व्याधीनुसार रस चित्किसा juice therapy according to the disease

खून बढ़ाने के लिए : अनार, मोसंबी, अंगूर, पालक, टमाटर, बिट, सेफ, रसबेरी का रस, रात को भिगोकर रखे

हुये किसमिस या काले अंगूर के पानी का सुबह सेवन, इलायची, केला आदि का सेवन, खजूर का सेवन आदि
उपयुक्त है |

आम्लपित्त (Acidity) : आँवला, एलोवेरा, गाजर, पालक, ककड़ी का रस, फलों का रस ज्यादा प्रमाण
में लेना चाहिए | अंगूर, मोसंबी और दूध लाभदायी है |

पिंपल के व्रण : नींबू, आँवला, ताज़ी हल्दी, नीम, पमकिन, एलोवेरा, प्याजऔर पालक का रस लाभदायी है |

फोड़ी-फुँसी : आँवला, नीम के पत्ते और फूल, एलोवेरा, पालक, ककड़ी, गोबी का रस और नारियल का दूध लाभदायी है |

वेदनादायी मासिक हो तो : अंगूर, एलोवेरा, आँवला और रसबेरी का रस लाभदायी है |

नेत्र ज्योतिवर्धक : आँवला, गाजर, और हरी धनिया का रस गुणकारी है | दूध,घी और बादाम लाभदायी है |

अनिद्रा : अंगुर और सेब का रस आधा से एक ग्राम पीपलामुल दूध के साथ लें |

वजन बढ़ाने के लिए : आम, पालक, गाजर, बिट और नारियल का दूध, खजूर, दूध, घी, दही, सुखा मेवा,
अंगूर, और सेब लाभदायी है |

सिरदर्द : आँवला, अनार, अंगूर, मोसंबी, सेब, ककड़ी का रस, नारियल पानी लाभदायी है |

वजन घटाने के लिए : १ नींबू और २५ तुलसी के पत्ते, १ ग्लास थोडा सा गरम वाला पानी, १ चम्मच शहद हफ्ते
में २–३ दिन सुबह खाली पेट लेने से फायदा होता है | रविवार के दिन ये प्रयोग नहीं करना |

रस के प्रमाण : एलोवेरा, अनार, अंगूर, नींबू, आँवला, ताज़ी हल्दी, नीम के पत्ते और फूल, पमकिन, ककड़ी, गोबी, प्याज और पालक का रस, नारियल का दूध : १५ से २५ मि.ली. और दूसरे फल के रस का प्रमाण : २५ से ५० मि.ली.

सावधानी : १) सूर्यास्त के बाद फलों का रस नही लेना चाहिए |
२) खाना खाने से पहले और बाद में फलों के रस का सेवन नहीं करना क्योकि पाचन क्रिया खराब होती है |
३) फलों का रस दूध के साथ नहीं सेवन करना |

विशेष : इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग करने के बजाय खल से कुटकाट और सूती कपड़ों में से छान कर फलों का रस निकालने से उसका औषधि गुणधर्मों का विशेष लाभ होता है |
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ब्राह्म मुहूर्त में क्यों उठना चाहिए ?


रात्रि के अन्तिम प्रहर का जो तीसरा भाग है, अर्थात सूर्योदय से 72 मिनट पहलेके काल को उसको ब्राह्ममुहूर्त कहते हैं। शास्त्रों में यही समय निद्रा त्याग के लिए उचित बताया गया है।
मनुस्मृति में आता हैः… ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी। प्रातःकाल की निद्रा पुण्यों एवं सत्कर्मों का नाश करने वाली है। वर्ण कीर्ति यशः लक्ष्मीः स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति। ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छियं वा पंकजं यथा।। – (भैषज्य सारः 63) ब्राह्ममुहूर्त में उठने वाला पुरूष सौन्दर्य, लक्ष्मी, स्वास्थ्य, आयु आदि वस्तुओं को प्राप्त करता है। उसका शरीर कमल के समान सुन्दर हो जाता है।
Photo: ब्राह्म मुहूर्त में क्यों उठना चाहिए ? रात्रि के अन्तिम प्रहर का जो तीसरा भाग है, अर्थात सूर्योदय से 72 मिनट पहलेके काल को उसको ब्राह्ममुहूर्त कहते हैं। शास्त्रों में यही समय निद्रा त्याग के लिए उचित बताया गया है। मनुस्मृति में आता हैः… ब्राह्मे मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी। प्रातःकाल की निद्रा पुण्यों एवं सत्कर्मों का नाश करने वाली है। वर्ण कीर्ति यशः लक्ष्मीः स्वास्थ्यमायुश्च विन्दति। ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छियं वा पंकजं यथा।। – (भैषज्य सारः 63) ब्राह्ममुहूर्त में उठने वाला पुरूष सौन्दर्य, लक्ष्मी, स्वास्थ्य, आयु आदि वस्तुओं को प्राप्त करता है। उसका शरीर कमल के समान सुन्दर हो जाता है।
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शरीर को बलवान और शक्तिशाली बनाये make the body strong and powerful


1. तिल : लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में काले तिल और ढाक के बीजों को पीसकर और इनको छानकर इसमें 200 ग्राम शक्कर मिलाकर इस मिश्रण को रोजाना 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
लगभग 20 ग्राम की मात्रा में काले तिल और इतनी ही मात्रा में गोखरू को मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बकरी के दूध में खीर की तरह बनाकर खाने से शरीर में भरपूर ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगातार 15 या 20 दिनों तक करने से शरीर की कमजोरी खत्म हो जाती है।


2. छुहारा : लगभग 10 ग्राम छुहारे लेकर पीस लें। रोजाना कम से कम 2 ग्राम की मात्रा में इस छुहारे के चूर्ण को 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ सोते समय लेने से शरीर मजबूत होता है। इसका सेवन केवल सर्दियों के दिनों में करना चाहिए।
4 या 5 छुहारों की गुठलियों को निकालकर इसमें लगभग लगभग आधा ग्राम गुग्गल इनके अन्दर भर दें और इन छुआरों को दूध में पकायें। सुबह और शाम को रोजाना एक छुहारा दूध के साथ खाने से वात की बीमारी दूर हो जाती है और शरीर शक्तिशाली बनता है।
लगभग 500 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर उसमें 2 छुआरे डाल दें। फिर दूध को आधा रह जाने तक गर्म करें। अब इस दूध में 2 चम्मच मिश्री या खांड़ लेकर मिलाकर पीयें और छुहारों को खा जायें। इसके खाने से शरीर में मांस बढ़ता है, शरीर की ताकत बढ़ती है और मनुष्य का वीर्य बल भी बढ़ता है। छुआरा खून बढ़ाता है, और शरीर के विभिन्न भागों में ताकत पहुंचाता है। इसका प्रयोग केवल सर्दी के दिनों में ही करना चाहिए। इसका सेवन करने के 2 घंटे तक पानी नहीं पीना चाहिए। एक बार में 4 से ज्यादा छुहारों का सेवन नहीं करना चाहिए।
किसी मिट्टी या कांच के बर्तन में पानी लेकर इसमें 2 छुहारे शाम को भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इन छुहारों की गुठली को निकालकर इन्हें लगभग 500 मिलीलीटर दूध में गर्म करें, और 250 मिलीलीटर दूध रह जाने तक गर्म करें। अब बचे हुए दूध को पीने से शरीर की कमजोरी खत्म हो जाती है और शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
जो बच्चे बिस्तर पर पेशाब कर देते है उनको छुहारे का दूध पिलाने से वह बिस्तर पर पेशाब करना बन्द कर देते हैं।

3. बेर : लगभग 15 ग्राम की मात्रा में बेर के छिलकों को छाया में सुखाकर, पीपल, काली मिर्च, सौंठ और त्रिफला के साथ पीसकर इनका चूर्ण बना लें, और इसमें लगभग 75 ग्राम की मात्रा में गुग्गल को पीसकर मिला लें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में सुबह के समय पानी के साथ लेने से शरीर को ताकत मिलती है और शरीर से सभी रोग दूर रहते हैं।

4. हरड़ :लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में हरड़ का छिलका और पिसा हुआ आंवला को लेकर इसमें 200 ग्राम की मात्रा में खांड़ मिलाकर इस चूर्ण को सुबह के समय लगभग 10 ग्राम की मात्रा में 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ लेने से शरीर में मजबूती आती है।
भोजन के दौरान सुबह-शाम आधा चम्मच की मात्रा में हरड़ का चूर्ण लेते रहने से बुद्धि और शारीरिक बल में वृद्धि होती है।

5. तालमखाना : लगभग 25-25 ग्राम की मात्रा में तालमखाना, असगंध, बीजबन्द, गंगेरन, बरियार, कौंच के बीजों की गिरी, काली मूसली, सफेद मूसली और गोखरू को पीसकर तथा छानकर इस चूर्ण को लगभग 100 ग्राम देसी घी में भूनकर इसमें लगभग 100 ग्राम खांड़ या शक्कर को मिलाकर रख लें। अब इस तैयार मिश्रण में से एक चम्मच चूर्ण रोजाना सुबह के समय दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इस मिश्रण का प्रयोग सर्दी के दिनों में करना चाहिए।

6. जायफल : लगभग आधा ग्राम पिसा हुआ जायफल और लगभग इतनी ही बंगभस्म को शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम लेने से शरीर शक्तिशाली बनता है।
जायफल, मिश्री और पीपल के चूर्ण को एकसाथ मिलाकर इसमें नाग भस्म मिलाकर सेवन करने से शरीर में ताकत पैदा होती है।

7. चिलगोजा :कमजोरी आने पर चिलगोजा की मिंगी और मुनक्का को लगभग 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद इसमें शक्कर मिलाकर खाने से शरीर की कमजोरी के दूर होने के साथ ही साथ शरीर में ताकत आ जाती है।
चिलगोजा खाने से व्यक्ति के शरीर में चुस्ती और फुर्ती के साथ ही साथ अधिक ताकत भी आती है।

8. नागरबेल : नागरबेल के पत्तों का शर्बत बनाकर पीने से शरीर को मजबूती मिलती है और ताकत में वृद्धि होती है।

9. बादाम : शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए बादाम की गिरी और भुने हुए चनों को छीलकर रोजाना खाना चाहिए।
लगभग 4 बादाम की गिरियों को पीसकर इसमें 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद और मिश्री को मिलाकर चाटने से मनुष्य के शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
लगभग 7 बादाम की गिरी, 7 दाने कालीमिर्च, लगभग 3 ग्राम की मात्रा में सौंफ (गर्मियों के मौसम में सौंफ के स्थान पर सूखा हुआ साबुत धनिया) और 2 छोटी इलायची को लेकर शाम को सोते समय कांच या चीनी के बर्तन में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर व्यायाम करने के बाद बादाम और इलायची के छिलके उतार लें और कालीमिर्च और सौंफ के साथ इनको पीस लें। इसके बाद इसको 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर कपड़े से छान लें। इसके बाद इसमें 2 चम्मच शहद या मिश्री मिलाकर धीरे-धीरे पीने से याददाश्त मजबूत होती है और आंखों की रोशनी तेज होने के साथ ही साथ शरीर की शक्ति बढ़ती है।
बादाम की गिरियों से निकाला गया दूध बच्चों के लिए बहुत लाभकारी होता है।
लगभग 10 बादाम की गिरियों को शाम को पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद सुबह इनका छिलका उतार कर बारीक पीस लें। अब इन पीसे हुए बादामों में मक्खन को मिलाकर खाने से तुतलाना और हकलाना दूर हो जाता है। इसके अलावा कमजोर शरीर भी मजबूत बनता है। इसका सेवन कुछ महीने तक करना चाहिए।
शाम को सोते समय लगभग 10 बादाम की गिरियों को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इनका छिलका उतारकर बारीक पीस लें। अब इन पीसे हुए बादामों को कढ़ाई में घी डालकर हल्की आग पर भूने। इसमें लाल होने से पहले ही लगभग 150 ग्राम की मात्रा में दूध डालें। इस दूध को हल्का गर्म करके पीने से शरीर शक्तिशाली बनता है। इसके अलावा शरीर का वीर्य बल भी बढ़ता है। इसका सेवन रोजाना सुबह करना चाहिए।

10. मूसली :काली मूसली के चूर्ण में मिश्री को मिलाकर खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है।
लगभग 10 ग्राम की मात्रा में सफेद मूसली के चूर्ण को 250 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसको पकायें और गाढ़ा होने तक पकने दें। अब इसको निकालकर 1 प्लेट पर रख दें और सुबह तक वह खीर की तरह उस प्लेट पर जम जायेगा। अब इसमें शक्कर मिलाकर इसको खायें। इसका सेवन 40 दिनों तक करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर में ताकत बढ़ती है। इसका सेवन करने के दिनों में गर्म और खट्टे पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

11. गोरखमुण्डी : गोरखमुण्डी के फूलों के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से शरीर में ताकत आती है।
गोरखमुण्डी के पूरे पौधे को छाया में सुखाकर पीस लें। इसका हलवा बनाकर सेवन करने से आदमी की जवानी हमेशा के लिए बनी रहती है।
गोरखमुण्डी के बीजों को पीसकर चूर्ण की तरह बना लें। इसमें इतनी ही मात्रा में चीनी को मिलाकर चुटकी भर खाने से शरीर में ताकत बढ़ती है।
शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए गोरखमुण्डी की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ 2 साल तक लेना चाहिए। इसके अलावा इसके सेवन से बाल भी कभी सफेद नहीं होते हैं।

12. लौकी (घिया) : घिया या लौकी के पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से उसके शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर में ताकत बढ़ती है।
25. खिरैंटी : शरीर में कमजोरी महसूस होने पर खिरैंटी के बीजों को पकाकर खाने से शरीर में ताकत बढ़ जाती है।
खिरैंटी की जड़ की छाल को पीसकर दूध में उबालें। इसके बाद इसमें घी को मिलाकर पीने से शरीर में शक्ति बढ़ती है।

13. पोहकरमूल : पोहकरमूल का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर खाने से शरीर शक्तिशाली बन जाता है।

14. चम्पा : शरीर की शक्ति को बढ़ाने के लिए चम्पा के फूलों का चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर खाना चाहिए।

15. सोनामक्खी :सोनामक्खी को गुड़ में मिलाकर खाने से शरीर की कमजोरी दूर होकर शरीर शक्तिशाली बन जाता है।
सोनामक्खी को गाय के घी या भेड़ के दूध में मिलाकर सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।

16. गन्ना : गन्ने के रस को रोजाना पीने से शरीर में खून बढ़ता है और शरीर में ताकत आती है

17. आशकन्द : आशकन्द के चूर्ण को घी में मिलाकर खाने से घुटनों में होने वाला दर्द और घुटनों की कमजोरी दूर हो जाती है। इसका 40 दिन तक लगातार प्रयोग करें।

18. शतावर: शतावरी को पकाकर खाने या शतावरी के चूर्ण की खीर बनाकर सेवन करने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
लगभग 200 ग्राम की मात्रा में शतावरी और लगभग 200 ग्राम की ही मात्रा में ही असगंध को एकसाथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में लेकर 500 मिलीलीटर दूध में डालकर इतनी देर तक उबालें की दूध आधी मात्रा में रह जाये। अब इस बचे हुए दूध में लगभग 20 ग्राम की मात्रा में मिश्री डालकर पी जाना चाहिए। इसका सेवन 40 दिनों तक लगातार करने से शरीर शक्तिशाली बनता है।

19. इमली : इमली के बीजों को लगातार 3 दिन तक पानी में भिगोकर रख दें। इसके बाद इन बीजों को पानी में से निकालकर इनका छिलका उतारें और इसमें इमली के बीजों के जितना ही गुड़ मिलायें। अब इन दोनों को मिलाकर लगभग 6-6 ग्राम की गोलियां बना लें। सुबह और शाम इस 1-1 गोली का सेवन करने से शरीर शक्तिशाली बनता है और सभी प्रकार के रोग दूर रहते हैं।

20. सिंघाड़ा : शरीर में शक्ति बढ़ाने के लिए सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर खाना चाहिए।

21. ढाक : ढाक के फूलों की कलियों का गुलकन्द बनाकर 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से शरीर की ताकत बढ़ती है।
लगभग 50 ग्राम की मात्रा में ढाक के बीज, लगभग 25 ग्राम की मात्रा में वायबिड़ंग और लगभग 200 ग्राम की मात्रा में गुठली वाले आंवले को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद रोजाना इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ लेने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।
ढाक की जड़ या छाल का चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन करने से संभोग करने की शक्ति में वृद्धि होती है।

22. गुड़हल : गुड़हल के सूखे पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें और इतनी ही मात्रा में इस चूर्ण में शक्कर मिलाकर रख दें। रोजाना लगभग 10 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण का सेवन करने से मनुष्य की शक्ति बढ़ जाती है। ऐसा लगभग 40 दिनों तक लगातार करना चाहिए।

23. मुलहठी : रोजाना 6 ग्राम मुलहठी के चूर्ण को 30 ग्राम दूध में घोलकर पीने से शरीर में ताकत आती है।

24. हल्दी : लगभग 500 ग्राम की मात्रा में हल्दी की गांठें और 1 किलो बुझा हुआ चूना लेकर इसको एक मिट्टी के बर्तन में डालकर इसमें ऊपर से 2 किलो पानी डालें। पानी डालते ही चूना पकने लगता है, और ठंड़ा होने पर बर्तन को ढककर रख दें। इसके बाद 2 महीने बाद हल्दी की गांठों को निकालकर पीसकर चूर्ण बना लें। हल्दी की गांठों के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर 10 ग्राम शहद के साथ मिलाकर लगातार 4 महीने तक रोजाना खाने से शरीर का खून साफ हो जाता है और शरीर में भरपूर ताकत आती है।

25. गूलर : लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री को मिलाकर रख दें। इस चूर्ण को लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती
है।

26. भांगरा : 100 ग्राम की मात्रा में भांगरा, 200 ग्राम की मात्रा में काले तिल और 200 ग्राम की मात्रा में आंवलों को एकसाथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसके बाद इस तैयार चूर्ण में 50 ग्राम मिश्री मिला लें और इसमें घी मिलाकर बर्तन में रख दें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम को गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है और इसके अलावा बाल काले रहते हैं।

27. पीपल : शाम को सोते समय छोटी पीपल को पानी में भिगोकर रख दें,
और सुबह इसको पीसकर इसमें शहद मिलाकर चाटें और ऊपर से दूध पी लें। इसको लगातार 40 दिनों तक खाना चाहिए। इससे शरीर की ताकत में वृद्धि होती है।

28. खजूर :7 या 8 पिण्डखजूरों को 500 मिलीलीटर दूध में डालकर हल्की आंच पर पका लें और लगभग 400 मिलीलीटर की मात्रा में दूध रह जाने पर दूध को आंच पर से उतार लें। अब इसमें से खजूर निकालकर खाकर ऊपर से इसी दूध को पीने से शरीर में भरपूर ताकत और मजबूती आती है।
5 या 7 खजूर लेकर इनकी गुठली को निकालकर इन खजूरों को पानी से धो लें। अब लगभग 300 मिलीलीटर की मात्रा में दूध लेकर इसमें गुठली निकले हुए खजूरों को डाल दें और दूध को हल्की आग पर 8 या 10 मिनट तक जब तक कि खजूर न गल जायें पकने दें। अब इस दूध में से खजूरों को निकाल कर चबा-चबाकर खा लें। इसके ऊपर से दूध पीने से शरीर को जबरदस्त ताकत और मजबूती मिलती है। इसके अलावा वजन बढ़ता है, कब्ज और क्षय रोग दूर होते हैं, शरीर में खून बनता है, खांसी, दमा, पेट और छाती से सम्बंधित सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक सुबह और शाम को करना चाहिए।

29. मिश्री : लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सालम मिश्री, शतावर और सफेदी मूसली को लेकर बारीक पीस लें और छान लें। अब इस चूर्ण को 400 मिलीलीटर दूध में डालकर पकायें और 300 मिलीलीटर दूध रह जाने पर इसको उतारकर इस दूध में शक्कर मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से आदमी के शरीर में से आलस्य दूर हो जाता है और उसको पर्याप्त मात्रा में ताकत भी मिलती है। इसका सेवन लगातार 20 दिनों तक करना चाहिए।

30. मालकांगनी : लगभग 250 ग्राम मालकांगनी को गाय के घी में भूनकर, इसमें 250 ग्राम शक्कर मिलाकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह और शाम को खाने से मनुष्य के शरीर में ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगभग 40 दिनों तक करना चाहिए।

31. घी :लगभग 20 ग्राम घी को 30 ग्राम शहद के साथ मिलाकर भोजन करने के बाद खाने से मनुष्य की याददाश्त के साथ ही साथ उसके शरीर की ताकत भी बढ़ती है।
लगभग 250 ग्राम की मात्रा में शुद्ध देसी घी में बनी जलेबियों को लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह के समय लेने से मनुष्य की लम्बाई बढ़ती है। इसका सेवन लगातार 2 या 3 महीने तक करना चाहिए।

32. दालचीनी : दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर दूध में डालकर एक चम्मच शहद को मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ-साथ मनुष्य के वीर्य यानी धातु में भी वृद्धि होती है।

33. चना :लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इस दाल में किशमिश और मिश्री मिलाकर अच्छी तरह से चबा कर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का वीर्य और बल भी बढ़ता है।
रात को सोते समय थोड़े से देसी चने लेकर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब-खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को दो या तीन महीने तक खाना चाहिए।

34. विदारीकन्द : लगभग 6 ग्राम की मात्रा में विदारीकन्द के चूर्ण को लगभग 10 ग्राम गाय के घी में और लगभग 20 ग्राम शहद में मिलाकर गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए।

35. आंवला :लगभग 10 ग्राम की मात्रा में हरे आंवला को लगभग इतनी ही मात्रा में शहद में मिलाकर खाने से मनुष्य के वीर्य-बल में वृद्धि होती है। आंवलों के मौसम में इसका सेवन रोजाना सुबह के समय लगभग 1 से 2 महीने तक करना चाहिए।
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मेहनत और पुरुषार्थ

एक बार दो राज्यों के बीच युद्ध की तैयारियां चल रही थीं। दोनों के शासक एक प्रसिद्ध संत के भक्त थे। वे अपनी-अपनी विजय का आशीर्वाद मांगने के लिए अलग-अलग समय पर उनके पास पहुंचे। पहले शासक को आशीर्वाद देते हुए संत बोले, ‘तुम्हारी विजय निश्चित है।’

दूसरे शासक को उन्होंने कहा, ‘तुम्हारी विजय संदिग्ध है।’ दूसरा शासक संत की यह बात सुनकर चला आया किंतु उसने हार नहीं मानी और अपने सेनापति से कहा, ‘हमें मेहनत और पुरुषार्थ पर विश्वास करना चाहिए। इसलिए हमें जोर-शोर से तैयारी करनी होगी। दिन-रात एक कर युद्ध की बारीकियां सीखनी होंगी। अपनी जान तक को झोंकने के लिए तैयार रहना होगा।’

इधर पहले शासक की प्रसन्नता का ठिकाना न था। उसने अपनी विजय निश्चित जान अपना सारा ध्यान आमोद-प्रमोद व नृत्य-संगीत में लगा दिया। उसके सैनिक भी रंगरेलियां मनाने में लग गए। निश्चित दिन युद्ध आरंभ हो गया। जिस शासक को विजय का आशीर्वाद था, उसे कोई चिंता ही न थी। उसके सैनिकों ने भी युद्ध का अभ्यास नहीं किया था। दूसरी ओर जिस शासक की विजय संदिग्ध बताई गई थी, उसने व उसके सैनिकों ने दिन-रात एक कर युद्ध की अनेक बारीकियां जान ली थीं। उन्होंने युद्ध में इन्हीं बारीकियों का प्रयोग किया और कुछ ही देर बाद पहले शासक की सेना को परास्त कर दिया।

अपनी हार पर पहला शासक बौखला गया और संत के पास जाकर बोला, ‘महाराज, आपकी वाणी में कोई दम नहीं है। आप गलत भविष्यवाणी करते हैं।’ उसकी बात सुनकर संत मुस्कराते हुए बोले, ‘पुत्र, इतना बौखलाने की आवश्यकता नहीं है। तुम्हारी विजय निश्चित थी किंतु उसके लिए मेहनत और पुरुषार्थ भी तो जरूरी था। भाग्य भी हमेशा कर्मरत और पुरुषार्थी मनुष्यों का साथ देता है और उसने दिया भी है तभी तो वह शासक जीत गया जिसकी पराजय निश्चित थी।’ संत की बात सुनकर पराजित शासक लज्जित हो गया और संत से क्षमा मांगकर वापस चला आया।



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भिन्डी


भिन्डी --
- भिन्डी में विटामिन ए, बी, सी बहुत ही प्रचुर मात्रा में पाया जाता है .इसमे प्रोटीन और खनिज लवणों का एक अच्छा स्रोत है .
- भिन्डी गैस्टिक , अल्सर के लिए प्रभावी दवा हैं .
- मृदुकारी भिन्डी संवेदनशील बड़ी आंत की सतह की रक्षा करती हैं .जिससे ऐठन रुक जाती हैं .इसके सेवन से आंत में जलन नहीं होती हैं .
- भिन्डी के लस के नियमित सेवन से गले , पेट .मलाशय और मूत्रमार्ग में जलन नहीं होती हैं .
- भिन्डी का काढ़ा पीने से सुजाक, मूत्रकृच्छ, और ल्यूकोरिया में फायदा होता हैं .
- बीजरहित ताजा दो भिन्डी प्रतिदिन खाने से श्वेतप्रदर, नंपुसकता, धातु गिरना रोकने में सहायक हैं .
- इसमें मौजूद विटामिन बी , गर्भ को बढ़ने में मदद करता है और जन्मजात विकृतियों को रोकता है.
- मधुमेह में इसके रेशे ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते है.
- इसका विटामिन सी श्वास रोगों से बचाता है.
- इसके सेवन से त्वचा अच्छी दिखती है. भिन्डी को उबाल कर , मसल कर इसे त्वचा पर थोड़ी देर लगा कर रखे. धोने के बाद आप पायेंगे की त्वचा बहुत मुलायम और ताजगी भरी लग रही है.
- इसका सेवन कालोन कैंसर से बचाता है. इसका विटामिन ए म्यूकस मेम्ब्रेन बनाने में मदद करता है , जिससे पाचन क्रिया बेहतर होती है.
- इसके नियमित सेवन से किडनी की सेहत में सुधार होता है.
- मोटापे को दूर करता है. कई बार शरीर में विटामिन्स की कमी से ज़्यादा खाने का मन करता है. इसलिए भिन्डी में मौजूद विटामिन्स उसकी कमी को दूर कर अनावश्यक भूक को मिटाते है.
- इसका विटामिन के हड्डियों को मज़बूत बनाता है. यह रक्त की कमी को भी दूर करता है.
- कोलेस्ट्रोल को कम करती है.
- इसके विटामिन्स आँखों , बाल और इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाते है.
- यह गर्मी से बचाती है.
- भरवा भिन्डी , मसाला भिन्डी , सूखी फ्राय भिन्डी , भिन्डी करी , आलू भिन्डी , आपको कैसी भिन्डी पसंद है ?

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बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के अनोखे फायदे


बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के अनोखे फायदे

तुलसी एक ऐसा पौधा है जो कई तरह के अद्भुत औषधिय गुणों से भरपूर है। हिन्दू धर्म में तुलसी को इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में तुलसी से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएं है और हिन्दू धर्म में तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है।आज हम बात कर रहे हैं तुलसी के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में....

- मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें।इसके अलावा तुलसी के पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहता है।

-बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।

- सुबह पानी के साथ तुलसी की पत्तियां निगलने से कई प्रकार की बीमारियां व संक्रामक रोग नहीं होते हैं।दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में रोजाना तुलसी खाने व तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।

- तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है।तुलसी,अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है।



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फैट को झट से घटाने के कुछ छोटे-छोटे SIMPLE तरीके



फैट को झट से घटाने के कुछ छोटे-छोटे SIMPLE तरीके

वर्तमान समय में असयंमित खानपान व अनियमित दिनचर्या के कारण वजन बढऩा हर उम्र के लोगों में एक आम समस्या हो गई है। ऐसे में बढ़ते वजन को कंट्रोल करने के लिए अपनी लाइफ स्टाइल को बदलना तो थोड़ा मुश्किल है लेकिन कुछ घरेलू सिम्पल नुस्खे ऐसे हैं जिन्हें अपनाकर बढ़ते वजन को कंट्रोल में लाया जा सकता है।


- ताजा गाजर के रस में थोड़ा पानी मिलाकर लें। साथ ही फ्रें च बीन्स, कटहल, अंजीर, अंगूर, आडू, अमरूद आदि का सेवन करेंगे तो वजन नियंत्रित रहता है। रोजाना दो टमाटर का जूस बनाकर खाली पेट लेने से एक्स्ट्रा चरबी घट जाती है।

- लौकी जूस यह एक पौष्टिक सब्जी है। इसे पीने से पेट भर जाता है, इसमें फाइबर होता है और यह पेट को ठंडक पहुंचाती है। इसे पीने से घंटो तक पेट भरा रहता है और मोटापा भी कंट्रोल होता है।

- दस से बारह मीठे नीम की पत्तियां तीन महीने तक खाने से वजन कंट्रोल में आ जाता है। एक गिलास पानी लेकर उसमें नींबू व अदरक डालकर उबाल लें। इस चाय को ठंडा होने पर पीलें। ओवर इटींग से बचने के लिए ये उपाय रामबाण की तरह काम करता है।

- एक कप पानी एक चम्मच शहद और थोड़ा तुलसी का पस्ट मिलाकर इस घोल को पीएं। ये वजन कंट्रोल करता है। अदरक का पेस्ट बनाकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर लें वजन शीघ्र ही कंट्रोल में आ जाएगा।

- वजन नियंत्रित करने के लिए जहां तक हो सके जंक फूड के सेवन से बचे। सामान्य रोटी के बजाए जौ और चने के आटे को मिलाकर चपाती खांए, इससे आप जल्द ही स्लिम ट्रिम होंगे। रोजाना कुछ ग्राम बादाम खाने से कमर की साइज 24 सप्ताह में साढ़े छह इंच कम हो सकती है। खाने में संतुलित कैलोरीज लें। आपको दिनभर में कम से कम 2000 कैलोरी जरूर ले।

- लाल मिर्च और अदरक ताजी अदरक को कूट कर उसमें लाल मिर्च मिला दें और इसका सेवन करें। यह दोनों मसाले मोटापा घटाने के लिये सबसे उत्तम उपचार हैं। यह फेफड़ों को भी साफ करते हैं और मोटापा भी घटाते हैं।

- उबला सेब उबला हुआ सेब सेहत के लिये बहुत अच्छा होता है। इससे आपको फाइबर मिलेगा और आयरन भी। इसे पचाने में भी आसानी होती है और मोटापा भी घटता है। डेन्डिलायन टी यह एक फूल की चाय होती है। बाजार में इसमें टी बैग भी मिल जाते हैं। इससे शरीर से अधिक मोटापा घटता है।

- कैनबेरी जूस पीएं। इसमें बहुत सारा विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कि वेट लॉस करने में मदद करती है। इसके जूस में नींबू या सिरका मिला कर पीने से फैट बर्न होता है और साथ में टॉक्सिन से भी छुटकारा मिलता है। मेपल सीरप और पानी मेपल सीरप को गरम पानी में मिलाएं और सुबह खाली पेट पियें। इस टिप को बॉलीवुड के कई सेलेब्रिटी भी करते हैं।

- वजन को हमेशा कंट्रोल में रखने के लिए सप्ताह में एक व्रत बहुत जरुरी है।आप चाहे तो सप्ताह में एक दिन तरल पदार्थों पर भी रह सकते हैं, जैसे- पानी, नींबू पानी, दूध, जूस, सूप इत्यादि या किसी दिन सिर्फ सलाद या फल भी ले सकते हैं।

- ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। पर्याप्त पानी से शरीर से न सिर्फ टॉक्सिक मटेरियल बाहर निकलेंगे और स्किन ग्लो करने लगेगी बल्कि वजन भी कंट्रोल में रहेगा। साथ ही पूरी नींद लें सोने के मामले में लापरवाही से तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स रिलीज होते हैं और पेट पर चर्बी भी बढ़ती है।

- कमर और पेट कम करने के लिए आप नियमित रूप से सुबह उठकर योग करें। वैसे भी आप योग से निरोग रह सकते है। लेकिन खासकर आप ऐसे आसनों को करें जिनसे आपके पेट और कमर को कम करने में मदद मिलें। रोजाना सूर्य नमस्कार की सभी क्रियाएं, सर्वांगासन, भुजंगासन, वज्रासन, पदमासन, शलभासन इत्यादि को करें।

- करौंदे का जूस भी वजन घटाने में बहुत फायदेमंद है। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और फैट्स कम करने में आसानी होती है।नींबू, शहद और गरम पानी रोज सुबह खाली पेट इसे पीने से आपको पेट सही रहेगा।


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गेहूं के खास नुस्खे


गेहूं के खास नुस्खे, इन बीमारियों में ये है जबरदस्त रामबाण -----
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आमतौर पर गेहूं को महज एक अनाज के तौर पर जाना जाता है लेकिन ये बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि गेहूं एक औषधि के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। गेहूं का वानस्पतिक नाम ट्रिटिकम एस्टीवम है और इसे हिन्दुस्तान के लगभग सभी हिस्सों में खेती कर अनाज के लिए उगाया जाता है। मध्यप्रदेश के पातालकोट की बात हो या गुजरात प्रांत के डाँग की, हर एक आदिवासी इलाकों में गेहूं को अनेक हर्बल नुस्खों में उपयोग में लाया जाता है। चलिए आज जानते है गेहूं के ऐसे ही कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खों के बारे जिन्हें जानकर आप को भी आनंद आ जाएगा।

गेहूं के संदर्भ में आदिवासियों के परंपरागत हर्बल ज्ञान का जिक्र कर रहें हैं डॉ दीपक आचार्य (डायरेक्टर-अभुमका हर्बल प्रा. लि. अहमदाबाद)। डॉ. आचार्य पिछले 15 सालों से अधिक समय से भारत के सुदूर आदिवासी अंचलों जैसे पातालकोट (मध्यप्रदेश), डाँग (गुजरात) और अरावली (राजस्थान) से आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान को एकत्रित कर उन्हें आधुनिक विज्ञान की मदद से प्रमाणित करने का कार्य कर रहें हैं।

गेहूं के दानों को पानी में उबालकर पानी को पीने से याददाश्त बेहतर होती है। आदिवासियों के अनुसार यह शारीरिक स्फ़ुर्ती के लिए भी अच्छा होता है।

आदिवासियों के अनुसार गेहूं की पत्तियों में पानी को साफ करने की क्षमता होती है। गेहूं की पत्तियों को तोडकर पानी में डाल दिया जाए तो कुछ ही समय में पानी की गंदगी पत्तियों की सतह पर चिपक जाती है और पानी साफ हो जाता है।

बालतोड (त्वचा से बाल के जडों से टूटने पर बनने वाला घाव) हो जाने पर लगभग 20-25 दानों पीसकर बालतोड वाले हिस्से पर दिन में तीन बार लगाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है।

आदिवासियों के अनुसार व्हीट-ग्रास के लगातार उपभोग से चेहरे की लालिमा बढ जाती है और खून भी साफ़ होता है। इसके जूस को प्रात: खाली पेट पीने से बेहद फायदा होता है।

गेहूं के ताजे कोमल पौधों को जिन्हें व्हीट-ग्रास कहा जाता है, पीसकर रस निकालकर पिया जाए तो मधुमेह रोग में लाभ होता है और यह सामान्य लोगों के लिए भी बड़ा गुणकारी है। हर व्यक्ति को प्रतिदिन व्हीट-ग्रास जूस का सेवन करना चाहिए।

गेहूं और चने को पानी में उबालकर छान लिया जाए और शेष प्राप्त पानी का सेवन किया तो मूत्राशय और किडनी की पथरी गल जाती है और बाहर निकल आती है, इसका सेवन एक माह तक लगातार करना चाहिए।

गेहूं के दानों को रात भर पानी में भिगोकर सुबह चबाने से बांझपन और नपुंसकता दूर होती है। डाँग- गुजरात में आदिवासी रात भर भिगोए गेहूं के दानों को सुबह कुचलकर थोडी मात्रा में शहद मिलाकर नि:संतान माता और पिता को खाने की सलाह देते हैं।

उच्च रक्त चाप के रोगियों को गेहूं के आटे को छानकर चोकर (छानने के बाद बचा आटा) तैयार कर उसे दूध में उबालकर प्रतिदिन लेना चाहिए, इससे काफी फ़ायदा होता है।

आदिवासी गेहूं की रोटी सेंकते समय एक हिस्सा कच्चा रहने देते है, इस पर तिल का तेल लगाकर कमर दर्द वाले अंग पर बांध देते है, दर्द दूर हो जाता है।
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पथरी को बिना किसी तकलीफ बाहर कर देंगे ये रामबाण देसी तरीके


पथरी को बिना किसी तकलीफ बाहर कर देंगे ये रामबाण देसी तरीके


1-पथरी एक ऐसी बीमारी है जिसमें रोगी को असहनीय पीड़ा सहन करनी पड़ती है। सामान्यत: पथरी हर उम्र के लोगों में पाई जाती है लेकिन फिर भी यह बीमारी महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक तकलीफ देने वाली होती है।

2-पथरी के लक्षण- कब्ज या दस्त का लगातार बने रहना , उल्टी जैसा होना बैचेनी, थकान, , तीव्र पेट दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बने रहना। मूत्र संबंधी संक्रमण साथ ही बुखार, कपकपी, पसीना आना, पेशाब के साथ-साथ दर्द होना ,बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है, पेशाब का रंग असामान्य होना।

3 -पथरी से बचने के तरीके- ज्यादा पानी पीएं।

- आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।

- चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि का सेवन बहुत ज्यादा न करें।

- आवश्यकता से अधिक कोल्डड्रिंक्स भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

- विटामिन-सी की भारी मात्रा न ली जाय।

- नारंगी आदि का रस (जूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।

- हर महीने में पांच दिन एक छोटी चम्मच अजवाइन लेकर उसे पानी से निगल जाएं।


4 -पथरी के कुछ देसी इलाज-

- यदि मूत्र पिंड में पथरी हो और पेशाब रुक रुक कर आना चालू हो गया है तो एक गाजर को नित्य खाना चालू कर देना चाहिये।
- तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।


5 -तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फंसी पथरी निकल जाती है।

6 - जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है।

7 - एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस-बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, उसके बाद मूली को भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर पीस लें। सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फायदा मिलेगा।

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बढाएं सेक्स पावर


 भिन्डी की जड का चूर्ण बनालें। यह चूर्ण १० ग्राम बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध में ऊबालकर पीने से नपुंसकता नष्ट होती है।

मुनक्का ३० ग्राम गरम दूध से नित्य खावें। कब्ज मिटाकर सेक्स पावर बढाता है।

गोखरू और असगन्ध का चूर्ण बराबर मात्रा में शहद में मिलाकर नित्य लेने से इरेक्टाइल डिस्फ़न्क्शन का रोग दूर होकर स्तंभन शक्ति मे वृद्धि होती है।


अंकुरित अनाज,हरी सब्जियां, फ़ल और सूखे मेवे प्रचुरता से भोजन में ग्रहण करें। नपुंसकता निवारण में इसके महत्व को कम नहीं आंकना चाहिये।


कामेन्द्रिय को पुष्ट और ताकतवर बनाया जा सकता है और से़क्स का भरपूर आनंद लिया जा सकता है।मैं ऐसे ही कुछ प्रभावी  उपचार



लहसून की 2-3 कलियां कच्ची चबाकर खाने से सेक्स पावर बढता है। यह हमारे शरीर की  रोगों से लडने की ताकत बढाता है।  लहसुन उन लोगों के लिये भी हितकर है जो  अति सेक्स सक्रिय  रहते हैं।  इसके उपयोग से नाडीमंडल  तंदुरस्त रहता है  जिससे  अधिक सेक्स के  बावजूद थकावट मेहसूस नहीं होती है। लहसुन के नियमित उपयोग से स्वस्थ शुक्राणुओं का उत्पादन होता है।भोजन में भी लहसुन शामिल करें।


प्याज कामेच्छा जागृत करने और बढाने में विशेष सहायक  है। इससे लिंग पुष्ट होता है। एक प्याज कूट-खांडकर  मखन या देसी घी में तलें। इसे एक चम्मच शहद में मिश्रित कर  खाली पेट  खाएं। यह उपचार शीघ्र पतन,स्वप्नदोष और नपुंसकता में बहुत लाभकारी सिद्ध हुआ है। भोजन मे कच्चा प्याज खाना हितकर है।

        उडद  की दाल का आटा  २०० ग्राम लें। इसे प्याज के रस में एक ह्फ़्ता  रखें। बाद में इसे सूखाकर  किसी बर्तन में भरकर रख दें। रोज खाली पेट १५ ग्राम  लेते रहने से  कामेच्छा बढती है और नपुंसकता  दूर होती है।
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 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...