तुलसी के गुणों की महिमा पुरातन काल से ही देखते व सुनते आ रहे हैं. तुलसी को पूजा से लेकर काया को निरोगी रखने तक में उपयोग किया जाता है. विदेशी चिकित्सक इन दिनों भारतीय जड़ी-बूटियों पर व्यापक अनुसंधान कर रहे हैं. वल्र्ड-एड्स के अनुसार अमरीका के नेशनल कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैंसर एवं एड्स के उपचार में कारगर भारतीय जड़ी-बूटियों को व्यापक पैमाने पर परखा जा रहा है. विशेष रूप से तुलसी में एड्स निवारक तत्वों की खोज जारी है. मानस रोगों के संदर्भ में भी इन पर परीक्षण चल रहे हैं. आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों पर पूरे विश्व का रूझान इनके दुष्प्रभाव मुक्त होने की विशेषता के कारण बढ़ता जा रहा है.
कैंसर में कारगर तुलसी
एक अध्ययन से यह बात स्पष्ट हो गई है कि अब तुलसी के पत्तों से तैयार किए गए पेस्ट का इस्तेमाल कैंसर से पीडित रोगियों के इलाज में किया जा सकता है. दरअसल वैज्ञानिकों को रेडिएशन-थैरेपी में तुलसी के पेस्ट के जरिए विकिरण के प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल हुई है. तुलसी में विकिरण के प्रभावों को शांत करने के गुण हैं. यह निष्कर्ष पिछले दस वर्षों के दौरान भारत में ही मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में चूहों पर किए गए परीक्षणों के आधार पर निकाला गया. दस वर्षो की अवधि में हजारों चूहों पर परीक्षण किए गए.
एक अध्ययन से यह बात स्पष्ट हो गई है कि अब तुलसी के पत्तों से तैयार किए गए पेस्ट का इस्तेमाल कैंसर से पीडित रोगियों के इलाज में किया जा सकता है. दरअसल वैज्ञानिकों को रेडिएशन-थैरेपी में तुलसी के पेस्ट के जरिए विकिरण के प्रभाव को कम करने में सफलता हासिल हुई है. तुलसी में विकिरण के प्रभावों को शांत करने के गुण हैं. यह निष्कर्ष पिछले दस वर्षों के दौरान भारत में ही मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज में चूहों पर किए गए परीक्षणों के आधार पर निकाला गया. दस वर्षो की अवधि में हजारों चूहों पर परीक्षण किए गए.
दुष्प्रभाव नहीं
कैंसर के इलाज में रेडिएशन के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला एम्मी फास्टिन महंगा तो है ही, साथ ही इसके इस्तेमाल से लो- ब्लड प्रेशर और उल्टियां होने की समस्याएं भी देखी गई हैं. जबकि तुलसी के प्रयोग से ऐसे दुष्प्रभाव सामने नहीं आते.
संक्रामक रोगों से बचाती
डॉ. के. वसु ने तुलसी को संक्रामक-रोगों जैसे यक्ष्मा, मलेरिया, कालाजार इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी बताया है.
डॉ. के. वसु ने तुलसी को संक्रामक-रोगों जैसे यक्ष्मा, मलेरिया, कालाजार इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी बताया है.
पुदीना-तुलसी का मिश्रण
चूहों पर किए गए परीक्षणों के बाद यह साबित हुआ है कि पुदीना और तुलसी के मिश्रण के लगातार सेवन से कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है. एक विश्वविद्यालय में लगभग बीस सप्ताह तक चूहों के दो अलग समूहों पर यह प्रयोग किया गया. दोनों समूह के चूहों पर रसायन का लेप किया गया. एक समूह को तुलसी और पुदीना का मिश्रण भी पिलाया गया. जिन चूहों की त्वचा पर सिर्फ रसायन का लेप किया गया था, उनके शरीर पर बड़े-बड़े फोडे निकल आए. जिन चूहों को तुलसी और पुदीना का मिश्रण पिलाया गया, उनमें ऐसा नहीं हुआ.
चूहों पर किए गए परीक्षणों के बाद यह साबित हुआ है कि पुदीना और तुलसी के मिश्रण के लगातार सेवन से कैंसर होने की आशंका कम हो जाती है. एक विश्वविद्यालय में लगभग बीस सप्ताह तक चूहों के दो अलग समूहों पर यह प्रयोग किया गया. दोनों समूह के चूहों पर रसायन का लेप किया गया. एक समूह को तुलसी और पुदीना का मिश्रण भी पिलाया गया. जिन चूहों की त्वचा पर सिर्फ रसायन का लेप किया गया था, उनके शरीर पर बड़े-बड़े फोडे निकल आए. जिन चूहों को तुलसी और पुदीना का मिश्रण पिलाया गया, उनमें ऐसा नहीं हुआ.
मच्छर नाशक
बुलेटिन ऑफ बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक शोध के अनुसार तुलसी के रस में मलेरिया बुखार पैदा करने वाले मच्छरों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है. वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. जी.डी. नाडकर्णी का अध्ययन बतलाता है कि तुलसी के नियमित सेवन से हमारे शरीर में विद्युतीय-शक्ति का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की जीवन अवधि में वृद्धि होती है. तभी तो भारत के लगभग हर घर के चौक में सदियों से तुलसी का स्थान रहा है. कहा जाता है कि इसके आसपास मच्छर नहीं होते.
बुलेटिन ऑफ बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक शोध के अनुसार तुलसी के रस में मलेरिया बुखार पैदा करने वाले मच्छरों को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है. वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. जी.डी. नाडकर्णी का अध्ययन बतलाता है कि तुलसी के नियमित सेवन से हमारे शरीर में विद्युतीय-शक्ति का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की जीवन अवधि में वृद्धि होती है. तभी तो भारत के लगभग हर घर के चौक में सदियों से तुलसी का स्थान रहा है. कहा जाता है कि इसके आसपास मच्छर नहीं होते.
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