चाय हर इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा है, कहा जाता है कि दिन का शुरुआत चाय पीकर की जाए तो शरीर में ताजगी आ जाती है, वैसे चाय अतिथीयों के सत्कार का प्रतीक है। चाय की पत्तियों मुख्य रसायन कैफीन है जिसका असर मूत्रवर्धक, नाड़ी तंत्र की उत्तेजना और समस्त मांसपेशियों में बल देने में होता है। चाय का वानस्पतिक नाम केमेलिया सायनेन्सिस है। चाय पाचनशक्ति को जगाती है और यह भोजन रुचि को उत्पन्न करती है। चाय आदिवासियों की जिंदगी का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे अनेक हर्बल नुस्खों में बतौर नुस्खा भी अपनाया जाता है, चलिए आज जानते है चाय से जुडे हर्बल नुस्खों के बारे में..
रक्त अल्पता के रोगी यदि अनंतमूल, दालचीनी और सौंफ़ की समान मात्रा लेकर चाय के साथ उबालकर कम से कम दिन में एक बार सेवन करें तो रक्त शुद्धी के साथ-साथ रक्त बनने की प्रक्रिया में तेजी आती है।
अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें इससे उच्च-रक्तचाप भी सामान्य हो जाता है।
कॉलेस्ट्राल कम करने के लिए एक कप चाय के पानी में दो ग्राम शहद और तीन ग्राम दालचीनी की छाल का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से यह अतिलाभकारी होता है।
आदिवासियों का मानना है कि यह त्वचा और मूत्राशय को प्रभावित कर पसीना और पेशाब बहुत अधिक मात्रा में लाती है।
इन आदिवासियों के अनुसार ज्यादा देर तक उबली चाय का सेवन किया जाए तो मोटापा कम होता है और वैज्ञानिक तथ्य भी यही कहते है कि चाय को ज्यादा देर तक उबाला जाए तो टैनिन रसायन निकल आता है और यह रसायन पेट की भीतरी दीवार पर जमा हो भूख को मार देता है। हलाँकि पातालकोट के आदिवासी चाय के साथ पोदीना की पत्तियों को उबालकर पीने की सलाह देते है जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
यदि त्वचा या शरीर का कोई अंग जल जाए तो चाय की पत्तियों को उबालकर इस पानी को सूती कपड़े या रूई से जले हिस्से पर लगाने से फ़फ़ोले नही पड़ते।
चाय की पत्तियों को मख्खन के साथ पीसकर इसे बवासीर के मस्सों पर लगायें तो मस्से सूखकर गिरने लगते हैं।
अगर जुकाम सूखा हो और बलगम गाढ़ा, पीला, बदबूदार हो या सिर में दर्द हो तो चाय में अदरख और मुलेठी डालकर पीने से तुरंत आराम आ जाता है।
रक्त अल्पता के रोगी यदि अनंतमूल, दालचीनी और सौंफ़ की समान मात्रा लेकर चाय के साथ उबालकर कम से कम दिन में एक बार सेवन करें तो रक्त शुद्धी के साथ-साथ रक्त बनने की प्रक्रिया में तेजी आती है।
अर्जुन की छाल के चूर्ण को चाय के साथ उबालकर ले सकते हैं। चाय बनाते समय एक चम्मच इस चूर्ण को डाल दें इससे उच्च-रक्तचाप भी सामान्य हो जाता है।
कॉलेस्ट्राल कम करने के लिए एक कप चाय के पानी में दो ग्राम शहद और तीन ग्राम दालचीनी की छाल का चूर्ण मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से यह अतिलाभकारी होता है।
आदिवासियों का मानना है कि यह त्वचा और मूत्राशय को प्रभावित कर पसीना और पेशाब बहुत अधिक मात्रा में लाती है।
इन आदिवासियों के अनुसार ज्यादा देर तक उबली चाय का सेवन किया जाए तो मोटापा कम होता है और वैज्ञानिक तथ्य भी यही कहते है कि चाय को ज्यादा देर तक उबाला जाए तो टैनिन रसायन निकल आता है और यह रसायन पेट की भीतरी दीवार पर जमा हो भूख को मार देता है। हलाँकि पातालकोट के आदिवासी चाय के साथ पोदीना की पत्तियों को उबालकर पीने की सलाह देते है जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
यदि त्वचा या शरीर का कोई अंग जल जाए तो चाय की पत्तियों को उबालकर इस पानी को सूती कपड़े या रूई से जले हिस्से पर लगाने से फ़फ़ोले नही पड़ते।
चाय की पत्तियों को मख्खन के साथ पीसकर इसे बवासीर के मस्सों पर लगायें तो मस्से सूखकर गिरने लगते हैं।
अगर जुकाम सूखा हो और बलगम गाढ़ा, पीला, बदबूदार हो या सिर में दर्द हो तो चाय में अदरख और मुलेठी डालकर पीने से तुरंत आराम आ जाता है।