छींकने की समस्या से राहत के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies) (For Sneezing)

छींकना (Sneezing), भले ही आपको परेशान करता हो लेकिन, यह वास्तव में आपको कई तरह की एलर्जी से बचाने की स्वभाविक प्रक्रिया है। छींकने से शरीर के अंदर मौजूद कई हानिकारक एलर्जी वाले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिससे छींकने की प्रक्रिया एक
सुरक्षा तंत्र की तरह काम करती है।
छींक आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे- धुआं, धूल-मिट्टी, सब्जी का तेज छौंक या किसी चीज की तेज गंध। इसके अलावा ठंड के मौसम में, नमी या तापमान में गिरावट, किसी खाने से एलर्जी या किसी दवा से रिएक्शन।
वजह चाहें जो भी हो, एक दो या तीन छींक आना तो सामान्य है लेकिन यदि आपको एक साथ कई छींकें आती हैं, इतनी कि आप परेशान हो जाते हैं और यह रोज की ही बात है, तो फिर इस बारे में आपको सावधानी की ख़ास जरूरत है।
छींकने की समस्या से निजात के लिए हम आपको कुछ घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आपको छींकने से राहत मिलेगी।
छींकने की समस्या से राहत के लिए घरेलू नुस्ख़े (Home Remedies for Sneezing)
1.पेपरमिंट तेल (Peppermint Oil)
यदि जुकाम या नाक में किसी परेशानी के वजह से आपको छींक आ रही हैं तो इसके निदान के लिए पेपरमिंट तेल बढ़िया उपाय है। पेपरमिंट तेल में जीवाणुरोधी (Anti-becterial) गुण होते हैं। उपचार के लिए किसी बड़े बर्तन में पानी को उबालकर उसमें पेपरमिंट तेल की 5 बूंदें डालें। एक तौलिये से सिर को ढक कर इस पानी की भाप लें। इस विधि से आपको छींक आने से राहत मिलेगी।
2.सौंफ की चाय (Fennel Tea)
सौंफ छींकने से राहत के साथ ही कई सांस संबंधी संक्रमण से लड़ने की क्षमता रखती है। सौंफ में भी कई एंटीबायोटिक (Anti-biotic) और एंटी वायरल (Anti-viral) गुण होते हैं। उपचार के लिए एक कप पानी उबालकर उसमें दो चम्मच सौंफ को कुचलकर डालें। तकरीबन दस मिनट पानी को कवर करके रख दें और उसके बाद छानकर पीएं। इस तरह की चाय को दिन में दो बार पीएं।
3 काली मिर्च (Black Pepper)
गुनगुने पानी में आधा चम्मच काली मिर्च डालकर यह मिश्रण दिन में दो से तीन बार पीएं। काली मिर्च का पाउडर डालकर गरारे भी किए जा सकते हैं। इसके अलावा सूप आदि में भी काली मिर्च डालकर पीना, लाभदायक होता है।
4 अदरक (Ginger)
अदरक छींकने की समस्या के साथ ही विभिन्न तरह के वायरल और नाक की अन्य समस्याओं के लिए बेहद पुराना और असरदायक उपाय है। एक कप पानी में थोडा़ सा अदरक डालकर उबालें। इसे गुनगुना रहने पर शहद मिलकार पीएं। इसके अलावा कच्चा अदरक या अदरक की चाय भी पी जा सकती
5 लहसुन (Garlic)
लहसुन में एंटीबायोटिक और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो कि श्वसन संबंधी संक्रमण (Respiratory Infection) को ठीक करते हैं। यदि सर्दी के आम संक्रमण की वजह से छींके आ रही हैं तो लहसुन आपको बहुत आराम दे सकता है। उपचार के लिए पांच से छह लहसुन की कलियों को पीसकर पेस्ट बनाएं और इसे सूंघें। दाल सब्जी बनाने में भी लहसुन का प्रयोग करें साथ ही सूप बनाने में भी लहसुन की उच्च मात्रा डालें।
6 अजवायन (Carom Seed Oil)
अजवायन की पत्ती के तेल में जीवाणओं से लड़ने की तेज क्षमता होती है जो कि एलर्जी को ठीक करने में मदद करती है। उपचार के लिए अजवायन के तेल की दो से तीन बूंद रोजाना इसतेमाल करने से साइनस की समस्या से भी निजात संभव है।
Chetan Shekhawat's photo.

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" स्वर्ग " " नर्क " "Heaven" "Hell"

एक यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ सड़क पर चल रहा था, जब वे एक विशालकाय पेड़ के पास से गुज़र रहे थे तब उनपर आसमान से बिजली गिरी और वे तीनों तत्क्षण मर गए। लेकिन उन तीनों को यह प्रतीत नहीं हुआ कि वे अब जीवित नहीं है और वे चलते ही रहे, कभी-कभी मृत प्राणियों को अपना शरीरभाव छोड़ने में समय लग जाता है।
उनकी यात्रा बहुत लंबी थी, आसमान में सूरज ज़ोरों से चमक रहा था। वे पसीने से तरबतर और बेहद प्यासे थे, वे पानी की तलाश करते रहे सड़क के मोड़ पर उन्हें एक भव्य द्वार दिखाई दिया जो पूरा संगमरमर का बना हुआ था। द्वार से होते हुए वे स्वर्ण मढ़ित एक अहाते में आ पहुंचे, अहाते के बीचोंबीच एक फव्वारे से आईने की तरह साफ़ पानी निकल रहा था।
यात्री ने द्वार की पहरेदारी करनेवाले से कहा: “नमस्ते, यह सुन्दर जगह क्या है ?
पहरेदार ने कहा :“यह स्वर्ग है”.
यात्री : “कितना अच्छा हुआ कि हम चलते-चलते स्वर्ग आ पहुंचे, हमें बहुत प्यास लगी है.”
पहरेदार :“तुम चाहे जितना पानी पी सकते हो”.
यात्री: “मेरा घोड़ा और कुत्ता भी प्यासे हैं”.
पहरेदार: “माफ़ करना लेकिन यहाँ जानवरों को पानी पिलाना मना है”
यात्री को यह सुनकर बहुत निराशा हुई, वह खुद बहुत प्यासा था लेकिन अकेला पानी नहीं पीना चाहता था। उसने पहरेदार को धन्यवाद दिया और अपनी राह चल पड़ा। आगे और बहुत दूर तक चलने के बाद वे एक बगीचे तक पहुंचे जिसका दरवाज़ा जर्जर था और भीतर जाने का रास्ता धूल से पटा हुआ था।
भीतर पहुँचने पर उसने देखा कि एक पेड़ की छाँव में एक आदमी अपने सर को टोपी से ढंककर सो रहा था। “नमस्ते” – यात्री ने उस आदमी से कहा – “मैं, मेरा घोड़ा और कुत्ता बहुत प्यासे हैं. क्या यहाँ पानी मिलेगा?”
उस आदमी ने एक ओर इशारा करके कहा – “वहां चट्टानों के बीच पानी का एक सोता है, जाओ जाकर पानी पी लो”
यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ वहां पहुंचा और तीनों ने जी भर के अपनी प्यास बुझाई, फिर यात्री उस आदमी को धन्यवाद कहने के लिए आ गया ।
“यह कौन सी जगह है?”
“यह स्वर्ग है”.
“स्वर्ग ? इसी रास्ते में पीछे हमें एक संगमरमरी अहाता मिला, उसे भी वहां का पहरेदार स्वर्ग बता रहा था!”
“नहीं-नहीं, वह स्वर्ग नहीं वह तो नर्क है”
यात्री अब अपना आपा खो बैठा. उसने कहा - “भगवान के लिए ये सब कहना बंद करो! मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब क्या है!”
आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा – “नाराज़ न हो भाई, संगमरमरी स्वर्ग वालों का तो हमपर बड़ा उपकार है, वहां वे सभी लोग रुक जाते हैं जो अपने भले के लिए अपने सबसे अच्छे दोस्तों को भी छोड़ सकते हैं”
सार: कभी भी अपने भले या फायदे के लिए अपने कमजोर साथी, सम्बन्धी या रिश्तेदारों को बीच रास्ते में ना छोड़ दे बल्कि जहाँ तक बन सकें उनका साथ दे और उनको साथ लेकर चले ।
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खट्टी डकारे निवारक प्रयोग anti belching application



उपाय :- गुड , सेंधा नमक , काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारे आना बंद हो जाती हें | मात्रा अपनी आवश्यकता ले सकते हें | 
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पेट में गेस से परेशानी निवारक प्रयोग Stomach gas relief remedies



उपाय :- सौठ , हींग , काला नमक , जीरा , अजवायन , सेंधा नमक सभी को समान मात्रा में लेकर कूट - पीसकर चूरन बना ले |
अब तीन ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को ताज़ा जल से दिन में २-३ बार लेते रहने से पेट की गेस से राहत मिलती हें | 
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बदहजमी निवारक प्रयोग Indigestion Preventive Use


उपाय :- हरी सौफ पचास ग्राम , काला नमक दस ग्राम , काली मिर्च पांच ग्राम तीनो को बारीक़ चूरन बनाकर शीशी में भर ले | अब लंच व डिनर दोनों भोजन करने के बाद सुबह शाम दोनों समय पांच- पांच ग्राम इसे गरम पानी से ले |
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देसी वियाग्रा ~ मूसली Desi Viagra ~Musli

सफेद मूसली एक शक्‍तिवर्धक जड़ी बूटी है जो कि ज्‍यादातर यौन क्षमता को बढ़ाने के लिये प्रयोग की जाती है !
मगर ऐसा नहीं है कि इसका केवल एक ही काम हो ... ?
यह अन्‍य औषधीय गुणों से भी भरी हुई होती है !
मूसली में फिनोल - फ्रंक्‍टैंस - स्‍टेरायडल सैपोनिन्‍स - एसिटीलेटेड मननांस और प्रोटीन जैसे रासायनिक यौगिक होते हैं !
सफेद मूसली सुखा कर इसका चूर्ण दूध के साथ खाया जाए तो एक महीने के अंदर ही फायदा दिखना शुरु हो जाता है !
* यह शरीर की थकान मिटा कर ताकत बढ़ाने के लिये भी फायदेमंद है !
* यह पेशाब में जलन - गठिया - कैंसर - मधुमेह - एंटी - एजिंग दवा - स्‍तनपान करवाने वाली माताओं में ब्रेस्‍ट मिल्‍क बढ़ाने के लिये और यहां तक कि बॉडी बिल्‍डिंग सप्‍पलीमेंट के रूप में भी प्रयोग की जाती है !
# यह कैसे काम करती है .... ?
सफेद मूसली में ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर पर असर करते हैं - मूसली में एंटी - इन्फ्लैमटोरी जैसे गुण हैं जो यौन क्षमता को बढा सकती है !
* पेशाब में जलन :-
दूध में सफेद मूसली की जड़ों के चूर्ण के साथ इलायची मिला - दूध उबाल रोगी को दिन में दो बार पीने को दें !
* पथरी :-
इंद्रायण की सूखी जड़ का चूर्ण और सफेद मूसली की जड़ों का चूर्ण बना - रोज सुबह मरीज़ को एक गिलास पानी में इन दोनों चूर्णों की एक एक ग्राम खुराक मिला कर 7 दिनों तक पिलाएं !
इस से पथरी गल कर बाहर निकल जाएगी !
* बदन दर्द और थकान :-
सफेद मूसली की जड़ों का चूर्ण बना कर रोजाना सेवन करें - इससे शरीर में शक्‍ति आएगी और आपका मूड भी अच्‍छा बनेगा !
यह शरीर में खून के संचालन को तेज करती है जिससे शरीर एक्‍टिव बना रहता है
* टेस्टोस्टेरोन लेवल बढाए :-
यह एक मेल हार्मोन होता है जो सेक्‍स क्षमता से संबन्‍धित है - मूसली टेस्‍टोस्‍टेरोन लेवल को बढ़ा कर यौन इच्‍छा की कमी को पूरी करती है !
* महिलाओं के लिये :-
यह महिलाओं में यौन इच्‍छा में आई कमी को बढ़ाती है और Vagina का सूखापन भी खत्‍म करती है !
* बांझपन :-
बांझपन के लिये यह बहुत अच्‍छी है क्‍योंकि इससे स्‍पर्म काउंट - वीर्य की मात्रा बढ़ती है और बांझपन दूर होता है !
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सर्दियों में बिमारियों का आसान और स्वादिष्ट इलाज Easy and tasty treatment for winter diseases

सामग्री -----
(1) दो नीबू –इन्हें अच्छे से साफ़ करके महीन स्लाइस में काट लें
(2) 2 इंच लम्बे अदरक का टुकड़ा इसे भी अच्छे से साफ़ करके महीन स्लाइस में काट लें
(3) दाल चीनी पाउडर 10 ग्राम (दो चम्मच )
(4) शहद आवश्यकतानुसार
निर्माण विधि ----- किसी कांच के चौड़े मुह के बर्तन में सबसे पहले नीबू और अदरक की स्लाइस की तह लगाये अब दालचीनी पाउडर डाल दे ...अब धीरे धीरे इस सामग्री पर इतना शहद डाले की यह पूरी सामग्री को कवर कर ले ..इसे हिलाए नहीं कुछ समय बाद और शहद डालने की आवश्यकता होगी क्योंकि थोडा शहद कुछ देर बाद दालचीनी द्वारा सोख लिया जायेगा .एक्स्ट्रा शहद डालने के बाद जार को बंद करके रख दे .चाहे तो फ्रिज में रख लें ... तीन चार दिन में ये जेली जैसा बन जायेगा ..चाहे तो तुलसी और पुदीने की पत्तियां भी ad कर लें .........................
उपयोग विधि – दो कप गरम पानी में एक चम्मच जेली डालें और चाय की तरह पिए ..
लाभ --- जितना आसान इसका बनाना है उससे कई गुना ज्यादा इसके फायदे हैं ..
गले की खराश, टोंसिल, जुकाम, इन्फेक्शन.
भूख कम लगना, सर दर्द, भोजन के प्रति अरुचि,
शारीरिक स्फूर्ति मूड अपसेट हो जाना ..
आदि में बहुत लाभकारी है.
गैस और उच्च रक्तचाप में भी लाभकारी है.

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हरी मिर्च Green chilly


हरी मिर्च
हरी मिर्च लगभग पूरे भारतवर्ष में पाई जाती है | यह कई किस्मों में होती है , इसका पौधा छोटा-सा होता है | हरी मिर्च का स्वाद तीखा होता है और इसकी प्रकृति गर्म होती है | हरी मिर्च का नाम सुनते ही कुछ लोगों को उस का तीखापन याद करके पसीने आ जाते है तो कुछ के मुंह में पानी
हरी मिर्च को यदि तरीके से खाया जाए अर्थात उचित मात्र में खाया जाये तो वो औषधि का भी काम करती है आइये जानते है कैसे
गर्मी के दिनों में यदि हम भोजन के साथ हरी मिर्च खाएं और फिर घर से बाहर जाएँ तो कभी भी लू नहीं लग सकती |
खून में हेमोग्लोबिन की कमी होने पर रोजाना खाने के साथ हरी मिर्च खाए कुछ ही दिन में आराम मिल जायेगा |
मिर्च में अमीनो एसिड, एस्कार्बिक एसिड, फोलिक एसिड, सिट्रीक एसिड, ग्लीसरिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई तत्व होते है जो हमारे स्वास्थ के साथ – साथ शरीर की त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होता है
मिर्च के सेवन से भूख कम लगती है और बार बार खाने की इच्छा नहीं होती जिससे वजन बढ़ने का खतरा कम हो जाता है।
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सहजन Drumstick


सहजन -
दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है.
- आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है|
- जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है|
- सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है|
- सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है,
- मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है |
- सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है|
- इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है.
- सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है.
- सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है.
- इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है. 
- इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है.
- इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है.
- इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है.
- इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है.
- इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है.
- इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है.
- सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे.
- इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।
- सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
- कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है।
- सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
- आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है।
- सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्‍युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्‍यक है।
- सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
- इसमें कैल्‍शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्‍नीशियम और सीलियम होता है।
- इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्‍या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
- सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्‍जी को अक्‍सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्‍छी होती है।
- आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्‍त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्‍याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
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अश्वगंधा:नपुंसकता,बांझपन,हड्डी कमजोर,लिंग वृद्धि,योनि रोग Ashwagandha: Impotence, infertility, bone weakness, penis enlargement, vaginal diseases

अश्वगंधा:नपुंसकता,बांझपन,हड्डी कमजोर,लिंग वृद्धि,योनि रोग

अश्वगंधा:नपुंसकता,बांझपन,हड्डी कमजोर,लिंग वृद्धि,योनि रोग

अश्वगंधा:नपुंसकता,बांझपन,हड्डी कमजोर,लिंग वृद्धि,योनि रोग Ashwagandha: Impotence, infertility, bone weakness, penis enlargement, vaginal diseases

अश्वगंधा

सामान्य परिचय : सम्पूर्ण भारतवर्ष में विशेषकर शुष्क
प्रदेशों में असगंध के जंगली या कृषिजन्य पौधे 5,500 फुट
की ऊंचाई तक पाये जाते हैं। इसके जंगली पौधे
की अपेक्षा कृषिजन्य पौधे गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम होते
हैं, परंतु तेल आदि के लिए जगंली पौधे ही उपयोगी होते हैं।
यह देश भेद से कई प्रकार की कही गई है, परंतु
असली असगंध के पौधे को मसलने पर घोड़े के मूत्र जैसी गंध
आती है जो इसकी ताजी जड़ में अपेक्षाकृत अधिक होती है।


स्वरूप : असगंध (अश्वगंधा) का झाड़ीदार पौधा 60 से 90
सेमी तक लंबा होता है। इसकी जड़ ही औषधि रूप में प्रयोग
की जाती है। इसकी जड़ अन्दर से सफेद, कड़ी, मोटी-पतली,
और 10 से 15 सेमी के लगभग लंबी होती है। इसकी जड़
को सुखाकर उपयोग में लाया जाता है। इसके पौधे पर 5-5
फूलों के गुच्छे पीले या लाल रंग के होते हैं तथा बीज पीले रंग
के छोटे, चिपटे और चिकने होते हैं।

विभिन्न भाषाओं नाम :
संस्कृत अश्वगंधा, वराहकर्णी
हिंदी असंगध, अश्वगंधा
गुजराती आसंध, घोड़ा आहन, घोड़ा आकुन
मराठी आसंध, डोरगुंज
बंगाली अश्वगंधा
तेलगू पनेरू
अंग्रेजी वीनटर चेरी (Winter Cherry)

रासायनिक संघटन : असगंध की जड़ में एक उड़नशील तेल
तथा बिथेनिओल नामक तत्व पाया जाता है। इसके
अलावा सोम्मीफेरिन नामक क्रिस्टेलाइन एल्केलायड एवं
फाइटोस्टेरोल आदि तत्व भी पाये जाते हैं।


गुण-धर्म : यह कफ वातनाशक, बलकारक, रसायन,
बाजीकारक, नाड़ी-शक्तिवर्द्धक तथा पाचनशक्ति को बढ़ाने
वाला होता है।

हानिकारक : गर्म प्रकृति वालों के लिए अश्वगंधा का अधिक
मात्रा में उपयोग हानिकारक होता है।

दोषों को दूर करने वाला : गोंद, कतीरा एवं घी इसके
गुणों को सुरक्षित रखते हुए, दोषों को कम करता है।

विभिन्न रोगों का अश्वगंधा से उपचार :


1 गंडमाला :-असंगध के नये कोमल पत्तों को समान
मात्रा में पुराना गुड़ मिलाकर तथा पीसकर झाड़ी के बेर
जितनी गोलियां बना लें। इसे सुबह ही एक गोली बासी पानी के
साथ निगल लें और असगंधा के पत्तों को पीसकर
गंडमाला पर लेप करें।.

2 हृदय शूल :-*वात के कारण उत्पन्न हृदय रोग में असगंध
का चूर्ण दो ग्राम गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
*असगंध चूर्ण में बहेड़े का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर
5-10 ग्राम की मात्रा गुड़ के साथ लेने से हृदय सम्बंधी वात
पीड़ा दूर होती है।"

3 क्षयरोग (टी.बी.) : -*2 ग्राम असंगध के चूर्ण को असगंध
के ही 20 मिलीलीटर काढ़े के साथ सेवन करने से क्षय रोग
में लाभ होता है।
*2 ग्राम असगंध की जड़ के चूर्ण में 1 ग्राम बड़ी पीपल
का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 10 ग्राम शहद मिलाकर सेवन
करने से क्षय रोग (टी.बी.) मिटता है।"

4 खांसी : -*असगंध (अश्वगंधा) की 10 ग्राम जड़ को कूट
लें, इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीलीटर पानी में
पकाएं, जब 8वां हिस्सा रह जाये तो इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने
से कुकुर खांसी या वात जन्य खांसी पर विशेष लाभ होता है।
*असगंध के पत्तों का काढ़ा 40 मिलीलीटर, बहेडे़ का चूर्ण
20 ग्राम, कत्था का चूर्ण 10 ग्राम, कालीमिर्च 50 ग्राम,
लगभग 3 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर लगभग आधा ग्राम
की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सभी प्रकार
की खांसी दूर होती है। टी.बी. खांसी में भी यह लाभदायक है।"

5 गर्भधारण : -*अश्वगंधा का चूर्ण 20 ग्राम, पानी 1 लीटर
तथा गाय का दूध 250 मिलीलीटर तीनों को हल्की आंच पर
पकाकार जब दूध मात्र शेष रह जाये तब इसमें 6 ग्राम
मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिलाकर मासिक-धर्म
की शुद्धिस्नान के 3 दिन बाद 3 दिन तक सेवन करने से
स्त्री अवश्यगर्भ धारण करती है।
*अश्वगंधा का चूर्ण, गाय के घी में मिलाकर मासिक-धर्म
स्नान के पश्चात् प्रतिदिन गाय के दूध के साथ या ताजे
पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में 1 महीने तक निरंतर सेवन
करने से स्त्री गर्भधारण अवश्य करती है।
*अश्वगंधा की जड़ के काढ़े और लुगदी में चौगुना घी मिलाकर
पकाकर सेवन करने से वात रोग दूर होता है
तथा स्त्री गर्भधारण करती है।"

6 गर्भपात : -बार-बार गर्भपात होने पर अश्वगंधा और सफेद
कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 मिलीलीटर रस पहले 5
महीने तक सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होगा और
गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाता है।

7 रक्तप्रदर एवं श्वेतप्रदर :-अश्वगंधा के चूर्ण में बराबर
मात्रा में मिश्री मिलाकर 1-1 चम्मच गाय के दूध में
मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।

8 कृमि रोग (पेट के कीड़े) : -इसके चूर्ण में बराबर मात्रा में
गिलोय का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ 5-10 ग्राम नियमित
सेवन करने से लाभ होता है।

9 संधिवात (जोड़ों का दर्द) में : -*अश्वगंधा के पंचांग (जड़,
पत्ती, तना, फल और फूल) को कूटकर, छानकर 25 से 50
ग्राम तक सेवन करने से जोड़ों का दर्द (गठियावात) दूर
होता है। गठिया में अश्वगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्ते, 250
मिलीलीटर पानी में उबालकर जब पानी आधा रह जाये
तो छानकर पी लें। 1 सप्ताह पीने से ही गठिया में जकड़ा और
तकलीफ से रोता रोगी बिल्कुल अच्छा हो जाता है
तथा इसका लेप भी बहुत लाभदायक है।
*अश्वगंधा के चूर्ण की मात्रा 2 ग्राम सुबह-शाम गर्म दूध
तथा पानी के साथ खाने से गठिया के रोगी को आराम
हो जाता है।
*अश्वगंधा के तीन ग्राम चूर्ण को तीन ग्राम घी में मिलाकर,
एक ग्राम शक्कर मिलाकर सुबह-शाम खाने से संधिवात दूर
होता है। अश्वगंधा की 15 ग्राम कोंपले या कोमल पत्ते लेकर
200 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पत्ते गल जाये या नरम
हो जायें तो छानकर गर्म-गर्म तीन-चार दिन पीयें, इससे कफ
जन्य खांसी भी दूर होती है।"

10 कमर दर्द : -*अश्वगंधा के 2-5 ग्राम चूर्ण को गाय के
घी या शक्कर के साथ चाटने से कमरदर्द और नींद में लाभ
होता है।
*असगंध और सोंठ बराबर मात्रा में लेकर इनका चूर्ण
बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ
सेवन करें। इससे कमर दर्द से आराम मिलता है।
*असंगध और सफेद मूसली को पीसकर बराबर मात्रा में
बनाया गया चूर्ण 1 चम्मच भर, रोजाना दूध के साथ सेवन
करने से कमजोरी मिट जाती है।
*1-1 छोटे चम्मच असगंध का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-
शाम खाने और ऊपर से एक गिलास दूध पीने से शरीर
की कमजोरी दूर होती है।"

11 नपुंसकता :-*अश्वगंधा का कपड़े से छना हुआ बारीक
चूर्ण और चीनी बराबर मिलाकर रखें, इसको 1 चम्मच गाय
के ताजे दूध के साथ सुबह भोजन से 3 घंटे पूर्व सेवन करें।
इस चूर्ण को चुटकी-चुटकी भर खाते हैं और ऊपर से दूध पीते
रहें। रात के समय इसके बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में
अच्छी तरह घोटकर लगाने से इन्द्रिय की शिथिलता दूर
होकर वह कठोर और दृढ़ हो जाती हैं।
*अश्वगंधा, दालचीनी और कडुवा कूठ बराबर मात्रा में
कूटकर छान लें और गाय के मक्खन में मिलाकर 5-10 ग्राम
की मात्रा में सुबह-शाम सुपारी छोड़करक शेष लिंग पर मलें,
इसको मलने के पूर्व और बाद में लिंग को गर्म पानी से
धो लें।"

12 कमजोरी :-*असगंध एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करने
से शरीर रोग रहित हो जाता है। केवल सर्दीयों में ही इसके
सेवन से दुर्बल व्यक्ति भी बलवान होता है। वृद्धावस्था दूर
होकर नवयौवन प्राप्त होता है।
*असंगध चूर्ण, तिल व घी 10-10 ग्राम लेकर और तीन
ग्राम शहद मिलाकर नित्य सर्दी में सेवन करने से कमजोर
शरीर वाला बालक मोटा हो जाता है।
*अश्वगंधा का चूर्ण 6 ग्राम, इसमें बराबर की मिश्री और
बराबर शहद मिलाकर इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलायें, इस
मिश्रण को सुबह शाम शीतकाल में चार महीने तक सेवन करने
से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह प्रसन्न रहता है।
*अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, तिल इससे दुगने, और उड़द आठ
गुने अर्थात 140 ग्राम, इन तीनों को महीन पीसकर इसके बड़े
बनाकर ताजे-ताजे एक ग्राम तक खायें।
*अश्वगंधा चूर्ण और चिरायता बराबर-बराबर लेकर खरल
(कूटकर) कर रखें। इस चूर्ण को 10-10 ग्राम की मात्रा में
सुबह ग्राम शाम दूध के साथ खायें।
*एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
मिश्री डालकर उबालें हुए दूध के साथ सेवन करने से वीर्य
पुष्ट होता है, बल बढ़ता है।

13 खून की खराबी : -4 ग्राम चोपचीनी और
अश्वगंधा का बारीक पिसा चूर्ण बराबर मात्रा में लें। इसे शहद
के साथ नियमित सुबह-शाम चाटने से रक्तविकार मिट
जाता है।

14 ज्वर : -इसका चूर्ण पांच ग्राम, गिलोय की छाल
का चूर्ण चार ग्राम, दोनों को मिलाकर प्रतिदिन शाम
को गर्म पानी से खाने से जीर्णवात ज्वर दूर हो जाता है।.

15 सभी प्रकार के रोगों में : -लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग
गिलोय का चूर्ण को 5 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण के साथ
मिलाकर शहद के साथ चाटने से सभी प्रकार के रोग दूर
हो जाते हैं।

16 बांझपन दूर करना : -*असगंध, नागकेसर और गोरोचन इन
तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस-छान लेते हैं। इसे शीतल
जल के साथ सेवन करें तो गर्भ ठहर जाता है।
*असगंध तथा नागौरी को 50 ग्राम की मात्रा में लेकर
कूटकर कपड़छन कर लेते हैं। जब मासिक-धर्म के बाद
स्त्री स्नान करके शुद्ध हो जाए तो 10 ग्राम की मात्रा में
इसका सेवन करें। उसके बाद पुरुष के साथ रमण (मैथुन) करें
तो इससे बांझपन दूर होकर महिला गर्भवती हो जाएगी। "

17 गर्भधारण :-*असगंध के काढे़ में दूध और घी मिलाकर 7
दिनों तक पिलाने से स्त्री को निश्चित रूप से गर्भधारण
होता है।
*असगंध का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-धर्म
के शुरू होने के लगभग 4 दिन पहले से सेवन करना चाहिए।
इससे गर्भ ठहरता है।
*असगंध 100 ग्राम दरदरा कूटकर इसकी 20 ग्राम
मात्रा को 200 मिलीलीटर पानी में रात को भिगोकर रख देते
हैं। सुबह इसे उबालते हैं। एक चौथाई रह जाने पर इसे छानकर
200 मिलीलीटर गुनगुने मीठे दूध में एक चम्मच घी मिलाकर
माहवारी के पहले दिन से 5 दिनों तक लगातार प्रयोग
करना चाहिए।"

18 दस्त :-असगंध, दालचीनी, नागरमोथा, बाराही फल, धाय
के फूल और कुड़ा (कोरैया) की छाल को निकालकर
काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को 20 से 40
मिलीलीटर की मात्रा में पीने से बुखार के दौरान आने वाले
दस्त बंद हो जाते हैं और आराम मिलता है।

19 मासिक-धर्म सम्बंधी विकार :-असगंध 35 ग्राम
की मात्रा में कूटकर छान लेते हैं। इसमें 35 ग्राम
की मात्रा में चीनी मिला देते हैं। इसकी 10 ग्राम
मात्रा को पानी से खाली पेट मासिक-धर्म शुरू होने से लगभग
एक सप्ताह पहले सेवन करना चाहिए। जब मासिक-धर्म शुरू
हो जाए तो इसका सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक
धर्म के सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।

20 प्रदर :-*असगंध और शतावर का बराबर मात्रा का चूर्ण
3 ग्राम ताजे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में लाभ
होता है।
*असगंध का चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ कुछ दिनों तक
सेवन करने से श्वेत प्रदर मिट जाता है। 25-25 ग्राम
की मात्रा में असगंध, बिधारा, लोध्र पठानी, को कूट-पीस
छानकर 5-5 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने
से प्रदर में आराम मिलता है।
*5-10 ग्राम असगंध, नागौरी चूर्ण सुबह-शाम घी के साथ
सेवन करने से प्रदर में आराम मिलता है।"

21 अल्सर :-4 ग्राम असगंध को गौमूत्र (गाय के पेशाब) में
पीसकर सेवन करना चाहिए।

22 हड्डी कमजोर होना : -असगंध नागौरी का चूर्ण 1 से 3
ग्राम शहद एवं मिश्री मिले दूध के साथ सुबह-शाम खाने से
हड्डी की विकृति आदि दूर होकर शरीर पुष्ट और सबल
हो जाता है।

23 रक्तप्रदर :-अश्वगंधा को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसे
3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन
करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।

24 स्तनों के आकार में वृद्धि : -*असगंध नागौरी और
शतावरी को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर
चूर्ण बनायें, फिर इसी चूर्ण को देशी घी में मिलाकर
मिट्टी के बर्तन में रखें, इसी चूर्ण को 10 ग्राम की मात्रा में
मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करने से स्तनों के आकार में
बढ़ोत्तरी होती है।
*असंगध नागौरी, गजपीपल और बच आदि को बराबर लेकर
पीसकर चूर्ण बना लें, फिर मक्खन के साथ मिलाकर
स्तनों पर लगायें। इससे स्तनों का उभार होता है।"

25 मोटापे के रोग में :-असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम,
काली मूसली 50 की मात्रा में कूटकर छानकर रख लें, इसे
10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापा दूर
होता है।

26 स्तनों को आकर्षक होना :-असगंध और
शतावरी को बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग 2-2 ग्राम
की मात्रा में शहद के खाकर ऊपर से दूध में
मिश्री को मिलाकर पीने से स्तन आकर्षक हो जाते हैं।

27 वात रोग : -*असगंध के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल,
पत्ती) को खाने से लाभ प्राप्त होता है।
*असगंध और विधारा 500-500 ग्राम कूट पीसकर रख लें।
10 ग्राम दवा सुबह गाय के दूध के साथ खाने से वात रोग
खत्म हो जाते हैं।
*असगंध और मेथी की 100-100 ग्राम मात्रा का बारीक
चूर्ण बनाकर, आपस में गुड़ में मिलाकर 10 ग्राम के लड्डू
बना लें। 1-1 लड्डू सुबह-शाम खाकर ऊपर से दूध पी लें। यह
प्रयोग वात रोगों में अच्छा आराम दिलाता है। जिन्हें
डायबिटीज हो, उन्हें गुड़ नहीं मिलाना चाहिए, उन्हें सिर्फ
अश्वगंध और मेथी का चूर्ण पानी के साथ लेना चाहिए।".

28 वीर्य रोग में : -*असगंध नागौरी, विधारा,
सतावरी 50-50 ग्राम कूट-पीसकर छान लें, फिर इसमें 150
ग्राम चीनी मिला दें। 10-10 ग्राम दूध से सुबह-शाम लें।
*नागौरी असगंध, गोखरू, शतावर तथा मिश्री मिलाकर खायें।
*असगंध, विधारा 25-25 ग्राम को मिलाकर बारीक पीस लें।
इसमें 50 ग्राम चीनी मिलाकर 10 ग्राम दवा सोते समय
हल्के गर्म दूध से लें। इससे बल वीर्य बढ़ता है।
*300 ग्राम असगंध को बारीक पीस लें। इसकी 20 ग्राम
मात्रा को 250 मिलीलीटर दूध में मिलाकर उबालें, जब यह
गाढ़ा हो जाये तो इसमें चीनी मिलाकर पीना चाहिए। "

29 अंगुलियों का कांपना :-3 से 6 ग्राम असगंध
नागौरी को गाय के घी और उसके चार गुना दूध में उबालकर
मिश्री मिलाकर प्रतिदिन पीने से अंगुलियों का कांपना दूर
हो जाता है। इससे रोगी को काफी लाभ मिलता है।

30 योनि रोग :-असगंध को दूध में अच्छी तरह पका लें, फिर
ऊपर से देशी घी को डालकर एक दिन सुबह और शाम
माहवारी के बाद स्नान हुई महिला को पिलाने से योनि के
विकार हो नष्ट जाते हैं और गर्भधारण के योग्य हो जाता है।

31 दिल की धड़कन : -असगंध और बहेड़ा दोनों को कूट-
पीसकर चूर्ण बना लें। फिर 3 ग्राम चूर्ण में थोड़ा-सा गुड़
मिलाकर हल्के गर्म पानी से सेवन करें। इससे दिल की तेज
धड़कन और निर्बलता नष्ट होती है।

32 गठिया रोग :-*असगंध, सुरंजन मीठी, असपन्द और
खुलंजन 30-30 ग्राम को कूट-छानकर चूर्ण बना लें। यह
चूर्ण 5-5 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम गर्म
पानी से लें। इससे गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
*50 ग्राम असगंध और 25 ग्राम सोंठ को कूट-छानकर इसमें
75 ग्राम चीनी को मिला लें। 4-4 ग्राम मिश्रण पानी से
सुबह-शाम लेने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
*3 ग्राम असगंध का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 3 ग्राम
घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम लेने से गठिया के रोग में
आराम मिलता है।"

33 हाई ब्लडप्रेशर :-अश्वगंधा चूर्ण 3 ग्राम,
सूरजमुखी बीज का चूर्ण 2 ग्राम, मिश्री 5 ग्राम और गिलोय
का बारीक चूर्ण (सत्व) 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के
साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई
ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।

34 हृदय की दुर्बलता :-असंगध 3-3 ग्राम सुबह-शाम गर्म
दूध से लें। इससे दिल दिमाग की कमजोरी ठीक हो जाती है।

35 हाथ-पैरों की ऐंठन :-सुरंजन मीठी, असगंध नागौरी 50-50
ग्राम, 25 ग्राम सोंठ और 120 ग्राम मिश्री को बारीक
पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 4 से 6 ग्राम प्रतिदिन सुबह-
शाम ताजे पानी के साथ लेने से पैरों के जोड़ व हाथ-
पैरों का दर्द खत्म हो जाता है।

36 क्रोध : -लगभग 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण
को मिश्री और घी में मिलाकर हल्के गर्म दूध के साथ सुबह-
शाम को खाने से स्नायुतंत्र अपना कार्य ठीक तरह से
करता है, जिससे क्रोध नष्ट हो जाता है।

37 सदमा :-लगभग 3-6 ग्राम असगंध नागौरी के चूर्ण
को सुबह-शाम को रोजाना घी और चीनी मिले दूध के साथ
खाने से स्नायुविक ऊर्जा प्राप्त होने के कारण बार-बार
आने वाले सदमे खत्म हो जाते हैं।

38 खून का बहना :-अश्वगंधा के चूर्ण और चीनी को बराबर
मात्रा में मिलाकर खाने से खून निकलना बंद हो जाता है।

39 लिंग वृद्धि :-*लिंग को बढ़ाने के लिए लोध्र, केशर,
असगंधा, पीपल, शालपर्णी को तेल में पकाकर लिंग पर
मालिश करने से लिंग में वृद्धि हो जाती है।
*कूटकटेरी, असगंध, बच, शतावरी आदि को तिल में
अच्छी तरह से पकायें। सब औषधियों के जल जाने पर ही उसे
आग से उतारे और लिंग पर मालिश करें। इससे लिंग
का छोटापन दूर हो जाता है। "

40 थकावट होना :-*लगभग 3 से 6 ग्राम असगंध नागौरी के
चूर्ण को मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम लेने
से शरीर में ताजगी और जोश आ जाता है।
*असगंध नागौरी और क्षीर विदारी की जड़ को बराबर भाग में
लेकर, हल्के गर्म दूध में 3 से 6 ग्राम मिश्री और
घी मिलाकर एक साथ सुबह और शाम को लेने से शरीर
की मानसिक और शारीरिक थकावट दूर हो जाती है।"

41 शरीर को शक्तिशाली बनाना :-*असगंध के चूर्ण को दूध
में मिलाकर पीने से शरीर शक्तिशाली होता है और वीर्य में
वृद्धि होती है।
*बराबर मात्रा में असगंध और विधारा को पीसकर
इसका चूर्ण बना लें। इसके चूर्ण को एक शीशी में भरकर रख
लें। इस चूर्ण को सुबह और शाम को दूध के साथ लेने से
मनुष्य के शरीर की संभोग करने की क्षमता बढ़ती है।
*असगंध के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद के
साथ चाटने से शरीर में ताकत बढ़ती है।
*लगभग 100-100 ग्राम की मात्रा में नागौरी असगंध, सफेद
मूसली और स्याह मूली को लेकर इसका चूर्ण बना लें।
रोजाना लगभग 10-10 ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को 500
मिलीलीटर दूध के साथ सुबह और शाम को खाने से मनुष्य के
शरीर में जबरदस्त शक्ति आ जाती है।
*बराबर मात्रा में असगंध या अश्वगंधा, सौंठ, मिश्री और
विधारा को लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद एक-एक
चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को दूध के साथ इस
चूर्ण का सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर हो जाती है,
सर्दी कम लगती है और शरीर में वीर्य बल बढ़ता है।"

42 आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए : -अश्वगंधा का चूर्ण 2
ग्राम, धात्रि फल चूर्ण 2 ग्राम तथा 1 ग्राम
मुलेठी का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के
साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
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