गूगल में जॉब कैसे पाएँ ? गूगल में नौकरी पाने के तरीके

  गूगल में जॉब मिलना किसी सपने का साकार होने जैसा हो सकता है। वह इसलिए क्योंकि दुनिया भर की अग्रणी कंपनियों में गूगल एक ऐसी कंपनी है, जिसके कर्मचारी कंपनी से सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं। वह संतुष्ट इसलिए हैं क्योंकि उन्हें गूगल द्वारा कई तरह के लाभ मुफ्त में प्रदान किये जाते हैं। गूगल अमेजन के बाद दुनियाभर में प्रतिष्ठित ब्रांड नाम में दुसरे नंबर पर आता है। यही कारण है की इतने बड़े ब्रांड के साथ काम करना ही आपको रोमांच और उत्साह से भर देता है।



भले ही गूगल में उत्कृष्ट कार्य संस्कृति, काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन के अलावा अनेकों लाभ प्रदान होते हैं । लेकिन गूगल में जॉब पाना इतना भी आसान नहीं है। क्योंकि अच्छी कंपनी में काम सभी करना चाहते हैं, इसलिए वहाँ पर प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक बढ़ जाती है। वैसे देखा जाय तो गूगल किसी परिचय का मोहताज नहीं है। क्योंकि यह भारत का ही नहीं अपितु दुनिया का सबसे अधिक उपयोग में लाया जाने वाला सर्च इंजन है। जिसके पास आपके हर प्रश्न का सटीक उत्तर विद्यमान है।


इस सर्च इंजन को और अधिक उपयोगी, सरल और सटीक बनाने के लिए गूगल अपने प्लेटफोर्म को विकसित करने और उसमें जरुरी बदलाव करता रहता है। यही कारण है की कंपनी को समय समय पर रचनात्मक, बुद्धिमान, तकनीक प्रेमी और कड़ी मेहनत करने वाले लोगों की आवश्यकता होती रहती है।


ऐसे लोग जो रचनात्मक होने के साथ साथ नवीन दृष्टिकोण भी रखते हैं वे आसानी से गूगल में जॉब पा सकते हैं। हालांकि भले ही कंपनी का मुख्य व्यवसाय तकनीक पर आधारित हो, लेकिन गैर तकनिकी लोग भी विभिन्न विभागों जैसे ह्यूमन रिसोर्स (HR), बिजनेस डेवलपमेंट, डिजाईन इत्यादि में नौकरी पाने के लिए पात्र माने जाते हैं। लेकिन यदि आप टेक्निकल बैकग्राउंड से हैं तो आपका मन गूगल में जॉब पाने को अवश्य करता होगा।


यही कारण है की आज इस लेख में हम गूगल में जॉब कैसे मिल सकती है विषय पर जानकारी देने का प्रयत्न कर रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक गूगल की मूल कम्पनी जिसका नाम अल्फाबेट है, इसके तहत पूरी दुनिया में गूगल के 50 देशों से अधिक में कुल 85 ऑफिस विद्यमान हैं। और इन कार्यालयों में लगभग 1 लाख 35000 कर्मचारियों से अधिक कार्यरत हैं।

भारत में गूगल के ऑफिस (Google offices in India)

हालाँकि जब भी गूगल में जॉब करने का जिक्र आता है तो लोगों को लगता है की उन्हें गूगल में काम करने के लिए विदेश जाना पड़ेगा। लेकिन सच्चाई यह है की भारत में भी प्रमुख चार शहरों मुंबई, बेंगलोर, हैदराबाद और गुरुग्राम में गूगल चार शाखाएँ उपलब्ध हैं। और इन शाखाओं में लगभग 5000 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं।


भारत में इन्टरनेट के प्रचार प्रसार और एंड्राइड स्मार्टफोन के बढ़ते प्रचलन के साथ यह उम्मीद लगे जा सकती है की आने वाले वर्षों में गूगल भारत में और अधिक ऑफिस खोलकर उनमें कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा। इसलिए वेब डेवलपर, तकनीक पसंद लोग और बिजनेस मेनेजर गूगल में जॉब पाने में भविष्य में सफल हो सकते हैं । तो आइये आगे इस लेख में हम आपको इसी विषय पर विस्तार से बताने वाले हैं।


गूगल में किस प्रकार की जॉब निकलती हैं (Which types of jobs you can get in Google)

आम तौर पर गूगल में तीन प्रकार की जॉब निकलती हैं।                

1. टेक्निकल –

गूगल की ये जॉब टेक्निकल बैकग्राउंड से जुड़े लोगों के लिए होती हैं इनमें कंपनी सॉफ्टवेयर इंजिनियर, प्रोग्रामिंग भाषा को जाने वाले डेवलपर, क्लाउड पर आधारित जॉब एवं अन्य विशिष्ट पदों पर भर्ती करती है। असाधारण टेक्निकल कौशल से परिपूर्ण लोगों को गूगल में जॉब मिलने में ज्यादा कठिनाई नहीं होती है।


2. बिजनेस प्रबंधन से जुड़ी जॉब –  

इस श्रेणी को आप नॉन टेक्निकल श्रेणी भी कह सकते हैं, इसमें गूगल को वे लोग चाहिए होते हैं जो उसके बिजनेस का प्रबंधन कर सकें और उसके लिए और बिजनेस पैदा कर सकें। इसमें ब्रांच मैनेजर, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेटर, मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग से जुड़े कर्मचारी, ह्यूमन रिसोर्स (HR), एकाउंट इत्यादि से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं।


3. डिजाईन विभाग –

इस तरह के विभाग में गूगल ग्राफ़िक डिज़ाइनर, UI/UX राइटर, विज्युअल एक्सपर्ट इत्यादि को भर्ती करता है ।


गूगल में जॉब करने के लाभ (Benefits of doing job in Google)

Google Me job Karne ke Fayde : अपने कर्मचारियों को गूगल अच्छे वेतन के अलावा भी कई तरह के पर्क्स और लाभ प्रदान करता है, जिनमें से कुछ की लिस्ट इस प्रकार से है।


ऑफिस में मुफ्त में खाना प्रदान करता है।

कर्मचारियों और उनके परिवारों को मुफ्त में बीमा और मेडीक्लेम की सुविधा देता है।

यदि आप छोटे बच्चों को लेकर ऑफिस जाते हैं, तो आपके बच्चों की देखभाल करने की जिम्मेदारी लेता है।

इंस्ट्रक्टर के साथ जिम की सुविधा प्रदान करता है।

पेटरनिटी और मैटरनिटी लीव के लिए पूरा भुगतान करता है।

समय समय पर फ्री हेल्थ चेक अप की सुविधा प्रदान करता है।

कर्मचारियों को मसाज की फैसिलिटी भी देता है।

घर से ऑफिस तक का फ्री पिक अप और ड्राप भी प्रदान करता है ।

योगा क्लास की व्यवस्था कराता है।

विडियो गेम्स की सुविधा।

कर्मचारियों को फाइनेंसियल प्लानिंग में मदद प्रदान करता है।

गूगल भर्ती कैसे करता है (How does Google appoint the staffs)


कंपनी का मानना है की भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष और कम समय लेने वाली होनी चाहिए। ताकि योग्य और पात्र उमीदवारों को जॉब के लिए आवेदन करते समय किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो। शायद यही कारण है की गूगल ने Google Career के नाम से एक पेज बनाया हुआ है। जिसमें वे अपनी कंपनी में निकलने वाली भर्तियों और पदों की डिटेल्स को प्रकाशित करते रहते हैं। इसमें आपको किसी भी प्रकार का नया खाता बनाने की आवश्यकता नहीं होती है।

यदि आप पहले से जीमेल इस्तेमाल कर रहे हों तो आप अपनी उसी जीमेल आईडी और पासवर्ड के माध्यम से इस पेज पर भी sign in कर सकते हैं । और जिस भर्ती के लिए आप अपने आपको पात्र मानते हैं उसके लिए ऑनलाइन ही आवेदन कर सकते हैं। लेकिन गूगल में जॉब के लिए अप्लाई करने से पहले उस जॉब की डिटेल्स और अपनी पात्रता, योग्यता  की जाँच अवश्य कर लें । जिस पद के लिए आप पात्र न हों उसके लिए अप्लाई न करें। अन्यथा आपको गूगल ब्लैकलिस्ट भी कर सकता है।


गूगल में जॉब के लिए आवेदन करने से पहले क्या करें  

यदि आप भी गूगल में जॉब करना चाहते हैं, तो आपको आवेदन करने से पहले कई बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता हो सकती है।


ध्यान रहे गूगल जैसी कंपनी व्यक्ति की शैक्षणिक योग्यताओं के बजाय उनके व्यक्तित्व पर अधिक ध्यान देती है । इसलिए जब आप गूगल में जॉब के लिए अप्लाई करें तो रिज्यूमे में सिर्फ अपनी सफलताएँ ही नहीं असफलताओं का जिक्र भी अवश्य करें।



आम तौर पर लोग अपनी असफलताओं को रिज्यूमे में छिपा देते हैं और उनका जिक्र भी किसी से नहीं करते हैं। लेकिन गूगल का मानना है की हमेशा जीत या उपलब्धि ही जरुरी नहीं होती बल्कि यह जरुरी होता है की आपने उस स्थिति से उबरने के लिए क्या क्या ठोस कदम उठाए। इसलिए इंटरव्यू में या रिज्यूमे में अपनी विफलता का जिक्र करने से भी हिचकें नहीं।

आपकी शैक्षणिक योग्यता कम से कम स्नातक तो होनी ही चाहिए और ध्यान रहे अपने अनुभव और कौशल को साबित करने के लिए आपको मास्टर डिग्री की जरुरत नहीं होती है।

लोगों में धारणा है की उन्हें अपने रिज्यूमे में किसी एक विभाग से जुड़ा हुआ अनुभव ही दिखाना चाहिए । लेकिन यदि आप गूगल में जॉब पाने पर विचार कर रहे हैं तो आपको यह धारणा बदलनी होगी। क्योंकि गूगल विविध अनुभव वाले लोगों को बढावा देता है।

गूगल में जॉब मिल जाने के बाद वहाँ पर आप सिर्फ काम करने नहीं जाते हैं, बल्कि गूगल ने उस वर्क कल्चर को प्रोत्साहित किया है जहाँ आप अपने शौक भी पूरे कर सकते हैं। इसलिए अपने रुचियों और लक्ष्यों पर भी विचार अवश्य करें।

हालांकि यह सत्य है की गूगल जॉब पाना आसान काम नहीं है, लेकिन असम्भव भी नहीं है। गूगल को किस तरह के उम्मीदवार चाहिए होते हैं इस पर कई विडियो और आर्टिकल इन्टरनेट पर पड़े हैं। आप इन्हें समझकर अपने आप में इस तरह के परिवर्तन करने का प्रयत्न कर सकते हैं।

गूगल व्यक्तियों का मूल्यांकन उनके इतिहास और सीखने एवं कुछ करने की क्षमता के आधार पर करता है। इसलिए इंटरव्यू में उस बात का जिक्र अवश्य करें जहाँ से आपने कुछ ऐसा सीखा हो की उसने आपकी जिन्दगी को आसान बना दिया हो।

गूगल में जॉब पाने के माध्यम (Mediums to get a job in Google)

Google me Job Pane ke Tarike : यदि आप गूगल में जॉब पाने के लिए गंभीर हैं तो आपके पास आवेदन करने के एक नहीं बल्कि कई तरीके हैं। कुछ प्रचलित तरीके जिनके माध्यम से लोगों को गूगल में नौकरी मिली है उनकी लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।


1. गूगल का करियर पेज के माध्यम से

इस पेज के बारे में हम इस लेख में ऊपर भी बता चुके हैं। गूगल करियर नामक इस पेज में आप अपनी मौजूदा जीमेल आईडी से लॉग इन कर सकते है। जिस भी लोकेशन पर आप जॉब ढूंढ रहे हैं उसी लोकेशन के आधार पर जॉब फ़िल्टर लगा सकते हैं। जॉब की सारी डिटेल्स को समझकर इसके लिए ऑनलाइन ही आवेदन भी कर सकते हैं।


2. कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से

भारत में कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से भी लोगों ने गूगल जॉब पाई है । लेकिन ध्यान रहे की गूगल देश के कुछ चुनिन्दा कैंपस जैसे IIM, NID, NIT इत्यादि के माध्यम से ही कैंपस प्लेसमेंट कराता है । यदि आप भी इन संस्थानों में पढने वाले विद्यार्थी है तो आपके पास इस नियोक्ता को प्रभावित करने के पूरे अवसर मौजूद हैं।


3. एम्प्लोयी रेफरल के माध्यम से

गूगल के पास एम्प्लोयी रेफरल प्रोग्राम है यदि गूगल का कोई मौजूदा कर्मचारी आपके रिज्यूमे को सम्बंधित विभाग में भेजता है तो आपके पास गूगल में जॉब पाने के अवसर हैं । यदि आपका कोई जानकार गूगल में नौकरी करता है तो आप उसे अपना रिज्यूमे देकर भर्ती निकलने पर सबमिट करने को कह सकते हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो आप लिंक्ड इन पर ऐसे लोगों से जुड़कर उन्हें अपना रिज्यूमे फारवर्ड कर सकते हैं।


4. गूगल वर्कशॉप के माध्यम से

एशिया पेसिफिक रीजन में गूगल हर साल प्रोग्रामर के लिए एक कोडिंग इवेंट आयोजित करता है। ऐसे उम्मीदवार जो गूगल में जॉब करने के लिए कंपनी को प्रभावित करना चाहते हैं वे इस इवेंट के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं। आम तौर पर यह इवेंट दो तीन घंटों का होता है, इसमें जो शीर्ष प्रतिस्पर्धी होते हैं उन्हें गूगल एक व्यवसायिक करियर शुरू करने के उद्देश्य से इंटरव्यू के लिए बुला सकता है ।



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दशनामी संप्रदाय- Dashnam Goswami Samapraday


ब्राह्मणों द्वारा पूजित 'दशनामी संप्रदाय' का संबंध आदि शंकराचार्य से हैं। दशनामी संप्रदाय स्थान विशेष और वेद से संबंध रखता है। इनमें शंकराचार्य, महंत, आचार्य और महामंडलेश्वर आदि होते हैं। यह धर्म रक्षकों का संप्रदाय है।
दशनामी संप्रदाय के 10 नाम : गिरी, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम।
13 अखाड़े :
तेरह अखाड़ों में से जूना अखाड़ा इनका खास अखाड़ा है। इसके अलावा अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा एवं अटल अखाड़ा आदि सभी शैव से संबंधित है। वैष्णवों में वैरागी, उदासीन, रामादंन और निर्मल आदि अखाड़ा है।

दशनामी व्यक्तित्व :
शंकराचार्य से सन्यासियों के दशनामी सम्प्रदाय का प्रचलन हुआ। शंकराचार्य ने चार मठ स्थापित किए थे जो 10 क्षेत्रों में बंटें थे जिनके एक-एक मठाधीश थे। दशनामियों को धर्म की सबसे ज्यादा समझ होती है। शंकराचार्य के काल में ब्राह्मणजन उन्हीं से दीक्षित और शिक्षित होते थे। साधुओं के इस समाज की हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा है। इस समाज में अदम्य साहस और नेतृत्व शक्ति होती है।

दशनामी सम्प्रदाय के साधु प्रायः भगवा वस्त्र पहनते, एक भुजवाली लाठी रखते और गले में चौवन रुद्राक्षों की माला पहनते हैं। हर सुबह वे ललाट पर राख से तीन या दो क्षैतिज रेखाएं बना लेते। तीन रेखाएं शिव के त्रिशूल का प्रतीक होती है, दो रेखाओं के साथ एक बिन्दी ऊपर या नीचे बनाते, जो शिवलिंग का प्रतीक होती है। इनमें निर्वस्त्रधारियों को नागा बाबा कहते हैं। इस संप्रदाय के लोग अभिवादन एवं तपस्या में " नमो नारायण" का प्रयोग करते हैं।

कौन किस कुल से संबंधित है जानिए...
1.गिरी, 2.पर्वत और 3.सागर। इनके ऋषि हैं भ्रुगु।
4.पुरी, 5.भारती और 6.सरस्वती। इनके ऋषि हैं शांडिल्य।
7.वन और 8.अरण्य के ऋषि हैं कश्यप।
9.तीर्थ और 10. आश्रम के ऋषि अवगत हैं।

पक्के साधु :
ऐसे साधु जो अब समाज को त्यागकर साधना में लीन रहना चाहते हैं उनको दीक्षित किया जाता है। आचार्य आदि शंकराचार्य द्वारा संन्यासियों की पहले से चली रही परंपरा को जब संगठित किया तो उसे नाम दिया- दशनामी साधु संघ।
दीक्षा के समय प्रत्येक दशनामी जैसा कि उसके नाम से ही स्पष्ट है, निम्न नामों, गिरी, पुरी, भारती, वन, अरण्य, पर्वत, सागर, तीर्थ, आश्रम या सरस्वती नाम के साधु समाज के साधु किसी एक नाम और परंपरा के साधु बनकर सात में से किसी एक अखाड़े के सदस्य बनते हैं।

दशनामी साधुओं में मंडलेश्वर और नागा पद होते हैं। उनमें भी शास्त्रधारी और अस्त्रधारी महंत होते हैं। शास्त्रधारी शास्त्रों आदि का अध्ययन कर अपना आध्यात्मिक विकास करते हैं तथा अस्त्रधारी अस्त्रादि में कुशलता प्राप्त करते हैं।

चार आध्यात्मिक पद:- 1.कुटीचक, 2.बहूदक, 3.हंस और सबसे बड़ा 4.परमहंस। नागाओं में परमहंस सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। नागाओं में शस्त्रधारी नागा अखाड़ों के रूप में संगठित हैं। इसके अलावा नागाओं में औघड़ी, अवधूत, महंत, कापालिक, शमशानी आदि भी होते हैं।

नागा उपाधियां :
चार जगहों पर होने वाले कुंभ में नागा साधु बनने पर उन्हें अलग-अलग नाम दिए जाते हैं। इलाहाबाद के कुंभ में उपाधि पाने वाले को 1.नागा, उज्जैन में 2.खूनी नागा, हरिद्वार में 3.बर्फानी नागा तथा नासिक में उपाधि पाने वाले को 4.खिचडिया नागा कहा जाता है। इससे यह पता चल पाता है कि उसे किस कुंभ में नागा बनाया गया है।

नागाओं के अखाड़ा पद : नागा में दीक्षा लेने के बाद साधुओं को उनकी वरीयता के आधार पर पद भी दिए जाते हैं। कोतवाल, पुजारी, बड़ा कोतवाल, भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत और सचिव उनके पद होते हैं। सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पद महंत का होता है।

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दही में नमक डाल कर न खाऐं Do not eat curd after adding salt to it.

दही में नमक डाल कर न खाऐं Do not eat curd after adding salt to it.

कभी भी आप दही को नमक के साथ मत खाईये। दही को अगर खाना ही है, तो हमेशा दही को मीठी चीज़ों के साथ खाना चाहिए, जैसे कि गुड के साथ, बूरे के साथ आदि।
इस क्रिया को और बेहतर से समझने के लिए आपको बाज़ार जाकर किसी भी साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट की दूकान पर जाना है, और वहां से आपको एक लेंस खरीदना है, अब अगर आप दही में इस लेंस से देखेंगे तो आपको छोटे-छोटे हजारों बैक्टीरिया नज़र आएंगे।
ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में आपको इधर-उधर चलते फिरते नजर आएंगे. ये बैक्टीरिया जीवित अवस्था में ही हमारे शरीर में जाने चाहिए, क्योंकि जब हम दही खाते हैं तो हमारे अंदर एंजाइम प्रोसेस अच्छे से चलता है।
*हम दही केवल बैक्टीरिया के लिए खाते हैं।*
दही को आयुर्वेद की भाषा में जीवाणुओं का घर माना जाता है, अगर एक कप दही में आप जीवाणुओं की गिनती करेंगे तो करोड़ों जीवाणु नजर आएंगे।
अगर आप मीठा दही खायेंगे तो ये बैक्टीरिया आपके लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होंगे।
*वहीं अगर आप दही में एक चुटकी नमक भी मिला लें तो एक मिनट में सारे बैक्टीरिया मर जायेंगे* और उनकी लाश ही हमारे अंदर जाएगी जो कि किसी काम नहीं आएगी।
अगर आप 100 किलो दही में एक चुटकी नामक डालेंगे तो दही के सारे बैक्टीरियल गुण खत्म हो जायेंगे क्योंकि नमक में जो केमिकल्स है वह जीवाणुओं के दुश्मन है।
आयुर्वेद में कहा गया है कि दही में ऐसी चीज़ मिलाएं, जो कि जीवाणुओं को बढाये ना कि उन्हें मारे या खत्म करे।
दही को गुड़ के साथ खाईये, गुड़ डालते ही जीवाणुओं की संख्या मल्टीप्लाई हो जाती है और वह एक करोड़ से दो करोड़ हो जाते हैं थोड़ी देर गुड मिला कर रख दीजिए।
बूरा डालकर भी दही में जीवाणुओं की ग्रोथ कई गुना ज्यादा हो जाती है।
मिश्री को अगर दही में डाला जाये तो ये सोने पर सुहागे का काम करेगी।
सुना है कि भगवान कृष्ण भी दही को मिश्री के साथ ही खाते थे।
पुराने जमाने में लोग अक्सर दही में गुड़ या मिश्री डाल कर दिया करते थे।
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मन Mind

मन की वजह से ही सभी बुरे कार्य उत्पन्न होते हैं। अगर मन को ही परिवर्तित कर दिया जाए तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
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लक्ष्य Target

जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो गया है, उसे ही प्रकाश का दर्शन होता है | जो थोड़ा इधर, थोड़ा उधर हाथ मारते हैं, वे कोई लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते | वे कुछ क्षणों के लिए बड़ा जोश दिखाते है; किन्तु वह शीघ्र ठंडा हो जाता है | – स्वामी विवेकानंद.
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बेवक़ूफ़ :- एक गृहणी Stupid :- A housewife


वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी ।
किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।
फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई।
फिर बच्चों को नाश्ता कराया।
पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था।
इस बीच स्कूल की बस आ गयी और वो बच्चों को बस तक छोड़ने चली गई ।
वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।
इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।
उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।
अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना।
तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?
अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।
पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।
उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।
फिर उसने सारे बर्तन धोये अब बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई में जुट गयी ।
अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी कि दरवाजे पर खट खट आवाज आयी ।
दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे ।
उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु आज खाने का क्या प्रोग्राम हे ।
उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।
बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये ।
उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे ।
उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये ।
इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।
उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी ।
उसने फिर से किचन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर हो गयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
अब तक चार बज चुके थे ।
अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।
अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो ।
वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो।
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"प्रणाम का महत्व" "Importance of greetings"


महाभारत का युद्ध चल रहा था - एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत होकर "भीष्म पितामह" घोषणा कर देते हैं कि - "मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा"...
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई... भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए...
तब - श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो... श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए... शिविर के बाहर खड़े होकर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि अन्दर जाकर पितामह को प्रणाम करो... द्रौपदी ने अन्दर जाकर पितामह भीष्म को प्रणाम किया तो उन्होंने "अखंड सौभाग्यवती भव" का आशीर्वाद दे दिया, फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि "वत्स, तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो, क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ लेकर आये है"?
तब द्रोपदी ने कहा कि - "हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं" तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया...
भीष्म ने कहा - "मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है"...
शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि - "तुम्हारे एक बार जाकर पितामह को प्रणाम करने से तुम्हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है "... "अगर तुम प्रतिदिन भीष्म, धृतराष्ट्र, द्रोणाचार्य, आदि को प्रणाम करती होती और दुर्योधन- दुःशासन, आदि की पत्नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती "...
......तात्पर्य्.......
वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि - "जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है "... " यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो "... बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई "अस्त्र-शस्त्र" नहीं भेद सकता...
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नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...