होम मेड हर्बल टी व अजवायन का सेवन Consumption of home made herbal tea and parsley


ठण्ड से बचने के लिए लोग तरह तरह की युक्ति व जुगाड़ में लगे रहते हैं, रूम हीटर, ब्लोअर, अलाव, कउड़ा, शरीर पर कई कपडे भी लाद लेंगे यहाँ तक कि कुछ लोग घरों से निकलना भी बंद कर देते हैं।

चाय पर चाय भी पी जाते हैं जो कि नुकसान देय है क्योंकि चायपत्ती के माध्यम से शरीर में अत्यधिक निकोटिन जाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

किन्तु यदि हम कुछ घरेलू मसालों के माध्यम से घर पर हर्बल पेय बनाकर केवल दिन में दो बार सेवन कर लें, एकाक बार थोड़ी सी अजवायन फांक लें तथा योगासन की दृष्टि से सूर्य नमस्कार व् योग मुद्रासन तथा प्राणायाम की दृष्टि से भ्रस्त्रिका व सूर्यभेदी प्राणायाम शरीर को अतिरिक्त उर्जा व ऊष्मा देता है ।

हर्बल पेय के लिए निम्नांकित सभी सामान जैसे काली मिर्च, छोटी इलायची, तेजपत्ता, लवंग, दालचीनी, मुलेठी, अजवायन, सोंठ, पीपर, स्याह
जीरा इत्यादि को सम मात्रा में लेकर पाउडर बना कर एक में मिला लें।

अनुपात की दृष्टि से दो कप पानी में उक्त मिश्रण का पाउडर १/२ चम्मच, एक चम्मच शक्कर, चार तुलसी पत्ती, आवश्यकतानुसार दूध डाल कर खौला लें। चायपत्ती डालने की आवश्यकता नहीं है, अब इसे छान कर चुस्की लेते हुए शरीर को स्वस्थ रखें।

यहाँ यह बताना आवश्यक है कि इस पेय पदार्थ व अजवायन के अलग सेवन से शरीर को ऊष्मा व उर्जा तो मिलेगी ही साथ ही साथ शीत ऋतु में होने वाली समस्याएँ जैसे सर्दी, खांसी, गले की खराश, टांसिल रोग, काफ, सीने की जकड़न, बुखार, उल्टी , कोल्ड डायरिया इत्यादि से मुक्ति मिलेगी।
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श्रावण कुमार के दादा Shravan Kumar's grandfather


श्रावण कुमार के दादा धौम्य ऋषि थे व उसके माता-पिता रत्नावली व रत्नऋषि थे । रत्नऋषि नंदिग्रामके राजा अश्वपतिके राजपुरोहित थे । अश्वपति राजाकी कन्याका नाम कैकेयी था । रत्नऋषिने कैकेयीको सभी शास्त्र सिखाए और यह बताया कि यदि दशरथकी संतान हुई, तो वह संतान राजगद्दीपर नहीं बैठ पाएगी अथवा दशरथकी मृत्युके पश्चात् यदि चौदह वर्षके दौरान राजसिंहासनपर कोई संतान बैठ भी गई, तो रघुवंश नष्ट हो जाएगा । ऐसी होनीको टालने हेतु, आगे चलकर वसिष्ठ ऋषिने कैकेयीको दशरथसे दो वर मांगनेके लिए कहा । उनमेंसे एक वरसे उन्होंने रामको चौदह वर्षतक ही वनवास भेजा व दूसरे वरसे भरतको राज्य देनेके लिए कहा । उन्हें ज्ञात था कि रामके रहते भरत राजा बनना स्वीकार नहीं करेंगे यानी राजसिंहासनपर नहीं बैठेंगे । वसिष्ठ ऋषिके कहनेपर ही भरतने सिंहासनपर रामकी प्रतिमाकी अपेक्षा उनकी चरणपादुका स्थापित की । यदि प्रतिमा स्थापित की होती, तो शब्द, स्पर्श, रूप, रस व गंध एकत्रित होनेके नियमसे जो परिणाम रामके सिंहासनपर बैठनेसे होता, वही उनकी प्रतिमा स्थापित करनेसे भी होता ।


श्रावणकुमारके दादा धौम्य ऋषि थे व उसके माता-पिता रत्नावली व रत्नऋषि थे । रत्नऋषि नंदिग्रामके राजा अश्वपतिके राजपुरोहित थे । अश्वपति राजाकी कन्याका नाम कैकेयी था । रत्नऋषिने कैकेयीको सभी शास्त्र सिखाए और यह बताया कि यदि दशरथकी संतान हुई, तो वह संतान राजगद्दीपर नहीं बैठ पाएगी अथवा दशरथकी मृत्युके पश्चात् यदि चौदह वर्षके दौरान राजसिंहासनपर कोई संतान बैठ भी गई, तो रघुवंश नष्ट हो जाएगा । ऐसी होनीको टालने हेतु, आगे चलकर वसिष्ठ ऋषिने कैकेयीको दशरथसे दो वर मांगनेके लिए कहा । उनमेंसे एक वरसे उन्होंने रामको चौदह वर्षतक ही वनवास भेजा व दूसरे वरसे भरतको राज्य देनेके लिए कहा । उन्हें ज्ञात था कि रामके रहते भरत राजा बनना स्वीकार नहीं करेंगे यानी राजसिंहासनपर नहीं बैठेंगे । वसिष्ठ ऋषिके कहनेपर ही भरतने सिंहासनपर रामकी प्रतिमाकी अपेक्षा उनकी चरणपादुका स्थापित की । यदि प्रतिमा स्थापित की होती, तो शब्द, स्पर्श, रूप, रस व गंध एकत्रित होनेके नियमसे जो परिणाम रामके सिंहासनपर बैठनेसे होता, वही उनकी प्रतिमा स्थापित करनेसे भी होता ।
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रामराज्यका अर्थ है meaning of ramrajya

 रामराज्यका अर्थ है अपने विषय वासनाओंपर नियंत्रण कर ईश्वरीय तत्त्वमें रममाण होना ! जब प्रत्येक व्यक्तिके अंदर इस प्रकारके रामराज्य हेतु प्रयास आरंभ हो जाएंगे तो पहले व्यक्तिके अंदर, उसके पश्चात उसके परिवारके अंदर, तत्पश्चात उसके गाँव, जिले, राज्य और राष्ट्रके अंदर रामराज्य आनेमें समय नहीं लगेगा अतः हमें रामराज्य हेतु दो छोरसे प्रयास करने होंगे । एक व्यष्टि स्तरपर और दूसरा समष्टि स्तरपर | व्यष्टि स्तर अर्थात वैयक्तिक स्तरपर रामराज्य हेतु अखंड नामजपके प्रयास करना अपने दोष और अहम के लक्षण दूर करने हेतु सतर्कतासे प्रयास करना और समष्टि स्तरपर धर्मग्लानि रोकना, धर्माधिष्टित राष्ट्रप्रणाली स्थापित करना, देवी -देवता, संत -गुरु, गौ, गंगाकी अवमानना रोकना, राष्ट्रद्रोही एवं धर्मद्रोहीको कडा दण्ड देना यह सब प्रयास करना आवश्यक होगा ! और हमारी जैसी अनेक संस्थाएं इस दिशामें प्रयासरत हैं और उसका परिणाम मात्र दस वर्षके अंदर दिखाई देनेवाला है !


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उपाय करने से पहले कर्म सुधारें correct your actions before taking measures


एक गांव के कुएं में गिर कर एक कुत्ता मर गया। लोगों ने जब कुएं में मरा कुत्ता देखा तो उसके जल को अपवित्र समझ उसका उपयोग करना छोड़ दिया और कुएं के जल को पवित्र करने के लिए बड़े-बड़े विद्वानों से उपाय पूछा। विद्वानों ने कई प्रकार के पूजा-पाठ व जाप के द्वारा उसके पवित्रीकरण का उपाय करने के लिए कहा और ग्रामीणों ने पूरी श्रद्धा से उन उपायों को सम्पादित किया। किन्तु सब कुछ करने के बावजूद कुएं के जल में बदबू आती रही तो सभी लोग उन प्रकाण्ड विद्वानों को दोष देते हुए उनके घर पर पहुंचे। विद्वानों ने कहा ऐसा हो ही नहीं सकता। तुम लोगों को हमारे किसी विरोधी ने बहकाया है कि हमारे उपाय सही नहीं है। चलो चल कर देखते हैं।
जब वे विद्वान कुएं के पास पहुँचे तो यह देख कर दंग रह गए कि कुएं में वह मरा कुत्ता पूर्ववत पड़ा हुआ है। विद्वानों ने ग्रामीणों की मूर्खता को कोसते हुए समझाया कि नादानों, इन उपायों को चाहे तुम हजार बार दुहराओ किन्तु जब तक कुएं से मरे हुए कुत्ते को बाहर नहीं फेंकोगे और उसका जल पूरी तरह उलीच नहीं डालोगे तब तक कुंए का जल पवित्र नहीं हो सकता। उपायों का अवलम्बन तो बाद में कामयाब होता है। तुम्हारा पहला कार्य तो मरे हुए कुत्ते को निकालना और पानी को उलीचना है।
मित्रो! कष्टों के निवारण के लिए भगवान की अनुकम्पा हासिल करने के लिए चाहे कोई भी उपाय उपयोग में लाया जाए उसके पहले उन बुनियादी त्रिसूत्री ब्रह्मास्त्र उपायों को अपनाना आवश्यक है। क्योंकि इसको अपनाए बिना कोई भी उपाय आपको मनोवांछित फल प्रदान नहीं करेगा।
ये उपाय हैं -
1. माँ-बाप की सेवा करें।
2. पति-पत्नी दोनों ही धर्मानुकूल आचरण करें।
3. राष्ट्र के प्रति वफादार रहें। राष्ट्र के साथ दगा न करें।
मुझे विश्वास है कि यदि आप मेरे इन बातों को मद्देनजर रखते हुए ही भगवान की अनुकंपा पाने के लिए शास्त्रोक्त उपाय करेंगे तो आपको अवश्य ही लाभ होगा और यदि ऐसा नहीं करते हैं तो चाहे कितने ही उपाय कर लीजिए वे फलिभूत नहीं होंगे फिर भगवान को दोष देने से कोई फायदा नहीं।
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बच्चों को योग सिखाने के लाभ Benefits of teaching yoga to children

बच्चों को योग सिखाने के लाभ Benefits of teaching yoga to children
- इससे बच्चें शांत होते है.
- आज के दौर में बच्चें भी बहुत तनाव में होते है. योग से उनका तनाव दूर होता है.
- योग बच्चों की एकाग्रता और संतुलन को बढाता है.
- योग करने से बच्चें सक्रीय और बेहतर जीवन शैली की ओर कदम बढाते है.
- योग करने से बच्चों की नींद और अच्छी होती है.
- योग करने से बच्चों की कार्य प्रवीणता यानी मोटर स्किल में वृद्धि होती है. वे बारीक से बारीक और भारी से भारी काम ज़्यादा अच्छे से करते है.
- योग करने से बच्चों का पाचन अच्छा होता है . इससे उनके मुंह का स्वाद और भूख खुलने से वे सब कुछ खाना पसंद करते है. वे जंक फ़ूड से दूर रह पाते है.
- योग से बच्चों में लचीलापन और शक्ति बढती है.
- योग से बच्चें बेहतर तरीके से अपने विचार लिख-बोल पाते है. उनका आत्मविश्वास बढ़ता है.
- योग से बच्चें अपने शरीर , मन , विचार और बुद्धि के प्रति जागरूक होते है.
- योग करने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है.
- इससे बच्चों में रोग प्रतिकारक शक्ति का विकास होता है. बार बार सर्दी खांसी , अस्थमा और पेट की गड़बड़ी नहीं होती.
- बच्चों में किसी प्रकार की एलर्जी नहीं होती.
- बचपन में शरीर हल्का और लचीला होता है. कई आसन बचपन से ही करना चाहिए जैसे शिर्षासन. इससे बड़े हो कर भी वे अच्छे से सभी आसन कर पाते है.
- योग भारत का गौरव है इसे हर भारतीय को करते आना चाहिए. इससे देश के प्रति अभिमान में वृद्धि होती है.
- योग सीख लेने पर एक शैली में बच्चा निपुण हो जाता है. यह उसे अपने आगे के जीवन में बहुत काम आयेगा.
- योग से प्राप्त लचीलापन , शारीरिक और मानसिक क्षमता अन्य खेल और कला सीखने में काम आएँगी.
- स्वामी रामदेवजी ने बच्चों के लिए बहुत मनोरंजक शैली में योग कार्यक्रम बनाए है. इस लिंक पर जाकर बच्चों के साथ इन कार्यक्रमों को देखें -दिखाए. इससे बच्चें योग की ओर आकर्षित होंगे.


बच्चों को योग सिखाने के लाभ---
- इससे बच्चें शांत होते है.
- आज के दौर में बच्चें भी बहुत तनाव में होते है. योग से उनका तनाव दूर होता है.
- योग बच्चों की एकाग्रता और संतुलन को बढाता है.
- योग करने से बच्चें सक्रीय और बेहतर जीवन शैली की ओर कदम बढाते है.
- योग करने से बच्चों की नींद और अच्छी होती है. 
- योग करने से बच्चों की कार्य प्रवीणता यानी मोटर स्किल में वृद्धि होती है. वे बारीक से बारीक और भारी से भारी काम ज़्यादा अच्छे से करते है.
- योग करने से बच्चों का पाचन अच्छा होता है . इससे उनके मुंह का स्वाद और भूख खुलने से वे सब कुछ खाना पसंद करते है. वे जंक फ़ूड से दूर रह पाते है.
- योग से बच्चों में लचीलापन और शक्ति बढती है.
- योग से बच्चें बेहतर तरीके से अपने विचार लिख-बोल पाते है. उनका आत्मविश्वास बढ़ता है.
- योग से बच्चें अपने शरीर , मन , विचार और बुद्धि के प्रति जागरूक होते है.
- योग करने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है.
- इससे बच्चों में रोग प्रतिकारक शक्ति का विकास होता है. बार बार सर्दी खांसी , अस्थमा और पेट की गड़बड़ी नहीं होती. 
- बच्चों में किसी प्रकार की एलर्जी नहीं होती. 
- बचपन में शरीर हल्का और लचीला होता है. कई आसन बचपन से ही करना चाहिए जैसे शिर्षासन. इससे बड़े हो कर भी वे अच्छे से सभी आसन कर पाते है. 
- योग भारत का गौरव है इसे हर भारतीय को करते आना चाहिए. इससे देश के प्रति अभिमान में वृद्धि होती है. 
- योग सीख लेने पर एक शैली में बच्चा निपुण हो जाता है. यह उसे अपने आगे के जीवन में बहुत काम आयेगा.
- योग से प्राप्त लचीलापन , शारीरिक और मानसिक क्षमता अन्य खेल और कला सीखने में काम आएँगी. 
- स्वामी रामदेवजी ने बच्चों के लिए बहुत मनोरंजक शैली में योग कार्यक्रम बनाए है. इस लिंक पर जाकर बच्चों के साथ इन कार्यक्रमों को देखें -दिखाए. इससे बच्चें योग की ओर आकर्षित होंगे.
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नमक का ये आसान प्रयोग कर देगा हर तरह के बुखार की छुट्टी This easy use of salt will cure all types of fever


मौसम में बुखार की चपेट में आना एक आम बात है। कभी वायरल फीवर के नाम पर तो कभी मलेरिया जैसे नामों से यह सभी को अपनी चपेट में ले लेता है। फिर बड़ा आदमी हो या कोई बच्चा इस बीमारी की चपेट में आकर कई परेशानियों से घिर जाते हैं। कई बुखार तो ऐसे हैं जो बहुत दिनों तक आदमी को अपनी चपेट में रखकर उसे पूरी तरह से कमजोर बना देता है। पर घबराइए नहीं सभी तरह के बुखार की एक अचूक दवा है भुना नमक। इसके प्रयोग किसी भी तरह के बुखार को उतार देता है।

भुना नमक बनाने की विधि- खाने मे इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे पर डालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका कलर कॉफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक शीशी में भरकर रखें।जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें। जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से आपको बुखार कभी पलट कर नहीं आएगा।


विशेष :-

- हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह विधि नहीं अपनानी चाहिए।


- यह प्रयोग एक दम खाली पेट करना चाहिए इसके बाद कुछ खाना नहीं चाहिए और ध्यान रखें कि इस दौरान रोगी को ठण्ड न लगे।


- अगर रोगी को प्यास ज्यादा लगे तो उसे पानी को गर्म कर उसे ठण्डा करके दें।


- इस नुस्खे को अजमाने के बाद रोगी को करीब 48 घंटे तक कुछ खाने को न दें। और उसके बाद उसे दूध चाय या हल्का दलिया बनाकर खिलाऐं।

सादा बुखार-

सादे बुखार में उपवास अत्यधिक लाभदायक है। उपवास के बाद पहले थोड़े दिन मूँग लें फिर सामान्य खुराक शुरु करें। ऋषि चरक ने लिखा है कि बुखार में दूध पीना सर्प के विष के समान है अतः दूध का सेवन न करें।

पहला प्रयोगः- सोंठ, तुलसी, गुड़ एवं काली मिर्च का 50 मि.ली काढ़ा बनाकर उसमें आधा या 1 नींबू निचोड़कर पीने से सादा बुखार मिटता है।

दूसरा प्रयोगः- शरीर में हल्का बुखार रहने पर, थर्मामीटर द्वारा बुखार न बताने पर थकान, अरुचि एवं आलस रहने पर संशमनी की दो-दो गोली सुबह और रात्रि में लें। 7-8 कड़वे नीम के पत्ते तथा 10-12 तुलसी के पत्ते खाने से अथवा पुदीना एवं तुलसी के पत्तों के एक तोला रस में 3 ग्राम शक्कर डालकर पीने से हल्के बुखार में खूब लाभ होता है।

तीसरा प्रयोगः- कटुकी, चिरायता एवं इन्द्रजौ प्रत्येक की 2 से 5 ग्राम को 100 से 400 मि.ली. पानी में उबालकर 10 से 50 मि.ली. कर दें। यह काढ़ा बुखार की रामबाण दवा है।

चौथा प्रयोगः- बुखार में करेले की सब्जी लाभकारी है।

पाँचवाँ प्रयोगः मौठ या मौठ की दाल का सूप बनाकर पीने से बुखार मिटता है। उस सूप में हरी धनिया तथा मिश्री डालने से मुँह अथवा मल द्वारा निकलता खून बन्द हो जाता है।


नमक का ये आसान प्रयोग कर देगा हर तरह के बुखार की छुट्टी ---
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मौसम में बुखार की चपेट में आना एक आम बात है। कभी वायरल फीवर के नाम पर तो कभी मलेरिया जैसे नामों से यह सभी को अपनी चपेट में ले लेता है। फिर बड़ा आदमी हो या कोई बच्चा इस बीमारी की चपेट में आकर कई परेशानियों से घिर जाते हैं। कई बुखार तो ऐसे हैं जो बहुत दिनों तक आदमी को अपनी चपेट में रखकर उसे पूरी तरह से कमजोर बना देता है। पर घबराइए नहीं सभी तरह के बुखार की एक अचूक दवा है भुना नमक। इसके प्रयोग किसी भी तरह के बुखार को उतार देता है।

भुना नमक बनाने की विधि- खाने मे इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे पर डालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका कलर कॉफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक शीशी में भरकर रखें।जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें। जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से आपको बुखार कभी पलट कर नहीं आएगा।


विशेष :-

- हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह विधि नहीं अपनानी चाहिए।


- यह प्रयोग एक दम खाली पेट करना चाहिए इसके बाद कुछ खाना नहीं चाहिए और ध्यान रखें कि इस दौरान रोगी  को ठण्ड न लगे।


- अगर रोगी को प्यास ज्यादा लगे तो उसे पानी को गर्म कर उसे ठण्डा करके दें।


- इस नुस्खे को अजमाने के बाद रोगी को करीब 48 घंटे तक कुछ खाने को न दें। और उसके बाद उसे दूध चाय या हल्का दलिया बनाकर खिलाऐं।

सादा बुखार-

 सादे बुखार में उपवास अत्यधिक लाभदायक है। उपवास के बाद पहले थोड़े दिन मूँग लें फिर सामान्य खुराक शुरु करें। ऋषि चरक ने लिखा है कि बुखार में दूध पीना सर्प के विष के समान है अतः दूध का सेवन न करें।

पहला प्रयोगः- सोंठ, तुलसी, गुड़ एवं काली मिर्च का 50 मि.ली काढ़ा बनाकर उसमें आधा या 1 नींबू निचोड़कर पीने से सादा बुखार मिटता है।

दूसरा प्रयोगः- शरीर में हल्का बुखार रहने पर, थर्मामीटर द्वारा बुखार न बताने पर थकान, अरुचि एवं आलस रहने पर संशमनी की दो-दो गोली सुबह और रात्रि में लें। 7-8 कड़वे नीम के पत्ते तथा 10-12 तुलसी के पत्ते खाने से अथवा पुदीना एवं तुलसी के पत्तों के एक तोला रस में 3 ग्राम शक्कर डालकर पीने से हल्के बुखार में खूब लाभ होता है।

तीसरा प्रयोगः- कटुकी, चिरायता एवं इन्द्रजौ प्रत्येक की 2 से 5 ग्राम को 100 से 400 मि.ली. पानी में उबालकर 10 से 50 मि.ली. कर दें। यह काढ़ा बुखार की रामबाण दवा है।

चौथा प्रयोगः- बुखार में करेले की सब्जी लाभकारी है।

पाँचवाँ प्रयोगः मौठ या मौठ की दाल का सूप बनाकर पीने से बुखार मिटता है। उस सूप में हरी धनिया तथा मिश्री डालने से मुँह अथवा मल द्वारा निकलता खून बन्द हो जाता है।
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स्मरण शक्ति में वृद्घि होती है memory power increases

स्मरण शक्ति में वृद्घि होती है memory power increases
• सोंठ का मगज, मिश्री तथा बादाम गिरी इन तीनों की ढाई -ढाई सौ ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। रात को सोने से पहले 10 ग्राम की मात्रा में चूर्ण की फं£की दूध के साथ चालीस दिनों तक लगातार लेने से याददाश्त अच्छी होने के साथ आंखों की रोशनी भी बढ़ जाती है।
• आधा लीटर पानी में 125 ग्राम धनिया कू£ट कर उबालें। जब पानी चौथाई भाग रह जाये तब छानकर 125 ग्राम मिश्री मिलाकर फि गर्म करें। जब गाढ़ा हो जाये तो उतार लें। यह प्रतिदिन दस ग्राम चाटें। इससे मस्तिष्क की कमजोरी तो दूर होती ही है याददाश्त भी अच्छी हो जाती है।
• गाय के दूध की छाछ में मुलहठी की जड़ का चूर्ण मिलाकर कु£छ दिनों तक नियमित पीने से मस्तिष्क की कमजोरी तो दूर होती ही है साथ ही स्मरण शक्ति भी तेज हो जाती है।
• स्मरण शक्ति की कमी, दिमागी कमजोरी तथा गुर्दे की खराबी में भोजन करने से पहले एक मीठा सेब बिना छीले खाने से लाभ होता है। इससे दुर्बलता भी दूर होती है।
• 5 ग्राम दालचीनी पानी के साथ सुबह-शाम नियमित प्रयोग करने से दिमागी कमजोरी दूर हो जाती है। स्मरण शक्ति में वृद्घि होती है।
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मेरा हमेशा से यह प्रयास रहता है कि मैं अपने अनुभव को आपसे बांटू जिन्हें मैंने श्रेष्ठ संतों से प्रसाद स्वरूप पाया है हां मानना न मानना आपकी मर्जी है और Second Opinion लेना आापका अधिकार है, ये हमेशा याद रखें। परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि आप सुखी रहे और यह शोध आपके काम आए।
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चेहरे की रंगत बढाए टमाटर का जूस Tomato juice improves facial complexion

चेहरे की रंगत बढाए टमाटर का जूस Tomato juice improves facial complexion
रोज सवेरे एक गिलास ताजे टमाटर का जूस तैयार करें, दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें और सिर्फ़ एक महिने के अंदर चेहरे की रंगत देखिए, आईना शरमा जाएगा l जानकार इसे वजन कम करने का एक अच्छा उपाय मानते है जबकि गुजरात के आदिवासी इसे यकृत और फ़ेफ़डों के लिए बेहतर टोनिक मानते है..आजमाईये जरूर, देसी ज्ञान है, असर सर चढकर बोलेगे..स्वस्थ रहें, मस्त रहें..
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छोटे लहसुन के बड़े फायदे Big benefits of small garlic

छोटे लहसुन के बड़े फायदे Big benefits of small garlic

लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।


1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।


2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।


3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।


4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।


5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।


6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।


7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।


8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।


9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।


10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।


11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।


12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।

13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।

लहसुन की बदबू-

अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेगी।
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गुटका,तंबाकू,बी ड़ी सिगरेट,शराब से मुक्ति Freedom from gutka, tobacco, cigarette and alcohol

अदरक के छोटे छोटे टुकड़े कर लो उस मे नींबू निचोड़
दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको किसी कांच या चीनी के बर्तन में डाल कर धूप मे सूखा लो l जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए और अदरक सूख जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को किसी कांच के बर्तन में रख लो l

जब भी गुटका,तंबाकू,बी ड़ी सिगरेट,शराब पीने का मन करे तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो l

इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी, तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा l
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Feetured Post

रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...