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धर्म के नजरिए से माता-पिता की भावनाएं संतान के लिए गहरी और
नि:स्वार्थ होती है। हालांकि आज के दौर में कई अवसरों पर माता-पिता और
संतान के बीच अपेक्षा या महत्वाकांक्षा के चलते रिश्तों में तनाव व मनमुटाव
भी देखा जाता है। लेकिन सच यही है कि माता-पिता और संतान के बीच रिश्तों
का अटूट बंधन होता है।
नि:स्वार्थ होती है। हालांकि आज के दौर में कई अवसरों पर माता-पिता और
संतान के बीच अपेक्षा या महत्वाकांक्षा के चलते रिश्तों में तनाव व मनमुटाव
भी देखा जाता है। लेकिन सच यही है कि माता-पिता और संतान के बीच रिश्तों
का अटूट बंधन होता है।
यही वजह है कि हर माता-पिता भी पुत्र हो या पुत्री दोनों के सुख,
सुविधा और तरक्की की चाहत रखते हैं। इसके लिए वह जीवन भर हरसंभव कोशिश करते
हैं, लेकिन अगर इस संबंध में धार्मिक उपायों की बात करें तो शास्त्रों में
कुछ ऐसे सरल मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से कुछ देर के लिए ध्यान
संतान को तन, मन और धन सभी परेशानियों से बचाता है। खासतौर पर वर्तमान में
चल रहे विष्णु भक्ति के काल वैशाख माह (25 मई तक) में।
सुविधा और तरक्की की चाहत रखते हैं। इसके लिए वह जीवन भर हरसंभव कोशिश करते
हैं, लेकिन अगर इस संबंध में धार्मिक उपायों की बात करें तो शास्त्रों में
कुछ ऐसे सरल मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित रूप से कुछ देर के लिए ध्यान
संतान को तन, मन और धन सभी परेशानियों से बचाता है। खासतौर पर वर्तमान में
चल रहे विष्णु भक्ति के काल वैशाख माह (25 मई तक) में।
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान है, जिनका चरित्र माता-पिता और
संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है। साथ ही वह हर संकट से रक्षा करने
वाले देवता के रूप में पूजनीय है। जानिए यह सरल मंत्र -
संतान के रिश्तों के लिए भी आदर्श है। साथ ही वह हर संकट से रक्षा करने
वाले देवता के रूप में पूजनीय है। जानिए यह सरल मंत्र -
- बालकृष्ण की गंध, अक्षत, फूल अर्पित कर पूजा करें और खासतौर पर मक्खन का भोग लगाएं। पूजा के बाद इस मंत्र का जप करें -
श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:।।
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