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Saturday, January 16, 2016

औषधीय गुणों की खान - विजयसार - के औषधीय गुण Medicinal Properties of Mine - Vijaysar - Medicinal Properties of

औषधीय गुणों की खान - विजयसार - के औषधीय गुण Medicinal Properties of Mine - Vijaysar - Medicinal Properties of


विजयसार नाम से एक लकड़ी है ये हमारे भारत में मध्य प्रदेश से लेकर पूरे दक्षिण भारत मे पाया जाता है। इसकी लकड़ी के टुकड़े हर जड़ी बूटी बेचने वाले या पन्सारी की दुकान से आसानी से मिल जाते है। इसकी लकड़ी का रंग हल्का लाल रंग से गहरे लाल रंग का होता है। यह दवा नये मधुमेह रोगियों के लिये तो प्रभावी है ही, साथ में उन रोगियों जिन्हें मधुमेह रोधी दवा खाने से दवा खाने से कोई लाभ नहीं होता, उनके लिये भी अचूक है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए कई कम्पनिया और कई क्षेत्रों में इसके ग्लास भी बनाकर बेचते हैं। पर वो बहुत मेहँगे पड़ते है और कुछ देर बाद उस ग्लास की उपयोगिता समाप्त हो जाती है।
मधुमेह, प्रमेह (धातु रोग), अस्थियों कि मजबूती के लिए तो यह जाना जाता ही है, पर इस के और भी कई अन्य गुण हैं, जो आपको शायद ही कहीं लिखे मिलें : (कम से कम फेसबूक या गूगल (Google) पर तो नहीं...).
मेरे जानने वाले बहुत ही योग्य वैद्य ने इसे 3 मास तक स्वयं प्रयोग किया है और इसके लाभ अनुभव किये है और किसी भी तरह का साइड-एफेक्ट नहीं पाया।
औषधीय गुण :
- मधुमेह को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
- उच्च रक्त-चाप को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
- अम्ल-पित्त में भी लाभ देता है।
- जोडों के दर्द में लाभ देता है।
- हाथ-पैरों के कम्पन में भी बहुत लाभदायक है।
- शरीर में बधी हुई चर्बी को कम करके, वजन और मोटापे को भी कम करने में सहायक है।
- त्वचा के कई रोगों, जैसे खाज-खुजली, बार-2 फोडे-फिंसी होते हों, उनमें भी लाभ देता है।
- प्रमेह (धातु रोग) में भी अचूक है।
- इसके नियमित सेवन से जोड़ों की कड़- कड़ बंद होती है .अस्थियाँ मजबूत होती है .
विजयसार की लकड़ी के टुकड़े बाजार से ले आए, जिसमे घुन ना लगा हो। इसे सूखे कपड़े से साफ कर ले। अगर टुकड़े बड़े है तो उन्हे तोड़ कर छोटे- छोटे- 1/4 -1/2 सेंटीमीटर या और भी छोटे टुकड़े बना ले।फिर आप एक मिट्टी का बर्तन ले और इस लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े लगभग पच्चीस ग्राम रात को दो कप या एक गिलास पानी में डाल दे । सुबह तक पानी का रंग लाल गहरा हो जाएगा ये पानी आप खाली पेट छानकर पी ले और दुबारा आप उसी लकड़ी को उतने ही पानी में डाल दे शाम को इस पानी को उबाल कर छान ले। फिर इसे ठंडा होने पर पी ले।
इसकी मात्रा रोग के अनुसार घटा या बढ़ा भी सकते है अगर आप अग्रेजी दवा का प्रयोग कर रहे है तो एक दम न बंद करे बस धीरे -धीरे कम करते जाए अगर आप इंस्युलीन के इंजेक्शन प्रयोग करते है वह 1 सप्ताह बाद इंजेक्शन की मात्रा कम कर दे। हर सप्ताह मे इंस्युलीन की मात्रा 2-3 यूनिट कम कर दे। विजयसार की लकड़ी में पाये जाने वाले तत्व रक्त में इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाने में सहायता करते हैं l
नोट : 1) यदि आप साथ में एलोपेथिक दवा भी ले रहे हैं, तो रक्त में शर्करा की मात्रा नियमित रूप से चेक करते रहें। यह केवल विजयसार पर ही लागू नहीं - आप कोई और भी आयुर्वेदिक दवा एलोपेथिक दवा के साथ में लेते हैं तो यह ध्यान रखना आवश्यक है।
मैने आगे भी कई बार बताया है की बढ़ी हुई शुगर या शर्करा की मात्रा हानि पहुंचने में कुछ सप्ताह या मास ले सकती है, जबकि अगर यह एकदम काम हो जाये, तो चंद मिनटों में ही घातक हो सकती है।
- मिट्टी का बर्तन तो ही लें, अगर मिट्टी अच्छी तरह से पकी हुई हो और उसे अच्छी तरह सॉफ करके ही प्रयोग करें। वर्ना आप शीशे या चीनी मिट्टी का बर्तन भी प्रयोग में ला सकते हैं।
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