अंकुरित गेहूं खाने से होते हैं ये जबरदस्त फायदे These are tremendous benefits of eating sprouted wheat

अंकुरित गेहूं खाने से

स्वस्थ रहने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है,
क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है।
वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे....
- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं।
किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।
- अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी
सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित
गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई
पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक
मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।
- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले
विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुध्द करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को
चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुध्द होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के
निर्माण में भी मदद मिलती है।
- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट
रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।
अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स
को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।]
0 0

दमा व श्वास का घरेलू उपचार Home remedies for asthma and breathing

दमा व श्वास का घरेलू उपचार

एक पका केला छिला लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच दो ग्राम कपड़छान की हुई काली मिर्च भर दें । फिर उसे बगैर छीलेही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर डोरे से बांध कर 2-3 घंटे रख दें । बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले । ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें ।प्रतिदिन सुबह में केले में काली मिर्च का चूर्ण भरें। और शाम को पकावें । 15-20 दिन में खूब लाभ होगा ।

केला के पत्तों को सुखाकर किसी बड़े बर्तन में जला लेवें। फिर कपड़छान कर लें और इस केले के पत्ते की भरम को एक कांच की साफ शीशी या डिब्बे में रख लें । बस, दवा तैयार है ।

सेवन विधि - एक साल पुराना गुड़ 3 ग्राम चिकनी सुपारी का आधा से थोड़ा कम वनज को 2-3 चम्मच पानी में भिगों दें । उसमें 1-4 चौथाई दवा केले के पत्ते की राख डाल दें और पांच-दस मिनट बाद ले लें । दिनभर में सिर्फ एक बार ही दवा लेनी है, कभी भी ले लेवें ।

बच्चे का असाध्य दमा - अमलतास का गूदा 15 ग्राम दो कप पानी में डालकर उबालें चौथाई भाग बचने पर छान लें और सोते समय रोगी को गरम-गरम पिला दें । फेफड़ों में जमा हुआ बलगम शौच मार्ग से निकल जाता है । लगातार तीन दिन लेने से जमा हुआ कफ निकल कर फेफड़े साफ हो जाते है । महीने भर लेने से फेफड़े कर तपेदिक ठीक हो सकती है ।
0 0

फूलगोभी Cauliflower


- पूरे विश्व में सामान्यतः शीत ऋतु में मुख्य रूप से गोभी खाई जाती है, जो अनेक गुणों से भरपूर है। गोभी को कच्चा भी खाया जा सकता है।
- फूलगोभी खाने में ठंडी और तर होती है।
- फूलगोभी में थोड़ी सी प्रोटीन , फॉस्फोरस, लौह तत्व, पोटैशियम, गंधक, नियासीन और विटामिन `सी´ आदि तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं।
- गोभी में गंधक एवं क्लोरीन घटकों की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण यह शरीर की गंदगी साफ करने का काम करती है।
- फूलगोभी ना सिर्फ खाने में बल्कि तिल को साफ करने में भी काफी कारगर होती है। घर में इसका रस तैयार करें और रोज तिल वाली जगह पर लगाए। इससे कुछ ही दिनों में पुरानी त्‍वचा धीरे धीरे साफ होने लगेगी और तिल गायब हो जाएगा।
- फूलगोभी में गंधक बहुत मिलता है। गंधक खुजली, कुष्ठ (कोढ़) आदि चर्म (त्वचा) रोगों में हितकारी होती है। फूलगोभी खून को साफ करती है।
- फूलगोभी में "सलफोराफीन" रसायन पाया जाता है जो सेहत के लिए, ख़ासकर दिल के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है।
- गोभी में कुछ ऐसे तत्व एवं घटक हैं, जो मानव में रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाते हैं एवं समय से पहले आने वाली वृद्धावस्था को रोकते हैं।
- गोभी में ’’ टारट्रोनिक ‘‘ नामक एसिड होता है, जो चरबी, शर्करा एवं अन्य पदार्थों को इकट्ठा होने से रोकता है, जिससे शरीर का आकार बना रहता है।
- कब्ज़ में रात को गोभी का रस पीने से लाभ होता है।
- गोभी में क्षारीय तत्त्व होते हैं। जिससे क्षय रोगी को भी लाभ होता है।
- गोभी खाते रहने से चर्म रोग, गैस, नाख़ून और बालों के रोग नष्ट होते हैं।
- कच्ची गोभी, पकी गोभी से ज्यादा सुपाच्य होती है।
- गोभी स्नायु मजबूत करती है ।
- गोभी में गंधक एवं क्लोरीन आंतों के मार्ग साफ करने में उपयोगी हैं, परंतु यह तब ही संभव है जब गोभी या इसके रस को कच्चा लिया जाए।
- पेट अल्सर का रोगी सामान्य भोजन के बाद दिन में तीन बार तीन से छह औसतन जितना गोभी का रस पिएं या चार से पांच बार कच्ची गोभी खाएं तो पेट एवं अल्सर के रोग में फायदा हो सकता है।
- सूजन, दाह, जख्म आदि दूर करने में भी गोभी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- चोट या जले जख्म पर गोभी के पत्तों को गरम पानी में धोकर उसके बाद उन्हें कपड़े में सुखाकर चोट पर लगाने से फायदा होता है।
- गोभी में विटामिन ’सी‘ होता है, जो रक्त वाहिनियों को मजबूत करता है।
- गोभी वृद्ध लोगों के लिए भी फायदेमंद है।
- गोभी का रस पीते रहने से आँखों की कमजोरी और पीलिया में लाभ होता है।
- इसके अत्यधिक प्रयोग से वायु बन सकती है। इससे बचने के लिये इसे बराबर मात्रा में गाजर के साथ खाना चाहिये।
- गोभी का रस पीते रहने से जोड़ों और हडि्डयों का दर्द, अपच (भोजन का न पचना), आंखों की कमजोरी और पीलिया आदि रोगों में लाभ मिलता है।
- रक्त (खून) की उल्टी : फूलगोभी की सब्जी खाने से या इसे कच्ची ही खाने से खून की उल्टी होना बंद हो जाती है। टी.बी. (क्षय) के रोगी के लिए भी यह बहुत ही हितकारी है।
- खूनी बवासीर और बादी बवासीर : फूलगोभी खाने से खूनी बवासीर और साधारण (बादी) बवासीर ठीक हो जाती है।
- पेशाब की जलन होने पर : फूलगोभी की सब्जी का सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।
- कोलाइटिस के रोग : सुबह खाली पेट एक तिहाई कप गोभी का रस रोजाना पीने से कोलाइटिस, कैंसर और कब्ज तथा जख्म आदि रोगों में लाभ होता है।
- कब्ज : रात को सोते समय आधा गिलास गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।
- रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला) : गोभी में क्षारीय तत्व होते हैं। गोभी में पाया जाने वाला सल्फर और क्लोरीन का मिश्रण म्युकस, मेमरिन तथा आंतों की सफाई करता है।
- आदिवासियों के अनुसार इसके पत्तों को कुचलकर रस तैयार किया जाए और कुल्ला किया जाए तो मसूढ़ों से खून का निकलना बंद हो जाता है। वैसे कच्ची फूल गोभी को चबाने से मसूडों की सूजन भी उतर जाती है
- पत्तों को कुचलकर तैयार किया रस प्रतिदिन पीने से गठिया रोग के निदान में भी लाभकारी होता है। माना जाता है कि कम से कम तीन माह तक अक्सर इस रस का सेवन करते रहने से हर तरह के दर्द की छुट्टी हो जाती है।
- कच्ची फूलगोभी को साफ धोकर चबाने से खून साफ होता है और अनेक चर्मरोगों में आराम मिलता है। लौह तत्वों और प्रोटीन्स के पाए जाने के कारण शारीरिक शक्ति को प्रबल बनाने में भी इसका योगदान होता है।
- फूल गोभी और गाजर का रस समान मात्रा में तैयार कर इसका १ गिलास प्रतिदिन दिन में दो बार देने से पीलिया ग्रस्त रोगी को फायदा होता है।
0 0

कब्ज से राहत दिलाए provide relief from constipation


इसमे बहुत ज्यादा रेशा होता है जिसकी वजह से पाचन क्रिया अच्छे से होती है और पेट दरुस्त रहता है। इस वजह से कब्ज की समस्या कभी नहीं हो पाती।

मांसपेशियों के दर्द में राहत देती है :
पत्ता गोभी में लैक्टिक एसिड काफी मात्रा में होती है जो मांसपेशियों के चोटिल होने और उसे रिकवर करने में काफी सहायक होती है।

पेप्टिक अल्सर के इलाज में सहायक :
पत्ता गोभी, पेप्टिक अल्सर के इलाज में सहायक होती है। इस रोग से पीडित व्यक्ति अगर वंदगोभी का नियमित सेवन करें तो उसे आराम मिल सकता है क्योंकि इसमें ग्लूटामाइन होता है जो अल्सर विरोधी होता है।

अल्माइजर को कम कर देता है :
हाल ही में हुए शोध से पता चला है कि पत्ता गोभी के सेवन से अल्माइजर जैसी समस्याएं दूर हो जाती है। इसमें विटामिन के भरपूर मात्रा में पाया जाता है जिससे अल्माइजर की समस्या दूर हो जाती है।

मोतियाबिंद के खतरे को कम करता है :
पत्ता गोभी के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम होता है। इसके लगातार सेवन से बॉडी में बीटा केराटिन बढ़ जाता है जिससे आंखे सही रहती है।

एंटी - फ्लैममेट्रोरी प्रॉपर्टी :
यह अमीनो एसिड में सबसे समृद्ध होता है जो सूजन आदि को कम करता है।

इम्यूनिटी को बढ़ाता है :
पत्ता गोभी, शरीर में इम्यूनिटी सिस्टम को स्ट्रांग बनाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जिससे बॉडी का इम्यूनिटी सिस्टम काफी मजबूत हो जाता है।

कैंसर को रोकने में मदद करता है :
वंदगोभी में ऐसे तत्व होते है जो कैंसर की रोकथाम करने और उसे होने से बचाने में मदद करता है। इसमें डिनडॉलीमेथेन ( डीआईएम ), सिनीग्रिन, ल्यूपेल, सल्फोरेन और इंडोल - 3 - कार्बीनॉल ( 13 सी) जैसे लाभदायक तत्व होते है। ये सभी कैंसर से बचाव करने में सहायक होते है।
0 0

अखरोट Walnut

दिमाग के आकर का अखरोट को गर्मी के मौसम में भिगोकर, सर्दी के मौसम में
बिना भिगोए खाना चाहिए। यह दिमाग को तेज करता है और स्मरणशक्ति व मेधा शक्ति को बढाता है।
मस्तिष्क के रस को सूखने से बचाता है और मजबूती की वजह से ब्रेन हेमरेज होने का खतरा खत्म हो जाता है।
0 0

स्त्री हो या पुरुष ये चार काम होने के बाद नहाना जरूरी है Whether it is a man or a woman, it is necessary to take bath after doing these four things.

वैसे तो हर रोज नहाना अच्छे स्वास्थ्य का रामबाण उपाय है लेकिन कभी-कभी हम कुछ ऐसे काम करते हैं जिनके बाद भी नहाना बहुत जरूरी होता है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने चार काम ऐसे बताए हैं जिनके बाद व्यक्ति के लिए नहाना बहुत जरूरी है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। इसी वजह से स्वास्थ्य के संबंध में कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। अच्छे खान-पान के साथ ही रहन-सहन और आदतों का भी हमारी सेहत पर प्रभाव पड़ता है। काफी बीमारियां तो केवल नहाने से ही दूर रहती हैं। आचार्य इस श्लोक में चार ऐसे काम बताए हैं जिन्हें करने के बाद अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से नहा लेना चाहिए।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हजामत करवाने के बाद भी तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। बाल कटवाने के बाद पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं जो कि नहाने के बाद ही शरीर से साफ हो सकते हैं। अत: इस कार्य के बाद तुरंत नहाना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार स्वस्थ्य शरीर और चमकदार त्वचा के लिए जरूरी है कि कम से कम सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर तेल मालिश की जानी चाहिए। तेल मालिश के बाद शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं और अंदर का मेल बाहर हो जाता है। अत: तेल मालिश के तुरंत बाद नहा लेना चाहिए। इससे शरीर का समस्त मेल साफ हो जाता है। त्वचा में चमक आती है।

किसी भी पुरुष को स्त्री प्रसंग के बाद भी नहाना चाहिए। इस काम के बाद स्त्री और पुरुष दोनों ही अपवित्र हो जाते हैं और वे जब तक नहाएंगे नहीं किसी भी धार्मिक कार्य के लिए योग्य नहीं हो सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार इस प्रसंग के बाद व्यक्ति जब तक नहीं नहाता है तब तक वह चाण्डाल के समान होता है। इस प्रसंग के बाद शरीर की पवित्रता भंग हो जाती है, अत: इस काम के बाद बिना नहाए कहीं नहीं जाना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति किसी मृत इंसान की अंतिम यात्रा में जाता है, शमशान जाता है तो वहां से आने के तुरंत बाद भी नहा लेना चाहिए। शमशान के वातावरण में कई प्रकार के कीटाणु और विषाणु रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। शमशान जाने पर ये कीटाणु हमारे बालों में और कपड़ों पर चिपक जाते हैं, यदि इन्हें साफ न किया जाए तो यह स्वास्थ्य के हानिकारक हो सकते हैं। अत: वहां से घर आकर तुरंत नहा लेने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

इस प्रकार आचार्य चाणक्य चार ऐसे काम बताए हैं जिनके बाद नहाना बहुत जरूरी है। ये चार काम हैं जब भी शरीर पर तेल मालिश की जाए, शमशान से आने के बाद, हजामत बनवाने के बाद और स्त्री प्रसंग के बाद स्नान करना अनिवार्य माना गया है।


स्त्री हो या पुरुष ये चार काम होने के बाद नहाना जरूरी है...

वैसे तो हर रोज नहाना अच्छे स्वास्थ्य का रामबाण उपाय है लेकिन कभी-कभी हम कुछ ऐसे काम करते हैं जिनके बाद भी नहाना बहुत जरूरी होता है। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने चार काम ऐसे बताए हैं जिनके बाद व्यक्ति के लिए नहाना बहुत जरूरी है। 

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि...
तैलाभ्यङ्गे चिताधूमे मैथुने क्षौरकर्मणि।
तावद् भवति चाण्डालो यावत् स्नानं न चाचरेत्।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अच्छा स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। इसी वजह से स्वास्थ्य के संबंध में कई प्रकार के नियम बनाए गए हैं। अच्छे खान-पान के साथ ही रहन-सहन और आदतों का भी हमारी सेहत पर प्रभाव पड़ता है। काफी बीमारियां तो केवल नहाने से ही दूर रहती हैं। आचार्य इस श्लोक में चार ऐसे काम बताए हैं जिन्हें करने के बाद अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि से नहा लेना चाहिए।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हजामत करवाने के बाद भी तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। बाल कटवाने के बाद पूरे शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं जो कि नहाने के बाद ही शरीर से साफ हो सकते हैं। अत: इस कार्य के बाद तुरंत नहाना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार स्वस्थ्य शरीर और चमकदार त्वचा के लिए जरूरी है कि कम से कम सप्ताह में एक बार पूरे शरीर पर तेल मालिश की जानी चाहिए। तेल मालिश के बाद शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं और अंदर का मेल बाहर हो जाता है। अत: तेल मालिश के तुरंत बाद नहा लेना चाहिए। इससे शरीर का समस्त मेल साफ हो जाता है। त्वचा में चमक आती है।

किसी भी पुरुष को स्त्री प्रसंग के बाद भी नहाना चाहिए। इस काम के बाद स्त्री और पुरुष दोनों ही अपवित्र हो जाते हैं और वे जब तक नहाएंगे नहीं किसी भी धार्मिक कार्य के लिए योग्य नहीं हो सकते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार इस प्रसंग के बाद व्यक्ति जब तक नहीं नहाता है तब तक वह चाण्डाल के समान होता है। इस प्रसंग के बाद शरीर की पवित्रता भंग हो जाती है, अत: इस काम के बाद बिना नहाए कहीं नहीं जाना चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति किसी मृत इंसान की अंतिम यात्रा में जाता है, शमशान जाता है तो वहां से आने के तुरंत बाद भी नहा लेना चाहिए। शमशान के वातावरण में कई प्रकार के कीटाणु और विषाणु रहते हैं जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। शमशान जाने पर ये कीटाणु हमारे बालों में और कपड़ों पर चिपक जाते हैं, यदि इन्हें साफ न किया जाए तो यह स्वास्थ्य के हानिकारक हो सकते हैं। अत: वहां से घर आकर तुरंत नहा लेने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

इस प्रकार आचार्य चाणक्य चार ऐसे काम बताए हैं जिनके बाद नहाना बहुत जरूरी है। ये चार काम हैं जब भी शरीर पर तेल मालिश की जाए, शमशान से आने के बाद, हजामत बनवाने के बाद और स्त्री प्रसंग के बाद स्नान करना अनिवार्य माना गया है।
0 0

सोया , सुआ या शेपू soya, dill or shepu

- इन दिनों हरी पत्तेदार सब्जियों की बहार है. अनेक ताज़ी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक , मेथी , सोया , बथुआ , सरसों मिल रही है.
- आज इनमे से सोया के बारे में जानते है. इसे अंग्रेजी में Dill इस नाम से जाना जाता है.
- इसके पत्ते सौंफ के पौधे की तरह दिखते है. इसके बीज भी सौंफ की तरह ही पर थोड़े बड़े होते है.
- इसके बीजों को बनसौंफ कहा जाता है. मराठी में इन्हें बाळंत सौंफ के नाम से जाना जाता है.
- सद्य प्रसूता महिला को भोजन के बाद अजवाइन और कसे हुए नारियल के साथ बनसौंफ खूब चबा चबा कर खाने को कहा जाता है. इससे वात वृद्धि नहीं होती. दूध अच्छी तरह उतरता है.
- अजवाई-बनसौंफ खाने से डिलीवरी के बाद बहनों का शरीर नहीं फूलता.
- इसकी पत्तेदार हरी सब्जी भी प्रसुती के बाद खिलाई जाती है.
- सर्दियों में मेथी सोया या पालक सोया , मूंग की दाल -सोया ऐसी सब्जियां बाजरे या मक्के की रोटी के साथ बड़े चाव से खाई जाती है.
- कई लोग इसकी चटनी भी बनाते है.
- बनसौंफ स्निग्ध,तीखी, भूख बढाने वाली ,उष्ण, मूत्ररोधक,बुद्धिवर्धक , कफ व वायूनाशक है.
- इसके सेवन से दाह, शूल, नेत्ररोग ,प्यास ,अतिसार आदि का नाश होता है.
- इसकी सब्जी को "आहारीय झाड़ू" कहा जाता है.पेट में रुकावट डालने वाली वायु के निष्कासन का काम यह सब्जी उत्तम प्रकार से करती है.
- पेट में गॅस होना, अजीर्ण, क्षुधामांद्य, कृमी ऐसी अनेक पचन तंत्र की गड़बड़ियों पर यह भाजी गुणकारी होती है.
- उग्र गंध होने से यह कई बार नापसंद की जाती है पर यह बहुत गुणकारी और औषधीय है.
- इसमें अनेक औषधी तेल होते है जिसमे से युगेनॉल तेल रक्‍तशर्करा नियंत्रित करता है.इसलिए यह सब्जी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत अच्छी है.
- इसमें मेथी व पालक की तरह "अ', "क' जीवनसत्त्व, फॉलिक ऍसिड व महत्त्वपूर्ण क्षार होते है.
- जिनकी जीवनशैली बैठे बैठे कार्य करने की है उनके लिए यह बहुत अच्छी सब्जी है.कम शारीरिक श्रम के कारण पेट भारी लगना , भूख कम लगना , अफारा , अजीर्ण आदि अनेक समस्याओं का निश्‍चित निदान यह सब्जी है.
- यह अनिद्रा के लिए उपयोगी है.
- उच्च रक्तचाप,गुर्दा रोग, सिर दर्द ,हृदय आदि पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है.
- गंभीर हिचकी, और खांसी के लिए इसका प्रयोग करें.यह बलगम हटाती है.
- अंगराग प्रयोजनों के लिए सोआ लोशन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
- यह आँखों के आसपास की सूजन और जलन को कम करती है.
- इसकी सौंफ को पीसकर कनपटी पर लगाने से लू लगने से होने वाला चक्कर और सिरदर्द शांत होता है.
- इसके पत्तें और जड़ को पीसकर लगाने से गठिया का दर्द और सूजन ठीक होता है.
- इसके पत्तों पर तेल लगाकर गर्म कर बाँधने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है.
- इसके पत्तों का काढा गुड के साथ लेने से रुकी हुई या कम माहवारी खुलकर आती है.
- इसकी सौंफ का ठंडा शरबत पिने से पित्त ज्वर शांत होता है.
0 0

Kidney (गुर्दे) को साफ़ करेँ हरे धनिए के साथ Cleanse the kidneys with green coriander


धनिए के एक गुच्छे को पानी से धो ले और इसके पत्तो को तोडकर बारीक-बारीक काट ले और इन्हे एक गिलास पानी में डालकर 10 मिन्ट तक उबाले और छान कर ठण्डा होने के लिए रख दे, अच्छे से ठण्डा होने के बाद इसको पी ले, रोजाना ऐसा करे, कुछ दिन में ही आपके गुर्दे की सफ़ाई हो जाएंगी और सारी गंदगी मूत्र के साथ अपने आप बाहर निकल जाएगी।
0 0

बादाम रोगन के फायदे


बोर्नविटा , कॉम्प्लान आदि पर हज़ारों रुपये खर्च करने की बजाये बादाम रोगन ख़रीदे।
- सोने से पूर्व आँखों के चारों ओर बादाम रोगन की हल्की-हल्की मालिश करने से चेहरे पर निखार आता है और झुर्रियां नहीं पड़ती।
- सिर की खुश्की मिटाने के लिए सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें।
- बाल न झड़े, इसके लिए भी सिर पर बादाम रोगन की मालिश करते हैं।
- रात में गाय के गर्म दूध में से चम्मच बादाम रोगन दाल कर पिने से दिमाग तेज़ होता है।
- बादाम रोगन गरम दूध में डाल कर पिने से कब्ज दूर होती है।
- नाक में दो - दो बूंद बादाम रोगन रात में सोते वक्त डालने से आँखों की ज्योति तेज़ होती है।ये नस्य दिमाग भी तेज़ करता है।
- बादाम रोगन के नस्य से सिर दर्द दूर होता है।
- यदि सुनने की शक्ति कम होने का भय हो तो बादाम रोगन की एक-एक बूंद प्रतिदिन डालें।
- आंवले के रस के साथ बादाम तेल की मालिश बालों का झड़ना, असमय सफेद होना, पतला होना और डैंड्रफ रोक सकती है।दो-तीन बूंद बादाम रोगन व एक चम्मच शहद की मालिश रोमकूप खोल चेहरे पर चमक लाती है।
- इसका सेवन तनाव कम करता है।
- ये हार्ट के लिए लाभदायक है।
- सर्दियों में शरीर का तापमान बनाए रखता है।
- छोटे बच्चों के लिए लाभदायक है।
- वजन घटाने में मदद करता है।
- गर्दन में दर्द होने पर इससे मालिश करने पर ठीक हो जाता है।
- इसकी सिर में मालिश करने से नींद अच्छी आती है।
0 0

लौंग के फायदे और घरेलु नुस्खे Benefits and home remedies of cloves


चाहे भोजन का जायका बढ़ाना हो या फिर दर्द से छुटकारा, छोटी सी लौंग को न सिर्फ अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि इसके फायदे भी अनेक हैं। साधारण से सर्दी-जुकाम से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग के उपचार में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके गुण कुछ ऐसे हैं कि न सिर्फ आयुर्वेद बल्कि होम्योपैथ व एलोपैथ जैसी चिकित्सा विधाओं में भी बहुत अधिक महत्व आंका जाता है।

भोजन में फायदेमंद
मसाले के रूप में लौंग का इस्तेमाल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें प्रोटीम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और हाइड्रोक्लोरिक एसिड भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इसमें विटामिन ए और सी, मैग्नीज और फाइबर भी पाया जाता है।

दर्दनाशक गुण
लौंग एक बेहतरीन नैचुरल पेनकिलर है। इसमें मौजूद यूजेनॉल ऑयल दांतों के दर्द से आराम दिलाने में बहुत लाभदायक है। दांतो में कितना भी दर्द क्यों न हो, लौंग के तेल को उनपर लगाने से दर्द छूमंतर हो जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल विशेषता होती है जिस वजह से अब इसका इस्तेमाल कई तरह के टूथपेस्ट, माउथवाश और क्रीम बनाने में किया जाता है।

गठिया में आराम
गठिया रोग में जोड़ों में होने वाले दर्द व सूजन से आराम के लिए भी लौंग बहुत फायदेमंद है। इसमें फ्लेवोनॉयड्स अधिक मात्रा में पाया जाता है। कई अरोमा एक्सपर्ट गठिया के उपचार के लिए लौंग के तेल की मालिश को तवज्जो देते हैं।

श्वास संबंधी रोगों में आराम
लौंग के तेल का अरोमा इतना सशक्त होता है कि इसे सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में तुरंत आराम मिल जाता है।

बेहतरीन एंटीसेप्टिक
लौं व इसके तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जिससे फंगल संक्रमण, कटने, जलने, घाव हो जाने या त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लौंग के तेल को कभी भी सीधे त्वचा पर न लगाकर किसी तेल में मिलाकर लगाना चाहिए।

पाचन में फायदेमंद
भोजन में लौंग का इस्तेमाल कई पाचन संबंधी समस्याओं में आराम पहुंचाता है। इसमें मौजूद तत्व अपच, उल्टी गैस्ट्रिक, डायरिया आदि समस्याओं से आराम दिलाने में मददगार हैं।

कैंसर
शोधकर्ताओं का मानना है कि लौंग के इस्तेमाल से फेफड़े के कैंसर और त्वचा के कैंसर को रोकने में काफी मदद मिल सकती है। इसमें मौजूद युजेनॉल नामक तत्व इस दिशा में काफी सहायक है।

अन्य फायदे
इतना ही नहीं, लौंग का सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और रक्त शुद्ध करता है। इसका इस्तेमाल मलेरिया, हैजा जैसे रोगों के उपचार के लिए दवाओं में किया जाता है। डायबिटीज में लौंग के सेवन से ग्लूकोज का स्तर कम होता है। लौंग का तेल पेन किलर के अलावा मच्छरों को भी दूर भगाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
0 0

Feetured Post

सनातन धर्म की शक्ति उसके व्यापक दृष्टिकोण

सनातन धर्म की शक्ति उसकी सहनशीलता , विविधता और समय के साथ सामंजस्य बिठाने की क्षमता में रही है। लेकिन समय के साथ कुछ च...