मैं तो ब्रह्म हूं, मैं तो शिव हूं, अनादि, अनंत शिव हूं। जय गौरी शंकर।। जय महाकाल।।

 


मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं, मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं, मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं, मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं। जय गौरी शंकर।। जय महाकाल।। न मैं शरीर हूं, न मैं प्राण हूं, न मैं संकल्प, न मैं शब्द हूं, न मैं रूप हूं, न मैं कोई विकार, न मैं सुख हूं, न मैं दुख हूं, न मैं मोह हूं, न मैं बंधन हूं, न मैं मुक्ति हूं, मैं तो निराकार, अनादि, अनंत शिव हूं। जय गौरी शंकर।। जय महाकाल।। न मैं स्त्री हूं, न मैं पुरुष हूं, न कोई रूप धरूं, न मैं लोभ हूं, न मैं क्रोध हूं, न अहंकार को अपनाऊं, न मैं ध्यान हूं, न मैं भक्ति हूं, न मैं पूजा हूं, न मैं कोई फल चाहता, न कोई इच्छा संजोऊं, मैं तो आत्मा हूं, परम शुद्ध ब्रह्म हूं, अनादि, अनंत शिव हूं। जय गौरी शंकर।। जय महाकाल।। न मैं जीवन हूं, न मैं मृत्यु हूं, न कोई बीच की स्थिति, न मैं भ्रम हूं, न मैं सत्य हूं, न किसी में कोई असंयम, न मैं किसी काल हूं, न मैं समय हूं, न कोई स्थान हूं, न मैं मोह-माया का जाल हूं, न ही मैं जन्म-मृत्यु का खेल हूं, मैं तो ब्रह्म हूं, मैं तो शिव हूं, अनादि, अनंत शिव हूं। जय गौरी शंकर।। जय महाकाल।।
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

👉 संस्कृति बचाओ, भारत बचाओ, 👉 चरित्र से जीवन को फिर जगाओ।

 ये धरती राम की है, सीता की शान, जहाँ चरित्र था धन, वही पहचान। आज वासना के बाज़ार में रिश्ते बिकते, संस्कारों के दीपक धुएं में सिसकते। 👉 सं...