मिलावट से बचने के लिए


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1) सेब की चमक देखकर ज्यादा खुश मत होइए। ज्यादातर यह चमक सेब पर वैक्स
पॉलिश की वजह से दिखती है। इसकी जांच के लिए बस एक ब्लेड लीजिए और सेब
को हल्के-हल्के खुरचिए। अगर कुछ सफेद पदार्थ निकले, तो आपको बधाई
क्योंकि आप मोम खाने से बच गए!
2) अगली बार चाय बनाने से पहले चायपत्ती को जरूर जांचें। चायपत्ती ठंडे पानी में डालने पर रंग छोड़े तो साफ है कि उसमें मिलावट है या वह एक बार यूज हो चुकी है।
3) मटर के दाने खरीदें हैं, तो उसमें से एक हिस्से को पानी में डालकर हिलाएं और 30
मिनट तक छोड़ दें। अगर पानी रंगीन हो जाता है तो नमूने में मेलाकाइट हरे की मिलावट है। ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां (अल्सर, ट्यूमर आदि) होने का खतरा रहता है।
4) खाने में पिसी हल्दी का रोजाना इस्तेमाल होता है। हल्दी में मेटानिल येलो की मौजूदगी से कैंसर हो सकता है। इसका टेस्ट भी हल्दी पाउडर में पांच बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पांच बूंद पानी डालकर कर सकते हैं। अगर सैंपल बैंगनी हो जाए, तो हल्दी मिलावटी है।
5) अगर आप पिसी हल्दी में मिलावट से बचने के लिए साबूत हल्दी को लाकर खुद
पिसवाते हैं या किसी और तरीके से साबूत हल्दी को इस्तेमाल करते हैं, तो यह
भी काफी रिस्की है। हल्दी की पहचान करने के लिए पेपर पर हल्दी को रखकर
ठंडा पानी मिलाएं। अगर रंग अलग हो जाए तो हल्दी पॉलिश की हुई है।
6) मसाले में इस्तेमाल होने वाली दालचीनी में अमरूद की छाल मिलाई जाती है। इसे हाथ पर रगड़कर देखें, अगर यह नकली होगी तो कोई कलर नहीं आएगा।-
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दूध पीने के नियम


बोर्नविटा , होर्लिक्स के विज्ञापनों के चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है की बच्चों को ये सब डाल के दो कप दूध पिला दिया बस हो गया . चाहे बच्चे दूध पसंद करे ना करे , उलटी करे , वे किसी तरह ये पिला के ही दम लेती है . फिर भी बच्चों में केशियम की कमी , लम्बाई ना बढना , इत्यादि समस्याएँ देखने में आती है .आयुर्वेद के अनुसार दूध पिने के कुछ नियम है ---
- सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध लिया जा सकता है .
- दोपहर में छाछ पीना चाहिए . दही की प्रकृति गर्म होती है ; जबकि छाछ की ठंडी .
- रात में दूध पीना चाहिए पर बिना शकर के ; हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच दाल के ले . दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है वो हम शकर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते .
- एक बार बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू कर दे जैसे रोटी , चावल , सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ , चावल और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने लगता है . अब वे केल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं .
- कपालभाती प्राणायाम और नस्य लेने से बेहतर केशियम एब्ज़ोर्प्शन होता है और केल्शियम , आयरन और विटामिन्स की कमी नहीं हो सकती साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होगा .
- दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ ना ले .त्वचा विकार हो सकते है .
- बोर्नविटा , कॉम्प्लान या होर्लिक्स किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे नहीं हो सकते . इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए . बच्चों को खूब चने , दाने , सत्तू , मिक्स्ड आटे के लड्डू खिलाइए
- प्रयत्न करे की देशी गाय का दूध ले .
- जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है .
- दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और दही ना मिलाये , खीर और कढ़ी एक साथ ना खाए . खीर के साथ नामकी पदार्थ ना खाए .
- अधजमे दही का सेवन ना करे .
- चावल में दूध के साथ नमक ना डाले .
- सूप में ,आटा भिगोने के लिए , दूध इस्तेमाल ना करे .
- द्विदल यानी की दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है . अगर करना ही पड़े तो दही को हिंग जीरा की बघार दे कर उसकी प्रकृति बदल लें .
- रात में दही या छाछ का सेवन ना करे .
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वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone


वृक्कों गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प उठता है।

उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण होता है।

लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान रहता है।

क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।
* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।
* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ होता है।
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।

क्या न खाएं?
* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते हैं।
* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।
* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करें।
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हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले आहार



भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर का विकास करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं। हमें अपने आहार में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले फल एवं सब्जियों को शामिल करना चाहिए। हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के लिए संतुलित आहार, व्यायाम, भोजन में हरी सब्जियां, दालें, अनार आदि फल लेना चाहिए।

हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले आहार के स्रोत:

अमरूद- अमरूद जितना ज्यादा पका हुआ होगा, उतना ही पौष्टिक होगा। पके अमरूद को खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं होती। इसलिए महिलाओं के लिए यह और भी लाभदायक हो जाता है।

आम- आम खाने से हमारे शरीर में रक्ति अधिक मात्रा में बनता है, एनीमिया में यह लाभकारी होता है।

सेब- सेब एनीमिया जैसी बीमारी में लाभकारी होता है। सेब खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन बनता है।

अंगूर- अंगूर में भरपूर मात्रा में आयरन पाया जाता है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन बनाता है, और हीमोग्लोबिन की कमी संबंधी बीमारियों को ठीक करने में सहायक होता है।

चुकन्दर- चुकन्दर से प्राप्त उच्च गुणवत्ता का लोह तत्व रक्त में हीमोग्लोबिन का निर्माण व लाल रक्तकणों की सक्रियता के लिए बेहद प्रभावशाली है। खून की कमी यानी एनीमिया की शिकार महिलाओं के लिए चुकंदर रामबाण के समान है। चुकन्दर के अलावा चुकन्दर की हरी पत्तियों का सेवन भी बेहद लाभदायी है। इन पत्तियों में तीन गुना लौह तत्व अधिक होता है।

तुलसी- तुलसी रक्त की कमी को कम करने के लिए रामबाण है। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है।

सब्जियां- शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियों में हीमोग्लोबिन बढ़ाने वाले तत्व ज्यादा मात्रा में पाये जाते है।

तिल- तिल हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है। तिल खाने से रक्ताअल्पता की बीमारी ठीक होती है।

पालक- सूखे पालक में आयरन काफी मात्रा होती है। जो शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करता है।

नारियल- नारियल शरीर में उत्तकों, मांसपेशियों और रक्त जैसे महत्वपूर्ण द्रव्यों का निर्माण करता है, यह संक्रमण का सामना करने के लिए इन्जाइम और रोग प्रतिकारक तत्वों के विकास में सहायक होता है।

अंडा- अंडे के दोनों भागों में प्रोटीन, वसा, कई तरह के विटामिन, मिनरल्स, आयरन और कैल्शियम जैसे गुणकारी तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। बहुत कम खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला विटामिन डी भी अंडे में पाया जाता है।

गुड़- गुड़ में अधिक खनिज लवण होते है। जो हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करता है।
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ये पौष्टिक तो हैं ही


* दिमाग तेज बनाने के लिए रोजाना सुबह सैर करें। हरी घास पर चलने से दिमाग के साथ-साथ ब्लड प्रेशर भी ठीक बना रहता है।

* दांत मजबूत बनाने के लिए नीम की दातून का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे दांत में कीड़ा नहीं लगता और आपके दांत मजबूत भी बनते हैं।

* सर्दियों में अपनी डाइट में ड्राई फ्रूट्स को भी शामिल करें। ये पौष्टिक तो हैं ही, त्वचा के लिए भी लाभदायक हैं।

* फ्रिज की ठंडी चीजें सीधे खाने से बचें। इसे हल्का सा गर्म करके खायेंगे, तो पाचन तंत्र ठीक रहेगा।

* गर्दन में दर्द न हो, इसके लिए सोने का सही तरीका अपनाएं। तकिए का इस्तेमाल कम करें। फिर भी दर्द है तो एक्सरसाइज या योग करें। तब भी आराम न मिले तो डाक्टर से सलाह लें।

* गर्म मसाला चूर्ण को नींबू के रस में भिगो दें। भोजन के बाद इसे आधा चम्मच लें। यह पाचन के लिए बेहतरीन दवाई का काम करता है।

* ज्यादा लिपिस्टिक लगाने से कभी-कभी होठों का रंग काला पड़ने लगता है। हो सके तो इसे लगाने से परहेज करें। लगानी भी पड़े तो, बाद में उसे साफ करके होंठों पर नींबू का रस लगायें। इससे आपके होंठ काले नहीं पडेंगे।

* अगर आपको पिंपल की समस्या है, तो साबून का प्रयोग न करें। साबुन आपके चेहरे से आयल को सोख लेता है जिससे आपकी समस्या कम होने की जगह बढ़ सकती है। चेहरे पर नीम का फेस पैक लगाएं।

* अगर आपकी आंखों के नीचे काले घेरे या झुर्रियां पड़ गयी हैं, तो दूध की मलाई से उस जगह की रोजाना मालिश करें।

* त्वचा को मुलायम बनाने के लिए शहद में नींबू का रस मिलाकर पांच मिनट मालिश करें।

* तनाव न हो, इसके लिए सकारात्मक सोच अपनाएं। अधिक तनाव से केवल आपके दिमाग पर असर पड़ता है बल्कि ब्यूटी पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे बालों का गिरना, आंखों के नीचे काले घेरे होना और चेहरे की चमक घीरे-धीरे गायब होने लगेगी।

* बाल सफेद न हों, इसके लिए विटामिन-ई युक्त तेल का प्रयोग करें। इससे आपके बाल असमय सफेद नहीं होंगे साथ ही गिरना बन्द हो जायेंगे। खाने में भी इस तेल का इस्तेमाल फायदेमंद होता है।
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गोरी त्वचा पाने के घरेलू उपायHome remedies to get fair skin

भारत में गोरेपन को खूबसूरती का पैमाना माना जाता है। इसी खूबसूरती को हासिल करने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किए जाते हैं। महंगी से महंगी क्रीम, लोशन आदि सबका उपयोग किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि रंगत केवल एक ही रात में नही बदली जा सकती इसमें समय लगता है। अगर आप भी अपनी रंगत को गोरा करना चाहते है तो घर में उपलब्‍ध चीजों की सहायता से ऐसा किया जा सकता है।

एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है।
आंवले का मुरब्बा रोज खाने से दो-तीन महीने में ही रंग निखरने लगता है।
गाजर का जूस आधा गिलास खाली पेट सुबह लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।
पेट को हमेशा ठीक रखें, कब्ज न रहने दें।
अधिक से अधिक पानी पीएं।
चाय कॉफी का सेवन कम करें।
रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सोंफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

गोरी त्वचा पाने के घरेलू उबटन - इन सब उपायों के अलावा आप विभिन्न प्रकार के घरेलू उबटन लगा कर भी अपनी त्वचा की रंगत निखारी जा सकती है।

हल्दी पैक- त्वचा की रंगत को निखारने के लिए हल्दी एक अच्छा तरीका है। पेस्ट बनाने के लिए हल्दी और बेसन या फिर आटे का प्रयोग करें। हल्दी में ताजी मलाई, दूध और आटा मिला कर गाढा पेस्ट बनाएं, इस पेस्ट को अपने चेहरे पर 10 मिनट लगाएं और ठंडे पानी से धो लें।

हनी आल्मड स्क्रब- बादाम भी रंगत निखारने का काम करता है। रात को 10 बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उसे छील कर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में थोड़ा सा शहद मिलाएं और इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर लगाकर स्क्रब करें।

चंदन- गोरी रंगत देने के अलावा यह एलर्जी और पिंपल को भी दूर करता है। पेस्ट बनाने के लिए चंदन पाउडर में 1 चम्मच नींबू और टमाटर का रस मिलाएं और पेस्ट को अपने चेहरे और गर्दन में अच्छी तरह से लगाकर थोड़ी देर बाद ठंडे पानी से धो लें।

केसर पैक- उबटन बनाने के लिए आपको दही और क्रीम में थोड़ा सा केसर मिला लें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं। सूखने के बाद इसे धो लें। केसर के इस उबटन से भी कुछ दिन में आपकी त्वचा गोरी होने लगेगी।

चिरौंजी का पैक- गोरी रंगत के लिए मजीठ, हल्दी, चिरौंजी का पाउडर लें इसमें थोड़ा सा शहद, नींबू और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे, गरदन, बांहों पर लगाएं और एक घंटे के बाद चेहरा धो दें। ऐसा सप्ताह में दो बार करने से चेहरे का रंग निखर जाएगा।

मसूर दाल पैक- मसूर की दाल का पाउडर लें इसमें अंडे की जर्दी, नीबू का रस व कच्चा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। रोज इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं, सूखने पर ठंडे पानी से धो लें। चेहरे का रंग निखर जाएगा।

बेसन का उबटन- बेसन 2 चम्मच, सरसों का तेल 1 चम्मच और थोड़ा सा दूध मिला कर पेस्ट बना लें। पूरे शरीर पर इस उबटन को लगा लें। कुछ देर बाद हाथ से रगड कर छुडाएं और स्नान करें। त्वचा गोरी व मुलायम हो जाएगी।

इन सब घरेलू उपायों को अपना कर आप कुछ ही दिनों में स्वस्थ, सुंदर, चमकदार और गोरी त्वचा पा सकती है।
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एलोवेरा को आयुर्वेद में संजीवनी कहा गया है।


एलोवेरा को आयुर्वेद में संजीवनी कहा गया है। त्‍वचा की देखभाल से लेकर बालों की खूबसूरती तक और घावों को भरने से लेकर सेहत की सुरक्षा तक में इस चमत्‍कारिक औषधि का कोई जवाब नहीं है। एलोवेरा विटामिन ए और विटामिन सी का बड़ा स्रोत है।

* एलोवेरा का जूस नियमित पीने वाला व्‍यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता है।

* एलोवेरा जूस के सेवन से पेट के रोग जैसे वायु, अल्सर, अम्‍लपित्‍त आदि की शिकायतें दूर हो जाती हैं। पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में इससे बड़ा कोई औषधि नहीं है।

* जोडों के दर्द और रक्त शोधक के रूप में भी एलोवेरा बेजोड़ है।

* एलोवेरा बालों की कुदरती खूबसूरती बनाए रखता है। यह बालों को असमय टूटने और सफेद होने से बचाता है।

* रोज सोने से पहले एड़ियों पर एलोवेरा जेल की मालिश करने से एड़ियां नहीं फटती हैं।

* एलोवेरा त्वचा की नमी को बनाए रखता है।

* एलोवेरा त्वचा को जरूरी मॉश्चयर देता है।

* गर्मियों में सनबर्न की शिकायत हो जाती है। एलोवेरा वाले मोश्‍चराइजर व सनस्‍क्रीन का उपयोग त्‍वचा के सनबर्न को समाप्‍त करता है।

* एलोवेरा एक बेहतरीन स्किन टोनर है। एलोवेरा फेशवॉश से त्‍वचा की नियमित सफाई से त्‍वचा से अतिरिक्‍त तेल निकल जाता है, जो पिंपल्‍स यानी कील-मुहांसे को पनपने ही नहीं देता है।
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पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है........Papaya is considered a boon for the stomach.

फलों में पपीता को गुणों की खान कहा जाता है। यह पेट के लिए काफी लाभदायक है। इसके सेवन से त्वचा में भी निखार आता है। पपीता कई बीमारियों से दूर रखता है।

मोटापा, पाचनतंत्र में गड़बड़ी, कमजोर आंतें, भूख न लगने आदि तकलीफों से आप जूझ रहे हैं तो पपीता इन सभी में लाभ पहुंचाता है। पेट का ख्याल रखने के साथ साथ यह चेहरे पर भी चमक लाता है। इसमें मौजूद विटामिन ए, बी, डी, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह आदि इसे सेहत का खजाना बना देते हैं।

पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता है, मोटापे को नियंत्रित करता है और अगर आपको खट्टी डकारें आती हैं तो पपीते का रस उसे भी बंद कर देगा। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बना कर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

पपीते का रस अरुचि, अनिद्रा, सिरदर्द, कब्ज व आंव-दस्त आदि रोगों को ठीक करता है। आपको भूख नहीं लगती या पेशाब ठीक से नहीं होता तो सुबह में नियमित रूप से पके पपीते का सेवन करें। इससे भूख भी लगने लगेगी और पेशाब से संबंधित समस्या भी दूर हो जाएगी। पपीते के रस के सेवन से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। यह हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को भी दूर करता है। पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन ठीक रहती है। यह पौरुष को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। पपीते का निरंतर सेवन जख्म भी जल्द भरने में मदद करता है।

कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। पपीते का प्रयोग लोग फेस पैक में भी करते हैं। त्वचा को ठंडक पहुंचाने वाला पपीता आंखों के नीचे के काले घेरे को दूर करता है। अगर आप कील-मुंहासों से परेशान हैं तो कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाएं और जब वह सूख जाए तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। उसके बाद मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। एक महीने तक नियमित रूप से ऐसा करने से आपको काफी लाभ होगा। पपीता कफ के साथ आने वाले खून को रोकता है और खूनी बवासीर को भी ठीक करता है। हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदाक होता है।
क्या-क्या मिलता है?

प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी और सी के साथ ही कुछ मात्रा में विटामिन-डी भी मिलता है। पपीता पेप्सिन नामक पाचक तत्व का एकमात्र प्राकृतिक स्रोत है। इसमें कैल्शियम और कैरोटीन भी अच्छी मात्रा में मिलता है। इसके अलावा फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट्स, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भी होता है। पपीता सालभर बाजार में उपलब्ध होता है।

पपीता के गुण

पपीता पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे पाचन तंत्र ठीक रहता है और पेट के रोग भी दूर होते हैं। पपीता पेट के तीन प्रमुख रोग आम, वात और पित्त तीनों में ही राहत पहुंचाता है। यह आंतों के लिए उत्तम होता है।

पपीते में बड़ी मात्रा में विटामिन-ए होता है। इसलिए यह आंखों और त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। इससे आंखों की रोशनी तो अच्छी होती ही है, त्वचा भी स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है।

पपीते में कैल्शियम भी खूब मिलता है। इसलिए यह हड्डियां मजबूत बनाता है।

यह प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है।

पपीता फाइबर का अच्छा स्रोत है।

इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, कैंसर रोधी और हीलिंग प्रॉपर्टीज भी होती है।

जिन लोगों को बार-बार सर्दी-खांसी होती रहती है, उनके लिए पपीते का नियमित सेवन काफी लाभकारी होता है। इससे इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है।

इसमें बढ़ते बच्चों के बेहतर विकास के लिए ज़रूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। शरीर को पोषण देने के साथ ही रोगों को दूर भी भगाता है।
पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है........

फलों में पपीता को गुणों की खान कहा जाता है। यह पेट के लिए काफी लाभदायक है। इसके सेवन से त्वचा में भी निखार आता है। पपीता कई बीमारियों से दूर रखता है।

मोटापा, पाचनतंत्र में गड़बड़ी, कमजोर आंतें, भूख न लगने आदि तकलीफों से आप जूझ रहे हैं तो पपीता इन सभी में लाभ पहुंचाता है। पेट का ख्याल रखने के साथ साथ यह चेहरे पर भी चमक लाता है। इसमें मौजूद विटामिन ए, बी, डी, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह आदि इसे सेहत का खजाना बना देते हैं।

पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता है, मोटापे को नियंत्रित करता है और अगर आपको खट्टी डकारें आती हैं तो पपीते का रस उसे भी बंद कर देगा। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बना कर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

पपीते का रस अरुचि, अनिद्रा, सिरदर्द, कब्ज व आंव-दस्त आदि रोगों को ठीक करता है। आपको भूख नहीं लगती या पेशाब ठीक से नहीं होता तो सुबह में नियमित रूप से पके पपीते का सेवन करें। इससे भूख भी लगने लगेगी और पेशाब से संबंधित समस्या भी दूर हो जाएगी। पपीते के रस के सेवन से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। यह हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को भी दूर करता है। पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन ठीक रहती है। यह पौरुष को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। पपीते का निरंतर सेवन जख्म भी जल्द भरने में मदद करता है।

कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। पपीते का प्रयोग लोग फेस पैक में भी करते हैं। त्वचा को ठंडक पहुंचाने वाला पपीता आंखों के नीचे के काले घेरे को दूर करता है। अगर आप कील-मुंहासों से परेशान हैं तो कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाएं और जब वह सूख जाए तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। उसके बाद मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। एक महीने तक नियमित रूप से ऐसा करने से आपको काफी लाभ होगा। पपीता कफ के साथ आने वाले खून को रोकता है और खूनी बवासीर को भी ठीक करता है। हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदाक होता है।
क्या-क्या मिलता है?

प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी और सी के साथ ही कुछ मात्रा में विटामिन-डी भी मिलता है। पपीता पेप्सिन नामक पाचक तत्व का एकमात्र प्राकृतिक स्रोत है। इसमें कैल्शियम और कैरोटीन भी अच्छी मात्रा में मिलता है। इसके अलावा फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट्स, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भी होता है। पपीता सालभर बाजार में उपलब्ध होता है।

पपीता के गुण

पपीता पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे पाचन तंत्र ठीक रहता है और पेट के रोग भी दूर होते हैं। पपीता पेट के तीन प्रमुख रोग आम, वात और पित्त तीनों में ही राहत पहुंचाता है। यह आंतों के लिए उत्तम होता है।

पपीते में बड़ी मात्रा में विटामिन-ए होता है। इसलिए यह आंखों और त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। इससे आंखों की रोशनी तो अच्छी होती ही है, त्वचा भी स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है।

पपीते में कैल्शियम भी खूब मिलता है। इसलिए यह हड्डियां मजबूत बनाता है।

यह प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है।

पपीता फाइबर का अच्छा स्रोत है।

इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, कैंसर रोधी और हीलिंग प्रॉपर्टीज भी होती है।

जिन लोगों को बार-बार सर्दी-खांसी होती रहती है, उनके लिए पपीते का नियमित सेवन काफी लाभकारी होता है। इससे इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है।

इसमें बढ़ते बच्चों के बेहतर विकास के लिए ज़रूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। शरीर को पोषण देने के साथ ही रोगों को दूर भी भगाता है।
पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है........

फलों में पपीता को गुणों की खान कहा जाता है। यह पेट के लिए काफी लाभदायक है। इसके सेवन से त्वचा में भी निखार आता है। पपीता कई बीमारियों से दूर रखता है।

मोटापा, पाचनतंत्र में गड़बड़ी, कमजोर आंतें, भूख न लगने आदि तकलीफों से आप जूझ रहे हैं तो पपीता इन सभी में लाभ पहुंचाता है। पेट का ख्याल रखने के साथ साथ यह चेहरे पर भी चमक लाता है। इसमें मौजूद विटामिन ए, बी, डी, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह आदि इसे सेहत का खजाना बना देते हैं।

पपीते को पेट के लिए तो वरदान माना गया है। इसमें पेप्सिन नामक तत्व पाया जाता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। पपीता का सेवन रोज करने से पाचन शक्ति में वृद्धि होती है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता है, मोटापे को नियंत्रित करता है और अगर आपको खट्टी डकारें आती हैं तो पपीते का रस उसे भी बंद कर देगा। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बना कर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

पपीते का रस अरुचि, अनिद्रा, सिरदर्द, कब्ज व आंव-दस्त आदि रोगों को ठीक करता है। आपको भूख नहीं लगती या पेशाब ठीक से नहीं होता तो सुबह में नियमित रूप से पके पपीते का सेवन करें। इससे भूख भी लगने लगेगी और पेशाब से संबंधित समस्या भी दूर हो जाएगी। पपीते के रस के सेवन से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। यह हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को भी दूर करता है। पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन ठीक रहती है। यह पौरुष को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। पपीते का निरंतर सेवन जख्म भी जल्द भरने में मदद करता है।

कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। पपीते का प्रयोग लोग फेस पैक में भी करते हैं। त्वचा को ठंडक पहुंचाने वाला पपीता आंखों के नीचे के काले घेरे को दूर करता है। अगर आप कील-मुंहासों से परेशान हैं तो कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाएं और जब वह सूख जाए तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। उसके बाद मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। एक महीने तक नियमित रूप से ऐसा करने से आपको काफी लाभ होगा। पपीता कफ के साथ आने वाले खून को रोकता है और खूनी बवासीर को भी ठीक करता है। हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदाक होता है।
क्या-क्या मिलता है?

प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी और सी के साथ ही कुछ मात्रा में विटामिन-डी भी मिलता है। पपीता पेप्सिन नामक पाचक तत्व का एकमात्र प्राकृतिक स्रोत है। इसमें कैल्शियम और कैरोटीन भी अच्छी मात्रा में मिलता है। इसके अलावा फॉस्फोरस, पोटेशियम, आयरन, एंटीऑक्सीडेंट्स, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन भी होता है। पपीता सालभर बाजार में उपलब्ध होता है।

पपीता के गुण

पपीता पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे पाचन तंत्र ठीक रहता है और पेट के रोग भी दूर होते हैं। पपीता पेट के तीन प्रमुख रोग आम, वात और पित्त तीनों में ही राहत पहुंचाता है। यह आंतों के लिए उत्तम होता है।

पपीते में बड़ी मात्रा में विटामिन-ए होता है। इसलिए यह आंखों और त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। इससे आंखों की रोशनी तो अच्छी होती ही है, त्वचा भी स्वस्थ, स्वच्छ और चमकदार रहती है।

पपीते में कैल्शियम भी खूब मिलता है। इसलिए यह हड्डियां मजबूत बनाता है।

यह प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है।

पपीता फाइबर का अच्छा स्रोत है।

इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी, कैंसर रोधी और हीलिंग प्रॉपर्टीज भी होती है।

जिन लोगों को बार-बार सर्दी-खांसी होती रहती है, उनके लिए पपीते का नियमित सेवन काफी लाभकारी होता है। इससे इम्यून सिस्टम मज़बूत होता है।

इसमें बढ़ते बच्चों के बेहतर विकास के लिए ज़रूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। शरीर को पोषण देने के साथ ही रोगों को दूर भी भगाता है।
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सौंठ के लड्डू- Saunth ke laddoo


सोंठ का प्रयोग एक औषधि के रूप में अधिक किया जाता हैं। यह कटु, तीक्ष्ण, अग्निदीपक, रुचिवर्द्धक पाचक, कब्जनिवारक तथा हृदय के लिए यह काफी हितकारी है, इसके अलावा वातविकार, उदरवात, जोड़ों का दर्द, सूजन आदि रोगों में भी यह अत्यंत लाभदायक है। खासतौर पर सर्दियों में इसका सेवन लाभप्रद रहता हैं।

कितने लोगों के लिए : 10

सामग्री

500 ग्राम आटा, 300 ग्राम देसी घी, 200 ग्राम चीनी, 1 कप पानी, 1/2 टी स्पून इलायची पाउडर, 1/2 टी स्पून सौंठ पाउडर, 100 ग्राम सूखे मेवे (काजू, बादाम, चिरौंजी और किशमिश)।

विधि

एक कड़ाही में घी डालकर मध्यम आंच पर आटे को सुनहरा भून लें। पानी और चीनी को मिलाकर चाशनी तैयार कर लें। अब इस चाशनी में भुना हुआ आटा, सूखे मेवे और इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण के लड्डू बना लें ठंडे हो जाने पर एयरटाइट कंटेनर में रख दें। —
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दही को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।


इसमें कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिसके कारण यह दूध की अपेक्षा जल्दी पच जाता है। जिन लोगों को पेट की परेशानियां जैसे- अपच, कब्ज, गैस बीमारियां घेरे रहती हैं, उनके लिए दही या उससे बनी लस्सी, मट्ठा, छाछ का उपयोग करने से आंतों की गरमी दूर हो जाती है। डाइजेशन अच्छी तरह से होने लगता है और भूख खुलकर लगती है।

दही में एक ऐसा पदार्थ पाया जाता है जो रक्त में उपलब्ध कोलेस्ट्रोल को कम करता है, अतः यह हृदय रोग में लाभ पहुंचाता है।

पेट की गड़बड़ी (कब्जियत) ही सभी रोगों की जड़ है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी क्षमता में ह्रास होता है परन्तु दही का समुचित मात्रा में सेवन प्रतिरोधी क्षमता का विकास करता है।

1- त्वचा को नर्म और साफ रखने के लिए दही में नींबू का रस मिलाकर चेहरे, गले व बाहों पर लगाने से त्वचा में चमक आती है।
2- दही में बेसन मिलाकर लगाने से त्वचा की सफाई हो जाती है। इस प्रयोग स मुंहासों में भी लाभ होता है।
3- दही में आटे का चोकर मिलाकर दस मिनट रखें। फिर इसे उबटन की तरह प्रयोग करें। इस उबटन से त्वचा को विटामिन ‘सी’ व ‘ई’ मिलता है जिससे उसमें चमक बनी रहती है।
4- दही में काली मिट्टी मिलाकर केश धोने से केश मुलायम, चमकीले व घने हो जाते हैं।
5- दही का रोजाना सेवन सर्दी और साँस की नली में होने वाले इंफेक्शन से बचाता है।
6- मुंह के छालों में दही कम करने के लिए दिन में कई बार दही की मलाई लगाएं। इसके अलावा शहद व दही की समान मात्रा मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
7- अलग-अलग शैंपू और रंगों का उपयोग करने से बालों की चमक कम हो गई हैं तो दही में बेसन घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद सिर धो लें। इससे बालों की चमक लौट आएगी और बालों की रूसी की समस्या से भी आपको निजात मिलेगी।

सावधानियां

1. सायंकालीन भोजन व रात्रि में दही का सेवन नहीं करें।

2. विद्यार्थियों को परीक्षा के दिनों में दही का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। जिन छात्रों को दोपहर व सायंकाल परीक्षा का समय हो तो विशेष सावधानी रखना चाहिए। दही आलस्य लाता है।

3. खट्टा दही सेवन न करें। ताजे दही का प्रयोग करें।

4. सर्दी, खांसी, अस्थमा के रोगियों को भी दही से परहेज करना चाहिए।

5. त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।

6. मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।

7. अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।

8. दही सदैव ताजी एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन की बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
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