्मी की सामान्य पूजा विधि व 8 सरल लक्ष्मी मंत्र-
- शुक्रवार के दिन शाम के समय स्नान कर घर के देवालय में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस एक मुट्ठी चावल रख जल कलश रखें।
- कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें।
- इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें।
- इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की इन मंत्रों के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें-
- ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:।
- ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ कामलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ योगलक्ष्म्यै नम:।
- इसके बाद धूप और घी के दीप से पूजा कर नैवेद्य या भोग लगाएं।
- श्रद्धा भक्ति के साथ माता लक्ष्मी की आरती करें।
- आरती के बाद जानकारी होने पर श्रीसूक्त का पाठ भी करें।
- अंत में उपासना में हुई त्रुटि के लिए क्षमा मांग तन, मन और धन की परेशानियों को दूर करने की कामना करें।
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जय श्री राम
जूते-चप्पल काफी कम समय में ही टूट जाते हैं।
क्या आपके साथ यह समस्या होती है कि जूते-चप्पल काफी कम समय में ही टूट जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार बार-बार जूते-चप्पल चोरी होना या खो जाना भी कुछ इशारा करता है। इनके खोने पर आर्थिक हानि तो होती है साथ ही यह शनि दोष की संभावना को भी व्यक्त करता है।
क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर में शनि का वास पैरों में होता है। शनि ग्रह को क्रूर ग्रह माना गया है, इन्हें देवताओं में न्यायाधिश का पद प्राप्त है। सभी के अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही देते हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे शरीर में भी सभी ग्रहों के अलग-अलग विशेष स्थान बताए गए हैं। जैसे शनि ग्रह हमारे पैरों का प्रतिनिधित्व करता है।
यदि व्यक्ति के जूते-चप्पल का बार-बार टूट जाते हैं या गुम हो जाते हैं तो समझना चाहिए कि शनि उसके विपक्ष में है। कुंडली में जब शनि अशुभ स्थिति में होता है तो इस प्रकार जूते-चप्पल टूट जाते हैं। पैरों का प्रतिनिधित्व करने वाला शनि अपना अशुभ प्रभाव दिखाने के लिए ऐसा करवाता है। जब ज्यादातर ऐसा होने लगे तो समझ जाना चाहिए शनि देव आपकी बदकिस्मती की ओर इशारा कर रहे हैं। यानी समझें आपके परेशानियों भरे दिन आने वाले हैं।
जब ऐसा बार-बार होने लगे तो शनि संबंधी दोषों को दूर करने के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। साथ ही किसी ज्योतिष विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर आवश्यक पूजन आदि करने चाहिए। शनि से बचने के लिए सबसे सरल उपाय है कि प्रति शनिवार शनिदेव को तेल चढ़ाएं। एक कटोरी में तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखें और इस तेल को किसी गरीब व्यक्ति को दान करें।
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सज्जन या अच्छे लोग gentlemen or good people
हमारे आसपास दो प्रकार के लोग होते हैं एक तो सज्जन या अच्छे लोग और दूसरे हैं दुर्जन या बुरे लोग। सज्जन लोगों के साथ किसी को कोई परेशानी नहीं रहती है। जबकि दुर्जनों लोगों का साथ हमेशा ही दुख और परेशानियां देने वाला होता है। दुर्जन लोगों के लिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि-
दुर्जनस्य च सर्पस्य वरं सर्पो न दुर्जन:।
सर्पो दंशति काले तु दुर्जनस्तु पदे पदे।।
अर्थात् दुर्जन और सांप दोनों ही जहरीले होते हैं फिर भी दुर्जनों की तुलना में सांप ज्यादा अच्छे होते हैं। क्योंकि सांप मौका मिलते ही केवल एक ही बार डंसता है जबकि दुर्जन लोग हर पल काटते हैं।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हमारे आसपास जो दुर्जन लोग हैं वे सांपों से अधिक जहरीले होते हैं और हानिकारक रहते हैं। जो लोग कपटी और नीच होते हैं उनसे दूर ही रहना चाहिए। सांप केवल तभी हमला करता है जब उसे स्वयं के प्राणों का संकट दिखाई देता है। सांप केवल एक ही बार डंसता है। इसके विपरित जो भी लोग कपटी, नीच और दुराचारी होते हैं वे सदैव दूसरों को कष्ट पहुंचाते रहते हैं। इन लोगों की वजह से कई बार निर्दोष व्यक्ति भी बड़ी परेशानियों में उलझ जाता है। कपटी इंसान हर पल समस्याएं खड़ी करते रहते हैं। इसी वजह से ऐसे लोगों सांपों से भी अधिक खतरनाक होते हैं। इन लोगों से दूर रहने में ही भलाई होती है।
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अंदर और बाहर की साफ-सफाई
अक्सर घर के अंदर और बाहर की साफ-सफाई पर तो ध्यान दिया जाता है लेकिन छत पर गंदगी पड़ी रहती है। वास्तु के अनुसार घर की छत पर पड़ी गंदगी का भी पैसों की तंगी को बढ़ा सकती है। परिवार की बरकत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
यह जरूरी है कि घर की साफ-सफाई अंदर और बाहर अच्छी तरह से ही की जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि घर की छत पर फालतू सामान, गंदगी पड़ी रहती है तो इसके दुष्प्रभाव परिवार की आर्थिक स्थिति पर पड़ते हैं। इसके साथ ही स्वास्थ्य की दृष्टि से भी हानिकारक ही है। किसी भी प्रकार की गंदगी का हमारे जीवन पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है।
जिन लोगों के घरों की छत पर ऐसे अनुपयोगी सामान रखे होते हैं वहां नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं। उस घर में रहने वाले लोगों के विचार नेगेटिव अधिक रहते हैं। वे किसी भी कार्य में सकारात्मक रूप से सोच भी नहीं पाते हैं। इसी वजह से कार्यों में सफलता और तनाव मिलता है। परिवार में भी मन-मुटाव की स्थितियां निर्मित होती हैं।
शास्त्रों के अनुसार धन की देवी महालक्ष्मी का वास ऐसे ही घरों में होता है जहां पूरी तरह से साफ-सफाई और स्वच्छता बनी रहती है। जहां गंदगी होती है वहां से लक्ष्मी चली जाती है और दरिद्रता का वास हो जाता है।
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जय श्री राम
सांप मोर पंख से डरते हैं सांप
सांप एक ऐसा जीव है जिसे सामने देखते ही साहसी इंसानों के भी पसीना आ जाता है। सांप का विष पलभर में ही किसी की भी जीवन लीला समाप्त कर देता है। इनके आने-जाने पर प्रतिबंध लगा पाना किसी के लिए भी काफी मुश्किल है। सांप आसानी से किसी के घर में प्रवेश कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए शास्त्रों में ही सटीक उपाय बताया गया है।
सांपों के डर को समाप्त करने के लिए सबसे अच्छा और सरल उपाय है घर में मोर पंख रखा जाए। मोर पंख घर में ऐसे स्थान पर रखें जहां से आसानी से दिखाई दे। मोर पंख की सुंदरता आपके घर की सजावट बढ़ाने का काम भी करेगी। इससे आपके घर में सांप नहीं आएंगे। मोर पंख सांपों को हमारे घर से दूर रखता है। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में इसके कई अन्य महत्व भी बताए गए हैं। मोर पंख का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी है।
श्रीकृष्ण के चित्रों में देखा जा सकता है कि उनके मस्तष्क पर मोर पंख लगा रहता है। मोर पंख की उपयोगिता और पवित्रता इसी बात से बढ़ जाती है कि वह भगवान के मस्तष्क पर भी स्थान पाता है। घर में मोर पंख लगाने के बहुत सारे अन्य लाभ भी है। इसे घर में रखने से वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है। इससे हमारी सोच पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
सांप मोर पंख से डरते हैं क्योंकि मोर ही इसे मार कर खा जाता है। अत: सांप उस क्षेत्र में जाता है ही नहीं है जहां मोर या मोर पंख दिखाई देता है।
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जय श्री राम
कौन से पाप कौन सी सजा मिलती है। Which sins receive which punishment?
जिंदगी में सभी के अपने कायदे या सिद्धांत होते हैं। हर व्यक्ति का जीवन जीने का अपना तरीका है। जो बात किसी के लिये उसका कर्तव्य और धर्म है वह किसी के लिये घोर पाप या नीच कृत्य हो सकता है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार जिन कर्मों को पाप माना गया है उसकी सजा उसे अपनी मृत्यु के बाद मिलती है। किस पाप की क्या सजा मिलती है। इसका वर्णन गरूड़ पुराण में कुछ इस प्रकार दिया हुआ है। गरुड़ जी बोले- भगवान जीवों को उनके कौन से पाप कौन सी सजा मिलती है। वे किन अगला जन्म किस रूप में लेते हैं व भी बताइए।
भगवान कहते हैं गरूड़ ध्यान से सुनो-
- ब्रह्महत्या करने वाला क्षयरोगी।
- गाय की हत्या करने वाले कुबड़ा।
- कन्या की हत्या करने वाला कोढ़ी।
- स्त्री पर हाथ उठाने वाला रोगी।
- परस्त्री गमन करने वाला नपुंसक।
- गुरुपत्नी सेवन से खराब शरीर वाला।
- मांस खाने व मदिरा पीने वाले के दांत काले व अंग लाल होते हैं।
- दूसरे को न देकर अकेले मिठाई खाने वाले को गले का रोगी।
- घमंड से गुरु का अपमान करने वाले को मिरगी।
- झूठी गवाही देने वाला गूंगा।
- किताब चोरी करने वाला जन्मांध।
- झूठ बोलने वाला बहरा।
- जहर देने वाला पागल होता है।
- अन्न चोरी करने वाला चूहा।
- इत्र की चोरी करने वाले छछुंदर।
- जहर पीकर मरन वाले काले सांप।
- किसी की आज्ञा नहीं मानते वे निर्जन वन में हाथी होते हैं।
- ब्राह्मण गायत्री जप नहीं करते वे अगले जन्म में बगुला होते हैं।
- पति को बुरा-भला कहने वाली जूं बनती है।
- परपुरूष की कामना रखने वाली स्त्री चमगादड़ बनती है।
- मृतक के ग्यारहवे में भोजन करने वाला कुत्ता बनता है।
- मित्र की पत्नी से मोह रखने वाले गधा बनता है।
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