गायत्री मंत्र का वर्णं

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र संक्षेप में

गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं

ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना......
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आज का अनमोल वचन


आज का अनमोल वचन

बच्चों को शिक्षा के साथ यह भी सिखाया जाना चाहिए कि वह मात्र एक व्यक्ति नहीं है, संपूर्ण राष्ट्र की थाती हैं। उससे कुछ भी गलत हो जाएगा तो उसकी और उसके परिवार की ही नहीं बल्कि पूरे समाज और पूरे देश की दुनिया में बदनामी होगी। बचपन से उसे यह सिखाने से उसके मन में यह भावना पैदा होगी कि वह कुछ ऐसा करे जिससे कि देश का नाम रोशन हो। योग-शिक्षा इस मार्ग पर बच्चे को ले जाने में सहायक है। - स्वामी रामदेव
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is tarah naa......


is tarah naa kamao ki paap ho jaaye......

is tarah naa kharch karo ki karza ho jaaye.....

is tarah naa khao ki marz ho jaaye.....

is tarah naa bolo ki klesh ho jaaye....

is tarah naa chalo ki der ho jaaye.....

is tarah naa socho ki chinta ho jaaye.....




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Hindi Quotes About Success


वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है।
प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असम्भव नजर आता है।

ऊद्यम ही सफलता की कुंजी है।

एकाग्रता से ही विजय मिलती है।

कीर्ति वीरोचित कार्यो की सुगन्ध है।

भाग्य साहसी का साथ देता है।

सफलता अत्यधिक परिश्रम चाहती है।

विवेक बहादुरी का उत्तम अंश है।

कार्य उद्यम से सिद्ध होते है, मनोरथो से नही।

संकल्प ही मनुष्य का बल है।

प्रचंड वायु मे भी पहाड विचलित नही होते।

कर्म करने मे ही अधिकार है, फल मे नही।

मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है।

अपने शक्तियो पर भरोसा करने वाला कभी असफल नही होता।
 
 

मुस्कान प्रेम की भाषा है।

सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता और भी दुर्लभ है।

अहंकार छोडे बिना सच्चा प्रेम नही किया जा सकता।

प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देते है।

प्रसन्न करने का उपाय है, स्वयं प्रसन्न रहना।

अधिकार जताने से अधिकार सिद्ध नही होता।

एक गुण समस्त दोषो को ढक लेता है।

दूसरो से प्रेम करना अपने आप से प्रेम करना है। 

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Natural Beauty Tips for Girls



Wake Up Call
Make paste of honey and ginger and apply this paste on face every morning before brushing teeth. This will prevent wrinkles to a greater extent.
Rich Olive
Massage is very useful as it increases blood circulation and result in tightening of skin. Use olive oil to massage your skin daily. Remember to massage in anticlockwise
Ample Apple
Cut apple’s thin slices and rub it on affected area, wash with warm water after 10 min. It helps in controlling oily shine.
Healthy Haldi
Make a paste using Haldi (Turmeric) with a little raw milk and lemon juice. Apply it on the skin, it will help in removing a tan.
Sweet Honey
Prepare mixture of honey, lemon and vegetable oil. Apply this paste on dry skin and wash after 10-15 min. This mixture is a good moisturizer for dry skin.
Fruit Lunch
Make it a habit to add lots of fruits as part of your meals. Take fruits without adding any salt and sugar to it. Eat wide variety of fruits and vegetables, including dark green vegetables and feel the difference in your skin.
Ideal Drink
Make a habit of drinking 2 glass of water early in the morning. Drinking water early in the morning will bless you with shiny and healthy skin.
Utterly Buttery
Buttermilk is another proven recipe to fade the sun tan. Wash you face with Buttermilk regularly for a few days and you would notice the difference. Being a natural astringent, it tones the skin and is ideal for oily to combination skin.
Morning Buzz
Try to take food that contains more calories (as compare to night) in morning and noon. This way you might eat less in the evening. It gives more time and chance for burning the calories during day and noon.
Moisturizing
Applying moisturizer after a warm face wash or a warm shower is the best remedies for skin. Moisturizing helps to restore the oils that our skin has and helps to keep the skin hydrated.
Greedy Grapes
Add 3-4 tablespoons of oatmeal to the juice of a grapefruit. Mix to thick paste. Spread on face and leave on 15 minutes, remove with luke warm water. Get healthy and smooth skin quickly.
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कबीर के दोहे


माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय। 
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥ 

माला फेरत जुग गया, गया न मन का फेर । 
कर का मन का डा‍रि दे, मन का मनका फेर॥ 

तिनका कबहुं ना निंदए, जो पांव तले होए। 
कबहुं उड़ अंखियन पड़े, पीर घनेरी होए॥ 

गुरु गोविंद दोऊं खड़े, काके लागूं पांय। 
बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताय॥ 

साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय। 
मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय॥ 

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। 
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय॥ 

कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और। 
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥ 

माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर। 
आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥ 

रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय। 
हीरा जनम अमोल है, कोड़ी बदली जाय॥ 

दुःख में सुमिरन सब करें सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे होय॥

बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर॥

उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास।
तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥

सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनाई।
धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाई॥

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नाभि स्पंदन से रोग की पहचान प्राकृतिक उपचार चिकित्सा पद्धति


डॉ.ए.ए. शर्मा 
नाभि स्पंदन से रोग की पहचान
आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में रोग पहचानने के कई तरीके हैं। नाभि स्पंदन से रोग की पहचान का उल्लेख हमें हमारे आयुर्वेद व प्राकृतिक उपचार चिकित्सा पद्धतियों में मिल जाता है। परंतु इसे दुर्भाग्य ही कहना चाहिए कि हम हमारी अमूल्य धरोहर को न संभाल सके।

कैसे होती है नाभि स्पंदन से रोगों की पहचान : 

यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो अग्न्याष्य खराब होने लगता है। इससे फेफड़ों पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं। यदि यह स्पंदन नीचे की तरफ चली जाए तो पतले दस्त होने लगते हैं। बाईं ओर खिसकने से शीतलता की कमी होने लगती है, सर्दी-जुकाम, खाँसी, कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं। 

यदि यह ज्यादा दिनों तक रहेगी तो स्थायी रूप से बीमारियाँ घर कर लेती हैं। दाहिनी तरफ हटने पर लीवर खराब होकर मंदाग्नि हो सकती है। पित्ताधिक्य, एसिड, जलन आदि की शिकायतें होने लगती हैं। इससे सूर्य चक्र निष्प्रभावी हो जाता है। गर्मी-सर्दी का संतुलन शरीर में बिगड़ जाता है। मंदाग्नि, अपच, अफरा जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं। यदि नाभि पेट के ऊपर की तरफ आ जाए यानी रीढ़ के विपरीत, तो मोटापा हो जाता है। वायु विकार हो जाता है। यदि नाभि नीचे की ओर (रीढ़ की हड्डी की तरफ) चली जाए तो व्यक्ति कुछ भी खाए, वह दुबला होता चला जाएगा।

नाभि के खिसकने से मानसिक एवं आध्यात्मिक क्षमताएँ कम हो जाती हैं। नाभि को पाताल लोक भी कहा गया है। कहते हैं मृत्यु के बाद भी प्राण नाभि में छः मिनट तक रहते है। यदि नाभि ठीक मध्यमा स्तर के बीच में चलती है तब स्त्रियाँ गर्भधारण योग्य होती हैं। यदि यही मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे रीढ़ की तरफ चली जाए तो ऐसी स्त्रियाँ गर्भ धारण नहीं कर सकतीं। 

अकसर यदि नाभि बिलकुल नीचे रीढ़ की तरफ चली जाती है तो फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। कई वंध्या स्त्रियों पर प्रयोग कर नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया गया। इससे वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो गईं। कुछ मामलों में उपचार वर्षों से चल रहा था एवं चिकित्सकों ने यह कह दिया था कि यह गर्भधारण नहीं कर सकती किन्तु नाभि-चिकित्सा के जानकारों ने इलाज किया। 

उपचार पद्धति आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों में पूर्व से ही विद्यमान रही है। नाभि को यथास्थान लाना एक कठिन कार्य है। थोड़ी-सी गड़बड़ी किसी नई बीमारी को जन्म दे सकती है। नाभि-नाड़ियों का संबंध शरीर के आंतरिक अंगों की सूचना प्रणाली से होता है। 

यदि गलत जगह पर खिसक जाए व स्थायी हो जाए तो परिणाम अत्यधिक खराब हो सकता है। इसलिए नाभि नाड़ी को यथास्थल बैठाने के लिए इसके योग्य व जानकार चिकित्सकों का ही सहारा लिया जाना चाहिए। नाभि को यथास्थान लाने के लिए रोगी को रात्रि में कुछ खाने को न दें। सुबह खाली पेट उपचार के लिए जाना चाहिए। क्योंकि खाली पेट ही नाभि नाड़ी की स्थिति का पता लग सकता है।
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पैर स्नान : एक श्रेष्ठतम प्रयोग प्राकृतिक चिकित्सा : अनमोल चिकित्सा


डॉ. सुनिता जोशी 
आयुर्वेदिक मसाज
प्राकृतिक चिकित्सा एक अनमोल चिकित्सा है जो रोग के मूल कारणों को दूर करती है। प्राकृतिक चिकित्सा में मौसम व रोगी प्रकृति के अनुसार ठंडे व गर्म प्रयोग को करके आशातीत लाभ प्राप्त कर सकते हैं। गर्म प्रयोगों में गर्म पानी का पैर स्नान है, उक्त प्रयोग कफ जनित रोगों में चमत्कारिक लाभ नहीं देता है, वरन श्रेष्ठ स्वास्थ्य प्रदान करता है। पैर स्नान वाष्प स्नान का श्रेष्ठ विकल्प है। 

सामान्य अवस्था में शरीर से प्रतिदिन 650 मिली पसीना निकलता है, किंतु व्यायाम नहीं करने व कुछ रोम छिद्रों के बंद होने की वजह से शरीर से पूर्ण क्षमता से पसीना नहीं निकलता है व शरीर में निरंतर गंदगी इकट्ठा होती रहती है, इससे विजातीय द्रव्यों के शरीर में अत्यधिक जमाव होने से रोगी हो जाता है। 

प्राकृतिक चिकित्सा मतानुसार मनुष्य शरीर रोगी तभी होता है जब उसमें विजातीय द्रव्यों का जमाव हो जाता है व परिणामस्वरूप मनुष्य अनेक रोगों का शिकार हो जाता है। गर्म पैर स्नान से शरीर के विजातीय द्रव्यों के निष्कासन में सहायता मिलती है और शरीर रोगमुक्त होने लगता है। 

पैर स्नान के द्वारा शरीर में पसीना आता है जिससे शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं व पसीने के माध्यम से विजातीय द्रव्य शरीर के बाहर होने लगते हैं। पैर स्नान के प्रयोग के द्वारा शरीर के निचले भाग आँतें, मूत्राशय व पेडु व अन्य कटि प्रदेश के अंगों में रक्त का तेज प्रवाह होता है व पेट के ऊपरी शारीरिक अंगों फेफड़े, हृदय व मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम होता है, गर्म पानी का पैर स्नान करने से हृदय, मस्तिष्क व फेफड़ों में रक्त का प्रवाह कम होता है व शरीर आराम का अनुभव करता है। 

beauty care tips
ND
वर्तमान में चल रही चिकित्सा के साथ-साथ व आहार-विहार (विचारों) में संयम रखते हुए गर्म पानी का पैर स्नान करते हैं तो चमत्कारिक लाभ मिलता है। यदि रोगी की नाक बहती है और उसे गर्म पानी का पैर स्नान करा दिया जाए तो बहती नाक कुछ ही समय में बहना बंद हो जाती है। तीव्र सर्दी, माइग्रेन, अस्थमा, हृदय रोग व थकान की अवस्था में गर्म पानी का पैर स्नान जादू सा असर करता है। सामान्य अवस्था में इस प्रयोग को करने से शरीर स्फूर्ति का अनुभव करता है। 

इस प्रयोग को अस्थमा रोग की तीव्र अवस्था में भी कराया जाए तो अस्थमा रोगी को तुरंत लाभ मिलता है। अस्थमा रोगी वर्तमान चल रही चिकित्सा को बंद न करें। माइग्रेन (आधाशीशी) दर्द की प्रारंभिक स्थिति में इस प्रयोग को किया जाए तो आशातीत लाभ मिलता है। शारीरिक रूप से थकने पर यदि पैर स्नान किया जाए तो थकान में बहुत राहत मिलती है। 

आयुर्वेदिक मसाज
विधि : दो से ढाई फुट ऊँचाई वाले स्टूल पर बैठ जाएँ व पिंडली की ऊँचाई तक गुनगुने पानी की बाल्टी में पैर रखें। ध्यान रहे कि पानी अत्यधिक गर्म नहीं होना चाहिए, पानी इतना गर्म होना चाहिए कि पैर उसे आसानी से सहन कर सकें, अर्थात पानी का तापमान सामान्य से थोड़ा अधिक होना चाहिए। गर्दन के निचले भाग को कंबल से ठीक प्रकार से लपेट लें, शरीर को इस प्रकार से लपेटें कि गर्दन के निचले हिस्से के अंगों में हवा का प्रवेश न हो सके। सिर पर ठंडे पानी का नैपकीन अवश्य रखें। 

गर्म पानी का पैर स्नान करते समय पास में तेज गर्म पानी रखें व पैर की सहने की क्षमतानुसार धीरे-धीरे पानी बढ़ाते रहें, ताकि शरीर का तापमान बढ़ता रहे व पसीना पर्याप्त मात्रा में आए। इस प्रकार 15 से 30 मिनट तक गर्म पानी में पैर रखें, यदि इसके पूर्व भी जी घबराने लगे व अच्छा न लगे तो तुरंत गर्म पानी पैर से हटा दें। कंबल व नैपकीन हटा दें व 3 मिनट ठंडे पानी में पैर को पिंडली के स्तर तक रखें। 3 मिनट बाद ठंडे पानी के नैपकीन से संपूर्ण शरीर को पोंछ लें। इस क्रिया को करने के बाद 45 मिनट तक हवा में न जाएँ। 

सावधानी : अत्यधिक सर्दी की अवस्था में सिर पर गीला नैपकीन न रखें। उक्त प्रयोग को किसी चिकित्सा विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करना चाहिए। अत्यधिक रक्तचाप बढ़ा होने, बुखार की अवस्था में, खाली पेट ही इसे करें। भोजन करने के 3-4 घंटे बाद इस प्रयोग को कर सकते हैं। अत्यधिक सर्दी व ठंडक की अवस्था में सिर पर गीले पानी से भीगा नैपकीन न रखें। 

लाभ :इस क्रिया को करने से रक्त संचार पैरों की ओर होने से हृदय व फेफड़ों व मस्तिष्क की ओर रक्त प्रवाह कम होता है और शरीर रोगों से मुक्त हो जाता है। पैर स्नान करने से पैरों का रक्त संचार पर्याप्त होता है व पैरों का दर्द व थकान भी दूर होती है।
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लू के होम्योपैथी उपचार चिकित्सा पद्धति Lu's homeopathy treatment method


होम्योपैथी उपचार 
नैट्रम म्यूर-200- 
शरीर में पानी की व्यवस्था कायम रखना ही इस दवा का काम है। पानी कम होने पर मुँह सूखना, सिर दर्द, चक्कर आना, बुखार, बेहोशी आदि में 5 गोली हर एक घंटे में दें, जब तक कि आराम न हो। रोकथाम के लिए दिन में दो खुराक काफी है। धूप में काम करने वाले मजदूर लोगों के लिए यह दवा अमूल्य है। 

अलियम सेप्पा-200 
शरीर के तापमान की स्थिति बनाए रखना ही इस दवा का मुख्य काम है। रोकथाम के लिए 5 गोली दिन में 2 बार लें। लू लगने पर जैसे तेज बुखार, शरीर में जलन, बेहोशी आदि में 5 गोली हर एक घंटे में दें, जब तक तकलीफ कम न हो। 

नेट्रम म्यूर, अलियम सेप्पा 200 की उक्त खुराक के अलावा अन्य बीमारियाँ होने पर ग्लोनाइन 200, बैलाडोना 200, ब्रायोनिया 200, का उपयोग करें।
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सिंगर्स की पहचान, सुरीली आवाज Singer's identity, melodious voice


Health tips in Hindi
अच्छी आवाज व्यक्तित्व का एक हिस्सा होती है। इस संचार के युग में अच्छी वाणी हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। वाणी की मधुरता एवं देखभाल हेतु निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाना जरूरी एवं महत्वपूर्ण हो गया है, खासकर व्यावसायिक दृष्टि से वाणी प्रयोग करने वालों को। आवाज ही जिनका व्यवसाय है, आवाज से ही जो अपने प्रोफेशन में प्रसिद्ध हैं और जो आवाज को अपना रोजगार बनाने की चाह रखते हैं, वे यहां दी जा रही बातों पर अमल करें- 

* धूल एवं धूलयुक्त वातावरण से यथासंभव बचें, धूम्रपान न करें। यदि मंच पर धुआं हो तो वेंटीलेशन सिस्टम या धुआं अवशोषित करने वाला यंत्र लगाएं। 

* तेज सर्दी, एक्यूट एलर्जी, नाक-गले या संवेगी संक्रमण के दौरान गायन कार्यक्रम न दें।

* नाक की एलर्जी से ग्रसित लोग धूल, धुएं, माइट्स, फफूंद एवं पराग कण आदि एलर्जन्स को नियंत्रित करने हेतु उपाय करें।

* अधिक मेकअप, बालों के या फिक्सिंग या अन्य प्रकार के स्प्रे बहुत साधवानी से एवं कम उपयोग में लाएं।

* शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही तनाव आवाज को दुष्प्रभावित करते हैं। किसी भी कार्यक्रम प्रस्तुति से पहले पूरी नींद, आराम एवं रिहर्सल जरूर करें। खासकर लंबी हवाई यात्रा के बाद थकान को दूर करना चाहिए।

* गायन, भजन, व्याख्यान एवं बातचीत के दौरान गला न सूखने दें। बीच-बीच में पानी के घूंट पिएं। हल्का, गुनगुना, शहदयुक्त पानी कार्यक्रम के दौरान निरंतर पीते रहें। एक ही समय पर लगातार 45 मिनट से ज्यादा आवाज का प्रयोग न करें।

* भीड़ या अधिक श्रोताओं के समक्ष भाषण देते वक्त माइक्रोफोन का प्रयोग करें। सभागृह की एकोस्टिक्स उपयुक्त हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

* गायकों या व्यावसायिक वाणी प्रयोग करने वालों को भी भीड़ भरी, शोरगुल वाली पार्टियों से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी जगहों पर जोर-जोर से बात करनी पड़ती है, जिससे स्वर यंत्र पर तनाव आता है। 

* बार-बार गला साफ करने की आदत न डालें, उपयुक्त इलाज लें। जोर-जोर से बोलने, चीखने-चिल्लाने एवं तनावपूर्ण ढंग से आवाज निकालने से बचें। ख्याल रखें कि खेल-खेल में बच्चे अधिक चीखें-चिल्लाएं नहीं। 

* हमेशा तनावरहित, रिलैक्स होकर धीरे-धीरे बात करें। सिर एवं गर्दन को गायन या बोलचाल के दौरान सीधा रखें। यदि गर्दन की मांसपेंशियों में दर्द या ऐंठन है तो मालिश करें।

* हमेशा दो फीट की दूरी से बात करें। फुसफुसाएं नहीं। पेट एवं श्वसन की कसरतें नियमित करें। गाने या बोलने से पूर्व श्वास न रोकें। वजन नियंत्रित रखें, वजन ज्यादा कम करने से आवाज प्रभावित हो जाती है।

Health tips in Hindi
* जब कभी आपकी आवाज कर्कश होती है या फटापन आता है तो बातचीत बिल्कुल कम करें, अतिआवश्यक होने पर धीरे-धीरे बोलें।

* बढ़ती उम्र के कारण आवाज प्रभावित न हो, इस हेतु शारीरिक एवं श्वसन तंत्र की कसरत नियमित करना चाहिए। खान-पान नियमित हो, आवाज का नियमित अभ्यास करें व दांत गिरने का उपयुक्त इलाज करें। 

* व्यावसायिक रूप से वाणी प्रयोग करने वाले हर व्यक्ति खासकर पॉप सिंगर्स को नियमित ईएनटी चेकअप करवाते रहना चाहिए। आवाज-नाक-सायनस-गले एवं दांतों की पीड़ाओं के लिए परामर्श एवं उपयुक्त इलाज कराएं, नाक की एलर्जी है तो रोकथाम के उपाय करें।

यह हानिकारक है 
अनियमित दिनचर्या, खलबली पूर्ण सामाजिक मेल-जोल, फुसफुसाना, चीखना-चिल्लाना, तनावपूर्ण ढंग से आवाज निकालना, बार-बार गला साफ करना। अचानक वजन कम करना, मुंह से श्वास लेना, पंखे के सीधे नीचे या सामने सोना। अधिक मिर्च-मसाले एवं तेलयुक्त खाना, अधिक चाय-कॉफी-शीतलपेय। ज्यादा भूखा रहना।

लाभदायक क्या है 
* दो से अधिक बार खाना (एक समय में भरपेट न खाएं), प्रत्येक बार खान-पान के पश्चात कुल्लें करें, शुद्ध पानी हमेशा साथ रखना, नीबू का रस एवं हर्बल चाय, वातानुकूलित वातावरण, धूल-धुएं से बचना, पेट एवं श्वसन की नियमित कसरत।

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Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...