नुस्खे- लहसुन से

www.goswamirishta.com

सदियों पुराने आदिवासी नुस्खे, लहसुन से आज भी करते हैं बड़ी बीमारियों का इलाज ...

हमारे किचन में सब्जियों के साथ उपयोग में लाया जाने वाला लहसुन का वानस्पतिक नाम एलियम सटाईवम है। सब्जी-दाल में डाले जाने वाला लहसुन सिर्फ एक मसाला नहीं अपितु औषधीय़ गुणों का एक खजाना भी है। आदिवासी आंचलों में इसे वात और दिल की बीमारियों के लिए लहसुन को उपयोगी माना जाता है।
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि मध्यप्रदेश के सुदूर अंचलों में बसे आदिवासियों के बीच लहसुन किस तरह से औषधि के तौर पर उपयोग में लाया जाता है..

दिल के रोगों में है रामबाण
सूखे लहसुन की 15 कलियाँ, 1/2 लीटर दूध और 4 लीटर पानी को एक साथ उबालकर आधा बाकि रह जाए तब तक उबालें।
इस पाक को गैस्टिक ट्रबल और दिल के रोगों से ग्रस्त रोगियों को दिया जाता है।एसिडिटी की शिकायत में भी इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है।

पाचन शक्ति बढ़ाता है
- लहसुन को दाल, सब्जियों और अन्य व्यंजनों में मसाले के तौर पर उपयोग में लाने से भोज्य पदार्थों के पाचन में मदद में मिलती है।लहसुन का रोजाना सेवन वायु विकारों को दूर करता है।
जिनका ब्लडप्रेशर कंट्रोल में नहीं रहता उन्हें प्रतिदिन सुबह लहसुन की कच्ची कली चबाना चाहिए।

कृमि को खत्म कर देता है

आदिवासियों के अनुसार जिन्हे जोड़ो का दर्द, आमवात जैसी शिकायतें हो, लहसुन की कच्ची कलियाँ चबाना उनके लिए बेहद फायदेमंद होता है। प्रतिदिन सुबह लहसुन की एक कच्ची कली चबाना इन रोगों के लिए हितकर माना जाता है।
बच्चों को यदि कृमि (पेट के कीड़े) की शिकायत हो तो लहसुन की कच्ची कलियों का 20- 30बूँद रस एक गिलास दूध में मिलाकर इन बच्चों को देने से पेट के कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं।

कैंसर में राहत पहुचाता है
कैंसर को एक लाइलाज बीमारी माना जाता है। लेकिन शायद आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि आयुर्वेद के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में लहसुन का सेवन करने से कैंसर होने की संभावना अस्सी प्रतिशत तक कम हो जाती है।कैंसर के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। लहसुन में कैंसर निरोधी तत्व होते हैं।

यह शरीर में कैंसर बढऩे से रोकता है। लहसुन के सेवन से ट्यूमर को 50 से 70 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

बुखार भी ठीक करता है
- सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को पीसकर उबाला जाए और घावों पर लेप किया जाए, घाव तुरंत ठीक होना शुरू हो जाते है।
घुटनों के छिल जाने, हल्के फ़ुल्की चोट या रक्त प्रवाह होने पर लह्सुन की कच्ची कलियों को पीसकर घाव पर लेपित करें, घाव पकेंगे नहीं और इन पर किसी तरह का इंफ़ेक्शन भी नही होगा। लहसून के एण्टीबैक्टिरियल गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है, लहसून का सेवन बैक्टिरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खाँसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है।

प्लेटलेट्स हो जाती है संतुलित

-नमक और लहसुन का सीधा सेवन रक्त शुद्ध करता है, जिन्हे रक्त में प्लेटलेट की कमी होती है उन्हे भी नमक और लहसून की समान मात्रा सेवन में लेनी चाहिए।
ऐसा दिन में कम से कम एक बार किया जाना चाहिए। एक माह के भीतर ही परिणाम दिखने लगते हैं।

अस्थमा ठीक हो जाता है
लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी नामक जड़ी-बूटी का आधा चम्म्च सेवन दो महीने तक लगातार करने से दमा जैसी घातक बीमारी से सदैव की छुट्टी मिल जाती है
0 0

No comments:

Post a Comment

Thanks to visit this blog, if you like than join us to get in touch continue. Thank You

Feetured Post

सच्चे रिश्तों का सम्मान

 सफल गृहस्थ जिंदगी जी रही प्रिया की जिंदगी में पति आकाश के अलावा करण क्या आया, उसकी पूरी जिंदगी में तूफान आ गया। इसकी कीमत प्रिया ने क्या खो...