विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
गिरते बालों को रोकने के ये हैं कुछ बेहद खास तरीके
बालों का झडऩा आजकल एक आम समस्या है। बाल अगर थोड़े बहुत झड़े तो कोई चिंता की बात नहीं होती है। लेकिन अगर बाल बहुत अधिक झड़ रहे हों तो उनकी केयर करना जरूरी होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ खास घरेलू उपाय जिन्हें अपनाने पर बाल नहीं गिरेंगे व घने होने लगेंगे.....
- गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उनका पेस्ट बनाइए। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगाइए और कुछ समय बाद सिर को धो लीजिए। इससे बालों का गिरना कम होगा।
- दालचीनी भी बालों की समस्या को दूर करने का कारगर उपाय है। दालचीनी और शहद के को मिलाकर बालों में लगाइए। इससे बालों का झडऩा बंद होगा।
- शहद कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद के प्रयोग से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है। शहद को बालों में लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है।
- ग्रीन टी को पीसकर बालों में लगाने से भी बाल नहीं झड़ते हैं। चाय को उबालकर छान ले और पानी से हेयर वाश करते समय बालों में डालें। ये बहुत अच्छे कंडीशनर का काम करता है।
- नीम की पत्तियों को पीसकर नींबू डालकर लगाने और इसके लगातार प्रयोग से बालों का झडऩा बंद हो जाता हैं।
- दही में नींबू का रस मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है। नींबू के रस को दही में मिलाकर पेस्ट बना लीजिए। नहाने से पहले इस पेस्ट को बालों में लगाइए, 30 मिनट बाद बालों को धुल लीजिए। बालों का गिरना कम हो जाएगा।
- गिरते बालों को रोकने के लिए दही बहुत कारगर घरेलू नुस्खा है। दही से बालों को पोषण मिलता है। इसके लिए बालों को धोने से कम से कम 30 मिनट पहले बालों में दही लगाना चाहिए। जब बाल पूरी तरह सूख जाएं तो पानी से धो लीजिए।
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
सर्दी में रोजाना शहद खाने के 10 जबरदस्त फायदे,रोजाना बस चम्मच भर शहद और होंगे ये फायदे ही फायदे
शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद का रोजाना सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृत माना गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है क्योंकि शरीर को इससे ऊर्जा प्राप्त होती है।
शहद बहुत ही लाभकारी प्राकृतिक औषधी है। इसके सेवन से शरीर निरोगी रहता है। रोजाना दो चम्मच शहद सेवन करने के अनेकों लाभ हैं। इसे खाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है। इसके सेवन से खुब भूख लगती है। बुढ़ापे में इसके सेवन से जवानी सा सामथ्र्य व शक्ति मिलती है। शहद कई तरह के विटामिन्स से भरपूर है। शहद में विटामिन ए, बी, सी, पाए जाते हैं।
इसके अलावा आयरन, कैल्शियम, सोडियम फास्फोरस, आयोडीन भी पाए जाते हैं। इसीलिए प्रतिदिन शहद का सेवन करने से शरीर में शक्ति और ताजगी बनी रहती है। शहद रोजाना खाने से सेहत बनती है और शरीर मोटा होता है। शरीर की दुर्बलता दूर करने के लिए रात को बिना चीनी के एक गिलास दूध में शहद डालकर पीने से शरीर सुडौल, पुष्ट व बलशाली बनता है।
रोजाना एक चम्मच शहद से दिमागी कमजोरियां दूर होती है।उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में शहद कारगर है।रक्त को साफ करने यानी रक्त शुद्धि के लिए भी शहद का सेवन करना चाहिए। शहद से मांसपेशियां बलवती होती हैं। दिल को मजबूत करने, और हृदय संबंधी रोगों से बचने के लिए प्रतिदिन शहद खाना अच्छा रहता है। शहद, मलाई और बेसन का उबटन लगाने से चेहरे पर चमक आ जाती है।
जबरदस्त फायदे
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शरीर को स्वस्थ, निरोग और उर्जावान बनाए रखने के लिए शहद का रोजाना सेवन बहुत अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में इसे अमृत माना गया है। यूं तो सभी मौसमों में शहद का सेवन लाभकारी है, लेकिन सर्दियों में तो शहद का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है क्योंकि शरीर को इससे ऊर्जा प्राप्त होती है।
- दूध में शक्कर की जगह शहद लेने से गैस नहीं बनती और पेट के कीड़े भी निकल जाते हैं।
- बढ़े हुए ब्लडप्रेशर में शहद का सेवन लहसुन के साथ करना लाभप्रद होता है।
- रोजाना शहद खाने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। शहद का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- शहद रोज खाने से आंखों की ज्योति बढ़ती है। आंखें स्वच्छ व चमकीली बनती है।
- ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का रंग साफ होता है तथा चेहरे पर लालिमा एवं कांति भी आ जाती है।
- त्वचा सम्बन्धी रोग हो या कहीं जल-कट गया हो तो शहद लगाएं। जादू सा असर दिखाई
- प्रतिदिन 25 ग्राम शहद दूध के साथ जरूर लें । इससे शरीर को ताकत मिलती है!
- रोजाना शहद लेने से पेट के छोटे-मोटे घाव और शुरुआती स्थिति का अल्सर शहद को दूध या चाय के साथ लेने से ठीक हो सकता है।
- कब्जियत में टमाटर या संतरे के रस में एक चम्मच शहद डालकर सेवन करें, लाभ होगा।
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जय श्री राम
मधुमेह नहीं होता,कॉफी पीने से.......'डिप्रेशन से बचा सकती है कॉफ़ी
क्या आप मधुमेह के शिकार हैं तो एक दिन में 4 कप कॉफी पिएं। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि रोज 4 कप कॉफी पीना मधुमेह के खतरे का कम कर सकता है।
पहले के अध्ययनों से पता चला था कि कॉफी पीने से मुधमेह का खतरा कम होता है, लेकिन इसके परिणामों को लेकर विरोधभास था कि क्या यह कैंसर जैसी दीर्घकालीक बीमारियों को बढ़ावा देता है।
अब यूरोप की एक टीम ने दावा किया है कि हर दिन सामान्य मात्रा में काफी पीने वाले लोगों में मधमेह (टाइप टू) का खतरा उन लोगों की तुलना में काफी कम हो सकता है, जो कभी-कभी इसे पीते हैं या कभी नहीं पीते।
'डिप्रेशन से बचा सकती है कॉफ़ी'
कॉफ़ी का कप
वैज्ञानिकों का कहना है कि कैफ़ीन के असर की वजह से डिप्रेशन में कमी हो सकती है
चाय और कॉफ़ी के स्वास्थ्य पर न जाने कितने शोध हो चुके हैं और जहाँ कुछ उसे फ़ायदेमंद बताते हैं तो कुछ उसके नुक़सानदायक पहलू पर ज़ोर देते हैं.
अब कॉफ़ी पर आए एक नए शोध के अनुसार एक दिन में दो या उससे अधिक कप कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं के डिप्रेशन का शिकार होने की संभावना काफ़ी कम होती है.
इससे जुड़ी और सामग्रिया
अभी तक ये स्पष्ट नहीं है कि ऐसा प्रभाव क्यों होता है मगर शोधकर्ताओं को लगता है कि कॉफ़ी में मिलने वाली कैफ़ीन दिमाग़ पर ये असर डालती है क्योंकि कैफ़ीनमुक्त कॉफ़ी का ऐसा असर देखने को नहीं मिला.
इस शोध के नतीजे आर्काइव्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन में छपे हैं और इसके लिए 50 हज़ार अमरीकी महिला नर्सों का अध्ययन किया गया.
विशेषज्ञ ये संबंध समझने के लिए और अध्ययन करने पर ज़ोर दे रहे हैं.
उनका कहना है कि निश्चित ही अभी महिलाओं को ये सलाह देना जल्दबाज़ी होगी कि उन्हें अपना मूड ठीक रखने के लिए कॉफ़ी पीनी शुरू कर देनी चाहिए.
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक दल ने 1996 से 2006 के बीच के दशक में महिलाओं के स्वास्थ्य पर नज़र रखी और उनके कॉफ़ी के सेवन की मात्रा की जानकारी लेने के लिए प्रश्नावलियों का सहारा लिया.
कैफ़ीन का असर
इस अवधि में सिर्फ़ 2600 महिलाएँ डिप्रेशन का शिकार हुईं और उनमें से अधिकतर या तो बिल्कुल ही कॉफ़ी नहीं पीती थीं या बहुत ही कम कॉफ़ी का सेवन करती थीं.
हफ़्ते में एक कप या उससे कम कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं की तुलना जब ऐसी महिलाओं से की गई जो दिन में दो या तीन कप कॉफ़ी पीती थीं तो कॉफ़ी ज़्यादा पीने वाली महिलाओं में डिप्रेशन होने का ख़तरा 15 प्रतिशत तक कम पाया गया.
वहीं चार या उससे अधिक कप कॉफ़ी पीने वाली महिलाओं में ये ख़तरा 20 प्रतिशत से भी कम हो गया.
अध्ययन के अनुसार नियमित रूप से कॉफ़ी पीने वालों के धूम्रपान करने या शराब पीने की संभावना भी ज़्यादा थी और उनके चर्च जाने या सामुदायिक कार्यों में हिस्सेदारी कम रहती थी. उन महिलाओं का वज़न बढ़ जाने या उनमें उच्च रक्त चाप की समस्या भी नहीं देखी गई.
शोधकर्ताओं के अनुसार ये अध्ययन पहले के उन शोधों के अनुरूप ही पाए गए हैं जिनके अनुसार कॉफ़ी पीने वालों की आत्महत्या की दर काफ़ी कम होती है.
शोधकर्ता इसकी वजह कैफ़ीन को मान रहे हैं.
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जय श्री राम
ठंड में ऐसे करें तिल का USE, HEALTH बन जाएगी
वैसे तो तिल या उसका तेल दोनों ही हमारी बॉडी के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन ठंड में तिल का सेवन बॉडी के लिए बहुत ज्यादा लाभदायक होता है। तिल में कैल्शियम, आयरन, ऑक्जेलिक एसिड, अमीनो एसिड, प्रोटीन, विटामिन बी, सी तथा ई की प्रचुर मात्रा होता है। काले तिल व सफेद तिल दोनों का ही उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ठंड में तिल के उपयोग व इसे खाने से होने वाले फायदों के बारे में....
- प्रतिदिन दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए और उसके बाद ठंडा पानी पीजिए। इसका नियमित सेवन करने से पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।
- बच्चा सोते समय पेशाब करता हो़ तो भुने काले तिलों को गुड़ के साथ मिलाकर उसका लड्डू बना लीजिए। बच्चे को यह लड्डू हर रोज रात में सोने से पहले खिलाइए, बच्चा सोते वक्त पेशाब नही करेगा।
- पेट दर्द- 20-25 ग्राम साफ चबाकर उपर से गर्म पानी पिलाने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
- कब्ज होने पर 50 ग्राम तिल भूनकर उसे कूट लीजिए, इसमें चीनी मिलाकर खाइए। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
- खांसी आने पर तिल का सेवन कीजिए खांसी ठीक हो जाएगी। तिल व मिश्री को पानी में उबाल कर पीने से सूखी खांसी भी दूर हो जाती है।
- एक स्टडी के मुताबिक ठंड में तिल व तिल के तेल का सेवन डायबिटीज के पेशेन्ट्स के लिए दवा का काम करता है।
- ठंड में तिल गुड़ दोनो समान मात्रा में लेकर मिला लें।उसके लड्डू बना ले। प्रतिदिन 2 बार 1-1 लड्डू दूध के साथ खाने से मानसिक दुर्बलता एंव तनाव दूर होते है। शक्ति मिलती है। कठिन शारीरिक श्रम करने पर सांस फूलना जल्दी बुढ़ापा आना बन्द हो जाता है।
- तिल का तेल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। वाइरस, एजिंग और बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करता है। इसीलिए ठंड में तिल का सेवन जरूर करना चाहिए।
- यदि सर्दी के कारण सूखी खांसी हो तो 4-5 चम्मच मिश्री एंव इतने ही तिल मिश्रित कर ले। इन्हे एक गिलास मे आधा पानी रहने तक उबाले। इसे दिनभर में तीन बार लें।
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खाने के बाद चीकू खाने से हो जाता है इन बीमारियों का इलाज
चीकू एक ऐसा फल है जो हर मौसम में आसानी से मिल जाता है और बहुत स्वाद भी होता है। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। इसमें फास्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं चीकू खाने के कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में ....
गर्मियों में चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू की छाल बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में संपोटिन नामक तत्व रहता है। चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है।
चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। तथा इसमें फस्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है।
चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू हमारे ह्रदय और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है। चीकू कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।चीकू खाने से के होने का खतरा कम होता है।
चीकू में होता है जो की फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।यह हृदय रोगों और गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।यह ऊर्जा का एक अच्छा स्त्रोत है, क्योंकि इसके गूदे में 14 प्रतिशत मात्रा शर्करा की होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन और अल्प मात्रा में आयरन व विटामिन भी पाया जाता है। डायबिटीज के रोगी इसे न सेवन करें तो ठीक है।
-चीकू हमारे दिल और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है।
- यह गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।
- चीकू फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।
- कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।
- चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।
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मोटापा जल्दी से घटाना है तो ऐसे खाएं लहसुन If you want to lose weight quickly then eat garlic like this
मान्यता है कि देव-दानव के बीच हुए अमृत युद्ध में अमृत की कुछ बूंदे धरती पर बिखर गई उन्हीं बूंदों से धरती पर जिस पौधे की उत्पति हुई। वह लहसुन का पौधा था। इसलिए कहा जाता है कि लहसुन एक अमृत रासायन है। लेकिन चूंकी माना जाता है कि इसका प्रयोग करने वाले मनुष्य के दांत, मांस व नाखून बाल, व रंग क्षीण नहीं होते हैं।
- यह पेट के कीड़े मारता है व खांसी दूर करता है। लहसुन कब्ज को मिटाने वाला व आंखों के रोग दूर करने वाला माना गया है। अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-
- लहसुन की दो कलियां भून लें उसमें सफेद जीरा व सौंफ सैंधा नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। इसका सेवन सुबह खाली पेट गर्म पानी से करें।
- लहसुन की चटनी खाना चाहिए और लहसुन को कुचलकर पानी का घोल बनाकर पीना चाहिए।
- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण रोज फांकना चाहिए।
कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे...इन बीमारियों में है रामबाण
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लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।
1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।
2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।
3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।
4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।
5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।
6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।
7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।
8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।
9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।
10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
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घर पर बनाएं ये आयुर्वेदिक मंजन कैसा भी हो दांत का दर्द ठीक हो जाएगा
दांत का दर्द एक ऐसा दर्द है जो किसी भी उम्र में पेरशान कर सकता है। दांत का दर्द होने पर अधिकतर लोग बहुत ज्यादा एलोपेथिक दवाईयां ले लेते हैं जो कि शरीर के लिए बहुत हानिकारक होती हैं। इसीलिए अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो घर पर ये आयुर्वेदिक मंजन बनाकर ट्राय करें। इससे आपको दांत के दर्द से जल्द ही छुटकारा मिल जाएगा।
- काली मिर्च 10 ग्राम,सोनगेरु 20 ग्राम और नौसादर 10 ग्राम लेकर महीन पीसकर पाउडर की तरह चूर्ण बना लें। इसे मंजन की तरह दांतों पर मलने से दांत के दर्द से छुटकारा मिलता है।
- मिट्टी के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से दांत का दर्द जल्द ही शंात हो जाता है।
- नाकुली की पत्तियो को पीसकर टिकिया बना लें और जिस ओर के दांत में दर्द हों उसके विपरीत हाथ वाले कंधे पर ये टिकिया रखकर कपड़े से बांध दे। निश्चित ही दांत की पीड़ा में फायदा होगा।
- बादाम के छिलकों की राख 20 ग्राम, 20 ग्राम माजूफल 20 ग्राम, सेंधा नमक 20 ग्राम, अजवाइन सत्व 3 ग्राम और अफीम 3 ग्राम सभी को पीसकर महीन पाउडर बना लें, इसे मंजन की तरह दांतों पर लगाने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
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जय श्री राम
♥ लकड़ी का कटोरा ♥
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एक वृद्ध व्यक्ति अपने बहु – बेटे के यहाँ शहर रहने गया . उम्र के इस पड़ाव पर वह अत्यंत कमजोर हो चुका था , उसके हाथ कांपते थे और दिखाई भी कम देता था . वो एक छोटे से घर में रहते थे , पूरा परिवार और उसका चार वर्षीया पोता एक साथ डिनर टेबल पर खाना खाते थे . लेकिन वृद्ध होने के कारण उस व्यक्ति को खाने में बड़ी दिक्कत होती थी . कभी मटर के दाने उसकी चम्मच से निकल कर फर्श पे बिखर जाते तो
कभी हाँथ से दूध छलक कर मेजपोश पर गिर जाता .
बहु -बेटे एक -दो दिन ये सब सहन करते रहे पर अब उन्हें अपने पिता की इस काम से चिढ होने लगी . “ हमें इनका कुछ करना पड़ेगा ”, लड़के ने कहा . बहु ने भी हाँ में हाँ मिलाई और
बोली ,” आखिर कब तक हम इनकी वजह से अपने खाने का मजा किरकिरा रहेंगे , और हम इस तरह चीजों का नुक्सान होते हुए भी नहीं देख सकते .”
अगले दिन जब खाने का वक़्त हुआ तो बेटे ने एक पुरानी मेज को कमरे के कोने में लगा दिया , अब बूढ़े पिता को वहीँ अकेले बैठ कर अपना भोजन करना था . यहाँ तक कि उनके खाने के बर्तनों की जगह एक लकड़ी का कटोरा दे दिया गया , ताकि अब और बर्तन ना टूट -फूट सकें . बाकी लोग पहले की तरह ही आराम से बैठ कर खाते और जब कभी -कभार उस बुजुर्ग की तरफ देखते तो उनकी आँखों में आंसू दिखाई देते . यह देखकर भी बहु-बेटे का मन नहीं पिघलता , वो उनकी छोटी से छोटी गलती पर ढेरों बातें सुना देते . वहां बैठा बालक भी यह सब बड़े ध्यान से देखता रहता , और अपने में मस्त रहता .
एक रात खाने से पहले , उस छोटे बालक को उसके माता -पिता ने ज़मीन पर बैठ कर कुछ करते हुए देखा , ”तुम क्या बना रहे हो ?” पिता ने पूछा .
बच्चे ने मासूमियत के साथ उत्तर दिया , “ अरे मैं तो आप लोगों के लिए एक लकड़ी का कटोरा बना रहा हूँ , ताकि जब मैं बड़ा हो जाऊं तो आप लोग इसमें खाना खा सकें .” ,और वह पुनः अपने काम में लग गया . पर इस बात का उसके माता -पिता पर बहुत गहरा असर हुआ . उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला और आँखों से आंसू बहने लगे . वो दोनों बिना बोले ही समझ चुके थे कि अब उन्हें क्या करना है . उस रात वो अपने बूढ़े पिता को वापस डिनर टेबल पर ले आये , और फिर कभी उनके साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया .
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
संत और गुरु में क्या अंतर होता है ?
संत और गुरु में क्या अंतर होता है ?
संतोंमें भी स्तर होते हैं , गुरुपद के संत (७० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर) से शक्तिके स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं, सद्गुरु पदके संत (80% आध्यात्मिक स्तर) उसके अगले स्तरके होते हैं और उनसे आनंदके स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं और वह वह शक्तिके स्पंदनसे अधिक सूक्ष्म होते हैं और सबसे ऊपर परात्पर पदके संत (९० % आध्यात्मिक स्तर) के होते हैं उनसे शांतिके स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं |
सभी गुरु संत होते हैं, परन्तु सभी संत गुरु नहीं होते | गुरु पद एक कठिन पद होता है और कई बार संत इस पदको स्वीकार करने को इच्छुक नहीं होते और वे आत्मानंदमें रत रहना पसंद करते हैं | ऐसे संतोके मात्र अस्तित्वसे ब्रह्माण्डकी सात्त्विकता बनी रहती है | कुछ संत भक्तोंके अध्यात्मिक कष्ट दूर तो करते हैं, पर किसी को शिष्य स्वीकार कर उसे मोक्ष तक ले जानेको इच्छुक नहीं होते क्योंकि संतोंको पता होता है मात्र शिष्य बनानेसे काम समाप्त नहीं होता, शिष्य जब तक मोक्षको प्राप्त नहीं होता, तब तक वह उत्तरदायित्व गुरुका होता है; अतः कई गुरु शिष्य बनाते समय बहुत सतर्क रहते हैं और योग्य पात्रको ही शिष्य स्वीकार करते हैं | मात्र गुरु पद स्वीकार करनेके पश्चात् संतोकी प्रगति मोक्षकी द्रुत गतिसे होती है | ईश्वर प्रत्येक संतको गुरुके लिए नहीं चुनते, जिनमे दूसरोंको सिखानेकी विशेष क्षमता हो, मां समान मातृत्व, क्षमाशीलता और प्रेम हो, उसे ही सद्गुरु पद पर आसीन करते हैं |
What is the difference between a saint and a Guru?
Saints too are at different levels as per their sadhana, saints of the status of Guru (70% spiritual level) emit vibrations of Shakti (energy); saints at the status of Sadguru (spiritual master) at 80% spiritual level, are saints of the next higher level and they emit vibrations of bliss. These vibrations are even more subtle than vibrations of Shakti. The saints of the highest status – Paratpar level - are at a spiritual level of more than 90% and they project vibrations of peace.
All Gurus are saints, but all saints are not Gurus. The status of a Guru is a difficult one and many a time, saints are not willing to accept this status because they like to remain in a state of bliss. The mere existence of such saints maintains the Sattvikta (purity) of the universe. Some saints remove the spiritual problems of devotees, but they are not desirous of accepting someone as their disciple and take one to Moksha (liberation), for saints know that merely accepting one as a disciple is not enough. Till the time the disciple attains Moksha, it continues to be a responsibility of the Guru. Hence, many Gurus remain alert while accepting disciples and only accept eligible seekers as disciples. Merely by accepting the status of a Guru, saints make progress towards Final Liberation at a rapid pace. God does not select every saint to be a Guru, He confers the status of a Sadguru only upon those who have a special ability to teach others, possess a maternal affection and are forgiving in nature
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
ठंड में बनाना हो सेहत तो ये हैं ...7 आसान तरीके
ठंड को सेहत बनाने का मौसम माना जाता है। कहते हैं इस मौसम में अगर कोई भी अपना खान-पान अच्छा रखें तो सालभर बीमारियां नहीं आती साथ ही सेहत भी बन जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं खान-पान से जुड़े पांच ऐसे ही नुस्खों के बारें में जिन्हें अपनाकर आप भी अपनी सेहत बना सकते है।
- रोज सुबह खाली पेट एक सेवफल खाने से शरीर स्वस्थ रहती है।
- वसंतकुसुमकर रस शरीर को न सिर्फ आंतरिक उर्जा देता है बल्कि वजन को जल्दी बढ़ाने में भी लाभकारी है।
- ठंड में सुबह हेल्थ के लिए भारी नाश्ता अच्छा माना गया है। इसीलिए ठंड में सुबह भारी नाश्ता करना चाहिए।
- रोजाना सुबह एक चम्मच च्यवनप्राश जरूर खाना चाहिए। यह ठंड में वजन बढ़ाने के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक औषधी है। यह लगभग सभी के लिए हेल्दी रहता है। इससे न सिर्फ शारीरिक उर्जा बढ़ती है बल्कि मेटाबोलिज्म भी मजबूत रहता है।
- आयुर्वेद के अनुसार ठंड में शतावरी कल्प के सेवन को आंखों की रोशनी तो बढ़ती ही है। साथ ही सेहत बनती है व वजन बढऩे लगता है।
- शीलाजीत को दूध से लेने से जल्दी असर करता है और वजन प्रबंधन में भी मदद करता है
- ठंड में रोजाना द्रकशरिष्ठा को लगातार एक महीने तक गर्म या ठंडे पानी में शहद के साथ मिलाकर लेना भी शरीर के लिए अच्छा रहता है।
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
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