नीम की दातून Neem Teeth
नीम की दातून ही नहीं नीम का सारा वजूद ही लाभदायक होता है। जितनी अधिक ये लाभदायक होती है उतना ही कड़वा इसका स्वाद होता है।
घाव हो गया है तो नीम की पत्ती पीसकर बांध दीजिए, फोड़ा फूट गया है तो नीम की पत्ती पानी में उबालकर धोइए, खुजली, फोड़े, फुंसी निकल रहे हैं तो नीम की पत्ती पानी में अच्छी तरह से उबालकर उसी पानी से नहाइये, काफी पुराना बुखार है ठीक नहीं हो रहा है तो नीम की छाल को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पी लीजिए, बुखार होने से भूख मर गई है तो नीम के पत्तों की सींको को कुचलकर थोड़ा पानी डालकर छान लीजिए फिर लोहे का खुरपा या हंसिया चूल्हे में रखकर लाल होने तक गर्म कीजिए इस गर्म गर्म लोहे को नीम के रस में डालकर छौंक दीजिए और पिला दीजिए, मुंह का स्वाद खराब हो गया है तो नीम की कोमल पत्तियां चबा लीजिए।
इतना तो मुझे इसके आयुर्वेदिक गुण मालुम हैं।
नीम की पत्तियां अनाज रखने की कोठी में नीचे बिछाने से अनाज में कीड़े नहीं लगते हैं।
नीम की पत्तियां जलाने से मच्छर नहीं लगते हैं।
नीम के पत्तों को छूकर बहने वाली हवा एकदम शुद्ध होती है इसलिए दरवाजे पर नीम का पेड़ लगाना चाहिए।
नीम की सूखी सींकों से बड़े बुजुर्ग भोजन करने के बाद दांत खोदकर दांतों में फंसे भोजन के कण निकालते थे जिसे खरिका कहते हैं।
घर में प्रसूति होने पर प्रसूता के कमरे के बाहर दरवाजे पर नीम की टांगी जाती है ताकि हवा में घूमने वाले रोगाणु जच्चा बच्चा तक न पहुंच सके।
अपने अमृत समान गुणों की वजह से अमृता नाम से जानी जाने वाली गुरुचि के गुण कई गुना बढ़ जाते हैं अगर वो नीम के पेड़ पर चढ़ जाती है।
नीम की निबौली अगर आप खा सकें तो आपको एक तगड़ी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त हो सकती है।
नीम की निबौली इकठ्ठा करके उसे पेरा कर उसका तेल निकाला जाता है ये तेल पशुओं के ज़ख्मों पर लगाने से उन्हें राहत मिलती है।
गांव में अक्सर पड़ोसी गांव के कुत्तों संग गैंगवॉर होता रहता है नतीजन कुत्ते लड़ाई में घायल हो जाते हैं।
यूं तो वो अपनी चोट चाट चाट कर ठीक कर लेते हैं परंतु अगर चोट सर में लगी हो और उसकी दवा न हो तो बेचारे अक्सर सड़न और कीड़े पड़ने से मर जाते हैं। अगर आपके पास नीम का तेल हो तो किसी तरह उनके घाव पर लगा दीजिए इससे उनके घाव पर मक्खियां भी नहीं बैठेंगी और उनके घाव भी भर जायेंगे। बेचारे कुत्ते की जान बच जाएगी!!