समानता-विरोधी को वोट क्यों?

 वोट एक अधिकार है,

वोट एक ज़िम्मेदारी है,

सही बटन, सही निर्णय, सही वोट, —

देश के भविष्य को सुरक्षित करेगा।



समानता-विरोधी को वोट क्यों?

जो तोड़े एकता के रंग,

जो बाँटे धर्म और जाति में,

क्यों उसे सौंपें देश की कुर्सी ?


देश-विरोधी को वोट क्यों?

जो भूले शहीदों की शहादत,

जो फैलाए अफवाहें हर गली,

क्यों दें उसे, देश की ज़िम्मेदार कुर्सी ?



पूछिए अपने ज़मीर से,

क्या समानता विरोधी को वोट दें?

क्या देश विरोधी को वोट दें?

वोट है भविष्य की नींव,

कहीं गिरवी न रखें अपना ज़मीर,

अन्यथा देश विरोधी हो जाओगे ?



विभाजन कारी है, हर वो बात,

देश विरोधी की शाजिस बाली घात,

समानता ही मानवता का न्याय,

क्यों समानता  विरोधी को वोट दें?


जो सुने न गौ माता की पीड़ा,

जो भारत माता की जय न बोले,

क्यों दें उसे, देश की ज़िम्मेदार कुर्सी ?

राष्ट्रहित में ही, जनहित है?



हमने देखे हैं, झूंठे वादों के मेले,

धर्म के नाम पर देश बांटा, फिर क्यों झेलें ?

अब समय है सोच-समझकर मतदान का,

भीड़ में बह जाने का नहीं, बल्कि उठ खड़े होने का।



पूछिए अपने ज़मीर से,

क्यों दें उसे, देश की ज़िम्मेदार कुर्सी ?

देश को चाहिए सेवा की नीति,

ना कि देश विरोधी, कोई सियासी चाल।



हम सबके पूर्वज सनातनी हैं,

हर वोट देश की दिशा तय करता है।

तो सोचिए,  फिर समझिये, फिर वोट करिये,

जनहित में, देशहित में, वोट करिये, 

 खुद के ज़मीर से पूछिए, - क्या सही, क्या गलत।


भारत माता की जय , वन्देमातरम


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हर जीव में भगवान बसे हैं

 हर जीव में भगवान बसे हैं,

जो इसे समझे, वही सच्चे इंसान हैं...



जो न सिखाए प्रेम, न सिखाए दया,

जो न जगा पाए अंतर की आत्मा,

वो धर्म नहीं, बस एक नाम भर है,

जिसमें न ईश्वर, न प्रकाश का दर है।


निर्दोषों का रक्त बहाना,

जीवों को पीड़ा देना,

ये मनुष्यता नहीं —

ये हैवानियत का चेहरा है जीता-जागता।



स्वार्थ के नाम पर क्यों ढाते हो वज्रपात?

क्या हर चीख नहीं करती तुम्हारे दिल पर घात?

सोचो — अंत में क्या जाएगा साथ?

सिंहासन छूटे, नाम मिटे — न रही ताज, न रही बात।



हर जीव में भगवान बसे हैं,

मत देखो उसे केवल मांस ।

वो आत्मा है, उसी का अंश है,

वो भी परमात्मा का ही रूप है।



कब्रों ने सबके नाम मिटा दिए,

महलों ने न किसी को अमर बनाया।

राजा हो या रंक, सबका अंत है एक,

शरीर छूटता है, साथ जाता सिर्फ कर्म।


अजर अमर बस प्रभु नाम है,

जो हर कण में, हर प्राण में विराजमान है।

जो अनंत है, सत्य है, ब्रह्म है —

वही परमात्मा महान है।



चलो अब विवेक से जीवन को देखो,

हर जीव में उसी प्रभु को समझो।

मत काटो, मत मारो —

प्रभु को इस तरह नादानी में।



सच्चा धर्म वही, जो सिखाए करुणा,

जहाँ प्रेम हो, न हो कोई घृणा।

हर आत्मा में ईश्वर का निवास है,

यही सनातन का सच्चा प्रकाश है।



ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः,

सर्वे सन्तु निरामयाः।

हर आत्मा में जो विराजे,

वही है प्रभु — वही है सच्चा धर्म।



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जब-जब इंसान हैवान बना

जब-जब इंसान, हैवान बना,

और दिल से मिट गई दया,

जब नफ़रत ने शासन किया,

और सच बन गया सज़ा...




तब मौन नहीं रहता सृष्टिकर्ता,

वो फिर से धरा पे आते हैं,

अपने हाथों से कर्म का लेखा,

हर पापी को पढ़वाते हैं।



जब-जब इंसान हैवान बना,

दुनिया का सिस्टम रिसेट हुआ,

प्रभु चले जब रणभूमि में,

सत्य का सूरज फिर से उगा।





जब आँखों में शर्म न बची,

और इंसाफ भी बिकने लगे,

जब रक्षक ही भक्षक बनें,

और सपने तिजारत लगें...



तब कोई दूर से आता है,

वो दीप जलाने वाला है,

जो हाथ थामकर चलना सिखाए,

वो फिर से इंसान बनाए...



जब-जब इंसान हैवान बना,

दुनिया का सिस्टम रिसेट हुआ,

धरती ने फिर ईश्वर देखा,

जिसने अंधेरों को रोशनी दी।




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धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक

 जिसने दिल को धोखा दिया,

 उसने जान से खेला!"

शादी से पहले, शादी शुदा से इश्क़,

कभी नहीं कभी नहीं,

धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक





दिल ने किया था यक़ीन,

वो निकली बस एक सीन।

हँसी थी झूठी हर बात,

आँखों में थी अंधी रात।

धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।


[अंतरा 1 – छल की चोट]

सपनों में जाल बिछाया,

हर वादे में छल छुपाया।

पलकों पर आँसू भारी,

झूठी निकली उसकी यारी।

धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।


[अंतरा 2 – चेतावनी और दर्द की सीख]

ना दो दिल किसी धोखे को,

वो चुभेगा जैसे नश्तर को।

चेहरे से मत आंक दिल,

अंदर होता है केवल छल।

धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।


[अंतिम पंक्तियाँ – स्वाभिमान और सबक]

अब दिल खुद से जुड़ा है,

ज़ख्मों ने सब कुछ सिखाया है।

ना होगी अब मोहब्बत अंधी,

अब राहें होंगी अपनी सच्ची।

धोखेबाज़ से इश्क़ है घातक।


",

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जनसंख्या नियंत्रण नहीं तो, विकास नहीं, विनाश होगा

भीड़ ही भीड़ है,  शहर हो या गांव,

संसाधन सिमटे हैं, घट रही है छांव।

ना रोजगार बचा है, ना सांसें सस्ती हैं,

जनसंख्या विस्फोट से, विकास नहीं विनाश होगा 



हर अस्पताल लाइन में, टूटी उम्मीदें हैं,

स्कूलों में शिक्षा से ज़्यादा, होते अपराध हैं।

राशन कम है, ज़मीन सिकुड़ती जाती है,

औरतें बिन इलाज, सड़कों पर जनती जाती हैं।


सड़कों पर ट्रैफिक, घरों में तंगी,

हर परिवार में चिंता, हर युवा में बेरोजगारी।

आज की भीड़ कल की बर्बादी है,

जनसंख्या विस्फोट, ये आत्मघाती तैयारी है।



🗣️


जनसंख्या नियंत्रण नहीं तो, 

विकास नहीं, विनाश होगा,

विभाजनकारी बढ़ता वोट, देश को खतरा है।

जनसंख्या पर अगर,  न लगा  लगाम,

तो  देश बनेगा,  सिर्फ़ एक संघर्ष का नाम।



अगर आज न चेते, तो कल जल भी नहीं मिलेगा,

रोटी होगी सोने जैसी, पर पेट कभी नहीं भरेगा।

ध्यान रहे, — जनसंख्या बढ़ाना, ही गुलामी का जाल है,

जहाँ भी भीड़ बढ़ी है, वहाँ न्याय भी शर्मसार है।


👁️ तीन से अधिक संतान वाले को मिले सख्त दंड:


❌ ना वोट का अधिकार,


❌ ना चुनाव में हिस्सा,


❌ ना शासन में पद,


❌ ना सरकारी लाभ या सिफ़ारिश का किस्सा।


ये नियम हो नीचे से ऊपर तक, नेता भी अपवाद ना हो,

वरना जनता पर कानून और नेता पर छूट, — ये लोकतंत्र का अपमान होगा।



🗣️ जनसंख्या नियंत्रण नहीं तो, विकास नहीं, विनाश होगा,

जिम्मेदार कानून चाहिए, नारे नहीं — अब बदलाव होगा।

संविधान में जुड़ी हो,  नीति दो बच्चों की  सख्ती ,

न हो कोई डर, न हो कोई समानता विरोधी राजनीति ।



अब भी समय है —

छोटा परिवार, सुरक्षित भविष्य, शिक्षित समाज,

सभी के लिए हो भोजन, जल, जीवन और सम्मान का राज।


देश को चाहिए आबादी नहीं,

देश को चाहिए न्याय, विकास और नीति,

जनसंख्या नियंत्रण ही राष्ट्र का सुरक्षा कवच है,

इससे भी पहले समानता और देश विरोधी को,

 राजनीती  और देश की सेवाओं से, बाहर करना जरुरी है?




"यदि किसी के दो से अधिक संतान हों, तो उसे आजीवन मतदान, चुनाव, शासन, प्रशासन और राजनीति से वंचित किया जाए — और यह नियम नेता से लेकर आम नागरिक तक सभी पर समान रूप से लागू हो। यही आज के भारत की सबसे जरूरी जरूरत है।"

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Goswami Rishta Blogger Blog

 About Goswami Rishta Blog:

"मनुष्य की स्थिति और गति उसके विचारों पर निर्भर करती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य के द्वार खोलते हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का कारण बनते हैं। Goswami Rishta ब्लॉग पर आपको प्रेरणादायक कहानियाँ, वीडियो, भजन, गाने, शॉर्ट्स, प्रवचन, संगीत, घरेलू उपचार और जीवन को संवारने वाले विचार मिलेंगे। यह ब्लॉग जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आध्यात्मिक जागरूकता और प्रेरणा लाने का एक श्रेष्ठ माध्यम है।"

"The state and progress of a person are determined by their thoughts. Good thoughts open the doors to fortune, while negative thoughts lead to misfortune. On the Goswami Rishta blog, you will find inspiring stories, videos, bhajans, songs, shorts, sermons, music, home remedies, and wisdom to enrich your life. This blog serves as a powerful platform for spreading positivity, spiritual awareness, and motivation."


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माँ की याद आती है

 🌿 आँख मेरी भर आई है,

याद तेरी फिर आई है,

दिल के वीराने को माँ,

तेरी ममता याद आई है...




🌸 तेरी गोद की नरमी को,

अब भी मैं महसूस करूँ,

तेरी बाहों में जो सुकून था,

उसे फिर से जीना चाहूँ...


💫 जब भी तकलीफ़ आई थी,

तेरी दुआ आगे आई थी,

माथे पे तेरा हाथ पड़ा,

तो हर मुसीबत पराई थी...



🌿 तेरा आँचल ढूँढता हूँ,

तेरी गोद को पुकारता हूँ,

तेरी बातों की मिठास माँ,

अब खामोशियों में गुम है...



🌼 आँख मेरी भर आई है,

याद तेरी फिर आई है,

क्यों चली गई माँ मुझसे,

तेरी ममता क्यों बिछड़ाई है...?



🌙 तेरा आँगन सूना पड़ा,

तेरी हँसी अब गूँजती नहीं,

तुझसे जीवन में जो उजला था,

अब रोशनी भी दिखती नहीं...


💔 जब भी दुनिया तड़पाती है,

तेरा आँचल ढूँढता हूँ,

अब भी तेरी दुआओं में,

हर लम्हा खुद को देखता हूँ...



🌸 सपनों में आ जाया कर,

माथे पे हाथ धर जाया कर,

जब भी आँखें नम हों माँ,

आँचल से पोंछ जाया कर...



🌿 आँख मेरी भर आई है,

याद तेरी फिर आई है,

तू गई नहीं, तू पास है माँ,

दिल में ममता बरसाई है...


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चमकते योद्धाओं के, तलवार, त्रिशूल,

 चमकते योद्धाओं के, तलवार, त्रिशूल,

गूंजी रणभूमि में, जयकार, उसूल। 

शिवा की छाया में, उठा स्वाभिमान,

हर क्रांतिकारी बना, माँ का सम्मान। 



सीने में ज्वाला, हाथों में शक्ति,

रखवाले हैं हम, देश की भक्ति। 

कफ़न बाँध निकले, ना कोई डर,

मातृभूमि के लिए, चढ़े वीर पथ। 



राणा की हुंकार, हल्दीघाटी का शोर,

लहू से लिखा गया, गौरवमयी भोर।

बंदा बैरागी की, ज्वाला सी पुकार,

फाँसी पे हँसकर बोले, वंदे मातरम्। 



त्रिशूलों की चमक, अब भी बताती,

आज़ादी उपहार नहीं, थी वो बलिदानी। 

जो आज खड़े हैं, वो देश के योद्धा,

हर साँस में गूंजे, मातृभूमि के सुर। 



हम युवा हैं, पर विरासत से गहरे,

भूलेंगे ना वीरों की यादें स्वर्ण रेखाएं। 

हर पग पर खून, वतन के लिए,

तलवार, त्रिशूल, सुरक्षा के लिए। 



सीने में ज्वाला, हाथों में शक्ति,

रखवाले हैं हम, देश की भक्ति। 

चमकते योद्धाओं के, तलवार, त्रिशूल,

अब भी गूंजे, योद्धाओं के उसूल। 


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अब भी नहीं जागे, तो इतिहास माफ़ नहीं करेगा

"अब भी नहीं जागे, तो इतिहास माफ़ नहीं करेगा!"

मानवता के बिना, न धर्म बचता है, न मजहब, न पूजा-पाठ।

जिस दिल में दया नहीं, वहाँ ईश्वर का वास नहीं।


आज आप जिस देश में आज़ाद हैं,

वो शहीदों के बलिदान से है,

किसी नेता के झूठे वादों से नहीं।


तो फिर देश को तोड़ने वालों का साथ क्यों देते हो?

गुमराह करने वालों की बातें कब तक सुनोगे?

अपनी बुद्धि से क्यों नहीं सोचते?


इंसान चाँद पर पहुँच गया,

और तुम आज भी खून बहाकर जन्नत की तलाश में हो?

क्या यही तुम्हारी समझ है?


सोचो…!

क्या तुम चाहते हो कि कोई कहे –

"यह उस देशद्रोही का बेटा है..."

क्या तुम अपने माँ-बाप का नाम बदनाम करना चाहते हो?

या उनका सिर गर्व से ऊँचा करना चाहते हो?


माँ-बाप का सम्मान बढ़ाना हर संतान का धर्म है।

देश का सम्मान बढ़ाना हर नागरिक का कर्तव्य है।


अब समय है उन नेताओं, मुल्लाओं, पाखंडी बाबाओं और भड़काऊ भाषण देने वालों से सावधान होने का

जो धर्म, जाति और राजनीति के नाम पर हमें आपस में लड़ाते हैं।


🌍 जाति और मजहब से पहले – देश और मानवता है!

देश को मजबूत बनाना है तो हर नागरिक को बराबरी का अधिकार देना होगा।

समानता का कानून (UCC) ही भारत को सशक्त बनाएगा।


जो नेता समाज को बाँटते हैं,

जो सत्य नहीं, नफरत का प्रचार करते हैं –

उन्हें एक भी वोट मत दो।


देश तोड़ने वालों का समर्थन सबसे बड़ा पाप है।


🛑 अब भारत रुकेगा नहीं – क्योंकि अब जाग चुका है युवा!

✅ राजनीति के भेड़ियों से सावधान रहो।

✅ समानता और मानवता के लिए आवाज़ उठाओ।

✅ देशभक्त बनो, गद्दार नहीं।


🙏 अब भी वक़्त है –

मानवता को बचाओ,

संस्कारों को फिर से जियो,

और भारत माता की जय के साथ जीना सीखो।


✊ आपका शुभचिंतक – एक जागरूक, राष्ट्रप्रेमी नागरिक

जय हिंद! वंदे मातरम्! 🇮🇳

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🌺 "फैशन नहीं, संस्कार ही असली पहचान है!"

 

🌺 "फैशन नहीं, संस्कार ही असली पहचान है!"

आज के इस आधुनिक युग में,
जहाँ तकनीक ने तरक्की की है,
वहीं फैशन की आड़ में शर्म और मर्यादा को
छोड़ देना एक नया चलन बन गया है।

हर उम्र की महिलाएँ,
अक्सर तंग, कटे-फटे कपड़ों में,
बिना आँचल या चूनरी के,
अपने शरीर की हर रेखा को
सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित करती हुई नज़र आती हैं।

प्रश्न उठता है –
इसका उद्देश्य क्या है?
कौन-सी आज़ादी है जो शरीर के प्रदर्शन से जुड़ी है?

भारतीय संस्कृति ने कभी स्त्री को दबा कर नहीं रखा,
बल्कि उसे 'माँ', 'बहन', 'लक्ष्मी' और 'शक्ति' के रूप में पूजा है।
लेकिन जब वही स्त्री शालीनता की जगह अश्लीलता चुनती है,
तो समाज में कामुकता, अपराध और अव्यवस्था को जन्म देती है।

इतिहास गवाह है –
जब-जब सदाचार की सीमा टूटी है,
तब-तब कामुक भेड़ियों ने इंसानियत को नोच डाला है।
किसी को फ्रिज में बंद किया गया,
किसी को जला दिया गया,
किसी को टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया।

👉 क्या यह सब उस स्त्री का दोष था?
नहीं!
लेकिन क्या हम यह नकार सकते हैं कि
कुछ हद तक उत्तेजक कपड़े, उकसावे और नजरों का कारण बनते हैं?


🚨 सिर्फ पुरुष ही नहीं – स्त्रियों को भी आत्ममंथन करना होगा।

शादी से पहले शील और मर्यादा में रहना,
भारतीय परंपरा का मूल रहा है।

यह पाबंदी नहीं, सुरक्षा है –
मान, सम्मान और भविष्य की रक्षा है।

बिना आँचल या मर्यादा के
अगर कोई स्त्री अपने शरीर को ‘प्रदर्शन’ बनाती है,
तो वह अनजाने में ही कई कमजोर मानसिकता वाले पुरुषों को भटकाती है।
फिर चाहे वह पुरुष हो या स्त्री –
दोष दोनों का है।

चरित्रहीनता स्त्री या पुरुष में नहीं –
चरित्र में होती है।

शादी से पहले "इच्छा",
शादी के बाद "असंतोष",
क्या यही आज़ादी है?

भगवान ने जो दिया,
उसमें संतुष्ट रहना ही सच्चा जीवन है।

पर जब हम वासनाओं के पीछे भागते हैं,
तो सिर्फ खुद नहीं,
पूरा परिवार, समाज और पीढ़ियाँ तबाह हो जाती हैं।

सुपर्णखा ने अपनी इच्छाओं में मर्यादा लांघी –
नाक कटी और कुटुंब खत्म हुआ।

विश्वामित्र जैसे तपस्वी भी मोहिनी रूप में बहके –
तो आम पुरुष कौन सा अपवाद है?


🌼 अब समय है – चरित्र और संस्कारों की ओर लौटने का।

  • सशक्त बनो, लेकिन शालीन भी।

  • आज़ाद बनो, पर मर्यादा के भीतर।

  • फैशन ऐसा हो जो आत्मसम्मान बढ़ाए,
    ना कि दूसरों की नीयत बिगाड़े।

स्त्री और पुरुष दोनों की ज़िम्मेदारी है –
कि वो चरित्रवान बनें,
समाज को बिगाड़ें नहीं।

👉 आधुनिकता में डूबकर संस्कृति को मत भूलो।
क्योंकि देश सभ्यता से बनता है, केवल विकास से नहीं।


🙏 आपका शुभचिंतक – एक सजग, संवेदनशील और संस्कारित नागरिक।

जय हिंद! 🚩

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समानता-विरोधी को वोट क्यों?

 वोट एक अधिकार है, वोट एक ज़िम्मेदारी है, सही बटन, सही निर्णय, सही वोट, — देश के भविष्य को सुरक्षित करेगा। समानता-विरोधी को वोट क्यों? जो तो...