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जब आप सुखी होते होगे तो अपने आपको बजनशून्य अनुभव करते होगे ,और दुखी होकर अपने -आपको बजनी होने का अनुभव करते होगे , ऎसा अनुभव लगता होगा कि कुछ आपको नीचे की ओर खींच रहा है ,तब आपका गुरुत्वाकषर्ण बहुत बढ़ जाता है , यानिकि दुःख कि हालत में बजन बढ़ जाता है / जब आप सुखी होते होगें तब हलके होते हैं ऎसा आपको अनुभव होता होगा। क्यों ? क्योंकि जब आप सुखी होते है तब आप आनंद का अनुभव करते होगे और शारीर को बिलकुल भूल जाते हैं ,और जब उदास या दुखी होते है तब शरीर को नहीं भुलसकते ,आप शरीर के भार का अनुभव करते होगे ,तब शरीर आपको नीचेकी ओऱ खींचता है ,मनो जमीं में धसे जारहे हैं। सुख में आप निर्भार ( हलका) होते है , अतः मौज मस्ती प्रभु भक्ति के साथ जिंदगी जियो।
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