मूर्ति विसर्जन करने वाले जाएंगे नरक - Those who immerse idols will go to hell

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दुर्गा विसर्जन करने वाले जाएंगे नरक | premanand ji maharaj | shri hit radha kripa | radha naam jap |

इस वीडियो में, प्रेमानंद जी महाराज ने गलत तरीके से दुर्गा विसर्जन करने के विषय पर अपने विचार साझा किए हैं। दुर्गा पूजा के दौरान, माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया है, लेकिन कुछ लोग इसे गलत तरीके से करते हैं। क्या हैं ये गलतियाँ और क्यों ये हमारे धार्मिक संस्कारों के लिए हानिकारक हैं? जानिए प्रेमानंद जी महाराज से इस विषय पर गहन चर्चा में, जहाँ वे इस परंपरा के महत्व, सही तरीके और इसके आध्यात्मिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।

इस वीडियो को देखना न भूलें और जानें कि धार्मिक परंपराओं का पालन कैसे किया जाए ताकि हम सभी मिलकर अपने संस्कृति का सम्मान कर सकें।

 

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Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते - Ratan Tata: Interesting things about Ratan Tata's life, which you do not know

Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते - Ratan Tata: Interesting things about Ratan Tata's life, which you do not know

Ratan Tata: रतन टाटा के जीवन की दिलचस्प बातें, जिन्हें आप नहीं जानते - Ratan Tata: Interesting things about Ratan Tata's life, which you do not know

Ratan Tata: उद्योग जगत के महानायक रतन टाटा का निधन देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. उन्होंने न सिर्फ टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि भारतीय उद्योग को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई ऐतिहासिक अधिग्रहण किए और समाज कल्याण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया. रतन टाटा की विरासत हमेशा प्रेरणादायक रहेगी, और उनका जाना देश को गहरे शोक में डाल गया है. बता दें कि वर्तमान में टाटा ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) के हाथों में है. 


दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस, रतन टाटा का बुधवार को निधन हो गया.  वह 86 वर्ष के थे. मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वे काफी समय से अवस्थ चल रहे थे. टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने एक बयान में रतन टाटा के निधन की पुष्टि करते हुए उन्हें अपना 'दोस्त, मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत' बताया. रतन टाटा 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रिटायर हुए थे.


पीएम ने जताया शोक:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने लिखा, "मेरे मन में श्री रतन टाटा जी के साथ हुई अनेकों मुलाकातों की यादें ताज़ा हैं. जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब हम अक्सर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते थे. उनकी विचारधारा हमेशा गहन और समृद्ध होती थी. ये संवाद दिल्ली आने के बाद भी जारी रहे. उनके निधन से अत्यंत दुःखी हूँ। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति"


रतन टाटा के बारे में:

साल 1937 में जन्मे रतन टाटा का पालन-पोषण 1948 में उनके माता-पिता के अलग होने के बाद उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था.


रतन टाटा साल 1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क की डिग्री प्राप्त की थी. 1962 के अंत में भारत लौटने से पहले उन्होंने लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ कुछ समय काम किया. 


2008 में भारत सरकार ने उन्हें देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण, प्रदान किया था. वह 28 दिसंबर 2012 को टाटा संस के चेयरमैन के रूप में रिटायर हुए थे.


रतन टाटा का सफ़र:

रतन टाटा का सफर एक प्रेरणादायक कहानी है, जो उनकी दूरदर्शिता, मेहनत और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है-


जन्म

28 दिसंबर 1937

कॉलेज डिग्री

1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क (Bachelor of Architecture)

विदेश में कार्य अनुभव

1962 के अंत में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ काम किया

मैनेजमेंट ट्रेनिंग

1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया

टाटा संस के चेयरमैन बने

मार्च 1991

रिटायर

28 दिसंबर 2012

टाटा समूह की आय

1991 में ₹10,000 करोड़ से बढ़कर 2011-12 में USD 100.09 बिलियन

टाटा के मुख्य अधिग्रहण

- 2000 में टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में टेटली का अधिग्रहण

- 2007 में टाटा स्टील द्वारा 6.2 बिलियन पाउंड में कोरस का अधिग्रहण

- 2008 में टाटा मोटर्स द्वारा 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण

सम्मान

2008 में पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान)

निधन

09 अक्टूबर 2024

...जब रतन टाटा ने संभाली कमान:

रतन टाटा की उल्लेखनीय यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने साल 1991 में ऑटोमोबाइल से लेकर स्टील तक के विभिन्न उद्योगों में फैले टाटा समूह की बागडोर संभाली. साल 1996 में उन्होंने टाटा टेली-सर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध करवाया, जो कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ.


रतन टाटा के नेतृत्व में ऐतिहासिक अधिग्रहण:

टेटली (2000): टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण किया गया. यह भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण था.


कोरस (2007): टाटा स्टील ने 6.2 बिलियन पाउंड में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी कोरस का अधिग्रहण किया. यह भारतीय स्टील उद्योग का अब तक का सबसे बड़ा सौदा था.


जगुआर लैंड रोवर (2008): टाटा मोटर्स ने 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में प्रतिष्ठित ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। यह सौदा टाटा मोटर्स के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुआ और कंपनी को वैश्विक ऑटोमोबाइल बाजार में मजबूती दी.


टाटा ग्रुप की कमान किसके हाथ?

रतन टाटा की सेवानिवृत्ति के बाद, टाटा ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) के हाथों में है. उन्होंने 2017 में टाटा संस के चेयरमैन का पदभार संभाला था. एन चंद्रशेखरन इससे पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं.

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आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? Who is your life coach

 #Motivation गहराई से सोचो !आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??


#अनीता_अल्वारेज, अमेरिका की एक पेशेवर तैराक हैं जो वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान परफॉर्म करने के लिए स्विमिंग पूल में जैसे ही छलांग लगाई , वो छलांग लगाते ही पानी के अंदर बेहोश हो गई , जहाँ पूरी भीड़ सिर्फ़ जीत और हार के बारे में सोच रही थी वहीं उसकी कोच एंड्रिया ने जब देखा कि अनीता एक नियत समय से ज़्यादा देर तक पानी के अंदर है , एंड्रिया पल भर के लिए सब कुछ भूल गई कि वर्ल्ड चैंपियनशिप प्रतियोगिता चल रही है , एक पल भी व्यर्थ ना करते हुए एंड्रिया चलती प्रतियोगिता के बीच में ही स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी , वहाँ मौजूद हज़ारों लोग कुछ समझ पाते तब तक एंड्रिया पानी के अंदर अनीता के पास थी , एंड्रिया ने देखा कि अनीता स्विमिंग पूल में पानी के अंदर बेहोश पड़ी है , ऐसी हालत में ना हाथ पैर चला सकती ना मदद माँग सकती , एंड्रिया ने अनीता को जैसे बाहर निकाला मौजूद हज़ारों लोग सन्न रह गए , एंड्रिया ने अनीता को तो बचा लिया , लेकिन हम सबकी ज़िंदगी में बहुत बड़ा सवाल छोड़ गई ! इस दुनियाँ में ना जाने कितने लोग हम सबकी ज़िंदगी से जुड़े हैं कितनों से रोज़ मिलते भी होंगे , जो इंसान हर किसी से अपने मन की बात नहीं कह पाता कि असल ज़िंदगी में वह भी कहीं डूब रहा है , वह भी किसी तकलीफ़ से गुज़र रहा है , वह भी किसी बात को लेक़र ज़िंदगी से परेशान हो रहा है , लेकिन बता नहीं पा रहा हैजब इंसान किसी को अपने मन की व्यथा , अपनी परेशानी नहीं बता पाता तो मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि वह ख़ुद को पूरी दुनियाँ से अलग़ कर लेता है , सबकी नज़रों से दूर एकांत में ख़ुद को चारदीवारी में क़ैद कर लेता है , ये वक़्त ऐसा होता है कि तब इंसान डूब रहा होता है , उसका मोह ख़त्म हो चुका होता है , ना किसी से बात चीत ना किसी से मिलना जुलना , ये स्थिति इंसान के लिए सबसे ख़तरनाक होती है , जब इंसान अपने डूबने के दौर से गुज़र रहा होता है , तब बाक़ी सब दर्शकों की भाँति अपनी ज़िंदगी में व्यस्त होते हैं किसी को ख़्याल ना होता कि एक इंसान किसी बड़ी परेशानी में है ,


अगर इंसान कुछ दिन के लिए ग़ायब हो जाए तो पहले तो लोगों को ख़्याल नहीं आएगा , अगर कुछ को आ भी जाए तो लोग यही सोचेंगे , पहले कितनी बात होती थी अब वो बदल गया है या फिर उसे घमंड हो गया है या अब तो बड़ा आदमी बन गया है इसलिए बात नहीं करता , जब वो बात नहीं करता तो हम कियूँ करें ! या फिर ये सोच लेते हैं कि अब दिखाई ना देता तो वो अपनी ज़िंदगी में मस्त है इसलिए नहीं दिखाई देता , अनीता पेशेवर तैराक होते हुए डूब सकती है तो कोई भी अपनी ज़िंदगी में बुरे दौर से गुज़र सकता है , ये समझना ज़रूरी है लेकिन उन लोगों से हट कर कोई एक इंसान ऐसा भी होगा जो आपकी मनोस्थिति तुरंत भाँप लेगा , उसे बिना कुछ बताये सब पता चल जाएगा , आपकी ज़िंदगी के हर पहलू पर हमेशा नज़र रखेगा , थोड़ा सा भी परेशान हुए वो आपकी परेशानी आकर पूछने लगेगा , आपके बेहवियर को पहचान लेगा , आपको हौसला देगा आपको सकारात्मक बनायेगा और एंड्रिया की तरह कोच बन कर आपकी ज़िंदगी को बचा लेगा ,


हम सबको ऐसे कोच की ज़रूरत पड़ती है…ऐसा कोच कोई भी हो सकता है , आपका भाई , बहन , माँ , पापा ,आपका कोई दोस्त , आपका कोई हितैषी , आपका कोई रिश्तेदार , कोई भी , जो बिना बताये आपके भावों को पढ़ ले और तुरंत एक्शन ले।गहराई से सोचो आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ??

आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? Who is your life coach




आपकी ज़िंदगी का कोच कौन है ?? Who is your life coach

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Life Big Mistak

 


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Be aware citizens of India

 


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पारिवारिक उपद्रव की जड़ - स्त्री / The root of family trouble - woman


 

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A train in India that runs only once a year - भारत में एक ऐसी ट्रेन जो साल में सिर्फ एक बार चलती है

 भारत में एक ऐसी ट्रेन जो साल में सिर्फ एक बार चलती है

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भारत में एक ऐसी ट्रेन है जो साल में सिर्फ एक बार 15 दिन का सफर तय करती है, लेकिन जब यह सफर करती है तो करीब 500 लोगों का करियर बनाती है और भारत का भविष्य बनाती है।
मुंबई के जागृति सेवा संस्थान नामक एनजीओ द्वारा संचालित यह ट्रेन 2008 से हर साल यात्रा पर निकल रही है, जिसमें अब तक 23 देशों के 75 हजार से ज्यादा युवा शामिल हो चुके हैं.
इस ट्रेन के अधिकांश यात्री युवा उद्यमी हैं। यात्रा का एकमात्र उद्देश्य इसमें शामिल युवा उद्यमियों को जोड़ना, नेटवर्क बनाना और मार्गदर्शन करना है।
15 दिनों की इस यात्रा में लगभग 100 गुरु युवाओं को कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, विनिर्माण, जल और स्वच्छता, कला-साहित्य और संस्कृति जैसे विषयों पर उपलब्ध अवसर और उपाय सुझाते हैं।
कुल 8000 किमी की यात्रा के दौरान यह ट्रेन भारत के 10 से 12 शहरों में जाती है और ट्रेन में 500 यात्री सवार होते हैं। इस साल 16 नवंबर को शुरू होने वाली जागृति यात्रा की यात्रा मुंबई से शुरू होगी, जो हुबली, बेंगलुरु, मदुरै, चेन्नई, विशाखापत्तनम, दिल्ली सहित शहरों से होकर गुजरेगी और 1 दिसंबर को अहमदाबाद में समाप्त होगी।
यह दुनिया की सबसे खास और लंबी यात्राओं में से एक है।
A train in India that runs only once a year
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There is a train in India that travels only once a year for 15 days, but when it travels, it makes careers of about 500 people and builds the future of India.
This train, run by an NGO named Jagriti Seva Sansthan of Mumbai, has been going on a journey every year since 2008, in which more than 75 thousand youth from 23 countries have participated so far.
Most of the passengers of this train are young entrepreneurs. The sole purpose of the journey is to connect, network and guide the young entrepreneurs involved in it.
In this 15-day journey, about 100 gurus suggest the youth the opportunities and solutions available on topics like agriculture, education, energy, health, manufacturing, water and sanitation, art-literature and culture.
During the total journey of 8000 km, this train goes to 10 to 12 cities of India and 500 passengers board the train. The journey of the Jagruti Yatra, which will begin on November 16 this year, will start from Mumbai, pass through cities including Hubli, Bengaluru, Madurai, Chennai, Visakhapatnam, Delhi and end in Ahmedabad on December 1.
It is one of the most special and longest journeys in the world.
A train in India that runs only once a year - भारत में एक ऐसी ट्रेन जो साल में सिर्फ एक बार चलती है

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Motivational kids videio


 

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आत्मविश्वास और समझदारी confidence and intelligence

 एक दिन, एक कंपनी में साक्षात्कार के दौरान, बॉस, जिसका नाम अनिल था, ने सामने बैठी महिला, सीमा से पूछा, "आप इस नौकरी के लिए कितनी तनख्वाह की उम्मीद करती हैं?"

आत्मविश्वास और समझदारी confidence and intelligence


सीमा ने बिना किसी झिझक के आत्मविश्वास से कहा, "कम से कम 90,000 रुपये।"
अनिल ने उसकी ओर देखा और आगे पूछा, "आपको किसी खेल में दिलचस्पी है?"
सीमा ने जवाब दिया, "जी, मुझे शतरंज खेलना पसंद है।"
अनिल ने मुस्कुराते हुए कहा, "शतरंज बहुत ही दिलचस्प खेल है। चलिए, इस बारे में बात करते हैं। आपको शतरंज का कौन सा मोहरा सबसे ज्यादा पसंद है? या आप किस मोहरे से सबसे अधिक प्रभावित हैं?"
सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, "वज़ीर।"
अनिल ने उत्सुकता से पूछा, "क्यों? जबकि मुझे लगता है कि घोड़े की चाल सबसे अनोखी होती है।"
सीमा ने गंभीरता से जवाब दिया, "वास्तव में घोड़े की चाल दिलचस्प होती है, लेकिन वज़ीर में वो सभी गुण होते हैं जो बाकी मोहरों में अलग-अलग रूप से पाए जाते हैं। वह कभी मोहरे की तरह एक कदम बढ़ाकर राजा को बचाता है, तो कभी तिरछा चलकर हैरान करता है, और कभी ढाल बनकर राजा की रक्षा करता है।"
अनिल ने उसकी समझ से प्रभावित होते हुए पूछा, "बहुत दिलचस्प! लेकिन राजा के बारे में आपकी क्या राय है?"
सीमा ने तुरंत जवाब दिया, "सर, मैं राजा को शतरंज के खेल में सबसे कमजोर मानती हूँ। वह खुद को बचाने के लिए केवल एक ही कदम उठा सकता है, जबकि वज़ीर उसकी हर दिशा से रक्षा कर सकता है।"
अनिल सीमा के जवाब से प्रभावित हुआ और बोला, "बहुत शानदार! बेहतरीन जवाब। अब ये बताइए कि आप खुद को इनमें से किस मोहरे की तरह मानती हैं?"
सीमा ने बिना किसी देर के जवाब दिया, "राजा।"
अनिल थोड़ी हैरानी में पड़ गया और बोला, "लेकिन आपने तो राजा को कमजोर और सीमित बताया है, जो हमेशा वज़ीर की मदद का इंतजार करता है। फिर आप क्यों खुद को राजा मानती हैं?"
सीमा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "जी हाँ, मैं राजा हूँ और मेरा वज़ीर मेरा पति था। वह हमेशा मेरी रक्षा मुझसे बढ़कर करता था, हर मुश्किल में मेरा साथ देता था, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं है।"
अनिल को यह सुनकर थोड़ा धक्का लगा, और उसने गंभीरता से पूछा, "तो आप यह नौकरी क्यों करना चाहती हैं?"
सीमा की आवाज भर्राई, उसकी आँखें नम हो गईं। उसने गहरी सांस लेते हुए कहा, "क्योंकि मेरा वज़ीर अब इस दुनिया में नहीं रहा। अब मुझे खुद वज़ीर बनकर अपने बच्चों और अपने जीवन की जिम्मेदारी उठानी है।"
यह सुनकर कमरे में एक गहरी खामोशी छा गई। अनिल ने तालियाँ बजाते हुए कहा, "बहुत बढ़िया, सीमा। आप एक सशक्त महिला हैं।"
शिक्षा और सशक्तिकरण का महत्व:
यह कहानी उन सभी बेटियों के लिए एक प्रेरणा है जो जिंदगी में किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना कर सकती हैं। बेटियों को अच्छी शिक्षा और परवरिश देना बेहद जरूरी है, ताकि अगर कभी उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े, तो वे खुद वज़ीर बनकर अपने और अपने परिवार के लिए एक मजबूत ढाल बन सकें।
किसी विद्वान ने कहा है, "एक बेहतरीन पत्नी वह होती है जो अपने पति की मौजूदगी में एक आदर्श औरत हो, और पति की गैरमौजूदगी में वह मर्द की तरह परिवार का बोझ उठा सके।"
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर आत्मविश्वास और समझदारी हो, तो कोई भी मुश्किल हालात को पार किया जा सकता है।
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 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...