भारतीय सनातन संस्कृति की और नतमस्तक होती दुनिया,...

भारतीय सनातन संस्कृति की और नतमस्तक होती दुनिया,... प्रयागराज में शुरू हुए महाकुंभ मेले में विदेशी श्रद्धालुओं ने भी बड़ी संख्या में संगम में डुबकी लगा पूजा-अर्चना की।! इस बार करीब पन्द्रह से बीस लाख के बीच विदेशी श्रद्धालुओं संगम में डुबकी लगाने पहुँचे हैं..
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मन के घोड़े

एक व्यक्ति ने किसी साधु से कहा, "मेरी पत्नी धर्म-साधना-आराधना में बिलकुल ध्यान नहीं देती। यदि आप उसे थोड़ा बोध दें तो उसका मन भी धर्म-ध्यान में रत हो।" साधु बोला, "ठीक है।"" अगले दिन प्रातः ही साधु उस व्यक्ति के घर गया। वह व्यक्ति वहाँ नजर नहीं आया तो साफ सफाई में व्यस्त उसकी पत्नी से साधु ने उसके बारे में पूछा। पत्नी ने कहा, "वे चमार की दुकान पर गए हैं।" पति अन्दर के पूजाघर में माला फेरते हुए ध्यान कर रहा था। उसने पत्नी की बात सुनी। उससे यह झूठ सहा नहीं गया। त्वरित बाहर आकर बोला, "तुम झूठ क्यों बोल रही हो, मैं पूजाघर में था और तुम्हे पता भी था।"" साधु हैरान हो गया। पत्नी ने कहा- "आप चमार की दुकान पर ही थे, आपका शरीर पूजाघर में, माला हाथ में किन्तु मन से चमार के साथ बहस कर रहे थे।" पति को होश आया। पत्नी ठीक कह रही थी। माला फेरते-फेरते वह सचमुच चमार की दुकान पर ही चला गया था। कल ही खरीदे जूते क्षति वाले थे, खराब खामी वाले जूते देने के लिए, चमार को क्या क्या सुनाना है वही सोच रहा था। और उसी बात पर मन ही मन चमार से बहस कर रहा था। पत्नी जानती थी उनका ध्यान कितना मग्न रहता है। वस्तुतः रात को ही वह नये जूतों में खामी की शिकायत कर रहा था, मन अशान्त व असन्तुष्ट था। प्रातः सबसे पहले जूते बदलवा देने की बेसब्री उनके व्यवहार से ही प्रकट हो रही थी, जो उसकी पत्नी की नजर से नहीं छुप सकी थी। साधु समझ गया, पत्नी की साधना गजब की थी और ध्यान के महत्व को उसने आत्मसात कर लिया था। निरीक्षण में भी एकाग्र ध्यान की आवश्यकता होती है। पति की त्रृटि इंगित कर उसे एक सार्थक सीख देने का प्रयास किया था। धर्म-ध्यान का मात्र दिखावा निर्थक है, यथार्थ में तो मन को ध्यान में पिरोना होता है। असल में वही ध्यान साधना बनता है। यदि मन के घोड़े बेलगाम हो तब मात्र शरीर को एक खूँटे से बांधे रखने का भी क्या औचित्य?
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ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी । त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी । सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव ओंकारा लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा । पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा । भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला । शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥ ॐ जय शिव ओंकारा काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव ओंकारा त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा
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कुम्भ मेला

पौराणिक कथाओं अनुसार देवता और राक्षसों के सहयोग से समुद्र मंथन के पश्चात् अमृत कलश की प्राप्ति हुई। जिस पर अधिकार जमाने को लेकर देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे निकलकर पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरी। वे चार स्थान है : - प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। जिनमें प्रयाग गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर और हरिद्वार गंगा नदी के किनारे हैं, वहीं उज्जैन शिप्रा नदी और नासिक गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है। अमृत पर अधिकार को लेकर देवता और दानवों के बीच लगातार बारह दिन तक युद्ध हुआ था। जो मनुष्यों के बारह वर्ष के समान हैं। युद्ध के दौरान सूर्य, चंद्र और शनि आदि देवताओं ने कलश की रक्षा की थी, अतः उस समय की वर्तमान राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं, तब कुम्भ का योग होता है और चारों पवित्र स्थलों पर प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल पर क्रमानुसार कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। कुम्भ-अमृत स्नान और अमृतपान की बेला। इसी समय गंगा की पावन धारा में अमृत का सतत प्रवाह होता है। इसी समय कुम्भ स्नान का संयोग बनता है। कुम्भ पर्व भारतीय जनमानस की पर्व चेतना की विराटता का द्योतक है। विशेषकर उत्तराखंड की भूमि पर तीर्थ नगरी हरिद्वार का कुम्भ तो महाकुम्भ कहा जाता है।
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जब गैस या एसीडिटी के कारण हो पेटदर्द तो ये नुस्खे रामबाण हैं....

अपच होने पर पेट भारी होकर फूल जाता है,इससे पेट दर्द और बैचेनी जलन और कभी कभी मितली आने लगती है, खट्टी डकारें आती है,पेट में भारीपन महसूस होता है, पेटदर्द और उल्टी आदि की शिकायतें होती है। पेटदर्द मिटाने के लिए कड़वी दवाईयां ले लेकर आप परेशान हो चूके हैं तो आजमाइए पेट दर्द दूर भगाने वाले कुछ टेस्टी नुस्खे- - दो चम्मच मेथी दाना में नमक मिलाकर सुबह-शाम दो बार गर्म पानी से लें। - सौंफ और सेंधा नमक मिलाकर पीसकर दो चम्मच गर्म पानी से लें। - काली मिर्च, हींग, सौंठ समान मात्रा में पीसकर सुबह शाम गर्म पानी से आधा चम्मच लें। - पिसी लाल मिर्च गुड़ में मिलाकर खाने से पेट दर्द में लाभ होता है। - दो इलायची पीसकर शहद मिलाकर चाटने से लाभ होता है। - अनार के दानों पर काली मिर्च और नमक डाल कर चूसें। - नींबू की फांक पर काला नमक, काली मिर्च व जीरा डालकर गर्म करके चूसें। - 2ग्राम अजवाइन में एक ग्राम नमक मिलाकर गर्म पानी से लें।
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10 चीजें, जो सर्दियों में रखें हेल्दी

विंटर सीजन में मिलने वाले ये फ्रूट्स और वेजीटेबिल्स न केवल हेल्थ के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि आपको सर्दियों की कई प्रॉब्लम्स से भी बचाए रखते हैं। इसलिए रोजाना इनका सेवन आपको कई तरह के फायदे देता है। सर्दियों का मेवा मूंगफली मूंगफली प्रोटीन का अच्छा सोर्स है। यह आपको अंदर से गर्म बनाए रखता है। दरअसल, इसमें विटामिन ई की क्वॉन्टिटी बहुत ज्यादा होती है। अगर आप रोजाना इसके 5 से 6 दाने खाएं, तो आपकी स्किन ड्राई नहीं होगी। इसमें ओमेगा-3 पाया जाता है, जो ब्रेन को ऐक्टिव रखने में हेल्प करता है। अगर आप 200 ग्राम मूंगफली रोजाना लेते हैं, तो इससे आपको 50.5 ग्राम प्रोटीन, 80.6 ग्राम फैट, 55.1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 80 ग्राम कैलरीज, 18 मिलीग्राम कैल्शियम और 18. 6 मिलीग्राम आयरन मिलेगा। विटामिन सी से भरपूर आंवला आंवले में कई ऐसे न्यूट्रिशंस पाए जाते हैं, जो सर्दी के मौसम में बेहद फायदा देते हैं। विटामिन सी बॉडी के इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाता है, तो वहीं इसमें पाए जाने वाले ऐंटि-ऑक्सीडेंट बॉडी में मौजूद केमिकल्स को बाहर निकलने में मदद करते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के साथ ही यह एनीमिया से भी बचाता है। 50- 50 ग्राम के दो आंवलें अगर आप रोजाना लेंगे, तो आप 0.5 ग्राम प्रोटीन, 13.7 ग्राम कार्बोहाइट्रेट, 58 ग्राम कैलरी, 1.2 मिलीग्राम आयरन पा सकते हैं। कई न्यूट्रिशंस से भरपूर गाजर गाजर विटामिन बी का अच्छा सोर्स है। इसके अलावा, इसमें ए, सी, डी, के, बी-1 और बी-6 काफी क्वॉन्टिटी में पाया जाता है। इसमें नैचरल शुगर पाया जाता है, जो सर्दी के मौसम में शरीर को ठंड से बचाता है। इस मौसम में होने वाले नाक, कान, गले के इन्फेक्शन और साइनस जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गाजर या इससे बनी चीजों का सेवन फायदेमंद साबित होता है। आप इसे सलाद के तौर पर खाएं या गाजर का हलवा बनाकर, दोनों ही फायदेमंद है। हां, अगर कैलरीज से बचना चाहती हैं, तो गाजर का हलवा अवॉइड करें। 100 ग्राम गाजर में 0.9 प्रोटीन, 10.6 कैलरीज, 80 मिलीग्राम कैल्शियम, 0.03 मिलीग्राम आयरन पा सकते हैं। गर्म रखती है मेथी मेथी के गर्मागर्म पराठे, वो भी अचार के साथ खाने का अपना ही मजा है। इसे सब्जी के फॉर्म में खाएं या पराठे बनाकर, बॉडी के लिए हर तरह से फायदेमंद होती है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए सर्दियों में लोग इसे खूब खाते हैं। इसमें आयरन, विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर्स बेहद क्वॉन्टिटी में होते हैं। यह बॉडी में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को घटाने के साथ डायबिटीज के रोगियों के शरीर से शुगर के लेवल को कम करने में मदद करती है। डाइजेशन को ठीक बनाए रखने में यह बेहद काम आती है। अगर आप रोजाना 200 से 300 ग्राम मेथी इनटेक कर लें, तो आप कई बीमारियों से बचे रहेंगे। 200 ग्राम मेथी में 7 ग्राम प्रोटीन, 6.2 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 185 मिलीग्राम कैल्शियम और 32.8 मिलीग्राम आयरन होता है। स्टमक कैंसर से बचाए मटर इसे पुलाव में मिलाएं या बनाएं मटर पनीर, हर तरह से इसका टेस्ट यमी होता है। कॉटेज चीज ग्रेवी के साथ अगर इसे तैयार किया जाए, तो यह टेस्टी तो होता ही है और चीज डालने से हेल्दी भी हो जाता है। हाल ही में हुए एक रिसर्च के मुताबिक, फलीदार यह सब्जी स्टमक कैंसर के खतरे को भी काफी कम कर देती है। 100 ग्राम मटर से आप केवल 60 कैलरीज इनटेक करते हैं। ऑरेंज विटामिन सी से भरपूर ऑरेज स्किन कलर को तो फेयर बनाता ही है, साथ ही एनर्जेटिक भी होता है। पोटैशियम, मिनरल्स और फाइबर्स का यह अच्छा सोर्स है। यही नहीं, इसमें कैलरीज मात्र 60 होती हैं और प्रोटीन 80 ग्राम। सरसों की पत्तियां सरसों की पत्तियां हाईली न्यूट्रिशंस से भरपूर होती हैं। यह एंटि-ऑक्सिडेंट्स, विटामिंस, मिनरल्स से भरपूर होता है। सर्दियों में पालक और बथुआ के साथ मिलाकर बनाया जाने वाला इसका साग गर्म बनाए रखता है। इसमें न्यूट्रिशंस वैल्यू बहुत ज्यादा हैं और कैलरीज कम। मूली टेस्ट में तीखी और मीठी मूली सदिर्यों में खूब मिलती है। पोटैशियम, फोलिक ऐसिड और एक्रोबिक ऐसिड से भरपूर इस सब्जी को आप कच्चा खाएं या पराठा बनाकर खाएं, बेहद टेस्टी होती है। एक मीडियम साइज मूली से आप केवल 30 कैलरीज पाते हैं और विटामिंस बहुत ज्यादा। ड्राई फ्रूट्स ड्राई फ्रूट्स को सीधे खाएं या या रोस्ट करके, फायदेमंद होता हैं। इवनिंग टी के साथ रोजाना चार से पांच पीस लें। अगर पी-नट्स को सीधे खाना पसंद नहीं, तो एक पीस पी-नट बर्फी लें। ठिठुरन भरी शाम में ये आपको गर्म बनाए रखेंगे। दरअसल, पी-नट्स विटामिंस, पोटैशियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम और फैट का अच्छा सोर्स है। ग्रीन टी अगर चाय व कॉफी पीने के शौकीन हैं, तो ग्रीन टी पीएं। यह फ्रेश और लाइट है और आम चाय से एकदम अलग टेस्ट की होती है। ग्रीन टी मेटाबोलिक रेट बढ़ाने में मददगार होती है और कैलरी बर्निंग और फैट को घटाने में मदद करती है। ग्रीन टी कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेबल कम करने में मदद करती है। क्या खाएं और क्या नहीं * पराठे की जगह रोटी खाएं। 1 पराठे में जहां 200 कैलरीज होती हैं, वहीं एक चपाती में 80 कैलरीज। * पुलाव की जगह उबले चावल। 75 ग्राम पुलाव में जहां 170 कैलरीज होती हैं, वहीं 75 ग्राम उबले चावल में 105 ग्राम। * 100 ग्राम तली हुई सब्जियों में 149 कैलरीज, तो 100 ग्राम बेक की हुई सब्जियों में 50 कैलरीज होती हैं। * 150 ग्राम चिकन और फिश करी में 250 कैलरीज, तो ग्रिल किया हुए चिकन और फिश में 160 कैलरीज पाई जाती हैं। * 1 गिलास फुल क्रीम दूध में 170 तो टोंड दूध में 80 कैलरीज होती हैं।
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चावल खाने के कुछ ऐसे फायदे जिन्हें कम ही लोग जानते हैं

चावल भारत के कई हिस्सों में मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है। चावल बहुत ही पौष्टिक व गुणों से भरपूर भोजन है। लेकिन कई लोग मोटापा बढऩे के डर से इसका सेवन नहीं करते हैं अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं तो जानिए इसे खाने के फायदों के बारे में.... पेट में जलन हों तो- चावल के औषधीय उपयोग भी हैं, कई रोगों में यह लाभ करता है। सीने में या पेट में जलन, मूत्रविकार में नीबू के रस व नमक रहित चावल का मांड सेवन करने से लाभ होता है। अतिसार की समस्या हो तो- चावल पेट के रोग के लिए बेहतरीन औषधि माना गया है जब भी किसी का हाजमा बिगड़ जाता है तो उन्हें चावल खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही ,उन्हें चावल में दही मिलाकर खाने की सलाह भी दी जाती है। अतिसार में यह एक बेहतरीन औषधि की तरह काम करता है। दिमाग के लिए फायदेमंद - चावल खाने से दिमागी विकास होता है और शरीर शक्तिशाली होता है। हेल्थ के लिए फायदेमंद - यह हल्का भोजन होने के कारण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। कैंसर से लडऩे में - वैज्ञानिकों का मानना है कि चावल में ट्यूमर को दबाने वाले तत्व देखे गए हैं और शायद यही आँतों के कैंसर से बचाव का एक कारण हो अब वैज्ञानिक इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अपने शोध को आगे बढ़ा रहे हैं। पौष्टिक भोजन- जब भी चावल खाएं इस बात का ख्याल रखें कि इसमें मांड की कुछ मात्रा भी होना चाहिए क्योंकि मांड अलग कर देने से चावल के प्रोटीन, खनिज, विटामिन्स निकल जाते हैं और यह बेकार भोजन कहलाता है। मांड यानी चावल पकाते समय बचा हुआ गाढ़ा सफेद पानी होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन्स व खनिज होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। पाचन क्रिया ठीक करने में- चावल, और मूंगदाल की खिचड़ी जिसमें नमक, मिर्च, हींग, अदरक, मसाले मिलाकर बनाई गई हो उसके सेवन से शरीर को बल मिलता है, बुद्धि विकास होता है व पाचन ठीक रहता है। कब्ज होने पर- पेट साफ न हो तो चावल में दूध व शकर मिलाकर सेवन करने से दस्त के साथ पेट साफ हो जाता है।
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ठंड में दस दिन तक ऐसे खाएंगे दाख यानी मुनक्का तो मिलेंगे ये BENIFITS

ठंड में ड्रायफ्रूट स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। दाख भी ऐसा ही एक ड्रायफ्रूट है। लेकिन बड़ी दाख यानी मुनक्का छोटी दाख से अधिक लाभदायक होती है। घरेलू नुस्खे ठंड में रोजाना दस दिन तक अगर नियमित रूप से मुनक्का खाई जाए तो इसके अनेकों फायदे हैं। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। मुनक्का के औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं- - 250 ग्राम दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड मिलाकर सुबह पीएं। इससे वीर्य के विकार दूर होते हैं। इसके उपयोग से हृदय, आंतों और खून के विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्जनाशक है। - जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएं। - भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है। - सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही राहत मिलेगी। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें। - मुनक्का का सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। इससे मल-मूत्र भी साफ हो जाता है। - शाम को सोते समय लगभग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर इन मुनक्कों को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बंद हो जाता है। मुनक्का का सेवन 2 से 4 हफ्ते तक करना चाहिए। - जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का बीजों को खूब चबाकर खा ला लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक निरंतर ऐसा करें।
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चश्मा उतर जाएगा बस रोजाना दस मिनट करें ये काम

आंख हमारी बॉडी का सबसे संवेदनशील अंग है। यही कारण है कि आंखों की सही देखभाल व केयर बहुत जरूरी है लेकिन अधिकतर लोग आजकल की बिजी लाइफस्टाइल के चलते आंखों पर कम ही ध्यान दे पाते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक है। अगर आपकी आंखें भी कमजोर हैं। आंखों में बार-बार पानी या जाले आने की समस्या होती है तो तो रोजाना कुछ देर देवज्योतिमुदा करें। माना जाता है कि इस मुद्रा को करने से आंखों की कमजोरी दूर होती है साथ ही जिन लोगों को कम उम्र में चश्मा लग जाता है रोजाना दस से पंद्रह मिनट देवज्योति मुद्रा का अभ्यास करने से उतर जाता है। मुद्रा विधि : अपने हाथ की तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में लगाने से देव ज्योतिमुद्रा बन जाती है। यह कुछ कुछ वायु मुद्रा जैसी है। लगभग 40-60 सेकंड तक आप इसी मुद्रा में रहने का अभ्यास करें। सुबह-शाम चार से 6 बार कर सकते हैं।
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ठंड में रोजाना मूली खाने से ये 8 प्रॉब्लम्स जड़ से खत्म हो जाएंगी

मूली बहुत गुणकारी और सरलता से मिलने वाली सब्जी है। ठंड में रोजाना थोड़ी मूली को सलाद के रूप में लेना चाहिए क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, गन्धक, आयोडीन तथा लौह तत्व पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसमें सोडियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन तथा मैग्नीशियम भी होता है। मूली में विटामिन ए भी होता है। इसके अलावा भी ठंड के मौसम में सलाद के रूप में मूली खाने के अनेक फायदे आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में... - मूली के रस में थोड़ा नमक और नीबू का रस मिलाकर नियमित रूप में पीने से मोटापा कम होता है और शरीर सुडौल बन जाता है। - मूली के पत्ते काटकर नींबू निचोड़ के खाने से पेट साफ होता है व स्फूर्ति रहती है - सुबह-सुबह मूली के नरम पत्तों पर सेंधा नमक लगाकर खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है। - थकान मिटाने और अच्छी नींद लाने में भी मूली काफी फायदेमंद होती है। - ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए मूली का सलाद के रूप में नियमित रूप से सेवन अच्छा माना गया है क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर को शांत करने में मूली मदद करती है। - पेट संबंधी रोगों में यदि मूली के रस में अदरक का रस और नीबू मिलाकर नियम से पियें तो भूख बढ़ती है। पेट के कीड़ों को नष्ट करने में भी कच्ची मूली फायदेमंद साबित होती है। - मूली शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड निकालकर ऑक्सीजन प्रदान करती है। मूली हमारे दाँतों और हड्डियों को मजबूत करती है। - मूली हमारे दांतों को मजबूत करती है तथा हड्डियों को शक्ति प्रदान करती है। मूली का ताजा रस पीने से मूत्र संबंधी रोगों में राहत मिलती है। पीलिया रोग में भी मूली लाभ पहुंचाती है।
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नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...