चर्मरोग skin disease

एक कष्टदायक रोग......चर्मरोग। यह पूरे शरीर की चमड़ी पर कहीं भी हो सकता है। अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई न होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लम्बे समय तक पेट में रहने के कारण उनका मल नसों द्वारा अवशोषित कर खून में मिलने से तरह तरह के चर्मरोग सहित शारीरिक अन्य बीमारियां पनपने लगती हैं जो मानव के लिए अति हानिकारक होती है।
दाद के लक्षण :-
दाद में खुजली बहुत ज्यादा होती है की आप उसे खुजाते ही रहते हैं। खुजाने के बाद इसमे जलन होती है व छोटे-छोटे दाने होते हैं।
दाद ज्यादातर जननांगों में जोड़ोें के पास और जहाँ पसीना आता है व कपड़ा रगड़ता है, वहां पर होता है। वैसे यह शरीर में कहीं भी हो सकता है।
खाज (खुजली) :-
इसमें पूरे शरीर में सफेद रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इन्हें फोड़ने पर पानी जैसा तरल निकलता है जो पकने पर गाढ़ा हो जाता है। इसमें खुजली बहुत होती है, यह बहुधा हांथो की उंगलियों के बीच में तथा पूरे शरीर में कहीं भी हो सकती है। इसको खुजाने को बार-बार इच्छा होती है और जब खुजा देते है तो बाद में असह्य जलन होती है। यह छुतहाएवं संक्रामक रोग है। रोगी का तौलिया व चादर उपयोग करने पर यह रोग आगे चला जाता है, अगर रोगी के हाथ में रोग हो और उससे हांथ मिलायें तो भी यह रोग सामने वाले को हो जाता है।
उकवत (एक्जिमा) :-
दाद, खाज, खुजली जाति का एक रोग उकवत भी है, जो अत्यंत कष्टकारी है। रोग का स्थान लाल हो जाता है और उस पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इसमे चकत्ते तो नही पड़ते परन्तु यह शरीर में कहीं भी हो जाता है। यह दो तरह का होता है। एक सूखा और दूसरा गीला। सूखे से पपड़ी जैसी भूसी और गीले से मवाद जैसा निकलता रहता है। अगर यह सर में हो जाये तो उस जगह के बाल झड़ने लगते हैं।
गजचर्म
चर्मदख :-
शरीर के जिस भाग का रंग लाल हो, जिसमें बराबर दर्द रहे, खुजली होती रहे और फोड़े फैलकर जिसका चमड़ा फट जाय तथा किसी भी पदार्थ का स्पर्श न सह सके, उसे चर्मदख कहते हैं।
विचर्चिका तथा विपादिका :-
इस रोग में काली या धूसर रंग की छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं, जिनमें से पर्याप्त मात्रा में मवाद बहता है और खुजली भी होती है तथा शरीर में रूखापन की वजह से हाथों की चमड़ी फट जाती है, तो उसे विचर्चिका कहते हैं। अगर पैरों की चमड़ी फट जाय और तीव्र दर्द हो, तो उसे विपादिता कहते हैं। इन दोनों में मात्र इतना ही भेद है।
पामा और कच्छु :-
यह भी अन्य चर्म रोगों की तरह एक प्रकार की खुजली ही है। इसमें भी छोटी-छोटी फुन्सियां होती हैं। उनमें से मवाद निकलता है, जलन होती है और खुजली भी बराबर होती रहती है। अगर यही फुन्सियां बड़ी-बड़ी और तीव्र दाहयुक्त हों तथा विशेष कमर या कूल्हे में हो तो उसे कच्छू कहते है।
चर्मरोग चिकित्सा
दाद, खाज, खुजली में आंवलासार गंधक को गौमूत्र के अर्क में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम लगायें। इससे दाद पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
शुद्ध किया हुआ आंवलासार गंधक एक रत्ती को 10 ग्राम गौमूत्र के अर्क के साथ 90 दिन लगातार पीने से समस्त चर्मरोगों में लाभ होता है।
एक्जिमा (चर्म रोगों में लगाने का महत्व) :-
कालीमिर्च, मुरदाशंख, कलईवाला नौसादर 10-10 ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब इसमे घी मिलाकर एक्जिमा पर दिन में तीन बार लगाने से कुछ दिनों में यह जड़ से खत्म हो जायेगा।
आंवलासार गंधक 50 ग्राम, राल 10 ग्राम, मोम (शहद वाला) 10 ग्राम, सिन्दूर शुद्ध 10 ग्राम। पहले गंधक को तिल के तेल में डालकर धीमी आंच पर गर्म करें। जब गन्धक तेल में घुल जाए तो उसमें सिन्दूर व अन्य दवायें पाउडर करके मिला दें। सिन्दूर का रंग काला होने तक इन्हे पकायें और आग से नीचे उतारकर गरम-गरम ही उसी बर्तन में घोंटकर मल्हम (पेस्ट) जैसा बना लें। यह मल्हम एग्जिमा, दाद, खाज, खुजली, अपरस आदि समस्त चर्मरोगों में लाभकारी है। सही होने तक दोनों टाइम लगायें।
दाद, खाज, खुजली, एग्जिमा, अकौता, अपरस का मरहम :-
गन्धक 10 ग्राम, पारा 3 ग्राम, मस्टर 3 ग्राम, तूतिया 3 ग्राम, कबीला 15 ग्राम, रालकामा 15 ग्राम। इन सब को कूट-पीसकर कपड़छान करके एक शीशी में रख लें। दाद रोग में मिट्टी के तेल (केरोसीन) में लेप बनाकर लगाएँ, खाज में सरसों के तेल के साथ मिलाकर सुबह-शाम लगायें। अकौता एग्जिमा में नीम के तेल में मिलाकर लगायें। यह दवा 10 दिन में ही सभी चर्मरोगो में पूरा आराम देती है।
चर्म रोग नाशक अर्क :-
शुद्ध आंवलासार गंधक, ब्रह्मदण्डी, पवार (चकौड़ा) के बीज, स्वर्णछीरी की जड़, भृंगराज का पंचांग, नीम के पत्ते, बाबची, पीपल की छाल, इन सभी को 100 -100 ग्राम की मात्रा में लेकर व 10 ग्राम छोटी इलायची जौ कुट कर शाम को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह इन सभी का अर्क निकाल लें। यह अर्क 10 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट मिश्री के साथ पीने से समस्त चर्म रोगों में लाभ करता है। इसके प्रयोग से खून शुद्ध होता है। इसके सेवन से चेहरे की झाइयाँ, आँखों के नीचे का कालापन, मुहासे, फुन्सियां, दाद, खाज, खुजली, अपरस, अकौता, कुष्ठ आदि समस्त चर्मरोगों में पूर्णतः लाभ होता है।
रक्त शोधक :-
दिन में एक-दो चम्‍मच अलसी के बीजों के तेल का सेवन करना त्‍वचा के लिए काफी फायदेमंद होता है। बेहतर रहेगा कि इसका सेवन किसी अन्‍य आहार के साथ ही किया जाए।
रीठे के छिलके के पाउडर में शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह एक गोली अधबिलोई दही के साथ और शाम को पानी के साथ निगल लें। उपदंश, खाज, खुजली, पित्त, दाद और चम्बल के लिए पूर्ण लाभप्रद है।
सिरस की छाल का पाउडर 6 ग्राम सुबह व शाम शहद के साथ 60 दिन सेवन करें। इससे सम्पूर्ण रक्तदोष सही होते हैं।
अनन्तमूल, मुलहटी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचन्दन, शनाय और असगन्ध 100 -100 ग्राम तथा सौंफ, पीपल, इलायची, गुलाब के फूल 50 -50 ग्राम। सभी को जौकुट करके एक डिब्बे में भरकर रख लें। एक चम्मच 200 ग्राम पानी में धीमी आंच में पकाएं और जब पानी 50 ग्राम रह जाय तब उसे छानकर उसके दो भाग करके सुबह और शाम मिश्री मिलाकर पिये। यह क्वाथ रक्त विकार, उपदंश, सूजाक के उपद्रव, वातरक्त और कुष्ठरोग को दूर करता है।
विजेन्द्र गौतम's photo.
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स्‍तनों का आयुर्वेदिक उपचार Ayurvedic treatment of breasts

स्‍तन कैंसर का घरेलू उपचार
१ * एक ग्‍लास पानी में हर्बल ग्रीन टी को आधा होने तक उबालें और फिर उसे पीएं। यह फाएदेमंद होती है।
२ * रोज अंगूर या अनार का जूस पीने से स्‍तन कैंसर से बचा जा सकता है।
३ * सोंठ, नमक, मूली, सरसों, शमी और सहिजन के बीज को बराबर मात्रा में लेकर खटटे छाछ में पीसकर स्‍तनों पर लेप करें। एक घंटे बाद नमक की पोटली से दस – पन्‍द्रह मिनट तक सिंकाई करें। आराम मिलेगा।
४ * रोज लहसुन का सेवन करने से स्‍तन कैंसर की संभावना को रोका जा सकता है।
५ * पोई के पत्‍तों को पीसकर पिण्‍ड बनाकर लेप करने तथा पत्‍तों द्धारा अच्‍छी तरह ढंककर पटटी बांधने से शुरूआती अवस्‍था का कैंसर ठीक हो जाता है।
स्‍तनों की सूजन
१ * गेंदे की पत्तियों को कपड़े में लपेट कर बांध लें। फिर इसके ऊपर गीली मिटटी का लेप लगा दें। फिर कपड़े की इस पोटली को उस आग की भटटी में रखें जो ठंडी होने वाली हो। फिर जब पोटली के ऊपर की मिटटी लाल हो जाए, तब उसे बाहर निकालें और पत्तियों को अलग कर लें। इसके बाद इन्‍हीं पत्तियों को स्‍तनों पर बांधें।
२ * धतूरे की पत्‍ते और हल्‍दी को पीसकर स्‍तनों पर लेप करने से स्‍तनों की सूजन में आराम मिलता है।
३ * अजवायन का तेल को गुनगुना करके २ – ३ बार स्‍तनों की मालिश करें और फिर अरंड का पत्‍ता बांध दें। सूजन में आराम मिलेगा।
४ * स्‍तनों में यदि सूजन के साथ साथ दर्द भी हो तो इंद्रायण की जड़ को पीसकर लेप बना लें और फिर इसे गर्म करके स्‍तनों पर लेप करने से दर्द कम होता है और सूजन भी कम हो जाती है।
५ * धृतकुमारी यानि ऐलोवेरा के गूदे में हल्‍दी मिलाकर थोड़ा सा गर्म करके लेप करने से सूजन कम हो जाती है।
अविकसित स्‍तन तथा छोटे स्‍तनों को बड़े करने के उपाय
१ * यदि स्‍तन अविकसित तथा छोटे हैं तो बादाम के तेल की नियमित मालिश करने से स्‍तन विकसित व पुष्‍ट हो जाते हैं।
२ * अश्‍वगंधा और शताबरी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्णं बनाएं और फिर एक – एक चम्‍मच चूर्णं सुबह शाम दूध के साथ ४५ से ६० दिनों तक खाएं। आपकी चिंता का समाधान होगा।
३ * महानारायण तेल की मसाज से भी अविकसित स्‍तन आकर्षक हो जाते हैं।
४ * पीपरी का चूर्णं २० ग्राम, काली मिर्च का चूर्ण २० ग्राम, अश्‍वगंधा का चूर्णं १५० ग्राम, सोंठ का चूर्णं ७५ ग्राम, लेकर शुद्ध घी में भून लें और फिर आधा किलो पुराने गुड़ की चाशनी बनाकर भूने गए चूर्णं को चाशनी में मिलाकर रख लें। इसे रोज २० – २५ ग्राम मात्रा में रोज गुनगुने दूध के साथ खाने से स्‍तन आकर्षक और पुष्‍ट होते हैं।
५ * खाने में फल, दालें, ताज़ा सब्जियां, काजू, दूध, दही, घी, अंडे, कच्‍चा नारियल व नींबू आदि का सेवन जरूर करें। यह स्‍तनों का अच्‍छी तरह पोषण करते हैं।
अतिस्‍थूल स्‍तन (बड़े तथा लटके हुए स्‍तन)
१ * यदि स्‍तन स्‍थूल हैं तो सबसे पहले आप वसा युक्‍त भोजन खाना बंद कर दें। जैसे कि दूध, घी, मलाई, मक्‍खन तथा मिठाईं आदि। यदि मांसाहारी हैं तो मांस से परहेज करें।
२ * काली गाय के दूध में सफेद मोथा पीसकर लेप करने से स्‍तनों के ढीलेपन में कमी आती है और स्‍तन कठोर होते हैं।
३ * महानारायण तेल स्‍तनों पर लगाकर उंगलियों से दबाकर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें। मालिश के बाद गुनगुने पानी की धार स्‍तनों पर डालें १० मिनट गुनगुने पानी की धार डालने से स्‍तनों की चर्बी घटेगी और सौंदर्य वापस लौट आएगा।
स्‍तनों का थनैला रोग
१ * नींबू के रस में शहद मिलाकर स्‍त्‍नों पर लेप करने से थनैला में बहुत लाभ होता है।
२ * मोगरे के फूलों को पीस कर स्‍तनों पर लेप करके बांध दें। सुबह शाम इस प्रक्रिया को करने से थनैला रोग दो – तीन दिन में ही ठीक हो जाता है।
३ * अरहर की दाल (तुअर दाल) आम की गुठली और जौ को पानी में एक साथ पीसकर दिन में तीन – चार बार लेप करने से बहुत आराम मिलता है।
४ * गेंहू, जौ और मूंग का बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ गर्म करके तकलीफ वाले स्‍थान पर लगाने से आराम मिलता है।
५ * सहिजन की छाल को महीन पीसकर उसका गर्म लेप करने से थनैला बिना पके ही बैठने लगता है।
६ * दस ग्राम काली मिर्च और ५ ग्राम दालचीनी पीसकर इसकी एक खुराक बनाएं। दिन में तीन बार तीन खुराकें २० ग्राम शहद में मिलाकर खाएं। थनैला का उपचार हो गया।
७ * १२५ ग्राम नीम के पत्‍तों को लेकर एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो उतारकर कपड़े से छानकर थनैला को धोएं। आराम मिलेगा।
८ * हरा धनिए की पत्तियों को पीसकर हल्‍का गर्म करके लेप करें। बहुत आराम मिलेगा।
९ * हल्‍दी और धतूरे के पत्‍ते समान मात्रा में लेकर पीस लें। फिर गर्म करके थनैला पर लेप करें। आराम मिलेगा
स्तन सुद्रढ़ करने का उपाय
अनार का पंचाग अर्थात जड़, तना,पत्ती,फल व फूल(केवल फल से दाने निकाल कर खा सकते हैं)
माजूफल
शतावर
छोटी इलायची
कमल गटटे की मींग
लसोड़े की पत्तियाँ
सभी औषधीय द्रव्यों को बरावर लेकर बारीक पिसवा लें या महीन पीस लें।फिर आवस्यकतानुसार एक से तीन चम्मच तक लेकर पानी मिलाकर पेस्ट सा बना लें।इसे रोजाना रात को लगाकर सोयें कुछ ही दिनो में स्तन सुद्रण हो जाएगें।रोजाना रात को अश्वगंधा चूर्ण भी 6 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करते रहें।
इसके अलाबा अनार पंचाग का तेल भी लगा सकते हैं यह बाजार से मिल जाए तो अच्छा अगर न मिले तो अनार पंचाग लेकर सरसों के तेल में पकाकर छान कर रख लें इस तेल के द्वारा 2-3 बार मालिस करने से भी स्तन सुद्रण होगें ।
नोट- स्तनों पर सरसों के इसी तेल से करीब आधा घंटा हल्के हाथ से मालिश करें। नीचे से ऊपर की ओर करें। फिर दस पंद्रह ठंडे पानी की पट्टियां एक के बाद एक रखते रहें। स्तन का आकार बढ़ेगा। नोट - स्तनों की मालिश हमेंशा नीचे से ऊपर की ओर ही करनी चाहिये।
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आयुर्वेद द्वारा पेट कम करने का उपाय Ways to reduce belly fat by Ayurveda

तोंद कम करने के 51 सरल उपाय
शरीर पर चरबी का अधिक होना मोटापे का सबसे बड़ा लक्षण होता है। गलत तरह से खान-पान करना, रहन सहन में भी गलत तरीके प्रयोग करना आदि जैसी वजह से पेट बाहर निकल जाता है। और कमर की चरबी अधिक हो जाती है। धीरे-धीरे मोटापा गर्दन, हाथ और पैरों तक फैल जाता है। यानी इन जगहों पर चरबी अधिक हो जाती है। शरीर पूरी तरह से चरबी युक्त हो जाता है। और इंसान को चलने फिरने में भी दिक्कतों के साथ-साथ कई गंभीर बीमारीयों के होने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है। आइये आपको बताते है कमर की चरबी को कम कैसे करें। आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है
भूख से कम ही भोजन का सेवन करें। जितनी भूख है उससे कम ही खाना खायें। इससे पेट का आकार नहीं बढ़ता और पाचन भी ठीक रहता है। कम भोजन करने से पेट में गैस नहीं बनती है। कोशिश करें कि दिन में 2 बार शौच जाएं।सुबह उठते ही एक गिलास गरम पानी मे आधा नींबू निचोड़कर पीएं। इसमे एक चम्मच शहद मिलाकर पिएंगे तो ज्यादा फायदा होगा। इससे मेटाबोलिज़म तेज होता है और चर्बी जलती है।
अदरक को टुकड़ों मे काट लें फिर एक कप पानी मे उबालें। 10 मिनिट तक उबालने के बाद अदरक बाहर निकाल दें और इसे चाय की तरह पीएं।
लहसुन मे मोटापा कम करने के तत्व होते हैं। एक कप मामूली गरम पानी मे एक नींबू निचोड़ें। लहसुन की तीन जवे इस पानी के साथ लें। चर्बी कम करने का उम्दा उपाय है। रोज सुबह खाली पेट लें.
बादाम मे मौजूद ओमेगा 3 फेटी एसिड अनावश्यक पेट की चर्बी हटाने मे सहायक है। रोज रात को 9 बादाम पानी मे गलाए और सुबह इनको छीलकर खाएं।
भोजन से आधे घंटे पूर्व एक चम्मच एप्पल सायडर वेनेगर को एक गिलास पानी मे मिलाकर पीएं।इससे ज्यादा केलोरी जलती है और चर्बी कम होती है।
पुदेने के पत्ते और हरा धनिया के पत्ते पीस लें ,इसमे नमक और नींबू का रस मिलाकर चटनी तैयार करे। भोजन के साथ प्रयोग करें। इससे मेटाबोलिज़म तेज होता है और फालतू चर्बी खत्म होती है।
एलोवेरा का जूस पीने से चर्बी पेट मे जमा नही होती| आधा गिलास गरम पानी मे 2 चम्मच एलोवेरा जूस और एक चम्मच जीरा मिश्रण करें। रोज सुबह खाली पेट लें और लेने के बाद एक घंटे तक कुछ न खाएं। चर्बी कम करने का बेहतरीन उपचार है।
अपनी दिनचर्या मे कसरत और मॉर्निंग वाक को आवश्यक रूप से शामिल करें।
मोटापे से मुक्ति का एक और बड़ा सरल उपाय यह है कि भोजन के तुरंत बाद पानी का सेवन न करें। भोजन करने के लगभग 1 घंटे के बाद ही पानी पीयें। इससे कमर का मोटाप नहीं बढ़ता है। और यह तरीका पेट को कम करने में भी मददगार होता है।
भोजन में अधिक से अधिक जौ से बने आटे की रोटियों का इस्तेमाल करें। गेहूं के आटे की रोटी का सेवन बिलकुल कम कर दें। जौ शरीर में मौजूद अतरिक्त चरबी को कम कर देता है। जिससे कमर और पेट की चरबी कम हो जाती है।
वजन कम करने और अतरिक्त चरबी को कम करने के लिए आपको यह भी पता होना चाहिए कि भोजन में किन चीजों को इस्तेमाल करें और किन का नहीं। आपको चावल, आलू और चपाती का सेवन कम से कम मात्रा में करना चाहिए साथ ही खाने में कच्चा सलाद, सब्जी और मिक्स वेज का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
हमेशा खाना भूख लगने पर ही खाएं। खाना खाते वक्त यह बात जरूर ध्यान रखें कि खाने को मुंह में अच्छी तरह से बारीकी से चबाकर खाएं ताकि आसानी से भोजन गले से नीचे उतर सके।
सुबह के नाश्ते में आप चना, मूंग और सोयाबीन को अधिक से अधिक खाने में उपयोग करें। अंकुरित अनाज में आपको भरपूर मात्रा में पौष्टिक तत्व आपको मिलेगें। जो मोटापा को बढ़ने नहीं देगें। दलिया को भी आप अपने नाश्ते में जरूर शामिल करें।
कमर की अधिक चरबी को कम करने के लिए आपको अपने खाने में हरी सब्जियों का अत्याधिक सेवन करना चाहिए। आप मेथी, पालक, चैलाई की सब्जी को अपने खाने में शमिल करें। हरी सब्जियों में मौजूद कैल्श्यिम और फाइबर आपके शरीर में पोषक तत्वों को पहुंचाते हैं। और इनसे आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
गर्मियों में दही या मट्ठा के सेवन करने से शरीर के चरबी घटती है। दिन में 2 से 3 बार मट्ठा का सेवन करें।
सुबह खाली पेट गरम पानी में 2 चम्मच शहद डालकर 2 महीने तक सेवन करने से कमर का मोटापा कम होता है। इसके अलावा तेल की मालिश करने से भी कमर की चरबी को कम किया जा सकता है।
छिलके वाली दाल का प्रयोग
वजन कम करने के लिए छिलके वाली दाल का प्रयोग करें। इसमें प्रोटीन की मात्रा कम होती है। रोजाना सेवन करने से कोलेस्ट्राल की मात्रा भी शरीर में कम होती है जिसकी वजह से वजन कम हो जाता है।
सलाद का सेवन
सुबह हो या शाम आपको सलाद का सेवन जरूर करना है। इससे आपको कम कैलोरी और हाई फाइबर मिलता है जो कमर की चरबी को आसानी से कम करता है।
खाना खाने के बाद एक गिलास गर्म पानी को घूंट लेकर पीएं आपका मोटापा कम होगा।
बाहर निकला हुआ पेट अंदर करने के आसान घरेलू तरीके
नियमित रूप से पपीता का सेवन करें। पपीता हर मौसम में मिलता है। यह पेट की चर्बी को जल्दी घटाता है।
पत्तागोभी का जूस रोज पीएं। इसकी आदत डाल लें। इस जूस में चर्बी को घटाने के गुण होते हैं।
जितना हो सके आलू, चावल और शक्कर का सेवन कम से कम कर दें। क्योंकि इनमें अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है।
गेहूं के आटे की रोटी खाने की बजाए सोयाबीन, चना और गेहूं के आटे को मिलाकर यानी मिश्रित आटे की रोटी का सेवन करें।
छाछ भी तेजी से वजन घटाती है इसलिए एक दिन में दो से तीन बारी छाछ का सेवन करें।
अपने खाने में दही का इस्तेमाल जरूर करें। पेट को अंदर करने के लिए दही सेवन फायदेमंद है।
हल्दी और आंवले के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला लें और इसे छाछ के साथ मिलाकर पीएं। यह कमर को बिलकुल पतला और स्लिम बनाती है।
यदि मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो अपने खाने में हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करें। नए शोध में बताया गया है कि वजन कम करने के लिए सबसे आसान तरीका है मिर्च को खाना। मिर्च में कैप्साइसिन तत्व पाया जाता है जो भूख को कम करता है और इससे उर्जा की खपत बढ़ती है और वजन नियंत्रण में रहता है।
2 चम्मच शहद को एक चम्मच पुदीने के रस में मिलाकर नियमित लेने से पेट अंदर होता है और वजन भी घटता है।
पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा जल्दी कम होता है।
फलों और सब्जियों में कैलोरी कम होती है इसलिए जितना हो सके आप फलों और सब्जियों का सेवन अधिक करें। केवल चीकू और केला न खाएं। ये मोटापा बढ़ाते हैं।
टमाटर का 250 ग्राम रस 3 महीने तक सुबह खाली पेट लें। यह बहार निकले हुए पेट को अंदर कर देगा।
सलाद में प्याज और टमाटर खाएं और इसमें नमक और काली मिर्च का पउडर डालें। सलाद खाने से पेट जल्दी भरता है और वजन नियंत्रित होता है।
वजन कम करना कठिन नहीं है बस आपको अपने खान-पान में थोड़ा चेंज करना है। जिससे आप पतले और स्लिम होने लगोगे। जितना हो सके फास्ट फूड से परहेज करें। क्योंकि एक बार मोटापा बढ़ता है तब यह आसानी से घटता नहीं है जिस वजह से उम्र तो अधिक लगने लगती है साथ ही अनेक बीमारीयां भी शरीर पर लगने लगती है।
आपको अपने जीवन शैली में एक छोटा सा परिवर्तन लाना जरूरी है। जैसे चढ़ने और उतरने के लिए सीढ़ी का इस्तेमाल करें। साईक्लिंग करना, जाॅगिंग, टहलना, और व्यायाम जरूर करें। एैसा करने से आपकी कमर की चरबी तो कम होगी ही साथ ही आपको मोटापे से मुक्ति मिल जाएगी। इसलिए आप इन घरेलू उपायों को अपनाकर पेट की चर्बी को कम कर सकते हो।
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रोजाना 2 चम्मच शहद +1 गिलास दूध 2 teaspoon honey +1 glass milk daily

शहद और दूध दोनों ही संपूर्ण आहार व सेहत के लिए बहुत गुणकारी माने जाते हैं - दरअसल दूध पीने व शहद खाने दोनों सेही कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं - मगर दूध और शहद दोनों को साथ लिया जाए तो इनके गुण दोगुने हो जाते हैं !
वैसे तो शहद अपने एंटीबैक्टिरियल - एंटीआक्सीडेंट व एंटीफंगल गुणों के कारण सदियों से उपयोग में लाया जाता रहा है
- लेकिन श्वसन से जुड़ी परेशानियों में यह विशेष रूप से फायदेमंद है !
दूध में विटामिन ए - बी - सी - डी - कैल्शियम - प्रोटीन व लैक्टिक एसिड आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं !
इन दोनों को साथ में लेने पर कई अनोखे स्वास्थ्य लाभ होते हैं !
दूध और शहद को साथ लेने के फायदे ....
स्किन केयर :-
शहद व दूध दोनों ही सुक्ष्म जीवियों को खत्म करते हैं - इन्हें साथ लेने से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है व स्किन चमकदार होने लगती है !
दूध व शहद को बराबर मात्रा में मिला लें उतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर नहाने से पहले शरीर पर लगाएं - स्किन निखर जाएगी !
एंटीबैक्टीरियल :-
शहद व दूध एक साथ लेने पर एंटीबैक्टीरियल प्रापर्टी की तरह काम करता है - इससे हानिकारक बैक्टीरिया शरीर पर आक्रमण नहीं कर पाते हैं व सर्दी - खांसी आदि समस्याएं दूर ही रहती है !
डायजेशन :-
रोजाना एक गिलास दूध में दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से डायजेस्टिव सिस्टम में सुधार होता है !
कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है !
इसे रोजाना लेने से पेट व आंत से जुड़ी समस्याएं नहीं होती हैं !
एंटीएजिंग :-
दूध और शहद लेने न केवल त्वचा स्वस्थ होती है - बल्कि शरीर को भी आराम मिलता है !प्राचीन समय से ही ग्रीक - रोमन - इजिप्ट - भारत आदि देशों में जवान दिखने के लिए एंटीएजिंग प्रापर्टी के रूप में दूध व शहद का सेवन किया जाता रहा है !
अनिद्रा :-
दूध व शहद साथ लेना अनिद्रा रोग को दूर करने का एक प्राचीन नुस्खा है - क्योंकि दूध व शहद लेने से इंसुलिन का स्त्रावण नियंत्रित रहता है - जिससे दिमाग में ट्रिप्टोफेन का सही मात्रा में स्त्रावण होता है !
ट्रिप्टोफेन सिरोटोनिन में बदल जाता है सिरटोनिन मेलेटोनिन में परिवर्तित होकर दिमाग को रिलेक्स करता है व अनिद्रा की समस्या को दूर करता है !
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बाल के रोग एवं उनका उपचार hair diseases and their treatment

सिर में रूसी (Dandruff) होने पर :-
पहला प्रयोग :- 250 ग्राम छाछ में 10 ग्राम गुड़ डालकर सिर धोने से अथवा नींबू का रस लगाकर सिर धोने से रूसी दूर होती है।
दूसरा प्रयोग :- आधी कटोरी दही में दो चम्मच बेसन मिलाकर बालों की जड़ में लेप करें। 20 मिनट बाद सिर धो लें। रूसी दूर होकर बाल चमक उठेंगे।
बाल झड़ने पर :-
प्रथम प्रयोग :- मुलहठी के चूर्ण को भांगरे के रस में पीसकर लेप करने से अथवा सुखाये हुए आँवलों के चूर्ण को नींबू के रस में मिलाकर लेप करने से बाल झड़ना बंद होकर बाल काले होते हैं।
दूसरा प्रयोगः एक कप पानी में कुछ चम्मच मेथी के दाने को पीस कर मिला लें। इस मिश्रण को अपने बालों में लगा कर चालिस मिनट तक छोड़ दें। फिर सादे पानी से बालों को धो लें। इस प्रक्रिया को महीने भर दोहराने से आपको असर साफ दिखेगा।
दही में सभी तत्त्व होते हैं जिनकी बालों को आवश्यकता रहती है। एक कप दही में पिसी हुई 8-10 काली मिर्च मिलाकर सिर धोने से सफाई अच्छी होती है। बाल मुलायम व काले रहते हैं एवं गिरने बन्द हो जाते हैं। कम-से-कम सप्ताह में एक बार इसी तरह बाल धोयें।
गंजापन :-
पहला प्रयोग :- गुंजा, हाथीदाँत की राख और रसवंती प्रत्येक 2 से 10 ग्राम का लेप करने से जिस जगह के बाल निकले होंगे वहाँ वापस उग जायेंगे।
दूसरा प्रयोग :- दही एवं नमक समान मात्रा में मिलाकर जहाँ-जहाँ गंजापन आ गया हो वहाँ रोज रात्रि को चार-पाँच मिनट मालिश करने से लाभ होता है।
तीसरा प्रयोग :- अगर आपके सर में कुछ जगहों पर बाल नहीं हैं तो उस क्षेत्र पर तब तक कच्चे प्याज घिसें जब तक वह क्षेत्र लाल नहीं हो जाता और उसके बाद उसपर शहद लगायें।
बाल सफेद होने पर :-
पहला प्रयोगः निबौली का तेल दो महीने तक लगाने एवं नाक में डालने से अथवा तुलसीके 10 से 20 ग्राम पत्तों के साथ उतने ही सूखे आँवले को पीसकर नींबू के रस में मिलाकर लगाने से बाल काले होते हैं।
दूसरा प्रयोग :- एक कप सरसों के तेल में चार बड़े चम्मच हिना के पत्ते डाल कर इसे उबाल लें। अब इसे एक बोतल में छान लें और रोज़ सर की मालिश करें।
तीसरा प्रयोग :- अल्पायु में सफेद बालों के लिए हाथी दाँत, आँवला एवं भृंगराज का तेल बनाकर सिर में डालें। घी गरम करके उसकी कुछ बूँदें नाक में टपकायें तथा दिन में दो बार त्रिफलाचूर्ण यष्टिचूर्ण के साथ लें। भोजन के बाद एक गिलास कुनकुने पानी में एक चम्मच घी डालकर पीयें तथा सर्वांगासन व जलनेति करें।
बाल बढ़ाने के लिए :-
पहला प्रयोग :- स्नान के समय तिल के पत्तों का रस लगाने से, मुलहठी, आँवला या भृंगराज का तेल लगाने से, करेले की जड़ अथवा मेथी को पानी में घिसकर लगाने से, निबौली का तेल लगाने से बाल बढ़ते हैं।
दूसरा प्रयोग :- बड़ की पुरानी जटाओं को नींबू के रस में घिसकर अच्छे से लेप करें। आधे घण्टे पश्चात् बाल धो डालें। फिर नारियल का तेल लगायें। ऐसा तीन दिन करने से बालों का झड़ना बंद होता है। बाल लंबे, काले तथा मजबूत होते हैं।
सिर में जूँ एवं लीख :-
पहला प्रयोग :- निबौली, सरसों अथवा माजूफल का तेल लगाने से अथवा अरीठे का फेन लगाने से जूँ और लीखें मर जाती हैं।
दूसरा प्रयोग :-तुलसी के पत्ते पीसकर सिर पर लगा लें। तदुपरांत सिर पर कपड़ा बाँध लें। सारी जुएँ मरकर कपड़े से चिपक जाएँगी। दो-तीन बार लगाने से ही सारी जुएँ साफ हो जायेंगी।
विजेन्द्र गौतम's photo.
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बांझपन ~ Infertility .... !

Infertility की समस्या पहले से अधिक बढी है - इसके कारण हो सकते हैं - तनाव - सब्जी - फलों में कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का होना - शारीरिक श्रम का अभाव और fast food इत्यादि !
कारण कोई भी हो .... अगर कपालभाति प्राणायाम नियमित रूप से किया जाए तो इन सभी कारणों का प्रभाव भी बहुत कम होगा और infertility की समस्या भी शायद नहीं होगी !
महिलाओं में infertility का एक कारण poly cystic ovary हो सकता है - अगर F S H और L H हारमोन का असंतुलन हो तो poly cystic ovary की समस्या हो सकती है - इसके कारण periods भी असंतुलित होते हैं या तो अधिक होते हैं या बहुत कम या फिर होने ही बंद हो जाते हैं !
इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है - प्रतिदिन कपालभाति प्राणायाम करें !
@* दशमूल क्वाथ के एक चम्मच को एक गिलास पानी में धीमी आंच पर पकाकर - जब वह आधा रह जाए तब पी लें - यह काढ़ा कुछ समय सुबह शाम लेते रहने से periods नियंत्रित हो जाते हैं !
*$ कपालभाति प्राणायाम के साथ यह काढ़ा भी लेते रहने से pregnancy की सम्भावना बहुत अधिक बढ़ जाती है !
@* अगर eggs कम बन रहे हों तो शिवलिंगी और पुत्र जीवक के बीजों का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें - यह पावडर एक एक ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से बहुत जल्द ही pregnancy हो जाती है !
* पुरुषों को sperm count कम होने की समस्या हो तो यौवनामृत वटी - चन्द्र प्रभावटी और शिलाजीत रसायन की 1 - 1 गोली लेते रहें व प्राणायाम करते रहें !
*$ अश्वगंधा - शतावर - सफ़ेद मूसली और कौंच के बीज - ये सब मिलाकर लेने से भी sperm count बढ़ते हैं !
xxxxx
$ कपालभाती :-
यह एक प्राणायाम का चमत्कारी प्रकार है जिसके कई सारे फायदे है !
# विधि :-
एक समान - सपाट और स्वच्छ जगह जहा पर स्वस्छ हवा हो वहा पर कपड़ा बिछाकर बैठ जाए !
आप सिद्धासन - पदमासन या वज्रासन में बैठ सकते है - आप चाहे तो आपको जो आसन आसान लगे या आप हमेशा जैसे निचे जमीन पर बैठते है उस तरह बैठ जाए !
बैठने के बाद अपने पेट को ढीला छोड़ दे !
अब अपने नाक से सांस को बाहर छोड़ने की क्रिया करे - सांस को बाहर छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर धक्का दे !
श्वास अंदर लेने की क्रिया करने की जरुरत नहीं है - इस क्रिया में श्वास अपने आप अंदर लिया जाता है
लगातार जितने समय तक आप आसानी से कर सकते है तब तक नाक से श्वास बाहर छोड़ने और पेट को अंदर धक्का देने की क्रिया को करते रहे !
शुरुआत में 10 बार और धीरे धीरे बढ़ाते हुए एक बार में 60 बार तक यह क्रिया करे !
* चाहे तो बीच में कुछ समय का आराम लेकर भी इस क्रिया को कर सकते है !
$ सावधानिया :-
* कपालभाती सुबह के समय खाली पेट - पेट साफ़ होने के बाद ही करे !
* अगर खाना खाने के बाद कपालभाती करना है तो खाने के 5 घंटे बाद इसे करे !
* कपालभाती करने के बाद 30 मिनिट तक कुछ न खाए - आप चाहे तो थोड़ा पानी ले सकते है !
* शुरुआत में कपालभाती किसी योगा के जानकार के देखरेख में ही करे !
@* गर्भवती महिला - Gastric ulcer - Epilepsy - Hernia के रोगी इस क्रिया को न करे !
@* Hypertension - उच्चरक्तचाप और ह्रदय रोगी डॉक्टर की सलाह ले - इस क्रिया को करे !
$ ऐसे तो कपालभाती क्रिया के कोई दुष्परिणाम - side - effects नहीं है फिर भी कपालभाती करते वक्त चक्कर आना या जी मचलाना जैसी कोई परेशानी होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करे !
# लाभ :-
* शरीर को detox करता है !
* स्मरणशक्ति को बढ़ाता है !
* पेट की बढ़ी हुई अतिरिक्त चर्बी कम होने में सहायक है !
* कफ विकार नष्ट होते है और श्वासनली की सफाई अच्छे से होती है !
* गैस - कब्ज और अम्लपित्त - Acidity की समस्या को दूर भगाता है !
* शरीर और मन के सारे नकारात्मक तत्व और विचारो को मिटा देता है !
* यह कमर के आकार को फिर से सामान्य आकार में लाने में मदद करता है !
* कपालभाती करने वक्त पसीना अधिक आता है जिससे शरीर स्वच्छ होता है !
* चेहरे की झुर्रिया और आँखों के निचे का कालापन दूर कर चेहरे की चमक फिर से लौटाने में मदद करता है !
* इस क्रिया से रक्त धमनी की कार्यक्षमता बढाती है और बढ़ा हुआ cholesterol को कम करने में मदद होती है !
* वजन कम होता है - भारत में ऐसे कई लोग है जिन्होंने कपालभाती से अपना 30 से 40 किलो वजन कम किया है !
$ जिन लोगो का वजन सामान्य या controlled है वह भी कपालभाती के अन्य लाभ के लिए इस क्रिया को कर सकते है !
Jitendrasingh Rajput's photo.
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काली मिर्च के प्रयोग Uses of black pepper

किंग ऑफ स्पाइस या ब्लैक पेपर नाम से प्रचलित काली मिर्च भोजन में इस्तेमाल किए जाने वाले गर्म मसाले का अहम् हिस्सा है। काली मिर्च हमारे भोजन का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, कई बीमारियों के इलाज में सहायक साबित होती है। कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं के अनुसार विटामिन सी, ए, फ्लेवनॉयड्स, कैरोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होने के कारण इसका सेवन कैंसर का रिस्क कम करता है। दिन भर की डाइट में आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर का इस्तेमाल पर्याप्त है-
काली मिर्च में मौजूद तत्व पेपरीन पाचन को ठीक रखने में मदद करता है। यह डायरिया, कॉन्स्टिपेशन और एसिडिटी से आराम दिलाने में मदद करती है।
वजन घटाने में यह मददगार है। इसमें मौजूद पोटेंटफाइटोन्यूट्रियंट नामक तत्व फैट्स कोशिकाओं को तोड़ने का प्रयास करता है।
एंटीबैक्टीरियल व एंटीइन्फ्लामेट्री गुडणों के कारण काली मिर्च त्वचा को भी साफ और बेदाग बनाती है। फेस पैक में काली मिर्च पाउडर मिलाकर चेहरे पर लगाने और 15 मिनट बाद धो लेने से यह बेहतर स्क्रब का काम करती है।
बालों में रूसी की समस्या भी यह दूर करती है। एक कप दही में काली मिर्च पाउडर मिलाएं और सिर में लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें। फिर पानी से साफ करें और अगले दिन शैंपू करें।
कफ की समस्या से भी काली मिर्च का सेवन बचाव करता है। काली मिर्च का इस्तेमाल सूप या रसम में करके कफ की समस्या को दूर किया जा सकता है।
सर्दी, जुकाम-खांसी होने पर 8-10 काली मिर्च, 10-15 तुलसी के पत्ते मिलाकर चाय बनाकर पीने से आराम मिलता है।
खांसी में काली मिर्च, पीपल और सोंठ बराबर मात्रा में पीस लें। तैयार 2 ग्राम चूर्ण शहद के साथ दिन में 2-3 बार चटाएं।
4-5 काली मिर्च करीब 15 दाने किशमिश के साथ खाना खांसी में लाभकारी है।
100 ग्राम गुड़ पिघला कर 20 ग्राम काली मिर्च का पाउडर मिलाएं। थोड़ा ठंडा होने पर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। खाना खाने के बाद 2-2 गोलियां खाने से आराम मिलता है।
खांसी में काली मिर्च को गर्म दूध में मिलाकर सेवन करना फायदेमंद है।
सूखी खांसी होने पर 15-20 ग्राम देसी घी में 4-5 काली मिर्च लेकर एक कटोरी में गर्म करें। जब काली मिर्च कड़कड़ाने लगे और ऊपर आ जाए, तब उतार कर थोड़ा ठंडा करें। फिर इसमें 20ग्राम पिसी मिश्री मिलाएं। काली मिर्च चबाकर खा लें। इसके एक घंटे बाद तक कुछ खाएं नहीं। यह प्रक्रिया 2-3 दिन दोहराएं।
2 चम्मच दही, एक चम्मच चीनी और 6 ग्राम पिसी काली मिर्च मिलाकर चाटने से काली और सूखी खांसी में आराम मिलता है।
एक चम्मच शहद में 2-3 पिसी काली मिर्च और चुटकी भर हल्दी मिलाकर खाने से जुकाम में बनने वाले कफ से राहत मिलेगी।
नाक बंद हो तो छोटे-से सूती कपड़े में दालचीनी, काली मिर्च, इलायची और जीरे की बराबर मात्रा में पोटली बांध लें। इन्हें सूंघने से नाक खुल जाएगी।
नाक में एलर्जी होने पर 10-10 ग्राम सोंठ, काली मिर्च, पिसी इलायची और मिश्री को पीस कर चूर्ण बना लें। इसमें बीज निकला 50 ग्राम मुनक्का और तुलसी के 10 पिसे पत्ते डालकर अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण की 3-5 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। सुबह-शाम 2-2 गोलियां गर्म पानी के साथ लें।
बुखार में तुलसी, काली मिर्च और गिलोय का काढ़ा पीना फायदेमंद है।
काली मिर्च और काला नमक दही में मिलाकर खाने से पाचन संबंधी विकार दूर होते हैं। छाछ में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से पेट के कीटाणु मरते हैं और पेट की बीमारियां दूर होती हैं।
इससे रक्त संचार सुधरता है।यह दिमाग के लिए फायदेमंद होती है। गैस के कारण पेट फूलने पर कालीमिर्च असरदार होती है। इससे गैस दूर होती है।
एक चम्मच शहद में 2-3 बारीक कुटी हुई कालीमिर्च और एक चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर लेने से कफ में राहत मिलती है।
पेट में गैस की समस्या होने पर एक कप पानी में आधा नींबू का रस, आधा चम्मच पिसी काली मिर्च और आधा चम्मच काला नमक मिला कर पिएं।
कब्ज होने पर 4-5 काली मिर्च के दाने दूध के साथ रात में लेने से आराम मिलता है।
उल्टी-दस्त होने पर 5-5 ग्राम काली मिर्च, हींग और कपूर मिलाएं। छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन्हें हर 3 घंटे बाद सेवन करें।
बदहजमी होने पर कटे नींबू के आधे टुकड़े के बीज निकाल कर काली मिर्च और काला नमक भरें। इसे तवे पर थोडम गर्म करके चूसें।
काली मिर्च आंखों के लिए उपयोगी है। भुने आटे में देसी घी, काली मिर्च और चीनी मिला कर मिश्रण बनाएं। सुबह-शाम 5 चम्मच मिश्रण का सेवन करें।
नमक के साथ काली मिर्च मिलाकर दांतों में मंजन करने से पायरिया ठीक होता है, दांतों में चमक आती है।
मुंह से बदबू आती है तो दो काली मिर्च रात को ब्रश करने से पहले चबा लें।
Bharat Agrawal's photo.
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सर्दियों में अंजीर खाना है लाभकारी Eating figs is beneficial in winter

अंजीर एक ऐसा फल है जिसका उत्पादन मनुष्य द्वारा बहुत पहले से हो रहा है। अंजीर साल भर नहीं उगता है इसलिए इसके सूखे रूप का ही ज़्यादातर इस्तेमाल होता है, जो हमेशा बाजार में उपलब्ध होता है। अंजीर किसी भी व्यंजन में इस्तेमाल करने पर एक अलग ही स्वाद ला देता है। क्या आपको पता है कि अंजीर के कितने स्वास्थ्यवर्द्धक गुण हैं-
• हजम शक्ति को बढ़ाता है
अंजीर में फाइबर उच्च मात्रा में होता है, जैसे- अंजीर में तीन टुकड़ों में 5 ग्राम फाइबर होता है, जो रोज के 20त्न ज़रूरत को पूरा करने में समर्थ होता है। इसके नियमित सेवन से कब्ज़ की बीमारी और पेट संबंधी समस्या से राहत मिलती है।
• वज़न घटाने में सहायता करता है
अंजीर में फाइबर उच्च मात्रा में होने के साथ-साथ कैलोरी कम होता है। अंजीर के एक टुकड़े में 47 कैलोरी होता है और फैट 0.2 ग्राम होता है। इसलिए वज़न घटाने वालों के लिए यह एक आदर्श स्नैक्स बन सकता है।
• उच्च रक्तचाप से बचाता है
अगर आप आहार में नमक ज़्यादा लेते हैं तो वह शरीर में सोडियम के स्तर को बढ़ाने में सहायता करता है। इससे शरीर में सोडियम-पोटाशियम के स्तर का संतुलन बिगड़ जाता है जिसके कारण उच्च रक्तचाप का खतरा बढ़ जाता है। अंजीर इस संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है क्योंकि एक सूखे अंजीर में 129 मिलीग्राम पोटाशियम और 2 मिलीग्राम सोडियम होता है।
• एन्टीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है
सूखे अंजीर में एन्टीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। विनसन जे.ए. और उनके सहयोगियों के एक अध्ययन के अनुसार प्राकृतिक अंजीर में सूखे अंजीर के तुलना में कम एन्टीऑक्सिडेंट्स के गुण होते हैं। इसमें दूसरे एन्टीऑक्सडेंट प्रदान करने वाले खाद्द पदार्थों की तुलना में ज़्यादा एन्टीऑक्सिडेंट होता है।
• दिल को स्वस्थ रखता है
इसमें उच्च मात्रा में एन्टीऑक्सडेंट गुण होने के कारण यह शरीर से फ्री-रैडिकल्स को दूर करने में मदद करता है जिससे रक्त कोशिाकाएं स्वस्थ रह पाती है और दिल की बीमारी का खतरा कुछ हद तक कम हो जाता है।
• कैंसर से रक्षा करता है
एन्टीऑक्सिडेंट गुण से भरपूर अंजीर फ्री-रैडिकल्स के क्षति से डी.एन.ए. की रक्षा करता है जिससे कैंसर होने की संभावना कुछ हद तक कम हो जाती है। पढ़े-� ऑस्टियोपोरोसिस की दवा गर्भाशय कैंसर के खतरे को करता है कम
• हड्डियों को शक्ति प्रदान करता है
एक सूखे अंजीर में 3त्न कैल्सियम होता है जो शरीर के लिए कैल्सियम के ज़रूरत को पूरा करने में सहायता करता है। दूसरे कैल्सियम युक्त खाद्द पदार्थों के साथ यह मिलकर हड्डियों को शक्ति प्रदान करता है।
• प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य को उन्नत करता है
प्राचीन काल से सेक्स के लिए उत्तेजना प्रदान करने के लिए अंजीर का सेवन किया जाता रहा है। अंजीर फर्टिलटी में सहायता करता है। क्योंकि इसमें जो जिन्क, मैंगनीज, और मैग्नेशियम होता है वह प्रजनन स्वास्थ्य को उन्नत करने में बहुत सहायता करता है।
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महिलाओं के व्‍यक्तिगत रोग personal diseases of women

महिलाओं के व्‍यक्तिगत रोग
महिलाओं के कुछ व्‍यक्तिगत रोग ऐसे हैं, जो उन्‍हें अत्‍याधिक पीड़ा पहुंचाते हैं। इन रोगों के होने पर महिलाओं के सामने चुनौती आ खड़ी होती है, इनके इलाज की। डाक्‍टर के पास जाने में शर्म और झिझक तो होती ही है, पैसा खर्च होता है अलग। महिलाओं के छोटे मोटे रोग जो आसानी से घर पर ही ठीक हो जाएं, तो यह महिलाओं के लिए सबसे अच्‍छा है। फिर डाक्‍टर के पास जाना तो एकमात्र रास्‍ता तो होता ही है। नीचे महिलाओं के कुछ रोग और उनका निदान भी दिया हुआ है। शायद महिलाओं के कुछ काम आ सके।
योनि में खुजली
१ * योनि में खुजली होने पर तुलसी के पत्‍तों का लेप लगाएं। खुजली ठीक हो जाएगी।
२ * केले के गूदे में आंवले का रस और मिश्री मिलाकर खाने से खुजली ठीक हो जाती है।
३ * नारियल के तेल में भीमसेनी कपूर मिलाकर यो‍निमार्ग में लगाने से भी खुजली ठीक हो जाती है।
४ * नीम की पत्‍ती, गिलोय, मुलहठी, त्रिफला और शरपुंखा को एक समान मात्रा में लेकर कूट लें। फिर १० ग्राम चूर्ण को पांच सौ ग्राम पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाए, तो उतार कर छान लें। इस पानी से २ – ३ बार नियमित रूप से योनि को धोने से खुजली दूर हो जाएगी।
५ * अच्‍छी क्‍वालिटी के अल्‍कोहल से योनिमार्ग को धोने से खुजली से आराम मिलता है।
६ * २०० ग्राम गेहूं को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इसे पीस कर शुद्ध घी में इसका हलवा बनाकर दिन में २ – ३ बार खाएं। खुजली में आराम मिलेगा।
७ * योनिमार्ग और उसके आस पास के अंग को हमेशा साफ रखें।
८ * योनि की खुजली के कारण अगर योनि में दर्द हो और सूजन आ गई हो या घाव हो गया हो, तो अरंड के तेल को रूई के फाहे में भिगोकर योनि के अंदर रखें। एक सप्‍ताह में संतोष जनक आराम मिलेगा।
९ * एक ग्‍लास छाछ में एक नींबू निचोड़कर सुबह खाली पेट पीने से ४ – ५ दिन में योनि की खुजली दूर हो जाएगी।
१० * अगर श्‍वेदप्रदर के कारण खुजली हो रही है, तो सुबह शाम पांच पांच ग्राम आंवले का चूर्ण चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
११ * गूलर की ताजी पत्तियां पचास ग्राम ले लेकर आधा लीटर पानी में उबालिए, जब पानी आधा रह जाए तो उतार कर छान लीजिए। फिर इसमें डेढ़ ग्राम सुहागा पीस कर मिला लें। इसके बाद गुनगुने पानी को किसी पिचकारी में भरकर योनि को अच्‍छी तरह साफ करें।
१२ * गूलर के सत्‍व को गर्म पानी में घोलकर डूश करने से गर्भाशय की खुजली में भी आराम मिलता है।
योनि में संक्रमण
१ * मुलैठी को पीसकर उसमें घी मिलाकर लेप बनाएं। इस लेप को योनि की दीवारों और उसके आसपास लगाएं। संक्रमण में आराम मिलेगा।
२ * ताजी निंबोली (नीम का फल) का रस निकालकर उसे योनि की दीवार पर उंगलियों से धीरे धीरे मलें। यदि ताजा निंबोली न मिलें तो सूखी निंबोली का चूर्ण पानी में भिगोकर पानी निचोड़ लें और उसको प्रयोग करें। नीम की पत्तियों का रस और नीम का तेल भी फाएदेमंद है।
३ * योनि संक्रमित होने पर दूध दही का सेवन भी फाएदेमंद होता है। इस रोग में दही का सेवन करें। थोड़ा सा दही योनि के आसपास लगाने से भी लाभ होता है।
४ * संक्रमण के कारण अगर योनि शुष्‍कता (सूख) आ गई हो या जलन हो रही हो, तो नारियल का तेल योनि में लगाएं। जलन से बहुत राहत मिलेगी।
यदि योनि ढीली हो जाए तो...
१ * काले तिल का चूर्ण पांच ग्राम, दस ग्राम चूर्ण गोखरू का और बीस ग्राम शहद में मिलाकर आधा लीटर दूध के साथ रोज सेवन करें। इससे ढीली हो चुकी योनि कुवांरी कन्‍या के समान टाइट हो जाती है।
२ * समुद्र की झाग और हरड़ की गुठली दोनों का बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें। फिर इसे योनि पर मलने से फैली योनि सकंचित हो जाएगी।
३ * नीलकमल, कुष्‍ठ, बच, काली मिर्च, असगंद और हल्‍दी पीसकर लेप करने से योनि में मजबूती आती और पहले की तरह टाइट हो जाती है।
४ * माजू, कपूर व शहद एक साथ मिलाकर योनि की मालिश करें। इससे इससे योनि पहले की तरह सकुंचित हो जाएगी।
५ * पालक के बीज तथा गूलर के फल के चूर्ण को तिल के तेल व शहद के साथ पीसकर लेप करने से ओवर ऐज महिलाओं की योनि भी सकुंचित होकर टाइट हो जाती है।
६ * ढाक व गोंद की बत्‍ती या लंबी पोटली बनाकर योनि में रखने से योनि सिकुड़कर कुवांरी कन्‍या जैसी हो जाती है।
७ * कड़वी तुंबी व लोध्र के फल को एक साथ पीसकर योनि में लेप करने से अथवा बेंत की जड़ के क्‍वाथ द्धारा अच्‍छी तरह धोने से योनि संकुचित हो जाती है।
योनि में सूजन
१ * एक पके केले को छील कर ६ – ७ ग्राम देशी घी के साथ रोज सुबह शाम खाएं। एक सप्‍ताह तक प्रयोग करने से योनि की सूजन दूर हो जाती है।
२ * योनि की सूजन में ३ ग्राम आंवला और ६ ग्राम शहद मिलाकर रोज दिन में १ – २ बार खाने से आराम मिलता है।
३ * गूलर के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर एक से दो ग्राम मात्रा में सुबह शाम सेवन आराम मिलता है।
४ * मुठठी भर नीम की पत्तियां लेकर आधा लीटर पानी में १५ – २० मिनट अच्‍छी तरह उबालें। फिर ठंडा करके योनि को दो तीन बार अच्‍छी तरह धोएं। यह सूजन दूर करने का अच्‍छा नुस्‍खा है।
५ * चावल पकाकर मांड नि‍काल लें और गुनगुना ही पी जाएं। ध्‍यान रहे कि मांड ज्‍यादा गाढ़ा न हो। मांड पीने के एक घंटा पहले और बाद में कुछ भी न खाएं।
यदि सेक्‍स के दौरान पीड़ा रहती हो तो इन्‍हें आजमाएं
१ * शुद्ध अरंडी का तेल रूई में भिगोकर योनि में लगाने से लाभ होता है।
२ * गोरखमुंडी (यह एक प्रकार की घांस होती है, जो दवा के रूप में प्रयोग की जाती है) को घी और दूध में पकाकर हलवा बनाएं। फिर इसे योनि में रखें। आराम मिलेगा।
३ * इंद्रायण की जड़, सोंठ और धृतकुमारी का गूदा‍ मिलाकर पीस लें। फिर इसे बकरी के दूध में मिलाकर योनि में रखने से पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
४ * पुनर्नवा की जड़ व पत्‍तों का रस निकालकर उसमें रूई के फाहे को भिगोकर योनि में रखने से सेक्‍स पेन में बहुत राहत मिलती है।
५ * सोंठ और अरंडी की जड़ का बारीक चूर्ण पानी या घी में पीसकर योनि पर लेप करने से सेक्‍स के दौरान दर्द में राहत मिलती है।
६ * सुपारी का चूर्ण ५ ग्राम घी के साथ मिलाकर खाएं और ऊपर से गाय अथवा बकरी का दूध पिएं।
Om Jalandhara's photo.
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शरीर को निरोगी बनाए ‘तुलसी’ ‘Tulsi’ makes the body healthy

तुलसी के गुणों की महिमा पुरातन काल से ही देखते व सुनते आ रहे हैं. तुलसी को पूजा से लेकर काया को निरोगी रखने तक में उपयोग किया जाता है. विदेशी चिकित्सक इन दिनों भारतीय जड़ी-बूटियों पर व्यापक अनुसंधान कर रहे हैं. वल्र्ड-एड्स के अनुसार अमरीका के नेशनल कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैंसर एवं एड्स के उपचार में कारगर भारतीय जड़ी-बूटियों को व्यापक पैमाने पर परखा जा रहा है. विशेष रूप से तुलसी में एड्स निवारक तत्वों की खोज जारी है. मानस रोगों के संदर्भ में भी इन पर परीक्षण चल रहे हैं. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों पर पूरे विश्व का रूझान इनके दुष्प्रभाव मुक्त होने की विशेषता के कारण बढ़ता जा रहा है.
कैंसर में कारगर तुलसी
एक अध्ययन से यह बात स्पष्ट हो गई है कि अब तुलसी के पत्तों से तैयार किए गए पेस्ट का इस्तेमाल कैंसर से पीडित रोगियों के इलाज में किया जा सकता है. दरअसल वैज्ञानिकों को रेडिएशन-थैरेपी में तुलसी के पेस्ट के जरिए विकिरण के प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल हुई है. तुलसी में विकिरण के प्रभावों को शांत करने के गुण हैं. यह निष्कर्ष पिछले दस वर्षों के दौरान भारत में ही मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में चूहों पर किए गए परीक्षणों के आधार पर निकाला गया. दस वर्षो की अवधि में हजारों चूहों पर परीक्षण किए गए.
दुष्प्रभाव नहीं
कैंसर के इलाज में रेडिएशन के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एम्मी फास्टिन महंगा तो है ही, साथ ही इसके इस्तेमाल से लो- ब्लड प्रेशर और उल्टियां होने की समस्याएं भी देखी गई हैं. जबकि तुलसी के प्रयोग से ऐसे दुष्प्रभाव सामने नहीं आते.
संक्रामक रोगों से बचाती
डॉ. के. वसु ने तुलसी को संक्रामक-रोगों जैसे यक्ष्मा, मलेरिया, कालाजार इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी बताया है.
पुदीना-तुलसी का मिश्रण
चूहों पर किए गए परीक्षणों के बाद यह साबित हुआ है कि पुदीना और तुलसी के मिश्रण के लगातार सेवन से कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है. एक विश्वविद्यालय में लगभग बीस सप्ताह तक चूहों के दो अलग समूहों पर यह प्रयोग किया गया. दोनों समूह के चूहों पर रसायन का लेप किया गया. एक समूह को तुलसी और पुदीना का मिश्रण भी पिलाया गया. जिन चूहों की त्वचा पर सिर्फ रसायन का लेप किया गया था, उनके शरीर पर बड़े-बड़े फोडे निकल आए. जिन चूहों को तुलसी और पुदीना का मिश्रण पिलाया गया, उनमें ऐसा नहीं हुआ.
मच्छर नाशक
बुलेटिन ऑफ बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक शोध के अनुसार तुलसी के रस में मलेरिया बुखार पैदा करने वाले मच्छरों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है. वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. जी.डी. नाडकर्णी का अध्ययन बतलाता है कि तुलसी के नियमित सेवन से हमारे शरीर में विद्युतीय-शक्ति का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की जीवन अवधि में वृद्धि होती है. तभी तो भारत के लगभग हर घर के चौक में सदियों से तुलसी का स्थान रहा है. कहा जाता है कि इसके आसपास मच्छर नहीं होते.
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नारी शक्ति की सुरक्षा के लिये

 1. एक नारी को तब क्या करना चाहिये जब वह देर रात में किसी उँची इमारत की लिफ़्ट में किसी अजनबी के साथ स्वयं को अकेला पाये ?  जब आप लिफ़्ट में...