तेरे चरणों में चरणों में

दुनिया ना भाए मोहे अब तो बुला ले
चरणों में चरणों में तेरे चरणों में चरणों में

मेरे गीत मेरे संग सहारे,
कोई ना मेरा संसार मेरे
दिल के यह टुकड़े कैसे बेच दूँ, दुनिया के बाज़ार में
मन के यह मोती रखियो तू संभाल के,
चरणों में चरणों में तेरे चरणों में चरणों में

सात सुरों के सातों सागर,
मन की उमंगो से जागे
तुहो बता मैं कैसे गाऊं
बहरी दुनिया के आगे
तेरी यह वीणा अब तेरे हवाले
चरणों में चरणों में तेरे चरणों में चरणों में

मैंने तुझे कोई सुख ना दिया
तूने दया लुटाई दोनों हाथों से
तेरे प्यार की याद जो आये,
दरद चालक जाए आँखों से
जीना नहीं आया मोहे अब तो छिपा ले
चरणों में चरणों में तेरे चरणों में चरणों में
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सुगर की चिकित्सा और सावधानिया


आजकल मधुमेह की बीमारी आम बीमारी है। डाईबेटिस भारत मे 5 करोड़ 70 लाख लोगोंकों है और 3 करोड़ लोगों को हो जाएगी अगले कुछ सालों मे सरकार ये कह रही है । हर दो मिनट मे एक मौत हो रही है डाईबेटिस से और complication Complications तो बहुत हो रहे है... किसी की किडनी ख़राब हो रही है, किसीका लीवर ख़राब हो रहा है किसीको ब्रेन हेमारेज हो रहा है, किसीको पैरालाईसीस हो रहा है, किसीको ब्रेन स्ट्रोक आ रहा है, किसीको कार्डियक अरेस्ट हो रहा है, किसी को हार्ट अटैक आ रहा है Complications बहुत है खतरनाक है ।

जब किसी व्यक्ति को मधुमेह की बीमारी होती है। इसका मतलब है वह व्यक्ति दिन भर में जितनी भी मीठी चीजें खाता है (चीनी, मिठाई, शक्कर, गुड़ आदि) वह ठीक प्रकार से नहीं पचती अर्थात उस व्यक्ति का अग्नाशय उचित मात्रा में उन चीजों से इन्सुलिन नहीं बना पाता इसलिये वह चीनी तत्व मूत्र के साथ सीधा निकलता है। इसे पेशाब में शुगर आना भी कहते हैं। जिन लोगों को अधिक चिंता, मोह, लालच, तनाव रहते हैं, उन लोगों को मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। मधुमेह रोग में शुरू में तो भूख बहुत लगती है। लेकिन धीरे-धीरे भूख कम हो जाती है। शरीर सुखने लगता है, कब्ज की शिकायत रहने लगती है। अधिक पेशाब आना और पेशाब में चीनी आना शुरू हो जाती है और रेागी का वजन कम होता जाता है। शरीर में कहीं भी जख्म/घाव होने पर वह जल्दी नहीं भरता।
तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करें ? राजीव भाई की एक छोटी सी सलाह है के आप इन्सुलिन पर जादा निर्भर न करे क्योंकि यह इन्सुलिन डाईबेटिस से भी जादा खतरनाक है, साइड इफेक्ट्स बहुत है ।
इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्न लिखित हैं।
आयुर्वेद की एक दावा है जो आप घर मे भी बना सकते है -
1. 100 ग्राम मेथी का दाना
2. 100 ग्राम तेजपत्ता
3. 150 ग्राम जामुन की बीज
4. 250 ग्राम बेल के पत्ते
इन सबको धुप मे सुखा कर पत्थर मे पिस कर पाउडर बना कर आपस मे मिला ले, यही औषधि है ।

औषधि लेने की पद्धति : सुबह नास्ता करने से एक घंटे पहले एक चम्मच गरम पानी के साथ ले फिर शाम को खाना खाने से एक घंटे पहले ले । तो सुबह शाम एक एक चम्मच पाउडर खाना खाने से पहले गरम पानी के साथ आपको लेना है । 45-60 दिन अगर आप ये दावा ले लिया तो आपकी डाईबेटिस बिलकुल ठीक हो जाएगी ।

ये औषधि बनाने मे 20 से 25 रूपया खर्च आएगा और ये औषधि तीन महिना तक चलेगी और उतने दिनों मे आपकी सुगर ठीक हो जाएगी ।
सावधानी :
1. सुगर के रोगी ऐसी चीजे जादा खाए जिसमे फाइबर हो रेशे जादा हो, High Fiber Low Fat Diet घी तेल वाली डायेट कम हो और फाइबर वाली जादा हो रेशेदार चीजे जादा खाए। सब्जिया मे बहुत रेशे है वो खाए, डाल जो छिलके वाली हो वो खाए, मोटा अनाज जादा खाए, फल ऐसी खाए जिनमे रेशा बहुत है ।
2. चीनी कभी ना खाए, डाईबेटिस की बीमारी को ठीक होने मे चीनी सबसे बड़ी रुकावट है । लेकिन आप गुड़ खा सकते है ।
3. दूध और दूध से बनी कोई भी चीज नही खाना ।
4. प्रेशर कुकर और अलुमिनम के बर्तन मे खाना न बनाए ।
5. रात का खाना सूर्यास्त के पूर्व करना होगा ।

जो डाईबेटिस आनुवंशिक होतें है वो कभी पूरी ठीक नही होता सिर्फ कण्ट्रोल होता है उनको ये दावा पूरी जिन्दगी खानी पड़ेगी पर जिनको आनुवंशिक नही है उनका पूरा ठीक होता है ।


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ठंडाई

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ग्रीष्म ऋतु में जब शरीर में अतिरिक्त उष्णता बढ़ जाने से कुछ व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं, तब दिन में एक बार ठंडाई का सेवन करने से बड़ी राहत मिलती है। शरीर में तरोताजगी एवं चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है। शरीर को पोषण भी मिलता है और गर्मी का मुकाबला करने की क्षमता और शक्ति भी मिलती है।

यूँ तो ठंडाई का मसाला बाजार में तैयार मिलता है, जिसे लाकर घोंट-छानकर सेवन किया जा सकता है पर घर में बना मसाला ज़्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट और सस्ता होगा.
जो व्यक्ति सभी द्रव्यों को अलग-अलग खरीदकर लाना चाहे और सब द्रव्यों को उचित मात्रा में मिलाकर घर पर ही ठंडाई का मिश्रण तैयार करना चाहे, वो इस नुस्खे का उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करना गुणवत्ता, शुद्धता एवं प्रत्येक द्रव्य को उचित मात्रा में मिश्रण करने की दृष्टि से अच्छा ही होगा।
खरबूज , तरबूज , खीरा ,पेठा और बादाम के बीज ये पांच मगज है जो दिमाग को तरावट देते है और दिमाग को मज़बूत बनाते है.

सामग्री : धनिया, खसखस के दाने, पांचो मगज , गुलाब के फूल, काहू के बीज, खस कुलफे के बीज, सौंफ, काली मिर्च, सफेद मिर्च और कासनी, सभी 11 द्रव्य 50-50 ग्राम। छोटी इलायची, सफेद चन्दन का बूरा और कमल गट्टे की गिरी, तीनों 25-25 ग्राम। इन सबको पीस लें और बोतल में भर लें।

एक बात का खयाल रखें कि कमल गट्टे की गिरि और चन्दन का बूरा खूब सूखा हुआ होना चाहिए। कमल गट्टे के पत्ते और छिलके हटाकर सिर्फ गिरि ही लेना है। इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा एक व्यक्ति के लिए काफी होती है। जितने व्यक्तियों के लिए ठंडाई घोंटना हो, प्रति व्यक्ति 10 ग्राम के हिसाब से ले लेना चाहिए।


बनाने के चार-पाँच घंटे पहले प्रति व्यक्ति एक छोटे चम्मच के हिसाब से भिगो दें। अधिक पौष्टिक बनाने के लिए भीगी, कतरी हुई बादाम भी मिला लें।केसर मिलाकर इसे और भी स्वादिष्ट बनाइये. इसे ठंडे पानी या दूध की सहायता से छानें। चीनी या मिश्री मिलाकर ठंडी-ठंडी पीएँ।
ठंडाई ---

ग्रीष्म ऋतु में जब शरीर में अतिरिक्त उष्णता बढ़ जाने से कुछ व्याधियाँ उत्पन्न होती हैं, तब दिन में एक बार ठंडाई का सेवन करने से बड़ी राहत मिलती है। शरीर में तरोताजगी एवं चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है। शरीर को पोषण भी मिलता है और गर्मी का मुकाबला करने की क्षमता और शक्ति भी मिलती है।

यूँ तो ठंडाई का मसाला बाजार में तैयार मिलता है, जिसे लाकर घोंट-छानकर सेवन किया जा सकता है पर घर में बना मसाला ज़्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट और सस्ता होगा.
जो व्यक्ति सभी द्रव्यों को अलग-अलग खरीदकर लाना चाहे और सब द्रव्यों को उचित मात्रा में मिलाकर घर पर ही ठंडाई का मिश्रण तैयार करना चाहे, वो इस नुस्खे का उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करना गुणवत्ता, शुद्धता एवं प्रत्येक द्रव्य को उचित मात्रा में मिश्रण करने की दृष्टि से अच्छा ही होगा।
खरबूज , तरबूज , खीरा ,पेठा और बादाम के बीज ये पांच मगज है जो दिमाग को तरावट देते है और दिमाग को मज़बूत बनाते है.

सामग्री : धनिया, खसखस के दाने, पांचो मगज , गुलाब के फूल, काहू के बीज, खस कुलफे के बीज, सौंफ, काली मिर्च, सफेद मिर्च और कासनी, सभी 11 द्रव्य 50-50 ग्राम। छोटी इलायची, सफेद चन्दन का बूरा और कमल गट्टे की गिरी, तीनों 25-25 ग्राम। इन सबको पीस लें और बोतल में भर लें।

एक बात का खयाल रखें कि कमल गट्टे की गिरि और चन्दन का बूरा खूब सूखा हुआ होना चाहिए। कमल गट्टे के पत्ते और छिलके हटाकर सिर्फ गिरि ही लेना है। इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा एक व्यक्ति के लिए काफी होती है। जितने व्यक्तियों के लिए ठंडाई घोंटना हो, प्रति व्यक्ति 10 ग्राम के हिसाब से ले लेना चाहिए।


बनाने के चार-पाँच घंटे पहले प्रति व्यक्ति एक छोटे चम्मच के हिसाब से भिगो दें। अधिक पौष्टिक बनाने के लिए भीगी, कतरी हुई बादाम भी मिला लें।केसर मिलाकर इसे और भी स्वादिष्ट बनाइये. इसे ठंडे पानी या दूध की सहायता से छानें। चीनी या मिश्री मिलाकर ठंडी-ठंडी पीएँ।
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गर्मी का रामबाण शहतूत summer panacea mulberry

चूंकि गर्मी में शरीर को पानी की आवश्यकता अधिक होती है, ऐसे में शहतूत रामबाण साबित हो सकता है। इस मौसमी फल में लगभग 91 प्रतिशत पानी की मात्र होती है, इसलिए इसके सेवन से शरीर में पानी का संतुलन बना रहता है। यह फल पित्त और वातनाशक होता है। इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कॉपर जैसे माइक्रो न्यूट्रिंएट तत्वों की भरपूर मात्र होने के कारण यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए काफी फायदेमंद है। वेलनेस कंसलटेंट डॉ. शिखा शर्मा कहती हैं कि इसमें मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट रक्त शुद्ध करता है। कब्ज की शिकायत या एनीमिया के रोगियों को इसके सेवन से फायदा मिलता है। इतना ही नहीं, यह खाना पचाने में भी सहायक होता है।

बहुपयोगी शहतूत::

शहतूत का सेवन कई तरह से किया जाता है। ज्यादातर लोग इसे अच्छी तरह धोकर उस पर काली मिर्च और नमक लगाकर खाना पसंद करते हैं। कच्चे शहतूत का छौंक लगाकर सब्जी बनाई जाती है। यह सब्जी पेट में होने वाले कई रोगों को दूर करने में कारगर होती है। इसके अलावा आइसक्रीम, जेली, मुरब्बा और अन्य पौष्टिक पदार्थो के उत्पादन में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

दक्षिण भारत का पसंदीदा फल ::

दक्षिण भारत में इसका उत्पादन ज्यादा होने के कारण वहां के लोगों के प्रिय फलों में से एक है। तामिलनाडु की रहने वाली जी. मालती कहती हैं कि शायद ही कोई दिन ऐसा होता होगा, जब हम इसे भोजन की थाली में शामिल न करते हों। शहद जैसा मीठा होने के कारण मैं इसका ज्यादातर इस्तेमाल रात में खाना खाने के बाद स्वीट्स के रूप में करती हूं। कई रोगों में कारगर
शहतूत में विटामिन सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, ग्लूकोज, मिनरल, फाइबर, फॉलिक एसिड आदि जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं। ऐसे में यह कई रोगों से निजात दिलाने में कारगर है। उदर रोगों, मस्तिष्क रोगों, डायरिया, उल्टी-दस्त और कैंसर जैसी बीमारियों के दौरान अन्य फलों के अलावा शहतूत का सेवन करने की भी सलाह डॉक्टर देते हैं। इसमें शुगर की मात्र लगभग 30 प्रतिशत होती है, इस कारण मधुमेह के मरीज भी इसका सेवन कर सकते हैं।

शरबत शानदार::
शहतूत का फल जितना कारगर है उतना ही गुणकारी है उसका शरबत। यह शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखता है। इसका शरबत बुखार और कफ को कम करता है। पेट के कृमियों को नष्ट कर पाचन शक्ति बढ़ाने के साथ ही रक्त को शुद्ध करने में भी अहम भूमिका निभाता है। गले की खराश और जुकाम ठीक करने के साथ-साथ चिड़चिड़ाहट और सिरदर्द को नियंत्रित करने में भी यह काफी सहायक है। गर्मियों में शहतूत का शरबत आपको लू लगने से बचा सकता है।

औषधीय गुण::
शहतूत की पत्तियां और छाल भी सेहत के लिहाज से काफी उपयोगी हैं। गले की खराश और सूजन के दौरान शहतूत के छाले का काढ़ा बनाकर पीने से राहत मिलती है। दाद और एक्जिमा रोग में इसके पत्ताें का लेप लगाने से राहत मिलती है। साथ ही पैर की बिवाइयों में शहतूत के बीजों की लुगदी लगाने से लाभ मिलता है।

अन्य उपयोग::
इसका प्रयोग न केवल खाने के लिए बल्कि औद्योगिक और दवा के रूप में भी किया जाता है। रेशम के कीड़े के लार्वा शहतूत की पत्तियों को खाकर ही खुद को पोषित करते हैं। हॉकी स्टिक, क्रिकेट बैट, टेनिस और बैडमिंटन के रैकेट बनाने में शहतूत की लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है। दाजिर्लिंग में तो इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल घर बनाने के लिए भी किया जाता है।
Photo: गर्मी का रामबाण::

चूंकि गर्मी में शरीर को पानी की आवश्यकता अधिक होती है, ऐसे में शहतूत रामबाण साबित हो सकता है। इस मौसमी फल में लगभग 91 प्रतिशत पानी की मात्र होती है, इसलिए इसके सेवन से शरीर में पानी का संतुलन बना रहता है। यह फल पित्त और वातनाशक होता है। इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कॉपर जैसे माइक्रो न्यूट्रिंएट तत्वों की भरपूर मात्र होने के कारण यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए काफी फायदेमंद है। वेलनेस कंसलटेंट डॉ. शिखा शर्मा कहती हैं कि इसमें मौजूद एंटी ऑक्सिडेंट रक्त शुद्ध करता है। कब्ज की शिकायत या एनीमिया के रोगियों को इसके सेवन से फायदा मिलता है। इतना ही नहीं, यह खाना पचाने में भी सहायक होता है। 

बहुपयोगी शहतूत::

शहतूत का सेवन कई तरह से किया जाता है। ज्यादातर लोग इसे अच्छी तरह धोकर उस पर काली मिर्च और नमक लगाकर खाना पसंद करते हैं। कच्चे शहतूत का छौंक लगाकर सब्जी बनाई जाती है। यह सब्जी पेट में होने वाले कई रोगों को दूर करने में कारगर होती है। इसके अलावा आइसक्रीम, जेली, मुरब्बा और अन्य पौष्टिक पदार्थो के उत्पादन में इसका इस्तेमाल किया जाता है। 

दक्षिण भारत का पसंदीदा फल ::

दक्षिण भारत में इसका उत्पादन ज्यादा होने के कारण वहां के लोगों के प्रिय फलों में से एक है। तामिलनाडु की रहने वाली जी. मालती कहती हैं कि शायद ही कोई दिन ऐसा होता होगा, जब हम इसे भोजन की थाली में शामिल न करते हों। शहद जैसा मीठा होने के कारण मैं इसका ज्यादातर इस्तेमाल रात में खाना खाने के बाद स्वीट्स के रूप में करती हूं। कई रोगों में कारगर
शहतूत में विटामिन सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, ग्लूकोज, मिनरल, फाइबर, फॉलिक एसिड आदि जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं। ऐसे में यह कई रोगों से निजात दिलाने में कारगर है। उदर रोगों, मस्तिष्क रोगों, डायरिया, उल्टी-दस्त और कैंसर जैसी बीमारियों के दौरान अन्य फलों के अलावा शहतूत का सेवन करने की भी सलाह डॉक्टर देते हैं। इसमें शुगर की मात्र लगभग 30 प्रतिशत होती है, इस कारण मधुमेह के मरीज भी इसका सेवन कर सकते हैं।

शरबत शानदार::
शहतूत का फल जितना कारगर है उतना ही गुणकारी है उसका शरबत। यह शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखता है। इसका शरबत बुखार और कफ को कम करता है। पेट के कृमियों को नष्ट कर पाचन शक्ति बढ़ाने के साथ ही रक्त को शुद्ध करने में भी अहम भूमिका निभाता है। गले की खराश और जुकाम ठीक करने के साथ-साथ चिड़चिड़ाहट और सिरदर्द को नियंत्रित करने में भी यह काफी सहायक है। गर्मियों में शहतूत का शरबत आपको लू लगने से बचा सकता है। 

औषधीय गुण::
शहतूत की पत्तियां और छाल भी सेहत के लिहाज से काफी उपयोगी हैं। गले की खराश और सूजन के दौरान शहतूत के छाले का काढ़ा बनाकर पीने से राहत मिलती है। दाद और एक्जिमा रोग में इसके पत्ताें का लेप लगाने से राहत मिलती है। साथ ही पैर की बिवाइयों में शहतूत के बीजों की लुगदी लगाने से लाभ मिलता है।

 अन्य उपयोग::
इसका प्रयोग न केवल खाने के लिए बल्कि औद्योगिक और दवा के रूप में भी किया जाता है। रेशम के कीड़े के लार्वा शहतूत की पत्तियों को खाकर ही खुद को पोषित करते हैं। हॉकी स्टिक, क्रिकेट बैट, टेनिस और बैडमिंटन के रैकेट बनाने में शहतूत की लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है। दाजिर्लिंग में तो इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल घर बनाने के लिए भी किया जाता है।
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बालों का बढ़ना चिकित्सा : Hair growth therapy


बालों का बढ़ना

चिकित्सा :

1. अमरबेल : 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें। इससे बाल लंबे होते हैं।

2. त्रिफला : त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।

3. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।

4. नीम : नीम और बेर के पत्त
ों को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।

5. लहसुन : लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।

6. सीताफल : सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।

7. आम : 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।

8. शिकाकाई : शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं। गर्मियों में यह प्रयोग सही रहता है। इससे बाल सफेद नहीं होते अगर बाल सफेद हो भी जाते हैं तो वह काले हो जाते हैं।

9. मूली : आधी से 1 मूली रोजाना दोपहर में खाना-खाने के बाद, कालीमिर्च के साथ नमक लगाकर खाने से बालों का रंग साफ होता है और बाल लंबे भी हो जाते हैं। इसका प्रयोग 3-4 महीने तक लगातार करें। 1 महीने तक इसका सेवन करने से कब्ज, अफारा और अरुचि में आराम मिलता है।
नोट : मूली जिसके लिए फयदेमन्द हो वही इसका प्रयोग कर सकते हैं।

10. आंवला : सूखे आंवले और मेंहदी को समान मात्रा में लेकर शाम को पानी में भिगो दें। प्रात: इससे बालों को धोयें। इसका प्रयोग लगातार कई दिनों तक करने से बाल मुलायम और लंबे हो जायेंगे।

11. ककड़ी : ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।

12. रीठा
* कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी (लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
* रीठा, आंवला, सिकाकाई तीनों को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।

13. गुड़हल : * गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
* गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इस लुग्दी को नहाने से 2 घंटे पहले बालों की जड़ों में मालिश करके लगायें। फिर नहायें और इसे साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करते रहने से न केवल बालों को पोषण मिलेगा, बल्कि सिर में भी ठंड़क का अनुभव होगा।
* गुड़हल के पत्ते और फूलों को बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को सोते समय बालों में लगाएं और सुबह धोयें। ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से बाल स्वस्थ बने रहते हैं।
* गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।


14. शांखपुष्पी : शांखपुष्पी से निर्मित तेल रोज लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।


15. भांगरा :
* बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं। उन्हें इस प्रयोग को अवश्य ही करना चाहिए।
* त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
* आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
* भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।


16. अनन्तमूल : अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण 2-2 ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से सिर का गंजापन दूर होता है।

17. तिल :
* तिल के पौधे की जड़ और पत्तों के काढ़े से बालों को धोने से बालों पर काला रंग आने लगता है।
* काले तिलों के तेल को शुद्ध करके बालों में लगाने से बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। प्रतिदिन सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने रहते हैं।
* तिल के फूल और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर घी और शहद में पीसकर लेप बना लें। इसे सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
* तिल के तेल की मालिश करने के एक घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठण्डा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सिर पर लपेट लें। इस प्रकार 5 मिनट लपेटे रखें। फिर ठंड़े पानी से सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है।


और अंत एक बात याद रखे !! किसी भी विदेशी कंपनी का कोई भी शैंपू का प्रयोग मत करे !!
ये clinic all clear,clinic plus, head and shoulder,dove,pantene सब विदेशी कंपनिया बनती है ! और बहुत ही खतरनाक कैमिकलों का प्रयोग करती है ! !! और हर 2 -3 महीने बाद एक ही शैंपू मे थोड़ा बदलाव कर उसका नाम बादल कर फिर बेचने लग जाती है !

आपको मालूम है pantene से एक लड़की के सारे बाल झड़ गये !!और वो खबर अखबार मे भी आई है !!

वो खबर पढ़ने के लिए नीचे दिये गये link पर click करे !!!
Photo: बालों का बढ़ना

चिकित्सा :

1. अमरबेल : 250 ग्राम अमरबेल को लगभग 3 लीटर पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये तो इसे उतार लें। सुबह इससे बालों को धोयें। इससे बाल लंबे होते हैं।

2. त्रिफला : त्रिफला के 2 से 6 ग्राम चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है।

3. कलौंजी : 50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें। इस उबले हुए पानी से बालों को धोएं। इससे बाल 1 महीने में ही काफी लंबे हो जाते हैं।

4. नीम : नीम और बेर के पत्त
ों को पानी के साथ पीसकर सिर पर लगा लें और इसके 2-3 घण्टों के बाद बालों को धो डालें। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है और बाल लंबे भी होते हैं।

5. लहसुन : लहसुन का रस निकालकर सिर में लगाने से बाल उग आते हैं।

6. सीताफल : सीताफल के बीज और बेर के बीज के पत्ते बराबर मात्रा में लेकर पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। ऐसा करने से बाल लंबे हो जाते हैं।

7. आम : 10 ग्राम आम की गिरी को आंवले के रस में पीसकर बालों में लगाना चाहिए। इससे बाल लंबे और घुंघराले हो जाते हैं।

8. शिकाकाई : शिकाकाई और सूखे आंवले को 25-25 ग्राम लेकर थोड़ा-सा कूटकर इसके टुकड़े कर लें। इन टुकड़ों को 500 ग्राम पानी में रात को डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को कपड़े के साथ मसलकर छान लें और इससे सिर की मालिश करें। 10-20 मिनट बाद नहा लें। इस तरह शिकाकाई और आंवलों के पानी से सिर को धोकर और बालों के सूखने पर नारियल का तेल लगाने से बाल लंबे, मुलायम और चमकदार बन जाते हैं। गर्मियों में यह प्रयोग सही रहता है। इससे बाल सफेद नहीं होते अगर बाल सफेद हो भी जाते हैं तो वह काले हो जाते हैं।

9. मूली : आधी से 1 मूली रोजाना दोपहर में खाना-खाने के बाद, कालीमिर्च के साथ नमक लगाकर खाने से बालों का रंग साफ होता है और बाल लंबे भी हो जाते हैं। इसका प्रयोग 3-4 महीने तक लगातार करें। 1 महीने तक इसका सेवन करने से कब्ज, अफारा और अरुचि में आराम मिलता है।
नोट : मूली जिसके लिए फयदेमन्द हो वही इसका प्रयोग कर सकते हैं।

10. आंवला : सूखे आंवले और मेंहदी को समान मात्रा में लेकर शाम को पानी में भिगो दें। प्रात: इससे बालों को धोयें। इसका प्रयोग लगातार कई दिनों तक करने से बाल मुलायम और लंबे हो जायेंगे।

11. ककड़ी : ककड़ी में सिलिकन और सल्फर अधिक मात्रा में होता है जो बालों को बढ़ाते हैं। ककड़ी के रस से बालों को धोने से तथा ककड़ी, गाजर और पालक सबको मिलाकर रस पीने से बाल बढ़ते हैं। यदि यह सब उपलब्ध न हो तो जो भी मिले उसका रस मिलाकर पी लें। इस प्रयोग से नाखून गिरना भी बन्द हो जाता है।

12. रीठा
* कपूर कचरी 100 ग्राम, नागरमोथा 100 ग्राम, कपूर तथा रीठे के फल की गिरी 40-40 ग्राम, शिकाकाई 250 ग्राम और आंवले 200 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी का चूर्ण तैयार कर लें। इस मिश्रण के 50 ग्राम चूर्ण में पानी मिलाकर लुग्दी (लेप) बनाकर बालों में लगाना चाहिए। इसके पश्चात् बालों को गरम पानी से खूब साफ कर लें। इससे सिर के अन्दर की जूं-लींकें मर जाती हैं और बाल मुलायम हो जाते हैं।
* रीठा, आंवला, सिकाकाई तीनों को मिलाने के बाद बाल धोने से बाल सिल्की, चमकदार, रूसी-रहित और घने हो जाते हैं।

13. गुड़हल : * गुड़हल के फूलों के रस को निकालकर सिर में डालने से बाल बढ़ते हैं।
* गुड़हल के पत्तों को पीसकर लुग्दी बना लें। इस लुग्दी को नहाने से 2 घंटे पहले बालों की जड़ों में मालिश करके लगायें। फिर नहायें और इसे साफ कर लें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करते रहने से न केवल बालों को पोषण मिलेगा, बल्कि सिर में भी ठंड़क का अनुभव होगा।
* गुड़हल के पत्ते और फूलों को बराबर की मात्रा में लेकर पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को सोते समय बालों में लगाएं और सुबह धोयें। ऐसा कुछ दिनों तक नियमित रूप से करने से बाल स्वस्थ बने रहते हैं।
* गुड़हल के ताजे फूलों के रस में जैतून का तेल बराबर मिलाकर आग पर पकायें, जब जल का अंश उड़ जाये तो इसे शीशी में भरकर रख लें। रोजाना नहाने के बाद इसे बालों की जड़ों में मल-मलकर लगाना चाहिए। इससे बाल चमकीले होकर लंबे हो जाते हैं।


14. शांखपुष्पी : शांखपुष्पी से निर्मित तेल रोज लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।


15. भांगरा :
* बालों को छोटा करके उस स्थान पर जहां पर बाल न हों भांगरा के पत्तों के रस से मालिश करने से कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंहे हो जाते हैं। उन्हें इस प्रयोग को अवश्य ही करना चाहिए।
* त्रिफला के चूर्ण को भांगरा के रस में 3 उबाल देकर अच्छी तरह से सुखाकर खरल यानी पीसकर रख लें। इसे प्रतिदिन सुबह के समय लगभग 2 ग्राम तक सेवन करने से बालों का सफेद होना बन्द जाता है तथा इससे आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
* आंवलों का मोटा चूर्ण करके, चीनी के मिट्टी के प्याले में रखकर ऊपर से भांगरा का इतना डाले कि आंवले उसमें डूब जाएं। फिर इसे खरलकर सुखा लेते हैं। इसी प्रकार 7 भावनाएं (उबाल) देकर सुखा लेते हैं। प्रतिदिन 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन से करने से असमय ही बालों का सफेद होना बन्द जाता है। यह आंखों की रोशनी को बढ़ाने वाला, उम्र को बढ़ाने वाला लाभकारी योग है।
* भांगरा, त्रिफला, अनन्तमूल और आम की गुठली का मिश्रण तथा 10 ग्राम मण्डूर कल्क व आधा किलो तेल को एक लीटर पानी के साथ पकायें। जब केवल तेल शेष बचे तो इसे छानकर रख लें। इसके प्रयोग से बालों के सभी प्रकार के रोग मिट जाते हैं।


16. अनन्तमूल : अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण 2-2 ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से सिर का गंजापन दूर होता है।

17. तिल :
* तिल के पौधे की जड़ और पत्तों के काढ़े से बालों को धोने से बालों पर काला रंग आने लगता है।
* काले तिलों के तेल को शुद्ध करके बालों में लगाने से बाल असमय में सफेद नहीं होते हैं। प्रतिदिन सिर में तिल के तेल की मालिश करने से बाल हमेशा मुलायम, काले और घने रहते हैं।
* तिल के फूल और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर घी और शहद में पीसकर लेप बना लें। इसे सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।
* तिल के तेल की मालिश करने के एक घंटे बाद एक तौलिया गर्म पानी में डुबोकर उसे निचोड़कर सिर पर लपेट लें तथा ठण्डा होने पर दोबारा गर्म पानी में डुबोकर निचोड़कर सिर पर लपेट लें। इस प्रकार 5 मिनट लपेटे रखें। फिर ठंड़े पानी से सिर को धो लें। ऐसा करने से बालों की रूसी दूर हो जाती है।


और अंत एक बात याद रखे !! किसी भी विदेशी कंपनी का कोई भी शैंपू का प्रयोग मत करे !!
ये clinic all clear,clinic plus, head and shoulder,dove,pantene  सब विदेशी कंपनिया बनती है ! और बहुत ही खतरनाक कैमिकलों का प्रयोग करती है ! !! और हर 2 -3 महीने बाद एक ही शैंपू मे थोड़ा बदलाव कर उसका नाम बादल कर फिर बेचने लग जाती है ! 

आपको मालूम है pantene से एक लड़की के सारे बाल झड़ गये !!और वो खबर  अखबार मे भी आई है !!

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लटजीरा/ लटकन का बड़ा ही महत्वपूर्ण औषधीय पौधा Latjira/Latkan is a very important medicinal plant

आपके बाग-बगीचे, आँगन या खेलकूद के मैदानों और आम रूप से खेतों में दिखाई देने वाले लटजीरा/ लटकन का वानस्पतिक नाम एकाइरेन्थस एस्पेरा है। एक से तीन फीट की ऊँचाई वाले इस पौधे पर ऊपरी भाग पर एक लट पर जीरे की तरह दिखाई देने वाले बीज लगे होते हैं जो अक्सर पैंट और साडिय़ों आदि से रगड़ खाने पर चिपक जाते हैं। खेती में अक्सर इसे खरपतवार माना जाता है लेकिन आदिवासी इसे बड़ा ही महत्वपूर्ण औषधीय पौधा मानते हैं।

. लटजीरा के बीजों को एकत्र कर कुछ मात्रा लेकर पानी में उबाला जाए और काढ़ा बन जाने पर भोजन के 2-3 घंटे बाद देने से लीवर (यकृत) की समस्या में आराम मिलता है

. ऐसा माना जाता है कि लटजीरा के बीजों को मिट्टी के बर्तन में भूनकर सेवन करने से भूख मरती है और इसे वजन घटाने के लिए इस तरह उपयोग में भी लाया जाता है।

. लटजीरा के तने को कुचलकर कत्थे के साथ मिलाया जाए और 2-4 पत्तियाँ सीताफल की कुचलकर डाल दी जाए। ये सारा मिश्रण पके हुए घाव पर लगाया जाए तो घाव में आराम मिल जाता है। आधुनिक विज्ञान की मानी जाए तो टैनिन नामक रसायन घाव सुखाने के लिए महत्वपूर्ण रसायन है और लटजीरा, सीताफल और कत्थे तीनों में भरपूर मात्रा में टैनिन पाया जाता है।

. नए जख्म या चोट लग जाने पर रक्त स्राव होता है, लटजीरा के पत्तों को पीसकर इसके रस को जख्म में भर देने से बहता रक्त रूक जाता है।

. लटजीरा के संपूर्ण पौधे के रस का सेवन अनिद्रा रोग में फायदा करता है। जिन्हे तनाव, थकान और चिढ़चिढ़ापन की वजह से नींद नहीं आती है उन्हे इसका सेवन करने से निश्चित फायदा मिलता है।

. लटजीरा पत्तों के साथ हींग चबाने से दांत दर्द में तुरंत आराम मिलता है। माना जाता है कि दाँतों से निकलने वाले खून को भी रोकने में यह काफी कारगर होता है। मसूड़ो से खून आना, बदबू आना अथवा सूजन होने से लटजीरा की दातुन उपयोग में लाने पर तुरंत आराम पड़ता है।

. सर्दी और खांसी में लटजीरा के पत्तों का रस लेना अत्यंत गुणकारी है। आदिवासियों के अनुसार दिन में दो से तीन बार इस रस का सेवन पुराना कफ भी ठीक कर देता है।


. आदिवासियों की मान्यतानुसार संतान प्राप्ति के लिए लटजीरा की जड़ को दूध में घिसकर महिला को मासिक धर्म के दौरान सेवन कराया जाए तो संतान प्राप्ति होती है।
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प्रेरक कथा


एक बार एक साधु बाबा ने अपने कुटिया में कुछ तोते पाल रखे थे और उन सभी तोते को अपनी सुरक्षा हेतु एक गीत सिखा रखा था “शिकारी आएगा जाल बिछाएगा पर हम नहीं जाएँगे |” एक दिन साधु बाबा भिक्षा मांगने हेतु पास ही के एक गाँव में गए | इसी बीच एक बहेलिया वाय उसने देखा एक पेड़ पर अनेक तोते बैठे हैं उसे उन पक्षियों को देख उसे लालच हुआ उसने उन सभी तोते को पकड़ने की योजना बनाने लगा कि तभी तोते एक साथ गाने लगे “शिकारी आएगा जाल बिछाएगा पर हम नहीं जाएँगे |” बहेलिया ने जब यह सुना तो आश्चर्यचकित रह गया !! उसने इतने समझदार तोते कहीं देखें ही नहीं थे उसने सोचा इन्हे पकड़ना असंभव हैं ये तो प्रशिक्षित तोते लगते हैं | बहेलिया को नींद आ रही थी उसने उसी पेड़ के नीचे अपनी जाल में कुछ अमरूद के टुकड़े डालसो गया , सोचा कि संभवतः कोई लालची और बुद्धू तोता फंस जाये | एक घंटे उपरांत जब वह सोकर उठा तो देखा कि सारे तोते एक साथ गा रहे थे “शिकारी आएगा जाल बिछाएगा पर हम नहीं जाएँगे |” पर कहाँ गा रहे थे जाल के अंदर !! शिकारी उन सब बुद्धू तोते की हाल देख हंस पड़ा और सब को पकड़ कर ले गया | आज हम हिंदुओं कि स्थिति भी इन रट्टू तोते समान है , प्रतिदिन आरती में ‘तन, मन, धन सब है तेरा, तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे है मेरा’ यह कहता तो है मात्र धर्म कार्य हेतु अर्पण करने समय कुछ भी अर्पण करने से कतराते हैं !

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तुलसी के बीज का महत्त्व

जब भी तुलसी में खूब फुल यानी मंजिरी लग जाए तो उन्हें पकने पर तोड़ लेना चाहिए वरना तुलसी के झाड में चीटियाँ और कीड़ें लग जाते है और उसे समाप्त कर देते है . इन पकी हुई मंजिरियों को रख ले . इनमे से काले काले बीज अलग होंगे उसे एकत्र कर ले . यही सब्जा है . अगर आपके घर में नही है तो बाजार में पंसारी या आयुर्वैदिक दवाईयो की दुकान पर मिल जाएंगे

शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:: तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है

नपुंसकता:: तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।

मासिक धर्म में अनियमियता:: जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है


तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है .



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कई बीमारियों से बचाए कुंजल

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एसिडिटी आदि कई बीमारियों से बचाए कुंजल

घेरण्ड संहिता के अनुसार जिन छह क्रियाओं द्वारा शरीर के आंतरिक अंगों तथा सम्पूर्ण प्रणालियों का शोधन होता है। वे हैं- धौति, बस्ति, नेति, नौलि, त्राटक तथा कपालभाति। इन्हें ष्ाट्कर्म कहते हैं। धौति के अन्तर्गत वमन, धौति को कुंजल या गजकर्म या गजकरणी भी कहते हैं।

गजकर्म याहि जानिए,
पिए पेट भर नीर।
फेरि युक्ति सो काढिये,
रोग न होय शरीर

जिस प्रकार हाथी अपनी सूंड से पानी पीकर फिर सूंड द्वारा वापस बाहर निकाल देता है तथा अपने आपको निरोगी रखता है, वही क्रिया गजकर्म या गजकरणी कहलाती है।

विधि: कागासन में बैठ जाएं। गुनगुने गरम पानी (पीने लायक) के पांच-छह गिलास उस समय तक पीते रहें, जब तक कि वमन की इच्छा न होने लगे। पानी पीने के बाद दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं तथा बाएं हाथ को नाभि पर रखें। कमर को लगभग 90 सेंटीग्रेट कोण पर आगे झुका दें। दाएं हाथ की पहली तीन अंगुलियों को मुंह में गहराई तक डालकर जीभ को हल्के से रगड़ें या कोए (छोटी जीभ) को अन्दर की ओर दबाकर उत्तेजित करें, जिससे ग्रहण किया पानी वमन के रूप में बाहर निकलने लगे।

ज्योंही पानी बाहर निकलने लगे, तुरन्त हाथ की अंगुलियों को मुंह से बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे पानी वेग के साथ आसानी से बाहर निकल जाए। पानी निकलना बन्द होने पर तुरन्त मुंह में अंगुलियां डालकर इस क्रिया को दोहराएं जब तक कि पानी पूरा बाहर नहीं निकल जाए।

लाभ: इस क्रिया के द्वारा आमाशय की पूर्ण धुलाई हो जाती है। वमन के साथ पित्त, कफ, बिना पचे हुए खाद्य पदार्थ, अम्लाधिक्य और गैस बाहर निकल जाती हैं।

यह दमा, अपच, कब्ज, जुकाम, गैस आदि बीमारियों के लिए लाभदायक क्रिया है। जिन्हें अधिक अम्ल बनता है उनके लिए यह रामबाण क्रिया है। कफ के बाहर निकल जाने से खांसी तथा श्वास के अन्य रोग दूर होते हैं। सिर दर्द तथा स्नायविक कमजोरी में लाभदायक है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के निवारण में सहायक है।

सीमाएं: ह्वदय, पेट का अल्सर, हर्निया, उच्च रक्तचाप, टी.बी., अपेंडिसाइटिस रोग से पीडित रोगी इस क्रिया का अभ्यास नहीं करें। ध्यान रखने योग्य बातें: इस क्रिया का अभ्यास सुबह सूर्योदय से पूर्व खाली पेट करें।नाखून अच्छी तरह कटे हुए होने चाहिए।

यदि कभी वमन के साथ अपच खाद्य, खट्टा, कड़वा तथा झाग सहित पानी निकले तो दुबारा पानी पीकर सम्पूर्ण क्रिया दोहरा कर पेट को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। पानी में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाया जा सकता है।

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मेरी नाव चली


बजरंगबली मेरी नाव चली, करुना कर पार लगा देना |
हे महावीरा हर लो पीरा, सत्माराग मोहे दिखा देना ||

दुखों के बादल गिर आयें, लहरों मे हम डूबे जाएँ |
हनुमत लाला, तू ही रखवाला, दीनो को आज बचा लेना ||

सुख देवनहारा नाम तेरा, पग पग पर सहारा नाम तेरा |
भव भयहारी, हे हितकारी, कष्टों से आज छुड़ा देना ||
हे अमरदेव, हे बलवंता, तुझे पूजे मुनिवर सब संता |
संकट हारना लागे शरणा, श्री राम से मोहे मिला देना |
_/\_ मारुति नंदन नमो नमः _/\_ कष्ट भंजन नमो नमः _/\_
_/\_ असुर निकंदन नमो नमः _/\_ श्रीरामदूतम नमो नमः _/\_

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