भगवान ब्रह्मा का कुल Clan of Lord Brahma

ब्रह्मा हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। वे हिन्दुओं के तीन प्रमुख देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक हैं। ब्रह्मा को सृष्टि का रचयिता कहा जाता है। सृष्टि का रचयिता से आशय सिर्फ ‍जीवों की सृष्टि से है। पुराणों ने इनकी कहानी को मिथकरूप में लिखा।

प्रमुख देवता होने पर भी इनकी पूजा बहुत कम होती है। इसका एक कारण यह बताया जाता है कि इन्होंने अपनी पुत्री सरस्वती पर कु्दृष्टि डाली थी। दूसरा कारण यह कि ब्रह्मांड की थाह लेने के लिए जब भगवान शिव ने विष्णु और ब्रह्मा को भेजा तो ब्रह्मा ने वापस लौटकर शिव से असत्य वचन कहा था। इनका अकेला लेकिन प्रमुख मंदिर राजस्थान में पुष्कर नामक स्थान पर है। कई लोग गलती से इन्हें 'ब्रह्म' भी मान लेते हैं। जबकि 'ब्रह्म' शब्द 'ईश्वर' के लिए प्रयुक्त होता है।

पुराणों के अनुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र:- मन से मारिचि, नेत्र से अत्रि, मुख से अंगिरस, कान से पुलस्त्य, नाभि से पुलह, हाथ से कृतु, त्वचा से भृगु, प्राण से वशिष्ठ, अंगुषठ से दक्ष, छाया से कंदर्भ, गोद से नारद, इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन, सनतकुमार, शरीर से स्वायंभुव मनु, ध्यान से चित्रगुप्त आदि।

पुराणों में ब्रह्मा-पुत्रों को 'ब्रह्म आत्मा वै जायते पुत्र:' ही कहा गया है। ब्रह्मा ने सर्वप्रथम जिन चार-सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार पुत्रों का सृजन किया। उनकी सृष्टि रचना के कार्य में कोई रुचि नहीं थी। वे ब्रह्मचर्य रहकर ब्रह्म तत्व को जानने में ही मगन रहते थे।

इन वीतराग पुत्रों के इस निरपेक्ष व्यवहार पर ब्रह्मा को महान क्रोध उत्पन्न हुआ। ब्रह्मा के उस क्रोध से एक प्रचंड ज्योति ने जन्म लिया। उस समय क्रोध से जलते ब्रह्मा के मस्तक से अर्धनारीश्वर रुद्र उत्पन्न हुआ। ब्रह्मा ने उस अर्धनारीश्वर रुद्र को स्त्री और पुरुष दो भागों में विभक्त कर दिया। पुरुष का नाम 'का' और स्त्री का नाम 'या' रखा।

प्रजापत्य कल्प में ब्रह्मा ने रुद्र रूप को ही स्वयंभु मनु और स्त्री रूप में शतरूपा को प्रकट किया। इन दोनों ने ही प्रियव्रत, उत्तानपाद, प्रसूति और आकूति नाम की संतानों को जन्म दिया। फिर आकूति का विवाह रुचि से और प्रसूति का विवाह दक्ष से किया गया।

दक्ष ने प्रसूति से 24 कन्याओं को जन्म दिया। इसके नाम श्रद्धा, लक्ष्मी, पुष्टि, धुति, तुष्टि, मेधा, क्रिया, बुद्धि, लज्जा, वपु, शान्ति, ऋद्धि, और कीर्ति हैं। तेरह का विवाह धर्म से किया और फिर भृगु से ख्याति का, शिव से सती का, मरीचि से सम्भूति का, अंगिरा से स्मृति का, पुलस्त्य से प्रीति का पुलह से क्षमा का, कृति से सन्नति का, अत्रि से अनसूया का, वशिष्ट से ऊर्जा का, वह्व से स्वाह का तथा पितरों से स्वधा का विवाह किया। आगे आने वाली सृष्टि इन्हीं से विकसित हुई।

ब्रह्मा के उक्त कुल पर शोध किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि पुराणों में इनके कुल के संबंध में विरोधाभाषिक बातें हैं। कोई दस मानस पुत्र बताता है, कोई सत्रह तो कोई सिर्फ नौ। साथ ही पुराणकारों ने इनके कुल को मिथकीय विस्तार भी दिया जिससे इनकी ऐतिहासिकता स्पष्ट नहीं हो पाती है।

वराह कल्प का पहला मानव 'स्वायंभुव'
वैवस्वत मनु के इतिहास की रूपरेखा
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है! Cancer is not a dangerous disease!

 कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है!  डॉ. गुप्ता कहते हैं, लापरवाही के अलावा कैंसर से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। (1). पहला कदम चीनी का सेवन ब...