विचारों के अनुरूप ही मनुष्य की स्थिति और गति होती है। श्रेष्ठ विचार सौभाग्य का द्वार हैं, जबकि निकृष्ट विचार दुर्भाग्य का,आपको इस ब्लॉग पर प्रेरक कहानी,वीडियो, गीत,संगीत,शॉर्ट्स, गाना, भजन, प्रवचन, घरेलू उपचार इत्यादि मिलेगा । The state and movement of man depends on his thoughts. Good thoughts are the door to good fortune, while bad thoughts are the door to misfortune, you will find moral story, videos, songs, music, shorts, songs, bhajans, sermons, home remedies etc. in this blog.
सुख के साथ दु:ख भी जीवन का हिस्सा है
सुख के साथ दु:ख भी जीवन का हिस्सा है। यही कारण है सफलता को कायम रखना भी कठिन होता है। इसलिए ऊंचाई पर बने रहने के लिए जरूरी है योग्यता, हौंसला और इच्छा शक्ति। फिर भी किसी न किसी रूप में जीवन की गति में रुकावट आए तो हर इंसान ऐसे उपाय और तरीके अपनाना चाहता है, जो सरल होने के साथ सफलता में कारगर भी हो।
शास्त्रों में जीवन में आने वाली अनचाही परेशानियों, कष्ट, बाधाओं और संकट को दूर करने के लिए ऐसे देवताओं की उपासना के धार्मिक उपाय बताए हैं, जो न केवल मुश्किल हालात में भरपूर मानसिक शक्ति और शांति देते है, बल्कि उनका अचूक प्रभाव हर भय चिंता से मुक्त कर सफलताओं की बुलंदियों तक ले जाता है।
यहां कुछ ऐसे देवताओं के मंत्र बताए जा रहें हैं। जिनको घर, कार्यालय, सफर में मन ही मन बोलना भी संकटमोचक माना गया है। इन मंत्रों को बोलने के अलावा यथासंभव समय निकालकर साथ ही बताई जा रही पूजा सामग्री संबंधित देवता को जरूर चढ़ाएं -
शिव : मंत्र - नम: शिवाय, षडाक्षरी मंत्र - ऊँ नम: शिवाय
महामृंत्युजय मंत्र - पूजा सामग्री - दूध मिला जल, धतूरा, बिल्वपत्र।
श्री गणेश : मंत्र - ऊँ गं गणपतये नम: पूजा सामग्री - दूर्वा, सिंदूर
श्री विष्णु : ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय पूजा सामग्री - पीले फूल या वस्त्र
श्री हनुमान : ऊँ हं हनुमते नम: पूजा सामग्री - सिंदूर, गुड़-चना
देवी : ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। सामग्री - लाल चुनरी व चना-हलवा
मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
जय श्री राम
देवी-देवताओं का क्रोध झेलना पड़ता है
शास्त्रों में कई ऐसे कार्य बताए गए हैं जिन्हें करने पर देवी-देवताओं का क्रोध झेलना पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति से भगवान क्रोधित हो जाते हैं तो उसे कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। देवी-देवताओं में धन की देवी महालक्ष्मी का महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति जीवन में सुख की कल्पना भी नहीं कर सकता है।
महालक्ष्मी के रुठ जाने पर व्यक्ति को पैसों की तंगी झेलना पड़ती है। ऐसे में लाख मेहनत करने के बाद भी उचित धन प्राप्त नहीं हो पाता है। यदि व्यक्ति पहले से ही धनी हो और उससे लक्ष्मीजी रुठ जाए तो उसका समस्त धन भी नष्ट हो सकता है। अत: शास्त्रों द्वारा वर्जित कार्य हमें नहीं करना चाहिए।
महालक्ष्मी को क्रोधित करने वाले कार्यों में प्रमुख है झूठे हाथों से देवी-देवताओं की प्रतिमा या चित्रों को छूना। यदि कोई व्यक्ति कुछ खाने के बाद झूठे हाथों से ही भगवान को स्पर्श करता है तो उसे देवी-देवताओं का कोप सहना पड़ता है। घर की बरकत चली जाती है। कड़ी मेहनत के बाद भी व्यक्ति के पास पैसा नहीं आता। इसके अलावा पर्स में रखा पैसा भी अनावश्यक कार्यों में तुरंत ही खर्च होने लगता। अत: इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में झूठे हाथों से भगवान को स्पर्श न करें। भगवान के सामने जाने से पहले पूरी तरह पवित्र होकर ही जाना चाहिए। प्रसाद ग्रहण करने के बाद तुरंत हाथ धो लेना चाहिए।
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
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वास्तु के अनुसार सबसे अधिक जरूरी
जी हां आपको यकीन नहीं होगा कि इतना बड़ा राज आपके ही घर में छुुपा हो सकता है, लेकिन ये सच है। अगर आप गोर करें तो आपको पता चल जाएगा कि कैसे आसानी से पैसा और किस्मत डबल कर सकते हैं।
पैसा, धन, रुपए की जरूरत आज सभी को है, इसे हासिल करने के लिए कई प्रकार के जतन किए जाते हैं। कई लोगों की किस्मत में थोड़ी मेहनत के बाद ही काफी धन प्राप्त हो जाता है लेकिन कुछ लोग कड़ी मेहनत करते हैं फिर भी उन्हें पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता है। ऐसे में वास्तु के अनुसार कुछ ऐसी टिप्स बताई गई हैं जिससे आपके परिवार की ओर महालक्ष्मी की कृपा बढ़ेगी, फिर मिलेगा धन ही धन।
वास्तु के अनुसार सबसे अधिक जरूरी है कि घर सभी चीजे सही जगह पर रखी रहें अन्यथा गरीबी का निवास बहुत जल्दी हो जाता है। इसलिए इन बातों को अपनाएं...
कौन सी वस्तु कहां रखें
- सोते समय सिर दक्षिण में पैर उत्तर दिशा में रखें। या सिर पश्चिम में पैर पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
- अलमारी या तिजोरी को कभी भी दक्षिणमुखी नहीं रखें।
- पूजा घर ईशान कोण में रखें।
- रसोई घर मेन स्वीच, इलेक्ट्रीक बोर्ड, टीवी इन सब को आग्नेय कोण में रखें।
- रसोई के स्टेंड का पत्थर काला नहीं रखें।
- दक्षिणमुखी होकर रसोई नहीं पकाए।
- शौचालय सदा नैर्ऋत्य कोण में रखने का प्रयास करें।
- फर्श या दिवारों का रंग पूर्ण सफेद नहीं रखें।
- फर्श काला नहीं रखें।
- मुख्य द्वार की दाएं ओर शाम को रोजाना एक दीपक लगाएं।
इन बातों को अपनाने निश्चित की धन संबंधी कई परेशानियां दूर होंगी।
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स्त्रियों के लक्षण
सनातन धर्म में स्त्री को शक्ति और लक्ष्मी स्वरूपा माना गया है। यही कारण है कि गृहस्थ जीवन की खुशहाली और बदहाली पुरूष ही नहीं स्त्री के श्रेष्ठ आचरण, व्यवहार और चरित्र पर भी निर्भर है। स्त्री परिवार की जिम्मेदारियों की बागडोर संभाल अपने तन के साथ मन और धन के संतुलन व प्रबंधन से शक्ति बन परिवार में खुशियां बनाए रखती है।
इसी तरह हिन्दू धर्म में भी देवी लक्ष्मी ऐश्वर्य, धन और सुख-समृद्धि देने वाली मानी जाती है और यह भी मान्यता है कि वह दरिद्रता पसंद नहीं करती। इसलिए शास्त्रों में भी सांसारिक नजरिए से विवाहित या अविवाहित लक्ष्मी स्वरूपा स्त्री के लिए स्वयं के साथ घर-परिवार को भी बदहाली से बचाने के लिए बोल, व्यवहार से जुड़ी कुछ बुरी बातों से दूर रहने की सीख दी गई है। जिसके लिए दरिद्र बनाने वाली ऐसी स्त्रियों के लक्षण भी उजागर किए गए हैं -
- जो स्त्री हमेशा पति के खिलाफ़ काम करे।
- पति को कटु बोल बोलती है।
- पति को तरह-तरह से दु:ख देती है।
- लज्जाहीन स्त्री, झकडालू, गुस्सैल
- चिढ़चिढ़ी और निर्मम
- पति का घर छोड़कर दूसरे के घर में रहना पसंद करे।
- बड़ों का अपमान करने वाली
- परपुरूष को पसंद करे।
- आलसी और अस्वच्छ रहने वाली
- वाचाल यानी ज्यादा बोलने वाली
- घर का सामान इधर-उधर फेंकने वाली
- अधिक सोने वाली
- घर को अस्त-व्यस्त रखने वाली
- अनजान लोगों से अनावश्यक बात करने वाली
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सांई बाबा
शिर्डी के सांई बाबा के भक्त दुनियाभर में फैले हैं। उनके फकीर स्वभाव और चमत्कारों की कई कथाएं है। सांई बाबा के भक्तों की संख्या काफी अधिक है। सभी भक्त बाबा के चित्र या मूर्ति अपने घरों में अवश्य ही रखते हैं। यहां देखिए शिर्डी के सांई बाबा के दुर्लभ और असली फोटो। ऐसा माना जाता है कि ये फोटो सांई बाबा का ही हैं।
सांई ने अपना पूरा जीवन जनसेवा में ही व्यतीत किया। वे हर पल दूसरों के दुख दर्द दूर करते रहे। बाबा के जन्म के संबंध में कोई सटीक उल्लेख नहीं मिलता है। सांई के सारे चमत्कारों का रहस्य उनके सिद्धांतों में मिलता है, उन्होंने कुछ ऐसे सूत्र दिए हैं जिन्हें जीवन में उतारकर सफल हुआ जा सकता है। हमें उन सूत्रों को केवल गहराई से समझना होगा।
सांई बाबा के जीवन पर एक नजर डाली जाए तो समझ में आता है कि उनका पूरा जीवन लोककल्याण के लिए समर्पित था। खुद शक्ति सम्पन्न होते हुए भी उन्होंने कभी अपने लिए शक्ति का उपयोग नहीं किया। सभी साधनों को जुटाने की क्षमता होते हुए भी वे हमेशा सादा जीवन जीते रहे और यही शिक्षा उन्होंने संसार को भी दी। सांई बाबा शिर्डी में एक सामान्य इंसान की भांति रहते थे। उनका पूरा जीवन ही हमें हमारे लिए आदर्श है, उनकी शिक्षाएं हमें एक ऐसा जीवन जीने की प्रेरणा देती है जिससे समाज में एकरूपता और शांति प्राप्त हो सकती है।
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झाड़ू के महत्व
झाड़ू वैसे तो एक सामान्य सी चीज है लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है, जब यह घर की गंदगी, धूल-मिट्टी साफ करती है तो इसका मतलब यही है कि देवी महालक्ष्मी हमारे घर से दरिद्रता को बाहर निकाल देती है। घर की साफ-सफाई सभी करते हैं और इस काम के लिए घरों में झाड़ू अवश्य ही रहती है।
झाड़ू के महत्व को देखते हुए वास्तु शास्त्र द्वारा कई नियम बताए गए हैं।
- जब घर में झाड़ू का इस्तेमाल न हो, तब उसे नजरों के सामने से हटाकर रखना चाहिए।
- झाड़ू को कभी भी खड़ा नहीं रखना चाहिए।
- ध्यान रहे झाड़ू पर जाने-अनजाने पैर नहीं लगने चाहिए, इससे महालक्ष्मी का अपमान होता है।
- झाड़ू हमेशा साफ रखें।
- ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें।
- झाड़ू को कभी जलाना नहीं चाहिए।
- शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए।
- शनिवार के दिन घर में विशेष साफ-सफाई करनी चाहिए।
- घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए। इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
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बुद्धि और विवेक का तालमेल
बुद्धि और विवेक का तालमेल न केवल लक्ष्य तक पहुंचना आसान बनाकर सुख की हर चाहत को पूरी करता है। किंतु मकसद को पूरी करने के लिए अहम है कि उससे जुड़ी संभावित बाधाओं को ध्यान रख पहले से ही तैयारी की जाए। इनके बावजूद भी अनेक अवसरों पर अनजानी-अनचाही मुसीबतों से दो-चार होना पड़ता है।
हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश ऐसे ही देवता के रूप में पूजनीय है, जिनका नाम जप ही कार्य में आने वाली जानी-अनजानी विघ्र, बाधाओं का नाश कर देता है।
शास्त्रों में गृहस्थी हो या व्यापार या फिर किसी परीक्षा और प्रतियोगिता में सफलता की चाह रखने वालों के लिए श्री गणेश के इस मंत्र जप का महत्व बताया गया है। जिसमें भगवान श्री गणेश के 12 नामों की स्तुति है। जानते हैं यह श्री गणेश मंत्र -
- बुधवार या हर रोज इस मंत्र का सुबह श्री गणेश की सामान्य पूजा के साथ जप बेहतर नतीजे देता है। पूजा में दूर्वा चढ़ाना और मोदक का यथाशक्ति भोग लगाना न भूलें।
गणपर्तिविघ्रराजो लम्बतुण्डो गजानन:।
द्वेमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिप:।
विनायकश्चायकर्ण: पशुपालो भावात्मज:।
द्वाद्वशैतानि नामानि प्रातरूत्थाय य: पठेत्।
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्रं भवते् कश्चित।
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स्वप्न संकेत
हर इंसान सपने देखता है। कुछ हमें याद रहते हैं और कुछ भूल जाते हैं। कुछ सपने बहुत सरल होते हैं जो आसानी से समझ में आ जाते हैं लेकिन कुछ जटिल होते हैं जिन्हें स्वप्न संकेत कहा जाता है। लेकिन कुछ सपने ऐसे होते हैं जिन्हे देखकर मन घबराने लगता है। यदि आप ऐसा कोई अशुभ सपना देखें तो ऐसा क्या करें कि उस सपने के अशुभ प्रभाव से बच सकें। ये आज हम आपको बताने जा रहे हैं।इस तरह के सपने हमें कई बार हमारे जीवन में भविष्य में घटने वाली घटनाओं की तरफ संकेत कर सक्रिय करने की कोशिश करतें हैं लेकिन हम इन्हें समझ ही नहीं पाते।
- बुरे स्वप्न को देखकर यदि व्यक्ति उठकर पुन: सो जाए अथवा रात्रि में ही किसी से कह दे तो बुरे स्वप्न का फल नष्ट हो जाता है।
- सुबह उठकर भगवान शंकर को नमस्कार कर स्वप्न फल नष्ट करने के लिए प्रार्थना कर तुलसी के पौधे को जल देकर उसके सामने स्वप्न कह दें। इससे भी बुरे सपनों का फल नष्ट हो जाता है।
- अपने गुरु का स्मरण करने से भी बुरे स्वप्नों के फलों का नाश हो जाता है।
- धर्म शास्त्रों के अनुसार रात में सोते समय भगवान विष्णु, शंकर, महर्षि अगस्त्य, कपिल मुनि का स्मरण करने से भी बुरे सपने नहीं आते।
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माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। षटतिला एकादशी का महात्मय पुराणों में वर्णित है। इससे संबंधित एक कथा भी है जो इस प्रकार है-
एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु के धाम वैकुण्ठ पहुंचे। वहां उन्होंने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी की क्या कथा तथा उसके महत्व के बारे में पूछा। तब भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि- प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राह्मण की पत्नी रहती थी। उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी। वह मुझमें बहुत ही श्रद्धा एवं भक्ति रखती थी। एक बार उसने एक महीने तक व्रत रखकर मेरी आराधना की। व्रत के प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध तो हो गया परंतु वह कभी ब्राह्मण एवं देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं करती थी अत: मैंने सोचा कि यह स्त्री वैकुण्ठ में रहकर भी अतृप्त रहेगी अत: मैं स्वयं एक दिन उसके पास भिक्षा लेने गया।
ब्राह्मण की पत्नी से जब मैंने भिक्षा की याचना की तब उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर मेरे हाथों पर रख दिया। मैं वह पिण्ड लेकर अपने धाम लौट आया। कुछ दिनों पश्चात वह देह त्याग कर मेरे लोक में आ गई। यहां उसे एक कुटिया और आम का पेड़ मिला। खाली कुटिया को देखकर वह घबराकर मेरे पास आई और बोली की मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब मैंने उसे बताया कि यह अन्नदान नहीं करने तथा मुझे मिट्टी का पिण्ड देने से हुआ है। मैंने फिर उसे बताया कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब तक वे आपको षटतिला एकादशी के व्रत का विधान न बताएं।
स्त्री ने ऐसा ही किया और जिन विधियों को देवकन्या ने कहा था उस विधि से षटतिला एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गई। इसलिए हे नारद इस बात को सत्य मानों कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है और तिल एवं अन्नदान करता है उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।
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मानवता और राष्ट्रीयता के अनुकूल व्यवहार ही इंसान का प्रमुख धर्म है।
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लक्ष्मी की सामान्य पूजा विधि व 8 सरल लक्ष्मी मंत्र
लाभ-हानि जीवन का हिस्सा है। जीवन के हर क्षेत्र में हार-जीत और खोने-पाने का सिलसिला चलता रहता है। यह सच जानते हुए भी हर व्यक्ति स्वाभाविक रूप से घाटे या नुकसान से बचने की तमाम कोशिशें करता है, किंतु कहीं न कहीं बुरे समय या किसी चूक से उसे मुश्किलों से दो-चार होना ही पड़ता है।
शास्त्रों में ऐसे ही विपरीत हालात से बचने और बाहर आने के लिए देव उपासना का महत्व बताया गया है। मातृशक्ति लक्ष्मी को सभी संपत्ति, सिद्धि और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। इसलिए खासतौर पर जब व्यक्ति आर्थिक परेशानियों से घिर जाता है और परिवार तंगहाली या कारोबार में घाटे के दौर से गुजर रहा हो तो माता लक्ष्मी के आठ रूपों यानी अष्टलक्ष्मी की उपासना व मंत्र ध्यान आमदनी व बचत बढ़ाने वाले माने गए हैं।
जानते हैं शुक्रवार के दिन लक्ष्मी की सामान्य पूजा विधि व 8 सरल लक्ष्मी मंत्र-
- शुक्रवार के दिन शाम के समय स्नान कर घर के देवालय में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर केसर मिले चन्दन से अष्टदल बनाकर उस एक मुट्ठी चावल रख जल कलश रखें।
- कलश के पास हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति प्रतिष्ठित करें।
- माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने श्रीयंत्र भी रखें।
- इसके अलावा सोने-चांदी के सिक्के, मिठाई, फल भी रखें।
- इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की इन मंत्रों के साथ कुंकुम, अक्षत और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें-
- ॐ आद्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ विद्यालक्ष्म्यै नम:।
- ॐ सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ अमृतलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ कामलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ सत्यलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ भोगलक्ष्म्यै नम:।
- ॐ योगलक्ष्म्यै नम:।
- इसके बाद धूप और घी के दीप से पूजा कर नैवेद्य या भोग लगाएं।
- श्रद्धा भक्ति के साथ माता लक्ष्मी की आरती करें।
- आरती के बाद जानकारी होने पर श्रीसूक्त का पाठ भी करें।
- अंत में उपासना में हुई त्रुटि के लिए क्षमा मांग तन, मन और धन की परेशानियों को दूर करने की कामना करें।
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