कई बीमारियों से बचाए कुंजल

www.goswamirishta.com


एसिडिटी आदि कई बीमारियों से बचाए कुंजल

घेरण्ड संहिता के अनुसार जिन छह क्रियाओं द्वारा शरीर के आंतरिक अंगों तथा सम्पूर्ण प्रणालियों का शोधन होता है। वे हैं- धौति, बस्ति, नेति, नौलि, त्राटक तथा कपालभाति। इन्हें ष्ाट्कर्म कहते हैं। धौति के अन्तर्गत वमन, धौति को कुंजल या गजकर्म या गजकरणी भी कहते हैं।

गजकर्म याहि जानिए,
पिए पेट भर नीर।
फेरि युक्ति सो काढिये,
रोग न होय शरीर

जिस प्रकार हाथी अपनी सूंड से पानी पीकर फिर सूंड द्वारा वापस बाहर निकाल देता है तथा अपने आपको निरोगी रखता है, वही क्रिया गजकर्म या गजकरणी कहलाती है।

विधि: कागासन में बैठ जाएं। गुनगुने गरम पानी (पीने लायक) के पांच-छह गिलास उस समय तक पीते रहें, जब तक कि वमन की इच्छा न होने लगे। पानी पीने के बाद दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं तथा बाएं हाथ को नाभि पर रखें। कमर को लगभग 90 सेंटीग्रेट कोण पर आगे झुका दें। दाएं हाथ की पहली तीन अंगुलियों को मुंह में गहराई तक डालकर जीभ को हल्के से रगड़ें या कोए (छोटी जीभ) को अन्दर की ओर दबाकर उत्तेजित करें, जिससे ग्रहण किया पानी वमन के रूप में बाहर निकलने लगे।

ज्योंही पानी बाहर निकलने लगे, तुरन्त हाथ की अंगुलियों को मुंह से बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे पानी वेग के साथ आसानी से बाहर निकल जाए। पानी निकलना बन्द होने पर तुरन्त मुंह में अंगुलियां डालकर इस क्रिया को दोहराएं जब तक कि पानी पूरा बाहर नहीं निकल जाए।

लाभ: इस क्रिया के द्वारा आमाशय की पूर्ण धुलाई हो जाती है। वमन के साथ पित्त, कफ, बिना पचे हुए खाद्य पदार्थ, अम्लाधिक्य और गैस बाहर निकल जाती हैं।

यह दमा, अपच, कब्ज, जुकाम, गैस आदि बीमारियों के लिए लाभदायक क्रिया है। जिन्हें अधिक अम्ल बनता है उनके लिए यह रामबाण क्रिया है। कफ के बाहर निकल जाने से खांसी तथा श्वास के अन्य रोग दूर होते हैं। सिर दर्द तथा स्नायविक कमजोरी में लाभदायक है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के निवारण में सहायक है।

सीमाएं: ह्वदय, पेट का अल्सर, हर्निया, उच्च रक्तचाप, टी.बी., अपेंडिसाइटिस रोग से पीडित रोगी इस क्रिया का अभ्यास नहीं करें। ध्यान रखने योग्य बातें: इस क्रिया का अभ्यास सुबह सूर्योदय से पूर्व खाली पेट करें।नाखून अच्छी तरह कटे हुए होने चाहिए।

यदि कभी वमन के साथ अपच खाद्य, खट्टा, कड़वा तथा झाग सहित पानी निकले तो दुबारा पानी पीकर सम्पूर्ण क्रिया दोहरा कर पेट को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए। पानी में थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाया जा सकता है।

0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...