फिट और सुडौल द‌िखने के लिए टाइट ब्रा महिलाओं की पहली पसंद Tight bra is the first choice of women to look fit and shapely.

फिट और सुडौल द‌िखने के लिए टाइट ब्रा महिलाओं की पहली पसंद है लेकिन सोते वक्त इन्हें पहनें या नहीं पहनें, यह संशय महिलाओं में बना ही रहता है। अगर आप भी ऐसी ही किसी उधेड़बुन हैं तो सोते वक्त टाइट ब्रा को बाय कहें क्योंकि सेहत के लिहाज से इसके कई नुकसान हैं।
सोते समय ब्रा पहनने के नुकसान
आप जिस ब्रा का चुनाव करते हैं वह बहुत अधिक टाइट (कसी हुई) और कठोर नहीं होना चाहिए। जब सोते समय ब्रा पहनने की बात होती हैं तो यह आपका व्यक्तिगत चुनाव होता है। कई महिलाओं को सोते समय ब्रा पहनना आरामदायक लगता है जबकि कुछ महिलायें सोते समय ब्रा पहनने के दुष्परिणामों से चिंतित रहती हैं। यदि आप हल्की, नॉन अंडरवायर ब्रा या कैमिसोल स्टाईल पजामा टॉप्स जिसमें इनबिल्ट ब्रा हो, पहनती हैं तो आप आराम से सो सकती है
ब्‍लड सर्कुलेशन नहीं होता
सोते समय ब्रा पहनने से रक्त के परिसंचरण में रूकावट आती है। यदि आप इलास्टिक वाली टाइट फिट ब्रा पहनते हैं तो ऐसा होने की संभावना होती है। इसके स्थान पर स्पोर्ट्स ब्रा का विकल्प चुनें जो अधिक आरामदायक होता है।
पिग्‍मेंटटेशन या रंजकता
ब्रा के लगातार उपयोग से उस स्थान पर पिगमेंटेशन बढ़ जाता है जहाँ इलास्टिक होता है। सोते समय ब्रा पहनने से यह बढ़ जाता है। सोते समय ब्रा पहनने से होने वाले दुष्परिणामों से बचने के लिए नरम और ढ़ीली ढाली ब्रा पहनें। आरामदायक ब्रा उन महिलाओं के लिए सहायक होती है जो या तो गर्भवती हैं या जो स्तनपान करवाती हैं।
नींद मे परेशानी
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि शांत और अच्छी नींद इस बात पर निर्भर करती है कि सोते समय आप कितने आराम से सोते हैं। यदि आप टाइट ब्रा पहनते हैं तो आप आराम महसूस नहीं करेंगे और इसके कारण निश्चित रूप से ही आपकी नींद ख़राब होगी। सिंथेटिक कपड़े जैसे पॉलिएस्टर या लिनेन से बनी ब्रा के स्थान पर कॉटन से बनी ब्रा पहनें।
बेचैनी
सोते समय टाइट ब्रा पहनने से त्वचा में जलन हो सकती है तथा इसके कारण आपको रात में बेचैनी भी हो सकती है। इससे नींद के दौरान असुविधा हो सकती है जिसके कारण आपके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसके कारण आपके स्तनों को भी तकलीफ़ हो सकती है। टाइट फिटिंग ब्रा पहनने से त्वचा में जलन हो सकती है। रात के लिए स्पोर्ट्स ब्रा पहनना भी एक अच्छा विकल्प है।
थकान महसूस होना
सोते वक्त टाइट ब्रा पहनने से रक्त संचार में अवरोध होता है ज‌िससे शरीर को अधिक ऊर्जा की जरूरत पड़ती है और थकान अधिक होती है। ऐसे में सुबह उठने के बाद भी थकान और कमजोरी महसूस होती है।टाईट ब्रा को पहनने से ब्रेस्‍ट में हवा नहीं लग पाती है और त्‍वचा में खुजली होती है। कई बार खराब ब्रा को पहनकर सो जाने से रैशेज भी पड़ जाते है। इसलिए हमेशा सही साइज और कॉटन की ब्रा पहनें।
सूजन
यदि आप नियमित तौर पर टाइट ब्रा का उपयोग करते हैं तो इसके कारण लसिका रूकावट की समस्या आ सकती है। इसके कारण इस रूकावट से जुड़ी हुई अन्य समस्याएं भी आ सकती हैं। इसमें सूजन या स्तन में द्रव पदार्थ का जमा होना आदि समस्या हो सकती है। सोते समय ब्रा पहनने का यह एक गंभीर दुष्परिणाम हो सकता है।
कैंसर :-
इस बारे में अभी तक कई शोध और अध्‍ययन हो चुके है। रात में टाईट ब्रा पहनकर न ही सोंए, वरना सही तरीके से रक्‍त संचार न होने के कारण कैंसर की सेल्‍स सक्रिय होने में देर नहीं करेगी। शरीर के किसी भी हिस्‍से में सिस्‍ट या ल्‍यूम्‍पस का बनना स्‍वाभाविक है और यह कैंसर नहीं होता है। रात में लगातार सालों तक ब्रा पहनने से ऐसी गांठे, स्‍तनों में बनने का खतरा बढ़ जाता है जो समस्‍या उत्‍पन्‍न कर देती है
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गंजेपन का सफल इलाज Successful treatment of baldness

मैं काफी दिनों से देख रहा हूँ के लोग बालो कि समसया से काफ़ी परेशान हैं. जैसे की बाल झड़ना या बाल रहना ही ना.... तो उन सबके लिए एक बहुत ही आसान सा उपाय बता रहा हूँ कृपया लाभ उठायें......
कनेर के 60-70 ग्राम पत्ते (लाल या पीली दोनों में से कोई भी या दोनों ही एक साथ ) ले के उन्हें पहले अच्छे से सूखे कपडे से साफ़ कर लें ताकि उनपे जो मिटटी है वो निकल जाये.,. अब एक लीटर सरसों का तेल या नारियल का तेल या जेतून का तेल ले के उसमे पत्ते काट काट के डाल दें. अब तेल को गरम करने के लिए रख दें. जब सारे पत्ते जल कर काले पड़ जाएँ तो उन्हें निकाल कर फेंक दें और तेल को ठण्डा कर के छान लें और किसी बोटल में भर के रख लें.....
पर्योग विधि :- रोज़ जहाँ जहाँ पर भी बाल नहीं हैं वहां वहां थोडा सा तेल ले के बस 2 मिनट मालिश करनी है और बस फिर भूल जाएँ अगले दिन तक. ये आप रात को सोते हुए भी लगा सकते हैं और दिन में काम पे जाने से पहले भी... बस एक महीने में आपको असर दिखना शुरू हो जायेगा.. सिर्फ 10 दिन के अन्दर अन्दर बाल झड़ने बंद हो जायेंगे या बहुत ही कम... और नए बाल भी एक महीने तक आने शुरू हो जायेंगे......
नोट : ये उपाय पूरी तरह से tested है.. हमने कम से कम भी 10 लोगो पे इसका सफल परीक्षण किया है. एक औरत के 14 साल से बाल झड़ने बंद नहीं हो रहे थे. इस तेल से मात्र 6 दिन में बाल झड़ने बंद हो गये. 65 साल तक के आदमियों के बाल आते देखे हैं इस प्रयोग से जिनका के हमारे पास data भी पड़ा है.. आप भी लाभ उठायें और अगर किसी को फरक पड़े तो कृपया हमे जरुर बताये...
चेतावनी: कनेर के पौधे में जो रस होता है वो बहुत ज़हरीला होता है. तो ये सिर्फ बाहरी प्रयोग के लिए है कोई गलती से भी इसे खाए न..
धन्यवाद ...
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मधुमेह के लिए घरेलू उपचार home remedies for diabetes

मधुमेह के लिए घरेलू उपचार
1. औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को लीजिए। इन तीनों को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में फायदा होता है।
2. डायबिटीज के मरीजों के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होता है। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है। हर रोज खाने के बाद सौंफ खाना चाहिए।
3. मधुमेह के रोगियों को जामुन खाना चाहिए। काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। जामुन को काले नमक के साथ खाने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
4. स्टीविया का पौधा मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। स्टीविया बहुत मीठा होता है लेकिन शुगर फ्री होता है। स्टीविया खाने से पैंक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है।
5. डायबिटीज के मरीजों को शतावर का रस और दूध का सेवन करना चाहिए। शतावर का रस और दूध को एक समान मात्रा में लेकर रात में सोने से पहले मधुमेह के रोगियों को सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है।
6. मधुमेह मरीजो को नियमित रूप से नीम के चार से पांच पत्तो का सेवन करना चाहिए।
7. चार चम्मच आंवले का रस, गुड़मार की पत्ती मिलाकर काढ़ बनाकर पीने मधुमेह नियंत्रण में रहता है।
8. गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं।
9. मधुमेह के रोगियों को खाने को अच्छे से चबाकर खाना चाहिए। अच्छे से चबाकर खाने से भी मधुमेह को नियंत्रण में किया जा सकता है।
10. मधुमेह रोगियों को नियमित व्यायाम और योग करना चाहिए।
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अंग को बड़ा और मोटा करना.... लिंग में वृद्धि .. लिंग मज़बूत हो जाता है..Enlargement and thickening of the organ.. Enlargement of the penis.. The penis becomes stronger..

आज के युवा पीढ़ी की एक आवश्यकता है जो प्रश्न बार बार पूछा जाता है कि...सर मुझे अपने अंग को बड़ा और मोटा करना है उपाय बताये ...एक होड़ सी आई दिखती है जबकि 4" पुरुष का अंग भी पर्याप्त होता है स्त्री को संतुस्ट करने के लिए सिर्फ आवश्यकता इस बात की है कि आप बलवान हो और अधिक देर तक सहवास कर सके...!
फिर भी कुछ लोगो की जानकारी हेतु कुछ प्रयोग नीचे दिए जा रहे है...
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* शतावर, असगंधा, कूठ, जटामांसी और कटेहली के फल को 4 गुने दूध में मिलाकर या तेल में पकाकर लेप करने से लिंग मोटा होता है और लिंग की लम्बाई भी बढ़ जाती है।
* कूटकटेरी, असगंध, वच और शतावरी को तिल के तेल में जला कर लिंग पर लेप करने से लिंग में वृद्धि होती है
* असगंध चूर्ण को चमेली के तेल के साथ खूब मिलाकर लिंग पर लगाने से लिंग मज़बूत हो जाता है
* एक लौंग को चबाकर उसकी लार को लिंग के पिछले भाग पर लगाने से संभोग करने की शक्ति तेज हो जाती है।
* सुखा जौ पीस कर तिल के तेल में मिला कर लिंग पर लगाने से सारे दोष दूर हो जाते हैं
* 20 ग्राम लोंग को 50 ग्राम तिल के तेल में जला कर मालिश करने से लिंग में मजबूती आती है
* सुअर की चर्बी और शहद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करने से लिंग में मजबूती आती है।
* हींग को देशी घी में मिलाकर लिंग पर लगा लें और ऊपर से सूती कपड़ा बांध दें। इससे कुछ ही दिनों में लिंग मजबूत हो जाता है।
* भुने हुए सुहागे को शहद के साथ पीसकर लिंग पर लेप करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है।
* जायफल को भैंस के दूध में पीसकर लिंग पर लेप करने के बाद ऊपर से पान का पत्ता बांधकर सो जाएं। सुबह इस पत्ते को खोलकर लिंग को गर्म पानी से धो लें। इस क्रिया को लगभग 3 सप्ताह करने से लिंग पुष्ट हो जाता है।
* शहद को बेलपत्र के रस में मिलाकर लेप करने से हस्तमैथुन के कारण होने वाले विकार दूर हो जाते हैं और लिंग मजबूत हो जाता है।
* रीठे की छाल और अकरकरा को बराबर मात्रा में लेकर शराब में मिलाकर खरल कर लें। इसके बाद लिंग के आगे के भाग को छोड़कर लेप करके ऊपर से ताजा साबुत पान का पत्ता बांधकर कच्चे धागे से बांध दें। इस क्रिया को नियमित रूप से करने से लिंग मजबूत हो जाता है।
* बकरी के घी को लिंग पर लगाने से लिंग मजबूत होता है और उसमें उत्तेजना आती है।
* बेल के ताजे पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर लगाने से लिंग में ताकत पैदा हो जाती है।
* धतूरा, कपूर, शहद और पारे को बराबर मात्रा में मिलाकर और बारीक पीसकर इसके लेप को लिंग के आगे के भाग (सुपारी) को छोड़कर बाकी भाग पर लेप करने से संभोग शक्ति तेज हो जाती है।
* असगंध, मक्खन और बड़ी भटकटैया के पके हुए फल और ढाक के पत्ते का रस, इनमें से किसी भी एक चीज का प्रयोग लिंग पर करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली बनता है।
* पालथ लंगी का तेल, सांडे का तेल़, वीर बहूटी का तेल, मोर की चर्बी, रीछ की चर्बी, दालचीनी का तेल़, आधा भाग लौंग का तेल, 4 भाग मछली का तेल को एकसाथ मिलाकर कांच के चौड़े मुंह में भरकर रख लें। इसमें से 8 से 10 बूंदों को लिंग पर लगाकर ऊपर से पान के पत्ते को गर्म करके बांध लें। इस क्रिया को लगातार 1 महीने तक करने से लिंग का ढीलापन समाप्त हो जाता है़, लिंग मजबूत बनता है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
* हीरा हींग को शुद्ध शहद में मिलाकर लिंग पर लेप करने से शीघ्रपतन का रोग जल्दी दूर हो जाता है। लिंग पर इस मलहम अर्थात लेप को लगाने के बाद शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी अपनी मर्जी से स्त्री के साथ संभोग करने का समय बढ़ा सकता है।
* 10 ग्राम दालचीनी का तेल और 30 ग्राम जैतून के तेल को एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करते रहने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है, संभोग करने की शक्ति बढ़ती है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
* काले धतूरे की पत्तियों के रस को टखनों पर लगाकर सूखने के बाद संभोग करने से संभोगक्रिया पूरी तरह से और संतुष्टि के साथ संपन्न होती है।
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कच्ची हल्दी के 10 सेहतमंद गुण 10 healthy properties of raw turmeric

कच्ची हल्दी के 10 सेहतमंद गुण 10 healthy properties of raw turmeric
1. कच्ची हल्दी में कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। यह खासतौर पर पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर के कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने के साथ साथ उन्हें खत्म भी कर देती है। यह हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से होने वाले ट्यूमर से भी बचाव करती है।
2. हल्दी में सूजन को रोकने का खास गुण होता है। इसका उपयोग गठिया रोगियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है। यह शरीर के प्राकृतिक सेल्स को खत्म करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है और गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।
3. कच्ची हल्दी में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने का गुण होता है। इस प्रकार यह मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है। इंसुलिन के अलावा यह ग्लूकोज को नियंत्रित करती है जिससे मधुमेह के दौरान दी जाने वाली उपचार का असर बढ़ जाता है। परंतु अगर आप जो दवाइयां ले रहे हैं बहुत बढ़े हुए स्तर (हाई डोज) की हैं तो हल्दी के उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।
4. शोध से साबित हो चका है कि हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होता है इससे शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी इस तरह से शरीर में बैक्टेरिया की समस्या से बचाव करती है। यह बुखार होने से रोकती है। इसमें शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।
5. हल्दी के लगातार इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल सेरम का स्तर शरीर में कम बना रहता है। कोलेस्ट्रोल सेरम को नियंत्रित रखकर हल्दी शरीर को ह्रदय रोगों से सुरक्षित रखती है।
6. कच्ची हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं। इसमें इंफेक्शन से लडने के गुण भी पाए जाते हैं। इसमें सोराइसिस जैसे त्वचा संबंधि रोगों से बचाव के गुण होते हैं।
7. हल्दी का उपयोग त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने में बहुत कारगर है। इसके एंटीसेप्टीक गुण के कारण भारतीय संस्कृति में विवाह के पूर्व पूरे शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया जाता है।
8. कच्ची हल्दी से बनी चाय अत्यधिक लाभकारी पेय है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
9. हल्दी में वजन कम करने का गुण पाया जाता है। इसका नियमित उपयोग से वजन कम होने की गति बढ़ जाती है।
10. शोध से साबित होता है कि हल्दी लीवर को भी स्वस्थ रखती है। हल्दी के उपयोग से लीवर सुचारु रुप से काम करता रहता है।
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खुनी बवासीर का एक दिन में इलाज Treatment of bloody piles in one day

नारियल की जटा से करे खुनी बवासीर का एक दिन में इलाज।

इस इलाज से एक दिन में ही रक्तस्राव बंद हो जाता है। बड़ा सस्ता व सरल उपाय है। एक बार इसको ज़रूर अपनाये।
उपाय इस प्रकार हैं।
नारियल की जटा लीजिए। उसे माचिस से जला दीजिए। जलकर भस्म बन जाएगी। इस भस्म को शीशी में भर कर ऱख लीजिए। कप डेढ़ कप छाछ या दही के साथ नारियल की जटा से बनी भस्म तीन ग्राम खाली पेट दिन में तीन बार सिर्फ एक ही दिन लेनी है। ध्यान रहे दही या छाछ ताजी हो खट्टी न हो। कैसी और कितनी ही पुरानी पाइल्स की बीमारी क्यों न हो, एक दिन में ही ठीक हो जाती है।
सचमुच मुझे भी ऐसा ही चमत्कार देखने को मिला। उस मरीज को जो पंद्रह दिन से खूनी बवासीर के कारण परेशान था, एक दिन में ही आराम हो गया। स्वामीजी ने लिखा है कि यह नुस्खा किसी भी प्रकार के रक्तस्राव को रोकने में कारगर है। महिलाओं के मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव या श्वेत प्रदर की बीमारी में भी कारगर है। हैजा, वमन या हिचकी रोग में यह भस्म एक घूँट पानी के साथ लेनी चाहिए। ऐसे कितने ही नुस्खे हिन्दुस्तान के मंदिरों और मठों में साधु संन्यासियों द्वारा आजमाए हुए हैं। इन पर शोध किया जाना चाहिए।
पुनः कुछ लोगों ने मुझे फोन कर सवाल किया कि खाली पेट दिन में तीन बार लेना अर्थार्थ दिन भर भोजन नहीं करना है क्या। मेरा सुझाव है कि दवा लेने के एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक कुछ न खाएं तो चलेगा। अगर रोग ज्यादा जीर्ण हो और एक दिन दवा लेने से लाभ न हो तो दो या तीन दिन लेकर देखिए।
हम आपके लिए भारत के कोने कोने से आयुर्वेद के अनसुने चमत्कार ले कर आते हैं, आप भी इनको शेयर कर के ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुंचाए। और ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को पेज लाइक करने के लिए कहे।
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चर्मरोग skin disease

एक कष्टदायक रोग......चर्मरोग। यह पूरे शरीर की चमड़ी पर कहीं भी हो सकता है। अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई न होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लम्बे समय तक पेट में रहने के कारण उनका मल नसों द्वारा अवशोषित कर खून में मिलने से तरह तरह के चर्मरोग सहित शारीरिक अन्य बीमारियां पनपने लगती हैं जो मानव के लिए अति हानिकारक होती है।
दाद के लक्षण :-
दाद में खुजली बहुत ज्यादा होती है की आप उसे खुजाते ही रहते हैं। खुजाने के बाद इसमे जलन होती है व छोटे-छोटे दाने होते हैं।
दाद ज्यादातर जननांगों में जोड़ोें के पास और जहाँ पसीना आता है व कपड़ा रगड़ता है, वहां पर होता है। वैसे यह शरीर में कहीं भी हो सकता है।
खाज (खुजली) :-
इसमें पूरे शरीर में सफेद रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इन्हें फोड़ने पर पानी जैसा तरल निकलता है जो पकने पर गाढ़ा हो जाता है। इसमें खुजली बहुत होती है, यह बहुधा हांथो की उंगलियों के बीच में तथा पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है। इसको खुजाने को बार-बार इच्छा होती है और जब खुजा देते है तो बाद में असह्य जलन होती है। यह छुतहाएवं संक्रामक रोग है। रोगी का तौलिया व चादर उपयोग करने पर यह रोग आगे चला जाता है, अगर रोगी के हाथ में रोग हो और उससे हांथ मिलायें तो भी यह रोग सामने वाले को हो जाता है।
उकवत (एक्जिमा) :-
दाद, खाज, खुजली जाति का एक रोग उकवत भी है, जो अत्यंत कष्टकारी है। रोग का स्थान लाल हो जाता है और उस पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इसमे चकत्ते तो नही पड़ते परन्तु यह शरीर में कहीं भी हो जाता है। यह दो तरह का होता है। एक सूखा और दूसरा गीला। सूखे से पपड़ी जैसी भूसी और गीले से मवाद जैसा निकलता रहता है। अगर यह सर में हो जाये तो उस जगह के बाल झड़ने लगते हैं।
गजचर्म
चर्मदख :-
शरीर के जिस भाग का रंग लाल हो, जिसमें बराबर दर्द रहे, खुजली होती रहे और फोड़े फैलकर जिसका चमड़ा फट जाय तथा किसी भी पदार्थ का स्पर्श न सह सके, उसे चर्मदख कहते हैं।
विचर्चिका तथा विपादिका :-
इस रोग में काली या धूसर रंग की छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, जिनमें से पर्याप्त मात्रा में मवाद बहता है और खुजली भी होती है तथा शरीर में रूखापन की वजह से हाथों की चमड़ी फट जाती है, तो उसे विचर्चिका कहते हैं। अगर पैरों की चमड़ी फट जाय और तीव्र दर्द हो, तो उसे विपादिता कहते हैं। इन दोनों में मात्र इतना ही भेद है।
पामा और कच्छु :-
यह भी अन्य चर्म रोगों की तरह एक प्रकार की खुजली ही है। इसमें भी छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं। उनमें से मवाद निकलता है, जलन होती है और खुजली भी बराबर होती रहती है। अगर यही फुन्सियां बड़ी-बड़ी और तीव्र दाहयुक्त हों तथा विशेष कमर या कूल्हे में हो तो उसे कच्छू कहते है।
चर्मरोग चिकित्सा
दाद, खाज, खुजली में आंवलासार गंधक को गौमूत्र के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम लगायें। इससे दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
शुद्ध किया हुआ आंवलासार गंधक एक रत्ती को 10 ग्राम गौमूत्र के अर्क के साथ 90 दिन लगातार पीने से समस्त चर्मरोगों में लाभ होता है।
एक्जिमा (चर्म रोगों में लगाने का महत्व) :-
कालीमिर्च, मुरदाशंख, कलईवाला नौसादर 10-10 ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इसमे घी मिलाकर एक्जिमा पर दिन में तीन बार लगाने से कुछ दिनों में यह जड़ से खत्म हो जायेगा।
आंवलासार गंधक 50 ग्राम, राल 10 ग्राम, मोम (शहद वाला) 10 ग्राम, सिन्दूर शुद्ध 10 ग्राम। पहले गंधक को तिल के तेल में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब गन्धक तेल में घुल जाए तो उसमें सिन्दूर व अन्य दवायें पाउडर करके मिला दें। सिन्दूर का रंग काला होने तक इन्हे पकायें और आग से नीचे उतारकर गरम-गरम ही उसी बर्तन में घोंटकर मल्हम (पेस्ट) जैसा बना लें। यह मल्हम एग्जिमा, दाद, खाज, खुजली, अपरस आदि समस्त चर्मरोगों में लाभकारी है। सही होने तक दोनों टाइम लगायें।
दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा, अकौता, अपरस का मरहम :-
गन्धक 10 ग्राम, पारा 3 ग्राम, मस्टर 3 ग्राम, तूतिया 3 ग्राम, कबीला 15 ग्राम, रालकामा 15 ग्राम। इन सब को कूट-पीसकर कपड़छान करके एक शीशी में रख लें। दाद रोग में मिट्टी के तेल (केरोसीन) में लेप बनाकर लगाएँ, खाज में सरसों के तेल के साथ मिलाकर सुबह-शाम लगायें। अकौता एग्जिमा में नीम के तेल में मिलाकर लगायें। यह दवा 10 दिन में ही सभी चर्मरोगो में पूरा आराम देती है।
चर्म रोग नाशक अर्क :-
शुद्ध आंवलासार गंधक, ब्रह्मदण्डी, पवार (चकौड़ा) के बीज, स्वर्णछीरी की जड़, भृंगराज का पंचांग, नीम के पत्ते, बाबची, पीपल की छाल, इन सभी को 100 -100 ग्राम की मात्रा में लेकर व 10 ग्राम छोटी इलायची जौ कुट कर शाम को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह इन सभी का अर्क निकाल लें। यह अर्क 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट मिश्री के साथ पीने से समस्त चर्म रोगों में लाभ करता है। इसके प्रयोग से खून शुद्ध होता है। इसके सेवन से चेहरे की झाइयाँ, आँखों के नीचे का कालापन, मुहासे, फुन्सियां, दाद, खाज, खुजली, अपरस, अकौता, कुष्ठ आदि समस्त चर्मरोगों में पूर्णतः लाभ होता है।
रक्त शोधक :-
दिन में एक-दो चम्‍मच अलसी के बीजों के तेल का सेवन करना त्‍वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। बेहतर रहेगा कि इसका सेवन किसी अन्‍य आहार के साथ ही किया जाए।
रीठे के छिलके के पाउडर में शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह एक गोली अधबिलोई दही के साथ और शाम को पानी के साथ निगल लें। उपदंश, खाज, खुजली, पित्त, दाद और चम्बल के लिए पूर्ण लाभप्रद है।
सिरस की छाल का पाउडर 6 ग्राम सुबह व शाम शहद के साथ 60 दिन सेवन करें। इससे सम्पूर्ण रक्तदोष सही होते हैं।
अनन्तमूल, मुलहटी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचन्दन, शनाय और असगन्ध 100 -100 ग्राम तथा सौंफ, पीपल, इलायची, गुलाब के फूल 50 -50 ग्राम। सभी को जौकुट करके एक डिब्बे में भरकर रख लें। एक चम्मच 200 ग्राम पानी में धीमी आंच में पकाएं और जब पानी 50 ग्राम रह जाय तब उसे छानकर उसके दो भाग करके सुबह और शाम मिश्री मिलाकर पिये। यह क्वाथ रक्त विकार, उपदंश, सूजाक के उपद्रव, वातरक्त और कुष्ठरोग को दूर करता है।
विजेन्द्र गौतम's photo.
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स्‍तनों का आयुर्वेदिक उपचार Ayurvedic treatment of breasts

स्‍तन कैंसर का घरेलू उपचार
१ * एक ग्‍लास पानी में हर्बल ग्रीन टी को आधा होने तक उबालें और फिर उसे पीएं। यह फाएदेमंद होती है।
२ * रोज अंगूर या अनार का जूस पीने से स्‍तन कैंसर से बचा जा सकता है।
३ * सोंठ, नमक, मूली, सरसों, शमी और सहिजन के बीज को बराबर मात्रा में लेकर खटटे छाछ में पीसकर स्‍तनों पर लेप करें। एक घंटे बाद नमक की पोटली से दस – पन्‍द्रह मिनट तक सिंकाई करें। आराम मिलेगा।
४ * रोज लहसुन का सेवन करने से स्‍तन कैंसर की संभावना को रोका जा सकता है।
५ * पोई के पत्‍तों को पीसकर पिण्‍ड बनाकर लेप करने तथा पत्‍तों द्धारा अच्‍छी तरह ढंककर पटटी बांधने से शुरूआती अवस्‍था का कैंसर ठीक हो जाता है।
स्‍तनों की सूजन
१ * गेंदे की पत्तियों को कपड़े में लपेट कर बांध लें। फिर इसके ऊपर गीली मिटटी का लेप लगा दें। फिर कपड़े की इस पोटली को उस आग की भटटी में रखें जो ठंडी होने वाली हो। फिर जब पोटली के ऊपर की मिटटी लाल हो जाए, तब उसे बाहर निकालें और पत्तियों को अलग कर लें। इसके बाद इन्‍हीं पत्तियों को स्‍तनों पर बांधें।
२ * धतूरे की पत्‍ते और हल्‍दी को पीसकर स्‍तनों पर लेप करने से स्‍तनों की सूजन में आराम मिलता है।
३ * अजवायन का तेल को गुनगुना करके २ – ३ बार स्‍तनों की मालिश करें और फिर अरंड का पत्‍ता बांध दें। सूजन में आराम मिलेगा।
४ * स्‍तनों में यदि सूजन के साथ साथ दर्द भी हो तो इंद्रायण की जड़ को पीसकर लेप बना लें और फिर इसे गर्म करके स्‍तनों पर लेप करने से दर्द कम होता है और सूजन भी कम हो जाती है।
५ * धृतकुमारी यानि ऐलोवेरा के गूदे में हल्‍दी मिलाकर थोड़ा सा गर्म करके लेप करने से सूजन कम हो जाती है।
अविकसित स्‍तन तथा छोटे स्‍तनों को बड़े करने के उपाय
१ * यदि स्‍तन अविकसित तथा छोटे हैं तो बादाम के तेल की नियमित मालिश करने से स्‍तन विकसित व पुष्‍ट हो जाते हैं।
२ * अश्‍वगंधा और शताबरी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्णं बनाएं और फिर एक – एक चम्‍मच चूर्णं सुबह शाम दूध के साथ ४५ से ६० दिनों तक खाएं। आपकी चिंता का समाधान होगा।
३ * महानारायण तेल की मसाज से भी अविकसित स्‍तन आकर्षक हो जाते हैं।
४ * पीपरी का चूर्णं २० ग्राम, काली मिर्च का चूर्ण २० ग्राम, अश्‍वगंधा का चूर्णं १५० ग्राम, सोंठ का चूर्णं ७५ ग्राम, लेकर शुद्ध घी में भून लें और फिर आधा किलो पुराने गुड़ की चाशनी बनाकर भूने गए चूर्णं को चाशनी में मिलाकर रख लें। इसे रोज २० – २५ ग्राम मात्रा में रोज गुनगुने दूध के साथ खाने से स्‍तन आकर्षक और पुष्‍ट होते हैं।
५ * खाने में फल, दालें, ताज़ा सब्जियां, काजू, दूध, दही, घी, अंडे, कच्‍चा नारियल व नींबू आदि का सेवन जरूर करें। यह स्‍तनों का अच्‍छी तरह पोषण करते हैं।
अतिस्‍थूल स्‍तन (बड़े तथा लटके हुए स्‍तन)
१ * यदि स्‍तन स्‍थूल हैं तो सबसे पहले आप वसा युक्‍त भोजन खाना बंद कर दें। जैसे कि दूध, घी, मलाई, मक्‍खन तथा मिठाईं आदि। यदि मांसाहारी हैं तो मांस से परहेज करें।
२ * काली गाय के दूध में सफेद मोथा पीसकर लेप करने से स्‍तनों के ढीलेपन में कमी आती है और स्‍तन कठोर होते हैं।
३ * महानारायण तेल स्‍तनों पर लगाकर उंगलियों से दबाकर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें। मालिश के बाद गुनगुने पानी की धार स्‍तनों पर डालें १० मिनट गुनगुने पानी की धार डालने से स्‍तनों की चर्बी घटेगी और सौंदर्य वापस लौट आएगा।
स्‍तनों का थनैला रोग
१ * नींबू के रस में शहद मिलाकर स्‍त्‍नों पर लेप करने से थनैला में बहुत लाभ होता है।
२ * मोगरे के फूलों को पीस कर स्‍तनों पर लेप करके बांध दें। सुबह शाम इस प्रक्रिया को करने से थनैला रोग दो – तीन दिन में ही ठीक हो जाता है।
३ * अरहर की दाल (तुअर दाल) आम की गुठली और जौ को पानी में एक साथ पीसकर दिन में तीन – चार बार लेप करने से बहुत आराम मिलता है।
४ * गेंहू, जौ और मूंग का बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ गर्म करके तकलीफ वाले स्‍थान पर लगाने से आराम मिलता है।
५ * सहिजन की छाल को महीन पीसकर उसका गर्म लेप करने से थनैला बिना पके ही बैठने लगता है।
६ * दस ग्राम काली मिर्च और ५ ग्राम दालचीनी पीसकर इसकी एक खुराक बनाएं। दिन में तीन बार तीन खुराकें २० ग्राम शहद में मिलाकर खाएं। थनैला का उपचार हो गया।
७ * १२५ ग्राम नीम के पत्‍तों को लेकर एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो उतारकर कपड़े से छानकर थनैला को धोएं। आराम मिलेगा।
८ * हरा धनिए की पत्तियों को पीसकर हल्‍का गर्म करके लेप करें। बहुत आराम मिलेगा।
९ * हल्‍दी और धतूरे के पत्‍ते समान मात्रा में लेकर पीस लें। फिर गर्म करके थनैला पर लेप करें। आराम मिलेगा
स्तन सुद्रढ़ करने का उपाय
अनार का पंचाग अर्थात जड़, तना,पत्ती,फल व फूल(केवल फल से दाने निकाल कर खा सकते हैं)
माजूफल
शतावर
छोटी इलायची
कमल गटटे की मींग
लसोड़े की पत्तियाँ
सभी औषधीय द्रव्यों को बरावर लेकर बारीक पिसवा लें या महीन पीस लें।फिर आवस्यकतानुसार एक से तीन चम्मच तक लेकर पानी मिलाकर पेस्ट सा बना लें।इसे रोजाना रात को लगाकर सोयें कुछ ही दिनो में स्तन सुद्रण हो जाएगें।रोजाना रात को अश्वगंधा चूर्ण भी 6 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करते रहें।
इसके अलाबा अनार पंचाग का तेल भी लगा सकते हैं यह बाजार से मिल जाए तो अच्छा अगर न मिले तो अनार पंचाग लेकर सरसों के तेल में पकाकर छान कर रख लें इस तेल के द्वारा 2-3 बार मालिस करने से भी स्तन सुद्रण होगें ।
नोट- स्तनों पर सरसों के इसी तेल से करीब आधा घंटा हल्के हाथ से मालिश करें। नीचे से ऊपर की ओर करें। फिर दस पंद्रह ठंडे पानी की पट्टियां एक के बाद एक रखते रहें। स्तन का आकार बढ़ेगा। नोट - स्तनों की मालिश हमेंशा नीचे से ऊपर की ओर ही करनी चाहिये।
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आयुर्वेद द्वारा पेट कम करने का उपाय Ways to reduce belly fat by Ayurveda

तोंद कम करने के 51 सरल उपाय
शरीर पर चरबी का अधिक होना मोटापे का सबसे बड़ा लक्षण होता है। गलत तरह से खान-पान करना, रहन सहन में भी गलत तरीके प्रयोग करना आदि जैसी वजह से पेट बाहर निकल जाता है। और कमर की चरबी अधिक हो जाती है। धीरे-धीरे मोटापा गर्दन, हाथ और पैरों तक फैल जाता है। यानी इन जगहों पर चरबी अधिक हो जाती है। शरीर पूरी तरह से चरबी युक्त हो जाता है। और इंसान को चलने फिरने में भी दिक्कतों के साथ-साथ कई गंभीर बीमारीयों के होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है। आइये आपको बताते है कमर की चरबी को कम कैसे करें। आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है
भूख से कम ही भोजन का सेवन करें। जितनी भूख है उससे कम ही खाना खायें। इससे पेट का आकार नहीं बढ़ता और पाचन भी ठीक रहता है। कम भोजन करने से पेट में गैस नहीं बनती है। कोशिश करें कि दिन में 2 बार शौच जाएं।सुबह उठते ही एक गिलास गरम पानी मे आधा नींबू निचोड़कर पीएं। इसमे एक चम्मच शहद मिलाकर पिएंगे तो ज्यादा फायदा होगा। इससे मेटाबोलिज़म तेज होता है और चर्बी जलती है।
अदरक को टुकड़ों मे काट लें फिर एक कप पानी मे उबालें। 10 मिनिट तक उबालने के बाद अदरक बाहर निकाल दें और इसे चाय की तरह पीएं।
लहसुन मे मोटापा कम करने के तत्व होते हैं। एक कप मामूली गरम पानी मे एक नींबू निचोड़ें। लहसुन की तीन जवे इस पानी के साथ लें। चर्बी कम करने का उम्दा उपाय है। रोज सुबह खाली पेट लें.
बादाम मे मौजूद ओमेगा 3 फेटी एसिड अनावश्यक पेट की चर्बी हटाने मे सहायक है। रोज रात को 9 बादाम पानी मे गलाए और सुबह इनको छीलकर खाएं।
भोजन से आधे घंटे पूर्व एक चम्मच एप्पल सायडर वेनेगर को एक गिलास पानी मे मिलाकर पीएं।इससे ज्यादा केलोरी जलती है और चर्बी कम होती है।
पुदेने के पत्ते और हरा धनिया के पत्ते पीस लें ,इसमे नमक और नींबू का रस मिलाकर चटनी तैयार करे। भोजन के साथ प्रयोग करें। इससे मेटाबोलिज़म तेज होता है और फालतू चर्बी खत्म होती है।
एलोवेरा का जूस पीने से चर्बी पेट मे जमा नही होती| आधा गिलास गरम पानी मे 2 चम्मच एलोवेरा जूस और एक चम्मच जीरा मिश्रण करें। रोज सुबह खाली पेट लें और लेने के बाद एक घंटे तक कुछ न खाएं। चर्बी कम करने का बेहतरीन उपचार है।
अपनी दिनचर्या मे कसरत और मॉर्निंग वाक को आवश्यक रूप से शामिल करें।
मोटापे से मुक्ति का एक और बड़ा सरल उपाय यह है कि भोजन के तुरंत बाद पानी का सेवन न करें। भोजन करने के लगभग 1 घंटे के बाद ही पानी पीयें। इससे कमर का मोटाप नहीं बढ़ता है। और यह तरीका पेट को कम करने में भी मददगार होता है।
भोजन में अधिक से अधिक जौ से बने आटे की रोटियों का इस्तेमाल करें। गेहूं के आटे की रोटी का सेवन बिलकुल कम कर दें। जौ शरीर में मौजूद अतरिक्त चरबी को कम कर देता है। जिससे कमर और पेट की चरबी कम हो जाती है।
वजन कम करने और अतरिक्त चरबी को कम करने के लिए आपको यह भी पता होना चाहिए कि भोजन में किन चीजों को इस्तेमाल करें और किन का नहीं। आपको चावल, आलू और चपाती का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए साथ ही खाने में कच्चा सलाद, सब्जी और मिक्स वेज का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
हमेशा खाना भूख लगने पर ही खाएं। खाना खाते वक्त यह बात जरूर ध्यान रखें कि खाने को मुंह में अच्छी तरह से बारीकी से चबाकर खाएं ताकि आसानी से भोजन गले से नीचे उतर सके।
सुबह के नाश्ते में आप चना, मूंग और सोयाबीन को अधिक से अधिक खाने में उपयोग करें। अंकुरित अनाज में आपको भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व आपको मिलेगें। जो मोटापा को बढ़ने नहीं देगें। दलिया को भी आप अपने नाश्ते में जरूर शामिल करें।
कमर की अधिक चरबी को कम करने के लिए आपको अपने खाने में हरी सब्जियों का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। आप मेथी, पालक, चैलाई की सब्जी को अपने खाने में शमिल करें। हरी सब्जियों में मौजूद कैल्श्यिम और फाइबर आपके शरीर में पोषक तत्वों को पहुंचाते हैं। और इनसे आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
गर्मियों में दही या मट्ठा के सेवन करने से शरीर के चरबी घटती है। दिन में 2 से 3 बार मट्ठा का सेवन करें।
सुबह खाली पेट गरम पानी में 2 चम्मच शहद डालकर 2 महीने तक सेवन करने से कमर का मोटापा कम होता है। इसके अलावा तेल की मालिश करने से भी कमर की चरबी को कम किया जा सकता है।
छिलके वाली दाल का प्रयोग
वजन कम करने के लिए छिलके वाली दाल का प्रयोग करें। इसमें प्रोटीन की मात्रा कम होती है। रोजाना सेवन करने से कोलेस्ट्राल की मात्रा भी शरीर में कम होती है जिसकी वजह से वजन कम हो जाता है।
सलाद का सेवन
सुबह हो या शाम आपको सलाद का सेवन जरूर करना है। इससे आपको कम कैलोरी और हाई फाइबर मिलता है जो कमर की चरबी को आसानी से कम करता है।
खाना खाने के बाद एक गिलास गर्म पानी को घूंट लेकर पीएं आपका मोटापा कम होगा।
बाहर निकला हुआ पेट अंदर करने के आसान घरेलू तरीके
नियमित रूप से पपीता का सेवन करें। पपीता हर मौसम में मिलता है। यह पेट की चर्बी को जल्दी घटाता है।
पत्तागोभी का जूस रोज पीएं। इसकी आदत डाल लें। इस जूस में चर्बी को घटाने के गुण होते हैं।
जितना हो सके आलू, चावल और शक्कर का सेवन कम से कम कर दें। क्योंकि इनमें अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है।
गेहूं के आटे की रोटी खाने की बजाए सोयाबीन, चना और गेहूं के आटे को मिलाकर यानी मिश्रित आटे की रोटी का सेवन करें।
छाछ भी तेजी से वजन घटाती है इसलिए एक दिन में दो से तीन बारी छाछ का सेवन करें।
अपने खाने में दही का इस्तेमाल जरूर करें। पेट को अंदर करने के लिए दही सेवन फायदेमंद है।
हल्दी और आंवले के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला लें और इसे छाछ के साथ मिलाकर पीएं। यह कमर को बिलकुल पतला और स्लिम बनाती है।
यदि मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो अपने खाने में हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करें। नए शोध में बताया गया है कि वजन कम करने के लिए सबसे आसान तरीका है मिर्च को खाना। मिर्च में कैप्साइसिन तत्व पाया जाता है जो भूख को कम करता है और इससे उर्जा की खपत बढ़ती है और वजन नियंत्रण में रहता है।
2 चम्मच शहद को एक चम्मच पुदीने के रस में मिलाकर नियमित लेने से पेट अंदर होता है और वजन भी घटता है।
पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा जल्दी कम होता है।
फलों और सब्जियों में कैलोरी कम होती है इसलिए जितना हो सके आप फलों और सब्जियों का सेवन अधिक करें। केवल चीकू और केला न खाएं। ये मोटापा बढ़ाते हैं।
टमाटर का 250 ग्राम रस 3 महीने तक सुबह खाली पेट लें। यह बहार निकले हुए पेट को अंदर कर देगा।
सलाद में प्याज और टमाटर खाएं और इसमें नमक और काली मिर्च का पउडर डालें। सलाद खाने से पेट जल्दी भरता है और वजन नियंत्रित होता है।
वजन कम करना कठिन नहीं है बस आपको अपने खान-पान में थोड़ा चेंज करना है। जिससे आप पतले और स्लिम होने लगोगे। जितना हो सके फास्ट फूड से परहेज करें। क्योंकि एक बार मोटापा बढ़ता है तब यह आसानी से घटता नहीं है जिस वजह से उम्र तो अधिक लगने लगती है साथ ही अनेक बीमारीयां भी शरीर पर लगने लगती है।
आपको अपने जीवन शैली में एक छोटा सा परिवर्तन लाना जरूरी है। जैसे चढ़ने और उतरने के लिए सीढ़ी का इस्तेमाल करें। साईक्लिंग करना, जाॅगिंग, टहलना, और व्यायाम जरूर करें। एैसा करने से आपकी कमर की चरबी तो कम होगी ही साथ ही आपको मोटापे से मुक्ति मिल जाएगी। इसलिए आप इन घरेलू उपायों को अपनाकर पेट की चर्बी को कम कर सकते हो।
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रोजाना 2 चम्मच शहद +1 गिलास दूध 2 teaspoon honey +1 glass milk daily

शहद और दूध दोनों ही संपूर्ण आहार व सेहत के लिए बहुत गुणकारी माने जाते हैं - दरअसल दूध पीने व शहद खाने दोनों सेही कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं - मगर दूध और शहद दोनों को साथ लिया जाए तो इनके गुण दोगुने हो जाते हैं !
वैसे तो शहद अपने एंटीबैक्टिरियल - एंटीआक्सीडेंट व एंटीफंगल गुणों के कारण सदियों से उपयोग में लाया जाता रहा है
- लेकिन श्वसन से जुड़ी परेशानियों में यह विशेष रूप से फायदेमंद है !
दूध में विटामिन ए - बी - सी - डी - कैल्शियम - प्रोटीन व लैक्टिक एसिड आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं !
इन दोनों को साथ में लेने पर कई अनोखे स्वास्थ्य लाभ होते हैं !
दूध और शहद को साथ लेने के फायदे ....
स्किन केयर :-
शहद व दूध दोनों ही सुक्ष्म जीवियों को खत्म करते हैं - इन्हें साथ लेने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है व स्किन चमकदार होने लगती है !
दूध व शहद को बराबर मात्रा में मिला लें उतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर नहाने से पहले शरीर पर लगाएं - स्किन निखर जाएगी !
एंटीबैक्टीरियल :-
शहद व दूध एक साथ लेने पर एंटीबैक्टीरियल प्रापर्टी की तरह काम करता है - इससे हानिकारक बैक्टीरिया शरीर पर आक्रमण नहीं कर पाते हैं व सर्दी - खांसी आदि समस्याएं दूर ही रहती है !
डायजेशन :-
रोजाना एक गिलास दूध में दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से डायजेस्टिव सिस्टम में सुधार होता है !
कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है !
इसे रोजाना लेने से पेट व आंत से जुड़ी समस्याएं नहीं होती हैं !
एंटीएजिंग :-
दूध और शहद लेने न केवल त्वचा स्वस्थ होती है - बल्कि शरीर को भी आराम मिलता है !प्राचीन समय से ही ग्रीक - रोमन - इजिप्ट - भारत आदि देशों में जवान दिखने के लिए एंटीएजिंग प्रापर्टी के रूप में दूध व शहद का सेवन किया जाता रहा है !
अनिद्रा :-
दूध व शहद साथ लेना अनिद्रा रोग को दूर करने का एक प्राचीन नुस्खा है - क्योंकि दूध व शहद लेने से इंसुलिन का स्त्रावण नियंत्रित रहता है - जिससे दिमाग में ट्रिप्टोफेन का सही मात्रा में स्त्रावण होता है !
ट्रिप्टोफेन सिरोटोनिन में बदल जाता है सिरटोनिन मेलेटोनिन में परिवर्तित होकर दिमाग को रिलेक्स करता है व अनिद्रा की समस्या को दूर करता है !
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Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...