गर्भ धारण कैसे करें? how to get pregnant? गर्भ धारण करने के आसान तरीके

यह देखने में आया है कि नव विवाहित स्त्रियों में 8० प्रतिशत एक साल के अन्दर ही गर्भ धारण करने में कामयाब हो जाती है| यदि एक साल तक प्रयास करने पर भी बच्चा ना हो तो यह समस्या का विषय हो सकता है , और ऐसे जोड़े को इनफरटाईल समझा जाता हैं.
बच्चा पैदा होने के लिए दम्पती के बीच सम्भोग का होना अनिवार्य है. और इसके दौरान पुरुष का लिंग स्त्री की योनी में प्रविष्ट होकर स्त्री की योनी में शुक्राणु उत्सर्जित करने होंगे , जिससे शुक्राणु गर्भाशय के मुख के पास इकठ्ठा हो जायेगे|. यह प्रक्रिया सेक्स के दौरान स्वत: ही हो जाती है , इसलिए इसकी चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है.
इसके आलावा सम्भोग अंडाणु उत्सर्जन के समय के आस-पास होना चाहिए. यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे महिलाओं के अंडाशय से अंडे निकलते हैं| अंडाणु उत्सर्जन मासिक धर्म चक्र का भाग होता है, जो कि ऋतू स्राव के चौदहवें दिन, जब रक्त स्राव शुरू हो जाता है तब शुरू होता है.
१) बच्चा पैदा करने की योजना करने के लिए सबसे पहिले स्त्री-पुरुष दोनों को अपने प्रजनन अंगों की भली प्रकार चिकित्सकीय जांच कराना चाहिए| प्रजनन अंगों के दोषों का पता लगाकर इलाज कराना चाहिए| बच्चा पैदा करने के लिए महिलाओं में सेक्स के दौरान चरम आल्हाद (orgasm ) होना अनिवार्य नहीं है| दरअसल स्त्री की फेलोपियन नलिका जो कि अंडे को अंडाशय से गर्भाशय तक ले जाती है , शुक्राणु को अपने अन्दर खींच लेती है और उसे अंडाणु से मिलाने की कोशिश करती है. और इसके लिए महिलाओं में ओर्गास्म का आना जरूरी नहीं है
2) अंडाणु उत्सर्जन के समय के आस-पास सम्भोग करें-
स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चा पैदा करने के लिए स्त्री के अंडाणु अंडाशय से निकलने के 24 घंटे के अन्दर ही निषेचित होने चाहियें. पुरुष के शुक्राणु स्त्री के प्रजनन पथ में 48 से 72 घंटे तक ही जीवित रह सकते हैं. चूँकि बच्चा पैदा करने के लिए आवश्यक भ्रूण अंडाणु और शुक्राणु के मिलन से ही बनता है , इसलिए दंपत्ति को अंडाणु उत्सर्जन के दौरान कम से कम ४८ घंटे में एक बार ज़रूर सम्भोग करना चाहिए और इस दौरान पुरुष को स्त्री के ऊपर होना चाहिए ताकि शुक्राणु के लीकेज की सम्भावना कम हो.|
अंडाणु उत्सर्जन का समय कैसे पता करें ?
अंडाणु उत्सर्जन का समय पता करने का अर्थ है उस समय का पता करना जब स्त्री के अंडाशय से निषेचन के लिए तैयार अंडाणु निकले| इसे जानने के लिए आपको अपने मासिक-धर्म का अंदाजा होना चाहिए| यह 24 से 40 दिन के बीच हो सकता है.| अब यदि आप को अपने अगले मासिक धर्म होने का अंदाजा है तो आप उससे 12 से 16 दिन पहले का समय पता कर लीजिये , यही आपका अंडाणु उत्सर्जन का समय होगा .
उदाहरण के तौर पर यदि मासिक धर्म की शुरुआत 30 तारीख को होनी है तो 14 से 18 तारिख का समय अंडाणु उत्सर्जन का समय होगा.
बच्चा पैदा करने के लिए उपयुक्त समय का पता करने का एक और तरीका है स्त्री की योनी से निकलने वाले चिपचिपे तरल को अपने ऊँगली पर लीजिये और उसकी elasticity check कीजिये, जब ये अधिक और देर तक लचीला रहे तो समझ जाइये कि अंडाणु उत्सर्जन हुआ है और अब आप बच्चा पैदा करने के लिए सम्भोग कर सकते हैं.
3) एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं -
बच्चा पैदा करने के अवसर बढ़ाने के लिए बेहद आवश्यक है कि पति-पत्नी एक स्वस्थ्य- जीवनशैली बनाये रखें. इससे होने वाली संतान भी अच्छी होगी. खाने – पीने में पर्याप्त भोजन और फल की मात्रा रखें .विटामिन प्राप्त होने से पुरुष-स्त्री दोनों की प्रजनन शक्ति बढती है | रोजाना घूमने और योग करने से भी फायदा होता है.
ध्यान देने योग्य है कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में गर्भ धारण करने के अवसर काफी हद तक घट जाते हैं|
4) तनाव-मुक्त रहने का प्रयास करें:
इसमें कोई शक नहीं है कि अत्यधिक तनाव आपके प्रजनन कार्य में बाधा डालेगा. तनाव से कामेच्छा समाप्त हो सकती है , और स्त्रियों में रजस्वला होने की प्रक्रिया में बाधा पड सकती है| एक शांत मन आपके शरीर पर अच्छा प्रभाव डालता है और आपके गर्भ धारण करने की सम्भावना को बढाता है इसके लिए आप अनुलोम विलोम प्राणायाम का सहारा ले सकते हैं|
5) अंडकोष को ज्यादा गर्मी से बचाएँ :
ध्यान रहे शुक्राणु ज्यादा तापमान में मृत हो सकते हैं. इसीलिए अंडकोष जहाँ शुक्राणु का निर्माण होता है शरीर के बाहर होते हैं ताकि वो ठंडे रह सकें| गरम पानी के टब में न बैठें| जो लोग आग की भट्टी या किसी गरम स्थान पर देर तक काम करते हैं उन्हें सावधान रहने की ज़रुरत है
6) सेक्स के बाद थोड़ी देर आराम करें:
सेक्स के बाद थोड़ी देर लेटे रहने से महिलाओं की योनी से शुक्राणु के निकलने के अवसर नहीं रहते. इसलिए सेक्स के बाद 15-20 मिनट लेटे रहना ठीक रहता है.
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Tips for weight loss

1) सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इनका
सेवन अधिक मात्रा में करें। केला और चीकू न खाएं। इनसे
मोटापा बढ़ता है। पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा
कम होता है।
2) खाने के साथ टमाटर और प्याज का सलाद काली मिर्च व
नमक डालकर खाएं। इनसे शरीर को विटामिन सी, विटामिन
ए, विटामिन के, आयरन, पोटैशियम, लाइकोपीन और ल्यूटिन
मिलेेगा। इन्हें खाने के बाद खाने से पेट जल्दी भर जाएगा और
वजन नियंत्रित हो जाएगा।
3) पपीता नियमित रूप से खाएं। यह हर सीजन में मिल जाता
है। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की अतिरिक्त चर्बी
कम होती है।
4) दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है।
छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।
5) छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान
लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ के साथ
लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।
6) आंवले व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें।
इस चूर्ण को छाछ के साथ लेंं। कमर एकदम पतली हो जाएगी।
7) मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो खाने में कटी हुई हरी
मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू
पाया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम
करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए
जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा
की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
8) दो बड़े चम्मच मूली के रस में शहद मिलाकर बराबर मात्रा
में पानी के साथ पिएं। ऐसा करने से 1 माह के बाद मोटापा
कम होने लगेगा।
9) मालती की जड़ को पीसकर शहद मिलाकर खाएं और
छाछ पिएं। प्रसव के बाद होने वाले मोटापे में यह रामबाण
की तरह काम करता हैै।
10) रोज सुबह-सुबह एक गिलास ठंडे पानी में दो चम्मच शहद
मिलाकर पिएं। इस घोल को पीने से शरीर से वसा की
मात्रा कम होती है।
11) ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं से परहेज करें।
ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं से परहेज करें। शक्कर,
आलू और चावल में अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है। ये चर्बी
बढ़ाते हैं।
12) केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं, सोयाबीन और
चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।
13) रोज पत्तागोभी का जूस पिएं। पत्तागोभी में चर्बी
घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही रहता
है।
14) एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते
रहने से मोटापा कम होता है।
15) सुबह उठते ही 250 ग्राम टमाटर का रस 2-3 महीने तक
पीने से वसा में कमी होती है।
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फिट और सुडौल द‌िखने के लिए टाइट ब्रा महिलाओं की पहली पसंद Tight bra is the first choice of women to look fit and shapely.

फिट और सुडौल द‌िखने के लिए टाइट ब्रा महिलाओं की पहली पसंद है लेकिन सोते वक्त इन्हें पहनें या नहीं पहनें, यह संशय महिलाओं में बना ही रहता है। अगर आप भी ऐसी ही किसी उधेड़बुन हैं तो सोते वक्त टाइट ब्रा को बाय कहें क्योंकि सेहत के लिहाज से इसके कई नुकसान हैं।
सोते समय ब्रा पहनने के नुकसान
आप जिस ब्रा का चुनाव करते हैं वह बहुत अधिक टाइट (कसी हुई) और कठोर नहीं होना चाहिए। जब सोते समय ब्रा पहनने की बात होती हैं तो यह आपका व्यक्तिगत चुनाव होता है। कई महिलाओं को सोते समय ब्रा पहनना आरामदायक लगता है जबकि कुछ महिलायें सोते समय ब्रा पहनने के दुष्परिणामों से चिंतित रहती हैं। यदि आप हल्की, नॉन अंडरवायर ब्रा या कैमिसोल स्टाईल पजामा टॉप्स जिसमें इनबिल्ट ब्रा हो, पहनती हैं तो आप आराम से सो सकती है
ब्‍लड सर्कुलेशन नहीं होता
सोते समय ब्रा पहनने से रक्त के परिसंचरण में रूकावट आती है। यदि आप इलास्टिक वाली टाइट फिट ब्रा पहनते हैं तो ऐसा होने की संभावना होती है। इसके स्थान पर स्पोर्ट्स ब्रा का विकल्प चुनें जो अधिक आरामदायक होता है।
पिग्‍मेंटटेशन या रंजकता
ब्रा के लगातार उपयोग से उस स्थान पर पिगमेंटेशन बढ़ जाता है जहाँ इलास्टिक होता है। सोते समय ब्रा पहनने से यह बढ़ जाता है। सोते समय ब्रा पहनने से होने वाले दुष्परिणामों से बचने के लिए नरम और ढ़ीली ढाली ब्रा पहनें। आरामदायक ब्रा उन महिलाओं के लिए सहायक होती है जो या तो गर्भवती हैं या जो स्तनपान करवाती हैं।
नींद मे परेशानी
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि शांत और अच्छी नींद इस बात पर निर्भर करती है कि सोते समय आप कितने आराम से सोते हैं। यदि आप टाइट ब्रा पहनते हैं तो आप आराम महसूस नहीं करेंगे और इसके कारण निश्चित रूप से ही आपकी नींद ख़राब होगी। सिंथेटिक कपड़े जैसे पॉलिएस्टर या लिनेन से बनी ब्रा के स्थान पर कॉटन से बनी ब्रा पहनें।
बेचैनी
सोते समय टाइट ब्रा पहनने से त्वचा में जलन हो सकती है तथा इसके कारण आपको रात में बेचैनी भी हो सकती है। इससे नींद के दौरान असुविधा हो सकती है जिसके कारण आपके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसके कारण आपके स्तनों को भी तकलीफ़ हो सकती है। टाइट फिटिंग ब्रा पहनने से त्वचा में जलन हो सकती है। रात के लिए स्पोर्ट्स ब्रा पहनना भी एक अच्छा विकल्प है।
थकान महसूस होना
सोते वक्त टाइट ब्रा पहनने से रक्त संचार में अवरोध होता है ज‌िससे शरीर को अधिक ऊर्जा की जरूरत पड़ती है और थकान अधिक होती है। ऐसे में सुबह उठने के बाद भी थकान और कमजोरी महसूस होती है।टाईट ब्रा को पहनने से ब्रेस्‍ट में हवा नहीं लग पाती है और त्‍वचा में खुजली होती है। कई बार खराब ब्रा को पहनकर सो जाने से रैशेज भी पड़ जाते है। इसलिए हमेशा सही साइज और कॉटन की ब्रा पहनें।
सूजन
यदि आप नियमित तौर पर टाइट ब्रा का उपयोग करते हैं तो इसके कारण लसिका रूकावट की समस्या आ सकती है। इसके कारण इस रूकावट से जुड़ी हुई अन्य समस्याएं भी आ सकती हैं। इसमें सूजन या स्तन में द्रव पदार्थ का जमा होना आदि समस्या हो सकती है। सोते समय ब्रा पहनने का यह एक गंभीर दुष्परिणाम हो सकता है।
कैंसर :-
इस बारे में अभी तक कई शोध और अध्‍ययन हो चुके है। रात में टाईट ब्रा पहनकर न ही सोंए, वरना सही तरीके से रक्‍त संचार न होने के कारण कैंसर की सेल्‍स सक्रिय होने में देर नहीं करेगी। शरीर के किसी भी हिस्‍से में सिस्‍ट या ल्‍यूम्‍पस का बनना स्‍वाभाविक है और यह कैंसर नहीं होता है। रात में लगातार सालों तक ब्रा पहनने से ऐसी गांठे, स्‍तनों में बनने का खतरा बढ़ जाता है जो समस्‍या उत्‍पन्‍न कर देती है
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गंजेपन का सफल इलाज Successful treatment of baldness

मैं काफी दिनों से देख रहा हूँ के लोग बालो कि समसया से काफ़ी परेशान हैं. जैसे की बाल झड़ना या बाल रहना ही ना.... तो उन सबके लिए एक बहुत ही आसान सा उपाय बता रहा हूँ कृपया लाभ उठायें......
कनेर के 60-70 ग्राम पत्ते (लाल या पीली दोनों में से कोई भी या दोनों ही एक साथ ) ले के उन्हें पहले अच्छे से सूखे कपडे से साफ़ कर लें ताकि उनपे जो मिटटी है वो निकल जाये.,. अब एक लीटर सरसों का तेल या नारियल का तेल या जेतून का तेल ले के उसमे पत्ते काट काट के डाल दें. अब तेल को गरम करने के लिए रख दें. जब सारे पत्ते जल कर काले पड़ जाएँ तो उन्हें निकाल कर फेंक दें और तेल को ठण्डा कर के छान लें और किसी बोटल में भर के रख लें.....
पर्योग विधि :- रोज़ जहाँ जहाँ पर भी बाल नहीं हैं वहां वहां थोडा सा तेल ले के बस 2 मिनट मालिश करनी है और बस फिर भूल जाएँ अगले दिन तक. ये आप रात को सोते हुए भी लगा सकते हैं और दिन में काम पे जाने से पहले भी... बस एक महीने में आपको असर दिखना शुरू हो जायेगा.. सिर्फ 10 दिन के अन्दर अन्दर बाल झड़ने बंद हो जायेंगे या बहुत ही कम... और नए बाल भी एक महीने तक आने शुरू हो जायेंगे......
नोट : ये उपाय पूरी तरह से tested है.. हमने कम से कम भी 10 लोगो पे इसका सफल परीक्षण किया है. एक औरत के 14 साल से बाल झड़ने बंद नहीं हो रहे थे. इस तेल से मात्र 6 दिन में बाल झड़ने बंद हो गये. 65 साल तक के आदमियों के बाल आते देखे हैं इस प्रयोग से जिनका के हमारे पास data भी पड़ा है.. आप भी लाभ उठायें और अगर किसी को फरक पड़े तो कृपया हमे जरुर बताये...
चेतावनी: कनेर के पौधे में जो रस होता है वो बहुत ज़हरीला होता है. तो ये सिर्फ बाहरी प्रयोग के लिए है कोई गलती से भी इसे खाए न..
धन्यवाद ...
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मधुमेह के लिए घरेलू उपचार home remedies for diabetes

मधुमेह के लिए घरेलू उपचार
1. औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को लीजिए। इन तीनों को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में फायदा होता है।
2. डायबिटीज के मरीजों के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होता है। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है। हर रोज खाने के बाद सौंफ खाना चाहिए।
3. मधुमेह के रोगियों को जामुन खाना चाहिए। काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। जामुन को काले नमक के साथ खाने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
4. स्टीविया का पौधा मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। स्टीविया बहुत मीठा होता है लेकिन शुगर फ्री होता है। स्टीविया खाने से पैंक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है।
5. डायबिटीज के मरीजों को शतावर का रस और दूध का सेवन करना चाहिए। शतावर का रस और दूध को एक समान मात्रा में लेकर रात में सोने से पहले मधुमेह के रोगियों को सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है।
6. मधुमेह मरीजो को नियमित रूप से नीम के चार से पांच पत्तो का सेवन करना चाहिए।
7. चार चम्मच आंवले का रस, गुड़मार की पत्ती मिलाकर काढ़ बनाकर पीने मधुमेह नियंत्रण में रहता है।
8. गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं।
9. मधुमेह के रोगियों को खाने को अच्छे से चबाकर खाना चाहिए। अच्छे से चबाकर खाने से भी मधुमेह को नियंत्रण में किया जा सकता है।
10. मधुमेह रोगियों को नियमित व्यायाम और योग करना चाहिए।
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अंग को बड़ा और मोटा करना.... लिंग में वृद्धि .. लिंग मज़बूत हो जाता है..Enlargement and thickening of the organ.. Enlargement of the penis.. The penis becomes stronger..

आज के युवा पीढ़ी की एक आवश्यकता है जो प्रश्न बार बार पूछा जाता है कि...सर मुझे अपने अंग को बड़ा और मोटा करना है उपाय बताये ...एक होड़ सी आई दिखती है जबकि 4" पुरुष का अंग भी पर्याप्त होता है स्त्री को संतुस्ट करने के लिए सिर्फ आवश्यकता इस बात की है कि आप बलवान हो और अधिक देर तक सहवास कर सके...!
फिर भी कुछ लोगो की जानकारी हेतु कुछ प्रयोग नीचे दिए जा रहे है...
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* शतावर, असगंधा, कूठ, जटामांसी और कटेहली के फल को 4 गुने दूध में मिलाकर या तेल में पकाकर लेप करने से लिंग मोटा होता है और लिंग की लम्बाई भी बढ़ जाती है।
* कूटकटेरी, असगंध, वच और शतावरी को तिल के तेल में जला कर लिंग पर लेप करने से लिंग में वृद्धि होती है
* असगंध चूर्ण को चमेली के तेल के साथ खूब मिलाकर लिंग पर लगाने से लिंग मज़बूत हो जाता है
* एक लौंग को चबाकर उसकी लार को लिंग के पिछले भाग पर लगाने से संभोग करने की शक्ति तेज हो जाती है।
* सुखा जौ पीस कर तिल के तेल में मिला कर लिंग पर लगाने से सारे दोष दूर हो जाते हैं
* 20 ग्राम लोंग को 50 ग्राम तिल के तेल में जला कर मालिश करने से लिंग में मजबूती आती है
* सुअर की चर्बी और शहद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करने से लिंग में मजबूती आती है।
* हींग को देशी घी में मिलाकर लिंग पर लगा लें और ऊपर से सूती कपड़ा बांध दें। इससे कुछ ही दिनों में लिंग मजबूत हो जाता है।
* भुने हुए सुहागे को शहद के साथ पीसकर लिंग पर लेप करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली हो जाता है।
* जायफल को भैंस के दूध में पीसकर लिंग पर लेप करने के बाद ऊपर से पान का पत्ता बांधकर सो जाएं। सुबह इस पत्ते को खोलकर लिंग को गर्म पानी से धो लें। इस क्रिया को लगभग 3 सप्ताह करने से लिंग पुष्ट हो जाता है।
* शहद को बेलपत्र के रस में मिलाकर लेप करने से हस्तमैथुन के कारण होने वाले विकार दूर हो जाते हैं और लिंग मजबूत हो जाता है।
* रीठे की छाल और अकरकरा को बराबर मात्रा में लेकर शराब में मिलाकर खरल कर लें। इसके बाद लिंग के आगे के भाग को छोड़कर लेप करके ऊपर से ताजा साबुत पान का पत्ता बांधकर कच्चे धागे से बांध दें। इस क्रिया को नियमित रूप से करने से लिंग मजबूत हो जाता है।
* बकरी के घी को लिंग पर लगाने से लिंग मजबूत होता है और उसमें उत्तेजना आती है।
* बेल के ताजे पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर लगाने से लिंग में ताकत पैदा हो जाती है।
* धतूरा, कपूर, शहद और पारे को बराबर मात्रा में मिलाकर और बारीक पीसकर इसके लेप को लिंग के आगे के भाग (सुपारी) को छोड़कर बाकी भाग पर लेप करने से संभोग शक्ति तेज हो जाती है।
* असगंध, मक्खन और बड़ी भटकटैया के पके हुए फल और ढाक के पत्ते का रस, इनमें से किसी भी एक चीज का प्रयोग लिंग पर करने से लिंग मजबूत और शक्तिशाली बनता है।
* पालथ लंगी का तेल, सांडे का तेल़, वीर बहूटी का तेल, मोर की चर्बी, रीछ की चर्बी, दालचीनी का तेल़, आधा भाग लौंग का तेल, 4 भाग मछली का तेल को एकसाथ मिलाकर कांच के चौड़े मुंह में भरकर रख लें। इसमें से 8 से 10 बूंदों को लिंग पर लगाकर ऊपर से पान के पत्ते को गर्म करके बांध लें। इस क्रिया को लगातार 1 महीने तक करने से लिंग का ढीलापन समाप्त हो जाता है़, लिंग मजबूत बनता है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
* हीरा हींग को शुद्ध शहद में मिलाकर लिंग पर लेप करने से शीघ्रपतन का रोग जल्दी दूर हो जाता है। लिंग पर इस मलहम अर्थात लेप को लगाने के बाद शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी अपनी मर्जी से स्त्री के साथ संभोग करने का समय बढ़ा सकता है।
* 10 ग्राम दालचीनी का तेल और 30 ग्राम जैतून के तेल को एक साथ मिलाकर लिंग पर लेप करते रहने से शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती है, संभोग करने की शक्ति बढ़ती है। इस क्रिया के दौरान लिंग को ठंडे पानी से बचाना चाहिए।
* काले धतूरे की पत्तियों के रस को टखनों पर लगाकर सूखने के बाद संभोग करने से संभोगक्रिया पूरी तरह से और संतुष्टि के साथ संपन्न होती है।
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कच्ची हल्दी के 10 सेहतमंद गुण 10 healthy properties of raw turmeric

कच्ची हल्दी के 10 सेहतमंद गुण 10 healthy properties of raw turmeric
1. कच्ची हल्दी में कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। यह खासतौर पर पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर के कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकने के साथ साथ उन्हें खत्म भी कर देती है। यह हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से होने वाले ट्यूमर से भी बचाव करती है।
2. हल्दी में सूजन को रोकने का खास गुण होता है। इसका उपयोग गठिया रोगियों को अत्यधिक लाभ पहुंचाता है। यह शरीर के प्राकृतिक सेल्स को खत्म करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करती है और गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।
3. कच्ची हल्दी में इंसुलिन के स्तर को संतुलित करने का गुण होता है। इस प्रकार यह मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है। इंसुलिन के अलावा यह ग्लूकोज को नियंत्रित करती है जिससे मधुमेह के दौरान दी जाने वाली उपचार का असर बढ़ जाता है। परंतु अगर आप जो दवाइयां ले रहे हैं बहुत बढ़े हुए स्तर (हाई डोज) की हैं तो हल्दी के उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह अत्यंत आवश्यक है।
4. शोध से साबित हो चका है कि हल्दी में लिपोपॉलीसेच्चाराइड नाम का तत्व होता है इससे शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हल्दी इस तरह से शरीर में बैक्टेरिया की समस्या से बचाव करती है। यह बुखार होने से रोकती है। इसमें शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाने के गुण होते है।
5. हल्दी के लगातार इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल सेरम का स्तर शरीर में कम बना रहता है। कोलेस्ट्रोल सेरम को नियंत्रित रखकर हल्दी शरीर को ह्रदय रोगों से सुरक्षित रखती है।
6. कच्ची हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण होते हैं। इसमें इंफेक्शन से लडने के गुण भी पाए जाते हैं। इसमें सोराइसिस जैसे त्वचा संबंधि रोगों से बचाव के गुण होते हैं।
7. हल्दी का उपयोग त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने में बहुत कारगर है। इसके एंटीसेप्टीक गुण के कारण भारतीय संस्कृति में विवाह के पूर्व पूरे शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया जाता है।
8. कच्ची हल्दी से बनी चाय अत्यधिक लाभकारी पेय है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
9. हल्दी में वजन कम करने का गुण पाया जाता है। इसका नियमित उपयोग से वजन कम होने की गति बढ़ जाती है।
10. शोध से साबित होता है कि हल्दी लीवर को भी स्वस्थ रखती है। हल्दी के उपयोग से लीवर सुचारु रुप से काम करता रहता है।
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खुनी बवासीर का एक दिन में इलाज Treatment of bloody piles in one day

नारियल की जटा से करे खुनी बवासीर का एक दिन में इलाज।

इस इलाज से एक दिन में ही रक्तस्राव बंद हो जाता है। बड़ा सस्ता व सरल उपाय है। एक बार इसको ज़रूर अपनाये।
उपाय इस प्रकार हैं।
नारियल की जटा लीजिए। उसे माचिस से जला दीजिए। जलकर भस्म बन जाएगी। इस भस्म को शीशी में भर कर ऱख लीजिए। कप डेढ़ कप छाछ या दही के साथ नारियल की जटा से बनी भस्म तीन ग्राम खाली पेट दिन में तीन बार सिर्फ एक ही दिन लेनी है। ध्यान रहे दही या छाछ ताजी हो खट्टी न हो। कैसी और कितनी ही पुरानी पाइल्स की बीमारी क्यों न हो, एक दिन में ही ठीक हो जाती है।
सचमुच मुझे भी ऐसा ही चमत्कार देखने को मिला। उस मरीज को जो पंद्रह दिन से खूनी बवासीर के कारण परेशान था, एक दिन में ही आराम हो गया। स्वामीजी ने लिखा है कि यह नुस्खा किसी भी प्रकार के रक्तस्राव को रोकने में कारगर है। महिलाओं के मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव या श्वेत प्रदर की बीमारी में भी कारगर है। हैजा, वमन या हिचकी रोग में यह भस्म एक घूँट पानी के साथ लेनी चाहिए। ऐसे कितने ही नुस्खे हिन्दुस्तान के मंदिरों और मठों में साधु संन्यासियों द्वारा आजमाए हुए हैं। इन पर शोध किया जाना चाहिए।
पुनः कुछ लोगों ने मुझे फोन कर सवाल किया कि खाली पेट दिन में तीन बार लेना अर्थार्थ दिन भर भोजन नहीं करना है क्या। मेरा सुझाव है कि दवा लेने के एक घंटा पहले और एक घंटा बाद तक कुछ न खाएं तो चलेगा। अगर रोग ज्यादा जीर्ण हो और एक दिन दवा लेने से लाभ न हो तो दो या तीन दिन लेकर देखिए।
हम आपके लिए भारत के कोने कोने से आयुर्वेद के अनसुने चमत्कार ले कर आते हैं, आप भी इनको शेयर कर के ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुंचाए। और ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को पेज लाइक करने के लिए कहे।
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चर्मरोग skin disease

एक कष्टदायक रोग......चर्मरोग। यह पूरे शरीर की चमड़ी पर कहीं भी हो सकता है। अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई न होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लम्बे समय तक पेट में रहने के कारण उनका मल नसों द्वारा अवशोषित कर खून में मिलने से तरह तरह के चर्मरोग सहित शारीरिक अन्य बीमारियां पनपने लगती हैं जो मानव के लिए अति हानिकारक होती है।
दाद के लक्षण :-
दाद में खुजली बहुत ज्यादा होती है की आप उसे खुजाते ही रहते हैं। खुजाने के बाद इसमे जलन होती है व छोटे-छोटे दाने होते हैं।
दाद ज्यादातर जननांगों में जोड़ोें के पास और जहाँ पसीना आता है व कपड़ा रगड़ता है, वहां पर होता है। वैसे यह शरीर में कहीं भी हो सकता है।
खाज (खुजली) :-
इसमें पूरे शरीर में सफेद रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इन्हें फोड़ने पर पानी जैसा तरल निकलता है जो पकने पर गाढ़ा हो जाता है। इसमें खुजली बहुत होती है, यह बहुधा हांथो की उंगलियों के बीच में तथा पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है। इसको खुजाने को बार-बार इच्छा होती है और जब खुजा देते है तो बाद में असह्य जलन होती है। यह छुतहाएवं संक्रामक रोग है। रोगी का तौलिया व चादर उपयोग करने पर यह रोग आगे चला जाता है, अगर रोगी के हाथ में रोग हो और उससे हांथ मिलायें तो भी यह रोग सामने वाले को हो जाता है।
उकवत (एक्जिमा) :-
दाद, खाज, खुजली जाति का एक रोग उकवत भी है, जो अत्यंत कष्टकारी है। रोग का स्थान लाल हो जाता है और उस पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इसमे चकत्ते तो नही पड़ते परन्तु यह शरीर में कहीं भी हो जाता है। यह दो तरह का होता है। एक सूखा और दूसरा गीला। सूखे से पपड़ी जैसी भूसी और गीले से मवाद जैसा निकलता रहता है। अगर यह सर में हो जाये तो उस जगह के बाल झड़ने लगते हैं।
गजचर्म
चर्मदख :-
शरीर के जिस भाग का रंग लाल हो, जिसमें बराबर दर्द रहे, खुजली होती रहे और फोड़े फैलकर जिसका चमड़ा फट जाय तथा किसी भी पदार्थ का स्पर्श न सह सके, उसे चर्मदख कहते हैं।
विचर्चिका तथा विपादिका :-
इस रोग में काली या धूसर रंग की छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, जिनमें से पर्याप्त मात्रा में मवाद बहता है और खुजली भी होती है तथा शरीर में रूखापन की वजह से हाथों की चमड़ी फट जाती है, तो उसे विचर्चिका कहते हैं। अगर पैरों की चमड़ी फट जाय और तीव्र दर्द हो, तो उसे विपादिता कहते हैं। इन दोनों में मात्र इतना ही भेद है।
पामा और कच्छु :-
यह भी अन्य चर्म रोगों की तरह एक प्रकार की खुजली ही है। इसमें भी छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं। उनमें से मवाद निकलता है, जलन होती है और खुजली भी बराबर होती रहती है। अगर यही फुन्सियां बड़ी-बड़ी और तीव्र दाहयुक्त हों तथा विशेष कमर या कूल्हे में हो तो उसे कच्छू कहते है।
चर्मरोग चिकित्सा
दाद, खाज, खुजली में आंवलासार गंधक को गौमूत्र के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम लगायें। इससे दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
शुद्ध किया हुआ आंवलासार गंधक एक रत्ती को 10 ग्राम गौमूत्र के अर्क के साथ 90 दिन लगातार पीने से समस्त चर्मरोगों में लाभ होता है।
एक्जिमा (चर्म रोगों में लगाने का महत्व) :-
कालीमिर्च, मुरदाशंख, कलईवाला नौसादर 10-10 ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इसमे घी मिलाकर एक्जिमा पर दिन में तीन बार लगाने से कुछ दिनों में यह जड़ से खत्म हो जायेगा।
आंवलासार गंधक 50 ग्राम, राल 10 ग्राम, मोम (शहद वाला) 10 ग्राम, सिन्दूर शुद्ध 10 ग्राम। पहले गंधक को तिल के तेल में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब गन्धक तेल में घुल जाए तो उसमें सिन्दूर व अन्य दवायें पाउडर करके मिला दें। सिन्दूर का रंग काला होने तक इन्हे पकायें और आग से नीचे उतारकर गरम-गरम ही उसी बर्तन में घोंटकर मल्हम (पेस्ट) जैसा बना लें। यह मल्हम एग्जिमा, दाद, खाज, खुजली, अपरस आदि समस्त चर्मरोगों में लाभकारी है। सही होने तक दोनों टाइम लगायें।
दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा, अकौता, अपरस का मरहम :-
गन्धक 10 ग्राम, पारा 3 ग्राम, मस्टर 3 ग्राम, तूतिया 3 ग्राम, कबीला 15 ग्राम, रालकामा 15 ग्राम। इन सब को कूट-पीसकर कपड़छान करके एक शीशी में रख लें। दाद रोग में मिट्टी के तेल (केरोसीन) में लेप बनाकर लगाएँ, खाज में सरसों के तेल के साथ मिलाकर सुबह-शाम लगायें। अकौता एग्जिमा में नीम के तेल में मिलाकर लगायें। यह दवा 10 दिन में ही सभी चर्मरोगो में पूरा आराम देती है।
चर्म रोग नाशक अर्क :-
शुद्ध आंवलासार गंधक, ब्रह्मदण्डी, पवार (चकौड़ा) के बीज, स्वर्णछीरी की जड़, भृंगराज का पंचांग, नीम के पत्ते, बाबची, पीपल की छाल, इन सभी को 100 -100 ग्राम की मात्रा में लेकर व 10 ग्राम छोटी इलायची जौ कुट कर शाम को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह इन सभी का अर्क निकाल लें। यह अर्क 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट मिश्री के साथ पीने से समस्त चर्म रोगों में लाभ करता है। इसके प्रयोग से खून शुद्ध होता है। इसके सेवन से चेहरे की झाइयाँ, आँखों के नीचे का कालापन, मुहासे, फुन्सियां, दाद, खाज, खुजली, अपरस, अकौता, कुष्ठ आदि समस्त चर्मरोगों में पूर्णतः लाभ होता है।
रक्त शोधक :-
दिन में एक-दो चम्‍मच अलसी के बीजों के तेल का सेवन करना त्‍वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। बेहतर रहेगा कि इसका सेवन किसी अन्‍य आहार के साथ ही किया जाए।
रीठे के छिलके के पाउडर में शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह एक गोली अधबिलोई दही के साथ और शाम को पानी के साथ निगल लें। उपदंश, खाज, खुजली, पित्त, दाद और चम्बल के लिए पूर्ण लाभप्रद है।
सिरस की छाल का पाउडर 6 ग्राम सुबह व शाम शहद के साथ 60 दिन सेवन करें। इससे सम्पूर्ण रक्तदोष सही होते हैं।
अनन्तमूल, मुलहटी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचन्दन, शनाय और असगन्ध 100 -100 ग्राम तथा सौंफ, पीपल, इलायची, गुलाब के फूल 50 -50 ग्राम। सभी को जौकुट करके एक डिब्बे में भरकर रख लें। एक चम्मच 200 ग्राम पानी में धीमी आंच में पकाएं और जब पानी 50 ग्राम रह जाय तब उसे छानकर उसके दो भाग करके सुबह और शाम मिश्री मिलाकर पिये। यह क्वाथ रक्त विकार, उपदंश, सूजाक के उपद्रव, वातरक्त और कुष्ठरोग को दूर करता है।
विजेन्द्र गौतम's photo.
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स्‍तनों का आयुर्वेदिक उपचार Ayurvedic treatment of breasts

स्‍तन कैंसर का घरेलू उपचार
१ * एक ग्‍लास पानी में हर्बल ग्रीन टी को आधा होने तक उबालें और फिर उसे पीएं। यह फाएदेमंद होती है।
२ * रोज अंगूर या अनार का जूस पीने से स्‍तन कैंसर से बचा जा सकता है।
३ * सोंठ, नमक, मूली, सरसों, शमी और सहिजन के बीज को बराबर मात्रा में लेकर खटटे छाछ में पीसकर स्‍तनों पर लेप करें। एक घंटे बाद नमक की पोटली से दस – पन्‍द्रह मिनट तक सिंकाई करें। आराम मिलेगा।
४ * रोज लहसुन का सेवन करने से स्‍तन कैंसर की संभावना को रोका जा सकता है।
५ * पोई के पत्‍तों को पीसकर पिण्‍ड बनाकर लेप करने तथा पत्‍तों द्धारा अच्‍छी तरह ढंककर पटटी बांधने से शुरूआती अवस्‍था का कैंसर ठीक हो जाता है।
स्‍तनों की सूजन
१ * गेंदे की पत्तियों को कपड़े में लपेट कर बांध लें। फिर इसके ऊपर गीली मिटटी का लेप लगा दें। फिर कपड़े की इस पोटली को उस आग की भटटी में रखें जो ठंडी होने वाली हो। फिर जब पोटली के ऊपर की मिटटी लाल हो जाए, तब उसे बाहर निकालें और पत्तियों को अलग कर लें। इसके बाद इन्‍हीं पत्तियों को स्‍तनों पर बांधें।
२ * धतूरे की पत्‍ते और हल्‍दी को पीसकर स्‍तनों पर लेप करने से स्‍तनों की सूजन में आराम मिलता है।
३ * अजवायन का तेल को गुनगुना करके २ – ३ बार स्‍तनों की मालिश करें और फिर अरंड का पत्‍ता बांध दें। सूजन में आराम मिलेगा।
४ * स्‍तनों में यदि सूजन के साथ साथ दर्द भी हो तो इंद्रायण की जड़ को पीसकर लेप बना लें और फिर इसे गर्म करके स्‍तनों पर लेप करने से दर्द कम होता है और सूजन भी कम हो जाती है।
५ * धृतकुमारी यानि ऐलोवेरा के गूदे में हल्‍दी मिलाकर थोड़ा सा गर्म करके लेप करने से सूजन कम हो जाती है।
अविकसित स्‍तन तथा छोटे स्‍तनों को बड़े करने के उपाय
१ * यदि स्‍तन अविकसित तथा छोटे हैं तो बादाम के तेल की नियमित मालिश करने से स्‍तन विकसित व पुष्‍ट हो जाते हैं।
२ * अश्‍वगंधा और शताबरी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्णं बनाएं और फिर एक – एक चम्‍मच चूर्णं सुबह शाम दूध के साथ ४५ से ६० दिनों तक खाएं। आपकी चिंता का समाधान होगा।
३ * महानारायण तेल की मसाज से भी अविकसित स्‍तन आकर्षक हो जाते हैं।
४ * पीपरी का चूर्णं २० ग्राम, काली मिर्च का चूर्ण २० ग्राम, अश्‍वगंधा का चूर्णं १५० ग्राम, सोंठ का चूर्णं ७५ ग्राम, लेकर शुद्ध घी में भून लें और फिर आधा किलो पुराने गुड़ की चाशनी बनाकर भूने गए चूर्णं को चाशनी में मिलाकर रख लें। इसे रोज २० – २५ ग्राम मात्रा में रोज गुनगुने दूध के साथ खाने से स्‍तन आकर्षक और पुष्‍ट होते हैं।
५ * खाने में फल, दालें, ताज़ा सब्जियां, काजू, दूध, दही, घी, अंडे, कच्‍चा नारियल व नींबू आदि का सेवन जरूर करें। यह स्‍तनों का अच्‍छी तरह पोषण करते हैं।
अतिस्‍थूल स्‍तन (बड़े तथा लटके हुए स्‍तन)
१ * यदि स्‍तन स्‍थूल हैं तो सबसे पहले आप वसा युक्‍त भोजन खाना बंद कर दें। जैसे कि दूध, घी, मलाई, मक्‍खन तथा मिठाईं आदि। यदि मांसाहारी हैं तो मांस से परहेज करें।
२ * काली गाय के दूध में सफेद मोथा पीसकर लेप करने से स्‍तनों के ढीलेपन में कमी आती है और स्‍तन कठोर होते हैं।
३ * महानारायण तेल स्‍तनों पर लगाकर उंगलियों से दबाकर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें। मालिश के बाद गुनगुने पानी की धार स्‍तनों पर डालें १० मिनट गुनगुने पानी की धार डालने से स्‍तनों की चर्बी घटेगी और सौंदर्य वापस लौट आएगा।
स्‍तनों का थनैला रोग
१ * नींबू के रस में शहद मिलाकर स्‍त्‍नों पर लेप करने से थनैला में बहुत लाभ होता है।
२ * मोगरे के फूलों को पीस कर स्‍तनों पर लेप करके बांध दें। सुबह शाम इस प्रक्रिया को करने से थनैला रोग दो – तीन दिन में ही ठीक हो जाता है।
३ * अरहर की दाल (तुअर दाल) आम की गुठली और जौ को पानी में एक साथ पीसकर दिन में तीन – चार बार लेप करने से बहुत आराम मिलता है।
४ * गेंहू, जौ और मूंग का बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ गर्म करके तकलीफ वाले स्‍थान पर लगाने से आराम मिलता है।
५ * सहिजन की छाल को महीन पीसकर उसका गर्म लेप करने से थनैला बिना पके ही बैठने लगता है।
६ * दस ग्राम काली मिर्च और ५ ग्राम दालचीनी पीसकर इसकी एक खुराक बनाएं। दिन में तीन बार तीन खुराकें २० ग्राम शहद में मिलाकर खाएं। थनैला का उपचार हो गया।
७ * १२५ ग्राम नीम के पत्‍तों को लेकर एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो उतारकर कपड़े से छानकर थनैला को धोएं। आराम मिलेगा।
८ * हरा धनिए की पत्तियों को पीसकर हल्‍का गर्म करके लेप करें। बहुत आराम मिलेगा।
९ * हल्‍दी और धतूरे के पत्‍ते समान मात्रा में लेकर पीस लें। फिर गर्म करके थनैला पर लेप करें। आराम मिलेगा
स्तन सुद्रढ़ करने का उपाय
अनार का पंचाग अर्थात जड़, तना,पत्ती,फल व फूल(केवल फल से दाने निकाल कर खा सकते हैं)
माजूफल
शतावर
छोटी इलायची
कमल गटटे की मींग
लसोड़े की पत्तियाँ
सभी औषधीय द्रव्यों को बरावर लेकर बारीक पिसवा लें या महीन पीस लें।फिर आवस्यकतानुसार एक से तीन चम्मच तक लेकर पानी मिलाकर पेस्ट सा बना लें।इसे रोजाना रात को लगाकर सोयें कुछ ही दिनो में स्तन सुद्रण हो जाएगें।रोजाना रात को अश्वगंधा चूर्ण भी 6 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करते रहें।
इसके अलाबा अनार पंचाग का तेल भी लगा सकते हैं यह बाजार से मिल जाए तो अच्छा अगर न मिले तो अनार पंचाग लेकर सरसों के तेल में पकाकर छान कर रख लें इस तेल के द्वारा 2-3 बार मालिस करने से भी स्तन सुद्रण होगें ।
नोट- स्तनों पर सरसों के इसी तेल से करीब आधा घंटा हल्के हाथ से मालिश करें। नीचे से ऊपर की ओर करें। फिर दस पंद्रह ठंडे पानी की पट्टियां एक के बाद एक रखते रहें। स्तन का आकार बढ़ेगा। नोट - स्तनों की मालिश हमेंशा नीचे से ऊपर की ओर ही करनी चाहिये।
Om Jalandhara's photo.
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रिश्तों की अहमियत

 मैं घर की नई बहू थी और एक प्राइवेट बैंक में एक अच्छे ओहदे पर काम करती थी। मेरी सास को गुज़रे हुए एक साल हो चुका था। घर में मेरे ससुर और पति...