यौन कमजोरी उपचार-Sexual Weakness Treatment


परेशान आज का युवा खान-पान और मिलावटी सामान के सेवन से नपुंसकता (Impotence ) जैसी घातक बीमारियों से जूझ रहा है आये दिन हमें कई लोगो के इसकी जानकारी के लिए प्रश्न आते है इस प्रकार के नवजवानों के लिए आयुर्वेद द्वारा एक विशेष चूर्ण का निर्मार्ण करके आप लाभ ले सकते है एक बार इस्तेमाल करके इस दिव्य चूर्ण का लाभ अवस्य उठाये - बस आप इसे घर पे सारी सामग्री लाके निर्माण करे - बाजार में हो सकता है आपको सही प्राप्त न हो सके और फिर आपका विश्वास आयुर्वेद से न उठ जाए -
कैसे बनाये (How to make it ):-
कोंच के बीज शुद्ध- 50 ग्राम
असगंध- 50 ग्राम
विदारीकन्द- 50 ग्राम
मूसली- 50 ग्राम
मोचरस- 50 ग्राम
गोखरू- 50 ग्राम
जायफल- 50 ग्राम
उडद की दाल- 50 ग्राम (घी में भुनी हुई )
बंशलोचन- 50 ग्राम
सेमर के फूल- 50 ग्राम
खरेंटी- 50 ग्राम
सतावर- 50 ग्राम
भांग- 50 ग्राम ( पानी से धुली और फिर सुखाई हुई )
मिश्री- 700 ग्राम
आप बाजार में आयुर्वेद पंसारी से लाई गई उपरोक्त सभी उपरोक्त सामान को कूटकर छान ले ओर आपस में मिक्स करके कांच के बर्तन में ढक्कन लगाकर रख ले -
मात्रा और अनुपान (Volume and dose ):-
आप इसे प्रातः और रात्री में सोने से एक घंटा पहले 3-6 ग्राम पानी से या गाय के दूध से ले-
गुण ओर उपयोग (Properties and use ):-
आपके शरीर के लिए यह चूर्ण पोष्टिक रसायन है इसके सेवन से बल ओर वीर्य की वृद्धि होती है- अत्यधिक स्त्री प्रसंग या किशोरावस्था में अप्राकृतिक ढंग से वीर्य का ज्यादा दुरूपयोग करने से वीर्य पतला हो जाता है तथा शुक्रवाहिनी शिराएं भी कमजोर हो जाती है ओर फिर वे वीर्य धारण करने में सफल नहीं हो पाती है - जिसके परिणाम स्वरूप स्वप्नदोष-शीघ्रपतन-वीर्य का पतला पन-पेशाब के साथ ही वीर्य निकल जाना आदि विकार उत्पन्न हो जाते है इन विकारों को दूर करने के लिए आप इस चूर्ण का उपयोग करना आपके लिए हितकर है-
निम्नांकित फायदे होते हैं:-
यह रसायन के गुण से युक्त है आपकी धातु की रक्षा करता है वीर्य (Semen ) की वृधि करके आपको सामर्थवान बनाने में सक्षम है ये शरीर की पुष्टता बढाता है एक बाजीकरण योग (Vajikrn yoga ) है स्त्री सम्भोग के लिए वीर्य के उत्पादन को बढाता है इसलिए कमजोर व्यक्ति को एक बार अवस्य ही इसका प्रयोग करके इसके गुणों को जांचना और परखना चाहिए क्युकी ये किसी वरदान से कम नहीं है -
डायबिटीज (Diabetes ) के रोगियों के लिये यह चूर्ण किसी वरदान से कम नही है तथा डायबिटीज के रोगियों की सम्भोग अथवा मैथुन (Sexual intercourse ) करने की क्षमता कमजोर हो जाती है तो आप इस चूर्ण के सेवन करने से डायबिटीज के रोगियों को दो तरफा फायदा होता है इससे प्रमेह (Gonorrhea ) की शिकायत भी दूर होती है-
जिनका वीर्य (semen ) हस्त मैथुन (Masturbation ) या अन्य अप्राकृतिक तरीके अपनाने के बाद पानी जैसा पतला हो गया हो , इस चूर्ण के सेवन करने से वीर्य शुद्ध होकर गाढ़ा और प्राकृतिक हो जाता है-
जिनके वीर्य में कोई भी विकृति हो , शुक्राणु कम हों या स्पेर्म न बन रहे हों , उन्हें इस औशधि का उपयोग जरूर करना चाहिये-
इस चूर्ण को सभी प्रकार के शुक्र दोषों (dyspermatism ) में उपयोग किया जा सकता है-
शरीर की साधारण स्वास्थ्य सुरक्षित रखने और शक्ति संचार को स्थाई बनाये रखने के लिये तथा कु-पोषणसे पीड़ित रोगियों के लिये यह एक लाभकारी औषधि है-
नोट :-आप के लिए पूरे जाड़े में सेवन करने के लिए उपयुक्त चूर्ण है ..! गर्मी में इसकी मात्रा आधी ले और दूध आधा लीटर गाय का हो तो उत्तम है
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छींकने की समस्या से राहत के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies) (For Sneezing)

छींकना (Sneezing), भले ही आपको परेशान करता हो लेकिन, यह वास्तव में आपको कई तरह की एलर्जी से बचाने की स्वभाविक प्रक्रिया है। छींकने से शरीर के अंदर मौजूद कई हानिकारक एलर्जी वाले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे छींकने की प्रक्रिया एक
सुरक्षा तंत्र की तरह काम करती है।
छींक आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- धुआं, धूल-मिट्टी, सब्जी का तेज छौंक या किसी चीज की तेज गंध। इसके अलावा ठंड के मौसम में, नमी या तापमान में गिरावट, किसी खाने से एलर्जी या किसी दवा से रिएक्शन।
वजह चाहें जो भी हो, एक दो या तीन छींक आना तो सामान्य है लेकिन यदि आपको एक साथ कई छींकें आती हैं, इतनी कि आप परेशान हो जाते हैं और यह रोज की ही बात है, तो फिर इस बारे में आपको सावधानी की ख़ास जरूरत है।
छींकने की समस्या से निजात के लिए हम आपको कुछ घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आपको छींकने से राहत मिलेगी।
छींकने की समस्या से राहत के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies for Sneezing)
1.पेपरमिंट तेल (Peppermint Oil)
यदि जुकाम या नाक में किसी परेशानी के वजह से आपको छींक आ रही हैं तो इसके निदान के लिए पेपरमिंट तेल बढ़िया उपाय है। पेपरमिंट तेल में जीवाणुरोधी (Anti-becterial) गुण होते हैं। उपचार के लिए किसी बड़े बर्तन में पानी को उबालकर उसमें पेपरमिंट तेल की 5 बूंदें डालें। एक तौलिये से सिर को ढक कर इस पानी की भाप लें। इस विधि से आपको छींक आने से राहत मिलेगी।
2.सौंफ की चाय (Fennel Tea)
सौंफ छींकने से राहत के साथ ही कई सांस संबंधी संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखती है। सौंफ में भी कई एंटीबायोटिक (Anti-biotic) और एंटी वायरल (Anti-viral) गुण होते हैं। उपचार के लिए एक कप पानी उबालकर उसमें दो चम्मच सौंफ को कुचलकर डालें। तकरीबन दस मिनट पानी को कवर करके रख दें और उसके बाद छानकर पीएं। इस तरह की चाय को दिन में दो बार पीएं।
3 काली मिर्च (Black Pepper)
गुनगुने पानी में आधा चम्मच काली मिर्च डालकर यह मिश्रण दिन में दो से तीन बार पीएं। काली मिर्च का पाउडर डालकर गरारे भी किए जा सकते हैं। इसके अलावा सूप आदि में भी काली मिर्च डालकर पीना, लाभदायक होता है।
4 अदरक (Ginger)
अदरक छींकने की समस्या के साथ ही विभिन्न तरह के वायरल और नाक की अन्य समस्याओं के लिए बेहद पुराना और असरदायक उपाय है। एक कप पानी में थोडा़ सा अदरक डालकर उबालें। इसे गुनगुना रहने पर शहद मिलकार पीएं। इसके अलावा कच्चा अदरक या अदरक की चाय भी पी जा सकती
5 लहसुन (Garlic)
लहसुन में एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो कि श्वसन संबंधी संक्रमण (Respiratory Infection) को ठीक करते हैं। यदि सर्दी के आम संक्रमण की वजह से छींके आ रही हैं तो लहसुन आपको बहुत आराम दे सकता है। उपचार के लिए पांच से छह लहसुन की कलियों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इसे सूंघें। दाल सब्जी बनाने में भी लहसुन का प्रयोग करें साथ ही सूप बनाने में भी लहसुन की उच्च मात्रा डालें।
6 अजवायन (Carom Seed Oil)
अजवायन की पत्ती के तेल में जीवाणओं से लड़ने की तेज क्षमता होती है जो कि एलर्जी को ठीक करने में मदद करती है। उपचार के लिए अजवायन के तेल की दो से तीन बूंद रोजाना इसतेमाल करने से साइनस की समस्या से भी निजात संभव है।
Chetan Shekhawat's photo.

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" स्वर्ग " " नर्क " "Heaven" "Hell"

एक यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ सड़क पर चल रहा था, जब वे एक विशालकाय पेड़ के पास से गुज़र रहे थे तब उनपर आसमान से बिजली गिरी और वे तीनों तत्क्षण मर गए। लेकिन उन तीनों को यह प्रतीत नहीं हुआ कि वे अब जीवित नहीं है और वे चलते ही रहे, कभी-कभी मृत प्राणियों को अपना शरीरभाव छोड़ने में समय लग जाता है।
उनकी यात्रा बहुत लंबी थी, आसमान में सूरज ज़ोरों से चमक रहा था। वे पसीने से तरबतर और बेहद प्यासे थे, वे पानी की तलाश करते रहे सड़क के मोड़ पर उन्हें एक भव्य द्वार दिखाई दिया जो पूरा संगमरमर का बना हुआ था। द्वार से होते हुए वे स्वर्ण मढ़ित एक अहाते में आ पहुंचे, अहाते के बीचोंबीच एक फव्वारे से आईने की तरह साफ़ पानी निकल रहा था।
यात्री ने द्वार की पहरेदारी करनेवाले से कहा: “नमस्ते, यह सुन्दर जगह क्या है ?
पहरेदार ने कहा :“यह स्वर्ग है”.
यात्री : “कितना अच्छा हुआ कि हम चलते-चलते स्वर्ग आ पहुंचे, हमें बहुत प्यास लगी है.”
पहरेदार :“तुम चाहे जितना पानी पी सकते हो”.
यात्री: “मेरा घोड़ा और कुत्ता भी प्यासे हैं”.
पहरेदार: “माफ़ करना लेकिन यहाँ जानवरों को पानी पिलाना मना है”
यात्री को यह सुनकर बहुत निराशा हुई, वह खुद बहुत प्यासा था लेकिन अकेला पानी नहीं पीना चाहता था। उसने पहरेदार को धन्यवाद दिया और अपनी राह चल पड़ा। आगे और बहुत दूर तक चलने के बाद वे एक बगीचे तक पहुंचे जिसका दरवाज़ा जर्जर था और भीतर जाने का रास्ता धूल से पटा हुआ था।
भीतर पहुँचने पर उसने देखा कि एक पेड़ की छाँव में एक आदमी अपने सर को टोपी से ढंककर सो रहा था। “नमस्ते” – यात्री ने उस आदमी से कहा – “मैं, मेरा घोड़ा और कुत्ता बहुत प्यासे हैं. क्या यहाँ पानी मिलेगा?”
उस आदमी ने एक ओर इशारा करके कहा – “वहां चट्टानों के बीच पानी का एक सोता है, जाओ जाकर पानी पी लो”
यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ वहां पहुंचा और तीनों ने जी भर के अपनी प्यास बुझाई, फिर यात्री उस आदमी को धन्यवाद कहने के लिए आ गया ।
“यह कौन सी जगह है?”
“यह स्वर्ग है”.
“स्वर्ग ? इसी रास्ते में पीछे हमें एक संगमरमरी अहाता मिला, उसे भी वहां का पहरेदार स्वर्ग बता रहा था!”
“नहीं-नहीं, वह स्वर्ग नहीं वह तो नर्क है”
यात्री अब अपना आपा खो बैठा. उसने कहा - “भगवान के लिए ये सब कहना बंद करो! मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब क्या है!”
आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा – “नाराज़ न हो भाई, संगमरमरी स्वर्ग वालों का तो हमपर बड़ा उपकार है, वहां वे सभी लोग रुक जाते हैं जो अपने भले के लिए अपने सबसे अच्छे दोस्तों को भी छोड़ सकते हैं”
सार: कभी भी अपने भले या फायदे के लिए अपने कमजोर साथी, सम्बन्धी या रिश्तेदारों को बीच रास्ते में ना छोड़ दे बल्कि जहाँ तक बन सकें उनका साथ दे और उनको साथ लेकर चले ।
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खट्टी डकारे निवारक प्रयोग anti belching application



उपाय :- गुड , सेंधा नमक , काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हें | मात्रा अपनी आवश्यकता ले सकते हें | 
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पेट में गेस से परेशानी निवारक प्रयोग Stomach gas relief remedies



उपाय :- सौठ , हींग , काला नमक , जीरा , अजवायन , सेंधा नमक सभी को समान मात्रा में लेकर कूट - पीसकर चूरन बना ले |
अब तीन ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को ताज़ा जल से दिन में २-३ बार लेते रहने से पेट की गेस से राहत मिलती हें | 
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बदहजमी निवारक प्रयोग Indigestion Preventive Use


उपाय :- हरी सौफ पचास ग्राम , काला नमक दस ग्राम , काली मिर्च पांच ग्राम तीनो को बारीक़ चूरन बनाकर शीशी में भर ले | अब लंच व डिनर दोनों भोजन करने के बाद सुबह शाम दोनों समय पांच- पांच ग्राम इसे गरम पानी से ले |
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देसी वियाग्रा ~ मूसली Desi Viagra ~Musli

सफेद मूसली एक शक्‍तिवर्धक जड़ी बूटी है जो कि ज्‍यादातर यौन क्षमता को बढ़ाने के लिये प्रयोग की जाती है !
मगर ऐसा नहीं है कि इसका केवल एक ही काम हो ... ?
यह अन्‍य औषधीय गुणों से भी भरी हुई होती है !
मूसली में फिनोल - फ्रंक्‍टैंस - स्‍टेरायडल सैपोनिन्‍स - एसिटीलेटेड मननांस और प्रोटीन जैसे रासायनिक यौगिक होते हैं !
सफेद मूसली सुखा कर इसका चूर्ण दूध के साथ खाया जाए तो एक महीने के अंदर ही फायदा दिखना शुरु हो जाता है !
* यह शरीर की थकान मिटा कर ताकत बढ़ाने के लिये भी फायदेमंद है !
* यह पेशाब में जलन - गठिया - कैंसर - मधुमेह - एंटी - एजिंग दवा - स्‍तनपान करवाने वाली माताओं में ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढ़ाने के लिये और यहां तक कि बॉडी बिल्‍डिंग सप्‍पलीमेंट के रूप में भी प्रयोग की जाती है !
# यह कैसे काम करती है .... ?
सफेद मूसली में ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर पर असर करते हैं - मूसली में एंटी - इन्फ्लैमटोरी जैसे गुण हैं जो यौन क्षमता को बढा सकती है !
* पेशाब में जलन :-
दूध में सफेद मूसली की जड़ों के चूर्ण के साथ इलायची मिला - दूध उबाल रोगी को दिन में दो बार पीने को दें !
* पथरी :-
इंद्रायण की सूखी जड़ का चूर्ण और सफेद मूसली की जड़ों का चूर्ण बना - रोज सुबह मरीज़ को एक गिलास पानी में इन दोनों चूर्णों की एक एक ग्राम खुराक मिला कर 7 दिनों तक पिलाएं !
इस से पथरी गल कर बाहर निकल जाएगी !
* बदन दर्द और थकान :-
सफेद मूसली की जड़ों का चूर्ण बना कर रोजाना सेवन करें - इससे शरीर में शक्‍ति आएगी और आपका मूड भी अच्‍छा बनेगा !
यह शरीर में खून के संचालन को तेज करती है जिससे शरीर एक्‍टिव बना रहता है
* टेस्टोस्टेरोन लेवल बढाए :-
यह एक मेल हार्मोन होता है जो सेक्‍स क्षमता से संबन्‍धित है - मूसली टेस्‍टोस्‍टेरोन लेवल को बढ़ा कर यौन इच्‍छा की कमी को पूरी करती है !
* महिलाओं के लिये :-
यह महिलाओं में यौन इच्‍छा में आई कमी को बढ़ाती है और Vagina का सूखापन भी खत्‍म करती है !
* बांझपन :-
बांझपन के लिये यह बहुत अच्‍छी है क्‍योंकि इससे स्‍पर्म काउंट - वीर्य की मात्रा बढ़ती है और बांझपन दूर होता है !
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सर्दियों में बिमारियों का आसान और स्वादिष्ट इलाज Easy and tasty treatment for winter diseases

सामग्री -----
(1) दो नीबू –इन्हें अच्छे से साफ़ करके महीन स्लाइस में काट लें
(2) 2 इंच लम्बे अदरक का टुकड़ा इसे भी अच्छे से साफ़ करके महीन स्लाइस में काट लें
(3) दाल चीनी पाउडर 10 ग्राम (दो चम्मच )
(4) शहद आवश्यकतानुसार
निर्माण विधि ----- किसी कांच के चौड़े मुह के बर्तन में सबसे पहले नीबू और अदरक की स्लाइस की तह लगाये अब दालचीनी पाउडर डाल दे ...अब धीरे धीरे इस सामग्री पर इतना शहद डाले की यह पूरी सामग्री को कवर कर ले ..इसे हिलाए नहीं कुछ समय बाद और शहद डालने की आवश्यकता होगी क्योंकि थोडा शहद कुछ देर बाद दालचीनी द्वारा सोख लिया जायेगा .एक्स्ट्रा शहद डालने के बाद जार को बंद करके रख दे .चाहे तो फ्रिज में रख लें ... तीन चार दिन में ये जेली जैसा बन जायेगा ..चाहे तो तुलसी और पुदीने की पत्तियां भी ad कर लें .........................
उपयोग विधि – दो कप गरम पानी में एक चम्मच जेली डालें और चाय की तरह पिए ..
लाभ --- जितना आसान इसका बनाना है उससे कई गुना ज्यादा इसके फायदे हैं ..
गले की खराश, टोंसिल, जुकाम, इन्फेक्शन.
भूख कम लगना, सर दर्द, भोजन के प्रति अरुचि,
शारीरिक स्फूर्ति मूड अपसेट हो जाना ..
आदि में बहुत लाभकारी है.
गैस और उच्च रक्तचाप में भी लाभकारी है.

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हरी मिर्च Green chilly


हरी मिर्च
हरी मिर्च लगभग पूरे भारतवर्ष में पाई जाती है | यह कई किस्मों में होती है , इसका पौधा छोटा-सा होता है | हरी मिर्च का स्वाद तीखा होता है और इसकी प्रकृति गर्म होती है | हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी
हरी मिर्च को यदि तरीके से खाया जाए अर्थात उचित मात्र में खाया जाये तो वो औषधि का भी काम करती है आइये जानते है कैसे
गर्मी के दिनों में यदि हम भोजन के साथ हरी मिर्च खाएं और फिर घर से बाहर जाएँ तो कभी भी लू नहीं लग सकती |
खून में हेमोग्लोबिन की कमी होने पर रोजाना खाने के साथ हरी मिर्च खाए कुछ ही दिन में आराम मिल जायेगा |
मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ के साथ – साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है
मिर्च के सेवन से भूख कम लगती है और बार बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
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सहजन Drumstick


सहजन -
दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है.
- आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
- जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है |
- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है. 
- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
- इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
- इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्‍युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्‍यक है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- इसमें कैल्‍शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्‍नीशियम और सीलियम होता है।
- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्‍या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्‍जी को अक्‍सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्‍छी होती है।
- आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्‍त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्‍याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
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नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...