पीपल Ficus religiosa



- यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है |
- इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है|
- पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है |
- पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है |
- हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए |
- पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है| 
- सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा |
- इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है |
- पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे |
- इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है |
- इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है |
- इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है |
- यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सूजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है |
0 0

पिता का आशीर्वाद father's blessings


एक बार एक युवक अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाला था। उसकी बहुत दिनों से एक शोरूम में रखी स्पोर्टस कार लेने की इच्छा थी। उसने अपने पिता से कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने पर उपहारस्वरूप वह कार लेने की बात कही क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता उसकी इच्छा पूरी करने में समर्थ हैं। कॉलेज के आखिरी दिन उसके पिता ने उसे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि वे उसे बहुत प्यार करते हैं तथा उन्हें उस पर गर्व है। फिर उन्होंने उसे एक सुंदर कागज़ में लिपटा उपहार दिया । उत्सुकतापूर्वक जब युवक ने उस कागज़ को खोला तो उसे उसमें एक आकर्षक जिल्द वाली ‘भगवद् गीता’ मिली जिसपर उसका नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा था। यह देखकर वह युवक आगबबूला हो उठा और अपने पिता से बोला कि इतना पैसा होने पर भी उन्होंने उसे केवल एक ‘भगवद् गीता’ दी। यह कहकर वह गुस्से से गीता वहीं पटककर घर छोड़कर निकल गया।

बहुत वर्ष बीत गए और वह युवक एक सफल व्यवसायी बन गया। उसके पास बहुत धन-दौलत और भरापूरा परिवार था। एक दिन उसने सोचा कि उसके पिता तो अब काफी वृद्ध हो गए होंगे। उसने अपने पिता से मिलने जाने का निश्चय किया क्योंकि उस दिन के बाद से वह उनसे मिलने कभी नहीं गया था। अभी वह अपने पिता से मिलने जाने की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक उसे एक तार मिला जिसमें लिखा था कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वे अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर गए हैं। उसे तुरंत वहाँ बुलाया गया था जिससे वह सारी संपत्ति संभाल सके।

वह उदासी और पश्चाताप की भावना से भरकर अपने पिता के घर पहुँचा। उसे अपने पिता की महत्वपूर्ण फाइलों में वह ‘भगवद् गीता’ भी मिली जिसे वह वर्षों पहले छोड़कर गया था। उसने भरी आँखों से उसके पन्ने पलटने शुरू किए। तभी उसमें से एक कार की चाबी नीचे गिरी जिसके साथ एक बिल भी था। उस बिल पर उसी शोरूम का नाम लिखा था जिसमें उसने वह स्पोर्टस कार पसंद की थी तथा उस पर उसके घर छोड़कर जाने से पिछले दिन की तिथि भी लिखी थी। उस बिल में लिखा था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है।

कई बार हम भगवान की आशीषों और अपनी प्रार्थनाओं के उत्तरों को अनदेखा कर जाते हैं क्योंकि वे उस रूप में हमें प्राप्त नहीं होते जिस रूप में हम उनकी आशा करते हैं |
0 0

फोड़े - फुन्सियाँ boils

गर्मी और बरसात के मौसम में फोड़े-फुन्सियाँ निकलना एक आम समस्या है | शरीर के रोम कूपों में 'एसको' नामक जीवाणु इकठ्ठे हो जाते हैं जो संक्रमण पैदा कर देते हैं जिसके कारण शरीर में जगह-जगह फोड़े-फुन्सियां निकल आती हैं | इसके अलावा खून में खराबी पैदा होने की वजह से,आम के अधिक सेवन से,मच्छरों के काटने से या कीटाणुओं के फैलने के कारण भी फुन्सियां निकल आती हैं| भोजन में गर्म पदार्थों के अधिक सेवन से भी फोड़े-फुन्सियाँ निकल आते हैं | 

फोड़े-फुन्सियाँ होने पर भोजन में अधिक गर्म पदार्थ,मिर्च-मसाले,तेल,खट्टी चीज़ें और अधिक मीठी वस्तुएं नहीं खानी चाहियें | फोड़े-फ़ुन्सियों को ढककर या पट्टी बांधकर ही रखना चाहिए |
फोड़े-फुन्सियों का विभिन्न औषधियों से उपचार -

१-नीम की ५-८ पकी निम्बौलियों को २ से ३ बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियाँ शीघ्र ही समाप्त हो जाती हैं |

२- नीम की पत्तियों को पीसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है |

३- दूब को पीसकर लेप बना लें | पके फोड़े पर यह लेप लगाने से फोड़ा जल्दी फूट जाता है |

४- खून के विकार से उत्पन्न फोड़े-फुन्सियों पर बेल की लकड़ी को पानी में पीसकर लगाने से लाभ मिलता है |

५- तुलसी और पीपल के नए कोमल पत्तों को बराबर मात्रा में पीस लें | इस लेप को दिन में तीन बार फोड़ों पर लगाने से फोड़े जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं |

६- फोड़े में सूजन,दर्द और जलन आदि हो तो उसपर पानी निकाले हुए दही को लगाकर ऊपर से पट्टी बांधनी चाहिए | यह पट्टी दिन में तीन बार बदलनी चाहिए,लाभ होता है |
0 0

रुद्राक्ष Rudraksh

रुद्राक्ष विश्व में नेपाल,म्यान्मार,इंग्लैंड,बांग्लादेश एवं मलेशिया में पाया जाता है | भारत में यह मुख्यतः बिहार,बंगाल,मध्य-प्रदेश,आसाम एवं महाराष्ट्र में पाया जाता है | विद्वानों का कथन है कि रुद्राक्ष की माला धारण करने से मनुष्य शरीर के प्राणों का नियमन होता है तथा कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक विकारों से रक्षा होती है | इसकी माला को पहनने से हृदयविकार तथा रक्तचाप आदि विकारों में लाभ होता है |
यह १८-२० मीटर तक ऊँचा,माध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है | इसके फल गोलाकार,१.३-२ सेमी व्यास के तथा कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं | इसके बीजों को रुद्राक्ष कहा जाता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फ़रवरी से जून तक होता है|
आइये जानते हैं रुद्राक्ष के कुछ औषधीय प्रयोगों के विषय में -

१- रुद्राक्ष का शरीर से स्पर्श उत्तेजना,रक्तचाप तथा हृदय रोग आदि को नियंत्रित करता है |

२- रुद्राक्ष को पीसकर उसमें शहद मिलाकर त्वचा पर लगाने से दाद में लाभ होता है |

३- रुद्राक्ष को दूध के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे नष्ट होते हैं |

४- रुद्राक्ष के फलों को पीसकर लगाने से दाह (जलन) में लाभ होता है |

५- यदि बच्चे की छाती में कफ जम गया हो तो रुद्राक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर ५-५ मिनट के बाद रोगी को चटाने से उल्टी द्वारा कफ निकल जाता है |
0 0

मुलेठी (यष्टीमधु ) Liquorice (Yashtimadhu)

मुलेठी से हम सब परिचित हैं | भारतवर्ष में इसका उत्पादन कम ही होता है | यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयातित की जाती है| मुलेठी की जड़ एवं सत सर्वत्र बाज़ारों में पंसारियों के यहाँ मिलता है | चरकसंहिता में रसायनार्थ यष्टीमधु का प्रयोग विशेष रूप से वर्णित है | सुश्रुत संहिता में यष्टिमधु फल का प्रयोग विरेचनार्थ मिलता है | मुलेठी रेशेदार,गंधयुक्त तथा बहुत ही उपयोगी होती है | यह ही एक ऐसी वस्तु है जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है | मुलेठी वातपित्तशामक है | यह खाने में ठंडी होती है | इसमें ५० प्रतिशत पानी होता है | इसका मुख्य घटक ग्लीसराइज़ीन है जिसके कारण ये खाने में मीठा होता है | इसके अतिरिक्त इसमें घावों को भरने वाले विभिन्न घटक भी मौजूद हैं | मुलेठी खांसी,जुकाम,उल्टी व पित्त को बंद करती है | यह पेट की जलन व दर्द,पेप्टिक अलसर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है |
आज हम आपको मुलेठी के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -

१- मुलेठी चूर्ण और आंवला चूर्ण २-२ ग्राम की मात्रा में मिला लें | इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है |

२- मुलेठी-१० ग्राम
काली मिर्च -१० ग्राम
लौंग -०५ ग्राम
हरड़ -०५ ग्राम
मिश्री - २० ग्राम
ऊपर दी गयी सारी सामग्री को मिलाकर पीस लें | इस चूर्ण में से एक चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ चाटने से पुरानी खांसी और जुकाम,गले की खराबी,सिर दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं |

३- एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है |

४- मुलेठी को मुहं में रखकर चूंसने से मुहँ के छाले मिटते हैं तथा स्वर भंग (गला बैठना) में लाभ होता है |

५- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट और आँतों की ऐंठन व दर्द का शमन होता है |

६- फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं |

Photo: मुलेठी (यष्टीमधु ) -
      मुलेठी से हम सब परिचित हैं | भारतवर्ष में इसका उत्पादन कम ही होता है | यह अधिकांश रूप से विदेशों से आयातित की जाती है| मुलेठी की जड़ एवं सत सर्वत्र बाज़ारों में पंसारियों के यहाँ मिलता है | चरकसंहिता में रसायनार्थ यष्टीमधु का प्रयोग विशेष रूप से वर्णित है | सुश्रुत संहिता में यष्टिमधु फल का प्रयोग विरेचनार्थ मिलता है | मुलेठी रेशेदार,गंधयुक्त तथा बहुत ही उपयोगी होती है | यह ही एक ऐसी वस्तु है जिसका सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है | मुलेठी वातपित्तशामक है | यह खाने में ठंडी होती है | इसमें ५० प्रतिशत पानी होता है | इसका मुख्य घटक ग्लीसराइज़ीन है जिसके कारण ये खाने में मीठा होता है | इसके अतिरिक्त इसमें घावों को भरने वाले विभिन्न घटक भी मौजूद हैं | मुलेठी खांसी,जुकाम,उल्टी व पित्त को बंद करती है | यह पेट की जलन व दर्द,पेप्टिक अलसर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में भी बहुत उपयोगी है | 
                           आज हम आपको मुलेठी के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -

१- मुलेठी चूर्ण और आंवला चूर्ण २-२ ग्राम की मात्रा में मिला लें | इस चूर्ण को दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह- शाम चाटने से खांसी में बहुत लाभ होता है |

२- मुलेठी-१० ग्राम 
     काली मिर्च -१० ग्राम 
     लौंग    -०५ ग्राम 
      हरड़   -०५ ग्राम
     मिश्री - २० ग्राम 
     ऊपर दी गयी सारी सामग्री को मिलाकर पीस लें | इस चूर्ण में से एक चम्मच चूर्ण सुबह शहद के साथ चाटने से पुरानी खांसी और जुकाम,गले की खराबी,सिर दर्द आदि रोग दूर हो जाते हैं | 

३- एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण एक कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है | 

४- मुलेठी को मुहं में रखकर चूंसने से मुहँ के छाले मिटते हैं तथा स्वर भंग (गला बैठना) में लाभ होता है | 

५- एक चम्मच मुलेठी चूर्ण में शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से पेट और आँतों की ऐंठन व दर्द का शमन होता है | 

६- फोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वो जल्दी पक कर फूट जाते हैं |
0 0

टमाटर (रक्तवृन्ताक) Tomato (Hematopoin)


टमाटर मूलतः उष्णकटिबंधीय दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी क्षेत्रों में पाया जाता है,परन्तु अब सर्वत्र भारत में इसकी खेती की जाती है | टमाटर में कई प्रकार के पौष्टिक गुण पाये जाते हैं | टमाटर में पाये जाने वाले विटामिन गर्म करने से ख़त्म नहीं होते हैं | टमाटर में विटामिन A ,B और C तथा B काम्प्लेक्स पाया जाता है | २०० ग्राम टमाटर से लगभग ४० कैलोरी ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है | टमाटर में कैल्शियम भी अन्य फल सब्ज़ियों की तुलना में अधिक पाया जाता है | दांतों व हड्डियों की कमज़ोरी दूर करने के लिए टमाटर का सेवन बहुत उपयोगी है | इसमें लौह,पोटाश,चूना,लवण तथा मैग्नीस जैसे तत्व भी होते हैं इसलिए इसके सेवन से शरीर में रक्त की वृद्धि होती है | टमाटर लीवर,गुर्दा और अन्य रोगों को ठीक करने में लाभकारी है |
टमाटर के कुछ औषधीय प्रयोग -

१- मधुमेह की बीमारी में टमाटर का सेवन अति लाभकारी है | इसके सेवन से रोगी के मूत्र में शक्कर आना धीरे-धीरे कम हो जाता है |

२- टमाटर के सेवन से चिड़चिड़ापन और मानसिक कमज़ोरी दूर होती है | यह मानसिक थकान को दूर करके मस्तिष्क को संतुलित बनाए रखता है |

३- प्रतिदिन लगभग २०० ग्राम टमाटर के सेवन से रतौंधी और अल्पदृष्टि (आँखों से कम दिखाई देना) में लाभ होता है | इस प्रयोग से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं |

४- दिन में दो बार टमाटर या उसके रस के सेवन से कब्ज़ ख़त्म होती है तथा आमाशय व आँतों की सफाई हो जाती है |

५- जिन लोगों को मुँह में बार-बार छाले होते हों उन्हें टमाटर का सेवन अधिक करना चाहिए | टमाटर के रस में पानी मिलाकर कुल्ला करें,इससे भी मुँह के छाले ख़त्म होते हैं|

६- अगर चेहरे पर काले दाग या धब्बे हों तो टमाटर के रस में रुई भिगोकर लगाने से काले दाग-धब्बे ख़त्म हो जाते हैं |
टमाटर का उपयोग आमवात,अम्लपित्त,सूजन,संधिवात और पथरी के रोगियों को नहीं करना चाहिए,क्यूंकि यह उनके लिए हानिकारक होता है | मांसपेशियों में दर्द तथा शरीर में सूजन हो तो टमाटर नहीं खाना चाहिए |

Photo: टमाटर (रक्तवृन्ताक) -
               टमाटर मूलतः उष्णकटिबंधीय दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी क्षेत्रों में पाया जाता है,परन्तु अब सर्वत्र भारत में इसकी खेती की जाती है | टमाटर में कई प्रकार के पौष्टिक गुण पाये जाते हैं | टमाटर में पाये जाने वाले विटामिन गर्म करने से ख़त्म नहीं होते हैं | टमाटर में विटामिन  A ,B और C तथा B काम्प्लेक्स पाया जाता है | २०० ग्राम टमाटर से लगभग ४० कैलोरी ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है | टमाटर में कैल्शियम भी अन्य फल सब्ज़ियों की तुलना में अधिक पाया जाता है | दांतों व हड्डियों की कमज़ोरी दूर करने के लिए टमाटर का सेवन बहुत उपयोगी है | इसमें लौह,पोटाश,चूना,लवण तथा मैग्नीस जैसे तत्व भी होते हैं इसलिए इसके सेवन से शरीर में रक्त की वृद्धि होती है | टमाटर लीवर,गुर्दा और अन्य रोगों को ठीक करने में लाभकारी है | 
                       टमाटर के कुछ औषधीय प्रयोग -

१- मधुमेह की बीमारी में टमाटर का सेवन अति लाभकारी है | इसके सेवन से रोगी के मूत्र में शक्कर आना धीरे-धीरे कम हो जाता है | 

२- टमाटर के सेवन से चिड़चिड़ापन और मानसिक कमज़ोरी दूर होती है | यह मानसिक थकान को दूर करके मस्तिष्क को संतुलित बनाए रखता है | 

३- प्रतिदिन लगभग २०० ग्राम टमाटर के सेवन से रतौंधी और अल्पदृष्टि (आँखों से कम दिखाई देना) में लाभ होता है | इस प्रयोग से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं | 

४- दिन में दो बार टमाटर या उसके रस के सेवन से कब्ज़ ख़त्म होती है तथा आमाशय व आँतों की सफाई हो जाती है | 

५- जिन लोगों को मुँह में बार-बार छाले होते हों उन्हें टमाटर का सेवन अधिक करना चाहिए | टमाटर के रस में पानी मिलाकर कुल्ला करें,इससे भी मुँह  के छाले ख़त्म होते हैं| 

६- अगर चेहरे पर काले दाग या धब्बे हों तो टमाटर के रस में रुई भिगोकर लगाने से काले दाग-धब्बे ख़त्म हो जाते हैं | 
                                  टमाटर का उपयोग आमवात,अम्लपित्त,सूजन,संधिवात और पथरी के रोगियों को नहीं करना चाहिए,क्यूंकि यह उनके लिए हानिकारक होता है | मांसपेशियों में दर्द तथा शरीर में सूजन हो तो टमाटर नहीं खाना चाहिए |
0 0

घमौरियां या प्रिकली हीट prickly heat

गर्मी के मौसम में पसीना आना स्वाभाविक है | इस पसीने को यदि साफ़ न किया जाए तो यह शरीर में ही सूख जाता है और इसकी वजह से शरीर में छोटे -छोटे दाने निकल आते हैं जिन्हें हम घमौरियां या प्रिकली हीट कहते हैं | घमौरी एक प्रकार का चर्म रोग है जो गर्मियों तथा बरसात में त्वचा पर हो जाता है | इसमें त्वचा पर छोटे -छोटे दाने निकल आते हैं ,जिनमें हर समय खुजली होती रहती है | घमौरियों से निजात पाने के लिए हम आपको कुछ सरल उपाय बताते हैं -

१- मेंहदी के पत्तों को पीसकर नहाने के पानी में मिला लें | इस पानी से नहाने से घमौरियां ठीक हो जाती हैं |

२- देसी घी की पूरे शरीर पर मालिश करने से घमौरियां मिटती हैं |

३- शरीर पर मुल्तानी मिटटी का लेप करने से घमौरियां मिटती हैं और इनसे होने वाली जलन और खुजली में भी राहत मिलती है |

४- नारियल के तेल में कपूर मिला लें | इस तेल से रोज़ पूरे शरीर की मालिश करने से घमौरियां दूर हो जाती हैं |

५- नीम की पत्तियां पानी में उबाल लें | इस पानी से स्नान करने से घमौरियां मिटती हैं |

६- तुलसी की लकड़ी पीस लें | इसे पानी में मिलकर शरीर पर मलने से घमौरियां समाप्त हो जाती हैं |

Photo: घमौरियां या प्रिकली हीट

गर्मी के मौसम में पसीना आना स्वाभाविक है | इस पसीने को यदि साफ़ न किया जाए तो यह शरीर में ही सूख जाता है और इसकी वजह से शरीर में छोटे -छोटे दाने निकल आते हैं जिन्हें हम घमौरियां या प्रिकली हीट कहते हैं | घमौरी एक प्रकार का चर्म रोग है जो गर्मियों तथा बरसात में त्वचा पर हो जाता है | इसमें त्वचा पर छोटे -छोटे दाने निकल आते हैं ,जिनमें हर समय खुजली होती रहती है | घमौरियों से निजात पाने के लिए हम आपको कुछ सरल उपाय बताते हैं -

१- मेंहदी के पत्तों को पीसकर नहाने के पानी में मिला लें | इस पानी से नहाने से घमौरियां ठीक हो जाती हैं | 

२- देसी घी की पूरे शरीर पर मालिश करने से घमौरियां मिटती हैं | 

३- शरीर पर मुल्तानी मिटटी का लेप करने से घमौरियां मिटती हैं और इनसे होने वाली जलन और खुजली में भी राहत मिलती है | 

४- नारियल के तेल में कपूर मिला लें | इस तेल से रोज़ पूरे शरीर की मालिश करने से घमौरियां दूर हो जाती हैं | 

५- नीम की पत्तियां पानी में उबाल लें | इस पानी से स्नान करने से घमौरियां मिटती हैं | 

६- तुलसी की लकड़ी पीस लें | इसे पानी में मिलकर शरीर पर मलने से घमौरियां समाप्त हो जाती हैं |
0 0

हरी मिर्च Green chilly


हरी मिर्च लगभग पूरे भारतवर्ष में पाई जाती है | यह कई किस्मों में होती है , इसका पौधा छोटा-सा होता है | हरी मिर्च का स्वाद तीखा होता है और इसकी प्रकृति गर्म होती है | हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी
हरी मिर्च को यदि तरीके से खाया जाए अर्थात उचित मात्र में खाया जाये तो वो औषधि का भी काम करती है आइये जानते है कैसे

गर्मी के दिनों में यदि हम भोजन के साथ हरी मिर्च खाएं और फिर घर से बाहर जाएँ तो कभी भी लू नहीं लग सकती |

खून में हेमोग्लोबिन की कमी होने पर रोजाना खाने के साथ हरी मिर्च खाए कुछ ही दिन में आराम मिल जायेगा |

मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ के साथ – साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है

मिर्च के सेवन से भूख कम लगती है और बार बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।

Photo: हरी मिर्च

हरी मिर्च लगभग पूरे  भारतवर्ष में पाई जाती है | यह कई किस्मों में होती है , इसका पौधा छोटा-सा होता है | हरी मिर्च का स्वाद तीखा होता है और इसकी प्रकृति गर्म होती है |  हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी
हरी मिर्च को यदि तरीके से खाया जाए अर्थात   उचित मात्र में खाया जाये तो वो औषधि का भी काम करती है आइये जानते है कैसे

गर्मी के दिनों में यदि हम भोजन  के साथ हरी मिर्च खाएं  और फिर घर से बाहर जाएँ  तो कभी भी लू नहीं लग सकती | 

खून में हेमोग्लोबिन की कमी होने पर रोजाना खाने के साथ हरी मिर्च खाए कुछ ही दिन में आराम मिल जायेगा | 

मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ के साथ – साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है

मिर्च के सेवन से भूख  कम लगती है और बार बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
0 0

बैंगन (BRINJAL)-

बैंगन विश्व के सभी उष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है तथा भारत में विस्तृत रूप से शाक के रूप में इसकी खेती की जाती है | फल के आकार तथा रंग के भेद से यह कई प्रकार का होता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल कृषि अवस्था के ३-४ माह बाद होता है |
इसके बीजों में ल्यूपोल,मेलोंगोसाईड नामक ग्लाइकोसाइड तथा सैपोनिन पाया जाता है | इसके फल में सोलासोडिन,वसा,प्रोटीन, विटामिन A ,B ,C,कैल्शियम,फॉस्फोरस,कार्बोहाइड्रेट तथा सोलनिन पाया जाता है |
बैंगन के कुछ औषधीय प्रयोग -

१- बैंगन की सब्जी में लहसुन और हींग का छौंक लगाकर खाने से अफारा,गैस आदि दूर हो जाती है |

२- बैंगन को धीमी आग पर पकाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है |

३- बैंगन को जलाकर पीसकर कपड़े से छान लें | इसे बवासीर के मस्सों पर लगाने से दर्द में लाभ होता है |

४- बैंगन और टमाटर का सूप पीने से मंदाग्नि मिटती है और खाना सही से पचने लगता है |

५- लम्बा बैंगन श्रेष्ठ होता है,यह पाचनशक्ति और खून को बढ़ाता है |
Photo: बैंगन (BRINJAL)-
                              बैंगन विश्व के सभी उष्ण क्षेत्रों में पाया जाता है तथा भारत में विस्तृत रूप से शाक के रूप में इसकी खेती की जाती है | फल के आकार तथा रंग के भेद से यह कई प्रकार का होता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल कृषि अवस्था के ३-४ माह बाद होता है |
                        इसके बीजों में ल्यूपोल,मेलोंगोसाईड नामक ग्लाइकोसाइड तथा सैपोनिन पाया जाता है | इसके फल में सोलासोडिन,वसा,प्रोटीन, विटामिन A ,B ,C,कैल्शियम,फॉस्फोरस,कार्बोहाइड्रेट तथा सोलनिन पाया जाता है |
                        बैंगन के कुछ औषधीय प्रयोग -

१- बैंगन की सब्जी में लहसुन और हींग का छौंक लगाकर खाने से अफारा,गैस आदि दूर हो जाती है |

२- बैंगन को धीमी आग पर पकाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है |

३- बैंगन को जलाकर पीसकर कपड़े से छान लें | इसे बवासीर के मस्सों पर लगाने से दर्द में लाभ होता है |

४- बैंगन और टमाटर का सूप पीने से मंदाग्नि मिटती है और खाना सही से पचने लगता है |

५- लम्बा बैंगन श्रेष्ठ होता है,यह पाचनशक्ति और खून को बढ़ाता है |
0 0

अरुचि [ भूख न लगना ] loss of appetite

इस रोग में रोगी को भूख नहीं लगती | यदि जबरदस्ती भोजन किया भी जाय तो वह अरुचिकर लगता है | रोगी 1 या 2 ग्रास ज्यादा नहीं खा पाता और उसे बिना कुछ खाये -पिये खट्टी डकारें आने लगती हैं | इस तरह भूक न लगने अरुचि कहते हैं |
आमाशय या पाचनतंत्र में कमी होने के कारण भूख लगनी कम हो जाती है | ऐसे में यदि कुछ दिनों तक इस बात पर ध्यान न दिया जाये तो भूख लगनी बिलकुल ही बंद हो जाती है | अधिक चिंता, क्रोध , भय और घबराहट के कारण भी यकृत की ख़राबी के कारण भी भूख नहीं लगती |

विभिन्न औषधियों द्वारा अरुचि का उपचार --------

१-गेंहू के चोकर में सेंधा नमक और अजवायन मिलाकर रोटी बनाकर खाने से भूख तेज़ होती है |

२-एक सेब या सेब के रस के प्रतिदिन सेवन से खून साफ़ होता है और भूख भी लगती है |

३-एक गिलास पानी में 3 ग्राम जीरा , हींग , पुदीना , कालीमिर्च और नमक डालकर पीने से अरुचि दूर होती है |

४-अजवायन में स्वाद के अनुसार कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से अरुचि दूर होती है |

५-प्रतिदिन मेथी में छौंकी गई दाल या सब्ज़ी के सेवन से भूख बढ़ती है |

६-नींबू को काटकर इसमें सेंधा नमक डालकर भोजन से पहले चूसने से कब्ज़ दूर होकर पाचनक्रिया तेज़ हो जाती है |

Photo: अरुचि [ भूख  न लगना ]
        
           इस रोग में रोगी को भूख नहीं लगती | यदि जबरदस्ती भोजन  किया  भी जाय तो वह अरुचिकर लगता है | रोगी 1 या 2 ग्रास  ज्यादा नहीं खा पाता और उसे बिना कुछ खाये -पिये खट्टी डकारें आने लगती हैं | इस तरह भूक न लगने  अरुचि कहते हैं | 
    आमाशय या पाचनतंत्र में कमी होने के कारण भूख लगनी कम हो जाती है | ऐसे में यदि कुछ दिनों तक इस बात पर ध्यान न दिया जाये तो भूख लगनी बिलकुल ही बंद हो जाती  है |  अधिक चिंता, क्रोध , भय और घबराहट के कारण भी यकृत की ख़राबी के कारण भी भूख नहीं लगती | 
           
                            विभिन्न औषधियों द्वारा अरुचि का उपचार --------

१-गेंहू के चोकर में सेंधा नमक और अजवायन मिलाकर रोटी बनाकर खाने से भूख तेज़ होती है | 

२-एक सेब या सेब के रस के प्रतिदिन सेवन से खून साफ़ होता है और भूख भी लगती है | 

३-एक गिलास पानी में 3 ग्राम जीरा , हींग , पुदीना , कालीमिर्च  और नमक डालकर पीने से अरुचि दूर होती है | 

४-अजवायन में स्वाद के अनुसार कालानमक मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से अरुचि दूर होती है | 

५-प्रतिदिन मेथी में छौंकी गई दाल या सब्ज़ी के सेवन से भूख बढ़ती है | 

६-नींबू को काटकर इसमें सेंधा नमक डालकर भोजन से पहले चूसने से कब्ज़ दूर होकर पाचनक्रिया तेज़ हो जाती है |
0 0

Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...