कहा जाता हे की इंसान का सबसे नाजुक और सेंसिटिव अंग मनुष्य का सिर होता है। इसी लिए ये अक्सर देखा जा सकता हे की किसी भी धर्म से जुडी स्त्रियां पूजा पाठ करते समय अपने सिर पे दुपट्टा या साड़ी के पल्लू को हमेशा डाले रखती हैं। बड़ो के सामने सिर पे दुपट्टा या साड़ी के पल्लू को ढंककर रखना सम्मान सूचक भी माना जाता है।
जानिए वैज्ञानिक कारण क्या है
ब्रह्मरंध्र सिर के बीचों-बीच स्थित होता है। मौसम का मामूली से परिवर्तन के दुष्प्रभाव ब्रह्मरंध्र के भाग से शरीर के अन्य अंगों में आतें हैं। इसके अलावा आकाशीय विद्युतीय तरंगे खुले सिर वाले व्यक्तियों के अंदर घुस कर गुस्सा, दिमागी परेसानी, नज़रे कमजोर होना जैसे कई बीमारियो पैदा करती है। सिर के बालों में रोग फैलाने वाले कीटाणु आसानी से प्रवेश कर जाते हैं, क्योंकि बालों में कुछ ऐसा होता हे जिससे वो आसनी से उस जगह को नही छोड़ते । रोग फैलाने वाले यह कीटाणु बालों से शरीर के भीतर प्रवेश कर जाते हैं। जिससे व्यक्ति रोगी को रोगी बनाते हैं। इसी कारण सिर और बालों को जहां तक हो सके सिर और बालों को ढककर रखना हमारी परंपरा में शामिल है। साफ , पगड़ी और अन्य साधनों से सिर ढंकने पर कान भी ढंक जाते हैं। जिससे ठंडी और गर्म हवा कान के द्वारा शरीर में प्रवेश नहीं कर पाती। कई रोगों का इससे बचाव हो जाता है।
सिर ढंकने से आज का जो सबसे गंभीर बीमारी है गनजा हो जाना, बालो का टूटना और खोरा जैसे रोगो से आसानी से बचा जा सकता है। आज भी हिंदू धर्म में परिवार में किसी की मृत्यु पर उसके संबंधियों का मुंडन किया जाता है। ताकि मृतक शरीर से निकलने वाले रोगाणु जो उनके बालों में चिपके रहते हैं। वह नष्ट हो जाए। स्त्रियां बालों को पल्लू से ढंके रहती है। इसलिए वह रोगाणु से बच पाती है। नवजात शिशु का भी पहले ही वर्ष में इसलिए मुंडन किया जाता है ताकि गर्भ के अंदर की जो गंदगी उसके बालों में चिपकी है वह निकल जाए। मुंडन की यह प्रक्रिया अलग-अलग धर्मों में किसी न किसी रूप में है।
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