अगर आप अपने बढ़ते
वजन
या मोटी कमर से
परेशान हैं तो हम
आपको बताने
जा रहे हैं एक
ऐसा नेचुरल उपाय
जिसे अपनाकर आप
अपनी कमर
को एकदम
पतली और फिट
बना सकते हैं। कमर
पतली करने
का सबसे कारगर
उपाय है गरुड़ासन।
इस आसन से कमर
पतली हो होगी ही साथ
में कई अन्य
स्वास्थ्य लाभ
भी होते हैं। इस
आसन में
व्यक्ति का आकर
गरुड़ की तरह
हो जाता है,
इसलिए इसे
गरुड़ासन कहते हैं।
*गरुडासन
की विधि-
समतल और शांत
तथा स्वच्छ वायु
(हवा) के प्रवाह
वाले स्थान पर
गरुड़ासन
करना चाहिए। इस
आसन में पहले
सामान्य
स्थिति (सावधान
की स्थिति) में खड़े
हो जाएं। इस के
बाद बाएं पैर
को सीधा रखें और
दाएं पैर को बाएं
पैर में लता की तरह
लपेट लें। अब
दोनों हाथों को सीने
के सामने रखकर
हाथों को आपस में
लता की तरह लपेट
कर हाथों को थोड़े
से आगे की ओर करें।
इस स्थिति में
दोनों हाथ गरुड़
की चोंच की तरह
बना रहें। इसके बाद
स्थिर पैर (बाएं
पैर) को धीरे-धीरे
नीचे झुकाते हुए
दाएं पैर
को पंजों पर सटाने
की कोशिश करें। इस
स्थिति में 1 मिनट
तक रहें। इस के बाद
सामान्य स्थिति में
आ जाएं। फिर दाएं
पैर को नीचे
सीधा खड़ा रखकर
बाएं पैर को उस
लता की तरह लपेट
लें।
हाथों की स्थिति पहले
की तरह ही रखें।
इस तरह इस
क्रिया को दोनों पैरों से
5-5 बार करें। इस के
अभ्यास को धीरे-
धीरे बढ़ाते जाएं।
लाभ- गरुड़ासन से
रीढ़ की हड्डी में
लचीलापन आता है,
कमर
पतली होती है
तथा बाहों व
टांगों की मांसपेशियां तथा नस
नाडिय़ां चुस्त
बनती है। इससे पैर,
घुटने व
जांघों को मजबूती मिलती हैं।
यह कंधे, बाहें
तथा कोहनियों आदि के
दर्द व कम्पन
को ठीक करता है।
यह शरीर के कम्पन
को दूर करता है।
यह कमर दर्द,
गठिया (जोड़ों का दर्द),
और आंत उतरने
की बीमारी (हर्निया)
आदि रोग ठीक
होता है। बवासीर,
अण्डकोष
वृद्धि (हाइड्रोसिल)
तथा मूत्र
सम्बन्धी रोग के
रोगियों को यह
आसन करना अधिक
लाभकारी हैं।
या मोटी कमर से
परेशान हैं तो हम
आपको बताने
जा रहे हैं एक
ऐसा नेचुरल उपाय
जिसे अपनाकर आप
अपनी कमर
को एकदम
पतली और फिट
बना सकते हैं। कमर
पतली करने
का सबसे कारगर
उपाय है गरुड़ासन।
इस आसन से कमर
पतली हो होगी ही साथ
में कई अन्य
स्वास्थ्य लाभ
भी होते हैं। इस
आसन में
व्यक्ति का आकर
गरुड़ की तरह
हो जाता है,
इसलिए इसे
गरुड़ासन कहते हैं।
*गरुडासन
की विधि-
समतल और शांत
तथा स्वच्छ वायु
(हवा) के प्रवाह
वाले स्थान पर
गरुड़ासन
करना चाहिए। इस
आसन में पहले
सामान्य
स्थिति (सावधान
की स्थिति) में खड़े
हो जाएं। इस के
बाद बाएं पैर
को सीधा रखें और
दाएं पैर को बाएं
पैर में लता की तरह
लपेट लें। अब
दोनों हाथों को सीने
के सामने रखकर
हाथों को आपस में
लता की तरह लपेट
कर हाथों को थोड़े
से आगे की ओर करें।
इस स्थिति में
दोनों हाथ गरुड़
की चोंच की तरह
बना रहें। इसके बाद
स्थिर पैर (बाएं
पैर) को धीरे-धीरे
नीचे झुकाते हुए
दाएं पैर
को पंजों पर सटाने
की कोशिश करें। इस
स्थिति में 1 मिनट
तक रहें। इस के बाद
सामान्य स्थिति में
आ जाएं। फिर दाएं
पैर को नीचे
सीधा खड़ा रखकर
बाएं पैर को उस
लता की तरह लपेट
लें।
हाथों की स्थिति पहले
की तरह ही रखें।
इस तरह इस
क्रिया को दोनों पैरों से
5-5 बार करें। इस के
अभ्यास को धीरे-
धीरे बढ़ाते जाएं।
लाभ- गरुड़ासन से
रीढ़ की हड्डी में
लचीलापन आता है,
कमर
पतली होती है
तथा बाहों व
टांगों की मांसपेशियां तथा नस
नाडिय़ां चुस्त
बनती है। इससे पैर,
घुटने व
जांघों को मजबूती मिलती हैं।
यह कंधे, बाहें
तथा कोहनियों आदि के
दर्द व कम्पन
को ठीक करता है।
यह शरीर के कम्पन
को दूर करता है।
यह कमर दर्द,
गठिया (जोड़ों का दर्द),
और आंत उतरने
की बीमारी (हर्निया)
आदि रोग ठीक
होता है। बवासीर,
अण्डकोष
वृद्धि (हाइड्रोसिल)
तथा मूत्र
सम्बन्धी रोग के
रोगियों को यह
आसन करना अधिक
लाभकारी हैं।